अहमदाबाद
दि. : २५ दिसंबर, २०११
आज अटलजी का जन्मदिन है। पिछले कुछ वर्षों से हम २५ दिसंबर से ३१ दिसंबर तक इस ‘कांकरीया कार्निवल’ का आयोजन करते हैं। इस एक कार्यक्रम के ज़रिए, हम इस शहर के प्रति हमारे प्यार की अभिव्यक्ति और शहरी जीवन में जो बदलाव आ रहा है, उसके हम दर्शन कर सकते हैं। जब कभी भी हमारे देश के शहरों पर चर्चा होती थी तो दिल्ली, कोलकाता, मद्रास, बंगलौर, हैदराबाद, मुंबई... केवल इन शहरों के आसपास ही घूमता रहता था। पहले दस में हमारे अहमदाबाद का स्थान नहीं था। आज अहमदाबाद ने पूरे देश में एक नंबर के स्थान पर अपनी जगह बना ली है। मैं इस शहर के नागरिकों को अभिनंदन देता हूं, कॉर्पोरेशन के सारे कर्ताधर्ता मित्रों को अभिनंदन देता हूं कि उन्होंने इस शहर की आन, बान और शान को उत्तरोत्तर बढ़ाया है, वृद्धि की है।
आज इस शहर को कई नए नज़राने प्राप्त हुए हैं, उनका शुभारंभ हुआ है। चाहे वह बच्चों के लिए स्विमिंग पूल हो या जीर्णशीर्ण बलवंतराय हॉल हो या बटरफ़्लाई पार्क जो कि बच्चों को बहुत पसंद आएगा... आज एक और नई चीज़ अहमदाबाद शहर के साथ जोड़ी गई है। म्युरल्स, पत्थरों पर भित्ति चित्रों, जो इस शहर के नक्शे का, इसकी प्रगति की सामाजिक-सांस्कृतिक यात्रा का, इसके विकास के पन्नों का, इस शहर के प्रख्यात लोगों की यादों का चित्रण करेगा... उसी तरह, गुजरात, इसकी विकास यात्रा, महान लोग जिन्हों ने आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और अन्य सभी क्षेत्रों में, राज्य की महत्वपूर्ण घटनाओं में योगदान दिया... ये सब कांकरीया की चारदीवारी के भीतर की ओर उत्कीर्ण करने का अभियान चल रहा है। मित्रों, किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि कांकरीया तालाब की दीवार का इस तरह एक अद्भुत तरीके से भी इस्तेमाल किया जा सकता है। आज केवल एक छोटे से हिस्से का निर्माण किया गया है, लेकिन जब वह पूरे कांकरीया के चारों ओर पूरा हो जाएगा, उस समय इसकी लंबाई लगभग ३०,००० फुट होगी। इस समय बलुए पत्थर का सबसे लंबा भित्ति चित्र, जो दुनिया में सबसे बड़ा माना जाता है, वह ९,००० फुट का है। यह ३०,००० फुट का होगा। एक बड़े विश्व रिकॉर्ड का श्रेय अहमदाबाद को मिलने वाला है। जिनको इतिहास जानना है, जिनको गुजरात के उतार-चढ़ाव को समझना है, जिनको गुजरात की यादगार घटनाओं की अनुभूति करनी है, उनके लिए यह तराशा हुआ खुला विश्वकोश एक बड़ा ज्ञान का साधन बनने वाला है। मेरी इस शहर के नागरिकों से विनती है, जो इतिहासकार हैं, जो साहित्य से जुड़े हुए हैं, जो कला और संस्कृति से जुड़े हुए हैं, जो विश्लेषक या आलोचक हैं... वे अगले दो-तीन महीनों में कुछ समय निकाल कर विश्लेषणात्मक दृष्टि से हमारे इस नवीन प्रयास को देखें और भित्ति चित्र में रही खामियां दिखाएं या सुझाव दें कि क्या कुछ जोड़ने की जरूरत है या नहीं... और मैं ऐसे विशेषज्ञों को अनुरोध करता हूँ कि इस शहर के भविष्य के लिए, बच्चों के भविष्य के लिए आप अपना एक-दो घंटे का अमूल्य समय हमें दें, यहाँ आएं। मैं सार्वजनिक रूप से सब को निमंत्रण दे रहा हूँ। इसे बारीकी से देखें, हमें सुझाव दें, ताकि हम आपके सुझावों को ३०,००० फुट के शेष काम में समाविष्ट कर सकें। इसे और अधिक प्रदर्शनीय बनाने के लिए मुझे लोक भागीदारी में दिलचस्पी है। पत्थरों पर आपके ज्ञान और अनुभव को उतारने के लिए यह शहर, यह राज्य आपकी मदद मांग रहा है। एक उत्तम प्रकार का काम हम कर रहे हैं। भविष्य में, ऑडियो कमेंट्री के साथ नाव की सवारी से दीवार पर बने विशाल भित्ति चित्र का अध्ययन करके शहर और राज्य की विरासत पर एक क्रैश कोर्स उपलब्ध होगा। पैदल चलने वाले वहाँ पर रखी गई तख्तियों का भी अध्ययन कर सकते हैं और जो ऑडियो कमेंट्री के साथ देखना चाहते हैं, तो वह लाभ भी मिल सकता है। जो लोग अब कांकरीया आते हैं, वे इसके इस प्रकार के एक उत्तम उपयोग का अनुभव कर सकते हैं।
