मंच पर विराजमान श्रीमान सुबोध कुमार अग्रवाल, श्री पुरूषोत्तम खंडेलवाल, श्रीमान के. रघु, श्री विजय गर्ग, श्री जिनल शाह, सुबोध केडिया, श्री अनिकेत तलाटी, श्री अमरीश पटेल, और जिसका नाम बोलूंगा तो आप जरूर पंसद करेंगे वो अंकित कोटेचा..! मुझे लगता है कि मुझे आप लोगों को खुश करके जाना चाहिए..! आपको खुश करने में मेरा स्वार्थ है, क्योंकि आगे चल कर हमारा ऑडिट आप ही करने वाले हैं..! और होता ऐसा ही है, क्लाइंट ऑडिटर को खुश रखने के लिए बहुत कुछ करता है..! मैं सही बोला ना..? मित्रों, आई.सी.ए.आई. का जो मोटो है वो है ‘
अयं एषु सुप्तेषु जागर्ति’, सोते हुए लोगों के बीच जो जागता है..! ये ही है ना..? लेकिन और भी एक कहावत है, सोए हुए को जगाना बहुत सरल होता है, लेकिन जो जाग रहा है उसको जगाना बहुत मुश्किल होता है..! और आप लोग तो जागते हैं और जो जागृत है उसे कौन जगा पाएगा..!

मित्रों, आप एक ऐसे प्रोफेशन में हैं, और जिसकी ओर आप आगे बढ़ रहे हैं... एक डॉक्टर का प्रोफेशन जो है, चाहे एक फैमिली डॉक्टर होगा या जनरल प्रेक्टिस करने वाले होंगे या सर्जन होंगे, तो सब लोगों को पता होता है कि ये लोगों के स्वास्थ्य की चिंता करता है, ये पता होता है कि ये बीमार को ठीक करता है, दर्द दूर करता है, पीड़ा से मुक्ति दिलाता है और उसके कारण जो इन्डीविज्युअल बैनिफिशयरी है उसके मन में उसके प्रति एक विशेष भाव पैदा होता है। लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होता है कि समाज के स्वास्थ्य की चिंता करने का काम चार्टर्ड अकाउन्टेंट करता है..! समाज की व्यवस्थाएं स्वस्थ्य रहें, समाज की व्यवस्थाओं में वो चीजें प्रवेश ना कर जाएं जिसके कारण लंबे अर्से तक, पीढ़ियों तक उसका प्रभाव पैदा हो जाए। और उस अर्थ में चार्टर्ड अकाउन्टेंट की जिम्मेवारी किसी डॉक्टर से जरा भी कम नहीं है..! और एक डॉक्टर जब किसी मरीज की सेवा करता है और शरीर को काट भी देता है, शरीर का एक हिस्सा चला भी जाता है तो भी डॉक्टर उसे अच्छा लगता है। हाथ काट देने के बाद कहता है, थैंक यू सर..! क्यों..? आपने मुझे बचा लिया। लेकिन एक ऑडिटर जब ऑडिट निकालता है तो कहता है यार, ऑडिटर बदलना पड़ेगा..! वो कहता है कि भाई, मैं तुम्हारे स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए कहता हूँ। तुम कानून की मर्यादाओं में रहो, नियमों का पालन करो, ट्रांसपेरेंसी रखो तो क्लाइंट खुद कहता है कि तुमसे तो भला कोई प्रेक्टिकल आदमी ढूँढूगा..! और मुझे अभी तक ये प्रेक्टिकल क्या चीज है वो समझ में नहीं आया है..! मुझे राजनीति में भी बहुत लोग कहते हैं कि मोदी जी, ये राजनीति है,  प्रेक्टिकल होना पड़ेगा..! और ये प्रेक्टिकल क्या होता है ये आप तो अभी स्टूडेंट हैं इसलिए आपको पता नहीं होगा, लेकिन आपके सीनियर बता सकते हैं..!

