अहमदाबाद

दि. : २५ दिसंबर, २०११

 ज अटलजी का जन्मदिन है। पिछले कुछ वर्षों से हम २५ दिसंबर से ३१ दिसंबर तक इस ‘कांकरीया कार्निवल’ का आयोजन करते हैं। इस एक कार्यक्रम के ज़रिए, हम इस शहर के प्रति हमारे प्यार की अभिव्यक्ति और शहरी जीवन में जो बदलाव आ रहा है, उसके हम दर्शन कर सकते हैं। जब कभी भी हमारे देश के शहरों पर चर्चा होती थी तो दिल्ली, कोलकाता, मद्रास, बंगलौर, हैदराबाद, मुंबई... केवल इन शहरों के आसपास ही घूमता रहता था। पहले दस में हमारे अहमदाबाद का स्थान नहीं था। आज अहमदाबाद ने पूरे देश में एक नंबर के स्थान पर अपनी जगह बना ली है। मैं इस शहर के नागरिकों को अभिनंदन देता हूं, कॉर्पोरेशन के सारे कर्ताधर्ता मित्रों को अभिनंदन देता हूं कि उन्होंने इस शहर की आन, बान और शान को उत्तरोत्तर बढ़ाया है, वृद्धि की है।

ह ‘कांकरीया कार्निवल’... इस शहर के गरीब बच्चे, झोपडपट्टी में रहने वाले बच्चे, म्युनिसिपैलिटी की प्राथमिक स्कूल में पढ़ रहे बच्चे... जिनमें वही सामर्थ्य है, जो हम में पडा है। ईश्वर ने उन्हें भी वही शक्ति दी है, जो हमको दी है। लेकिन, अपनी प्रतिभा प्रकट करने का उन्हें कभी भी अवसर नहीं मिलता था। चाहे  ‘पतंगोत्सव’ हो या ‘कांकरीया कार्निवल’, हमने इन गरीब परिवार के बच्चों को अवसर दिया है। और, इस शहर के प्रबुद्ध नागरिकों के सामने जब वे अपनी कला की, अपने कौशल्य की अभिव्यक्ति करते हैं तब उन्हें जो एक्सपोज़र मिलता है, उसमें से जो उनका कॉन्फिडन्स लेवल बिल्ट अप होता है, वह इस शहर की शक्ति में बढ़ोतरी करता है और इसके लिए एक अविरत प्रयास यह शहर कर रहा है।

