भावनगर के मेरे नागरिक भाईयों और बहनों... आज भावनगर की धरती पर त्रिविध संगम है. राज्य सरकार की ओर से राज्य के गणतंत्र दिवस पर्व का उत्सव भावनगर की धरती पर मनाने का निर्णय किया गया. भावनगर को इसलिए पसंद किया गया क्योंकि इस धरती के दो महान पुत्र, जो आनेवाली पीढ़ियों को प्रेरणा दे सके ऐसा जीवन जी गए हैं, ऐसे प्रजा वत्सल राजवी कृष्ण कुमार सिंहजी की शताब्दी और ज्ञान एवं प्रबन्ध के भंडार ऐसे प्रभाशंकर पट्टनीजी के 150 वर्ष. एक ऐसा अपूर्व अवसर जिसे गणतंत्र दिवस पर्व के साथ जोड़कर मना सकें इसलिए राज्य ने भावनगर को पसंद किया.
एक समय था, 15 अगस्त हो या 26 जनवरी हो, वह लगभग स्कूल के छात्रों का कार्यक्रम बन गया था, उसने सिर्फ एक रिच्युअल का रूप ले लिया था. जैसे हम अपनी ही प्राणशक्ति खो चुके थे. हमने पिछले कुछ वर्षों से इस समग्र उत्सव को प्राणवान बनाए, प्रजावान बनाये, लोकशक्ति के जागरण के अवसर बनाए. यह अनमोल आज़ादी सिर्फ मतदान करने का कार्यक्रम नहीं है, समग्र मानवजाति के कल्याण के लिए इस भारत भूमि की किसी जिम्मेदारी का निर्वाह करने का है और अगर जिम्मेदारी का निर्वाह करने की बात हो तो यह हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है. स्वामि विवेकानंद ने स्वप्न देखा था कि ‘मैं मेरी भारत माता को देदीप्यमान अवस्था में देख रहा हूँ, विश्वगुरु के स्थान पर बिराजीत देख रहा हूँ’. हम सबको मिलकर स्वामि विवेकानंद के उस स्वप्न को साकार करने के लिए प्रतिबद्धता के साथ, एक प्रजाजन के रूप में, संयुक्त रूप से प्रयास करने होंगे, पराक्रमी बनना होगा. पुरुषार्थ और पराक्रम की पराकाष्ठा स्वामि विवेकानंदजी के स्वप्न को साकार कर सकती है. और इस जागरण के लिए निरंतर ऐसे अवसरों द्वारा हमने लोकशक्ति को विकास यात्रा में जोड़कर यह भारत माता देदीप्यमान बने उस दिशा में प्रयास आरम्भ किया. हमने अवसरों को विकास के पर्व बनाए हैं. कई लोग मुझे कहते हैं कि साहब, दिवाली आने वाली हो और हम अपना घर जैसे साफ़-सुथरा करते हैं, वैसे ही इस 26 जनवरी पर हम पूरे भावनगर की सफाई करते हैं. आपको खुशी होती है लेकिन मुझे दुख होता है. कारण, फिर आप मुझे कहोगे कि साहब, अब फिर से 15 अगस्त या 26 जनवरी यहाँ कब लाओगे? ताकि हमारी सफ़ाई हो..! भाईयों-बहनों, एक नागरिक के रूप में हमारा कर्तव्य है कि हम अब भावनगर को ऐसा ही साफ़-सुथरा रखें, एक नागरिक के रूप में हमारा कर्तव्य बनता है. शुरूआत वहीं से होती है. कदम कदम पर हम महात्मा गाँधीजी को याद करते हैं लेकिन महात्मा गाँधीजी को अगर सच्ची श्रद्धांजलि देनी हो तो मैं कहता हूँ कि स्वच्छता का आग्रह, स्वच्छता का अमल, स्वच्छ जीकर दिखाना... महात्मा गाँधीजी को उस से बड़ी श्रद्धांजलि नहीं हो सकती. कितना टन कचरा उठाया... वह कचरा गाँधीनगर से फेंकने मैं नहीं आया था भाई, लेकिन साफ करने के लिए मुझे आना पड़ा..! यह परिवर्तन हमें लाना पड़ेगा, हमारे स्वभाव में लाना पड़ेगा. आज जब विश्व में इक्कीसवीं सदी को हिंदुस्तान की सदी; भारत की सदी के रूप में देखा जाता है तब इस महत्वपूर्ण मामले की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए.
