1. प्रधान मंत्री की यह हमेशा से अवधारणा रही है कि बिहार में असीमित क्षमता है। यह पूरे देश को मज़बूती प्रदान कर सकता है। भारत पूर्ण रूप से तभी विकसित होगा जब भारत के पूर्वी भाग का विकास होगा। प्रधान मंत्री ने यह कहा है कि बिहार का विकास उनका महत्वपूर्ण एजेण्डा है।
2. विकसित राज्यों की श्रेणी में बिहार को स्थापित करने के लिए केन्द्र सरकार ने एक व्यापक पैकेज को स्वीकृति दी है। इस पैकेज में यह ध्यान रखा गया है कि सहायता के सारे स्रोत बिहार को आने वाले वर्षों में स्वावलंबी बनाने में मदद करें। समाज को स्वावलंबी बनाने के लिए उसकी युवा पीढ़ी का स्वावलंब होना अति आवश्यक है। साथ ही साथ समाज के वर्तमान के पालनकर्त्ता की आय को बढ़ाना भी आने वाली पीढ़ी को स्वावलंब बनाने में मदद करता है। इस पूरे पैकेज में युवा वर्ग को अपने पैरों पर खड़ा करना और किसान जो कि वर्तमान में बिहार के पालनकर्त्ता हैं, उनकी आय को बढ़ाने को मुख्य बिन्दु बनाया गया है।
3. किसानों के हित को सर्वोपरि रखते हुए प्रधान मंत्री ने यह घोषणा की है कि कृषि मंत्रालय को अब कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा। यह निर्णय किसानों के हित को सर्वोपरि रखते हुए लिया गया एक महत्वपूर्ण निर्णय है।
4. मनुष्य और उत्पाद का आवागमन जहाँ सरल तरीके से हो, विकास पहले उसी क्षेत्र का होता है। अतः इस पैकेज में बिहार के विकास के लिए रोड, रेल, वायुमार्ग, जलमार्ग तथा डिजिटल कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान दिया गया है। कनेक्टिविटी स्थापित करने से बिहार में इंडस्ट्रीज को बढ़ावा मिलेगा जोकि यहां के युवा वर्ग को रोज़गार उपलब्ध कराने में तथा किसानों को उनके उत्पाद का अधिक मूल्य दिलाने में काफी उपयोगी साबित होगा।
5. इस पैकेज में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, महत्वपूर्ण नदियों पर पुल का काम तथा रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण के लिये 54,713 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत महात्मा गांधी सेतु के समानांतर गंगा नदी पर एक नए पुल का निर्माण, कोसी ओर सोन नदी के ऊपर पुल का निर्माण, धार्मिक पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण और रेलवे ओवरब्रिजेज का निर्माण शामिल है।
6. भंडारण और यातायात सुविधा के अभाव में किसान अपने उत्पाद को कम दाम में बेचने पर मज़बूर हो जाता है। इस पैकेज में अनाज भंडारण क्षमता में विकास के लिए 814 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है तथा ग्रामीण सड़क के विकास के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 22,500 किलोमीटर सड़क के निर्माण हेतु 13,820 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है।
7. रेलवे के विकास के लिए बिहार में मुख्यतया चल रही ट्रेनों की गति को बढ़ाना एक चुनौती है। रेलवे सेवा को और तीव्र और बेहतर बनाने के लिए रेलवे दोहरीकरण/तिहरीकरण और विद्युतीकरण पर बल दिया गया है। 8109 करोड़ रु. की लागत पर 676 किलोमीटर का दोहरीकरण/तिहरीकरण की व्यवस्था किए जाने का प्रावधान है तथा 761 करोड़ रु. की लागत पर 574 किलोमीटर के विद्युतीकरण का प्रावधान किया गया है। इस तरह रेलवे के क्षेत्र में कुल 8870 करोड़ रु. का प्रावधान इस पैकेज में किया गया है। मोकामा में गंगा नदी के ऊपर रेल व रोड पुल के निर्माण के लिए प्रारंभिक कार्य आरंभ कर दिया गया है।
8. बिहार राज्य के विभिन्न क्षेत्रों को वायुमार्ग से देश और विदेश से जोड़ने हेतु पटना में नये एयरपोर्ट तथा गया, पूर्णिया और रक्सौल के एयरपोर्टों के विकास के लिए 2700 करोड़ रु. की राशि का प्रावधान किया गया है। डिजिटल बिहार कार्यक्रम के अन्तर्गत मोबाइल फोन की उत्तम सुविधा के लिए 1,000 नए बीटीएस टॉवर्स को स्थापित करने का प्रावधान है। इससे दूर के क्षेत्रों में जहाँ मोबाइल फोन की सुविधा नहीं है, वहाँ इस सुविधा में मदद मिलेगी। राज्य में इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चर कलस्टर की स्थापना के लिए 150 करोड़ रु. की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
9. दरभंगा और भागलपुर में साफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क के दो केन्द्रों की स्थापना का प्रावधान है। दो नए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलैक्ट्रोनिक्स ऐंड इन्फारमेशन टेक्नोलॉजी केन्द्र मुजफ्फरपुर और बक्सर में स्थापित करने का भी प्रावधान है। इसके साथ-साथ पटना के वर्तमान केन्द्र के विकास का भी प्रावधान है। ग्रामीण BPO को बढ़ावा देने का प्रावधान इस पैकेज में किया गया है। कनेक्टिविटी के ये सारे कार्यक्रम बिहार राज्य को विकास की दौड़ में लाने के लिए एक ट्रैक-फील्ड का काम करेंगे।
