प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के अमरकंटक में ‘नर्मदा कार्य योजना’ का विमोचन किया। नर्मदा सेवा यात्रा के समापन समारोह के सिलसिले में पीएम मोदी अमरकंटक पहुंचे थे। इस अवसर पर स्वामी अवधेशानंद जी महाराज ने कहा कि इस समय मोदी जी भारत की धरती पर विकास का अवतार बनकर पैदा हुए हैं जबकि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी भारत के लिए भगवान का वरदान बनकर आए हैं।

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आचार्य महासभा के अध्यक्ष और आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा देशहित में उठाए गये कदमों की सराहना की है। नर्मदा सेवा यात्रा के समापन के अवसर पर हुए कार्यक्रम में महाराज ने कहा कि, “राष्ट्रऋषि, जिनके पास सभ्यता, संस्कृति संस्कार और संवेदनाएं हैं, जो निरंतर मानवीय सभ्यता के उत्कर्ष के लिए हैं। करोड़ों हृदयों के सम्राट, सभी मत, संप्रदायों में जिनकी आज चर्चा है कि भारत विश्वगुरु बने और जिन्होंने राजनीतिक पटल पर भारत की उच्चता-श्रेष्ठता और एक शीर्षस्थ स्थान प्रदान कराया है।” उन्होंने आगे कहा, “प्रधानमंत्री भारत को एक नया रूप देना चाहते हैं। जल संरक्षण को लेकर इस धरती पर कोई बड़ी चेतना आई है तो हमारे माननीय प्रधानमंत्री की ओर से आई है। वो पूरे विकास की ओर हैं, भारत को एक नया रूप देना चाहते हैं। चाहे, गंगा की बात हो, ब्रह्मपुत्र की बात हो…”

स्वामी अवधेशानंदजी ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश का रूपांतरण हो रहा है, “हम सब बहुत भाग्यवान हैं। इस समय ऐसा प्रधानमंत्री अथवा ऐसी सरकार है जहां सर्वथा अनुकूलता है। मुझे संतों ने कहा कि पूरी धरती भयमुक्त है प्रधानमंत्री की सोच के कारण। वो अभयता दे रहे हैं, ये बड़ी बात है। उनके जिस ढंग के सपने हैं, वो जिस ढंग का वातावरण बना रहे हैं वो अपने में एक नवरचना कर रहे हैं। मुझे लगता है जैसे रूपांतरण हो रहा है। उसी श्रृंखला में नर्मदा का संरक्षण उनके ही संकल्पों का एक प्रकार से हिस्सा है।”

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स्वामी जी ने भारत के गौरवपूर्ण इतिहास का वर्णन कर कहा कि, “ जब जब कोई गतिरोध आता है, जब धर्म, संस्कारों में शैथिल्य आता है, तब-तब कोई सत्ता फिर से आती है। अवतार भी अनेक प्रकार से होते हैं। आवेश अवतार, कोई आवेग अवतार, रूपकला अवतार, गुणावतार। मुझे ऐसा लगता है कि भारत की धरती पर इस समय विकास का अवतार हुआ है।” अवधेशानंद जी के अनुसार उन्होंने एक साथ स्मार्ट सिटी की कल्पना, स्वच्छता की कल्पना, आरोग्यता की कल्पना और उसी क्रम में नर्मदा नदी के संरक्षण की बात की है। मोदी जी भारत को संवारने में लगे हैं। भारत और भारत माता उनके हाथों में सुरक्षित है। ये जानकर भारत के लोग, सभी संत अभिभूत और आश्वस्त हैं।

इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मोदी जी को भारत के लिए भगवान का वरदान बताया। उनके शब्दों में, “ राष्ट्रऋषि, युगपुरुष, भारत के लिए भगवान का वरदान हैं, जो जब बोलते हैं तो केवल हिंदुस्तान नहीं, पूरी दुनिया सुनती है और जब करते हैं तो पूरी दुनिया देखती है।” मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्मदा नदी को बचाने के लिए पिछले 11 दिसंबर को शुरू हुई नर्मदा सेवा यात्रा जैसे अद्भुत जन आंदोलन को प्रधानमंत्री के चलते नई ताकत मिली है। इसके बाद नदी संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण का संदेश पूरे भारत में जाएगा। चौहान के अनुसार प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के चलते जंगलों की कटाई रुक गई है। उनके अनुसार, “प्रधानमंत्री हमारे ‘प्रेरणा के पुंज’ हैं। वो ‘मैन ऑफ आइडियाज’ हैं। आइडिया का भंडार हैं। ”एमपी के मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान को मध्यप्रदेश ने मिशन बना दिया और परिणाम ये हुआ कि देश के स्वच्छ सर्वे में 100 शहरों में से पहले और दूसरे नंबर पर इंदौर और भोपाल आया। जबकि, पहले 25 शहरों में 8 और कुल 22 शहरों को भी सबसे स्वच्छ होने का सम्मान मिला है। शिवराज ने कहा, ”तीन साल का सफर भारत की उपलब्धियों का सफर है...कभी भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना देखते थे। वो सपना अब साकार होगा नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में।”

