पीएम मोदी ने अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक महासंघ के '29वें द्विवार्षिक अखिल भारतीय शिक्षा संघ अधिवेशन' को संबोधित किया। अपने संबोधन में, उन्होंने छात्रों के बीच 'स्वच्छता की भावना' को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों को अग्रणी बताया। पीएम मोदी ने कहा कि स्कूल और शिक्षक समाजीकरण के एजेंट के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अपने प्रयासों से वे छात्रों में स्वच्छता की भावना पैदा कर सकते हैं।
इसके बारे में विस्तार से बताते हुए पीएम मोदी ने फिटनेस और पोषण के महत्व पर भी जोर दिया और बताया कि किस प्रकार इनका न केवल हमारे व्यक्तित्व के विकास में बल्कि 'स्वच्छता की भावना' विकसित करने में भी परस्पर संबंध है। कुपोषण की चुनौती को दूर करने में मिड-डे मील योजना के महत्व का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने कहा, "गरीबों और ज़रूरतमंदों को भोजन परोसना एक सामाजिक उद्देश्य और भूख मिटाने की उपलब्धि के रूप में देखा जाना चाहिए और सभी के लिए पोषण की प्राप्ति को सक्षम बनाना चाहिए"। वहीं, पीएम मोदी ने यह भी सुझाव दिया कि 'मिड-डे मील' के अंतर्गत गाँव के दो बुजुर्गों को बच्चों को भोजन परोसने के कार्य में भाग लेना चाहिए और अपनेपन की भावना पैदा करने के लिए उनके साथ बैठकर खाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे खाद्य संस्कृति और स्वच्छता की भावना पैदा होगी।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि छात्रों के बीच स्वच्छता की भावना पैदा करने में शिक्षक उत्कृष्ट उदाहरण रहे हैं। यहाँ, पीएम मोदी ने एक उदाहरण से बताया कि कैसे गुजरात के एक आदिवासी इलाके में एक शिक्षिका अपनी पुरानी साड़ियों को काटकर तैयार रूमाल छात्रों को हाइजीन के उद्देश्य से लगाती थी। स्कूल से छुट्टी होने पर वह टीचर उन रुमालों को निकाल लेती थी, घर पर उन्हें धो कर के दूसरे दिन फिर लगा देती थी। यह उदाहरण शिक्षकों के माध्यम से छात्रों के बीच व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्व को प्रदर्शित करता है।
उन्होंने आदिवासी इलाके में स्थित एक अन्य स्कूल के बारे भी बताया, जिसके प्रवेश द्वार पर एक शीशा लगा था, जहाँ टीचर के नियमानुसार छात्रों को कक्षा में प्रवेश करने से पहले खुद को उस शीशे में देखना होता था। इससे अधिकतर बच्चे अपने बालों को ठीक करके, अपने हुलिए पर गौर करके कक्षा में प्रवेश करते। इससे न केवल स्वच्छता की भावना पैदा हुई बल्कि छात्रों के आत्मविश्वास को भी बढ़ावा मिला।