प्राथमिक स्कूलों में 100 फीसदी नामांकन का संकल्प

 

कन्या केळवणी (कन्या शिक्षा) और शाला प्रवेश महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर गुरुवार सुबह श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रेरक संबोधन किया।

प्रिय मित्रों, 

अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं, च्च्सरकार के ढेर सारे कार्यक्रमों में से आपका पसंदीदा कार्यक्रम कौन-सा है?ज्ज् हालांकि, सरकार के प्रत्येक कार्यक्रम को मैं गुजरात के छह करोड़ बाशिंदों की सेवा का अवसर मानता हूं। लेकिन मुझे कहना होगा कि, शाला प्रवेशोत्सव और कन्या केळवणी (कन्या शिक्षा) अभियान का मेरे ह्रदय में विशेष स्थान है। बतौर मुख्यमंत्री गुजरात के लोगों की सेवा का जब अवसर मिला, उस दिन से कहीं ज्यादा यादगार मेरे लिए वह दिन है, जब नन्हें बच्चों को स्कूल ले जाने का सौभाग्य मुझे मिलता है! देश के भविष्य समान इन नन्हे-मुन्नों को स्कूल की ओर पहला कदम बढ़ाते देख मुझे बेहद खुशी होती है। 

पिछले दशक के दौरान गुजरात में शिक्षा के क्षेत्र में आइ क्रांति की तुलनात्मक झांकी

 

शाला प्रवेशोत्सव का उद्देश्य प्राथमिक स्कूलों में सौ फीसदी नामांकन सुनिश्चित करना है। वहीं, कन्या केळवणी अभियान के जरिए हम कन्या शिक्षा को प्रोत्साहन देने को कटिबद्घ हैं। स्कूल का कमरा हो या हो खेल का मैदान, बेटियों को विजयी होते देखने की खुशी की बात ही निराली है। 

जून का महीना यानी चिलचिलाती गर्मी से मुक्ति का समय। प्रत्येक वर्ष इसी अरसे में मैं, मंत्रिमंडल के मेरे साथी, वरिष्ठ प्रशासनिक अफसर और अधिकारियों की समूची च्टीम गुजरातज् गांव-गांव जाकर लोगों से उनके छोटे बच्चों को स्कूल में भर्ती करने की गुजारिश करती है। आज से हमने ग्रामीण इलाकों में तीन दिवसीय शाला प्रवेशोत्सव अभियान का शुभारंभ किया है। जबकि महीने के आखिर में हम यह अभियान शहरी इलाकों में आयोजित करेंगे। 

मैने पाया है कि स्कूल का पहला दिन शायद ही किसी को याद हो। वजह, उस दिन ऐसा कुछ भी नहीं होता जिसे खास कहा जा सके। लेकिन अब मुझे खुशी है कि, ये बच्चे जब स्कूल में अपना पहला कदम रखेंगे तो न सिर्फ उनके पालक बल्कि पूरे गुजरात की नजर उन पर होगी। जरा सोचिए, पहले दिन स्कूल जाने के लिए नन्हे बालक के साथ वर्दीधारी आईपीएस अधिकारी या फिर कोई राज्य मंत्री होगा, तो यह बात उसके मन पर कैसी रोमांचक छाप छोड़ जाएगी? मुझे यकीन है कि कोई भी बच्चा इस दिन को जिन्दगी भर नहीं भूल पाएगा। 

मौजूदा वर्ष में अभियान के तहत 34,000 सरकारी प्राथमिक स्कूलों का समावेश किया जाएगा। कन्याओं को कक्षा-1 में प्रवेश के दौरान सरकार की ओर से 1000 रुपये का बॉन्ड दिया जाता है, कक्षा-7 में इस बॉन्ड की दोगुनी राशि यानी 2000 रुपये प्राप्त होते हैं। अब पहली बार सरकार की ओर से इस राशि में ब्याज का समावेश भी किया जाएगा। इसके अलावा बच्चों को तकरीबन 48,000 साइकिलें प्रदान की जाएंगी और आंगनबाड़ी के शिशुओं को खिलौने वितरीत किए जाएंगे। साथ ही 10,595 नई कक्षाओं का निर्माण भी किया जाएगा और 26,000 जितने बुनियादी स्कूली ढांचों का शिलान्यास भी किया जाएगा। 

प्राथमिक शिक्षा को लेकर हमारे सभी प्रयासों के पीछे हमारा मिशन मानव संपदा की क्षमता का विकास करना है। इसके लिए हमें मूलभूत बातों से शुरूआत करनी होगी। और इसलिए ही प्राथमिक शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित करना जरूरी बन पड़ता है। 

इन कार्यक्रमों में सहयोग देने के वास्ते मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं। ताकि कोई बच्चा शिक्षा का यह स्वर्णिम अवसर चूक न जाए। एक ऐसा अवसर जो भविष्य में विकास के अनेक द्वार खोलेगा।

आपका

नरेन्द्र मोदी

 

Auctioning the gifts received for the noble cause of educating the girls child.

