भावनगर के मेरे नागरिक भाईयों और बहनों... आज भावनगर की धरती पर त्रिविध संगम है. राज्य सरकार की ओर से राज्य के गणतंत्र दिवस पर्व का उत्सव भावनगर की धरती पर मनाने का निर्णय किया गया. भावनगर को इसलिए पसंद किया गया क्योंकि इस धरती के दो महान पुत्र, जो आनेवाली पीढ़ियों को प्रेरणा दे सके ऐसा जीवन जी गए हैं, ऐसे प्रजा वत्सल राजवी कृष्ण कुमार सिंहजी की शताब्दी और ज्ञान एवं प्रबन्ध के भंडार ऐसे प्रभाशंकर पट्टनीजी के 150 वर्ष. एक ऐसा अपूर्व अवसर जिसे गणतंत्र दिवस पर्व के साथ जोड़कर मना सकें इसलिए राज्य ने भावनगर को पसंद किया.

 

क समय था, 15 अगस्त हो या 26 जनवरी हो, वह लगभग स्कूल के छात्रों का कार्यक्रम बन गया था, उसने सिर्फ एक रिच्युअल का रूप ले लिया था. जैसे हम अपनी ही प्राणशक्ति खो चुके थे. हमने पिछले कुछ वर्षों से इस समग्र उत्सव को प्राणवान बनाए, प्रजावान बनाये, लोकशक्ति के जागरण के अवसर बनाए. यह अनमोल आज़ादी सिर्फ मतदान करने का कार्यक्रम नहीं है, समग्र मानवजाति के कल्याण के लिए इस भारत भूमि की किसी जिम्मेदारी का निर्वाह करने का है और अगर जिम्मेदारी का निर्वाह करने की बात हो तो यह हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है. स्वामि विवेकानंद ने स्वप्न देखा था कि ‘मैं मेरी भारत माता को देदीप्यमान अवस्था में देख रहा हूँ, विश्वगुरु के स्थान पर बिराजीत देख रहा हूँ’. हम सबको मिलकर स्वामि विवेकानंद के उस स्वप्न को साकार करने के लिए प्रतिबद्धता के साथ, एक प्रजाजन के रूप में, संयुक्त रूप से प्रयास करने होंगे, पराक्रमी बनना होगा. पुरुषार्थ और पराक्रम की पराकाष्ठा स्वामि विवेकानंदजी के स्वप्न को साकार कर सकती है. और इस जागरण के लिए निरंतर ऐसे अवसरों द्वारा हमने लोकशक्ति को विकास यात्रा में जोड़कर यह भारत माता देदीप्यमान बने उस दिशा में प्रयास आरम्भ किया. हमने अवसरों को विकास के पर्व बनाए हैं. कई लोग मुझे कहते हैं कि साहब, दिवाली आने वाली हो और हम अपना घर जैसे साफ़-सुथरा करते हैं, वैसे ही इस 26 जनवरी पर हम पूरे भावनगर की सफाई करते हैं. आपको खुशी होती है लेकिन मुझे दुख होता है. कारण, फिर आप मुझे कहोगे कि साहब, अब फिर से 15 अगस्त या 26 जनवरी यहाँ कब लाओगे? ताकि हमारी सफ़ाई हो..! भाईयों-बहनों, एक नागरिक के रूप में हमारा कर्तव्य है कि हम अब भावनगर को ऐसा ही साफ़-सुथरा रखें, एक नागरिक के रूप में हमारा कर्तव्य बनता है. शुरूआत वहीं से होती है. कदम कदम पर हम महात्मा गाँधीजी को याद करते हैं लेकिन महात्मा गाँधीजी को अगर सच्ची श्रद्धांजलि देनी हो तो मैं कहता हूँ कि स्वच्छता का आग्रह, स्वच्छता का अमल, स्वच्छ जीकर दिखाना... महात्मा गाँधीजी को उस से बड़ी श्रद्धांजलि नहीं हो सकती. कितना टन कचरा उठाया... वह कचरा गाँधीनगर से फेंकने मैं नहीं आया था भाई, लेकिन साफ करने के लिए मुझे आना पड़ा..! यह परिवर्तन हमें लाना पड़ेगा, हमारे स्वभाव में लाना पड़ेगा. आज जब विश्व में इक्कीसवीं सदी को हिंदुस्तान की सदी; भारत की सदी के रूप में देखा जाता है तब इस महत्वपूर्ण मामले की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए.

भाईयों-बहनों, हमने इस अवसर को पर्व बनाया है तब पिछले एक महीने में भावनगर शहर और भावनगर जिले में विकास के अनेक कार्यों के शिलान्यास हुए, विकास के अनेक कार्यों के लोकार्पण किए, विकास के अनेक नये कार्यों के आयोजन किए. आमतौर पर अगर कार्य सरकार की आदत के अनुसार होते हैं तो कागज़ात घूमते ही रहते हैं, फ़ाइलें चलती ही रहती हैं... देढ़-दो साल निकल जाते हैं, वही कार्य इस 26 जनवरी के मौके पर हफ्ते, दस दिन या पंद्रह दिनों में यहाँ भावनगर की धरती पर उतार दिये गए. सारे विकास के कार्यों में तेज़ी आती है. और इस अवसर पर 140 करोड़ रुपयों के विकास कार्यों के लोकार्पण हुए, इस एक महिने में. इसी समय के दौरान लगभग 155 करोड़ रुपयों के नए कार्यों के खात-मुहुर्त हुए, इसी समय के दौरान 424 करोड़ रुपयों के विकास के नये कार्यक्रमों के आयोजन हुए. आप सोच सकते हो कि 26 जनवरी के अवसर पर विकास के कार्यों को कैसी गति दी जा सकती है, और उसके कारण प्रजा की भागीदारी भी बढ़ती है. एक पर्व प्रजा को कैसी प्रेरणा दे सकता है उसका समग्र हिंदुस्तान में हमने प्रतिमान स्थापित किया है.

