કાર્યક્રમમાં હિંદુસ્તાનની બધી ટી.વી. ચેનલો મોજૂદ છે, એમણે એક લાગણી વ્યક્ત કરી હતી કે મારું ભાષણ હિન્દીમાં થાય તો સારું. તો હું અહીંના સહુ નાગરિકોની ક્ષમા માગીને આજના આ સદભાવના મિશનના સમાપન કાર્યક્રમનું ભાષણ હિન્દીમાં કરું છું. અમસ્તાયે આપણને ગુજરાતના લોકોને હિન્દી સમજવામાં ક્યારેય મુશ્કેલી પડતી નથી, કારણ આપણે પહેલેથી રાષ્ટ્રીય ધારામાં ઉછરેલા લોકો છીએ.

 दभावना मिशन का जब से प्रारंभ किया तब से लेकर अब तक अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग तरीके से उसको जांचने की, परखने की कोशिश की, किसी ने उसमें से कमीयाँ ढूंढने की कोशिश की, किसी ने इस माहौल को अपने फायदे में कैसे लिया जाए, मीडिया का ध्यान आकर्षित कैसे किया जाए, इसलिए पेरेलल कुछ कोशिश की, अलग-अलग तरीके से, अलग-अलग ढंग से ये सारा घटनाक्रम चला. भाईयों-बहनों, ३६ दिन तक इस प्रकार से बैठना, जनता जनार्दन के दर्शन करना, उनके आशीर्वाद प्राप्त करना भाईयों-बहनों, मेरे लिए भी एक अकल्पनीय सुखद अनुभव रहा है. मैंने ऐसी कल्पना नहीं की थी कि इस प्रकार से लाखों लोग जुड जाएंगे. एकदम सात्विक कार्यक्रम, सिर्फ उपवास, किसी के खिलाफ कुछ नहीं, किसी से कुछ माँगना नहीं, उसके बावजूद भी ये जन सैलाब. जो लोग इस कार्यक्रम की आलोचना करते हैं, अगर ईमानदारी नाम की कोइ चीज़ उनके जीवन में बची हो, वो राजनीति के हों, गैर राजनीति के हों, मैं सबको सुनाना चाहता हूँ. क्या कोई कल्पना कर सकता है कि सदभावना यात्रा में आने के लिए एक लाख से भी अधिक लोग भिन्न-भिन्न स्थानों से पदयात्राएँ करके इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुऐ? एक लाख से अधिक लोग..! और कुछ लोग तो पचीस-पचीस तीस-तीस किलोमीटर की पदयात्रा करके आए थे. माणगर के आदिवासी भाईयों ने पाँच दिन तक पदयात्रा की. पावागढ से दो-दो दिन चलकर लोग आये. भाईयों-बहनों, अपने घर से निकल कर तीर्थ क्षेत्र पर जाने के लिए पदयात्रा हो ये तो हमने सुना है, लेकिन तीर्थ क्षेत्र से निकलकर इस प्रकार के कार्यक्रम में पदयात्री आए ये अपने आप मे एक अजूबा है, इसको समझने के लिए राजनैतिक चश्मे काम नहीं आ सकते. भाईयों-बहनों, इस सदभावना यात्रा में लोग पदयात्राएँ करके आए, साईकल पर जूलूस लेकर आए, स्कूटर पर जूलूस लेकर आए..! जब-जब जिस-जिस जिले में सदभावना यात्रा का कार्यक्रम हुआ, वहाँ के नागरिकों ने स्कूल में जो गरीब बच्चे पढ़ने आते हैं उनको विशिष्ट भोजन कराने का संकल्प किया, तिथिभोज दिया. इस सदभावना मिशन के कार्यक्रमों के दौरान, अब तक जो मुझे जानकारी मिली है, नागरिकों ने करीब ४५ लाख बच्चों को विशिष्ट भोजन करवाया. सदभावना का प्रभाव क्या है ये अनुभव हो रहा है. भाईयों-बहनों, कुछ लोगों ने गरीबों को अनाज बांटने का संकल्प लिया. छ: लाख किलोग्राम से अधिक अनाज लोगों ने दान में दिया जो लाखों परिवारों में बांटा गया. करोड़ों रूपयों का ये दान एक कार्यक्रम के निमित्त लोगों ने जोड़ा. ‘गर्ल चाइल्ड एज्युकेशन’ के लिए करीब चार करोड़ रूपये से ज्यादा, ‘कन्या शिक्षा’ के लिए पूरे गुजरात में से लोग मुझे दान दे रहे हैं. इस सदभावना मिशन के दौरान चार करोड़ से अधिक रूपये जनता जनार्दन ने दिये. भाईयों-बहनों, अभी तो मैं जानकारी एकत्र कर रहा हूँ, ये सारी जानकारी जब डिटेल में आएगी, तब पता नहीं कि अंत कहाँ पहुँचेगा. करीब १७,००० जितने प्रभात-फेरी के कार्यक्रम, प्रात: के समय अपने-अपने गाँव में सदभावना संदेश देने की यात्राएँ, १७,००० ऐसी यात्राएँ निकलीं और करीब २० लाख लोगों ने उसमें हिस्सा लिया. जब एक स्वप्न को ले करके चलते हैं, वो कैसे जन आंदोलन बन जाता है इसका ये जीता-जागता उदाहरण है.

