भारत माता की जय..! भारत माता की जय..!

आजादी के इस पावन पर्व पर मैं सभी देशवासियों को अंत:करण पूर्वक शुभकामानाएं देता हूँ, बहुत-बहुत बधाई देता हूँ..!

आज जब हम आजाद हिन्दुस्तान में सांस भर रहे हैं तब उन सभी महापुरूषों का पुण्य स्मरण करते हैं जिन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए अपने जान की बाजी न्यौछावर कर दी, जिन्होंने अपनी जवानी जेल में खपा दी, जिन्होंने फांसी के तख्ते पर जीने-मरने का खेल खेला..! आजादी के जंग की जब बात करते हैं तो गुजरात का मानचित्र आंखों के सामने उभर कर आना बहुत स्वाभाविक है। आजादी की दो धाराएं, एक अहिंसक आंदोलन की और दूसरी सशस्त्र क्रांति की, और दोनों ही धाराओं ने माँ भारती को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करवाने के लिए अपना-अपना योगदान दिया। लेकिन उन दोनों धाराओं का नेतृत्व करने का सौभाग्य गुजरात की मिट्टी को मिला था। पूज्य महात्मा गांधी और सरदार पटेल आजादी के जंग के और पूरे विश्व के मानव जीवन की मुक्ति के मसीहा के रूप में उभरे थे और उसी तरह सशस्त्र क्रांति के नेताओं इसी मेरी कच्छ की धरती का संतान क्रांति गुरू श्यामजी कृष्ण वर्मा, सरदार सिंह राणा, मैडम कामा ये क्रांति गुरू थे जिन्होंने आजादी के दिवानों को मर मिटने की प्रेरणा दी थी। और उस अर्थ में, हमें गर्व है कि उस मिट्टी पर खड़े होकर के आज भारत के तिरंगे झंडे को लहराने का हम सभी देशवासियों को सौभाग्य मिला है..!

भाइयों-बहनों, देश आजाद हुआ लेकिन आजादी के दिवानों के सपने पूरे हुए क्या..? क्या अब भी हमें पूरी आजादी मिली है क्या..? क्या ये सच्चाई नहीं है कि आज भी हम मानसिक गुलामी के शिकार हैं..? आज भी हमारी घिसी-पिटी सोच हमें आगे बढ़ने की ताकत नहीं देती है। आज भी हम पिछले साठ साल से रटी-रटाई बातें सुन-सुन के थक चुके हैं..! क्या ये स्थगितता, ये स्टेटस क्वो की मानसिकता ने देश की प्रगति में रूकावट नहीं डाल दी है..? और इसलिए हम जब आजादी की सांस ले रहे हैं तब आजादी की सोच की भी जरूरत होती है, और देश को आज आजादी के इतने सालों के बाद एक बात महसूस हो रही है कि हम कैसे इन गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाएं..!

भाइयों-बहनों, मैं कल महामहीम राष्ट्रपति जी का भाषण सुन रहा था, उनका संदेश सुन रहा था। उनकी पीड़ा समझ में आती है, उनका दर्द समझ में आता है..! राष्ट्रपति जी के हर शब्द में भारत के दिलो-दिमाग को अभिव्यक्त करने का प्रयास था। मैं नहीं जानता हूँ कि देश के शासक राष्ट्रपति जी की उस पीड़ा का कोई जवाब दे पाएंगे या नहीं..! राष्ट्रपति जी ने कल कहा कि लोकतांत्रिक देश के अंदर आज विधान सभा और लोकसभा के सदन एक प्रकार से अखाड़ा बन गया है, युद्घ का मैदान बन गया है..! उनकी चिंता वाजिब है, मैं उनकी चिंता से सहमत हूँ। लेकिन सवाल ये उठता है कि विरोधी दल अपनी आवाज उठाने की कोशिश करें ये तो लोकतंत्र में समझ में आता है, लेकिन राष्ट्रपति की चिंता इस बात की है कि पहली बार इस देश में ऐसा हो रहा है कि शासक दल स्वयं लोकसभा को चलने ना दे, लोकसभा में रूकावट डालें, लोकसभा को अखाड़ा बना दें..! जब सत्ता में बैठा हुआ दल ये करता है तो संकट और गहरा हो जाता है और इसलिए राष्ट्रपति जी, आपकी चिंता वाजिब है। हम सबको मिल कर के, चाहे हम राष्ट्र में हो या राज्य में हो, हम सबका ये जिम्मा बनता है कि राष्ट्रपति जी की इस भावना का हम आदर करें..! और हमारे लोकतंत्र के मंदिर, विधान सभा हो या संसद हो, उन सब की इज्जत को बनाए रखने के लिए हम यथोचित प्रयास करें..!

हमारे राष्ट्रपति जी ने कल ये बात भी दोहराई है, पाकिस्तान का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति जी ने कहा कि सहनशक्ति की भी एक सीमा होती है। राष्ट्रपति जी ने अपने स्तर पर एक बहुत ही गंभीर संकेत दिया है। मैं आशा करता था कि प्रधानमंत्रीजी लाल किले से राष्ट्रपति जी ने जो ये चिंता व्यक्त की है उसका सही प्रतिसाद देते, लेकिन पता नहीं क्यों आज प्रधानमंत्री जी से ये बात सुनने को ना मिली..! मैं ये तो मानता हूँ कि इंटरनेशनल रिलेशन को देखते हुए, पड़ौसियों से संबंधों को देखते हुए, किस भाषा का प्रयोग करना चाहिए, कैसे करना चाहिए, प्रधानमंत्री के स्तर पर क्या बोला जाना चाहिए, इस बात को मैं भलीभांति समझता हूँ। लेकिन हमारी सेना का हौंसला बुलंद हो, हमारी सेना का आत्मविश्वास बुलंद हो, कम से कम प्रधानमंत्री के पास से इस भाषा की अपेक्षा ये देश करता है..! देश के जवान मारे गए और तब जाकर के देश की सेना के मनोबल को एक शक्ति देने वाली बात होनी चाहिए थी..! लाल किला पाकिस्तान को ललकारने की जगह है ऐसा मैं नहीं मानता और ना हमें उसमें समय गंवाने की जरूरत है, लेकिन लाल किला हिन्दुस्तान की सेना का मनोबल बढ़ाने की सर्वोत्तम जगह है, ये मेरा विश्वास है और देश की सेना का मनोबल बढ़ाना चाहिए था..! राष्ट्रपति जी कह रहे हैं कि हमारी सहनशक्ति की सीमा होनी चाहिए। लेकिन राष्ट्रपति जी, ये सहन शक्ति की सीमा क्या होती है, ये बॉर्डर लाइन क्या होती है, इसका फैसला तो दिल्ली की सरकार को करना है..! हमारी सीमा क्या है, हम कब तक सहते रहेंगे, क्या इस चीज की व्याख्या नहीं होनी चाहिए..? और सवाल सिर्फ पाकिस्तान का नहीं है, आज देश की सुरक्षा खतरे में है। चीन ने क्या किया, आज सारा विश्व एक अलग मनोभाव से जी रहा है तब आजाद हिन्दुस्तान के अंदर चाइना हमारी सीमाओं पर आकर के अड़ंगा डाले, हमारी सीमाओं में घुस जाए, अपने मतलब को साबित करे और देश चुपचाप देखता रहे..? और तब जा करके सुरक्षा के सवाल खड़े होते हैं। इटली के सैनिक आकर के केरल के हमारे मछुआरों को मार दें, तब जा कर के देश को चिंता होती है..! पाकिस्तान की सेना के लोग आकर के हमारे सैनिकों के सिर काट लें, तब जा कर के चिंता होती है, पाकिस्तान की सेना के लोग आकर के हमारे जवानों को मौत के घाट उतार दें, तब जा कर के चिंता होती है..! सीमा कौन सी है उसकी व्याख्या तय होनी चाहिए। राष्ट्रपति जी, आपने वो चिंता जाहिर की है उस चिंता के साथ मैं भी अपना स्वर मिलाता हूँ..!

