प्रधानमंत्री मोदी की सरकार न केवल समावेशी विकास के एजेंडे को एक स्पष्ट आह्वान के रूप में अपनाने के लिए बल्कि ठोस कार्यों के माध्यम से इसे प्रदर्शित करने के लिए भी खड़ी है। सामरिक रूप से सार्थक और टिकाऊ रूप में यह विकास न केवल आज समाज के निचले पायदानों तक पहुंचता है, बल्कि दूर-दराज के किसी भी क्षेत्र को अछूता नहीं छोड़ता।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में द्वीपों के विकास में तेजी और व्यापकता आने के साथ, "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास" का भाव पूर्ण रूप से सच साबित हो रहा है।

यह दृष्टिकोण सरकारी पहलों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जैसे कि आइलैंड डेवलपमेंट एजेंसी की स्थापना, होलिस्टिक डेवलपमेंट ऑफ आइलैंड्स प्रोग्राम, अंडमान और निकोबार कनेक्टिविटी प्रोग्राम, ग्रेट निकोबार होलिस्टिक डेवलपमेंट प्रोजेक्ट, और लक्षद्वीप में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं आदि।

ये परियोजनाएं हमारे द्वीपों को अनेक तरीकों से विकसित करने का लक्ष्य रखती हैं— इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने और एयर, पोर्ट और डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार से लेकर पर्यटन क्षमता को अधिकतम करने और नए निवेश के रास्ते सक्रिय करने तक। इसके अलावा, मोदी सरकार ने मुख्य रूप से इन क्षेत्रों में योजनाओं के सैचुरेशन पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे कल्याणकारी योजनाओं को उनके वास्तविक स्वरूप और उद्देश्य के साथ अंतिम पायदान तक पहुंचाया जा सके।

द्वीपों के व्यापक विकास के उद्देश्य से, पीएम मोदी की सरकार ने 2017 में आइलैंड डेवलपमेंट एजेंसी (IDA) की स्थापना की। यह एजेंसी "होलिस्टिक डेवलपमेंट ऑफ आइलैंड्स प्रोग्राम" का संचालन करती है। यह कार्यक्रम विस्तृत और सिद्धांतों पर आधारित योजना द्वारा समर्थित है, जो समुदाय और निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ अभूतपूर्व विकास को नेतृत्व देता है। यह टिकाऊ विकास को बढ़ावा देता है जो प्राकृतिक इकोसिस्टम के अनुकूल है और परियोजनाओं को डिजाइन करते समय वैज्ञानिक मानकों जैसे "कैरिंग कैपेसिटी" का उपयोग करता है। द्वीप क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के अलावा, यह कार्यक्रम शानदार पर्यटन परियोजनाओं के माध्यम से रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और साथ ही उनके सामरिक स्थान से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को दूर करने का लक्ष्य रखता है।

मोदी सरकार के द्वीप विकास के विजन के अनुरूप, पिछले नौ वर्षों में अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह को ₹48,000 करोड़ आवंटित किए गए हैं - पिछली सरकार के नौ वर्षों में खर्च किए गए धन का दोगुना। आज, स्वच्छ भारत अभियान और जल जीवन मिशन के तहत द्वीपों ने 100% कवरेज हासिल कर ली है। जैसा कि प्रधानमंत्री द्वारा स्वयं उल्लेख किया गया है, यह उनकी सरकार थी जिसने पोर्ट ब्लेयर में पहला मेडिकल कॉलेज स्थापित किया। यहां रहने वाले लगभग सभी के पास बैंक खाता है और वे वन नेशन, वन राशन सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। पहले इंटरनेट, सैटेलाइट पर निर्भर था, आज अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह समुद्री ऑप्टिकल फाइबर केबल के माध्यम से मुख्य भूमि से जुड़े हुए हैं। इन क्षेत्रों में सस्ती और बढ़ी हुई कनेक्टिविटी लाते हुए, 23,000 किलोमीटर की यह सबमरीन केबल टेलीमेडिसिन, ऑनलाइन शिक्षा, बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने और पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित होगी। अंडमान एंड निकोबार द्वीप कनेक्टिविटी प्रोग्राम के तहत विकसित अंडमान ट्रंक रोड राजधानी पोर्ट ब्लेयर को सभी प्रमुख शहरों से जोड़ती है, जो द्वीपसमूह के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पोर्ट ब्लेयर में वीर सावरकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट की नई इंटीग्रेटेड टर्मिनल बिल्डिंग के उद्घाटन के साथ ही क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की उपलब्धियों में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। टिकाऊपन की विशेषताओं जैसे डबल इन्सुलेटेड रूफिंग सिस्टम, एलईडी लाइटिंग और 500 किलोवाट के सोलर एनर्जी प्लांट के साथ, यह टर्मिनल 710 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है और सालाना 50 लाख यात्रियों को संभालने की क्षमता रखता है।

इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट पर बड़े पैमाने की इस प्रगति ने अंडमान और निकोबार में रहने, घूमने और कारोबारी सुगमता को नया रूप दिया है, साथ ही पर्यटन को भी नई रफ्तार दी है। आज, एडवेंचर टूरिज्म एक प्रमुख आकर्षण के रूप में काम करता है, जिसके कारण पर्यटकों की संख्या 2014 की तुलना में दोगुनी हो गई है।

इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट के अलावा, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह प्रधानमंत्री मोदी के आदर्श वाक्य "विकास भी, विरासत भी" के चमकते उदाहरण के रूप में खड़े हैं। मोदी सरकार इन द्वीप समूहों से ब्रिटिशकालीन विरासत के चिन्हों को हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। 2018 में, प्रधानमंत्री मोदी ने अंडमान में उसी स्थान पर तिरंगा फहराया था, जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी झंडा फहराया था। नेताजी की विरासत को उचित सम्मान देते हुए, मोदी सरकार ने रॉस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप और हैवलॉक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप रखा। 2023 में, सरकार ने इन द्वीपसमूह के 21 द्वीपों का नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखने का फैसला किया, उनकी अदम्य देशभक्ति का सम्मान करते हुए; युवाओं को देश के विकास की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया।

ग्रेट निकोबार द्वीप, दूसरी ओर, आर्थिक और रणनीतिक लाभों से सुसज्जित एकीकृत शहरी विकास परियोजना है। यह चार "आपस में जुड़ी" परियोजनाओं का एक संयोजन है जो मिलकर ग्रेट निकोबार में नया ग्रीनफील्ड शहर बनाते हैं। ये चार परियोजनाएं पोर्ट, एयरपोर्ट, पावर प्लांट और टाउनशिप की हैं।

ग्रेट निकोबार के गैलाथिया खाड़ी में इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट प्रोजेक्ट "मैरीटाइम इंडिया विजन 2030" को और मजबूती देती है। लगभग ₹44,000 करोड़ के निवेश के साथ, यह मेगा कंटेनर टर्मिनल, इंटरनेशनल ट्रेड रूट्स से निकटता, 20 मीटर से अधिक की नैचुरल वाटर डेप्थ और आसपास के सभी पोर्ट्स से ट्रांस-शिपमेंट कार्गो ले जाने की क्षमता के कारण एक अग्रणी ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट बनने की क्षमता रखता है। यह भारत को ग्लोबल शिपिंग ट्रेड में पूरी तरह से भाग लेने, अपने नागरिकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने और ग्रेट निकोबार द्वीप के वर्तमान और भविष्य के निवासियों के लिए जीवन स्तर को बेहतर बनाने का अवसर प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में लक्षद्वीप में हेल्थकेयर, वाटर रिसोर्सेज, एनर्जी, एजुकेशन और टेक्नोलॉजी सहित विभिन्न क्षेत्रों में 1,150 करोड़ रुपये लागत की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। ये परियोजनाएं द्वीपसमूह के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप में विकास कार्यों के साथ ही एक महत्वपूर्ण वादा भी पूरा किया। 2020 में उन्होंने फास्ट इंटरनेट कनेक्टिविटी का वादा किया था, जिसे उन्होंने महज 1,000 दिनों में पूरा कर दिया। कोच्चि-लक्षद्वीप द्वीप समूहों के बीच बिछाई गई समुद्री ऑप्टिकल फाइबर केबल से 11 लक्षद्वीप द्वीपों को 100 गुना तेज इंटरनेट कनेक्टिविटी मिली है।

G20 बैठक, बढ़ते क्रूज पर्यटन और ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन के साथ, लक्षद्वीप द्वीप पहले से ही ग्लोबल टूरिज्म मैप पर पहचान बना रहा है। पांच साल पहले की तुलना में लक्षद्वीप आने वाले पर्यटकों की संख्या में पांच गुना वृद्धि हुई है। और मोदी सरकार अपने दूरदर्शी विकास कार्यक्रमों के माध्यम से इन आश्चर्यजनक कोरल द्वीपों की पर्यटन क्षमता को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

अंतरिम बजट 2024 में, सरकार लक्षद्वीप सहित द्वीपों में पोर्ट कनेक्टिविटी और पर्यटन इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। यह पहल सरकार के आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के जोरदार प्रयासों के अनुरूप है, जैसा कि "PRASHAD" जैसी योजनाओं के माध्यम से देखा जा सकता है, जिसका उद्देश्य तीर्थस्थलों का कायाकल्प करना है, और "देखो अपना देश" अभियान के साथ मेल खाता है।

भारत सरकार, भारत की समृद्ध भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने के अलावा, बीच गेम्स के कल्चर को बढ़ावा देने में भी अपनी उत्सुकता दिखा रही है। इसका उदाहरण 2024 में दीव में आयोजित बीच गेम्स है। प्रधानमंत्री ने हमारे द्वीपों की मनोरम सुंदरता को उजागर करने में व्यक्तिगत रुचि ली है। उन्होंने लोगों को द्वीपों पर घूमने के लिए प्रोत्साहित किया है और उन्हें अपने वेडिंग डेस्टिनेशन के लिए भारत के द्वीपों को चुनने का आग्रह किया है तथा इस अभियान को "वेड इन इंडिया" नाम दिया है।

अपनी पर्यटन क्षमता के अलावा, ये द्वीप भारत की विश्व के साथ रणनीतिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर भारत की "Act East Policy" को आगे बढ़ाने में। इसलिए, प्रधानमंत्री मोदी की सरकार द्वारा इन द्वीपों को भारत की मुख्य भूमि और दुनिया से जोड़ने में दिखाई गई तत्परता और पैमाना अद्वितीय है तथा यह 2047 तक विकसित भारत के हमारे सामूहिक संकल्प को मजबूत करता है।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।