भाईयों-बहनों, मैं माँ अंबा के चरणों में आज बैठा हूँ. जिस दिन मैंने सदभावना मिशन का प्रारंभ किया था, मैं अपनी माँ से मिलने के लिए गया था. मैंने उनके चरण छूकर, आशीर्वाद लेकर अनशन का आरंभ किया था. और आज जगत-जननी माँ के चरणों को छूकर इस संकल्प को आगे बढाने के लिए मैं आज आपके बीच आया हूँ. उपवास पूर्ण हो रहे हैं, लेकिन दुनिया को डंके की चोट पर गुजरात की शक्ति का परिचय कराने का मेरा संकल्प और मजबूत हुआ है, और ताकतवर हुआ है और दुनिया की हर शख़्सियत को मैं गुजरात की शक्ति का परिचय करवा कर रहूँगा. मित्रों, वार झेलना ही मेरी आदत है. माँ जगदंबा ने मुझे वो शक्ति दी है, मैं हमलों को बड़ी आसानी से झेल सकता हूँ और न ही मुझे ऐसे हमलों की परवाह होती है, न मुझे चिंता होती है. अगर मुझे चिंता होती है तो मेरे छ: करोड़ गुजरातीयों के सुख-दु:ख की चिंता होती है, और किसी बात की मुझे चिंता नहीं होती है. मैं इनमें रंग चुका हूँ, मैं डुब चुका हूँ और इसी के लिए अपने आप को समर्पित करता जा रहा हूँ. जब मैंने सभी जिलों में जाने का तय किया था तब कोई कल्पना नहीं कर सकता था कि एक मुख्यमंत्री इतनी प्रतिबद्धता के साथ काम पूरा कर सकता है. आज मैंने उसे पूरा किया, मुझे बहुत संतोष है. मैं पूरे गुजरात का आभारी हूँ क्योंकि मेरे हिसाब से इस राज्य के ७५% परिवार ऐसे होंगे जिनके किसी न किसी प्रतिनिधि ने इस सदभावना मिशन में आकर मुझे आशीर्वाद दिये हैं. ऐसा सौभाग्य कहाँ मिल सकता है.