भारत के राष्ट्रपति जी ने करप्शन के लिए बहुत ही गहरी चिंता व्यक्त की। भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्रपति जी ने अपना दर्द व्यक्त किया। आज अच्छा होता कि लाल किले पर से भी भ्रष्टचार के संबंध में कोई बात आती..! प्रधानमंत्री जी, राष्ट्रपति जी की भावना का आदर करना आपका सबसे पहला दायित्व बनता है..! लेकिन वो आज नहीं हुआ। भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग क्यों नहीं छेड़ सकते..? और भाइयों-बहनों, भ्रष्टाचार का मूल कहाँ से पैदा होता है, क्या उसका जवाब देश को नहीं चाहिए..? क्या उसका जवाब देश की जनता नहीं मांगेगी..? मैं राजनीतिक भाषा नहीं बोलना चाहता हूँ, लेकिन ये कहना चाहता हूँ कि देश के सामने ये मूलभूत इशूस हैं, देश का दर्द है, देश की पीड़ा है..! और जब भ्रष्टाचार की बात होती है तो पूराने जमाने की बात होते-होते कैसे बदलाव आया है, जैसे हिन्दी फिल्मों में या टी.वी. में नए-नए प्रकार की सीरियल आती है, वैसे पुराने जमाने में लोगों की जबान पर भ्रष्टाचार को उदघोषित करने वाली एक सीरियल चलती थी और एक शब्द प्रयोग होता था, भाई-भतीजावाद..! भ्रष्टाचार के मूल में भाई-भतीजा वाद, ये सीरियल के शब्द हुआ करते थे। दिन बीतते-बीतते उसमें थोड़ा बदलाव आया और नई सीरियल आई, मामा-भांजा की..! और अब आगे बढ़ते-बढ़ते सास, बहू और दमाद की सीरियल शुरू हुई है..! और इसलिए भाइयों, ये भ्रष्टाचार का जो खेल चल रहा है, उस खेल के संबंध में राष्ट्रपति जी ने जो चिंता जताई है, तब प्रधानमंत्री जी, आज लाल किले से ये देश सुनना चाहता था कि भ्रष्टाचार से हमारा देश बर्बाद हो रहा है, तबाह हो रहा है और शासन में बैठे लोग, उनके परिवारजन बुरी तरह इसमें लिप्त पाए जा रहे हैं, भारत की सुप्रीम कोर्ट जब तक लाल आंख ना करे तब तक इस विषय में मुंह पर ताले लगा कर के सारे देश की व्यवस्थाएं चलाई जा रही हैं..! इसलिए भाइयों-बहनों, राष्ट्रपति जी का कल का भाषण हम सबके लिए एक चिंतन का विषय है, चिंता का भी विषय है और चिंता की शुरूआत ऊपर से होनी चाहिए..!

मैं आज प्रात: भारत के प्रधानमंत्री का भाषण सुन रहा था। मैं इसलिए सुन रहा था कि आजादी के पावन पर्व पर मेरे जैसे कार्यकर्ताओं को वहाँ से एक नई प्रेरणा मिले, एक नया संदेश मिले ताकि हमारा भी काम करने का जज्बा थोड़ा बढ़ जाए, हममें भी देश के लिए दौड़ने की थोड़ी हिम्मत आ जाए, हम भी अपने राज्य में इतना अच्छा करें, इतना अच्छा करें ताकि हमारा देश मजबूत हो..! और हमारे गुजरात का तो मंत्र यही रहा है, ‘भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास’..! हम देश की भलाई के लिए गुजरात के जिम्मे जो भी आए उसे पूरा करना चाहते हैं और ये दायित्व हम सबको निभाना चाहिए। ये हमारा कर्तव्य है, ये अहसान नहीं है और उस कर्तव्य को निभाने के लिए हम चाहते थे कि आज प्रधानमंत्री के लाल किले के भाषण से हमें कोई अच्छा संदेश मिलता..! लेकिन मैं बहुत निराश हुआ हूँ और सिर्फ मैं ही नहीं, पूरा हिन्दुस्तान निराश हुआ है..!