 

भाईयों-बहनों, गुजरात एक छोटा सा राज्य है. 26 जनवरी की परेड को दिल्ली में पूरा देश देखने आता है. और दिल्ली के बाद अगर कहीं 26 जनवरी मनाई जाती हो और देश का ध्यान आकर्षित करती हो तो वह गुजरात की धरती पर मनाई जाती है, हमने ऐसी स्थिति खड़ी कर दी है. आज़ादी के दिवानों ने, आज़ादी के लिए मर-मिटने वाले महापुरुषों ने कित-कितने सपने संजोकर इस देश को हमारे सुप्रत किया था. उन्होंने कितने कष्ट उठाये थे, फांसी के तख़्ते को शोभायमान किया था, जिंदगी की जवानी जेलों में खपा दी थी. सिर्फ इसलिए कि भारत माता आज़ाद हो..! उन्होंने आज़ाद हिंदुस्तान हमारे सुप्रत किया था. उस स्वराज्य को सुराज्य में परिवर्तित करना इस देश के 120 करोड़ नागरिकों की जिम्मेदारी है. छ: करोड़ गुजरातीयों ने गुजरात को उस दिशा में आगे बढ़ाकर उदाहरणीय कार्य करने की पहल की है. उसे आगे बढ़ाना ही हमारा प्रयास है.

भाईयों-बहनों, आज जब 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर आपके बीच आया हूँ तब, जब कृष्ण कुमार सिंहजी की शताब्दी मना रहे हैं तब, मुझे इस गोहिलवाड को एक नज़राना देकर जाना है. और वह नज़राना है कि अब से भावनगर यूनिवर्सिटी ‘कृष्ण कुमार सिंहजी भावनगर यूनिवर्सिटी’ के नाम से जानी जाएगी और वहाँ पढ़ने वाला प्रत्येक व्यक्ति उस राजवी का महज़ नाम नहीं, उसमें से प्रेरणा लेकर भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए तैयार होगा ऐसी मैं आशा करता हूँ. भाईयों-बहनों, मैंने आज सुबह घोघा में ‘रो-रो फेरी सर्विस' की आधारशिला रखी. पिछले 3-4 दशकों से निलंबित सपने को साकार करने का अवसर मेरे भाग्य में आया है. मेरे लिए आनन्द की घडी है. मैं अच्छी तरह देख सकता हूँ कि कैसे विकास का रूप बदल जाएगा. लेकिन उसके साथ-साथ हमारा अलंग, शिप ब्रेकिंग यार्ड के रूप में पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ लेकिन हम वहाँ से आगे बढ़े ही नहीं. कितने दिनों तक तोड़-फोड़ करते रहेंगे, बहुत हो गया भाई..! बहुत शिप तोड़े, बहुत मलबे बेचे... अब मुझे इसे नई दिशा में ले जाना है और इसलिए 175 करोड़ रुपयों से यहाँ मरीन शिप बिल्डिंग यार्ड बनाने के बारे में सरकार ने सोचा है. शिप बनाने का काम यहाँ होगा, यहाँ के नौजवानों के कौशल से समुद्र पार करने का साधन बनेगा, उस दिशा में काम करने का सोचा गया है. नवा माढीया में गुजरात औद्योगिक विकास निगम, जी.आई.डी.सी. द्वारा 2300 हेक्टर में एक नई औद्योगिक वसाहत बनाई जायेगी, जिसके कारण लघु उद्योगों को, नौजवानों को नए रोजगार के अवसर मिल सकें, यह काम किया जाएगा. भाईयों-बहनों, गुजरात में बहुत तेजी से शहरीकरण होता जा रहा है. हिंदुस्तान के अर्बनाइझेशन की मात्रा की तुलना में गुजरात के अर्बनाइझेशन की मात्रा अधिक है. बहुत निकट भविष्य में इस राज्य की 50-55% जनता गिने-चुने शहरों में रह रही होगी. भाईयों-बहनों, जैसे मनुष्य को फेफड़ों की आवश्यकता होती है, वैसे ही एक शहर को भी फेफड़ों की जरूरत होती है. यदि शहर को फेफड़े नहीं हैं, तो उस शहर में रहने वाला व्यक्ति कभी स्वस्थ जीवन जी नहीं सकता और भावनगर को मजबूत फेफड़े मिल सके इसलिए ‘विक्टोरिया पार्क’ को रमणीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का फैसला किया गया है. भावनगर की ‘न्यू जहांगीर मिल’ की जमीन पर 15 एकड़ विस्तार में आधुनिक जेम्स ऍन्ड ज्वेलरी पार्क का निर्माण करने का आयोजन किया गया है. मित्रों, पूरे विश्व में ज्वेलरी का बहुत बड़ा मार्केट है फिर भी भारत दुनिया के बाजार में नगण्य अवस्था में है. उस विश्व के बड़े मार्केट पर कब्जा करना है. और हमारे यहाँ कौशल है. आज भी, आज भी अगर आप थाईलैंड जाओ तो भावनगर के सुनार थाईलैंड में अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं. आज भी दुबई में जेम्स ऍन्ड ज्वेलरी का प्रदर्शन हो तो भावनगर और राजकोट के कारीगरों की कलाकृतियाँ दुनिया के बाजार में बिकती हैं. सामर्थ्य बहुत है तो क्यों ऐसा अवसर इस धरती पर न आए..! और इसलिए जेम्स ऍन्ड ज्वेलरी पार्क को इस भूमि पर बनाने का निश्चय किया गया है. भाईयों-बहनों, सदभावना मिशन के दौरान मैंने इस भावनगर में कोई भी घोषणा नहीं की थी, लेकिन आज जब यह अवसर है तब मैं घोषणा करता हूँ कि इस एक साल में, अगली 26 जनवरी से पहले 1900 करोड़ रुपये, भावनगर के विकास के लिए लगभग 2000 करोड़ रुपये. मित्रों, जिस वक्त ये प्रतापभाई और सब विधानसभा में जाते थे तब पूरी सरकार का बजट 2000 करोड़ नहीं था..! आज मैं एक वर्ष में भावनगर जिले में 1900 करोड़ रुपये के विकास के आयोजनों की घोषणा करता हूँ. गारीयाधार और भावनगर की पानी आपूर्ति योजनाओं के लिए लगभग 494 करोड़ रुपये खर्च करेंगे और गारीयाधार और भावनगर शहर की पीने के पानी की समस्या का कायमी निराकरण करने का एक बड़ा बीडा उठाया है. वल्लभीपुर, बोटाद, लींबडी सहित 92 गाँवों और 65,000 हेक्टर जमीन की सिंचाई के लिए नर्मदा नहर-शाखा से संबंधित कार्यों के लिए लगभग 125 करोड़ रुपयों की एक बड़ी राशि किसानों के लिए खर्च करने का आयोजन है. भाईयों-बहनों, बोटाद, गोमा, सुखभादर डैम, कृष्णसागर तालाब को जोड़ती नर्मदा नहर-शाखा से पाइपलाइन के द्वारा 8600 हेक्टर में सिंचाई की सुविधा के लिए इसमें से लगभग 225 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाएगा. भाईयों-बहनों, 1900 करोड़ रुपए के साथ-साथ, आज जब गणतंत्र दिवस यहाँ मनाया जा रहा है तब, भावनगर शहर के लिए अतिरिक्त 1 करोड़ रुपए, भावनगर जिले के लिए 1 करोड़ रुपए और भावनगर जिले के नगर निगमों के लिए 1 करोड़ रुपए, इस तरह 3 करोड़ रुपयों के चैक मैं यहीं से देकर जाउँगा.

