जर्मनी द्विपक्षीय और वैश्विक दोनो ही संदर्भ में भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण भागीदारों में से एक: प्रधानमंत्री मोदी
भारत-जर्मनी आर्थिक सहयोग में काफी क्षमता: प्रधानमंत्री मोदी
'मेक इन इंडिया' पहल के माध्यम से हम वैश्विक स्तर पर भारत को एक प्रमुख बाजार बनाने के लिए प्रतिबद्ध: प्रधानमंत्री
भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले 3 वर्षों में 7% की जीडीपी विकास दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था: पीएम मोदी
हमारा जोर सुशासन पर: जर्मनी में प्रधानमंत्री मोदी
भारत दुनिया की सबसे उदारवादी एफडीआई नीति व्यवस्थाओं वाला देश: पीएम मोदी 

 

महामहिम डॉ. एंजेला मर्केल,

वैश्विक व्‍यापार समुदाय के नेताओं,

देवियों एवं सज्‍जनों! 

आप सभी से मिलकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। चांसलर मर्केल जैसी प्रबुद्ध नेता की मौजूदगी में आप लोगों से बात करना कहीं अधिक आनंद का विषय है। वास्‍तव में उनसे मिलने का कोई अवसर नहीं गंवाता। मैं अप्रैल 2015 में हनोवर मेले की अपनी यात्रा के दौरान हुई बातचीत को विशेष रूप से याद करना चाहूंगा। भारत उस मेले में भागीदार देश था। उसके बाद अक्‍टूबर 2015 में चांसलर मर्केल की भारत यात्रा हुई। जर्मनी और भारत के सीईओ के साथ हमने साथ मिलकर कई दौर की चर्चा की। आज फिर मुझे इस हॉल में काफी ऊर्जा और उत्‍साह दिख रहा है। मैं यहां उपस्थित कई भारतीय सीईओ को भी देख सकता हूं।

 

मित्रों! 

जर्मनी द्विपक्षीय एवं वैश्विक दोनों मोर्चे पर भारत के सबसे महत्‍वपूर्ण भागीदारों में शामिल है। भारत के विकास में जर्मनी की कंपनियों की भागीदारी को देखकर मैं बहुत खुश हूं। उतनी ही खुशी मुझे यह देखकर भी होती है कि भारतीय कंपनियां भी जर्मनी में अपनी उपस्थिति दर्ज कर रही हैं। भारत में विदेशी निवेश देशों के बीच जर्मनी सातवें पायदान पर मौजूद है। जर्मनी से एफडीआई आकर्षित करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में इंजीनियरिंग, रसायन एवं सेवा क्षेत्र शामिल हैं। फिलहाल भारत में करीब 600 इंडो-जर्मन संयुक्‍त उद्यम चल रहे हैं। इनसे करीब दो सौ हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है। हालांकि, भारत और जर्मनी के बीच आर्थिक सहयोग में अभी भी अपार संभावनाएं मौजूद हैं। हमारी आर्थिक साझेदारी अभी तक अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाई है। इसे बढ़ाने के लिए हम भारत में जर्मनी की कंपनियों का खुली बाहों से स्‍वागत करने के लिए तैयार हैं। जर्मनी की कंपनियों की मदद के लिए हमने एक फास्‍ट ट्रैक व्‍यवस्‍था तैयार की है। इस व्‍यवस्‍था के जरिये तमाम मुद्दों को पहले ही निपटाया जा चुका है। हम काफी गंभीरतापूर्वक ऐसा कर रहे हैं क्‍योंकि जर्मनी की भागीदारी को हम काफी महत्‍व देते हैं।

 

मित्रों! 

हम भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की राह पर अग्रसर हैं। भारत में विनिर्माण के लिए एक अच्‍छा वातावरण पहले से ही मौजूद है। भारत पहले से ही पेशकश करता है:

  • वैश्विक स्‍तर पर लागत प्रतिस्‍पर्धी विनिर्माण वातावरण,
  • ज्ञान एवं ऊर्जा के साथ बड़ी तादाद में कुशल पेशेवर,
  • विश्‍वस्‍तरीय इंजीनियरिंग शिक्षा का आधार एवं मजबूत आरएंडडी सुविधाएं,
  • घरेलू बाजार में और अधिक विकास के लिए जीडीपी और क्रय शक्ति में वृद्धि,
  • विश्‍व में सबसे अधिक उदार एफडीआई नीति व्‍यवस्‍थाओं में शामिल,
  • कारोबारी माहौल को आसान बनाने पर सरकार का ध्‍यान।

