जुलाई, २०१२

महात्मा मंदिर, गांधीनगर

भी महानुभावों तथा युवा मित्रों, आज चार जुलाई है। आज से ११० साल पहले स्वामी विवेकानंद का देहावसान हुआ था। ११० पहले आज की तारीख को स्वामी विवेकानंद इस जगत को छोड़ कर परलोक सिधार गए थे। परंतु उस समय अपने जीवनकाल के दौरान स्वामी विवेकानंद ने खुद कहा था और उनके जाने के बाद इस देश के अनेक महानुभावों ने भी कहा है तथा हम सब भी महसूस कर रहै हैं। उन्होंने कहा था कि इस शरीर के साथ मेरा संबंध तो बहुत छोटा है। सिर्फ ३९ साल की युवा अवस्था में समस्त विश्व को अचंभित करके विवेकानंद ने इस दुनिया से विदा ली। उन्होंने कहा कि शरीर के साथ तो मेरा संबंध बहुत छोटा है, पर मैं जन्म जन्मान्तर तक अपने मिशन की पूर्ति के लिए अविरल प्रयास करता रहूँगा। इस राष्ट्र के अनेक महापुरुषों, महात्मा गांधी से लेकर सुभाष चंद्र बोस हों या फिर अरविंद जी हों, सभी ने कहा है कि विवेकानंद जी आज भी इस राष्ट्र को प्रेरणा देते हैं और सामर्थ्य भी देते हैं। आज उनकी पुण्य तिथि पर हम एक ऐसा काम आरंभ कर रहे हैं, एक विचार को आज हकीकत में बदल रहे हैं, जिसका असर पीढिय़ों तक रहने वाला है।

दोस्तों, आज का यह घटनाक्रम सिर्फ कोई नई योजना की शुरूआत ही नहीं है। आज का यह अवसर गुजरात के लोगों को सिर्फ कम्प्यूटर के साथ जोडऩे का ही नहीं है। आज का अवसर वर्तमान पीढ़ी को आने वाली पीढ़ी के साथ जोडऩे का एक सफल प्रयास भी है। दोस्तों, आज दुनिया बदल चुकी है। दुनिया बदल रही है और इस बदलती दुनिया को जो नहीं जान पाएगा, बदलती दुनिया को जो स्वीकार नहीं कर पाएगा, तो वह काल-बाह्य हो जाएगा, इरेलवन्ट हो जाएगा। हम सिर्फ अपनी ही दुनिया में मस्त रहकर बाकी की दुनिया को देखते रहेंगे। मित्रों, बारह सौ साल की गुलामी में देश ने जो पिछड़ापन भोगा है, फिर से वही हालात बन जाएंगे। हिंदुस्तान को पिछड़ेपन के ग्रहण से मुक्त करवाने का संकल्प करना होगा. और आज जब हम स्वामी विवेकानंद की १५० वीं जंयती मना रहे हैं तब प्रत्येक युवा का एक सपना हो कि हमसे जितना हो सकता हो उतना, जहाँ भी होंगे, जो कोई छोटी-बड़ी जिम्मेदारी होगी उसकी मदद से, ईश्वर ने जो भी क्षमता मुझे दी है उसके भरोसे, इस देश से पिछड़ापन समाप्त करने के लिए भागीरथ, अविरल, अखंड, एकनिष्ठ पुरूषार्थ करते रहेंगे। यह संकल्प हर एक का होना चाहिए और इस संकल्प को पूरा करने के लिए अपने स्तर पर कोई ना कोई नई शुरूआत करनी होगी।

श्वर चन्द्र विद्यासागर जैसे महापुरुषों ने समाज सुधारक के रूप में अपने समय में आधुनिक शिक्षा को लेकर जब अलख जगाई होगी तब समाज को लगा होगा कि इन सब की क्या जरूरत है? परंतु ऐसे महापुरूषों के कारण ही सौ साल, सवा सौ साल, देढ़ सौ साल की अवधि में समाज में बदलाव आने शुरू होते हैं। भाइयों-बहनों, आज शायद यह टेक्नोलोजी, यह इन्फर्मेशन टेक्नोलोजी, यह बायो टेक्नोलोजी यह नैनो टेक्नोलोजी, यह लाइफ साइंस, यह सभी शब्द अनोखे लगते होंगे। परंतु यह बात सत्य है कि टेक्नोलोजी ने समस्त जगत को प्रभावित किया है, मानव जाति को प्रभावित किया है और टेक्नोलोजी के बिना जीवन की कल्पना करना भी असंभव सा लगता है और जब टेक्नोलोजी के बिना जीवन ही असंभव है तो नई पीढ़ी इस टेक्नोलोजी से अछूती कैसे रह सकती है? टेक्नोलोजी अलिप्त कैसे रह सकती है? और ऐसी परिस्थिति में आवश्यकता होती है कि समस्त बातों को सरलीकरण करके लोकोपयोगी कैसे बनाया जाए। आवश्यकता होती है कि सहज तथा सरल तरीके से इसे कैसे उपलब्ध करवा सकें। आवश्यकता होती है कि इन सभी बातों को शीघ्र उपलब्ध कैसे करवाया जाए। और एक बार यह सभी चीजें शीघ्र उपलब्ध हो जाएं तो सभी को अपने आप सीखने, समझने तथा उनका उपयोग करना आ जाता है। आप क्लास रूम में भाषण के रूप में कहो कि बैकिंग व्यवस्था में ए.टी.एम. नाम की ऐसी व्यवस्था आने वाली है, जिसमें आप इस तरह पैसे रख सकोगे, ले सकोगे, ऐसा कर सकेंगे, वैसा कर सकेंगे तो कई बार आदमी अपना सर खुजाने लगता है कि अब यह ए.टी.एम. क्या आया नया? लेकिन एक बार ए.टी.एम. लग जाए और फिर एक बार आप उसे ये बताओ की पैसों की लेन देन के लिए यह व्यवस्था है, तो अनपढ़ व्यक्ति भी इसके बारे में समझ जाता है, उसका अमल करता है, जान लेता है। कई लोग होंगे कि जिन्हों ने पहले मोबाइल देखा होगा तो उसको आश्चर्य हुआ होगा, परंतु आज गाँवों में जहाँ जिवन में शिक्षा का अवसर कभी न मिला हो, वे भी मोबाइल से पूरी तरह से परिचित होते हैं। और मैंने तो देखा है कि टेक्नोलोजी का पेनिट्रेशन किस हद तक हो रहा है। एक बार मैं वलसाड जिले के कपराडा तालुका के आदिवासी क्षेत्र में एक छोटे से कार्यक्रम के लिए गया था। काफी अन्दरूनी क्षेत्र है। वहाँ एक डेरी के चिलिंग सेन्टर का उद्घाटन था। और पूरा वनवासी क्षेत्र है, और उन जंगलों के बीच एक छोटे से कमरे में उस चिलिंग सेन्टर को बनाया गया था। लेकिन वहाँ सभा करने की जगह नहीं थी इसलिए वहाँ से तीन किलोमीटर दूर एक शाला के मैदान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। और इस कार्यक्रम स्थल पर दूध भरने वाली बहनें जो होती हैं, आदिवासी बहनें, ऐसी तीस-चालीस बहनें वहाँ हाजिर थी। बाकी कार्यक्रम तीन किलोमीटर दूर था। हमने चिलिंग सेन्टर का उद्घाटन किया। और सभी बहनें सुंदर वेशभूषा के साथ ऐसे तैयार होकर उपस्थित थीं जैसे कि घर में कोई अवसर हो। जब हम वहाँ से समारोह के बाद नीचे उतर रहे थे, तो मैंने देखा कि उन ३०-४० बहनों में से पौने भाग की बहनें ऐसी थीं जो मोबाइल से हमारी फोटो उतार रही थीं। आदिवासी बहनें, कपराडा तालुका के भीतरी आदिवासी विस्तार में। तब उनकों देखकर मुझे सहज कौतुहल हुआ, तो मैं उनके पास गया। मैंने कहा, “बहनों, ये मोबाइल पर फोटो खींच कर आप क्या करेंगी?” आप भी सोचिए, क्या जवाब मिल सकता है, मन में सोच लो। जनाब, उन बहनों ने मुझे कहा कि इसे तो हम डाउनलोड करवा लेंगे। कपराडा तालुका के आदिवासी विस्तार में दूध भरने आने वाली आदिवासी माँ या बहन... वे किसी कॉलेज में डाउनलोड किसे कहते हैं ये पढऩे नहीं गई थी। पर इस बात की जानकारी है कि मैं ये जो फोटो खींच रही हूँ इसे डाउनलोड किया जा सकता है और इस फोटो का प्रिंट-आउट तक उन्हें मिल सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि कोई फॉर्मल व्यवस्था नहीं होने के बाद भी, टेक्नोलोजी आपने आप ट्रैवल करती है। समयानुकूल परिवर्तन के साथ सामाजिक जीवन का अंग बन जाती है, जीवन व्यवस्था का अंग बन जाती है, प्रत्येक व्यक्ति के मन में अपनी जगह बनाने में भी टेक्नोलोजी को वक्त नहीं लगता। और अगर यह स्थिति सहज हो तो हम ‘आएगा तब देखा जाएगा’, ‘अभी तो यह है न’ के बजाए, इसे थोड़ी दूरंदेशी के साथ, एक अवसर के रूप में, ऑपर्च्यूनिटी के रूप में, एक मौके के रूप में देखते हुए आगे क्यों ना बढ़ें? और इस में से हम आगे बढ़ रहे हैं।