मित्रों, सदभावना की ताकत देखिये, गुजरात मुद्दों को कैसे लेता है उसको देखिये. कुछ दिन पूर्व देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंहजी टी.वी. पर बयान दे रहे थे. करीब १५-२० दिन पहले की बात है. वे कह रहे थे कि मालन्यूट्रिशन, कुपोषण, ये हमारे देश के लिए बहुत बड़ी शर्म की बात है. उन्होंने कहा शर्म की बात है, स्वीकार किया, लेकिन आगे क्या? आगे कोई खबर आयी आपके पास? क्या किया कुछ सुना, भाई? कुछ नहीं..! पीडा व्यक्त कर दी, बात खत्म. ये गुजरात देखिये; कैसे रास्ता दिखा रहा है. गुजरात के गाँव-गाँव में कुपोषण से मुक्ति की एक जंग छेड दी गई और लोग हजारों किलो सुखडी, हजारों लिटर दूध, हजारों किलो ड्रायफ्रूट कुपोषित बच्चों को दान में दे रहे हैं. इस आंदोलन की ताकत देखिये, भाईयों. मैं कांग्रेस के मेरे मित्रों को प्रेम से पूछना चाहता हूँ, क्या इस देश का कोई भी नागरिक, कोई भी बालक अगर कुपोषित है तो सार्वजनिक जीवन में आपको इसकी पीडा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? आप सरकार में हों या न हों. यहाँ ये नागरिक कहाँ सरकार में हैं जो हजारों किलो सुखडी दे रहे हैं, हजारों किलो ड्रायफ्रुट दे रहे हैं, हजारों लिटर दूध बांट रहे हैं, ये कहाँ सत्ता में हैं? आपकी पार्टी के प्रधानमंत्री हैं, उन्होंने पीडा व्यक्त की, तो कम से कम आप इतना तो सत्कर्म कर लेते कि आप भी कुछ इकट्ठा करके गरीबों को बांटने के लिए जाते और कुपोषण के खिलाफ अपना एक कमिट्मेन्ट दिखाते, आपके प्रधानमंत्री के लिए तो करते..! नहीं करते हैं, उनको जनता की चिंता नहीं है, उनको अपनी चिंता है. भाईयों-बहनों, हमारी शक्ति हमने लगाई है आपकी खुशी के लिए, उन्होंने शक्ति लगाई है उनकी कुर्सी के लिए. फर्क यही है. हमारा ध्यान केंद्रित हुआ है छ: करोड़ की खुशी पर, उनका ध्यान केंद्रित हुआ है सत्ता की कुर्सी पर. ये बहुत बड़ा फर्क है और तभी जनता इस प्रकार के लोगों को स्वीकार नहीं करती. भाईयों-बहनों, ये सदभावना मिशन की सफलता इस बात पर भी निर्भर है. आप देखना कल से, जो लोग पिछले दस सालों से गुजरात की बुराई कर रहे हैं, वे आने वाले २४ घंटों में ही पूरी ताकत के साथ फिर मैदान में आएँगे. मेरे शब्द बड़ी गंभीरता से लिख लिजिए. कल से ही देखना आप, २४ घंटे के भीतर-भीतर ये जितने लोग दस साल से गुजरात की बुराई कर रहे हैं, गुजरात को बदनाम कर रहे हैं, गुजरात पर गंदे, गलीच, झूठे आरोप लगा रहे हैं ये सारे लोग, पूरी जमात २४ घंटे के भीतर-भीतर फिर एक बार गुजरात को बदनाम करने के लिए पूरी ताकत से साथ मैदान में उतरेगी क्योंकि सदभावना मिशन की यह सफलता उनको हज़म होने वाली नहीं है. उनको बैचेन कर रही है कि ये कैसे हो सकता है, हमने तो गुजरात को ऐसा पेइंट किया था लेकिन गुजरात तो कुछ और है. हमने तो मुसलमानों को भी ये कह दिया था, लेकिन यहाँ तो लोग गले मिल रहे हैं. हमने ईसाइयों के लिए कहा था लेकिन यहाँ तो ईसाई भी साथ लग रहे हैं. ये गुजरात की एकता, गुजरात की शांति, गुजरात का भाईचारा... सदभावना मिशन के माध्यम से इस शक्ति के जो दर्शन हुए हैं इससे ये लोग, मुट्ठी भर लोग चौंक गये हैं. और मेरा एक-एक शब्द सही निकलने वाला है. ये पूरा फरवरी महीना वे चैन से नहीं बैठेंगे, हररोज़ नयी चीज़ उछालेंगे. झूठी बातें करेंगे, एकतरफ़ा बातें करेंगे. मैं गुजरात के सभी भाईयों-बहनों से इस अंबाजी की पवित्र धरती से कहना चाहता हूँ, १० साल से हो रहे हमलों से भी तीखे हमले होंगे. उन हमलों को भी सत्य के माध्यम से हम पराश्त करके रहेंगे, सत्य के आधार पर उनको तहसनहस करके रहेंगे ये में विश्वास दिलाना चाहता हूँ. भाईयों-बहनों, मेंने हर बार कहा है, मैं सत्य के सामने सौ बार झुकने को तैयार हूँ, लेकिन झूठ के खिलाफ जंग करना मेरी फ़ितरत है. हम झूठ के खिलाफ लड़ने वाले लोग हैं, हम सत्य के सामने समर्पित होने वाले लोग हैं. कितना झूठ चलाओगे? मेरे इस अच्छे-भले राज्य को कितना बदनाम करोगे आप लोग और कब तक करोगे..? ‘कहो नाखुदा से कि लंगर उठा दे, हम तूफान की जिद देखना चाहते हैं’. मित्रों, सदभावना मिशन के माध्यम से हमने शक्ति का साक्षात्कार किया है. जन-समर्थन का एहसास किया है. हमने सच्चाई को डंके की चोट पर दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है.