 

शाला प्रवेश महोत्सव  & कन्या केळवणी रथ यात्रा

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रण उत्सव – प्रकृति, परंपरा और प्रचीनता का उत्सव
December 21, 2024

कच्छ का सफेद रण आपको आमंत्रित कर रहा है।

कच्छ के इस उत्सव पर्व से जुड़कर एक नए अनुभव के साक्षी बनिए।

और रण के इस उत्सव में प्रकृति, परंपरा और प्रचीनता के रंगों को जीवन का हिस्सा बनाइए।

भारत के सबसे पश्चिमी छोर पर स्थित कच्छ, विरासत और बहुसंस्कृति की भूमि है। कच्छ का सफेद रण और इसकी जीवंतता किसी का भी मन मोह लेती है। चांदनी रात में कच्छ के इस रण का अनुभव और अलौकिक हो जाता है, दिव्य हो जाता है। कच्छ की ये धरती जितनी सुंदर है, इसकी कला और शिल्प भी उतना ही विशेष है।

कच्छ के लोगों का आतिथ्य भाव तो सारी दुनिया जानती है। हर वर्ष लाखों पर्यटक इस धरती पर आते हैं और कच्छ के लोग उतने ही उत्साह से उनका स्वागत करते हैं। अतिथियों के सम्मान और उनके अनुभवों को संवारने के लिए कच्छ का हर परिवार पूरे आदर भाव से काम करता है। रण उत्सव, कच्छ की इसी आतिथ्य परंपरा और स्थानीय कला का उत्सव है। इस जीवंत उत्सव में, हमें इस क्षेत्र की अनोखी संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य, स्थानीय जनभावनाओं और कलाओं से जुड़ने का अवसर मिलता है।

इस पोस्ट के माध्यम से मैं विश्व भर के अतिथियों को रण उत्सव 2024-25 के लिए व्यक्तिगत आमंत्रण दे रहा हूं। आप सब अपने परिवार के साथ यहां आएं, यहां की संस्कृति और अनुभवों से जुड़ें, तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी। इस बार रण उत्सव 1 दिसंबर 2024 से लेकर 28 फरवरी 2025 तक आयोजित हो रहा है। इसके अलावा रण की टेंट सिटी मार्च 2025 तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी।

ये टेंट सिटी आपको कच्छ के अनुभवों से, यहां के विराट आतिथ्य से, भारत की संस्कृति से और प्रकृति के नए अनुभवों से जोड़ेगी। मैं पूरे विश्वास से कहता हूं, कच्छ के रण उत्सव का अनुभव आपके जीवन का सबसे अलौकिक और अविस्मरणीय अनुभव बनेगा।

कच्छ की इस टेंट सिटी में पर्यटकों के अनुरूप अनेक सुविधाओं को शामिल किया गया है। जो लोग रिलैक्स करने के लिए यहां आ रहे हैं, उन्हें यहां एक अलग अनुभव मिलेगा। संस्कृति और इतिहास के नए रंगों को खोज रहे लोगों के लिए, रण उत्सव एक इंद्रधनुष जैसा होगा।

देखिए, रण उत्सव की गतिविधियों का आनंद लेने के अलावा आप यहां और क्या-क्या कर सकते हैं:

सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा भारत का गौरव स्थल धोलावीरा यहीं पास में स्थित है। ये यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट है, जहां आपको भारत की प्राचीन सभ्यता से जुड़ने का अवसर मिलेगा।

जिन लोगों को प्रकृति और स्थापत्य कला से प्रेम हो, उनके लिए काला डूंगर का विजय विलास पैलेस एक अद्भुत अनुभव का स्थान होगा।

सफेद नमक के मैदानों से घिरी रोड टू हैवन, अपने मनोरम दृश्यों से हर पर्यटक का मन मोह लेती है। 30 किलोमीटर लंबी ये सड़क खावड़ा और धोलावीरा को आपस में जोड़ती है और इसपर यात्रा करना बहुत ही खास अनुभव होता है।

18वीं शताब्दी का लखपत फोर्ट हमें प्राचीन भारत के गौरव से जोड़ता है।

माता नो मढ़ आशापुरा मंदिर कच्छ की धरती पर हमारी आध्यात्मिक चेतना का शक्ति तीर्थ बन जाता है।

श्यामजी कृष्ण वर्मा स्मारक और क्रांति तीर्थ पर श्रद्धांजलि अर्पित करके अपने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ सकते हैं।

और इन सब के साथ, रण उत्सव कच्छ की इस यात्रा में आप हस्तशिल्प के एक अद्भुत संसार से जुड़ सकते हैं। इस हस्तशिल्प मेले में हर उत्पाद की एक अलग पहचान है। ये उत्पाद कच्छ के लोगों की कलाओं से पूरी दुनिया को जोड़ते हैं।