भाईयों-बहनों, दुनिया में चर्चा है कि इक्कीसवीं सदी किसकी? पूरा विश्व मानता है कि इक्कीसवीं सदी एशिया की है, पर यह निर्धारित नहीं है कि इक्कीसवीं सदी भारत की होगी या फिर चीन की। स्पर्धा जब हिंदुस्तान और चीन के बीच चल रही है तब हमारे पास इक्कीसवीं सदी हिंदुस्तान की बनाने के महत्वपूर्ण सश्क्त कारक कौन से हैं? हमारी एक सबसे बड़ी ताकत है, इस देश की ६५% जनसंख्या। इस देश की ६५% जनसंख्या ३५ वर्ष से कम उम्र की हैं। यह देश दुनिया का सबसे युवा देश है। यौवन से तरबतर जो भूमि हो, जिस समाज का ६५ प्रतिशत वर्ग ३५ वर्ष से कम आयु का हो, इसके बाहुओं में कितनी ताकत होगी, इसके सपने कितने ऊंचे हो इसका हम अंदाजा लगा सकते हैं। जरूरत है इसको अवसर प्रदान करने की और अगर अवसर देना है तो जिस प्रकार के युग की रचना हुई है उसमें इन सपनों को पूरा करने में युवा शक्ति को शामिल करने की। मित्रों, चीन ने आज से दस वर्ष पहले एक काम किया था। कौन सा काम? उसे लगा कि यदि चीन को इक्कीसवीं सदी में विश्व की एक बड़ी ताकत बनाना है तो चीन के लोगों को अंग्रेज़ी जाननी बहुत जरूरी है। और इसलिए चीन ने चीनी बच्चों को अंग्रेज़ी शिक्षा मिले इसके लिए एक व्यापक अभियान चलाया था। इसमें सफलता मिली कि नहीं, उसका लाभ मिला कि नहीं मिला... पर उसे पता था कि विश्व में अब अकेले चीन के अंदर खुद ताकतवर बनने से काम नहीं चलेगा, विश्व में प्रसारित होना पड़ेगा, फैलना पड़ेगा और उन्होंने इस दिशा में अपने प्रयास प्रारंभ कर दिए थे। मित्रों, अपने गुजरात में वर्षों तक, आपका तो उस समय जन्म भी नहीं हुआ होगा, मित्रों। ‘मगन पांचमावाला’ और ‘मगन सातमावाला’ की चर्चाएं चलती थीं। शिक्षण क्षेत्र में काम करने वाले दो नेता यहाँ थे। एक का कहना था कि अंग्रेज़ी पांचवीं से हो, दूसरे का कहना था कि अंग्रेज़ी सातवीं से हो। इस कारण से यहाँ तो चला था, ‘मगन माध्यम’, गुजराती माध्यम में पढ़ो तो लोग कहते थे, ‘मगन माध्यम’, ऐसे शब्दों को प्रयोग होता था। पूरी दुनिया के सामने गुजरात का नवयुवक आंख से आंख मिलाकर बात कर सके वह सामर्थ्य उसमें होना चाहिए। और गुजराती एक वैश्विक समुदाय है। हमने एक अभियान चलाया ‘स्कोप’ के जरिये, जिसमें हमारा प्रयास था कि बोलचाल जितनी अंग्रेज़ी तो आनी ही चाहिए। इस कारण से इनके लिए रोजगार के अवसर भी बढ़े। आज उसे मॉल में नौकरी चाहिए, सातवीं-आठवीं या दसवीं पास हो तो उसे अमुक पगार मिलती है। परन्तु यदि उसने स्कोप में ट्रेनिंग ली है और पांच-पन्द्रह अंग्रेज़ी वाक्य बोलने का सामर्थ्य आ गया हो, उसकी सॉफ्ट स्किल डेवलप हो गई हो, उसके  व्यवहार की ट्रेनिंग हो गई हो तो उसकी पगार पांच की बजाए सात हो जाती है, सात के बदल ग्यारह हो जाती है। इसकी आवश्यकता बढऩे लगी। मित्रों, मुझे ये कहते हुए गर्व होता है कि गुजरात के स्वर्ण जयंती वर्ष में एक लाख लोग, अंग्रेज़ी बोलना-पढऩा सीखाने का जो प्रयास किया गया था, वह आंकड़ा एक लाख को पार कर गया है और वह काम आज भी चल रहा है।

मित्रों, हमने एक योजना बनाई थी, ‘ज्योतीग्राम’। गुजरात के गाँवों में २४ घंटे बिजली उपलब्ध हो। बहुत लोगों को लगता था कि यह बिजली तो टीवी चलाने के लिए आई है..! नहीं, जिस दिन ज्योतिग्राम योजना पर अरबों-खरबों रूपया खर्च होना शुरू हुआ, तब पता था कि यह ऊर्जा का रोपण किस चीज़ के लिए कर रहे हैं। इसमें से गुजरात के ग्रामीण जीवन को कैसा रूप देना है वह पूरी तरह से ज्ञात था। और एक बार बिजली की सारी व्यवस्था हो गई, फिर कौन सा कार्य उठाया? कम्प्यूटर नेटवर्क खड़ा करने का काम शुरू किया। हार्डवेयर, जहाँ देखो वहाँ, स्कूलों में, पंचायतों में हार्डवेयर दो. फिर शुरू शुरू किया, कनेक्टिविटी दो। नौजवान मित्रों, आपमें से ज्यादातर ग्रामीण परिवेश से हैं। भारत सरकार ने इसके पिछले वर्ष के अपने बजट में कहा था कि हम तीन हजार गाँवों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी का पायलट प्रोजेक्ट करेंगे। छह लाख गाँवों का हिंदुस्तान, इस के सामने तीन हजार गाँवों में भारत सरकार का पायलट प्रोजेक्ट। मुखवास जितना भी लाभ नहीं मिल सकता। मित्रों, मैं यह गर्व के साथ कहना चाहता हूँ कि गुजरात ने चार साल पहले १८,००० गाँवों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी का काम पूरा कर दिया है। बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध करवाया। अब समझ में आता है कि सामाजिक जीवन में टेक्नोलोजी ने इतनी जगह बना ली है कि उसके कारण थोड़ी बहुत टेक्नोलोजी की जानकारी रखने वाले लोगों की भी जरूरत होगी। मित्रों, कल तक बसों में कंडक्टर अपनी गड्डी में से फाड़ कर टिकट काटता था। अब समय ऐसा आनेवाला है कि उसके हाथ में एक छोटा सा उपकरण होगा, और सिर्फ एक बटन दबाकर ही आपको टिकट देता होगा। जिवन के प्रत्येक क्षेत्र में... आप छोटे से रेस्टोरेन्ट में जाओ तो अब वो भजियानंद चाय का बिल लिखता नहीं है। छोटा सा एक डिब्बा लेकर ऐसे-ऐसे दबाता है और तुरंत आपको कहता है कि आप गेट पर जाओ, आपका बिल तैयार होगा। यह बदलाव आ रहा है। तो गुजरात के गरीब परिवार के बच्चों को इस बदले हुए वातावरण में रोजी रोटी मिले, उनका शोषण न हो, उनके पास डिग्री के साथ एक अतिरिक्त गुण हो, वह पांच के बदले सात, सात के बदले नौ, नौ के बदले ग्यारह हजार रूपया कमा सके इस बात को सुनिश्चित करने के अभियान का एक भाग है एम्पावर स्कीम, इलेक्ट्रॉनिक मैन पावर। और मित्रों, भारत सरकार एक साल पहले तीन हजार गाँवों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रारंभ करने का विचार कर रही थी। आज डेढ़ वर्ष हो गया है। उसका क्या हुआ यह तो जांच का विषय है। हमने मार्च के अंत में बजट पास किया और आज चार जुलाई को इस योजना को लागू कर रहे हैं।