ज गुजरात विकास के कारण जाना जाता है. विकास की नई-नई ऊँचाइयों में आज पूरे देश के अंदर गुजरात का लोहा मान लिया गया है. लेकिन ये विकास उस प्रकार का नहीं है, जो हमारे देश में कभी सोचा जाता था. कोई पाँच कि.मी. का रास्ता बनाऐ, दुसरा सात कि.मी. बना दे, तो बोले विकास हो गया... हमने ऐसा नहीं सोचा है. हमने सर्वांगी विकास की कल्पना की है. मित्रों, ये हमारा बनासकांठा, ये पाटण जिला, क्या हाल थे हमारे? बारह महीनों में से छ: महीने धूल ही धूल और हमारे नसीब में कुछ नहीं था. तपता हुआ सूरज, उड़ती हुई धूल, ये मिट्टी, इसके सिवाय इन दो जिलों के नसीब में क्या था, मित्रों? आज वही इलाका सूर्य उपासना के लिए, सौर ऊर्जा के लिए पूरे विश्व के अंदर अपना नाम रोशन करने जा रहा है. पूरे हिंदुस्तान में सोलार एनर्जी १२० मेगावॉट है, पूरे हिन्दुस्तान में १२०. आपके अकेले इस चारणका में २०० मेगावॉट है. और पूरे गुजरात में तो, ये आपके धानेरा के पास सोलार पार्क बन रहा है. मित्रों, कल तक जिस क्षेत्र को सोचा नहीं था, उसको आज विकास की मुख्य धारा मे ला करके रख दिया है. दिल्ली-मुंबई इन्डस्ट्रीअल कॉरीडोर, इस इन्डस्ट्रीअल कॉरीडोर के कारण जो विशिष्ट प्रकार की रेलवे लाइन लगने वाली है, पाटण जिला और बनासकांठा जिला, दोनों जिलों के हर गाँव को पूरी तरह उसका लाभ मिलने वाला है. ये बनासकांठा की धरती, बेटी की शादी करानी हो, और जमीन बेचने जाए, गिरवी रखने जाए, तो कोई पैसा नहीं देता था. बनासकांठा में किसान को जमीन कितनी ही क्यों न हो, बेटी की शादी कराने के लिए उस जमीन में से पैसे नहीं मिलते थे. जमीन की क़ीमत नहीं थी. कोई खरीदार नहीं था. जमीन पर कर्ज भी नहीं मिलता था, क्योंकि उसमें से कुछ पैदा नहीं होता था. आज जमीन के दाम कितने बढ गए हैं, मेरा किसान कितना ताकतवर बन गया है..! आज वो डंके की चोट पर कहता है, बेंक वालों को कहता है कि मेरी जमीन की क़ीमत इतनी है, मुझे इतनी लोन चाहिए और बेंक वाला लाइन लगाके खडा रहता है. लोन देने पर मजबूर हो जाता है..! एक जमाना था, बेटी की शादी तक संभव नहीं थी. आज अगर कोई जमीन लेने के लिए आता है तो मेरा किसान कहता है, आज मेरा मूड ठीक नहीं है, बुधवार को आना. ये स्थिति पैदा हुई है, इस जिले में ये बदलाव आया है. और भाईयों-बहनों, में देख रहा हूँ, समुद्र किनारे पर जाने का अगर कोई शॉर्टेस्ट रास्ता है तो वह बनासकांठा से गुजरता है और उसका सबसे ज्यादा बेनिफिट इस जिले को विकास के लिए मिलने वाला है, विकास की नई ऊँचाईयों को पार करने वाला है. भाईयों-बहनों, जो कुछ भी हुआ है, सबको संतोष है, आनंद है. लेकिन जितनी प्रगति हुई है, मैं तो अभी उससे बहुत आगे सोच रहा हूँ. मैं इससे संतुष्ट होने वाला इंसान नहीं हूँ, मुझे तो यहाँ इतनी समृध्दि लानी है कि दुनिया के देश चौकन्ने रह जाए कि एक राज्य इतना आगे बढ़ सकता है. ये सपने देख कर मैं मेहनत करता हूँ और मैं खुश हूँ, छ: करोड़ नागरिकों ने जो समर्थन दिया है..!

