कौशल्य विकास : युवा सशक्तिकरण
प्रिय मित्रों,
आपके साथ एक ऐसे व्यक्ति की घटना के बारे में बात करना चाहता हूं, जिसे मैं जानता हूं। यह व्यक्ति घड़ी रिपेयरिंग का काम करता है। एक दिन उनके पास एक घड़ी रिपेयरिंग के लिए आई, जिसमें उनको लगा कि घड़ी में उत्पादन संबंधी खामी थी। इसलिए उन्होंने स्विट्जरलैंड की घड़ी उत्पादक कंपनी को पत्र लिखकर उसके प्रोडक्ट की डिजाइन में खामी होने की जानकारी दी। कंपनी ने तहकीकात की तो पता चला की उस व्यक्ति द्वारा पेश किये गए कारण सही थे। कंपनी ने इस व्यक्ति द्वारा की गई शिकायतों की कद्र करते हुए बाजार में से उस डिजाइन की तमाम घडिय़ों को वापस ले लिया।
इस व्यक्ति का उदाहरण क्या दर्शाता है? यह साफ तौर पर बतलाता है कि संशोधन में सीमाओं के कोई अवरोध नहीं होते और प्रत्येक व्यक्ति में संशोधन की क्षमता होती है। काम और काम के माहौल में संपूर्णता से श्रेष्ठ संशोधन संभव बनते हैं। लेकिन, निपुणता हासिल करने के लिए हम जो कुछ खास करना चाहते हैं उसके लिए जरूरी कौशल्य हासिल करना अनिवार्य है।
गुजरात में हमने इस मामले में उच्च प्राथमिकता दी है। आपको पता ही है कि भारत स्वामी विवेकानंद की 150वीं जन्म जयंती मना रहा है। स्वामी विवेकानंदजी को अंजलि के रूप में गुजरात वर्ष 2012 को युवाशक्ति वर्ष के तौर पर मना रहा है। इस महोत्सव के तहत हमने अपने युवाओं में कुशलता के विकास पर बल देने के लिए विशेष तौर पर ध्यान केंद्रित किया है। स्वामी विवेकानंद स्वयं मानते थे कि भारत के भविष्य का आधार युवा होंगे। इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि भारत में पहले कभी इतने युवा नहीं थे, जितने आज हैं। आज देश की कुल आबादी में 72 प्रतिशत लोग चालीस वर्ष से नीचे, 47 प्रतिशत भारतीय बीस वर्ष से कम आयु वर्ग के हैं। जबकि समग्र विश्व की कुल आबादी के मात्र 10 प्रतिशत लोग ही 25 वर्ष से कम आयु वर्ग के हैं। क्या हमारे लिये यह श्रेष्ठ अवसर नहीं है?
मैं हमेशा से मानता हूं कि 21वीं सदी में भारत या चीन विश्व की अगवानी लेंगे, ऐसे सवाल का जवाब युवाशक्ति है। परन्तु ज्यादा प्रमाण में युवा आबादी हो, इतना ही पर्याप्त नहीं है। इन युवाओं को कुशलता से लैस करना जरूरी है। इसके साथ ही प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक कुशल व्यवसाय को उचित सम्मान मिलना चाहिए। ऐसा होगा तो हमारी युवाशक्ति मजबूत धरोहर बनेगी।
हमारे युवाओं की क्षमताओं को उचित दिशा में कार्यरत करने के लिए हमारे इंडस्ट्रीयल टे्रनिंग इंस्टीट्युट (आईटीआई) महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। पिछले एक दशक में गुजरात ने अपने आईटीआई के ढांचे और अवसरों में सुधार करने के लिए गंभीर प्रयास किये हैं। तीन दशक से जिन पाठ्यक्रमों में सुधार नहीं किया गया था, उनमें सुधार किया गया है। ढांचागत सुविधाओं के साथ ही विविधतापूर्ण पाठ्यक्रमों और उनकी तादाद में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2001 में आईटीआई की संख्या मात्र 275 थी, जो आज चार गुना बढक़र 1054 हो गई है। भूतकाल में हमारे पास 3000 आईटीआई प्रशिक्षक थे, जो अब बढक़र 6000 हो गए हैं। आईटीआई शिक्षा के बाद आईटीआई के विद्यार्थी डिप्लोमा और इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं, इसके लिए भी हमने दरवाजे खोले हैं। इससे कैरियर की क्षितिज विस्तृत होगी।