मित्रों, कांकरीया के नवीकरण के बाद, दुनिया से, विदेश से लगभग ९० से अधिक प्रतिनिधिमंडलों ने यहाँ की मुलाकात ली और उन्होनें पुनर्निर्मित कांकरीया का अध्ययन किया है। इस शहर का प्रबुद्ध नागरिक, सुखी-संपन्न नागरिक कभी कांकरीया की ओर देखता भी नहीं था। आज वह अपने मेहमानों के साथ अपनी रोल्स रॉयस गाड़ी में कांकरीया देखने आता है। कांकरीया की एक प्रतिष्ठा स्थापित हुई है। अमीर से अमीर, संपन्न से संपन्न लोगों को भी अब अगर कांकरीया नहीं देखा है तो शर्मनाक लगता है, अब वे कांकरीया आने में गर्व महसूस करते हैं।इस शहर के नागरिकों ने इस कांकरीया को संभाला है। अन्यथा, अव्यवस्था, कचरा फैलना, गंदगी होना, तोडफोड करना... ये सब हमारे देश में बहुत आम है। लेकिन मैं अहमदाबाद के नागरिकों की, राज्य के सभी नागरिकों की और सारे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की सराहना करता हूँ जिन्हों ने कांकरीया की मुलाकात ली है। मैं बधाई देना चाहता हूँ कि करोड़ों लोग यहाँ आए, लेकिन एक छोटी सी समस्या भी नहीं हुई है, किसी ने पेड़ का एक पत्ता भी नहीं तोड़ा है, यह एक बहुत बड़ी बात है, मित्रों। हमने इसे संरक्षित रखा है और यह एक ऐसी बात है कि हम दुनिया को हमारी इस शक्ति का परिचय करवा सकते हैं। स्वच्छता बनाए रखी है, कचरे को कहीं भी नहीं फेंका गया है और यदि कोई मुलाकाती किसी छोटी सी चीज़ भी देखता है तो वह खुद उसे उठा कर कूड़ेदान में फेंक देता है। कांकरीया ने इस शहर को एक नई सभ्यता दी है। मुझे विश्वास है कि कांकरीया पूरे शहर में इसी तरह के उच्च मानकों को स्थापित करने के लिए एक प्रेरणा बनेगा।
मित्रों, हमारा ‘किड्स सिटी’... बहुत से लोग यहाँ अध्ययन के लिए आ रहे हैं। बच्चों की आंतरिक शक्ति को विकसित करने का, उनके सपनों को जगाने का, बल्कि सपने बोने का इस से बेहतर अन्य कोई भी साधन नहीं होगा। जब भी एक छोटा बच्चा यहाँ ‘किड्स सिटी' में जाता है और आनन्द विभोर हो कर शाम को जब वह बाहर आता है तो उसके मन में एक नये सपने की बुवाई होती है, उसके मन में कुछ बनने की इच्छा उठती है। वह खुद उस प्रयोग का एक हिस्सा बनने के कारण वह आत्मविश्वास लेकर जाता है कि हाँ, आज मैं यह कर सकता हूँ, कल बड़ा होकर मैं यह बन भी सकता हूँ। ऐसे सपनों को बोने की यह जगह... कोई भी बच्चा ऐसा न हो जिसे यहाँ ‘किड्स सिटी' में अपने सपने को बोने का अवसर न मिला हो। मेरा गुजरात के सभी बच्चों को और उनके माता-पिता को निमंत्रण है कि यह आप के लिए है, आपके बच्चों के लिए है। गुजरात की कल को समृद्ध बनाने के लिए, हंसते-खेलते इस सांस्कृतिक विरासत को आत्मसात करने के लिए, कांकरीया जैसे एक नई राजधानी बन गया है, एक नया प्रेरणा स्रोत बन गया है और हम सब इसका लाभ लें।
भाइयों और बहनों, करीब देढ़ करोड लोगों ने यहाँ की मुलाकात ली और इस में उन २५-३० लाख लोगों की गिनती नहीं है जो ‘कांकरीया कार्निवल’ के दौरान आते हैं, क्योंकि उस दौरान कोई टिकट सिस्टम नहीं होती है। ये तो वे लोग जिन्हों ने नियमित रूप से टिकट खरीदा और गेट से कांकरीया में प्रवेश लिया, वह संख्या देढ़ करोड। आप सोचो कि इस राज्य के गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए यह कितनी बड़ी आवश्यकता थी, उस आवश्यकता को हमने पूरी की है। क्योंकि अगर एक आम आदमी अपने परिवार के साथ बाहर घूमने-फिरने जाना चाहता है, तो जाए कहाँ? उसे एक खुलेपन वाली जगह मिले कहाँ? और आज ऐसी जगह मिल गई है। भूतकाल में ‘बाल वाटिका’ और ‘ज़ू’ लगभग उपेक्षित हालत में आ गए थे। इस कांकरीया के नवीकरण की वजह से आज वे भी लोगों के आकर्षण के नये केंद्र बन गए हैं। उनके विकास और विस्तार के लिए भी नए नए सुझाव और योजनाएं आ रही हैं।
भाइयों और बहनों, हम इसका भरपूर लाभ उठाएं। इस कांकरीया को जिस तरह संरक्षित रखा है, उसी तरह इस शहर को भी संरक्षित रखें। जब इस शहर की आन, बान और शान में कांकरीया एक नई पहचान लेकर आया है तब, मैं आज के कार्निवल का उद्घाटन करता हूँ। अटलजी के जन्मदिन पर जो उनका ‘गुड गवर्नन्स’ का संदेश है उसे ग्रहण करने के लिए यह राज्य प्रतिपल तैयार है और उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए संकल्पबद्ध होकर प्रयत्नरत है।
आप सब को बहुत बहुत शुभकामनाएं..!!