भाईयों-बहनों, यह गणतंत्र दिवस हम मना रहे हैं तब गणतंत्र दिवस का अगला दिन समग्र देश में ‘मतदाता जागृति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. लोकशाही में नागरिकों का मूल्य विशेष होता है लेकिन दुर्भाग्यवश हमारे देश में लोकशाही का अर्थ बहुत सीमित रह गया है. हर पाँच साल पर मत दे देते हैं और किसी को कॉन्ट्राक्ट दे देते हैं कि लो, पाँच साल में इतना कर देना... और न करे तो दूसरी बार किसी और को कॉन्ट्राक्ट दे देते हैं, यही परम्परा स्थापित हो गई है. भाईयों-बहनों, लोकशाही की समग्र विकास यात्रा में लोक भागीदारी चाहिए. केवल बटन दबाने से बात खत्म नहीं हो जाती. प्रत्येक क्षण लोक भागीदारी चाहिए और इसलिए जब हम इस लोक भागीदारी के पर्व को विकास पर्व के रूप में मना कर आगे बढ़ रहे हैं तब, आज समग्र देश ‘मतदार दिवस’ मना रहा है तब, मेरी सब नागरिकों से विनती है कि लोकशाही की सफ़लता के लिए पहली शर्त है कि प्रत्येक पुख्त नागरिक मतदार होना चाहिए और प्रत्येक मतदार को मतदान करना चाहिए तभी लोकशाही फूलती-फलती है. हम इस पर्व को भी मनाएँ और कल के गणतंत्र पर्व को भी मनाएँ. बाबा साहेब आंबेडकर सहित जिन महापुरुषों ने हमें यह संविधान दिया है, इस संविधान ने हमारे समवाय तंत्र की रक्षा करने का वचन दिया है, हम हमारे संघीय ढाँचे की सुरक्षा के लिए शपथ लें. कल जब तिरंगा झंडा लहराएँ तब उस तिरंगे झंडे की साक्षी में हिंदुस्तान के संघीय ढाँचे को आंच नहीं आने देंगे, देश की एकता को खंडित कर सके ऐसे किसी भी पापाचार को चलने नहीं देंगे ऐसे संकल्प के साथ भारत की एकता और अखंडितता के लिए, भारत के संघीय ढाँचे की सुरक्षा, भारत के संघीय ढाँचे की ‘लेदर एंड स्पिरिट’ के साथ रक्षा, उस भाव को प्रकट करें तभी देश को आगे बढ़ाने में राज्य और केन्द्रीय सरकार दोनों साथ मिलकर काम कर सकेंगी. इस संकल्प की पूर्ति के लिए तिरंगा झंडा हमें आशीर्वाद दे, संविधान के निर्माता हमें आशीर्वाद दें और उनकी भावनाओं को लेकर हम आगे बढ़ें.