मित्रों, बदलते हुए युग में जैसे आज अनपढ़ होना श्राप लगता है, हमें भी चार दोस्तों के बीच अनपढ़ होने की बात हो तो शर्मिंदगी होती है। अनपढ़ होना जैसे अपमानजनक है ऐसे ही आने वाले दिनों में आपको यदि कम्प्यूटर नहीं आता है, आप इन्फोर्मेशन टैक्नोलॉजी से परिचित नहीं हो तो आप दुनिया की नजरों में अनपढ़ ही गिने जाओगे। मैं नहीं चाहता कि मेरे गुजरात का कोई भी नौजवान दुनिया की नजरों में अनपढ़ हो। पूरा विश्व यदि पूछे तो वह कह सके कि हां, मैं ये जानता हूँ। अब गरीब बालक कहाँ जाए? उसे यह सब सीखना हो तो हजार, पन्द्रह सौ, दो हजार रूपया फीस होती है और फीस देने के बाद अगर कोई भगोड़ा मिल गया, तो सबकी फीस भर जाने के बाद कम्प्यूटर ले कर दूसरे गाँव में चला गया हो। गरीब आदमी धोखे का शिकार बन जाए। माताओं और बहनों को सीखना हो तो कहाँ जाएं? और इसी कारण हमने सोचा कि सरकार की अपनी योजना के तहत एक व्यापक अभियान का प्रारंभ किया जाए। जैसे ‘स्कोप’ का व्यापक अभियान शुरू किया, जिसकी वजह से पहले सीखने के लिए लोग ढ़ाई हजार, तीन हजार फीस भरते थे, इसके बदले मुफ्त बराबर दामों में सीखने को मिले ऐसी व्यवस्था की गई, और लोगों को इसका लाभ भी मिला। मित्रों, ये योजना भी कैसी है? अनुसूचित जाति के लिए मुफ्त, अनुसूचित जनजाति के लिए मुफ्त, ओबीसी के लिए मुफ्त, बहनों के लिए मुफ्त तथा अन्य समर्थ लोगों के लिए भी कितनी फीस? पचास रूपया, मात्र पचास रुपया..! पांच-दस कप चाय के दाम में हो जाए। और मुझे पूरी तरह से विश्वास है कि जो यह शिक्षा प्राप्त करेंगे तथा इसके प्रमाण पत्र संलग्न करेंगे, उनकी कीमत बढ़ेगी, बाज़ार में उनका महत्व बढ़ने वाला है। और मित्रों बहुत से लोगों को आश्चर्य होगा कि इस योजना की सफलता किसमें है? मैंने हमारे अधिकारियों को कहा था कि हमने इतनी सारी ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी दी हैं, गाँव-गाँव में कम्प्यूटर लगाए हैं तो मुझे ट्रायल लेना है कि सभी चीजें जनसामान्य के साथ जुड़ने वाली हैं भी कि नहीं और इसलिए मेरा आग्रह था कि ये एम्पावर की जो ट्रेनिंग होने वाली है, उसका रजिस्ट्रेशन लोग ऑन-लाइन करवाएं। पता तो चले कि इस टेक्नोलोजी से हम उनके साथ जुड़ सके हैं नहीं। और आज मुझे यह कहते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि आज शाम पांच बजे तक, आज शाम को जब मैं मंच पर आया तब तक का आंकड़ा कहता हूँ, आज शाम पांच बजे तक ऑन-लाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए एक लाख चार हजार लोगों ने अपना नामांकन करवाया है। और इसमें भी गर्व की बात, ८४% रजिस्ट्रेशन गाँव के लोगों ने करवाया है, १६% शहरी क्षेत्र के रजिस्ट्रेशन हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि तीर बराबर निशाने पर लगा है। क्योंकि इस पूरी योजना का उद्देश्य इस पूरे विषय को गाँव तक पहुँचाना है, गाँव के घर-घर तक पहुँचाना है। क्योंकि शहरों में तो ऐसी छोटी-मोटी सुविधाएं होती हैं, जिसका लाभ मिलता है। यह दोनों के लिए समांतर है, चाहे गाँव हो या शहर, पर गाँव के चौरासी प्रतिशत लोगों का यह उत्साह, यह रजिस्ट्रेशन खुद दर्शाता है कि आज यह योजना सफल हो गई है। उसमें भी एक आनंदप्रद खबर, ये जो एक लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है, उनमें ६६% पुरूष तथा ३४% महिलाएं हैं दोस्तों, ३४% बहनें हैं। यह बड़ी बात है। गुजरात के गाँव की गृहिणी या बेटी इस तरह की शिक्षा को समझे, उमंग के साथ जुड़े, यह बात ही उज्जवल भविष्य का संकेत देती है, दोस्तों और अभी तो इस योजना के विषय में आज अखबारों में जानकारी आई है। इससे पहले समाचार पत्रों में जिस दिन बजट में घोषणा की थी तब थोड़ा बहुत उल्लेख हुआ था। यह बात अभी तो कानों कान पहुंची है, कोई बड़ा कैम्पेन नहीं हुआ है। कैम्पेन शुरू होगा तो शायद आज से होगा। यहाँ सामाचार पत्रों से जुड़े मित्र हैं, टीवी, मीडिया वाले हैं, ये लोग थोड़ा बहुत बताएंगे इसलिए आज शुरूआत होगी। उस के बावजूद भी यदि इतना ज्यादा स्वीकार मिला हो तो उसका अर्थ यह हुआ कि राज्य सरकार ने जनता की नब्ज को पहचानते हुए कितना महत्वपूर्ण काम शुरू किया है इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है।

भाईयों और बहनों, ये बात निश्चित है कि हुनर के बिना सफलता मिलना संभव नहीं है। हम कोई रईस मां बाप के बच्चे नहीं हैं, पाँच पीढ़ियों तक चले ऐसी कुछ विरासत भी हमें नहीं मिली है। अपने पास तो ईश्वर की दी हुई क्षमता है। दो हाथ हैं, दिल है, दिमाग है, इन्हीं के साथ जिंदगी जीनी है। जब यह तय ही हो कि यह ही अपनी पूंजी है तो फिर इस पूंजी में वृद्घि करने का एक मात्र साधन है, हुनर। और ये कौशल वर्धन हो, विभिन्न ऐसी क्षमताओं का अभ्यास हो, इनसे परिचित हों तो जीवन को सफल बनाने के लिए बहुत बड़ी शक्ति मिल सकती है। मित्रों, एक समय था कि गुजरात में टेक्निकल एज्यूकेशन देने वाले कॉलेज की संख्या मात्र ४४२ थीं, २००१ में हमने जब जिम्मेदारी ली तब। आज यह संख्या लगभग १७००-१८०० तक पहुँची है। कहाँ ४४२..! हमने गुजरात की जिम्मेदारी ली तब इस राज्य में ११ यूनिवर्सिटी थीं। आज भाईयों, ४२ यूनिवर्सिटी हैं। यह सब किसके लिए? गुजरात के नौजवानों के लिए, गुजरात की भावी पीढ़ी के लिए, मेरे सामने बैठे इन सक्षम सपनों के लिए, उनके लिए है यह सब कुछ। एक समय था, डिप्लोमा या डिग्री इंजीनियरिंग में पढऩा हो तो मध्यम वर्ग के माँ बाप तो इस बारे में सोच भी नहीं सकते थे। डोनेशन कहाँ से लाएं, बच्चों का दाखिला कहाँ करवाएं..? फिर क्या होता था? भाई, कोई हल नहीं है तो तू अब कहीं से बी.ए., बी.कॉम. कुछ कर ले और तुझे कहीं क्लर्क की नौकरी मिल जाए तो देखना..! अनेक नौजवानों के सपने चूर चूर हो जाते थे। मित्रों, हमने दस सालों में तकनीकी शिक्षा को इतना बल दिया कि २००१ में डिप्लोमा या डिग्री इंजीनियरिंग के लिए शुरूआत में हमारे पास मुश्किल से २३,००० सीटें थीं। आज लगभग १,२३,००० सीटें तकनीकी शिक्षा के लिए उपलब्ध करा दी गई हैं। जिसको भी पढऩा है उसे मुझे अवसर प्रदान करवाना है। गरीब से गरीब परिवार के बेटे या बेटी को लाचारी की जिंदगी नहीं जीनी पड़े इसके लिए काम शुरू किया है। मित्रों, बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जो सातवीं या आठवीं कक्षा के बाद कुछ परिस्थितियों के कारण पढऩा छोड़ देते हैं। या तो वे गलत रास्ते पर चलने लगे होते हैं या फिर कहीं दोस्त ऐसे मिल गए हों और फिर बाद में समझ आने पर आई.टी.आई. में चले गये हों। बेचारा टर्नर बने या फिर फिटर बने या फिर प्लम्बर बने या वेल्डर बने... और उसको यह लगता था कि सब खत्म हो गया, मेरी जिन्दगी तो बस अब यहाँ समाप्त हो गई। मित्रों, इस सरकार ने यह निश्चित किया कि मेरे गुजरात के किसी भी युवक की जिंदगी को, उसके सपने को मैं पूर्ण विराम नहीं लगने दूंगा। मैं फिर से दरवाजे खोलूंगा, मैं फिर से खिड़कियां खोलूंगा, इनमें फिर से सपने संजोऊंगा, उन्हें नई जिंदगी जीने की प्रेरणा दूंगा, उसे नया हौसला दूंगा। अरे, कल जैसा भी बीता हो, आने वाला समय अभी अच्छा हो सकता है ऐसा विश्वास उनको मैं दूंगा। और इसके लिए क्या किया? एक साहसपूर्ण निर्णय किया कि यदि किसी ने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई करके छोड़ दी हो, परन्तु आई.टी.आई. के दो साल पूरे किये हों तो उसे दसवीं का प्रमाण पत्र दूंगा। दसवीं कक्षा करके दो साल आई.टी.आई. के पूरे किए हों तो बारहवीं कक्षा के समकक्ष गिना जाएगा, उसे बारहवीं पास माना जाएगा। इतना ही नहीं, इसके आधार पर यदि उसे डिप्लोमा इंजीनियरिंग करना हो तो दरवाजे खुले, उसमें जा सकता है। उसके बाद उसे डिग्री इंजीनियरिंग करनी हो तो उसमें भी जा सकता है। पहले जो दरवाजे बंद हो जाते थे कि सातवीं या आठवीं छोड़ी तो पूरा हो गया, खेल खत्म..! साहब, यह सब बदल दिया है। किसके लिए? दोस्तों, आपके लिए, गुजरात के आने वाले कल के लिए।

