गांधीनगर, गुरुवारः मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वडनगर में आयोजित किए जा रहे स्वामीनारायण महोत्सव की विशाल सत्संग सभा में उज्जवल संकेत दिया कि समग्र भारत में 21वीं सदी के प्रारम्भ से ही आध्यात्मिक अनुष्ठान की चेतना का विशिष्ट वातावरण खड़ा हुआ है। हमारी संत परम्परा और संप्रदायों की आध्यात्मिक शक्तियों द्वारा इस सामूहिक आध्यात्म ऊर्जा की शक्ति से भारत विश्वगुरु बनेगा।
उत्तर गुजरात के ऐतिहासिक वडनगर में कालुपुर नरनारायण मंदिर के तत्वावधान में श्री घनश्यामदास जी महाराज के स्वर्ण जयंति महोत्सव पर श्री मोदी विशेष तौर पर मौजूद रहे और भक्तिभाव से मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद उन्होंने श्री हरि को स्वर्णिम सिंहासन अर्पण करने की विधि में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। नरनारायण गादी के प्रमुख महाराज एवं अन्य वरिष्ठ संतों ने वडनगर के ही पुत्र और लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में श्री मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्हंे प्रशस्तिपत्र देकर आशीर्वाद दिया।
श्री मोदी ने विशाल हरिभक्तों की सत्संग सभा में कहा कि गुजरात में संत परम्परा की भी विशेषता रही है। स्वतंत्रता आंदोलन में 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1947 तक के 90 वर्षों के दौरान संत शक्ति ने समाज में भक्ति आंदोलन और आध्यात्मिक अधिष्ठानों से भारत माता की मुक्ति के लिए मंच उपलब्ध करवाकर समाज की चेतना को जागृत किया था। अब भारत विश्व गुरु बने, इसके लिए संत और मनीषी देश में विभिन्न प्रकार के आध्यात्मिक अनुष्ठानों से सामूहिक समाज ऊर्जा को प्रेरित कर रहे हैं, जो भारत की आध्यात्मिक सर्वोपरिता को विश्व में स्थापित करने का आधार है।
भारत में स्वामीनारायण संप्रदाय सहित संत परम्परा में सेवाभावी ही मुख्य रहा है, और इसी से समाज को सेवा के संस्कार प्राप्त होते रहे हैं। इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि अपने संतों ने सेवा से आध्यात्मिक शक्ति को दिव्यता प्रदान की है और प्रेरणादायी संतों का नेतृत्व गुजरात को मिला है।
गुजरात और भारत की धरती पर सद्शक्ति का विशिष्ट प्रभाव जिसने आध्यात्म की ऊर्जा को निरन्तर जीवंत बनाया है। श्री मोदी ने स्वामीनारायण संप्रदाय के संतों की धर्मभावना और सेवाभावना को प्रेरणा करार देते हुए वडनगर में स्वामीनारायण सर्कल का लोकार्पण किया। इसका निर्माण मंदिर द्वारा किया गया है।
इस मौके पर प्रमुख महाराज तेजेन्द्रप्रसादजी, आचार्य श्री कौशलेन्द्रप्रसादजी, महन्त नारायण वल्लभदासजी और शास्त्री स्वामी हरिसेवादासजी सहित संत-महन्तों के साथ ही विधायक नारणभाई पटेल तथा महानुभाव उपस्थित थे।