कुछ समय पहले ही मुझे स्मृति वन के लोकार्पण का उत्सव मिला था। जिन लोगों ने 26 जनवरी 2001 के विनाशकारी भूकंप में अपना जीवन बनाया, ये उनकी स्मृतियों का स्मारक है। यहां दुनिया का सबसे खूबसूरत संग्रहालय है, जिसे 2024 का UNESCO Prix Versailles Interiors World Title मिला है! यह भारत का एकमात्र ऐसा संग्रहालय है, जिसे यह विशेष उपलब्धि हासिल हुई है। यह स्मारक हमें हमेशा याद दिलाता है कि कैसे बहुत विपरीत और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी हमारा मन, हमारी भावनाएं हमें फिर से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

तब और अब को बताने वाली तस्वीर:

करीब दो दशक पहले स्थितियां ऐसी थीं कि अगर आपको कच्छ आने का निमंत्रण मिलता, तो आप सोचते कि कोई मजाक कर रहा है। कारण ये था कि तब तक भारत के सबसे बड़े जिलों में से एक होने के बावजूद भी, कच्छ बहुत बेहाल स्तिथि में था। ये स्थितियां तब थीं, जब कच्छ में एक तरफ रेगिस्तान था, दूसरी तरफ पाकिस्तान था। लेकिन सुरक्षा और पर्यटन दोनों ही क्षेत्र में ये स्थान पिछड़ा हुआ था।

कच्छ ने 1999 में चक्रवात और 2001 में भीषण भूकंप का सामना किया था। यहां सूखे की समस्या रहती थी। खेती के पर्याप्त साधन नहीं थे। यही कारण था कि अन्य लोग इसके अच्छे भविष्य की सोच तक नहीं पाते थे।। लेकिन वो नहीं जानते थे कि कच्छ के लोगों की ऊर्जा, उनकी इच्छा शक्ति क्या है। दो दशकों में अपनी मेहनत से, कच्छ के लोगों ने अपना भाग्य बदला। 21वीं शताब्दी के शुरुआत से कच्छ में एक परिवर्तन की भी शुरुआत हुई।

हम सबने मिलकर कच्छ के समावेशी विकास पर काम किया। हमने Disaster Resilient Infrastructure बनाने पर फोकस किया। इसके साथ ही यहां ऐसी आजीविका पर जोर दिया, जिससे यहां के युवाओं को काम की तलाश में अपना घर ना छोड़ना पड़े।

यही कारण है कि 21वीं सदी के पहले दशक के अंत तक जो धरती सूखे के लिए जानी जाती थी, वह आज कृषि के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियों के पड़ाव पर है। यहां के आम सहित कई फल विदेशी बाजार में एक्सपोर्ट हो रहे हैं। कच्छ के हमारे किसान भाई-बहनों ने ड्रिप सिंचाई और अन्य तकनीकों से खेती को बहुत समृद्ध किया है। इससे पानी की हर बूंद के संरक्षण के साथ अधिकतम उत्पादकता सुनिश्चित हुई है।

गुजरात सरकार के औद्योगिक विकास पर जोर देने से इस जिले में निवेश को भी काफी बढ़ावा मिला है। हमने कच्छ के तटीय क्षेत्र का उपयोग करके इसे एक महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार केंद्र के रूप में फिर से स्थापित करने का काम किया।

कच्छ में पर्यटन की संभावनाओं को और विस्तार देने के लिए 2005 में कच्छ रण उत्सव की शुरुआत की गई थी। आज यह स्थान एक Vibrant Tourism Centre बन चुका है। रण उत्सव को देश-विदेश के कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं।

हर साल धोरडो गांव में रण उत्सव का आयोजन होता है। ये प्रसन्नता और गर्व की बात है कि इस गांव को United Nations World Tourism Organization ने 2023 का बेस्ट टूरिज्म विलेज घोषित किया। इस गांव की संस्कृति, पर्यटन और यहां हुआ विकास हर देशवासी को गौरव से भर देता है।

मुझे विश्वास है कि आप सब भी, कच्छ की विरासत भूमि को देखने यहां आएंगे और अपनी इस यात्रा के अनुभवों से दूसरों को भी यहां आने की प्रेरणा देंगे। जब आप इन अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करेंगे, तो पूरा विश्व भी इनसे जुड़ेगा। इस संस्कृति और आतिथ्य के भाव को जी सकेगा।

इसी आमंत्रण के साथ, मैं आप सभी को नववर्ष 2025 के लिए भी शुभकामनाएं देता हूं। आने वाला साल आपके और आपके परिवार के लिए सफलता, समृद्धि और आरोग्यपूर्ण जीवन लेकर आए, यही प्रार्थना है।