प्रधानमंत्री जी, आप इस देश के प्रधानमंत्री हैं, सभी सरकारों के किये हुए काम के कारण आज देश आज यहाँ पहुँचा है, लेकिन ये बड़े दु:ख की बात है कि लाल किले पर से अपने भाषण में आप सिर्फ एक परिवार का स्मरण करते हैं..! क्या ये अच्छा नहीं होता प्रधानमंत्री जी, कि आज आप लाल किले से भारत को एक करने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल को भी याद करते..? क्या ये अच्छा नहीं होता कि देश की एकता का एक प्रबल संदेश सुनाया जाता..? प्रधानमंत्री जी, क्या ये अच्छा नहीं होता कि आप जब पंडित नेहरू का जिक्र कर रहे थे, इंदिरा जी का जिक्र कर रहे थे, राजीव जी का जिक्र कर रहे थे, तब कहीं आप ही की पार्टी के लालबहादुर शास्त्री का भी जिक्र कर देते, वे भी हमारे देश के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था, हिन्दुस्तान के किसानों को प्रेरणा दी थी और जो हिन्दुस्तान आजादी के बाद भी विदेशों से अन्न मांग कर के हमारे देश का पेट भरता था, वो देश को पेटभर अन्न पैदा करने के लिए किसानों को प्रेरित करने का काम श्रद्धेय लालबहादुर शास्त्री जी ने किया था..! उनका स्मरण करना चाहिए था, इसमें राजनीति या परिवार वाद नहीं होना चाहिए..! लेकिन प्रधानमंत्री जी, आपने ऐसा क्यों किया..? मैं ये तो समझता हूँ कि आप अटल जी को याद ना करें, आपकी मर्यादाएं मैं समझता हूँ, लेकिन आप लालबहादुर शास्त्री जी को याद ना करें ये बात हमारे गले नहीं उतरती है..! सरदार पटेल, जिन्होंने जीवन भर कांग्रेस के लिए अपना जीवन खपाया था, उनको याद ना करें तब जा कर के दिल को चोट पहुंचती है..!

प्रधानमंत्री जी, कल जो नौसेना की दुर्घटना घटी उसकी पीड़ा हम सबको है। उत्तराखंड में यात्रियों की सेवा करते-करते जान की बाजी लगाने वाले हमारे शहीदों के प्रति हमें नाज़ है। लेकिन जब आप उत्तराखंड की चर्चा कर रहे थे, तब आपने बहुत बड़ी मात्रा में कहा कि दिल्ली सरकार ने क्या किया, कैसे किया, किस प्रकार से कर रहे हैं... आप देश के प्रधानमंत्री हो, आप लाल किले से बोल रहे हो, पूरा हिन्दुस्तान सुन रहा है, आप कम से कम देश के सवा सौ करोड़ नागरिकों का भी जिक्र करते जो उत्तराखंड के पीड़ितों के साथ खड़े थे..! अपनी बुद्घि, शक्ति, क्षमता के अनुसार हर देशवासी ने उत्तराखंड की मदद करने का प्रयास किया है, कभी उनका भी जिक्र करना चाहिए था..! इतना ही नहीं, हिन्दुस्तान की सभी सरकारें, मैं गुजरात की बात नहीं कर रहा हूँ, हिन्दुस्तान की सभी सरकारें, चाहे केरल हो, तमिलनाडु हो, नॉर्थ-ईस्ट हो, सभी सरकारों ने उत्तराखंड की मदद के लिए अपनी शक्ति झोंकने की कोशिश की। प्रधानमंत्री जी, पीड़ा की बात करते समय अच्छा होता अगर आप उनका भी स्मरण कर देते, उनको भी दो शब्दों में याद कर लेते, तो भारत की शक्ति का लोगों को परिचय होता, एहसास होता, अपनापन का भाव पैदा होता..! लेकिन प्रधानमंत्री जी, आप एक परिवार की भक्ति में इतने डूब गए हो कि आप देश के इतने बड़े विशाल फलक को पहचानने में नाकाम हो गए हो, और उसके कारण देश को चिंता हो रही है..!

मैं हैरान हूँ कि देश में सबसे अधिक समय झंडा फहराने वाले लोगों में आपका नाम दर्ज हो गया, लेकिन उसके बाद भी आप लाल किले पर से वही बोल रहे हो जो पंडित नेहरू ने पहले भाषण में बोला था..! पंडित नेहरू ने जिन मुसीबतों को पहले भाषण में गिनाया था, उन्हीं मुसीबतों को आपने भी गिनाया..! तो सवाल ये उठता है कि साठ साल आपने क्या किया..? देश पूछना चाहता है, अगर वैसी की वैसी मुसीबतें धरी की धरी रह गई तो फिर आप लोगों ने देश को क्या दिया..?

भाइयों-बहनों, आज मैं बहुत ही दु:खी होकर के बोल रहा हूँ..! मैं हिन्दुस्तान के आखरी छोर से, अकाल पीड़ित, मरूभूमि कच्छ की सीमा पर से बोल रहा हूँ, जिससे मेरी आवाज पाकिस्तान को तो पहले सुनाई देती है, दिल्ली को तो बाद में सुनाई देती है..! मैं पाकिस्तान की सीमा पर से बोल रहा हूँ। प्रधानमंत्री जी, आपने देश की आर्थिक स्थिति में भी नरसिम्हा राव जी के समय का जिक्र किया, लेकिन आज रूपया जिस प्रकार से गिर रहा है, रूपये की कीमत तबाही के कगार पर आकर के खड़ी है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है..? मान लो, आज के अवसर पर जिम्मेवारी तय ना भी करें, लेकिन कम से कम आप देश को बताते कि रूपया ताकतवर कैसे बनेगा, कौन से आर्थिक कदम उठाएं जाएंगे..! इसके बजाए आपने क्या कहा कि ये वैश्विक मंदी का दौर है और इसलिए हिन्दुस्तान भी उससे अछूता नहीं रह सकता..! प्रधानमंत्री जी, हिन्दुस्तान का कोई राज्य अगर प्रगति नहीं करता, उसको किसी क्षेत्र में रूकावट हो, संकट हो, आगे बढ़ना चाहता हो, और वो राज्य अगर ये कहे कि दिल्ली का संकट हमें भी झेलना पड़ता है तो क्या आप मानने के लिए तैयार हैं..? जैसे हिन्दुस्तान की विकास यात्रा में रूकावट के लिए वैश्विक मंदी आपको कारण लगता है, तो हिन्दुस्तान के राज्यों की विकास यात्रा में रूकावट के लिए भी आपकी नीतियाँ जिम्मेवार हैं..!