ज मेरे इस कार्यक्रम के बाद ‘भावसभर भावनगर’ के अंश हम देखने वाले हैं. और हमारे युवक सेवा और सांस्कृतिक प्रवृत्ति के मित्रों, श्री भाग्येश झा और श्री फकीरभाई वाघेला के नेतृत्व में अनेक परम्पराएँ उदित की गई हैं जैसे कि इस राष्ट्रीय पर्व पर इतिहास जीने का भी अवसर बनाना, ऐतिहासिक घटनाओं को नाटकीय ढंग से नई पीढ़ी को शिक्षित करने का अवसर बनाना. श्रीमान विष्णुभाई पंड्या लगातार इस विषय में संशोधन करते रहते हैं, अनेक ग्रंथों को मथते रहते हैं और नई पीढ़ी को क्या परोसा जा सकता है उसकी आपूर्ति करने का कडी मेहनत से प्रयास करते रहते हैं.

 

स्वामी विवेकानंद ने जो स्वप्न देखा था कि मैं मेरी भारत माता को देदीप्यमान अवस्था में देख रहा हूँ, विश्वगुरु के स्थान पर बिराजीत देख रहा हूँ. स्वामि विवेकानंद के उस स्वप्न को पूरा करने के लिए प्रतिबद्धता के साथ, एक प्रजाजन के रूप में हम सब को संयुक्त रूप से प्रयास करना होगा, पराक्रमी बनना होगा. पुरुषार्थ और पराक्रम की पराकाष्ठा ही स्वामि विवेकानंदजी के स्वप्न को साकार कर सकती है.

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संविधान हमारा मार्गदर्शक है: पीएम मोदी
देश के नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से एक खास वेबसाइट बनाई गई है: पीएम
महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी
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राज कपूर जी ने फिल्मों के माध्यम से दुनिया को भारत की सॉफ्ट पावर से परिचित कराया: पीएम मोदी
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मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | 2025 बस अब तो आ ही गया है, दरवाजे पर दस्तक दे ही रहा है | 2025 में 26 जनवरी को हमारे संविधान को लागू हुए 75 वर्ष होने जा रहे हैं | हम सभी के लिए बहुत गौरव की बात है | हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें जो संविधान सौंपा है वो समय की हर कसौटी पर खरा उतरा है | संविधान हमारे लिए guiding light है, हमारा मार्गदर्शक है | ये भारत का संविधान ही है जिसकी वजह से मैं आज यहाँ हूँ, आपसे बात कर पा रहा हूँ | इस साल 26 नवंबर को संविधान दिवस से एक साल तक चलने वाली कई activities शुरू हुई हैं | देश के नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से एक खास website भी बनाई गई है | इसमें आप संविधान की प्रस्तावना पढ़कर अपना video upload कर सकते हैं | अलग-अलग भाषाओं में संविधान पढ़ सकते हैं, संविधान के बारे में प्रश्न भी पूछ सकते हैं | ‘मन की बात’ के श्रोताओं से, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से, कॉलेज में जाने वाले युवाओं से, मेरा आग्रह है, इस website पर जरूर जाकर देखें, इसका हिस्सा बनें |

साथियो,

अगले महीने 13 तारीख से प्रयागराज में महाकुंभ भी होने जा रहा है | इस समय वहां संगम तट पर जबरदस्त तैयारियाँ चल रही हैं | मुझे याद है, अभी कुछ दिन पहले जब मैं प्रयागराज गया था तो हेलिकॉप्टर से पूरा कुम्भ क्षेत्र देखकर दिल प्रसन्न हो गया था | इतना विशाल! इतना सुंदर! इतनी भव्यता!

साथियो,

महाकुंभ की विशेषता केवल इसकी विशालता में ही नहीं है | कुंभ की विशेषता इसकी विविधता में भी है | इस आयोजन में करोड़ों लोग एक साथ एकत्रित होते हैं | लाखों संत, हजारों परम्पराएँ, सैकड़ों संप्रदाय, अनेकों अखाड़े, हर कोई इस आयोजन का हिस्सा बनता है | कहीं कोई भेदभाव नहीं दिखता है, कोई बड़ा नहीं होता है, कोई छोटा नहीं होता है | अनेकता में एकता का ऐसा दृश्य विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा | इसलिए हमारा कुंभ एकता का महाकुंभ भी होता है | इस बार का महाकुंभ भी एकता के महाकुंभ के मंत्र को सशक्त करेगा | मैं आप सबसे कहूँगा, जब हम कुंभ में शामिल हों, तो एकता के इस संकल्प को अपने साथ लेकर वापस आयें | हम समाज में विभाजन और विद्वेष के भाव को नष्ट करने का संकल्प भी लें | अगर कम शब्दों में मुझे कहना है तो मैं कहूँगा...

महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश |

महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश |

और अगर दूसरे तरीके से कहना है तो मैं कहूँगा...