हिंदुस्तान में राजनैतिक अस्थिरता एक सहज स्वभाव बन गया है. गुजरात में भी दो साल, ढाई साल से ज्यादा मुख्यमंत्री नहीं रहते थे. आज में ग्यारहवें साल में भी आपके प्रेम को पा रहा हूँ. ये राजनैतिक स्थिरता, ये पोलिटिकल स्टेबिलिटी, नीतियों की स्टेबिलिटी, विकास की गति, प्रगति के नये-नये अंक, ये बातें हैं जो आज सारे विश्व में गुजरात का लोहा मनवाने के लिए दुनिया को मजबूर कर रही हैं. हमें इसे और आगे बढ़ाना है. हमें लक्ष्य की नई ऊँचाईयों को पार करना है. नर्मदा का पानी विकास की नई क्षितिजों को पार करे. लेकिन हम चाहते हैं कि जैसे मेरे बनासकांठा जिले के किसानों ने ड्रिप इरीगेशन को स्वीकार कर लिया, स्प्रिंक्लर को स्वीकार कर लिया, अब मेरा एक सपना आगे है मेरे किसानों से, मैं उनको ‘नेट हाउस’ की ओर ले जाना चाहता हूँ. खेत के अंदर ग्रीन कलर के छोटे-छोटे ‘ग्रीन हाउस’ बनें ताकि दो बीघा जमीन भी हो तो भी उसमें नये प्रकार की फसल पैदा हो सके. मेरा एक ठाकोर भाई, जमीन बहुत कम है, सीमांत किसान है, आज उसकी इन्कम मुश्किल से पचास हजार, साठ हजार, लाख रूपया है. मैं उसको ग्रीन हाउस टेक्नोलोजी में ले जाना चाहता हूँ और दो बीघा जमीन हो तो भी वो आठ लाख, दस लाख रूपए कमाई करे, खेती में कमाई करे ऐसी टेक्नोलोजी को मैं बनासकांठा में लाना चाहता हूँ.