शिवराज सिंह चौहान ने भरोसा जताया कि प्रधानमंत्री के हर संकल्प को मध्यप्रदेश पूरा करेगा और उनके हर अभियान को मध्यप्रदेश साकार करेगा और जमीन पर उतारेगा। उल्लेखनीय है कि नर्मदा सेवा यात्रा में कुल 25 लाख से अधिक लोग शामिल हुए और 80 हजार से अधिक नर्मदा सेवक उससे जुड़े हैं। नदी और पर्यावरण की रक्षा को लेकर शुरू किए गई इस योजना का अगला महत्वपूर्ण पड़ाव 2 जुलाई का है, जब नर्मदा नदी के दोनों तटों पर एक साथ 6 करोड़ पेड़ लगाए जाने की योजना है।

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भारत अपने किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा: पीएम मोदी
August 07, 2025
Quoteडॉ. स्वामीनाथन ने भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया: प्रधानमंत्री
Quoteडॉ. स्वामीनाथन ने जैव विविधता से आगे बढ़कर जैव-सुख की दूरदर्शी अवधारणा दी: प्रधानमंत्री
Quoteभारत अपने किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा: प्रधानमंत्री
Quoteहमारी सरकार ने किसानों की शक्ति को देश की प्रगति की आधारशिला के रूप में मान्यता दी है: प्रधानमंत्री
Quoteखाद्य सुरक्षा की विरासत पर निर्माण करते हुए, हमारे कृषि वैज्ञानिकों के लिए अगला लक्ष्य सभी के लिए पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है: प्रधानमंत्री

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी शिवराज सिंह चौहान जी, एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. सौम्या स्वामीनाथन जी, नीति आयोग के सदस्य डॉ. रमेश चंद जी, मैं देख रहा हूं स्वामीनाथन जी के परिवार से भी सभी जन यहां मौजूद हैं, मैं उनको भी प्रणाम करता हूं। सभी साइंटिस्ट्स, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनका योगदान किसी एक कालखंड तक सीमित नहीं रहता, किसी एक भू-भाग तक सीमित नहीं रहता। प्रोफेसर एम. एस. स्वामीनाथन ऐसे ही महान वैज्ञानिक थे, मां भारती के सपूत थे। उन्होंने विज्ञान को जनसेवा का माध्यम बनाया। देश की खाद्य सुरक्षा को, फूड सेक्योरिटी को उन्होंने अपने जीवन का ध्येय बना लिया। उन्होंने वो चेतना जागृत की, जो आने वाली कई सदियों तक भारत की नीतियां और प्राथमिकताओं को दिशा देती रहेगी। मैं आप सभी को स्वामीनाथन जन्मशताब्दी समारोह की शुभकामनाएं देता हूं।

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साथियों,

आज 7 अगस्त, नेशनल हैंडलूम डे भी है। पिछले 10 सालों में हैंडलूम सेक्टर को देशभर में नई पहचान और ताकत मिली है। मैं आप सभी को, हैंडलूम सेक्टर से जुड़े लोगों को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की बधाई देता हूं।