गंगा की अविरल धारा, न बँटे समाज हमारा ||

गंगा की अविरल धारा, न बँटे समाज हमारा ||

साथियो,

इस बार प्रयागराज में देश और दुनिया के श्रद्धालु digital महाकुंभ के भी साक्षी बनेंगे | Digital Navigation की मदद से आपको अलग-अलग घाट, मंदिर, साधुओं के अखाड़ों तक पहुँचने का रास्ता मिलेगा | यही navigation system आपको parking तक पहुँचने में भी मदद करेगा | पहली बार कुंभ आयोजन में AI chatbot का प्रयोग होगा | AI chatbot के माध्यम से 11 भारतीय भाषाओं में कुंभ से जुड़ी हर तरह की जानकारी हासिल की जा सकेगी | इस chatbot से कोई भी text type करके या बोलकर किसी भी तरह की मदद मांग सकता है | पूरा मेला क्षेत्र को AI-Powered cameras से cover किया जा रहा है | कुंभ में अगर कोई अपने परिचित से बिछड़ जाएगा तो इन कैमरों से उन्हें खोजने में भी मदद मिलेगी | श्रद्धालुओं को digital lost & found center की सुविधा भी मिलेगी | श्रद्धालुओं को मोबाईल पर government-approved tour packages, ठहरने की जगह और homestay के बारे में भी जानकारी दी जाएगी | आप भी महाकुंभ में जाएँ तो इन सुविधाओं का लाभ उठाएँ और हाँ #एकता का महाकुंभ के साथ अपनी selfie जरूर uplaod करिएगा |

साथियो,

‘मन की बात’ यानि MKB में अब बात KTB की, जो बड़े बुजुर्ग हैं, उनमें से, बहुत से लोगों को KTB के बारे में पता नहीं होगा | लेकिन जरा बच्चों से पूछिए KTB उनके बीच बहुत ही superhit है | KTB यानि कृष, तृष और बाल्टीबॉय | आपको शायद पता होगा बच्चों की पसंदीदा animation series और उसका नाम है KTB – भारत हैं हम और अब इसका दूसरा season भी आ गया है | ये तीन animation character हमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन नायक-नायिकाओं के बारे में बताते हैं जिनकी ज्यादा चर्चा नहीं होती | हाल ही में इसका season-2 बड़े ही खास अंदाज में International Film Festival of India, Goa में launch हुआ | सबसे शानदार बात ये है कि ये series न सिर्फ भारत की कई भाषाओं में बल्कि विदेशी भाषाओं में भी प्रसारित होती है | इसे दूरदर्शन के साथ-साथ अन्य OTT platform पर भी देखा जा सकता है |

साथियो,

हमारी animation फिल्मों की, regular फिल्मों की, टीवी serials की, popularity दिखाती है कि भारत की creative industry में कितनी क्षमता है | यह industry न सिर्फ देश की प्रगति में बड़ा योगदान दे रही है, बल्कि, हमारी economy को भी नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है | हमारी Film & Entertainment industry बहुत विशाल है | देश की कितनी ही भाषाओं में फिल्में बनती हैं, creative content बनता है | मैं अपनी film और entertainment industry को इसलिए भी बधाई देता हूँ, क्योंकि उसने ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ के भाव को सशक्त किया है |

साथियो,

वर्ष 2024 में हम फिल्म जगत की कई महान हस्तियों की 100वीं जयंती मना रहे हैं | इन विभूतियों ने भारतीय सिनेमा को विश्व-स्तर पर पहचान दिलाई | राज कपूर जी ने फिल्मों के माध्यम से दुनिया को भारत की soft power से परिचित कराया | रफ़ी साहब की आवाज में वो जादू था जो हर दिल को छू लेता था | उनकी आवाज अद्भुत थी | भक्ति गीत हों या romantic songs, दर्द भरे गाने हों, हर emotion को उन्होंने अपनी आवाज से जीवंत कर दिया | एक कलाकार के रूप में उनकी महानता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी युवा-पीढ़ी उनके गानों को उतनी ही शिद्दत से सुनती है - यही तो है timeless art की पहचान | अक्किनेनी नागेश्वर राव गारू ने तेलुगु सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है | उनकी फिल्मों ने भारतीय परंपराओं और मूल्यों को बखूबी प्रस्तुत किया | तपन सिन्हा जी की फिल्मों ने समाज को एक नई दृष्टि दी | उनकी फिल्मों में सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय एकता का संदेश रहता था | हमारी पूरी film industry के लिए इन हस्तियों का जीवन प्रेरणा जैसा है |

साथियो,

मैं आपको एक और खुशखबरी देना चाहता हूँ | भारत की creative talent को दुनिया के सामने रखने का एक बहुत बड़ा अवसर आ रहा है | अगले साल हमारे देश में पहली बार World Audio Visual Entertainment Summit यानि WAVES summit का आयोजन होने वाला है | आप सभी ने दावोस के बारे में सुन होगा जहां दुनिया के अर्थजगत के महारथी जुटते हैं | उसी तरह WAVES summit में दुनिया-भर के media और entertainment industry के दिग्गज, creative world के लोग भारत आएंगे | यह summit भारत को global content creation का hub बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है | मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि इस summit की तैयारी में हमारे देश के young creators भी पूरे जोश से जुड़ रहे हैं | जब हम 5 trillion dollar economy की ओर बढ़ रहे हैं, तब हमारी creator economy एक नई energy ला रही है | मैं भारत की पूरी entertainment और creative industry से आग्रह करूंगा – चाहे आप young creator हों या established artist, Bollywood से जुड़े हों, या regional cinema से, TV industry के professional हों, या animation के expert, gaming से जुड़े हों या entertainment technology के innovator, आप सभी WAVES summit का हिस्सा बनें |

