गुजरात आदिजाति सलाहकार समिति की फलदायी बैठक संपन्न
वन अधिकारपत्र पाने वाले तमाम आदिवासी किसानों को सरकारी योजना के लाभ मिलने पात्र हैं
आदिवासी सशक्तिकरण के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है
प्रत्येक आदिवासी तहसील में मेडिकल कॉलेज प्रवेश परीक्षा के लिए आदिवासी विद्यार्थी तैयार करने हेतु खास कोचिंग सुविधा
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज गुजरात आदिजाति सलाहकार परिषद की बैठक हुई। इसमें मुख्यमंत्री ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के तहत जंगल की जमीन के अधिकार पत्र हासिल करने वाले तमाम आदिवासियों को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिलने पात्र है।
उन्होंने कहा कि राज्य के आदिवासी मात्र जमीन के अधिकार ही नहीं बल्कि सरकारी योजनाओं के लाभ हासिल कर सशक्त बनें और विकास में भागीदारी करें, इसके लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने अनुरोध किया कि इसके लिए जनप्रतिनिधि प्रो-एक्टिव भूमिका निभाएं।
इस आदिजाति सलाहकार परिषद में आदिजाति कल्याण और वन मंत्री गणपत सिंह वसावा, राज्य मंत्री जशवंतसिंह भाभोर, विधायक, मुख्य सचिव और तमाम वरिष्ठ सचिवों ने गुजरात में आदिवासी समाज के सर्वांगीण विकास और सशक्तिकरण के लिए विभिन्न विषयों पर परामर्श किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी कल्याण के नीति विषयक मामलों को राज्य सरकार ने प्राथमिकता दी है। समग्र गुजरात के आदिवासी पूर्वी पट्टे की ४३ तहसीलों में वनबंधु कल्याण योजना का २०१२ से २०१७ का दूसरा पंचवर्षीय चरण ४०,००० करोड़ रुपये की संवर्द्धित कार्ययोजना के रूप में अमल में है।
गुजरात में अनुसूचित जनजाति में नई पीढ़ी उच्च शिक्षा के लिए काफी जागृत है, और इसे देखते हुए खास तौर पर मेडिकल एजुकेशन की बढ़ती जा रही क्षमता, मेडिकल कॉलेज के लिए ली जाने वाली प्रवेश परीक्षाओं में विज्ञान विषय में १२वीं कक्षा पास कर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने के एंट्रेंस टेस्ट में आदिवासी विद्यार्थी को प्रत्येक आदिवासी तहसील में विशेष कोचिंग की सुविधा देने का फैसला राज्य सरकार ने किया है।
गुजरात में वनबंधु कल्याण योजना के अमल से समग्र आदिवासी क्षेत्र में ३३ नई आईटीआई, ३ नये इंजीनियरिंग कॉलेज, ४ नर्सिंग और फिजियोथेरापी कॉलेज, २ साइंस कॉलेज, २ कृषि कॉलेज और ४ एग्रीकल्चर पॉलिटेक्निक शुरू की गई है। जबकि इस वर्ष ७ एकलव्य मॉडल रेसीडेंसी स्कूल और ७ कन्या निवासी शालाएं भी शुरू की गई हैं।
वनबंधु कल्याण योजना के प्रथम पांच वर्ष में १५,००० करोड़ रुपये के बजट के बावजूद १७,२०० करोड़ रुपये के ढांचागत सुविधा और विकास, सशक्तिकरण के कार्य हुए हैं।
राज्य में वर्ष २००१ में पेयजल के नल कनेक्शन आदिवासी घरों में मात्र ३.९ प्रतिशत थे। जो आज बढ़कर ४३ प्रतिशत हो गए हैं। ६४ नये बिजली सब स्टेशन शुरू किए गए हैं। बैठक में कहा गया है कि अंबाजी से उमरगाम तक के आदिवासी पूर्वी पट्टे में जल प्रबंधन के लिए ३८५० करोड़ रुपये के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट से समग्र आदिवासी क्षेत्र में विकास की गंगा बहेगी।
बैठक में कहा गया है कि आदिवासी परिवारों के आर्थिक विकास और आवास सहित की विभिन्न योजनाओं के लिए पूर्व में ११ हजार तथा २४ हजार की वार्षिक आय सीमा थी, जो बढ़ाकर अब ग्रामीण क्षेत्रों में २७ हजार तथा शहरी क्षेत्रों में ३६ हजार कर दी गई है।