इन सब ताकतों के बल पर, जैसा कि यूएनआईडीओ ने कहा है, भारत पहले ही विश्‍व का छठा सबसे बड़ा विनिर्माण देश बन चुका है। इसे और बेहतर बनाने के लिए हम कई मोर्चे पर कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

हमारी 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत हम भारत को वैश्विक मूल्‍य श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के तौर पर स्‍थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा मुख्‍य उद्देश्‍य रोजगार सृजन और समाज के समृद्ध एवं निचले वर्ग के बीच खाई के पाटना है। मेक इन इंडिया एक दमदार प्रभाव पहले ही दिखा चुकी है।

मेक इन इंडिया की सफलता में जर्मनी का काफी बड़ा योगदान रहा है। खासकर हनोवर मेले में भागीदार देश के रूप में भारत की भागीदारी से इंडो-जर्मन साझेदारी को काफी बल मिला है। हनोवर मेस्‍से के दौरान सहयोग के लिए विशिष्‍ट क्षेत्रों की पहचान पारस्पिरिक रूप से की गई थी। इसमें विनिर्माण, कौशल विकास, रेलवे, नदियों की साफई, अक्षय ऊर्जा, शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शामिल हैं। इसके अलावा हम सितंबर 2015 से सामरिक बाजार में प्रवेश में मदद के लिए एक कार्यक्रम भी चला रहे हैं। इसे एमआईआईएम (मेक इन इंडिया मिटेलस्‍टैंड) कहा गया है। यह मुख्‍य तौर पर भारतीय बाजार में प्रवेश करने के लिए जर्मन मिटेलस्‍टैंड कंपनयों की सहायता करना है।

एमआईआईएम कार्यक्रम के तहत बड़े पैमाने पर व्‍यापार सहायता सेवाओं की पेशकश की जा रही है। इस पहल के परिणामस्‍वरूप भारत में जर्मनी की कंपनियों की दिलचस्‍पी बढ़ने लगी है।

इस छोटी अवधि में इसके परिणाम इस प्रकार हैं:

  • 83 कंपनियों ने इस कार्यक्रम से जुड़ने में दिलचस्‍पी दिखाई है,
  • 73 कंपनियों को आधिकारिक सदस्‍य के तौर पर पंजीकृत किया गया है,
  • 47 कंपनियां निवेश के उन्‍नत चरण में पहुंच चुकी हैं।
  • भारत और जर्मनी के बीच जारी एवं एक अन्‍य सफल कार्यक्रम है इंडो-जर्मन मैनेजर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम। यह विशेष रूप से भारतीय एसएमई के वरिष्‍ठ अधिकारियों के कारोबारी प्रशिक्षण का कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के परिणाम इस प्रकार है:
  • निवेश में बढ़ोतरी, नए संयुक्‍त उद्यम का गठन और दोनों देशों के बीच बी2बी अनुबंध में वृद्धि,
  • इस कार्यक्रम से अब तक 500 से अधिक भारतीय प्रबंधक लाभान्वित हो चुके हैं।

इसके अलावा एक अच्‍छा वातावरण पहले से ही मौजूद है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:

  • बॉश, सीमेंस, बीएएसएफ और एसएपी ने विशेष रूप से भारत में विशिष्‍ट आरएंडडी परिचालन शुरू कर दिए हैं।
  • मर्सिडीज बेंज इंडिया ने जुलाई 2015 में चाकन में अपनी दूसरी विनिर्माण इकाई का उद्घाटन किया। इससे उस संयंत्र की क्षमता दोगुना बढ़कर 20,000 वाहन प्रति वर्ष हो जाएगा।
  • हमारे प्रयासों के लिए भी हमें एक अच्छी वैश्विक पहचान मिली है। मैं उनमें से कुछ का उल्लेख करना चाहूंगा:
  • भारत दुनिया में कमजोर आर्थिक परिदृश्‍य के बीच एक चमकता केंद्र लगातार बना हुआ है।
  • पिछले तीन साल के दौरान भारत 7 प्रतिशत से अधिक जीडीपी वृद्धि दर के साथ सबसे तेजी से उभरने वाली अर्थव्‍यवस्‍था के तौर पर उभरी है।
  • भारत पिछले दो साल के दौरान विश्‍व आर्थिक मंच की वैश्विक प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता सूची में 32 पायदान ऊपर उठा है जो किसी देश देश के लिए सर्वाधिक है।
  •  भारत विश्‍व बैंक के लॉजिस्टिक्‍स परफॉर्मेंस इंडेक्‍स में भी 16 पायदान ऊपर चढ़ा है।
  • हम 2016 में डब्‍ल्‍यूआईपीओ के ग्‍लोबल इनोवेशन इंडेक्‍स में भी 16 पायदान ऊपर चढ़े हैं।
  • यूएनसीटीएडी द्वारा तैयार शीर्ष 10 एफडीआई गंतव्‍यों में हम तीसरे पायदान पर मौजूद हैं।