भाइयों-बहनों, देश परेशान है..! प्रधानमंत्री जी, आप फूड सिक्योरिटी बिल की क्या चर्चा कर रहे हो। मैंने आपको चिट्टी लिखी है, काश अच्छा होता कि आज देश को आप अपना व्यू पांइट समझाते..! मैंने प्रधानमंत्री जी को चिट्ठी लिखी है कि फूड सिक्योरिटी बिल में बहुत कमियाँ हैं, उसमें सुधार करने की जरूरत है। हमने बिल का विरोध नहीं किया है..! गरीब की थाली में रोटी जाए ये हमारे लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है, लेकिन उसकी जो कमियाँ है उन कमियों को दूर करने का आपका दायित्व बनता है। आप उस पर चर्चा करने को तैयार नहीं हैं..! गरीब की थाली में रोटी परोसने के बजाए दिल्ली की सरकार में बैठे हुए लोग गरीब की खाली थाली में नमक छिड़कते जा रहे हैं..! कोई कहता है पाँच रूपए में खाना मिल जाता है, कोई कहता है बारह रूपये में खाना मिल जाता है, और इतने विश्वास के साथ बोल रहे हैं कि बस, घर से बाहर निकलते ही मिल जाएगा..! और प्रधानमंत्री जी, हमने आपको जो सवाल पूछा कि आज हिन्दुस्तान के अंदर अंत्योदय अन्न योजना के कारण गरीबों को जो लाभ मिल रहा है, क्या फूड सिक्योरिटी बिल के कारण उनको कोई नया लाभ मिलने वाला है..? आज पूरा हिन्दुस्तान, सभी राज्य अपनी तिजोरी से दो रूपये किलो गेहूँ, तीन रूपये किलो चावल गरीबों को देते हैं, सब सरकारें देती हैं, तो आपका कानून क्या नया लेकर आया है..? इतना ही नहीं, अंत्योदय अन्न योजना में आपका कानून ना संख्या में वृद्घि करता है, ना जत्थे में वृद्घि करता है, ना उसकी कीमत में कटौती करता है, और फिर आप कहते हैं कि गरीब के लिए फूड सिक्योरिटी लाए हैं..? मित्रों, सामान्य समझ का विषय है, मेरे देशवासियों सुन रहे हैं लालन कॉलेज के इस मैदान को, हिन्दुस्तान की सीमा पर पड़े हुए जिले को देश सुन रहा है तब मैं कहना चाहता हूँ। सामान्य नियम ये है कि जब आप किसी भी योजना को लागू करते हैं तो लाभार्थियों के पैरामीटर तय होते हैं कि इसमें लाभार्थी कौन होंगे, इसके बाद सर्वे होता है, सर्वे होने के बाद संख्या तय होती है और संख्या के अनुसार व्यवस्थाएं खड़ी की जाती हैं, बजट बनाया जाता है। ये पहली बार देश में हुआ कि आपने दिल्ली में बैठ कर के तय कर दिया कि उस राज्य में इतने करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा, उस राज्य में इतने लाख लोगों का लाभ मिलेगा..! अब उनको कहा जा रहा है कि हमने जो संख्या तय की है उसके नीचे किसको मिले वो आप खोजो..! हिन्दुस्तान का एक राज्य एक तरीके से सोचेगा, दूसरा राज्य दूसरे तरीके से सोचेगा..! समानता का जो हक दिया है संविधान ने, उसी को आप लोगों ने नकार दिया है..! और मुझे चिंता है कि कहीं ये फूड सिक्योरिटी भी कानूनी दायरे में फंस ना जाए और गरीब की थाली में फिर एक बार संकट पैदा हो जाए ऐसा काम आप कर रहे हैं..! भाइयों-बहनों, इतना ही नहीं, आपको जानकर हैरानी होगी कि आज गुजरात में बी.पी.एल. परिवार को पैंतीस किलो अन्न मिलता है, फूड सिक्योरिटी के बाद वो पैतींस का पच्चीस हो जाएगा..! मुझे बताइए कि ये थाली भरने का कार्यक्रम है कि थाली खाली करने का कार्यक्रम है..! प्रधानमंत्री जी, देश इन विषयों की चर्चा चाहता है और इसलिए हमने फूड सिक्योरिटी बिल को अच्छा बनाने के लिए मुख्यमंत्रियों की मीटिंग की मांग की। आपको गरीब की चिंता होती तो मुख्यमंत्रियों की मीटिंग बुलाते, उसकी कमियाँ दूर करते, कमियाँ दूर करके गरीब को अधिक लाभ कैसे मिले इसके लिए कोई फुलप्रूफ व्यवस्था हम खड़ी करते..!

इतना ही नहीं भाइयों, एक ऐसी कमाल की है दिल्ली के कानून ने, उन्होंने कहा है कि अगर देश में अकाल हुआ हो, अन्न की पैदावार कम हुई हो और राज्यों को अन्न की जरूरत होगी तो भारत सरकार अन्न नहीं देगी, वो बदले में सिर्फ पैसे दे देगी। ये राज्य का काम होगा कि वो दुनिया में कहीं से भी अन्न जुटा कर ले आए..! अरे प्रधानमंत्री जी, एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट पूरी तरह से आपके हाथ में हैं, राज्य बेचारा कहाँ जाएगा, नॉर्थ-ईस्ट के छोटे-छोटे राज्य कहाँ जाएंगे दुनिया में अनाज खोजने के लिए, उनको चावल चाहिए तो वो किस देश में जाएंगे..? ये भारत सरकार की जिम्मेवारी होनी चाहिए कि अगर अन्न का अभाव हो तो राज्यों को विदेशों से अन्न लाकर पहुंचाए, ये दिल्ली सरकार का दायित्व होना चाहिए..! ये राज्यों पर थोप कर के लोगों को भूखे रखने का काम नहीं होना चाहिए..!

भाइयों-बहनों, छोटे-छोटे विषय है, लेकिन आप देखिए देश महंगाई में किस प्रकार से डूब रहा है, मंहगाई ने किस प्रकार से देश को परेशान किया है..! गरीब के घर में रात को चूल्हा नहीं जल रहा है। गरीब की माँ बेटे को शांत करने के लिए रात-रात भर रोती रहती है। क्या प्रधानमंत्री जी, आजादी के इतने सालों के बाद गरीब रात को खाना खा कर सो सके इतना प्रबंध करना हम लोगों का दायित्व है कि नही है..? इस दायित्व को हमें निभाना चाहिए कि नहीं निभाना चाहिए..? हम उस काम को नहीं कर रहे हैं..!