साथियों,

डॉ. स्वामीनाथन के साथ मेरा जुड़ाव कई वर्षों पुराना था। गुजरात की पहले की स्थितियां बहुत लोगों को पता हैं, पहले वहां सूखे और चक्रवात की वजह से कृषि पर काफी संकट रहता था, कच्छ का रेगिस्तान बढ़ता चला जा रहा था। जब मैं मुख्यमंत्री था, तो उसी दौरान हमने सॉयल हेल्थ कार्ड योजना पर काम शुरू किया। मुझे याद है, प्रोफेसर स्वामीनाथन ने उसमें बहुत ज्यादा इंटरेस्ट दिखाया था। उन्होंने खुले दिल से हमें सुझाव दिया, हमारा मार्गदर्शन किया। उनके योगदान से इस पहल को जबरदस्त सफलता भी मिली। करीब 20 साल हुए, जब मैं तमिलनाडु में उनके रिसर्च फाउंडेशन के सेंटर पर गया था। साल 2017 में मुझे उनकी लिखी किताब ‘द क्वेस्ट फॉर अ वर्ल्ड विदआउट हंगर’ उसको रिलीज करने का मौका मिला था। साल 2018 में जब वाराणसी में International Rice Research Institute के Regional Centre का उद्घाटन हुआ, तो भी उनका मार्गदर्शन हमें मिला। उनसे हुई हर मुलाकात मेरे लिए एक लर्निंग एक्सपीरियंस होती थी, उन्होंने एक बार कहा था, science is not just about discovery, but delivery. और उन्होंने इसे अपने कार्यों से सिद्ध किया। वो केवल रिसर्च नहीं करते थे, बल्कि खेती के तौर-तरीके बदलने के लिए किसानों को प्रेरित भी करते थे। आज भी भारत के एग्रीकल्चर सेक्टर में उनकी अप्रोच, उनके विचार हर तरफ नजर आते हैं। वो सही मायने में मां भारती के रत्न थे। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं कि डॉ. स्वामीनाथन को हमारी सरकार में भारत रत्न से सम्मानित करने का सौभाग्य मिला।

साथियों,

डॉ. स्वामीनाथन ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने का अभियान चलाया। लेकिन उनकी पहचान हरित क्रांति से भी आगे बढ़कर थी। वो खेती में chemical के बढ़ते प्रयोग और monoculture farming के खतरों से किसानों को लगातार जागरूक करते रहे। यानी एक तरफ वो ग्रेन प्रोडक्शन बढ़ाने का प्रयास कर रहे थे, और साथ ही उन्हें environment की, धरती मां की भी चिंता थी। दोनों के बीच संतुलन साधने और चुनौतियों का समाधान करने के लिए उन्होंने एवरग्रीन रेवोल्यूशन का कॉन्सेप्ट दिया। उन्होंने बायो-विलेज का कॉन्सेप्ट दिया, जिसके जरिए गांव के लोगों और किसानों का सशक्तिकरण हो सकता है। उन्होंने कम्युनिटी सीड बैंक, और अपॉरचुनिटी क्रॉप्स जैसे आइडियाज को बढ़ावा दिया।

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साथियों,

डॉ. स्वामीनाथन मानते थे कि क्लाइमेट चेंज और न्यूट्रीशन की चुनौती का हल उन्हीं फसलों में छुपा है, जिन्हें हमने भुला दिया है। ड्राउट- टॉलरेन्स और सॉल्ट टॉलरेन्स पर उनका फोकस था। उन्होंने मिलेट्स-श्रीअन्न पर उस समय काम किया, जब मिलेट्स को कोई पूछता नहीं था। डॉ. स्वामीनाथन ने वर्षों पहले ये सुझाव दिया था कि मैंग्रोव की जेनेटिक क्वालिटी को धान में ट्रांसफर किया जाना चाहिए। इससे फसलें भी जलवायु के अनुकूल बनेंगी। आज जब हम climate adaptation की बात करते हैं, तो महसूस होता है कि वो कितना आगे की सोचते थे।

साथियों,

आज दुनियाभर में बायोडायवर्सिटी को लेकर चर्चा होती है, इसे सुरक्षित रखने के लिए सरकारें अनेक कदम उठा रही हैं। लेकिन डॉ. स्वामीनाथन ने एक कदम आगे बढ़ते हुए बायोहैप्पीनेस का आइडिया दिया। आज हम यहां इसी आइडिया को सेलीब्रेट कर रहे हैं। डॉ. स्वामीनाथन कहते थे कि बायोडायवर्सिटी की ताकत से हम स्थानीय लोगों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं, local resources के इस्तेमाल से लोगों के लिए आजीविका के नए साधन बना सकते हैं। और जैसा उनका व्यक्तित्व था, अपने आइडियाज को वो जमीन पर उतारने में माहिर थे। अपने रिसर्च फाउंडेशन के द्वारा उन्होंने नई खोजों का लाभ किसानों तक पहुंचाने का निरंतर प्रयास किया। हमारे छोटे किसान, हमारे मछुआरे भाई-बहन, हमारे ट्राइबल कम्यूनिटी, इन सबको उनके प्रयासों से बहुत लाभ हुआ है।