मेरे प्यारे देशवासियो,

आप सभी जानते हैं कि भारतीय संस्कृति का प्रकाश आज कैसे दुनिया के कोने-कोने में फैल रहा है | आज मैं आपको तीन महाद्वीपों से ऐसे प्रयासों के बारे में बताऊंगा, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत के वैश्विक विस्तार की गवाह है | ये सभी एक दूसरे से मिलों दूर हैं | लेकिन भारत को जानने और हमारी संस्कृति से सीखने की उनकी ललक एक जैसी है |

साथियो,

Paintings का संसार जितना रंगों से भरा होता है, उतना ही खूबसूरत होता है | आप में से जो लोग टीवी के माध्यम से ‘मन की बात’ से जुड़े हैं, वे अभी कुछ paintings टीवी पर देख भी सकते हैं | इन Paintings में हमारे देवी-देवता, नृत्य की कलाएं और महान विभूतियों को देखकर आपको बहुत अच्छा लगेगा | इनमें आपको भारत में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं से लेकर और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा | इनमें ताजमहल की एक शानदार Painting भी शामिल है, जिसे 13 साल की एक बच्ची ने बनाया है | आपको ये जानकार हैरानी होगी इस दिव्यांग बच्ची ने अपने मुहँ से इस panting को तैयार किया है | सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन Painting को बनाने वाले भारत के नहीं, बल्कि Egypt के students हैं, वहाँ के विद्यार्थी हैं | कुछ ही हफ्ते पहले Egypt के करीब 23 हजार students ने एक painting प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था | वहाँ उन्हें भारत की संस्कृति और दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को बताने वाली paintings तैयार करनी थी | मैं इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले सभी युवाओं की सराहना करता हूँ | उनकी creativity की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है |

साथियो,

दक्षिण अमेरिका का एक देश है पराग्वे | वहाँ रहने वाले भारतीयों की संख्या एक हजार से ज्यादा नहीं होगी | पराग्वे में एक अद्भुत प्रयास हो रहा है | वहाँ भारतीय दूतावास में एरीका ह्युबर free आयुर्वेद consultation देती हैं | आयुर्वेद की सलाह लेने के लिए आज उनके पास स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं | एरीका ह्युबर ने भले ही engineering की पढ़ाई की हो, लेकिन उनका मन तो आयुर्वेद में ही बसता है | उन्होंने आयुर्वेद से जुड़े Courses किए थे और समय के साथ वे इसमें पारंगत होती चली गई |

साथियो,

ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है और हर हिन्दुस्तानी को इसका गर्व है | दुनियाभर के देशों में इसे सीखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है | पिछले महीने के आखिर में फ़िजी में भारत सरकार के सहयोग से Tamil Teaching Programme शुरू हुआ | बीते 80 वर्षों में यह पहला अवसर है, जब फ़िजी में तमिल के Trained Teachers इस भाषा को सिखा रहे हैं | मुझे ये जानकार अच्छा लगा कि आज फ़िजी के students तमिल भाषा और संस्कृति को सीखने में काफी दिलचस्पी ले रहे हैं |

साथियो,

ये बातें, ये घटनाएं, सिर्फ सफलता की कहानियाँ नहीं है | ये हमारी सांस्कृतिक विरासत की भी गाथाएं हैं | ये उदाहरण हमें गर्व से भर देते हैं | Art से आयुर्वेद तक और Language से लेकर Music तक, भारत में इतना कुछ है, जो दुनिया में छा रहा है |

साथियो,

सर्दी के इस मौसम में देश-भर से खेल और fitness को लेकर कई activities हो रही हैं | मुझे खुशी है कि लोग fitness को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना रहे हैं | कश्मीर में Skiing से लेकर गुजरात में पतंगबाजी तक, हर तरफ, खेल का उत्साह देखने को मिल रहा है | #SundayOnCycle और #CyclingTuesday जैसे अभियानों से Cycling को बढ़ावा मिल रहा है |

साथियो,

अब मैं आपको एक ऐसी अनोखी बात बताना चाहता हूँ जो हमारे देश में आ रहे बदलाव और युवा साथियों के जोश और जज्बे का प्रतीक है | क्या आप जानते हैं कि हमारे बस्तर में एक अनूठा Olympic शुरू हुआ है! जी हाँ, पहली बार हुए बस्तर Olympic से बस्तर में एक नई क्रांति जन्म ले रही है | मेरे लिए ये बहुत ही खुशी की बात है कि बस्तर Olympic का सपना साकार हुआ है | आपको भी ये जानकार अच्छा लगेगा कि यह उस क्षेत्र में हो रहा है, जो कभी माओवादी हिंसा का गवाह रहा है | बस्तर Olympic का शुभंकर है – ‘वन भैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’ | इसमें बस्तर की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखती है | इस बस्तर खेल महाकुंभ का मूल मंत्र है –

‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’