प्रधानमंत्री जी, आज मैं देश की सभी मीडिया चैनलों पर एक बात सुनकर के हैरान था। देश की सभी मीडिया चैनल एक बात बार-बार कह रही थी कि लाल किले से प्रधानमंत्री का ये आखिरी भाषण है..! ये आखिरी भाषण है ऐसा सभी चैनल ने कहा है। एक तरफ देश का मीडिया कह रहा है कि प्रधानमंत्री का ये भाषण आखिरी है, और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि अभी हमें और फासला तय करना है..! ये कौन सा फासला तय करेंगे..? किस रॉकेट में बैठ कर फासला तय करोगे, प्रधानमंत्री जी..? देश को गरीबी की गर्त में डूबो दिया है, देश को भ्रष्टाचार में डूबो दिया है, देश को तबाही के कगार पर ला कर खड़ा कर दिया है, सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा है, और तब देश की जनता एक नई उम्मीद के लिए तड़प रही है, नई सोच के लिए तड़प रही है..! जब आजादी का जश्न मना रहे हैं तब हम सबके लिए आवश्यक है कि हम संकल्प करें, जैसे हमने भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाया, वैसे ही हम भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करवाएंगे..! जैसे हमने भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाया, वैसे हम भारत को महंगाई से मुक्त करवाएंगे..! जैसे हमने भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाया, वैसे हम भारत को पुरानी सोच, घिसी-पिटी सोच से मुक्त करवाएंगे, हम भारत को अविश्वास के इस वायुमंडल से मुक्त करवाएंगे..! हम एक विश्वास का सेतु पैदा करेंगे..! देश का भरोसा टूट चुका है, जन-जन का भरोसा टूट चुका है, उस जन-जन के भरोसे को फिर से एक बार जगाने के लिए, देश की जनता को भरोसा पैदा हो ऐसे कुछ ठोस कदम उठाएंगे..! भाइयों-बहनों, देश को भाई-भतीजेवाद से मुक्ति चाहिए, देश को शासकों के अंहकार से मुक्ति चाहिए, देश को परिवार वाद से मुक्ति चाहिए, देश को असुरक्षा की भावना से मुक्ति चाहिए, देश को अशिक्षा और अंधश्रद्धा से मु्क्ति चाहिए..! और इसलिए हम सभी को मिल कर के इन फासलों को तेजी से दूर करना होगा। ये फासले शायद जनता को नए फैसले लेने के लिए मजबूर करने वाला हैं। देश की जनता नए फैसले करने के लिए मजबूर हो जाएगी क्योंकि इन फासलों की बातों में अब उनका भरोसा नहीं रहा है..!

भाइयों-बहनों, आज गुजरात ने विकास की यात्रा में कदम उठाए हैं। हमने कभी ये नहीं कहा है कि आज गुजरात जहाँ पहुंचा है वो सिर्फ मोदी सरकार के कारण पहुंचा है। हमने डंके की चोट पर एक बार नहीं, कई बार कहा है कि गुजरात आज जहाँ पहुंचा है उसमें मेरे साढ़े छह करोड़ गुजरातियों का सबसे बड़ा योगदान है। गुजरात आज जहाँ पहुंचा है उसमें गुजरात में अब तक काम करने वाली सभी सरकारों को योगदान है। गुजरात आज जहाँ तक पहुंचा है उसमें गुजरात के सभी मुख्यमंत्रियों का योगदान है। ये सब की मिली जुली ताकत का परिणाम है कि हम यहाँ पहुंचे हैं..! लेकिन हमने गति बढ़ाई है, हमने दिशा तय की है, हमने लक्ष्य तय किये हैं, हमने परिणाम के विषय में बड़ी कठोरता से मानदंड तय किये हैं और उसी का परिणाम है कि आज भारत सरकार की खुद की डिपार्टमेंटल रिपोर्ट कहती है कि हिन्दुस्तान में सबसे कम बेरोजगार किसी राज्य में हैं तो उस राज्य का नाम गुजरात है..! प्रधानमंत्री जी, आपकी सरकार ने हमें कई अवॉर्ड दिए हैं, स्वयं आपने हमें अवॉर्ड दिए हैं..! मैं प्रधानमंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि क्या कारण है कि सर्वाधिक अवॉर्ड हिन्दुस्तान में उन सरकारों को मिल रहे हैं जिन सरकारें आपके दल को पंसद नहीं है, चाहे मध्य प्रदेश की सरकार हो, चाहे छत्तीसगढ़ की सरकार हो, पिछले दिनों अभी जो चुनाव में हार गई वो कर्नाटक की सरकार हो, चाहे शिक्षा क्षेत्र में हिमाचल की सरकार हो और गुजरात का नाम तो हर बार आता है..! और इसलिए मैं कहना चाहता हूँ कि प्रधानमंत्री जी, आज देश में आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति को हमारी योजनाओं का लाभ कैसे मिले इस पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है..!

इस देश में श्रीमती इंदिरा गांधी के जमाने से गरीबों की सहायता के लिए 20 पाइंट प्रोग्राम चलता है और भारत सरकार उस पर मॉनिटरिंग करती है। पहले हर छह महीने में इसका रिपोर्ट निकलता था। किस राज्य ने गरीबों की भलाई के लिए कितना परफार्मेंस किया, इसका सारा खाका निकलता था और देश के सामने रखा जाता था। लेकिन जब मैंने इस खाके का अभ्यास किया तो ध्यान में आया कि कांग्रेस और कांग्रेस के मित्र राज्यों की सरकारें श्रीमती इंदिरा गांधी के गरीबों की भलाई के बीस मुद्दे के कार्यक्रम को लागू करने में विफल रही है और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी और उसके साथी दलों के द्वारा चुनी गई सरकारों ने बीस मुद्दों के अमलीकरण में, गरीबों की भलाई के लिए जो काम करना चाहिए उस काम में आज हिन्दुस्तान में सबसे अधिक काम किया है। प्रधानमंत्री जी, पहले एक से पाँच में वो ही सरकारें आती हैं, आप जिनको प्रेम करते हैं वो सरकारे नहीं आती हैं..! और जब ये बात ध्यान में आई तो आपने सुधार करने का रास्ता नहीं सोचा, गलतियाँ कम करने का मार्ग नहीं सोचा, आपने ये सोचा कि अब इसका मॉनिटरिंग नहीं होगा, अब इसका खाका घोषित नहीं किया जाएगा, ये रैंक नहीं दिया जाएगा, क्योंकि अगर देश को पता चल जाए कि गरीबों की भलाई के लिए काम करने वाली सरकारें और हैं और गरीबों की भलाई में उदासीनता रखने वाली सरकारें और हैं तो आपके लिए संकट पैदा होगा और इसलिए आपने नियम बदल दिए..! खेल के मैदान में आने के बाद खेल के नियम बदल देते हो..! प्रधानमंत्री जी, देश की मांग है कि आओ, हम स्पर्धा करें..!