मित्रों, चीज़ों को बदला जा सकता है, इन सपनों को लेकर के हम आगे बढ़ रहे हैं. एक नयी दुनिया, एक नया विश्व, विकास का एक नया सपना, हम उसको साकार करने की दिशा में आगे बढ रहे हैं. देश और दुनिया के लोग इस बात को मानने लगे हैं, गुजरात के विकास की ताकत को स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन उसके पीछे कौन-सी ताकत है, उस विषय को स्वीकार करते हुए अभी उनको तकलीफ हो रही है. क्योंकि पहले इतना झूठ बोल दिया है कि कभी-कभी सत्य को स्वीकार करने में दिक्कत हो जाती है. ऐसे जो लोग बार-बार झूठ बोल चुके हैं उनको मेरी प्रार्थना है कि भाई, अब बहुत झूठ बोल दिया, अब झूठ बोलना बंद करो और गुजरात की शक्ति को स्वीकार करो और गुजरात की शक्ति है एकता, शांति और भाईचारा. एक जमाना था, आए दिन हमारे यहाँ कर्फ्यू लगते थे, चाकू चलते थे, एक जाति दूसरी जाति से झगड़ा करती थी, एक धर्म के लोग दूसरे धर्म के लोगों के साथ झगड़ा करते थे. आज दस साल हो गए, सारा ख़त्म हो चुका भाई, कर्फ्यू का नामोनिशान नहीं है. नहीं तो पहले बच्चा पैदा होता था, माँ का नाम मालूम न हो, बाप का नाम न बोल सकता हो पर कर्फ्यू शब्द बोलना जानता था. आज आठ-दस साल के बच्चों को कर्फ्यू क्या होता है वो पता नहीं है. पुलिस का लाठीचार्ज क्या होता है वो पता नहीं है, अश्रु गैस क्या होता है वो मालूम नहीं है. गुजरात एकता, शांति और भाईचारे से आगे बढ़ रहा है, हमें और आगे बढ़ाना है. और गुजरात विरोधियों को मैं कहना चाहता हूँ कि आप अपनी राजनीति गुजरात के बाहर किया करो, आपको जो खेल खेलने हैं, वहाँ खेला करो. हम गुजरात के लोगों को एकता, शांति और भाईचारे से जीने का अवसर दो. बहुत हो चुका, हमारे घाव पर नमक छिड़कने का काम बंद होना चाहिए. हमने इंतजार किया, हर बात का इंतजार किया. गुजरात की जनता को आप झुका नहीं पा रहे हो, गुजरात की जनता को आप गुमराह नहीं कर पा रहे हो. और हिन्दुस्तान भी अब मानने लगा है कि गुजरात के साथ अन्याय हुआ है और यह बात अब घर-घर पहुँच चुकी है. और इसलिए मैं ऐसे लोगों को सदभावना मिशन के इस कार्यक्रम में हाथ जोड़ कर विनती करता हूँ, प्रेम से कहना चाहता हूँ कि दस साल जो हुआ सो हुआ, मेहरबानी करके आने वाले दिनों में गुजरात के सत्य को स्वीकार कीजिए, हमारी सच्चाई को स्वीकार कीजिए. हम देश के लिए काम करने वाले लोग हैं. हम यहाँ फसल पैदा करते हैं, देश का पेट भरने को काम आता है. अगर हम यहाँ कॉटन पैदा करते हैं तो मेरे देश के लोगों को कपडा मिलता है, हम यहाँ दवाईयाँ बनाते हैं तो मेरे देश के लोगों की बिमारी दूर होती है. हम देश के लिए काम करते हैं. जैसे किसी दुश्मन देश के नागरिक हों उस प्रकार से हम पर जुल्म चला है..! हर चीज़ की सीमा होती है. और इसलिए भाईयों-बहनों, मैंने पहले ही कहा कि आनेवाले दिनों में बहुत बड़ा तूफान लाने की कोशिश होने वाली है. सफलता नहीं मिलेगी, मुझे मालूम है. वो कुछ नहीं कर सकते, लेकिन वो आदत छोडेंगे नहीं. लेकिन लाखों लोगों ने, करोड़ों परिवारों ने जिस प्रकार से समर्थन दिया है, यह सिद्ध हो चुका है कि हमारा मार्ग सच्चाई का है.

भाईयों-बहनों, आइए, माँ अंबा के चरणों में बैठे हैं, हमें छोटा-सा भी मनमुटाव हो तो उससे गांव को मुक्त करें. तहसील में कोई मनमुटाव हो तो उसे मुक्त करें. विकास को ही अपना मार्ग बनाएँ. सारी समस्याओं का समाधान विकास में है, हर दुखों की दवाई विकास में है, हर संकट का सामना करने का सामर्थ्य विकास में है. आने वाली पीढी के बारे में सोचना है तो विकास ही रास्ता है. और अगर विकास करना है तो एकता, शांति और भाईचारे के बिना नहीं हो सकता. विकास करना है तो एकता, शांति, भाईचारे को गाँव-गाँव में एक ताकत के रूप में हमें प्रस्थापित करना पडेगा, इसी सामर्थ्य को लेकर आगे बढ़ना पडेगा और वो सदभावना के माध्यम से होता है. मुझे विश्वास है कि मेरे गुजरात के करोड़ों नागरिक मेरे इस छत्तीस दिन के अनशन को, मेरी इस तपस्या को कभी भी कोई नुकसान नहीं होने देंगे, एकता को बरकरार रखेंगे, ये मेरी माँ जगदंबा से प्रार्थना है और मेरे छ: करोड़ नागरिकों से भी प्रार्थना है. भाईयों-बहनों, मैंने तपस्या की है. गुजरात के आने वाले कल के लिए तपस्या की है, भाईचारे के लिए, एकता-शांति के लिए तपस्या की है. और हिंदुस्तान के इतिहास में इतने लंबे कालखंड के लिए इस प्रकार का अनशन चला हो ये पहली घटना है.