ये महज कुछ उदाहरण हैं। कम सरकार और अधिक प्रशासन पर हमारा जोर रहा है। मैं इसका कुछ उदाहरण देना चाहूंगा:

  • हम डिजिटल अर्थव्‍यवस्‍था बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
  • जीएसटी भारत के सबसे ऐतिहासिक सुधारों में से एक है और वह अगले महीने से लागू होने जा रहा है।
  • पिछले दो वर्षों के दौरान हमने व्‍यक्तिगत एवं उद्योग दोनों मोर्चे पर कम कर प्रणाली की ओर कदम आगे बढ़ाया है।
  • हमने विशेष तौर पर नए निवेश एवं छोटे उद्यमों के लिए कॉरपोरेट कर को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है।
  • दिवालिया एवं दिवालियापन के साथ-साथ आईपीआर एवं मध्‍यस्‍थता के लिए अब नए कानून एवं संस्‍थान मौजूद हैं।
  • कारोबारी सुगमता के मोर्चे पर सात हजार से अधिक सुधार लागू किए गए हैं।
  • 36 सफेद उद्योगों को पर्यावरण मंजूरी संबंधी जरूरतों से बाहर रखा गया है।
  • इसी प्रकार 50 से अधिक वस्‍तुओं को रक्षा सूची से बाहर रखा गया है।
  • औद्योगिक लाइसेंसों की वैधता अवधि को बढ़ाकर 15 वर्ष कर दिया गया है।
  • 19 बंदरगाहों एवं 17 एयर कार्गो परिसरों में 24X7 सीमा शुल्‍क निपटान की व्‍यवस्‍था की गई है।
  • कंपनियों को डीआईएन, पैन, टैन और सीआईएन का आवंटन अब महज एक दिन का मामला बन गया है।
  • साथ ही 15 दिनों के भीतर बिजली कनेक्‍शन उपलब्‍ध कराने की व्‍यवस्‍था मौजूद है ।
  • विश्‍व बैंक के 'गेटिंग इलेक्ट्रिसिटी' मानदंडों पर भारत की रैंकिंग 111 पायदान पर पहुंच चुकी है।
  • उपरोक्‍त उदाहरण राज्‍यों द्वारा किए गए हजारों सुधारों के अतिरिक्‍त हैं। संघीय सरकार के साथ राज्‍य सरकारों ने भी इन सुधारों को लागू करने में काफी दिलचस्‍पी दिखाई है। मैं आपको इसका कुछ उदाहरण देता हूं:
  • यहां मैं कुछ राज्‍यों का उल्‍लेख कर रहा हूं लेकिन प्रतिस्‍पर्धा की भावना के कारण सुधार की प्रवृत्ति सभी राज्‍यों में तेजी से फैल रही है।
  •  प्रमुख सुधार इस प्रकार हैं-
  • 16 राज्‍यों में भुगतान एवं मंजूरियों के लिए एकल खिड़की प्रणाली का शत प्रतिशत कार्यान्‍वयन।
  • 13 राज्‍यों में कर रिटर्न के ई-फाइलिंग का 100 प्रतिशत लागू।
  • 13 राज्‍यों में भवन निर्माण योजनाओं को स्‍वचालित ऑनलाइन मंजूरी।
  •  11 राज्‍यों में वाणिज्यिक विवादों के निपटान के लिए ई-फाइलिंग प्रणाली लागू।
  •  13 राज्‍यों में जिला स्‍तर पर विशेष वाणिज्यिक अदालतों की स्‍थापना।

मित्रों! 