10. इस पैकेज के द्वारा बिहार के किसानों की एक और व्यापक समस्या जोकि उत्पादकता का कम होना है, के समाधान हेतु भी ध्यान दिया गया है। नए अनुसंधान और विकास तथा लैब टू फार्म को बढ़ावा देने के लिए राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय पूसा को केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने का प्रावधान है। मत्स्य पालन, पानी के सही प्रबंधन, खेती के यांत्रिकीकरण, और गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन के द्वारा किसानों की आय को बढ़ाने के लिए 1800 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है। एकीकृत कृषि पर शोध के लिए राष्ट्रीय संस्था का प्रावधान किया गया है।
युवा वर्ग को शिक्षा और Skill
11. युवा वर्ग को उत्तम शिक्षा और स्किल डेवलेपमेंट प्रदान करना उनकी सफल भागीदारी के लिए आवश्यक तत्व हैं। युवा वर्ग की इस जरूरत को ध्यान में रखते हुए "प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना" के अंतर्गत एक लाख युवक-युवतियों के प्रशिक्षण का प्रावधान किया गया है। बिहार राज्य में एक बड़े स्किल विश्वविद्यालय की स्थापना का भी प्रावधान है जिसकी कुल लागत 1,250 करोड़ रुपये होगी। शिक्षा के क्षेत्र में भागलपुर के निकट ऐतिहासिक विक्रमशिला विश्वविद्यालय की जगह एक नए केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान है। साथ ही साथ बोध गया में एक नए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) की स्थापना का भी प्रावधान है। ट्रैक फील्ड के निर्माण के साथ-साथ सहभागियों को उत्तम दर्जे की शिक्षा एवं प्रशिक्षण दिये जाने के बाद प्रतिस्पर्धा को आरंभ कर लंबे समय तक कार्यान्वित करने के लिए राज्य को ऊर्जा की आवश्यकता होगी।
बिहार के लोगों को बिजली की व्यवस्था
12. इस पैकेज में ऊर्जा का उत्पादन, ट्रांसमीशन और वितरण की व्यवस्था पर काफी बल दिया गया है। बक्सर में 1300 मेगावाट के नए बिजली उत्पादन केन्द्र का प्रस्ताव है।
गाँव में बिजली – बेहतर जीवन की सुविधा
13. इसके साथ-साथ गाँव-गाँव में बिजली की व्यवस्था पहुंचाने के लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्राम विद्युत योजना में राज्य के लिए 5,880 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस योजना का उद्देश्य खेतों में पर्याप्त और घरों में निरंतर बिजली देने का है। हर गांव में दो अलग-अलग लाइनों की व्यवस्था की जाएगी। Integrated Power Development Scheme के अंतर्गत शहरों में निरंतर बिजली देने का प्रावधान किया गया है। इस स्कीम के अन्तर्गत 250 करोड़ रुपये का प्रावधान राज्य के लिए किया गया है।
महिलाओं को बेहतर ईंधन की सुविधा
14. हमारी माताओं और बहनों को बेहतर सुविधा मिले इसके लिए घर-घर में रसोई गैस पहुंचाने पर इस पैकेज में बल दिया गया है। बिहार राज्य में गैस की आपूर्ति के लिए जगदीशपुर-हल्दिया लाइन के लिए 2,300 करोड़ रुपये की लागत से 617 कि.मी. की पाइप-लाइन बनाने का प्रावधान किया गया है। पारादीप-हल्दिया-दुर्गापुर पाइप-लाइन का बिहार में विस्तार करने के लिए 1,800 करोड़ रुपये का प्रावधान है। मुजफ्फरपुर में 110 करोड़ रुपये की लागत से एक नए एलपीजी प्लाँट की स्थापना की जाएगी। बिहार राज्य में स्थित बरौनी रिफाइनरी की उत्पादन क्षमता को 12,000 करोड़ रुपये की लागत से 6 मिलियन टन से 9 मिलियन टन तक बढ़ाने का प्रावधान इस पैकेज में है तथा बरौनी में ही एक पेट्रोकेमिकल प्लांट की स्थापना का प्रावधान है। रक्सौल से नेपाल में अमलेसगंज तक पेट्रोल-डीजल पाइपलाइन का निर्माण किया जाएगा।
स्वास्थ्य की सुविधा
15. पटना, गया और भागलपुर के तीन चिकित्सा महाविद्यालयों को बेहतर बनाने के लिए 600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
पर्यटन में रोजगार के अवसर
16. बिहार के युवा वर्ग को रोजगार के नए अवसर प्रदान करने हेतु पर्यटन के क्षेत्र में 600 करोड़ रुपये की लागत से वैशाली, बोध गया, चम्पारण, विक्रमशिला, सुल्तानगंज, पटना इत्यादि जगहों पर हैरिटेज टूरिस्ट सर्किल के विकास का प्रावधान किया गया है।
औद्योगिक निवेश से रोजगार – युवा वर्ग को स्वावलम्ब बनाने की प्रक्रिया
17. राज्य के युवा वर्ग को रोजगार देने के लिए राज्य में अधिक से अधिक औद्योगिक यूनिट्स की स्थापना हो, यह सरकार का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए Income Tax Act में संशोधन कर बिहार के पिछड़े क्षेत्रों में नए उद्योग स्थापित करने हेतु प्लांट और मशीनरी की लागत में 15% की राशि के बराबर टैक्स में अतिरिक्त कटौती का प्रावधान किया गया है। यह कटौती 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2020 तक की अवधि के बीच हुए निवेश पर लागू होगी।