प्रधानमंत्री जी, आज देश जब तिरंगा झंडा लहरा रहा है तब आपकी एक बिग्रेड सिर्फ कम्प्यूटर पर जा कर के बैठी है..! तिरंगे झंडे को सलाम करने के लिए उनके पास समय नहीं है। वंदे मातरम्, जनगणमन गाने के लिए उनके पास समय नहीं है, लेकिन वो कम्प्यूटर पर बैठ कर के मोदी को गालियाँ कैसे दी जाएं इसी में व्यस्त हैं। अरे कम से कम आज आजादी के पर्व पर तो तिरंगे के सामने सिर झुका देते, कम से कम आज तो वंदे मातरम्, जनगणमन का गान करके एक नई प्रेरणा लेकर के चलते..! लेकिन उनके लिए मोदी से बाहर कोई दुनिया हीं नहीं, उनकी दुनिया मोदी में सिमट गई है..! और इसलिए पीड़ा होती है..! प्रधानमंत्री जी, मैं आह्वान करता हूँ कि आइए, इतना बड़ा हिंदुस्तान का कारोबार आपके पास है, हम एक छोटे से राज्य का कारोबार चला रहे हैं। आइए, गुजरात और दिल्ली की स्पर्धा हो जाए..! विकास की स्पर्धा हो..! आप विकास के क्षेत्र में क्या कर रहे हैं, हम विकास के क्षेत्र में क्या कर रहे हैं..! हमारी कमियाँ भी बाहर आए, आपकी अच्छाइयाँ भले बाहर आएं, लेकिन देश में एक तंदरूस्त माहोल बनेगा। विकास की चर्चा होगी, कौन राज्य पीछे रह गया, कौन इलाका पीछे रह गया उस पर हमारा ध्यान केन्द्रित होगा। आज आजादी के इतने वर्षों के बाद सबसे अधिक यदि स्पर्धा करने की आवश्यकता है, तो वो है विकास की स्पर्धा, सुशासन की स्पर्धा..!

सामान्य नागरिक को उसके हक जो कानून ने दिये हैं वो उन्हें मिलने चाहिए। वो हक के लिए तड़प रहा है। हमें अपना वर्क कल्चर बदलना पड़ेगा, हमें हमारी निर्णय प्रक्रिया बदलनी पड़ती है। कभी-कभी तो मैं कहता हूँ, हिन्दु परंपरा में अगर कोई व्यक्ति चार धाम की यात्रा करता है तो उसे मोक्ष मिल जाता है। लेकिन सरकार का कारोबार ऐसा है कि फाइल बेचारी 40-40 धामों का यात्रा करे, 40-40 टेबल पर जाए उसके बाद भी उस फाइल का मोक्ष नहीं होता है..! क्या हम व्यवस्थाएं नहीं बदल सकते..? हाँ, मैं ये नहीं कह रहा हूँ कि गुजरात सब कर रहा है, लेकिन हम करने का प्रयास कर रहे हैं, हम सही दिशा में जाने की कोशिश कर रहे हैं और मुझे विश्वास है..! प्रधानमंत्री जी, कमियाँ हर व्यवस्था में होती है, लेकिन कमियाँ सोच में नहीं होनी चाहिए..! कमियाँ हर काम में होती है, लेकिन कमियाँ इरादों में नहीं होनी चाहिए..! प्रधानमंत्री जी, गति किसी की कम और किसी की तेज हो सकती है, लक्ष्य नीचा नहीं होना चाहिए..! और इसलिए इस देश का नौजवान तड़पता है, हिन्दुस्तान का नौजवान बेरोजगार है..!

हम कई वर्षों से सुन रहे हैं कि 21 वीं सदी आ रही है, 21 वीं सदी आ रही है... आ गई, पहला दशक चला भी गया, क्या हुआ..? जब अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी का शासनकाल था, उस समय पूरे विश्व में हिन्दुस्तानियों के मन में एक भाव जगा था कि अब देश चल पड़ा है, अब देश उठ खड़ा हुआ है, अब हम 21 वीं सदी में नई ऊंचाइयों को पार करेंगे, ये विश्वास पैदा हुआ था। लेकिन 2004 के बाद वो विश्वास टूट गया..! अब तो गड्ढे में से बाहर कैसे निकले इसके लिए देश छटपटा रहा है..! दस साल के भीतर-भीतर इतना बड़ा गड्ढा हो गया है कि देश उसमें से कैसे बाहर निकले ये चिंता का विषय हो गया है और तब जा कर के प्रधानमंत्री जी, ये देश कहना चाहता है कि राष्ट्र को विकास की नई ऊचाइयों पर ले जाने के लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों में वो जज्बा पैदा करना पड़ेगा..! राज्यों के विकास के बिना ये देश विकास नहीं कर पाएगा। जब राज्य ताकतवर बनेंगे, हमारे राज्यों के सारे पिल्लर मजबूत बनेंगे, हर राज्य समार्थ्यवान होगा तो हमारा हिन्दुस्तान सामर्थ्यवान बनेगा, अगर एकाध राज्य भी दुर्बल रहा तो हिन्दुस्तान कभी सामर्थ्यवान नहीं हो सकता..! और इसलिए आपकी सोच, आपका विचार हिन्दुस्तान के हर राज्य को मजबूत बनाने वाला होना चाहिए, भारत के संघीय ढांचे का सम्मान करना चाहिए, भारत के संघीय ढ़ांचे का गौरव करते हुए, हर राज्यों को साथ लेते हुए निर्णयों को करना चाहिए तब जा करके देश बनता है..!

भाइयों-बहनों, कोई एक जिला आगे बढ़ेगा तो गुजरात आगे बढ़ेगा क्या..? नहीं बढ़ेगा, सभी जिलों में प्रगति होनी चाहिए, सभी तहसीलों में प्रगति होनी चाहिए, हर गाँव में विकास की यात्रा आगे बढ़नी चाहिए, तब जा कर के गुजरात आगे बढ़ता है..! देश का भी ऐसा ही है..! और इसलिए आज 15 अगस्त को गुजरात की जनता के चरणों में हमने सात नए जिले दिए हैं, सात नए जिलों का निर्माण किया है और अब गुजरात 33 जिलों का कारोबार बना है ताकि उन छोटे-छोटे जिलों को विकास करने का नया अवसर मिले, वे अपने जिले के हिसाब से अपनी योजनाएं बना सके, उनको जिले के अंदर नई सरकार की लीडरशिप मिले, नई व्यवस्थाएं मिले। इसके कारण सरकारी तिजोरी पर बोझ आता है, लेकिन ये बोझ जनता की भलाई के लिए है। उन सभी सात जिलों का जो निर्माण हुआ है, आज वहाँ नए कलेक्टरों की नियुक्ति कर दी है, नए कलेक्टर आज वहाँ झंडा भी फहराने वाले हैं, मैं उन सभी सात जिलों को आज पन्द्रह अगस्त के पावन अवसर पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ..! और ये भले ही नए जिले होंगे, लेकिन पुराने जिलों से भी तेज गति से आगे बढ़ जाएगें ऐसी मेरी पूरी श्रद्धा है, पूरा विश्वास है..!