यानि ‘खेलेगा बस्तर – जीतेगा बस्तर’ |

पहली ही बार में बस्तर Olympic में 7 जिलों के एक लाख 65 हजार खिलाड़ियों ने भाग लिया है | यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है – यह हमारे युवाओं के संकल्प की गौरव-गाथा है | Athletics, तीरंदाजी, Badminton, Football, Hockey, Weightlifting, Karate, कबड्डी, खो-खो और Volleyball – हर खेल में हमारे युवाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है | कारी कश्यप जी की कहानी मुझे बहुत प्रेरित करती है | एक छोटे से गांव से आने वाली कारी जी ने तीरंदाजी में रजत पदक जीता है | वे कहती हैं – “बस्तर Olympic ने हमें सिर्फ खेल का मैदान ही नहीं, जीवन में आगे बढ़ने का अवसर दिया है” | सुकमा की पायल कवासी जी की बात भी कम प्रेरणादायक नहीं है | Javelin Throw में स्वर्ण पदक जीतने वाली पायल जी कहती हैं – “अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है” | सुकमा के दोरनापाल के पुनेम सन्ना जी की कहानी तो नए भारत की प्रेरक कथा है | एक समय नक्सली प्रभाव में आए पुनेम जी आज wheelchair पर दौड़कर मेडल जीत रहे हैं | उनका साहस और हौसला हर किसी के लिए प्रेरणा है | कोडागांव के तीरंदाज रंजू सोरी जी को ‘बस्तर youth icon’ चुना गया है | उनका मानना है – बस्तर Olympic दूरदराज के युवाओं को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का अवसर दे रहा है |

साथियो,

बस्तर Olympic केवल एक खेल आयोजन नहीं है I यह एक ऐसा मंच है जहां विकास और खेल का संगम हो रहा है I जहां हमारे युवा अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं और एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं I मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ :

अपने क्षेत्र में ऐसे खेल आयोजनों को प्रोत्साहित करें

#खेलेगा भारत – जीतेगा भारत के साथ अपने क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं की कहानियां साझा करें

स्थानीय खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर दें

याद रखिए, खेल से, न केवल शारीरिक विकास होता है, बल्कि ये Sportsman spirit से समाज को जोड़ने का भी एक सशक्त माध्यम है I तो खूब खेलिए-खूब खिलिए |

मेरे प्यारे देशवासियो,

भारत की दो बड़ी उपलब्धियां आज विश्व का ध्यान आकर्षित कर रही हैं I इन्हें सुनकर आपको भी गर्व महसूस होगा I ये दोनों सफलताएं स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिली हैं I पहली उपलब्धि मिली है – मलेरिया से लड़ाई में | मलेरिया की बीमारी चार हजार वर्षों से मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती रही है I आजादी के समय भी यह हमारी सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक थी I एक महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों की जान लेने वाली सभी संक्रामक बीमारियों में मलेरिया का तीसरा स्थान है I आज, मैं संतोष से कह सकता हूँ कि देशवासियों ने मिलकर इस चुनौती का दृढ़ता से मुकाबला किया है I विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO की रिपोर्ट कहती है – “भारत में 2015 से 2023 के बीच मलेरिया के मामलों और इससे होने वाली मौतों में 80 प्रतिशत की कमी आई है” I यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है I सबसे सुखद बात यह है, यह सफलता जन-जन की भागीदारी से मिली है I भारत के कोने-कोने से, हर जिले से हर कोई इस अभियान का हिस्सा बना है I असम में जोरहाट के चाय बागानों में मलेरिया चार साल पहले तक लोगों की चिंता की एक बड़ी वजह बना हुआ था I लेकिन जब इसके उन्मूलन के लिए चाय बागान में रहने वाले एकजुट हुए, तो इसमें काफी हद तक सफलता मिलने लगी I अपने इस प्रयास में उन्होनें Technology के साथ-साथ Social media का भी भरपूर इस्तेमाल किया है I इसी तरह हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले ने मलेरिया पर नियंत्रण के लिए बड़ा अच्छा model पेश किया I यहां मलेरिया की monitoring के लिए जनभागीदारी काफी सफल रही है I नुक्कड़ नाटक और रेडियो के जरिए ऐसे संदेशों पर जोर दिया गया, जिससे मच्छरों की breeding कम करने में काफी मदद मिली है I देश-भर में ऐसे प्रयासों से ही हम मलेरिया के खिलाफ जंग को और तेजी से आगे बढ़ा पाए है I

साथियो,

अपनी जागरूकता और संकल्प शक्ति से हम क्या कुछ हासिल कर सकते हैं, इसका दूसरा उदाहरण है cancer से लड़ाई I दुनिया के मशहूर Medical Journal Lancet की study वाकई बहुत उम्मीद बढ़ाने वाली है I इस Journal के मुताबिक अब भारत में समय पर cancer का इलाज शुरू होने की संभावना काफी बढ़ गई है I समय पर इलाज का मतलब है – cancer मरीज का treatment 30 दिनों के भीतर ही शुरू हो जाना और इसमें बड़ी भूमिका निभाई है – ‘आयुष्मान भारत योजना’ ने | इस योजना की वजह से cancer के 90 प्रतिशत मरीज, समय पर अपना इलाज शुरू करा पाए हैं | ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पहले पैसे के अभाव में गरीब मरीज cancer की जांच में, उसके इलाज से कतराते थे I अब ‘आयुष्मान भारत योजना’ उनके लिए बड़ा संबल बनी है I अब वो आगे बढ़कर अपना इलाज कराने के लिए आ रहे हैं I ‘आयुष्मान भारत योजना’ ने cancer के इलाज में आने वाली पैसों की परेशानी को काफी हद तक कम किया है I अच्छा ये भी है, कि आज समय पर, cancer के इलाज को लेकर, लोग, पहले से कहीं अधिक जागरूक हुए हैं I यह उपलब्धि जितनी हमारे Healthcare system की है, डॉक्टरों, नर्सों और Technical staff की है, उतनी ही, आप, सभी मेरे नागरिक भाई-बहनों की भी है I सबके प्रयास से cancer को हारने का संकल्प और मजबूत हुआ है I इस सफलता का credit उन सभी को जाता है, जिन्होनें जागरूकता फैलाने में अपना अहम योगदान दिया है I