ज इस शहर को कई नए नज़राने प्राप्त हुए हैं, उनका शुभारंभ हुआ है। चाहे वह बच्चों के लिए स्विमिंग पूल हो या जीर्णशीर्ण बलवंतराय हॉल हो या बटरफ़्लाई पार्क जो कि बच्चों को बहुत पसंद आएगा... आज एक और नई चीज़ अहमदाबाद शहर के साथ जोड़ी गई है। म्युरल्स, पत्थरों पर भित्ति चित्रों, जो इस शहर के नक्शे का, इसकी प्रगति की सामाजिक-सांस्कृतिक यात्रा का, इसके विकास के पन्नों का, इस शहर के प्रख्यात लोगों की यादों का चित्रण करेगा... उसी तरह, गुजरात, इसकी विकास यात्रा, महान लोग जिन्हों ने आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और अन्य सभी क्षेत्रों में, राज्य की महत्वपूर्ण घटनाओं में योगदान दिया... ये सब कांकरीया की चारदीवारी के भीतर की ओर उत्कीर्ण करने का अभियान चल रहा है। मित्रों, किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि कांकरीया तालाब की दीवार का इस तरह एक अद्भुत तरीके से भी इस्तेमाल किया जा सकता है। आज केवल एक छोटे से हिस्से का निर्माण किया गया है, लेकिन जब वह पूरे कांकरीया के चारों ओर पूरा हो जाएगा, उस समय इसकी लंबाई लगभग ३०,००० फुट होगी। इस समय बलुए पत्थर का सबसे लंबा भित्ति चित्र, जो दुनिया में सबसे बड़ा माना जाता है, वह ९,००० फुट का है। यह ३०,००० फुट का होगा। एक बड़े विश्व रिकॉर्ड का श्रेय अहमदाबाद को मिलने वाला है। जिनको इतिहास जानना है, जिनको गुजरात के उतार-चढ़ाव को समझना है, जिनको गुजरात की यादगार घटनाओं की अनुभूति करनी है, उनके लिए यह तराशा हुआ खुला विश्वकोश एक बड़ा ज्ञान का साधन बनने वाला है। मेरी इस शहर के नागरिकों से विनती है, जो इतिहासकार हैं, जो साहित्य से जुड़े हुए हैं, जो कला और संस्कृति से जुड़े हुए हैं, जो विश्लेषक या आलोचक हैं... वे अगले दो-तीन महीनों में कुछ समय निकाल कर विश्लेषणात्मक दृष्टि से हमारे इस नवीन प्रयास को देखें और भित्ति चित्र में रही खामियां दिखाएं या सुझाव दें कि क्या कुछ जोड़ने की जरूरत है या नहीं... और मैं ऐसे विशेषज्ञों को अनुरोध करता हूँ कि इस शहर के भविष्य के लिए, बच्चों के भविष्य के लिए आप अपना एक-दो घंटे का अमूल्य समय हमें दें, यहाँ आएं। मैं सार्वजनिक रूप से सब को निमंत्रण दे रहा हूँ। इसे बारीकी से देखें, हमें सुझाव दें, ताकि हम आपके सुझावों को ३०,००० फुट के शेष काम में समाविष्ट कर सकें। इसे और अधिक प्रदर्शनीय बनाने के लिए मुझे लोक भागीदारी में दिलचस्पी है। पत्थरों पर आपके ज्ञान और अनुभव को उतारने के लिए यह शहर, यह राज्य आपकी मदद मांग रहा है। एक उत्तम प्रकार का काम हम कर रहे हैं। भविष्य में, ऑडियो कमेंट्री के साथ नाव की सवारी से दीवार पर बने विशाल भित्ति चित्र का अध्ययन करके शहर और राज्य की विरासत पर एक क्रैश कोर्स उपलब्ध होगा। पैदल चलने वाले वहाँ पर रखी गई तख्तियों का भी अध्ययन कर सकते हैं और जो ऑडियो कमेंट्री के साथ देखना चाहते हैं, तो वह लाभ भी मिल सकता है। जो लोग अब कांकरीया आते हैं, वे इसके इस प्रकार के एक उत्तम उपयोग का अनुभव कर सकते हैं।

मित्रों, कांकरीया के नवीकरण के बाद, दुनिया से, विदेश से लगभग ९० से अधिक प्रतिनिधिमंडलों ने यहाँ की मुलाकात ली और उन्होनें पुनर्निर्मित कांकरीया का अध्ययन किया है। इस शहर का प्रबुद्ध नागरिक, सुखी-संपन्न नागरिक कभी कांकरीया की ओर देखता भी नहीं था। आज वह अपने मेहमानों के साथ अपनी रोल्स रॉयस गाड़ी में कांकरीया देखने आता है। कांकरीया की एक प्रतिष्ठा स्थापित हुई है। अमीर से अमीर, संपन्न से संपन्न लोगों को भी अब अगर कांकरीया नहीं देखा है तो शर्मनाक लगता है, अब वे कांकरीया आने में गर्व महसूस करते हैं।

स शहर के नागरिकों ने इस कांकरीया को संभाला है। अन्यथा, अव्यवस्था, कचरा फैलना, गंदगी होना, तोडफोड करना... ये सब हमारे देश में बहुत आम है। लेकिन मैं अहमदाबाद के नागरिकों की, राज्य के सभी नागरिकों की और सारे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की सराहना करता हूँ जिन्हों ने कांकरीया की मुलाकात ली है। मैं बधाई देना चाहता हूँ कि करोड़ों लोग यहाँ आए, लेकिन एक छोटी सी समस्या भी नहीं हुई है, किसी ने पेड़ का एक पत्ता भी नहीं तोड़ा है, यह एक बहुत बड़ी बात है, मित्रों। हमने इसे संरक्षित रखा है और यह एक ऐसी बात है कि हम दुनिया को हमारी इस शक्ति का परिचय करवा सकते हैं। स्वच्छता बनाए रखी है, कचरे को कहीं भी नहीं फेंका गया है और यदि कोई मुलाकाती किसी छोटी सी चीज़ भी देखता है तो वह खुद उसे उठा कर कूड़ेदान में फेंक देता है। कांकरीया ने इस शहर को एक नई सभ्यता दी है। मुझे विश्वास है कि कांकरीया पूरे शहर में इसी तरह के उच्च मानकों को स्थापित करने के लिए एक प्रेरणा बनेगा।