भाईयों-बहनों, हमने इस अवसर को पर्व बनाया है तब पिछले एक महीने में भावनगर शहर और भावनगर जिले में विकास के अनेक कार्यों के शिलान्यास हुए, विकास के अनेक कार्यों के लोकार्पण किए, विकास के अनेक नये कार्यों के आयोजन किए. आमतौर पर अगर कार्य सरकार की आदत के अनुसार होते हैं तो कागज़ात घूमते ही रहते हैं, फ़ाइलें चलती ही रहती हैं... देढ़-दो साल निकल जाते हैं, वही कार्य इस 26 जनवरी के मौके पर हफ्ते, दस दिन या पंद्रह दिनों में यहाँ भावनगर की धरती पर उतार दिये गए. सारे विकास के कार्यों में तेज़ी आती है. और इस अवसर पर 140 करोड़ रुपयों के विकास कार्यों के लोकार्पण हुए, इस एक महिने में. इसी समय के दौरान लगभग 155 करोड़ रुपयों के नए कार्यों के खात-मुहुर्त हुए, इसी समय के दौरान 424 करोड़ रुपयों के विकास के नये कार्यक्रमों के आयोजन हुए. आप सोच सकते हो कि 26 जनवरी के अवसर पर विकास के कार्यों को कैसी गति दी जा सकती है, और उसके कारण प्रजा की भागीदारी भी बढ़ती है. एक पर्व प्रजा को कैसी प्रेरणा दे सकता है उसका समग्र हिंदुस्तान में हमने प्रतिमान स्थापित किया है.
भाईयों-बहनों, गुजरात एक छोटा सा राज्य है. 26 जनवरी की परेड को दिल्ली में पूरा देश देखने आता है. और दिल्ली के बाद अगर कहीं 26 जनवरी मनाई जाती हो और देश का ध्यान आकर्षित करती हो तो वह गुजरात की धरती पर मनाई जाती है, हमने ऐसी स्थिति खड़ी कर दी है. आज़ादी के दिवानों ने, आज़ादी के लिए मर-मिटने वाले महापुरुषों ने कित-कितने सपने संजोकर इस देश को हमारे सुप्रत किया था. उन्होंने कितने कष्ट उठाये थे, फांसी के तख़्ते को शोभायमान किया था, जिंदगी की जवानी जेलों में खपा दी थी. सिर्फ इसलिए कि भारत माता आज़ाद हो..! उन्होंने आज़ाद हिंदुस्तान हमारे सुप्रत किया था. उस स्वराज्य को सुराज्य में परिवर्तित करना इस देश के 120 करोड़ नागरिकों की जिम्मेदारी है. छ: करोड़ गुजरातीयों ने गुजरात को उस दिशा में आगे बढ़ाकर उदाहरणीय कार्य करने की पहल की है. उसे आगे बढ़ाना ही हमारा प्रयास है.
भाईयों-बहनों, आज जब 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर आपके बीच आया हूँ तब, जब कृष्ण कुमार सिंहजी की शताब्दी मना रहे हैं तब, मुझे इस गोहिलवाड को एक नज़राना देकर जाना है. और वह नज़राना है कि अब से भावनगर यूनिवर्सिटी ‘कृष्ण कुमार सिंहजी भावनगर यूनिवर्सिटी’ के नाम से जानी जाएगी और वहाँ पढ़ने वाला प्रत्येक व्यक्ति उस राजवी का महज़ नाम नहीं, उसमें से प्रेरणा लेकर भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए तैयार होगा ऐसी मैं आशा करता हूँ. भाईयों-बहनों, मैंने आज सुबह घोघा में ‘रो-रो फेरी सर्विस' की आधारशिला रखी. पिछले 3-4 दशकों से निलंबित सपने को साकार करने का अवसर मेरे भाग्य में आया है. मेरे लिए आनन्द की घडी है. मैं अच्छी तरह देख सकता हूँ कि कैसे विकास का रूप बदल जाएगा. लेकिन उसके साथ-साथ हमारा अलंग, शिप ब्रेकिंग यार्ड के रूप में पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ लेकिन हम वहाँ से आगे बढ़े ही नहीं. कितने दिनों तक तोड़-फोड़ करते रहेंगे, बहुत हो गया भाई..! बहुत शिप तोड़े, बहुत मलबे बेचे... अब मुझे इसे नई दिशा में ले जाना है और इसलिए 175 करोड़ रुपयों से यहाँ मरीन शिप बिल्डिंग यार्ड बनाने के बारे में सरकार ने सोचा है. शिप बनाने का काम यहाँ होगा, यहाँ के नौजवानों के कौशल से समुद्र पार करने का साधन बनेगा, उस दिशा में काम करने का सोचा गया है. नवा माढीया में गुजरात औद्योगिक विकास निगम, जी.