मित्रों, आज मैं आपसे विनती करना चाहता हूँ। मेरे सामने केवल इस सभागृह में ही लोग बैठे हैं ऐसा नहीं है। आई.टी.आई. में, सारे ट्रेनिंग सेन्टर में लाखों नौजवान इस कार्यक्रम में ऑन-लाइन मेरे साथ मौजूद हैं। दूर सुदूर एज्यूकेशन इंस्टिट्यूट में बैठे लोग, नौजवान मुझे सुन रहे हैं। मित्रों, आज मैं आपको कहना चाहता हूँ, सपने देखना बंद मत करना। अरे, कभी कोई बाधाएं आई होंगी, कभी रूकावटें आई होंगी, कभी विफलताओं का सामना करना पड़ा हो, फिर भी अगर उत्तम संकल्प के साथ सपनों को सच्चा करने की जिद होगी, परिश्रम होगा तो आपकी भी सभी इच्छाएं, आकांक्षाएं परिपूर्ण होंगी ये मैं विश्वास के साथ कहना चाहता हूँ। यह राज्य, इस देश की युवा पीढ़ी को, इस देश के युवा लडक़े-लड़कियों को एक अप्रतिम अवसर देने के लिए प्रतिबद्घ है, जिससे वह अपने सभी सपने साकार कर सके, अपने परिवार की आशा- आकांक्षाओं को पूरा कर सके। और एक बात तय मानना नौजवानों, ईश्वर ने मुझे तथा आपको एक समान शक्ति दी है। ईश्वर ने मुझे आप से दो चम्मच ज्यादा दिया है ऐसे भ्रम में रहने की जरूरत नहीं है। ईश्वर ने जितना मुझे दिया है उतना ही आप को भी दिया है। दोस्तों, सपने देखो, संकल्प करो, साहस करो, कदम उठाओ, मित्रों, मंजिल सामने आकर खड़ी हो जाएगी ऐसा मेरा विश्वास है।

रकार के बजट में से इस राज्य में टेक्निकल मैनपावर, तकनीकी मानवशक्ति तैयार करने का जो अभियान शुरू किया है, गुजरात जिस तरह से प्रगति कर रहा है उसमें वह एक नई ताकत के रूप में जुड़ेगा, गुजरात को आगे बढ़ाने में पूरक बनने वाला है। मित्रों, हाल ही में गुजरात में करीब २६,००० जितने लोगों की पुलिस में भर्ती की। और इसमें एक शर्त थी कि जिनको कम्प्यूटर की जानकारी हो सिर्फ वे ही आवेदन करें। दोस्तों, मुझे बड़े आंनद के साथ कहना है कि आज गुजरात के पुलिस मेले में कांस्टेबल लेवल पर काम करने वाले कम्प्यूटर जानकार लोगों की फौज खड़ी हो गई है, एक प्रकार से मेरा यह पूरा विभाग तकनीकी रूप से सक्षम हो गया है। और अगर जो आने वाले दिनों में सभी जगह पर इस प्रकार का मानव संसाधन उपलब्ध हो तो यह राज्य कितनी तीव्र गति से आगे बढ़ सकता है..! उन सपनों को साकार करने के लिए आज यह योजना गुजरात के नौजवानों को समर्पित करता हूँ। इन नौजवान बहनों और नौजवान भाईयों की शक्ति पर मुझे पूरा भरोसा है, मित्रों। इस शक्ति को साथ लेकर हमें आगे बढऩा है और मुझे यकीन है दोस्तों, कि आप भी सपने देखते होंगे। अवसर देने का काम सरकार कर रही है, व्यवस्था खड़ी करने के लिए सरकार दो कदम आगे बढ़ रही है। और निर्धारित परिणाम प्राप्त करने में गुजरात का नौजवान सक्षम है ऐसा मेरा विश्वास है। मित्रों, गुजरात का समृद्घ भावी, उस समृद्घ भविष्य की समृद्घि के आप भी हकदार बनें, समृद्घ भविष्य की समृद्घि के आप भी भागीदार बनें उसके लिए यह एक अवसर है। और आज जब यह अवसर आया है तब, गुजरात भर के कोने-कोने में मेरी इस बात को सुन रहे सभी नवयुवकों को और इस सभागार में मेरे सामने बैठे सभी नौजवानों को सच्चे अर्थ में एक इलेक्ट्रॉनिक मैनपावर के रूप में, एक अतिरिक्त शक्ति वाली मानवशक्ति के रूप में, गुजरात की धरती पर एक नया अध्याय जोड़ने के लिए मैं आप सभी का स्वागत करता हूँ और आप सभी को अंतःकरण से बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूँ, दोस्तों। नौजवानों, आपके सपनों को साकार करने के लिए मैं सदा सर्वदा आप लोगों के साथ हूँ। आपके सपने साकार हों इसके लिए पसीना बहाने के लिए मैं तैयार हूँ। आपकी इच्छाएं, आकांक्षाएं पूरी हों इसके लिए सरकार दो कदम आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। शर्त यह है कि मेरे गुजरात का नौजवान अपना कदम उठाए..! उसकी उंगली पकडऩे के लिए मैं तैयार हूँ, उसका हाथ पकड़ के चलने के लिए मैं तैयार हूँ, उसे मुझसे आगे ले जाने के लिए मैं तैयार हूँ। यह मेरी पूरी सरकार गुजरात की नौजवान पीढ़ी को समर्पित है, उनकी किस्मत को बदलने के लिए समर्पित है, उनके सपने साकार करने के लिए समर्पित है। आओ दोस्तों, मैं जब आपकी उम्र का था तब मुझे ऐसा सौभाग्य नहीं मिला था, दोस्तों। मुझे उस समय ऐसा कोई नहीं मिला था जो इस तरह का विश्वास दे सके। भाइयों-बहनों, आज पूरी की पूरी सरकार आपके विश्वास का श्वास बन कर प्रत्येक पल आपके साथ है। इसके साथ आप भी जुड़ जाओ यही अपेक्षा के साथ, मेरे साथ पूरी ताकत से बोलें...

भारत माता की जय..!!

दोनों मुठ्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलो, दोस्तों

भारत माता की जय..!!

वंदे मातरम्... वंदे मातरम्... वंदे मातरम्..!!