साथियों,

आज मुझे इस बात की विशेष खुशी है कि प्रोफेसर स्वामीनाथन की विरासत को सम्मान देने के लिए एम. एस. स्वामीनाथन अवॉर्ड फॉर फूड एंड पीस शुरू हुआ है। ये इंटरनेशनल अवॉर्ड विकासशील देशों के उन व्यक्तियों को दिया जाएगा, जिन्होंने फूड सिक्योरिटी की दिशा में बड़ा काम किया है। फूड एंड पीस, भोजन और शांति का रिश्ता जितना दार्शनिक है, उतना ही प्रैक्टिकल भी है। हमारे यहां, उपनिषदों में कहा गया है- अन्नम् न निन्द्यात्, तद् व्रतम्। प्राणो वा अन्नम्। शरीरम् अन्नादम्। प्राणे शरीरम् प्रतिष्ठितम्। अर्थात्, हमें अन्न की, अनाज की अवहेलना या उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। प्राण अर्थात् जीवन, अन्न ही है।

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इसलिए साथियों,

अगर अन्न का संकट पैदा होता है, तो जीवन का संकट पैदा होता है। और जब हजारों लाखों लोगों के जीवन का संकट बढ़ता है, तो वैश्विक अशांति भी स्वभाविक है। इसलिए एम. एस. स्वामीनाथन अवॉर्ड फॉर फूड एंड पीस बहुत ही अहम है। मैं यह पहला अवार्ड पाने वाले नाइजीरिया के टैलेंटेड साइंटिस्ट प्रोफेसर आडेनले, उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

आज भारतीय कृषि जिस ऊंचाई पर है, वो देखकर डॉ. स्वामीनाथन जहां भी होंगे, उन्हें गर्व होता होगा। आज भारत दूध, दाल और जूट के प्रॉडक्शन में नंबर वन है। आज भारत चावल, गेहूं, कपास, फल और सब्ज़ी के उत्पादन में नंबर टू पर है। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फिश प्रोड्यूसर भी है। पिछले साल भारत ने अब तक का सबसे ज़्यादा food grain production किया है। ऑयल सीड्स में भी हम रिकॉर्ड बना रहे हैं। सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, सभी का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है।

साथियों,

हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों के, पशुपालकों के, और मछुवारे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा। और मैं जानता हूं व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। मेरे देश के किसानों के लिए, मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशुपालकों के लिए आज भारत तैयार है। किसानों की आय बढ़ाना, खेती पर खर्च कम करना, आय के नए स्रोत बनाना, इन लक्ष्यों पर हम लगातार काम कर रहे हैं।

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साथियों,

हमारी सरकार ने किसानों की ताकत को देश की प्रगति का आधार माना है। इसलिए बीते वर्षों में जो नीतियां बनीं, उनमें सिर्फ मदद नहीं थी, किसानों में भरोसा बढ़ाने का प्रयास भी था। पीएम किसान सम्मान निधि से मिलने वाली सीधी सहायता ने छोटे किसानों को आत्मबल दिया है। पीएम फसल बीमा योजना ने किसानों को जोखिम से सुरक्षा दी है। सिंचाई से जुड़ी समस्याओं को पीएम कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से दूर किया गया है। 10 हजार FPOs के निर्माण ने छोटे किसानों की संगठित शक्ति बढ़ाई है, Co-operatives, और self-help groups को आर्थिक मदद ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति दी है। e-NAM की वजह से किसानों को अपनी उपज बेचने की आसानी हुई है। PM किसान संपदा योजना ने नई फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, भंडारण के अभियान को भी गति दी है। हाल ही में पीएम धन धान्य योजना को भी मंजूरी दी गई है। इसके तहत उन 100 डिस्ट्रिक्ट को चुना गया है, जहां खेती पिछड़ी रही। यहां सुविधाएं पहुंचाकर, किसानों को आर्थिक मदद देकर खेती में नया भरोसा पैदा किया जा रहा है।