18. इसके साथ ही साथ नए प्लांट और मशीनरी में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए भी 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2020 तक की अवधि के बीच पिछड़े क्षेत्रों में निवेश की 15% अतिरिक्त राशि Depreciation Allowance के तौर पर पहले वर्ष में दी जाएगी।
19. प्रधान मंत्री के इस विशेष पैकेज के अंतर्गत आने वाले वर्षों में बिहार में 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाएं लागू करने का प्रावधान है।
20. बिहार राज्य की ऊर्जा की जरूरतों को देखते हुए निजी क्षेत्र को भी ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भागीदार बनाया जा रहा है। बाँका में 4,000 मेगावाट का एक अल्ट्रा मेगा पॉवर प्लांट(Ultra Mega Power Plant) निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ 20,000 करोड़ रु. की लागत पर प्रस्तावित है।
21. वर्ष 2013 में 12,000 करोड़ रु. की लागत से बिहार के लिए एक स्पेशल प्लान की घोषणा की गई थी। सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों से इन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में अब तीव्रता लाई गई है। बचे हुए कार्यक्रमों को 8,282 करोड़ रुपये की धनराशि मुहैया कराकर पूरा किया जाएगा।
वर्तमान में चल रही सामाजिक सुरक्षा योजनाएं
22. प्रधान मंत्री जन धन योजना के अंतर्गत बिहार में 1 करोड़ 34 लाख नये अकाउंट खोले गए और 1 करोड़ 23 लाख खाताधारकों को रु-पे डेबिट कार्ड जारी किए गए हैं। इन खातों में 1 हजार 680 करोड़ रुपये की राशि लोगों ने अब तक जमा की है। प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत बिहार में 21,00,099 लोगों का एनरोलमेंट किया गया है। प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में 11,25,073 लोगों को बिहार राज्य में इनरोल किया गया है। अटल पेंशन योजना का लाभ 33,760 लोग उठा रहे हैं।
नए और छोटे उद्यमियों को बैंक लोन
23. प्रधान मंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत बिहार में 1 लाख से ज्यादा मुद्रा उद्यमियों को 868 करोड़ रुपये की राशि मुद्रा लोन के रूप में उपलब्ध कराई गई है। यह राशि 4 महीनों के दौरान उपलब्ध कराई गई है। बिहार राज्य में 6 हजार 292 बैंक शाखाएं हैं। प्रधान मंत्री की 15 अगस्त की उद्घोषणा के अनुसार 6292 महिला उद्यमियों और 6292 दलित उद्यमियों को Start up व Stand up योजना के अंतर्गत ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
स्वच्छ विद्यालय
24. स्वच्छ विद्यालय के अंतर्गत जहां पूरे देश में 4 लाख 17 हजार 756 शौचालयों का निर्माण विद्यालयों में हुआ है उनमें से 56 हजार 912 शौचालय बिहार में बने हैं।
25. सवा लाख करोड़ के नए पैकेज, चालीस हजार करोड़ के अतिरिक्त निवेश, सामाजिक सुरक्षा के व्यापक कार्यक्रमों और टैक्स में छूट के द्वारा औद्योगीकरण को बढ़ावा देने से बिहार में विकास के नए युग का आरंभ होगा।
जय जगन्नाथ!
जय जगन्नाथ!
केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।
ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।
मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।
ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।
साथियों,
ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।
साथियों,
ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।
साथियों,
उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।
साथियों,
ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।
साथियों,
इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।
साथियों,
ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।
साथियों,
एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।
साथियों,
ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।
साथियों,
ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।
साथियों,
हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
साथियों,
ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।
साथियों,
ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।
साथियों,
हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।
साथियों,
ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।
साथियों,
हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।
साथियों,
ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।
साथियों,
हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।
साथियों,
कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।
साथियों,
आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।
आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।
जय जगन्नाथ!