Cancer से मुकाबले के लिए एक ही मंत्र है - Awareness, Action और Assurance. Awareness यानि cancer और इसके लक्षणों के प्रति जागरूकता, Action यानि समय पर जांच और इलाज, Assurance यानि मरीजों के लिए हर मदद उपलब्ध होने का विश्वास I आईए, हम सब मिलकर cancer के खिलाफ इस लड़ाई को तेजी से आगे ले जाएं और ज्यादा-से-ज्यादा मरीजों की मदद करें I

मेरे प्यारे देशवासियो,

आज मैं आपको ओडिशा के कालाहांडी के एक ऐसे प्रयास की बात बताना चाहता हूँ, जो कम पानी और कम संसाधनों के बावजूद सफलता की नई गाथा लिख रहा है | ये है कालाहांडी की ‘सब्जी क्रांति’ | जहां, कभी किसान, पलायन करने को मजबूर थे, वहीं आज, कालाहांडी का गोलामुंडा ब्लॉक एक vegetable hub बन गया है | यह परिवर्तन कैसे आया? इसकी शुरुआत सिर्फ 10 किसानों के एक छोटे से समूह से हुई | इस समूह ने मिलकर एक FPO - ‘किसान उत्पाद संघ’ की स्थापना की, खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया, और आज उनका ये FPO करोड़ों का कारोबार कर रहा है | आज 200 से अधिक किसान इस FPO से जुड़े हैं, जिनमें 45 महिला किसान भी हैं | ये लोग मिलकर 200 एकड़ में टमाटर की खेती कर रहे हैं, 150 एकड़ में करेले का उत्पादन कर रहे हैं | अब इस FPO का सालाना turnover भी बढ़कर डेढ़ करोड़ से ज्यादा हो गया है | आज कालाहांडी की सब्जियां, न केवल ओडिशा के विभिन्न जिलों में, बल्कि, दूसरे राज्यों में भी पहुँच रही हैं, और वहाँ का किसान, अब, आलू और प्याज की खेती की नई तकनीकें सीख रहा है |

साथियो,

कालाहांडी की यह सफलता हमें सिखाती है कि संकल्प शक्ति और सामूहिक प्रयास से क्या नहीं किया जा सकता | मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ :-

अपने क्षेत्र में FPO को प्रोत्साहित करें

किसान उत्पादक संगठनों से जुड़ें और उन्हें मजबूत बनाएं |

याद रखिए – छोटी शुरुआत से भी बड़े परिवर्तन संभव हैं | हमें, बस, दृढ़ संकल्प और टीम भावना की जरूरत है |

साथियो,

आज की ‘मन की बात’ में हमने सुना, कि कैसे हमारा भारत, विविधता में एकता के साथ आगे बढ़ रहा है | चाहे वो खेल का मैदान हो या विज्ञान का क्षेत्र, स्वास्थ हो या शिक्षा – हर क्षेत्र में भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है | हमने एक परिवार की तरह मिलकर हर चुनौती का सामना किया और नई सफलताएं हासिल की | 2014 से शुरू हुए ‘मन की बात’ के 116 episodes में मैंने देखा है कि ‘मन की बात’ देश की सामूहिक शक्ति का एक जीवंत दस्तावेज़ बन गया है | आप सभी ने इस कार्यक्रम को अपनाया, अपना बनाया | हर महीने आपने अपने विचारों और प्रयासों को साझा किया | कभी किसी young innovator के idea ने प्रभावित किया, तो कभी किसी बेटी की achievement ने गौरवान्वित किया | ये आप सभी की भागीदारी है जो देश के कोने-कोने से positive energy को एक साथ लाती है | ‘मन की बात’ इसी positive energy के amplification का मंच बन गया है, और अब, 2025 दस्तक दे रहा है | आने वाले साल में ‘मन की बात’ के माध्यम से हम और भी inspiring प्रयासों को साझा करेगें | मुझे विश्वास है कि देशवासियों की positive सोच और innovation की भावना से भारत नई ऊंचाइयों को छूएगा | आप अपने आस-पास के unique प्रयासों को #Mannkibaat के साथ share करते रहिए | मैं जानता हूँ कि अगले साल की हर ‘मन की बात’ में हमारे पास एक दूसरे से साझा करने के लिए बहुत कुछ होगा | आप सभी को 2025 की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं | स्वस्थ रहें, खुश रहें, Fit India Movement में आप भी जुड़ जाइए, खुद को भी fit रखिए | जीवन में प्रगति करते रहें |

बहुत-बहुत धन्यवाद |