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भाजपा की डबल इंजन की सरकारें सुशासन का प्रतीक बन रही हैं: जयपुर में पीएम
December 17, 2024
प्रधानमंत्री ने राजस्थान में ऊर्जा, सड़क, रेलवे और जल से संबंधित 46,300 करोड़ रुपये से अधिक लागत की 24 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया
श्री मोदी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें आज सुशासन का प्रतीक बन रही हैं
इन 10 वर्षों में हमने देश के लोगों को सुविधाएं प्रदान करने, उनके जीवन से कठिनाइयां कम करने पर बहुत ध्यान दिया है: श्री मोदी
हम समाधान प्रदान करने में विरोध नहीं, बल्कि सहयोग में विश्वास करते हैं: श्री मोदी
मैं वो दिन देख रहा हूं जब राजस्थान में पानी की कमी नहीं होगी, राज्य में विकास के लिए पर्याप्त पानी होगा: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संसाधनों का संरक्षण, पानी की हर बूंद का उपयोग करना केवल सरकार की ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है
राजस्थान में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं, यह इस क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बन सकता है: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

गोविन्द की नगरी में गोविन्ददेव जी नै म्हारो घणो- घणो प्रणाम। सबनै म्हारो राम-राम सा!

राजस्थान के गवर्नर श्री हरिभाऊ बागड़े जी, राजस्थान के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा जी, मध्य प्रदेश से विशेष रूप से आज पधारे हुए हमारे लाडले मुख्यमंत्री मोहन यादव जी, केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी श्रीमान सी. आर. पाटिल जी, भागीरथ चौधरी जी, राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी जी, प्रेम चंद भैरवा जी, अन्य मंत्रिगण, सांसदगण, राजस्थान के विधायक, अन्य महानुभाव और राजस्थान के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों। और जो वर्चुअली हमारे साथ जुड़े हुए हैं, राजस्थान की हजारों पंचायतों में एकत्र आए हुए सभी मेरे भाई-बहन।

मैं राजस्थान की जनता को, राजस्थान की भाजपा सरकार को, एक साल पूरा करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और इस एक साल की यात्रा के बाद आप जब लाखों की तादाद में आशीर्वाद देने के लिए आए हैं, और मैं उस तरफ देख रहा था जब खुली जीप में आ रहा था, शायद जितने लोग पंडाल में हैं तीन गुना लोग बाहर नजर आ रहे थे। आप इतनी बड़ी तादाद में आशीर्वाद देने आए हैं, मेरा भी सौभाग्य है कि मैं आज आपके आशीर्वाद को प्राप्त कर सका। बीते एक वर्ष में राजस्थान के विकास को नई गति, नई दिशा देने में भजनलाल जी और उनकी पूरी टीम ने बहुत परिश्रम किया है। ये पहला वर्ष, एक प्रकार से आने वाले अनेक वर्षों की मज़बूत नींव बना है। और इसलिए, आज का उत्सव सरकार के एक साल पूरा होने तक सीमित नहीं है, ये राजस्थान के फैलते प्रकाश का भी उत्सव है, राजस्थान के विकास का भी उत्सव है।

अभी कुछ दिन पहले ही मैं इंवेस्टर समिट के लिए राजस्थान आया था। देश और दुनियाभर के बड़े-बड़े निवेशक, यहां जुटे थे। अब आज यहां 45-50 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। ये प्रोजेक्ट, राजस्थान में पानी की चुनौती का स्थाई समाधान करेंगे। ये प्रोजेक्ट, राजस्थान को देश के सबसे कनेक्टेड राज्यों में से एक बनाएंगे। इससे राजस्थान में निवेश को बल मिलेगा, रोजगार के अनगिनत अवसर बनेंगे। राजस्थान के टूरिज्म को, यहां के किसानों को, मेरे नौजवानों साथियों को इससे बहुत फायदा होगा।

साथियों,

आज भाजपा की डबल इंजन की सरकारें सुशासन का प्रतीक बन रही हैं। भाजपा जो भी संकल्प लेती है, वो पूरा करने का ईमानदारी से प्रयास करती है। आज देश के लोग कह रहे हैं कि भाजपा, सुशासन की गारंटी है। और तभी तो एक के बाद, एक के बाद एक राज्यों में आज भाजपा को इतना भारी जन-समर्थन मिल रहा है। देश ने लोकसभा में भाजपा को लगातार तीसरी बार देश की सेवा करने का अवसर दिया है। बीते 60 सालों में हिन्दुस्तान में ऐसा नहीं हुआ। 60 साल के बाद भारत की जनता ने तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाई है, लगातार तीसरी बार। हमे देशवासियों की सेवा करने का अवसर दिया है, आशीर्वाद दिए हैं। अभी कुछ दिन पहले ही, महाराष्ट्र में भाजपा ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई। और चुनाव नतीजों के हिसाब से देखें तो वहां भी ये लगातार तीसरी बार बहुमत मिला है। वहां भी पहले से कहीं अधिक सीटें भाजपा को मिली हैं। इससे पहले हरियाणा में लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बनी है। हरियाणा में भी पहले से भी ज्यादा बहुमत लोगों ने हमें दिया है। अभी-अभी राजस्थान के उपचुनाव में भी हमने देखा है कि कैसे भाजपा को लोगों ने ज़बरदस्त समर्थन दिया है। ये दिखाता है कि भाजपा के काम और भाजपा के कार्यकर्ताओं की मेहनत पर आज जनता-जनार्दन का कितना विश्वास है।

साथियों,

राजस्थान तो वो राज्य है जिसकी सेवा का भाजपा को लंबे समय से सौभाग्य मिलता रहा है। पहले भैरों सिंह शेखावत जी ने, राजस्थान में विकास की एक सशक्त नींव रखी। उनसे वसुंधरा राजे जी ने कमान ली और सुशासन की विरासत को आगे बढ़ाया, और अब भजन लाल जी की सरकार, सुशासन की इस धरोहर को और समृद्ध करने में जुटी है। बीते एक वर्ष के कार्यकाल में इसी की छाप दिखती है, इसी की छवि दिखती है।

साथियों,

बीते एक वर्ष के दौरान क्या-क्या काम हुए हैं, उसके बारे में विस्तार से यहां कहा गया है। विशेष रूप से गरीब परिवारों, माताओं-बहनों-बेटियों, श्रमिकों, विश्वकर्मा साथियों, घूमंतु परिवारों के लिए अनेक फैसले लिए गए हैं। यहां के नौजवानों के साथ पिछली कांग्रेस सरकार ने बहुत अन्याय किया था। पेपरलीक और भर्तियों में घोटाला, ये राजस्थान की पहचान बन चुकी थी। भाजपा सरकार ने आते ही इसकी जांच शुरु की और कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं। इतना ही नहीं, भाजपा सरकार ने यहां एक साल में हज़ारों भर्तियां भी निकालीं हैं। यहां पूरी पारदर्शिता से परीक्षाएं भी हुई हैं, नियुक्तियां भी हो रही हैं। पिछली सरकार के दौरान राजस्थान के लोगों को, बाकि राज्यों की तुलना में महंगा पेट्रोल-डीज़ल खरीदना पड़ता था। यहां भाजपा सरकार बनते ही, राजस्थान के मेरे भाइयों-बहनों को राहत मिली। केंद्र सरकार पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के बैंक खाते में सीधे पैसे भेजती है। अब डबल इंजन की राजस्थान भाजपा सरकार उसमें इजाफा करके, अतिरिक्त पैसे जोड़कर किसानों को मदद पहुंचा रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कामों को भी यहां डबल इंजन की सरकार तेजी से जमीन पर उतार रही है। भाजपा ने जो वायदे किए थे, उन्हें वो तेजी से पूरा कर रही है। आज का ये कार्यक्रम भी इसी की एक अहम कड़ी है।