भारत की एफडीआई नीति अब दुनिया की सबसे उदार व्‍यवस्‍थाओं में से एक है। भारत में 90 प्रतिशत से अधिक विदेशी निवेश प्रवाह स्‍वचालित मार्ग से होती है। पिछले सप्‍ताह हमने विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड को औपचारिक तौर पर भंग करने का निर्णय लिया जिसे एफडीआई प्रस्‍तावों पर विचार करने के लिए 1990 में स्‍थापित किया गया था। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में विदेशी निवेशकों की सहभागिता बढ़ाना है। इस लिहाज से हमारे एफडीआई परिदृश्‍य को विभिन्‍न अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसियों द्वारा काफी सकारात्‍मक रैंकिंग की गई है।

पिछले तीन साल के दौरान एफडीआई प्रवाह में भी उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है जो बढ़कर 2016-17 में 60 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच चुका है।

मित्रों! 

भारत एक विशाल देश है। इसलिए विकास की बात आने पर कुछ भी पर्याप्‍त नहीं है। हमारे कई सपने हैं और हमारे सपने बड़े हैं। लेकिन हमारे पास समय काफी कम है। और यही आपके लिए अवसर है। 

इन अवसरों का दायरा सैकड़ों स्‍मार्ट सिटी की स्‍थापना के लिए लाखों भवनों के निर्माण, हाईस्‍पीड रेल गलियारे की स्‍थापना के लिए रेल नेटवर्क एवं स्‍टेशनों का आधुनिकीकरण से लेकर पारेषण एवं वितरण नेटवर्क के निर्माण तक विस्‍तृत है। इसके अलावा राष्‍ट्रीय राजमार्ग, पुल, आम शहरी परिवहन प्रणाली, स्‍कूल, अस्‍पताल एवं कौशल प्रशिक्षण संस्‍थानों की लगातार बढ़ रही जरूरतें हैं। 

हम डिजिटल इंडिया एवं स्किल इंडिया जैसे अभियान के जरिये लोगों को इन संभावनाओं को महसूस करने के लिए समर्थ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। युवा ऊर्जा का पूरी तरह दोहन करने के लिए हमने स्‍टार्टअप इंडिया और स्‍टैंडअप इंडिया जैसे अभियान शुरू किए हैं। 

चांसलर मर्केल एवं मित्रों! 

अप्रैल 2015 में जब हमने बात की थी तो उस समय हमारी सुधार की प्रक्रिया महज शुरू ही हुई थी। अब मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हमने एक उल्‍लेखनी मुकाम हासिल कर लिया है। हालांकि हम तेज और बेहतर तरीके से अधिक से अधिक करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मेरा विश्‍वास है कि हमें इस तरह के सुधारों को समझने के लिए संस्‍थागत नेटवर्क स्‍थापित करना चाहिए। हमारे दोनों देशों में मौजूद आर्थिक संभावनाओं के दोहन के लिए यह जरूरी है। अंत में, मैं अधिक से अधिक जर्मनी के सहयोगियों एवं कंपनियों को भारत में आमंत्रित करता हूं। 

हमारी दिशा, इच्‍छा और सपनों ने अपार कारोबारी अवसर सृजित किया है। भारत इससे पहले कभी भी कारोबार के लिए इतना अधिक तत्‍पर नहीं था। हम उड़ान भरने के कगार पर हैं। कुल मिलाकर हमारे जनतांत्रिक मूल्‍य एवं एक सतर्क न्‍याय प्रणाली आपके निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। 

मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम आपके प्रयासों को सफल बनाने के लिए आपके साथ मिलकर काम करेंगे। 

धन्‍यवाद!

 

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Chairman and CEO of Microsoft, Satya Nadella meets Prime Minister, Shri Narendra Modi
January 06, 2025

Chairman and CEO of Microsoft, Satya Nadella met with Prime Minister, Shri Narendra Modi in New Delhi.

Shri Modi expressed his happiness to know about Microsoft's ambitious expansion and investment plans in India. Both have discussed various aspects of tech, innovation and AI in the meeting.

Responding to the X post of Satya Nadella about the meeting, Shri Modi said;

“It was indeed a delight to meet you, @satyanadella! Glad to know about Microsoft's ambitious expansion and investment plans in India. It was also wonderful discussing various aspects of tech, innovation and AI in our meeting.”