मित्रों, हमारा ‘किड्स सिटी’... बहुत से लोग यहाँ अध्ययन के लिए आ रहे हैं। बच्चों की आंतरिक शक्ति को विकसित करने का, उनके सपनों को जगाने का, बल्कि सपने बोने का इस से बेहतर अन्य कोई भी साधन नहीं होगा। जब भी एक छोटा बच्चा यहाँ ‘किड्स सिटी' में जाता है और आनन्द विभोर हो कर शाम को जब वह बाहर आता है तो उसके मन में एक नये सपने की बुवाई होती है, उसके मन में कुछ बनने की इच्छा उठती है। वह खुद उस प्रयोग का एक हिस्सा बनने के कारण वह आत्मविश्वास लेकर जाता है कि हाँ, आज मैं यह कर सकता हूँ, कल बड़ा होकर मैं यह बन भी सकता हूँ। ऐसे सपनों को बोने की यह जगह... कोई भी बच्चा ऐसा न हो जिसे यहाँ ‘किड्स सिटी' में अपने सपने को बोने का अवसर न मिला हो। मेरा गुजरात के सभी बच्चों को और उनके माता-पिता को निमंत्रण है कि यह आप के लिए है, आपके बच्चों के लिए है। गुजरात की कल को समृद्ध बनाने के लिए, हंसते-खेलते इस सांस्कृतिक विरासत को आत्मसात करने के लिए, कांकरीया जैसे एक नई राजधानी बन गया है, एक नया प्रेरणा स्रोत बन गया है और हम सब इसका लाभ लें।

भाइयों और बहनों, करीब देढ़ करोड लोगों ने यहाँ की मुलाकात ली और इस में उन २५-३० लाख लोगों की गिनती नहीं है जो ‘कांकरीया कार्निवल’ के दौरान आते हैं, क्योंकि उस दौरान कोई टिकट सिस्टम नहीं होती है। ये तो वे लोग जिन्हों ने नियमित रूप से टिकट खरीदा और गेट से कांकरीया में प्रवेश लिया, वह संख्या देढ़ करोड। आप सोचो कि इस राज्य के गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए यह कितनी बड़ी आवश्यकता थी, उस आवश्यकता को हमने पूरी की है। क्योंकि अगर एक आम आदमी अपने परिवार के साथ बाहर घूमने-फिरने जाना चाहता है, तो जाए कहाँ? उसे एक खुलेपन वाली जगह मिले कहाँ? और आज ऐसी जगह मिल गई है। भूतकाल में ‘बाल वाटिका’ और ‘ज़ू’ लगभग उपेक्षित हालत में आ गए थे। इस कांकरीया के नवीकरण की वजह से आज वे भी लोगों के आकर्षण के नये केंद्र बन गए हैं। उनके विकास और विस्तार के लिए भी नए नए सुझाव और योजनाएं आ रही हैं।

भाइयों और बहनों, हम इसका भरपूर लाभ उठाएं। इस कांकरीया को जिस तरह संरक्षित रखा है, उसी तरह इस शहर को भी संरक्षित रखें। जब इस शहर की आन, बान और शान में कांकरीया एक नई पहचान लेकर आया है तब, मैं आज के कार्निवल का उद्घाटन करता हूँ। अटलजी के जन्मदिन पर जो उनका ‘गुड गवर्नन्स’ का संदेश है उसे ग्रहण करने के लिए यह राज्य प्रतिपल तैयार है और उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए संकल्पबद्ध होकर प्रयत्नरत है।

प सब को बहुत बहुत शुभकामनाएं..!!

 

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भारत और कुवैत का रिश्ता; सभ्यताओं, सागर और कारोबार का है: पीएम मोदी
December 21, 2024
कुवैत में प्रवासी भारतीयों की गर्मजोशी और स्नेह असाधारण है: प्रधानमंत्री
43 वर्षों के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कुवैत की यात्रा कर रहा है: प्रधानमंत्री
भारत और कुवैत के बीच सभ्यता, समुद्र और वाणिज्य का रिश्ता है: प्रधानमंत्री
भारत और कुवैत हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं: प्रधानमंत्री
भारत कुशल प्रतिभाओं की वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित है: प्रधानमंत्री
भारत में स्मार्ट डिजिटल प्रणाली अब विलासिता की वस्तु नहीं रह गयी है, बल्कि यह आम आदमी के दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गयी है: प्रधानमंत्री
भविष्य का भारत वैश्विक विकास का केंद्र होगा, दुनिया का विकास इंजन होगा: प्रधानमंत्री
भारत, एक विश्व मित्र के रूप में, विश्व की भलाई के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।