साथियों,

राजस्थान के लोगों के आशीर्वाद से, बीते 10 साल से केंद्र में बीजेपी की सरकार है। इन 10 सालों में हमने देश के लोगों को सुविधाएं देने, उनके जीवन से मुश्किलें कम करने पर बहुत जोर दिया है। आजादी के बाद के 5-6 दशकों में कांग्रेस ने जो काम किया, उससे ज्यादा काम हमने 10 साल में करके दिखाया है। आप राजस्थान का ही उदाहरण लीजिए...पानी का महत्व राजस्थान से बेहतर भला कौन समझ सकता है। यहां कई क्षेत्रों में इतना भंयकर सूखा पड़ता है। वहीं दूसरी तरफ कुछ क्षेत्रों में हमारी नदियों का पानी बिना उपयोग के ऐसे ही समंदर में बहता चला जा रहा है। और इसलिए ही जब अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार थी, तो अटल जी ने नदियों को जोड़ने का विजन रखा था। उन्होंने इसके लिए एक विशेष कमेटी भी बनाई। मकसद यही था कि जिन नदियों में ज़रूरत से ज्यादा पानी है, समुद्र में बह रहा है, उसको सूखाग्रस्त क्षेत्रों तक पहुंचाया जा सके। इससे बाढ़ की समस्या और दूसरी तरफ सूखे की समस्या, दोनों का समाधान संभव था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसके समर्थन में कई बार अपनी बातें बताई हैं। लेकिन कांग्रेस कभी आपके जीवन से पानी की मुश्किलें कम नहीं करना चाहती। हमारी नदियों का पानी बहकर सीमापार चला जाता था, लेकिन हमारे किसानों को इसका लाभ नहीं मिलता था। कांग्रेस, समाधान के बजाय, राज्यों के बीच जल-विवाद को ही बढ़ावा देती रही। राजस्थान ने तो इस कुनीति के कारण बहुत कुछ भुगता है, यहां की माताओं-बहनों ने भुगता है, यहां के किसानों ने भुगता है।

मुझे याद है, मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करता था, तब वहां सरदार सरोवर डेम पूरा हुआ, मां नर्मदा का पानी गुजरात के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंचाने का बड़ा अभियान चलाया, कच्छ में सीमा तक पानी ले गए। लेकिन तब उसे रोकने के लिए भी कांग्रेस द्वारा और कुछ NGO के द्वारा तरह-तरह के हथकंडे अपनाए गए। लेकिन हम पानी का महत्व समझते थे। और मेरे लिए तो मैं कहता हूं पानी पारस है, जैसे पारस लोहे को स्पर्श करे और लोहा सोना हो जाता है, वैसा पानी जहां भी स्पर्श करे वो एक नई ऊर्जा और शक्ति को जन्म दे देता है।

साथियों,

पानी पहुंचाने के लिए, इस लक्ष्य पर मैं लगातारे काम करता रहा, विरोधों को झेलता रहा, आलोचनाएं सहता रहा, लेकिन पानी के महत्मय को समझता था। नर्मदा के पानी का लाभ सिर्फ गुजरात को ही मिले इतना नहीं नर्मदा जी का पानी राजस्थान को भी इसका फायदा हो। और कभी कोई तनाव नहीं, कोई रुकावट नहीं, कोई मेमोरेंडम नहीं, आंदोलन नहीं जैसे ही डेम का काम पूरा हुआ, और गुजरात को हो जाए उसके बाद राजस्थान को देंगे वो भी नहीं, एक साथ गुजरात में भी पानी पहुंचाना, उसी समय राजस्थान को भी पानी पहुंचाना, ये काम हमने शुरू किया। और मुझे याद है जिस समय नर्मदा जी का पानी राजस्थान में पहुंचा राजस्थान के जीवन में एक उमंग और उत्साह था। और उसके कुछ दिन बाद अचानक मैं, मुख्यमंत्री के कार्यालय में मैसेज आया कि भैरों सिंह जी शेखावत और जसवंत सिंह जी वो गुजरात आए हैं और मुख्यमंत्री जी को मिलना चाहते हैं। अब मुझे पता नहीं था वो आए हैं, किस काम के लिए आए हैं। लेकिन वो मेरे दफ्तर आए, मैंने पूछा कैसे आना हुआ, क्यों...नहीं बोले कोई काम नहीं था, आपको मिलने आए हैं। मेरे वरिष्ठ नेता थे दोनों, भैरों सिंह जी की तो उंगली पकड़कर के हम कई लोग बड़े हुए हैं। और वो आकर के मेरे सामने बैठ नहीं हैं, वो मेरा सम्मान करना चाहते थे, मैं भी थोड़ा भौचक्का था। लेकिन उन्होंने मेरा मान-सम्मान तो किया, पर वो दोनों इतने भावुक थे, उनकी आंखें नम हो गई थी। और उन्होंने कहा मोदी जी आपको पता है पानी देने का मतलब क्या होता है, आप इतनी सहज-सरलता से गुजरात नर्मदा का पानी राजस्थान को दें दें, ये बाले, ये मेरे मन को छू गया। और इसीलिए करोड़ राजस्थान वासियों की भावना को प्रकट करने के लिए आज मैं आपके दफ्तर तक चला आया हूं।

साथियों,

पानी में कितना सामर्थ्य होता है इसका एक अनुभव था। और मुझे खुशी है कि माता नर्मदा आज जालौर, बाड़मेर, चूरु, झुंझुनू, जोधपुर, नागौर, हनुमानगढ़, ऐसे कितने ही जिलों को नर्मदा का पानी मिल रहा है।

साथियों,

हमारे यहां कहा जाता था कि नर्मदा जी में स्नान करें, नर्मदा जी की परिक्रमा करें तो अनेक पीढ़ी का पाप धुलकर के पुण्य प्राप्त होता है। लेकिन विज्ञान का कमाल देखिए, कभी हम माता नर्मदा की परिक्रमा करने जाते थे, आज स्वयं माता नर्मदा परिक्रमा करने के लिए निकली है और हनुमानगढ़ तक चली जाती है।

साथियों,

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना...ERCP को कांग्रेस ने कितना लटकाया, ये भी कांग्रेस की नीयत का प्रत्यक्ष प्रमाण है। ये किसानों के नाम पर बातें बड़ी-बड़ी करते हैं। लेकिन किसानों के लिए ना खुद कुछ करते हैं और ना ही दूसरों को करने देते हैं। भाजपा की नीति, विवाद की नहीं संवाद की है। हम विरोध में नहीं, सहयोग में विश्वास करते हैं। हम व्यवधान में नहीं, समाधान पर यकीन करते हैं। इसलिए हमारी सरकार ने, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को स्वीकृत भी किया है और विस्तार भी किया है। जैसे ही एमपी और राजस्थान में भाजपा सरकार बनी तो, पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना, एमपीकेसी लिंक परियोजना पर समझौता हो गया।

ये जो तस्वीर आप देख रहे थे ना, केंद्र के जल मंत्री और दो राज्यों के मुख्यमंत्री, ये तस्वीर सामान्य नहीं है। आने वाले दशकों तक हिंदुस्तान के हर कोने में ये तस्वीर राजनेताओं को सवाल पूछेगी, हर राज्य को पूछा जाएगा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान मिलकर पानी की समस्या को, नदी के पानी के समझौते को आगे बढ़ा सकते हैं, तुम ऐसी कौन-सी राजनीति कर रहे हो कि पानी समु्द्र में बह रहा है तब तुम एक कागज पर हस्ताक्षर नहीं कर पा रहे हो। ये तस्वीर, ये तस्वीर पूरा देश आने वाले दश्कों तक देखने वाला है। ये जो जलाभिषेक हो रहा था ना, ये दृश्य भी मैं सामान्य दृश्य नहीं देखता हूं। देश का भला करने के लिए सोचने वाले विचार से काम करने वाले लोग उनको जब सेवा करने का मौका मिलता है तो कोई मध्य प्रदेश का पानी लेकर आता है, कोई राजस्थान का पानी लेकर आता है, उन पानी का इकट्ठा किया जाता है और मेरे राजस्थान को सुजलाम-सुफलाम बनाने के लिए पुरूषार्थ की परंपरा शुरू कर दी जाती है। ये असाधाारण दिखता है, एक साल का उत्सव तो है ही लेकिन आने वाली सदियों का उज्जवल भविष्य आज इस मंच से लिखा जा रहा है। इस परियोजना में चंबल और इसकी सहायक नदियां पार्वती, कालीसिंध, कुनो, बनास, बाणगंगा, रूपरेल, गंभीरी और मेज जैसी नदियों का पानी आपस में जोड़ा जाएगा।

साथियों,

नदियों को जोड़ने की ताकत क्या होती है वो मैं गुजरात में करके आया हूं। नर्मदा का पानी गुजरात की अलग-अलग नदियों से जोड़ा गया। आप कभी अहमदाबाद जाते हैं तो साबरमती नदी देखते हैं। आज से 20 साल पहले किसी बच्चें को अगर कहा जाए तुम साबरमती के ऊपर निबंध लिखो। तो वो लिखता की साबरमती में सर्कस के तंबू लगते हैं। बहुत अच्छे सर्कस के शो होते हैं। साबरमती में क्रिकेट खेलने का मजा आता है। साबरमती में बहुत अच्छी मिट्टी धूल होती रहती है। क्योंकि साबरमती में पानी देखा नहीं था। आज नर्मदा के पानी से साबरमती जिंदा हो गई और अहमदाबाद में रिवर front आप देख रहे हैं। ये नदियों को जोड़ने से ये ताकत है और मैं राजस्थान का वैसा ही सुंदर दृश्य मेरी आंखों में कल्पना कर सकता हूं।