भाइयों-बहनों, हमें अगर गरीबों की भलाई करनी है तो हमारे आदिवासियों की चिंता करनी होगी, समुद्र तट पर रहने वाले हमारे मछुआरों की चिंता करनी होगी, हमारे शहरी गरीबों की चिंता करनी होगी और गरीबी के खिलाफ लड़ना है तो शिक्षा को बल देना पड़ेगा, रोजगार को बल देना पड़ेगा, स्वास्थ्य की चिंता करनी पड़ेगी और हम इन्हीं बातों को लेकर चल रहे हैं। आज मैं कहना चाहता हूँ कि गुजरात ने जो विकास का मॉडल अपनाया है, उस विकास के मॉडल में तीन बातों पर हमने विशेष रूप से बल दिया है। हमने एक तिहाई कृषि क्षेत्र पर बल दिया है, एक तिहाई मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर बल दिया है और एक तिहाई सेवा क्षेत्र पर बल दिया है। हम एक संतुलित विकास के लिए, एक इन्क्लूजिव ग्रोथ के लिए, समाज के हर तबके को जोड़ने के लिए जिस काम में आगे बढ़े हैं उस काम को हम और तेजी से बढ़ाना चाहते हैं..!

प्रधानमंत्री जी, मैं हैरान हूँ, आज आप लाल किले से युनिवर्सिटियों की संख्या गिना रहे थे। हो सकता है किसी डिपार्टमेंट के लिए आपको ज्यादा बोलने की जरूरत होगी, शायद मजबूरी होगी, लेकिन प्रधानमंत्री जी, आपके दस साल हुए हैं, मेरे यहाँ गुजरात में 2001-02 से पहले 11 यूनिवर्सिटीज थीं, आज गुजरात में 42 यूनिवर्सिटीज काम कर रही हैं। प्रधानमंत्री जी, हमने दस साल में 42, फोर्टी टू यूनिवर्सिटीज बनाई हैं..! प्रधानमंत्री जी, विकास की नई ऊंचाइयों को पार करने का काम हमने किया है। शिक्षा के क्षेत्र में काम किया है। ये गुजरात पहला राज्य है जिसने सरकारी प्राथमिक शाला में गुणोत्सव करके सरकार की प्राथमिक शालाओं का ग्रेडेशन किया। हमारे यहाँ बिजनेस स्कूल के ग्रेडेशन होते हैं, इंजीनियरिंग कॉलेज के ग्रेडेशन होते हैं, लेकिन गुजरात अकेला राज्य है जहाँ सरकार की प्राथमिक शाला जो जंगलों में हैं, गरीबों के बीच में हैं, आदिवासी क्षेत्रों में हैं और उनमें ‘ए’ ग्रेड की स्कूल, ‘बी’ ग्रेड की स्कूल, ‘सी’ ग्रेड की स्कूल, ऐसा ग्रेडेशन किया है और उसके सुधार के लिए हमने एक लंबी योजना बनाई है..!

प्रधानमंत्री जी, गुजरात में रोजगार के नए क्षेत्रों पर भी हमने बल दिया है। आपको जानकारी होगी भाइयों-बहनों, खुशी होगी मेरे गुजरात के भाइयों को, गुजरात सरकार में कुल मुलाजिम की संख्या, गवर्नमेंट सर्वेंट की संख्या करीब-करीब पांच लाख है। पिछले दस साल में ढाई लाख लोगों को सरकार में रोजगार देने का काम इस सरकार ने किया है..! ढाई लाख नौजवानों को सरकार में रोजगार मिला इसके कारण एक नई जनरेशन, नई सोच वाली जनरेशन, टैक्नोसेवी जनरेशन आज सरकारी तंत्र में शामिल हुई है। इतना ही नहीं, इसी कार्यकाल में हम गुजरात में 80,000 से ज्यादा नवयुवकों को सरकार में भर्ती करने का एक बहुत बड़ा अभियान चला रहे हैं। पहले एक समय था कि सरकार की एक बड़ी एडवर्टाइजमेंट निकलती थी और इन्टरव्यू के कार्यक्रम चलते थे। हम एक नई पद्घति को ला रहे हैं, उस नई पद्घति के अनुसार सरकारी नौकरी चाहने वाले नौजवानों के लिए एक्जामिनेशन का एक डिपार्टमेंट लगातार काम करता रहेगा और कोई भी नौजवान एक बार, दो बार, तीन बार भी एक्जाम दे सकता है। उसको अवसर मिलेगा और वो एक्जाम मे जा जा कर के अपने गुणांक बढ़ाता जाएगा और एक डेटा बैंक बनाई जाएगी, फिर जो योग्य लोग है उनको इन्टरव्यू में बुलाकर के तत्काल नौकरी दी जाएगी। सारी प्रक्रिया को वैज्ञानिक तरीके से बनाया जा रहा है। सारी प्रक्रिया को संकलित करने का प्रयास किया जा रहा है और उसके कारण अधिकतम नौजवानों को रोजगार मिले, जल्दी से जल्दी रोजगार की व्यवस्था हो, इसकी हम चिंता करने वाले हैं। इतना ही नहीं, गुजरात के अंदर प्राइवेट सेक्टर में गुजरात के नौजवानों को रोजगार मिले, वे सम्मान के साथ जी सके, अपने माँ-बाप का भरोसा टूटे नहीं, माँ-बाप ने बच्चों को पेट काट कर बड़ा किया हो, पढ़ाया हो, वो माँ-बाप के लिए बोझ ना बने ये देखना हमारा जिम्मा है और इसलिए हमने स्किल डेवलपमेंट का अभियान चलाया है। प्राइवेट सेक्टर में, स्वरोजगार के क्षेत्र में हमारे नौजवानों को रोजगार मिले उस दिशा में हमने कदम उठाएं हैं। और प्रधानमंत्री जी, स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में आपने स्वयं ने गुजरात को श्रेष्ठतम काम के लिए सबसे बड़ा सम्मान दिया है, पिछले साल आपने हमको बुला करके अवॉर्ड दिया है। ये काम हमारे गुजरात की धरती पर नौजवानों के लिए किया जा रहा है..!