मित्रों, यह सभी खास तौर पर तीन स्तंभों पर आधारित रहेगी : आईटी (इंफर्मेशन टेक्नोलॉजी), बीटी (बॉयो टेक्नोलॉजी) और ईटी (एनवायर्नमेंट टेक्नोलॉजी)।
यह तीनों आधारस्तंभ महत्वपूर्ण होने के बावजूद ईटी पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। पवन, पानी और सूर्य जैसे प्राकृतिक स्त्रोंतों में से ऊर्जा के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जा सकता है। मैने सोलर कंपनियों को अवॉड्र्स की पहल के लिए खास सुझाव दिया है जिससे प्रेरणादायी संशोधनों को बल मिल सके।
चाहे जो काम हो, उसे सम्मान देना जरूरी है। किसी भी व्यक्ति द्वारा किये जाने वाले कुशल काम के प्रति भरपूर आदर होना चाहिए। हमारे कुशल कारीगरों को आदर न देने की बुराई को हम दूर करना चाहते हैं। इसके लिए हमारे कारीगरों में विश्वास प्रस्थापित करने का असर दीर्घकाल में नजर आएगा। इसके लिए हमारा राज्य प्रथम रहा है, कि जिसने व्यक्तित्व में विकास पर बल देने के लिए अपनी आईटीआई में सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग शुरू की है। कौशल्य के विकास के साथ हमारे विचार भी विस्तृत होने चाहिएं। हमारे कामकाज को विशाल परिप्रेक्ष्य में समझना जरूरी है। और एक बार ऐसा होगा तो फिर कोई काम छोटा नहीं लगेगा। उदाहरण के तौर पर एक टेक्नीशियन सोलर टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा हो तब वह इस कार्य को अन्य नौकरी की तरह ही माने और उसके प्रयत्न आने वाली पीढिय़ों के लिए बदलाव लाएंगे यह समझे, इन दोनों के बीच काफी अंतर है।
गुजरात में 20 स्वामी विवेकानंद सुपीरियर टेक्नोलॉजी सेंटर्स (एसटीसी) का भी प्रस्ताव किया है। यह संस्थाएं आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग कर विशिष्ट प्रशिक्षण देगी। ऑटोमोबाइल सर्विसिंग संबंधी एसटीसी इसका उदाहरण हो सकता है। गुजरात भारत के ऑटो हब के रूप में उभर रहा है, ऐसे में ऑटो सर्विसिंग क्षेत्र में विशाल अवसर मौजूद है। समान केंद्र सीएनसी (कंप्यूटर न्यूमेरिकली कंट्रोल्ड) टेक्नोलॉजी एंड सोलर टेक्नोलॉजी के लिए रहेंगे।
दोस्तों, हमारे कई प्रयासों के परिणाम नजर आ रहे हैं। हम वर्तमान सप्ताह को स्वामी विवेकानंद युवा रोजगार सप्ताह के रूप में मनाएंगे। एक सप्ताह के समयकाल में मैं खुद 65 हजार युवाओं को रोजगार पत्र (अपॉइन्टमेंट लेटर) प्रदान करुंगा। हमारे देश में यह एक ऐतिहासिक रोजगार का कार्यक्रम है। इन युवाओं की महत्वाकांक्षा उनकी अकेले की नहीं है। हम प्रत्येक युवा के मन को सख्त मेहनत, समर्पण और प्रेरणा के साथ संशोधन का पॉवरहाउस बनाने के लिए प्रतिबद्घ हैं। इस प्रयास में आईटीआई सक्रिय भूमिका निभा सकती है और हमारे युवाओं के लिए अवसरों में बढ़ोतरी कर सकती है। कड़ा परिश्रम करने की इच्छाशक्ति वैविध्यता में बढ़ोतरी करेगी और इससे उत्साह स्वयं आ जाएगा। स्किल+विल+जील = विन का मंत्र गुजरात को समर्थ बनाएगा और भारत को नई ऊंचाइयां हासिल करने में समर्थ बनाएगा।
आपका
नरेन्द्र मोदी
My speech while handing over appointment letters to youngsters at Ahmedabad