साथियों,

मैं वो दिन देख रहा हूं जब राजस्थान में पानी की कमी नहीं होगी, राजस्थान में विकास के लिए पर्याप्त पानी होगा। पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना, इससे राजस्थान के 21 जिलों में सिंचाई का पानी भी मिलेगा और पेयजल भी पहुंचेगा। इससे राजस्थान और मध्य प्रदेश, दोनों के विकास में तेजी आएगी।

साथियों,

आज ही ईसरदा लिंक परियोजना का भी शिलान्यास हुआ है। ताजेवाला से शेखावाटी के लिए पानी लाने पर भी आज समझौता हुआ है। इस पानी से, इस समझौते से भी हरियाणा और राजस्थान दोनों राज्यों को फायदा होगा। मुझे विश्वास है कि राजस्थान में भी जल्द से जल्द शत-प्रतिशत घरों तक नल से जल पहुंचेगा।

साथियों,

हमारे सीआर पाटिल जी के नेतृत्व में एक बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। अभी ज्यादा उसकी मीडिया में और बाहर चर्चा कम है। लेकिन मैं उसकी ताकत भलिभांति समझता हूं। जनभागीदारी से अभियान चलाया गया है। Rain water harvesting के लिए recharging wells बनाये जा रहे हैं। शायद आपाको भी पता नहीं होगा, लेकिन मुझे बताया गया कि जनभागीदारी से राजस्थान में आज daily rain harvesting structure तैयार हो रहे हैं। भारत के जिन राज्यों में पानी की किल्लत है, उन राज्यों में पिछले कुछ महीनों में अब तक करीब-करीब तीन लाख rain harvesting structures बन चुके हैं। मैं पक्का मानता हूं कि वर्षा के पानी को बचाने का ये प्रयास आने वाले दिनों में हमारी इस धरती मां की प्यास को बुझाएगा। और यहां बैठा हुआ हिन्दुस्तान में बैठा हुआ कोई भी बेटा, कोई भी बेटी कभी भी अपनी धरती मां को प्यासा रखना नहीं चाहेगा। जो प्यास की तड़प हमें होती है, वो प्यास हमें जितना परेशान करती है, वो प्यास उतना ही हमारी धरती मां को परेशान करती है। और इसलिए इस धरती की संतान के नाते हम सबका दायित्व बनता है कि हम अपनी धरती मां की प्यास बुझाएं। वर्षा के एक एक बूंद पानी को धरती मां की प्यास बुझाने के लिए काम लाए। और एक बार धरती मां का आशीर्वाद मिल गया ना फिर दुनिया की कोई ताकत हमें पीछे नहीं रख सकती।

मुझे याद है गुजरात में एक जैन महात्मा हुआ करते थे। करीब 100 साल पहले उन्होंने लिखा था, बुद्धि सागर जी महाराज थे, जैन मुनि थे। उनहोंने करीब 100 साल पहले लिखा था और उस समय शायद कोई पढ़ता तो उनकी बातों में विश्वास नहीं करता। उन्होंने लिखा था 100 साल पहले – एक दिन ऐसा आएगा जब किराने की दुकान में पीने का पानी बिकेगा। 100 साल पहले लिखा था आज हम किराने की दुकान से बिस्लेरी की बॉटल खरीदकर पानी पीने के लिए मजबूर हो गए हैं, 100 साल पहले कहा गया था।

साथियों,

ये दर्द भरी दास्तां है। हमारे पूवर्जों ने हमें विरासत में बहुत कुछ दिया है। अब हमारा दायित्व है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को पानी के अभाव में मरने के लिए मजबूर न करें। हम उन्हें सुजलाम सुफलाम ये हमारी धरती माता, हमारी आने वाली पीढ़ियों को सुपुर्द करें। और उसी पवित्र कार्य को करने की दिशा में, मैं आज मध्यप्रदेश सरकार को बधाई देता हूं। मैं मध्य प्रदेश की जनता को बधाई देता हूं। मैं राजस्थान की सरकार और राजस्थान की जनता को बधाई देता हूं। अब हमारा काम है कि बिना रुकावट इस काम को हम आगे बढ़ाएं। जहां जरूरत पड़े, जिस इलाके से ये योजना बनती है। लोग सामने से आकर के समर्थन करें। तब समय से पहले योजनाएं पूरी हो सकती हैं और इस पूरे राजस्थान का भाग्य बदल सकता है।

साथियों,

21वीं सदी के भारत के लिए नारी का सशक्त होना बहुत जरूरी है। भई वो कैमरा, कैमरा को शौक इतना है कि उनका उत्साह बढ़ गया है। जरा वो कैमरा वाले को जरा दूसरी तरफ ले जाइये, वो थक जाएंगे।

साथियों,

आपका ये प्यार मेरे सर आंखों पर मैं आपका आभारी हूं इस उमंग और उत्साह के लिए साथियों नारीशक्ति का सामर्थ्य क्या है, ये हमने विमन सेल्फ हेल्प ग्रुप स्वयं सहायता समूह के आंदोलन में देखा है। बीते दशक में देश की 10 करोड़ बहनें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से जुड़ी हैं। इनमें राजस्थान की भी लाखों बहनें शामिल हैं। इन समूहों से जुड़ी बहनें, उनको मजबूत बनाने के लिए भाजपा सरकार ने दिन रात मेहनत की है। हमारी सरकार ने इन समूहों को पहले बैंकों से जोड़ा, फिर बैंकों से मिलने वाली मदद को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख किया। हमने उन्हें मदद के तौर पर करीब 8 लाख करोड़ रुपए दिए हैं। हमने उन्हें ट्रेनिंग की व्यवस्था कराई है। महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप में बने सामानों के लिए नए बाजार उपलब्ध कराए।

आज इसी का नतीजा है कि ये सेल्फ हेल्प ग्रुप, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बहुत बड़ी ताकत बने हैं। और मेरे लिए खुशी है, मैं यहा आ रहा था सारे ब्लॉक के ब्लॉक माताओं बहनों से भरे हुए हैं। और इतना उमंग इतना उत्साह। अब हमारी सरकार, सेल्फ हेल्प ग्रुप की तीन करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने पर काम कर रही है। मुझे खुशी है कि करीब सवा करोड़ बहनें लखपति दीदी बन भी चुकी हैं। यानि इन्हें साल में एक लाख रुपए से ज्यादा की कमाई होने लगी है।

साथियों,

नारी शक्ति को मजबूत करने के लिए हम अनेक नई योजनाएं बना रहे हैं। अब जैसे नमो ड्रोन दीदी योजना है। इसके तहत हजारों बहनों को ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग दी जा रही है। हज़ारों समूहों को ड्रोन मिल भी चुके हैं। बहनें ड्रोन के माध्यम से खेती कर रही हैं, उससे कमाई भी कर रही हैं। राजस्थान सरकार भी इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए अनेक प्रयास कर रही है।

साथियों,

हाल में ही हमने बहनों-बेटियों के लिए एक और बड़ी योजना शुरु की है। ये योजना है बीमा सखी स्कीम। इसके तहत, गांवों में बहनों-बेटियों को बीमा के काम से जोड़ा जाएगा, उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके तहत प्रारंभिक वर्षों में जब तक उनका काम जमें नहीं उनको कुद राशि मानदंड के रूप में दी जाएगी। इसके तहत बहनों को पैसा भी मिलेगा और साथ साथ देश की सेवा करने का अवसर भी मिलेगा। हमने देखा है कि हमारी जो बैंक सखियां हैं, उन्होंने कितना बड़ा कमाल किया है। देश के कोने-कोने तक, गांव-गांव में हमारी बैंक सखियों ने बैंक सेवाएं पहुंचा दी है, खाते खुलवाए हैं, लोन की सुविधाओं से लोगों को जोड़ा है। अब बीमा सखियां, भी भारत के हर परिवार को बीमा की सुविधा से जोड़ने में मदद करेंगी। जरा ये जो कैमरामेन है उनको मेरी रिक्वेस्ट है कि आप अपना कैमरा दूसरी तरफ मोड़िये प्लीज, यहां लाखों लोग हैं उनकी तरफ ले जाइये ना।