आई.डी.सी. द्वारा 2300 हेक्टर में एक नई औद्योगिक वसाहत बनाई जायेगी, जिसके कारण लघु उद्योगों को, नौजवानों को नए रोजगार के अवसर मिल सकें, यह काम किया जाएगा. भाईयों-बहनों, गुजरात में बहुत तेजी से शहरीकरण होता जा रहा है. हिंदुस्तान के अर्बनाइझेशन की मात्रा की तुलना में गुजरात के अर्बनाइझेशन की मात्रा अधिक है. बहुत निकट भविष्य में इस राज्य की 50-55% जनता गिने-चुने शहरों में रह रही होगी. भाईयों-बहनों, जैसे मनुष्य को फेफड़ों की आवश्यकता होती है, वैसे ही एक शहर को भी फेफड़ों की जरूरत होती है. यदि शहर को फेफड़े नहीं हैं, तो उस शहर में रहने वाला व्यक्ति कभी स्वस्थ जीवन जी नहीं सकता और भावनगर को मजबूत फेफड़े मिल सके इसलिए ‘विक्टोरिया पार्क’ को रमणीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का फैसला किया गया है. भावनगर की ‘न्यू जहांगीर मिल’ की जमीन पर 15 एकड़ विस्तार में आधुनिक जेम्स ऍन्ड ज्वेलरी पार्क का निर्माण करने का आयोजन किया गया है. मित्रों, पूरे विश्व में ज्वेलरी का बहुत बड़ा मार्केट है फिर भी भारत दुनिया के बाजार में नगण्य अवस्था में है. उस विश्व के बड़े मार्केट पर कब्जा करना है. और हमारे यहाँ कौशल है. आज भी, आज भी अगर आप थाईलैंड जाओ तो भावनगर के सुनार थाईलैंड में अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं. आज भी दुबई में जेम्स ऍन्ड ज्वेलरी का प्रदर्शन हो तो भावनगर और राजकोट के कारीगरों की कलाकृतियाँ दुनिया के बाजार में बिकती हैं. सामर्थ्य बहुत है तो क्यों ऐसा अवसर इस धरती पर न आए..! और इसलिए जेम्स ऍन्ड ज्वेलरी पार्क को इस भूमि पर बनाने का निश्चय किया गया है. भाईयों-बहनों, सदभावना मिशन के दौरान मैंने इस भावनगर में कोई भी घोषणा नहीं की थी, लेकिन आज जब यह अवसर है तब मैं घोषणा करता हूँ कि इस एक साल में, अगली 26 जनवरी से पहले 1900 करोड़ रुपये, भावनगर के विकास के लिए लगभग 2000 करोड़ रुपये. मित्रों, जिस वक्त ये प्रतापभाई और सब विधानसभा में जाते थे तब पूरी सरकार का बजट 2000 करोड़ नहीं था..! आज मैं एक वर्ष में भावनगर जिले में 1900 करोड़ रुपये के विकास के आयोजनों की घोषणा करता हूँ. गारीयाधार और भावनगर की पानी आपूर्ति योजनाओं के लिए लगभग 494 करोड़ रुपये खर्च करेंगे और गारीयाधार और भावनगर शहर की पीने के पानी की समस्या का कायमी निराकरण करने का एक बड़ा बीडा उठाया है. वल्लभीपुर, बोटाद, लींबडी सहित 92 गाँवों और 65,000 हेक्टर जमीन की सिंचाई के लिए नर्मदा नहर-शाखा से संबंधित कार्यों के लिए लगभग 125 करोड़ रुपयों की एक बड़ी राशि किसानों के लिए खर्च करने का आयोजन है. भाईयों-बहनों, बोटाद, गोमा, सुखभादर डैम, कृष्णसागर तालाब को जोड़ती नर्मदा नहर-शाखा से पाइपलाइन के द्वारा 8600 हेक्टर में सिंचाई की सुविधा के लिए इसमें से लगभग 225 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाएगा. भाईयों-बहनों, 1900 करोड़ रुपए के साथ-साथ, आज जब गणतंत्र दिवस यहाँ मनाया जा रहा है तब, भावनगर शहर के लिए अतिरिक्त 1 करोड़ रुपए, भावनगर जिले के लिए 1 करोड़ रुपए और भावनगर जिले के नगर निगमों के लिए 1 करोड़ रुपए, इस तरह 3 करोड़ रुपयों के चैक मैं यहीं से देकर जाउँगा.
