सरदार सरोवर प्रोजेक्ट को मिलने पात्र एआईबीपी की केन्द्रीय सहायता डीडीपी (रेगिस्तान विकास क्षेत्र कार्यक्रम) के अंतर्गत
90 प्रतिशत स्तर पर मंजूर करने का आग्रह
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री और योजना आयोग ने भी गुजरात की इन जायज मांगों को स्वीकारा है
पंजाब और कर्नाटक के प्रोजेक्ट को एआईबीपी के 90 प्रतिशत के स्तर पर डीडीपी के तहत सहायता मंजूर हुई है तो सरदार सरोवर प्रोजेक्ट को क्यों नहीं मिलती मंजूरी ?
गुजरात में डीपीएपी और डीडीपी क्षेत्रों में नर्मदा का पानी अनिवार्य जीवनरेखा है
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने डॉ. मनमोहनसिंह को आज फिर एक बार पत्र भेजकर नर्मदा नदी पर गुजरात के सरदार सरोवर प्रोजेक्ट को केन्द्र सरकार के एक्सेलरेट इरीगेशन बेनिफित प्रोग्राम (एआईबीपी) की मिलनेपात्र केन्द्रीय सहायता डेजर्ट डवलपमेंट प्रोग्राम (डीडीपी) के स्तर पर देने के लिए तत्काल निर्णय करने का आग्रह किया है।
गुजरात के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर आकृष्ट करते हुए कहा है कि इस सन्दर्भ में पहले डॉ. मनमोहनसिंह को 17 जनवरी 2011, 17 मई 2011 को अलग- अलग पत्र भेजकर सरदार सरोवर प्रोजेक्ट को एआईबीपी की केन्द्रीय सहायता डीडीपी के स्तर पर अर्थात् खर्च के 90 प्रतिशत स्तर पर देने की उचित मांग की गई है। केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने उनके 11 मई 2011 के पत्र में साफ किया है कि डेजर्ट डवलपमेंट प्रोग्राम के क्षेत्रों, ड्रॉटप्रोन एरिया प्रोग्राम डीपीएपी के क्षेत्रों से ज्यादा जल की कमी वाले क्षेत्र हैं और डीपीएपी- डीडीपी दोनों क्षेत्रों को केन्द्रीय मदद की उतनी ही ज्यादा जरूरत है।
श्री मोदी ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि गुजरात सरकार की मांग के अनुसन्धान में भारत सरकार के योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने भी उनके 29 मार्च 2011 के पत्र में साफ किया है कि केन्द्रीय योजना आयोग, केन्द्र सरकार के जल संसाधन मंत्रालय के इस प्रस्ताव को समर्थन देते हुए इसे परिवर्तित किया जना चाहिए।
केन्द्रीय योजना आयोग द्वारा पूर्व में नियुक्त टास्क फोर्स द्वारा भी सिफारिश की गई थी कि डीडीपी क्षेत्रों को डीपीएपी क्षेत्रों के समान मानकर केन्द्रीय सहायता के लिए रखकर विसंगितता को दूर करना जरूरी है।
इसके अनुसन्धान में भारत सरकार ने मई 2010 में इस बारेमें विचार किया था और केन्द्रीय मंत्रिमंडल की ढांचागत सुविधा की केबिनेट कमेटी ने इस प्रस्तावित बदलाव के लिए मार्गदर्शिका जारी की थी। जिसमें एआईबीपी के अंतर्गत डीडीपी क्षेत्रों को डीपीएपी समान स्तर से केन्द्रीय सहायता का आवंटन करने में देश के तीन जल संसाधन प्रोजेक्ट, जिसमें पंजाब के दो और कर्नाटक का एक प्रोजेक्ट शामिल किया गया था मगर गुजरात के सरदार सरोवर प्रोजेक्ट को शामिल नहीं किया गया था। इसकी भूमिका मुख्यमंत्री ने पत्र में रखी।
श्री मोदी ने कहा कि गुजरात के सरदार सरोवर प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य ही गुजरात और राजस्थान का ड्रॉटप्रोन एरिया डीपीएपी (अकालग्रस्त क्षेत्र) और रेगिस्तानी क्षेत्रों को डीडीपी जल सुरक्षा उपलब्ध करवाना है। इसलिए प्रधानमंत्री जी को भी पूरी जानकारी है। इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने पत्र में लिखा है कि जहां तक गुजरात का मामला है तब तक सरदार सरोवर प्रोजेक्ट जिन क्षेत्रों को शामिल करता है उसमें 75 प्रतिशत क्षेत्र तो पानी की कमी वाले क्षेत्र हैं जो ड्रॉटप्रोन एरिया कार्यक्रम डीपीएपी और डेजर्ट डवलपमेंट प्रोग्राम डीडीपी क्षेत्र ही हैं।
सरदार सरोवर प्रोजेक्ट का कमांड एरिया कुल मिलाकर 18.45 लाख हेक्टेयर है जिसमें 5.08 लाख हेक्टेयर (27.56) प्रतिशत डीपीएपी और उससे ज्यादा 8.73 लाख हेक्टेयर (47.13) प्रतिशत डीडीपी क्षेत्र हैं। डीडीपी के क्षेत्रों में अपर्याप्त और अनिश्चित वर्षा होती है। इतना ही नहीं, जमीन में नमी की मात्रा डीपीएपी क्षेत्रों से काफी कम है। इसलिए ही, सरदार सरोवर प्रोजेक्ट की नहरों का ढांचा, जो इंटर बेजिन ट्रांस्फर ऑफ वाटर को समाहित करता है, ऐसे डीडीपी क्षेत्रों के लिए तो, एकमात्र नर्मदा का जल ही जीवनरेखा है।
अबतक सरदार सरोवर प्रोजेक्ट की नर्मदा नहरों के माइनर शाखा केनाल नेटवर्क से 7.19 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सम्भावनाएं खड़ी की गई हैं परंतु शेष रहे क्षेत्र तो खास तौर पर डीडीपी और डीपीएपी क्षेत्र ही हैं। जिनको एआईबीपी के अंतर्गत केन्द्रीय सहायता का 90 प्रतिशत ग्रांट के रूप में मिले तो, सरदार सरोवर प्रोजेक्ट के केनाल के बाकी नेटवर्क का निर्माण भी तेजीसे हो सकेगा। श्री मोदी ने कहा कि इसके साथ ही सिंचाई की सुविधा बढ़ने से भारत में कृषि उत्पादन और सर्वांगीण विकास का अपना मकसद फलीभूत हो सकेगा।