साथियों,

भाजपा सरकार का निरंतर प्रयास है कि गांव की आर्थिक स्थिति बेहतर हो। ये विकसित भारत बनाने के लिए बहुत ज़रूरी है। इसलिए गांव में कमाई के, रोजगार के हर साधन पर हम बल दे रहे हैं। राजस्थान में बिजली के क्षेत्र में अनेक समझौते यहां भाजपा सरकार ने किए हैं। इनका सबसे अधिक फायदा हमारे किसानों को होने वाला है। राजस्थान सरकार की योजना है कि यहां के किसानों को दिन में भी बिजली उपलब्ध हो सके। किसान को रात में सिंचाई की मजबूरी से मुक्ति मिले, ये इस दिशा में बहुत बड़ा कदम है।

साथियों,

राजस्थान में सौर ऊर्जा की पर्याप्त संभावनाएं हैं। राजस्थान इस मामले में देश का सबसे आगे रहने वाला राज्य बन सकता है। हमारी सरकार ने सौर ऊर्जा को आपका बिजली बिल ज़ीरो करने का माध्यम भी बनाया है। केंद्र सरकार, पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना चला रही है। इसके तहत घर की छत पर सौलर पैनल लगाने के लिए करीब करीब 75-80 हज़ार रुपए की मदद केंद्र सरकार दे रही है। इससे जो बिजली पैदा होगी, वो आप उपयोग करें और आपकी जरूरत से ज्यादा है, तो आप बिजली बेच सकते हैं और सरकार वो बिजली खरीदेगी भी। मुझे खुशी है कि अब तक देश के 1 करोड़ 40 लाख से ज्यादा परिवार इस योजना के लिए रजिस्टर करा चुके हैं। बहुत ही कम समय में करीब 7 लाख लोगों के घरों में सोलर पैनल सिस्टम लग चुका है। इसमें राजस्थान के भी 20 हज़ार से अधिक घर शामिल हैं। इन घरों में सोलर बिजली पैदा होनी शुरू हो चुकी है और लोगों के पैसे भी बचने शुरू हो गए हैं।

साथियों,

घर की छत पर ही नहीं, खेत में भी सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए सरकार मदद दे रही है। पीएम कुसुम योजना के तहत, राजस्थान सरकार आने वाले समय में सैकड़ों नए सोलर प्लांट्स लगाने जा रही है। जब हर परिवार ऊर्जादाता होगा, हर किसान ऊर्जादाता होगा, तो बिजली से कमाई भी होगी, हर परिवार की आय भी बढ़ेगी।

साथियों,

राजस्थान को रोड, रेल और हवाई यात्रा में सबसे कनेक्टेड राज्य बनाना, ये हमारा संकल्प है। हमारा राजस्थान,दिल्ली, वडोदरा और मुंबई जैसे बड़े औद्योगिक केंद्रों के बीच में स्थित है। ये राजस्थान के लोगों के लिए, यहां के नौजवानों के लिए बहुत बड़ा अवसर है। इन तीन शहरों को राजस्थान से जोड़ने वाला जो नया एक्सप्रेसवे बन रहा है, ये देश के सर्वश्रेष्ठ एक्सप्रेसवे में से एक है। मेज नदी पर बड़ा पुल बनने से, सवाईमाधोपुर, बूंदी, टोंक और कोटा जिलों को लाभ होगा। इन जिलों के किसानों के लिए दिल्ली, मुंबई और वड़ोदरा की बड़ी मंडियों, बड़े बाज़ारों तक पहुंचना आसान हो जाएगा। इससे जयपुर और रणथंभौर टाइगर रिजर्व तक पर्यटकों के लिए पहुँचना भी आसान हो जाएगा। हम सभी जानते हैं कि आज के समय में, समय की बहुत कीमत है। लोगों का समय बचे, उनकी सहूलियत बढ़े, यही हम सभी का प्रयास है।

साथियों,

जामनगर - अमृतसर इकोनामिक कॉरिडोर जब दिल्ली-अमृतसर- कटरा एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा तो राजस्थान को मां वैष्णो देवी धाम से कनेक्ट करेगा। इससे उत्तरी भारत के उद्योगों को कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों से सीधा संपर्क बनेगा। इसका फायदा राजस्थान में ट्रांसपोर्ट से जुड़े सेक्टर को होगा, यहां बड़े-बड़े वेयर हाउस बनेंगे। इनमें ज्यादा काम राजस्थान के नौजवानों को मिलेगा।

साथियों,

जोधपुर रिंग रोड से जयपुर, पाली, बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर और अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से कनेक्टिविटी बेहतर होने वाली है। इससे शहर को अनावश्यक जाम से मुक्ति मिलेगी। जोधपुर आने वाले पर्यटकों, व्यापारियों-कारोबारियों को इससे बहुत सुविधा होगी।

साथियों,

आज यहां इस कार्यक्रम में हजारों भाजपा कार्यकर्ता भी मेरे सामने मौजूद हैं। उनके परिश्रम से ही हम आज का ये दिन देख रहे हैं। मैं भाजपा कार्यकर्ताओं से कुछ आग्रह भी करना चाहता हूं। भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल तो है ही, भाजपा एक विराट सामाजिक आंदोलन भी है। भाजपा के लिए दल से बड़ा देश है। हर भाजपा कार्यकर्ता, देश के लिए जागरुक और समर्पित भाव से काम कर रहा है। भाजपा कार्यकर्ता सिर्फ राजनीति से नहीं जुड़ता,वो सामाजिक समस्याओं के समाधान से भी जुड़ता है। आज हम एक ऐसे कार्यक्रम में आए हैं, जो जल संरक्षण से बहुत गहराई से जुड़ा है। जल संसाधानों का संरक्षण और जल की हर बूंद का सार्थक इस्तेमाल सरकार समेत पूरे समाज की, हर नागरिक की जिम्मेदारी है। और इसीलिए मैं अपने भाजपा के हर कार्यकर्ता, हर साथी से कहूंगा कि वे भी अपनी रोज की दिनचर्या में जल संरक्षण के काम के लिए अपन कुद समय समर्पित कर दें और बड़ी श्रद्धाभाव से काम करें। माइक्रो इरीगेशन, ड्रिप इरीगेशन से जुड़ें अमृत सरोवर की देखरेख में मदद करें, जल प्रबंधन के साधन बनाएं और जनता को जागरूक भी करें। आप प्राकृतिक खेती नैचुरल फार्मिंग के प्रति भी किसानों को जागरूक करें।

हम सब जानते हैं कि जितने ज्यादा पेड़ होंगे, धरती को पानी का भंडारण करने में उतनी मदद मिलेगी। इसीलिए एक पेड मां के नाम अभियान बहुत मदद कर सकता है। इससे हमारी मां का भी सम्मान बढ़ेगा और धरती मां का भी मान बढ़ेगा। पर्यावरण के लिए ऐसी बहुत से काम हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, मैंने पहले ही पीएम सूर्य घर अभियान की बात कही। बीजेपी के कार्यकर्ता लोगों को सौर ऊर्जा के प्रयोग के लिए जागरुक कर सकते हैं, उन्हें इस योजना और उसके लाभ के विषय में बता सकते हैं। हमारे देश के लोगों का एक स्वभाव है। जब देश देखता है कि किसी अभियान की नीयत सही है, इसकी नीति सही है, तो लोग उसको अपने कंधे पर उठा लेते हैं, इससे जुड़ जाते हैं और खुद को भी एक मिशन के काम से जोड़कर के खपा देते हैं। हमने स्वच्छ भारत में ये देखा है। हमने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में ये देखा है। मुझे विश्वास है कि हमें पर्यावरण संरक्षण में भी, जल संरक्षण में भी ऐसी ही सफलता मिलेगी।

साथियों,

आज राजस्थान में विकास के जो आधुनिक काम हो रहे हैं, जो इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है, ये वर्तमान और भावी पीढ़ी सबके काम आएगा। ये विकसित राजस्थान बनाने के काम आएगा और जब राजस्थान विकसित होगा, तो भारत भी तेजी से विकसित होगा। आने वाले वर्षों में डबल इंजन की सरकार और तेज गति से काम करेगी। मैं भरोसा देता हूं, कि केंद्र सरकार की तरफ से भी राजस्थान के विकास के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी जाएगी। एक बार फिर इतनी बड़ी तादाद में आप लोग आशीर्वाद देने आएं, विशेष रूप से माताएं बहनें आईं, मैं आपका सर झुकाकर के धन्यवाद करता हूं, और आज का ये अवसर आपके कारण है और आज का ये अवसर आपके लिए है। मेरी आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं। पूरी शक्ति से दोनों हाथ ऊपर कर मेरे साथ बोलिये –

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

बहुत-बहुत धन्यवाद !