साथियों,

21वीं सदी का भारत विकसित होने के लिए पूरे जी-जान से जुटा है। और ये लक्ष्य, हर वर्ग, हर प्रोफेशन के योगदान से ही हासिल होगा। डॉ. स्वामीनाथन से प्रेरणा लेते हुए, अब देश के वैज्ञानिकों के पास एक बार फिर इतिहास रचने का मौका है। पिछली पीढ़ी के वैज्ञानिकों ने food security सुनिश्चित की। अब nutritional security पर फोकस करने की आवश्यकता है। हमें बायो-फोर्टिफाइड और न्यूट्रीशन से भरपूर फसलों को व्यापक स्तर पर बढ़ाना होगा, ताकि लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो। केमिकल का उपयोग कम हो, नैचुरल फार्मिंग को बढ़ावा मिले, इसके लिए हमें अधिक तत्परता दिखानी होगी।

साथियों,

क्लाइमेट चेंज से जुड़ी चुनौतियों से आप भली-भांति परिचित हैं। हमें climate-resilient crops की ज्यादा से ज्यादा वैरायटीज को विकसित करना होगा। ड्राउट-tolerant, heat-resistant और flood-adaptive फसलों पर फोकस करना होगा। फसल चक्र कैसे बदला जाए, किस मिट्टी के लिए क्या उपयुक्त है, उस पर अधिक रिसर्च होनी चाहिए। इसके साथ ही, हमें सस्ते सॉइल टेस्टिंग टूल्स और nutrient management के तरीके, उसको भी विकसित करने की आवश्यकता है।

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साथियों,

हमें solar-powered micro-irrigation की दिशा में और ज्यादा काम करने की आवश्कता है। ड्रिप सिस्टम और प्रिसिशन इरिगेशन को हमें ज्यादा व्यापक और असरदार बनाना होगा। क्या हम सैटेलाइट डेटा, AI और मशीन लर्निंग को जोड़ सकते हैं? क्या हम ऐसा सिस्टम बना सकते हैं, जो उपज का पूर्वानुमान दे सके, कीटों की निगरानी कर सके, और बुवाई के लिए गाइड कर सके? क्या हर जिले में ऐसा real-time decision support system पहुंचाया जा सकता है? आप सभी एग्री-टेक startups को भी निरंतर गाइड करते रहिए। आज बड़ी संख्या में innovative युवा खेती की समस्याओं का समाधान निकालने में जुटे हैं। अगर आप, जो अनुभवी लोग हैं, आप अगर लोग उन्हें गाइड करेंगे, तो उनके बनाए प्रोडक्ट ज्यादा प्रभावशाली होंगे, और यूजर फ्रेंडली होंगे।

साथियों,

हमारे किसान और हमारे किसान समुदायों के पास पारंपरिक ज्ञान का खजाना है। Traditional Indian agricultural practices, और modern science को जोड़कर एक holistic knowledge base तैयार किया जा सकता है। Crop diversification भी आज एक national priority है। हमें अपने किसानों को बताना होगा कि इसका क्या महत्व है। हमें समझाना होगा कि इससे क्या फायदे होंगे, साथ ही ये भी बताना होगा कि ऐसा ना करने पर क्या नुकसान होंगे। और इसके लिए आप बहुत बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं।

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साथियों,

पिछले साल जब मैं 11 अगस्त को यहां पूसा कैंपस में आया था, तो कहा था कि एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी को लैब से लैंड तक पहुंचाने के लिए प्रयास बढ़ाएं। मुझे खुशी है कि मई-जून के महीने में “विकसित कृषि संकल्प अभियान” चलाया गया। पहली बार देश के 700 से ज्यादा जिलों में वैज्ञानिकों की करीब 2200 टीमों ने भाग लिया, 60 हजार से ज्यादा कार्यक्रम किए, इतना ही नहीं, करीब-करीब सवा करोड़ जागरूक किसानों के साथ सीधा संवाद किया। हमारे वैज्ञानिकों का ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचने का ये प्रयास बहुत ही सराहनीय है।

साथियों,

डॉ.एम. एस. स्वामीनाथन ने हमें सिखाया था कि खेती सिर्फ फसल की नहीं होती, खेती लोगों की जिंदगी होती है। खेत से जुड़े हर इंसान की गरिमा, हर समुदाय की खुशहाली और प्रकृति की सुरक्षा, यही हमारी सरकार की कृषि नीति की ताकत है। हमें विज्ञान और समाज को एक धागे में जोड़ना है, छोटे किसान के हितों को सर्वोपरि रखना है, और खेतों में काम करने वाली महिलाओं को सशक्त करना है, Empower करना है। हम इसी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ें, डॉ. स्वामीनाथन की प्रेरणा हम सभी के साथ है। मैं एक बार फिर आप सभी को इस समारोह की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।