भाईयों-बहनों, यह गणतंत्र दिवस हम मना रहे हैं तब गणतंत्र दिवस का अगला दिन समग्र देश में ‘मतदाता जागृति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. लोकशाही में नागरिकों का मूल्य विशेष होता है लेकिन दुर्भाग्यवश हमारे देश में लोकशाही का अर्थ बहुत सीमित रह गया है. हर पाँच साल पर मत दे देते हैं और किसी को कॉन्ट्राक्ट दे देते हैं कि लो, पाँच साल में इतना कर देना... और न करे तो दूसरी बार किसी और को कॉन्ट्राक्ट दे देते हैं, यही परम्परा स्थापित हो गई है. भाईयों-बहनों, लोकशाही की समग्र विकास यात्रा में लोक भागीदारी चाहिए. केवल बटन दबाने से बात खत्म नहीं हो जाती. प्रत्येक क्षण लोक भागीदारी चाहिए और इसलिए जब हम इस लोक भागीदारी के पर्व को विकास पर्व के रूप में मना कर आगे बढ़ रहे हैं तब, आज समग्र देश ‘मतदार दिवस’ मना रहा है तब, मेरी सब नागरिकों से विनती है कि लोकशाही की सफ़लता के लिए पहली शर्त है कि प्रत्येक पुख्त नागरिक मतदार होना चाहिए और प्रत्येक मतदार को मतदान करना चाहिए तभी लोकशाही फूलती-फलती है. हम इस पर्व को भी मनाएँ और कल के गणतंत्र पर्व को भी मनाएँ. बाबा साहेब आंबेडकर सहित जिन महापुरुषों ने हमें यह संविधान दिया है, इस संविधान ने हमारे समवाय तंत्र की रक्षा करने का वचन दिया है, हम हमारे संघीय ढाँचे की सुरक्षा के लिए शपथ लें. कल जब तिरंगा झंडा लहराएँ तब उस तिरंगे झंडे की साक्षी में हिंदुस्तान के संघीय ढाँचे को आंच नहीं आने देंगे, देश की एकता को खंडित कर सके ऐसे किसी भी पापाचार को चलने नहीं देंगे ऐसे संकल्प के साथ भारत की एकता और अखंडितता के लिए, भारत के संघीय ढाँचे की सुरक्षा, भारत के संघीय ढाँचे की ‘लेदर एंड स्पिरिट’ के साथ रक्षा, उस भाव को प्रकट करें तभी देश को आगे बढ़ाने में राज्य और केन्द्रीय सरकार दोनों साथ मिलकर काम कर सकेंगी. इस संकल्प की पूर्ति के लिए तिरंगा झंडा हमें आशीर्वाद दे, संविधान के निर्माता हमें आशीर्वाद दें और उनकी भावनाओं को लेकर हम आगे बढ़ें.आज मेरे इस कार्यक्रम के बाद ‘भावसभर भावनगर’ के अंश हम देखने वाले हैं. और हमारे युवक सेवा और सांस्कृतिक प्रवृत्ति के मित्रों, श्री भाग्येश झा और श्री फकीरभाई वाघेला के नेतृत्व में अनेक परम्पराएँ उदित की गई हैं जैसे कि इस राष्ट्रीय पर्व पर इतिहास जीने का भी अवसर बनाना, ऐतिहासिक घटनाओं को नाटकीय ढंग से नई पीढ़ी को शिक्षित करने का अवसर बनाना. श्रीमान विष्णुभाई पंड्या लगातार इस विषय में संशोधन करते रहते हैं, अनेक ग्रंथों को मथते रहते हैं और नई पीढ़ी को क्या परोसा जा सकता है उसकी आपूर्ति करने का कडी मेहनत से प्रयास करते रहते हैं.
स्वामी विवेकानंद ने जो स्वप्न देखा था कि मैं मेरी भारत माता को देदीप्यमान अवस्था में देख रहा हूँ, विश्वगुरु के स्थान पर बिराजीत देख रहा हूँ. स्वामि विवेकानंद के उस स्वप्न को पूरा करने के लिए प्रतिबद्धता के साथ, एक प्रजाजन के रूप में हम सब को संयुक्त रूप से प्रयास करना होगा, पराक्रमी बनना होगा. पुरुषार्थ और पराक्रम की पराकाष्ठा ही स्वामि विवेकानंदजी के स्वप्न को साकार कर सकती है.