हमने कृषि में आधुनिक टैक्नोलॉजी आए इसके लिए आने वाले नौ और दस सितंबर को गुजरात में जैसे इज़राइल में किसानों के लिए एग्रीकल्चर फेयर होता है, हम गुजरात के अंदर हमारा किसान टैक्नोलॉजी के साथ कैसे जुड़े इसके लिए एक एग्रोटैक फेयर का आयोजन किया है। मैं देश भर के किसानों को निमंत्रण देता हूँ कि नौ और दस सितंबर को गुजरात आएं, दुनिया भर में कृषि के क्षेत्र में नई टैक्नोलॉजी क्या आई है वो आप देखिए..! हम उस टैक्नोलॉजी के माध्यम से हमारी सीमित जमीन में उत्पादकता कैसे बढ़ाएं, हमारे पशु कम हैं तो दूध ज्यादा कैसे उत्पादित हो, हमारे एग्रीकल्चर व्यवस्था में मूल्य वृद्घि कैसे हो, वैल्यू एडिशन कैसे हो, इसके लिए हम सब काम करें और इसलिए हमने एक नया, एक वैश्विक स्तर का, पूरे एशिया को संकलित करने वाला एक ग्लोबल एग्रोटैक फेयर गुजरात में आयोजित किया है। मुझे विश्वास है, मेरे देश के किसान गुजरात के इस प्रयास को देखने के लिए आएंगे..!

आज दुनिया में दूध के क्षेत्र में हमने गुजरात का नाम रोशन किया है। हमारे किसानों ने किया है, हमारे पशुपालकों ने किया है। और इसकी ऊचांई कहाँ तक पहुंची है..! ये हमारे कच्छ में, पाकिस्तान की सीमा पर, रेगिस्तान के अंदर, जहाँ कभी 45-50 डिग्री टैम्प्रेचर होता है और कभी माइनस 3-4 डिग्री टैम्प्रेचर भी होता है, वहां एक बन्नी की भैंस होती है, और दोनों ऐक्सट्रीम वेदर के बीच भी उसके दूध के उत्पादन में कमी नहीं होती है, उसकी जीने की ताकत कुछ विशेष है। हमने पिछले कई वर्षों से प्रयास किया और भारत सरकार से जेनेटिकली स्पेशल यूनिट स्पेसिफाइड है, उस प्रकार से उसको स्वीकृति मिली है। और वो हमारी भैंस की कीमत क्या है..? अगर आज आपको हमारी बन्नी की भैंस खरीदनी है तो दो नैनो कार बेचनी पड़ती है, तब एक बन्नी की भैंस आती है..! ये काम कच्छ की धरती पर रेगिस्तान में करके दिखाया है..!

ये हमारा कच्छ का किसान आज दुनिया के बाजार में एग्रीकल्चर प्रोडक्ट एक्सपोर्ट कर रहा है। हमारे कच्छ की केसर केरी दुनिया के बाजार में बिकने लगी है। हमारा किसान आज दुनिया के बाजार में पहुंच रहा है। अगर हम हिन्दुस्तान के किसानों को वैज्ञानिक तौर-तरीकों की ओर ले जाएं, आधुनिक सुविधाओं की ओर ले जाएं, तो मुझे विश्वास है कि देश का किसान ना सिर्फ देश में अन्न के भंडार भरेगा, लेकिन देश का किसान हिन्दुस्तान की तिजोरी भी भर देगा, ये ताकत हमारे देश के किसान में है। आज जो करंट अकांउट डेफिसिट का मुकाबला कर रहे हैं, संकटों से घिरे हैं, वही हिन्दुस्तान का किसान दुनिया का पेट भरने के लिए सामर्थ्यवान बन सकता है। और अब एक्सपोर्ट-इम्पॉर्ट के बीच में जो एक बहुत बड़ी खाई पैदा हो गई है, इसको भरने में जिस प्रकार से कारखाने में काम करने वाला कारीगर काम करता है, उसी प्रकार से खेत में काम करने वाला मेरा किसान भी योगदान दे सकता है..!

भाइयो-बहनों, आइए, ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ बनाने का सपना पूरा करने के लिए हम आगे बढ़ें..! और मैं एक बात साफ कहना चाहता हूँ कि सरकार की जिम्मेवारियां होती हैं, सरकार का एक धर्म होता है, सरकार की अपनी कार्यशैली होती है और मैं जब ये कहता हूँ तब मैं आज मेरे हिन्दुस्तान के भाइयों-बहनों को कहना चाहता हूँ, सरकार गुजरात की हो या दिल्ली की हो, सरकार राज्य की हो या देश की हो, ये बात साफ है कि सरकार का एक ही मजहब होता है, ‘इंडिया फर्स्ट’..! सरकार का एक ही धर्मग्रंथ होता है, भारत का संविधान..! सरकार की एक ही भक्ति होती है, भारत भक्ति..! भारत भक्ति ही सरकार की भक्ति होती है। सरकार की एक ही शक्ति होती है, जन शक्ति..! सवा सौ करोड़ देशवासियों की जन शक्ति ही देश की शक्ति होती है। सरकार की एक ही पूजा होती है, सवा सौ करोड़ देशवासियों की भलाई..! सरकार की एक ही कार्यशैली होती है, सरकार की एक ही पूजा पद्घति होती है, ‘सबका साथ, सबका विकास’..! सबको साथ लेना होगा और सबकी भलाई के लिए आगे बढ़ना होगा, इसी मंत्र को लेकर के गुजरात ने विकास की यात्रा में अपने कदम रखे हैं। हम गुजरात की भलाई के लिए और भी शक्ति के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। ईश्वर का आशीर्वाद बना रहे और जनता जनार्दन ईश्वर का रूप होती है, जनता जर्नादन का भी आशीर्वाद बना रहे। इस वर्ष परमात्मा ने भी कृपा की है, कच्छ में भी देर से ही सही, लेकिन बारिश ने अपनी वर्षा की है। आइए, हम हिन्दुस्तान को हरा-भरा बनाएं, हिन्दुस्तान के गरीब की थाली को हरी-भरी बनाएं, हिन्दुस्तान की तिजोरी को हरी-भरी बनाएं, हिन्दुस्तान के हर सपनों को हरा-भरा करके हम भारत माँ की आजादी के लिए लड़ने वाले उन सभी शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दें, इसी एक अपेक्षा के साथ, मेरे साथ बोलें, पूरी ताकत के साथ बोलें...

भारत माता की जय..! भारत माता की जय..!

वंदे मातरम्..! वंदे मातरम्..! वंदे मातरम्..!

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।