मारे कांग्रेस के मित्रों की मन:स्थिति में जानता हूँ. उनका सब कुछ चला गया है, इतने साल हो गये, जनता के दिलों में जगह नहीं बना पा रहे हैं और उसके कारण उनका मानसिक संतुलन खो जाना बहुत स्वाभाविक है. मानसिक संतुलन खो जाने के कारण कुछ भी अनाप-शनाप बोल देना भी बहुत स्वाभाविक है. अरे छोटा बालक हो, किसी खिलौने से खेलता हो, घड़ी से खेलता हो और हमें लगे कि टूट जाएगी, और हम घडी ले लें तो बच्चा कितना बौखला जाता है..? ये बहुत स्वाभाविक है. हमारे मित्र सब नाराज हो जाते हैं कि भाई, ये कांग्रेस के लोग ऐसा क्यों बोलते हैं, इतना क्यों बोलते हैं..? मैं तो पत्रकारों से भी प्रार्थना करता हूँ कि वो जितना बोलते हैं न, एक-एक शब्द छापिए, मैं टी.वी. के मित्रों को भी कहता हूँ, वो जो बोलते हैं, बिल्कुल सेन्सर मत किजिए, पूरा दिखाइए, जनता अपने आप इस भाषा को समझ लेगी, जनता अपने आप उन संस्कारों को जान लेगी. हमें कुछ करने की जरूरत नहीं पडेगी. ये गुजरात बड़े संस्कारी लोगों का समाज समूह है. लेकिन भाईयों-बहनों, मेरे मन में उनके प्रति कोई कटुता नहीं है. डिक्शनेरी में जितने शब्द हैं, जितनी गालियाँ हैं वे सारी मेरे लिए उपयोग कर चुके हैं, जिन गालियों को डिक्शनेरी में लिखना मुश्किल है वो भी सारी उपयोग कर चुके हैं. और कभी-कभी इस प्रकार का गुस्सा निकालने से मन थोडा हल्का हो जाता है. एक प्रकार से उनका मन शांत करने में मैं काम आया हूँ, ये भी मेरी सदभावना है, ये भी मेरी उनके प्रति सदभावना है. मुझे कभी लगता है कि अगर मैं न होता, तो वे अपना गुस्सा निकालते कहाँ? परिवार में जाकर बीवी को परेशान कर देते, अच्छा हुआ मैं हूँ..! मैं उनको शुभकामनाएँ देता हूँ कि माँ अंबा उनको शक्ति दें. और आधिक गालियाँ दें, और अधिक आरोप लगाएँ, और अधिक झूठ फैलाएँ और अधिक अनाप-शनाप बोलें और हमारी सदभावना की ताकत भी माँ अंबा बढ़ाती रहें ताकि किसी के प्रति कटुता पैदा न हो. प्रेम और सदभाव का महामंत्र ले कर हम आगे चलें.

 

ज जब बनासकांठा में आया हूँ तब, वर्तमान में सरकारी बजट से करीब ११०० करोड़ रूपयों के काम जारी हैं, प्रगति में हैं. लेकिन आज जब माँ अंबा के चरणों में आया हूँ और आपके सामने विकास की बात कर रहा हूँ तब आने वाले वर्ष के लिए विकास के काम जिसमें किसान का विकास हो, रास्ते चौड़े करने हों, केनाल का काम हो, पीने का पानी पहुँचाने का काम हो, गैस की पाइपलाइन का काम हो, स्कूल के कमरे बनाने हों, अस्पताल बनाने हों, विविध प्रकार के विकास के अनेक काम, उन सब कामों के लिए, आने वाले एक साल के लिए एक हजार सातसो करोड़ रूपया, १७०० करोड़ रूपया इस बनासकांठा की धरती के चरणों में दे रहा हूँ ताकि विकास की नई ऊँचाइयों को हम पार करें. फिर एक बार मेरे साथ बोलें...

 

भारत माता की जय..!

पूरी ताकत से बोलें,

भारत माता की जय..!

 

हुत बहुत धन्यवाद..!

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December 21, 2024
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भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।