मित्रों, आज देश में काले धन की बड़ी चर्चा है। क्यों भाई, आप लोगों को करंट क्यों लगा..? काला धन विदेशों में है इसकी भी चर्चा है। ये काला धन, करेंसी तो काली नहीं है, ये काले मन की पैदावार है और उसके कारण एक पैरलल इकोनॉमी खड़ी हो जाती है, एक पूरा पैरलल अर्थतंत्र चलता है, जिस पर ना किसी की निगाह होती है, ना किसी का कंट्रोल होता है और वो आगे जा कर के नासूर बन जाता है और कभी-कभी तो ऑफिशियल फाइनेंशियल सिस्टम से ये अनऑफिशियल फाइनेंशियल सिस्टम इतनी ज्यादा तगड़ी हो जाती है कि सारी व्यवस्थाएं नाकाम हो जाती हैं..! मित्रों, वो कौन सी जगह है जहाँ पर काले धन को रोकने की संभावना है, जहाँ काले मन वाला इंसान काला धन पैदा करता है वो जगह है..? नहीं दोस्तों, एक खिड़की ऐसी है जिस खिड़की पर अगर सही चौकीदार बैठा हो तो काला धन बनने की संभावना नहीं है और वो जगह के चौकीदार आप हैं..! एक चार्टर्ड अकाउन्टेंट अगर इन चीजों को अगर बारीकियों से देखता है, उनके कारनामें क्या हैं, प्रवृत्तियाँ क्या हैं, कहाँ से क्या हो रहा है, पहले लिखा था तो फिर क्या हुआ... अगर इन बातों की ओर देखने की व्यवस्था है और यदि बड़ी सतर्कता से और पूरी तरह प्रोफेशनलिज़्म से देखता है, तो मैं मित्रों, विश्वास करता हूँ कि बहुतेक मात्रा में नए काले धन का निर्माण तो रोका जा सकता है। जो पुराना पाप हो गया, जिन्होंने किया उनको सजा देने के लिए अवसर आएंगे, लेकिन बाकियों के लिए तो आप ही है, मित्रों। और इसलिए समाज जीवन में ये एक ऐसा प्रोफेशन है, जिस प्रोफेशन में समाज की पूरी अर्थव्यवस्था को बचाए रखने का, टिकाए रखने का सर्वाधिक सामर्थ्य है..!

भी-कभी क्या होता है कि हम खुद जिस क्षेत्र में होते हैं उसमें हमें पता तक नहीं होता है कि मैं जो कर रहा हूँ उसका इम्पेक्ट कितने बड़े स्पेक्ट्रम पर होने वाला है..! उसे तो लगता है कि हाँ यार, जिन्दगी एक से दस के अंक के आस-पास ही गुजारनी है, तो वो देखता रहता है, टोटल लगाता रहता है, दिन-रात हिसाब चेक करता है, कम्प्यूटर को पूछता रहता है, सॉफ्टवेयर रखता है, हिसाब ले लेता है... उसको लगता है कि मेरा जीवन इसी अंकगणित के साथ ही जुड़ गया है। प्लस-माइनस, प्लस-माइनस, इन्टरेस्ट, यही देखता रहता है..! मित्रों, एक बार कुछ पत्थर तराशने वाले लोग पत्थरों को तराश रहे थे। शरीर पर पसीना बह रहा था। धूप और छांव ऐसा थोड़ा सा शेड था। निर्जिव पत्थरों पर अपना काम कर रहे थे। किसी ने जाके पूछा कि भाई, क्या कर रहे हो..? अरे भई, क्या करें, पेट भरने के लिए मजदूरी कर रहे हैं..! दूसरे को पूछा तो उसने कहा, क्या करें भाई, पैदा ही पत्थरों के बीच हुए हैं, तो गुजारा भी पत्थरों के बीच ही होगा, यही कर रहे हैं..! तीसरे को पूछा, तो बोले क्या करें भाई, बच्चों को पालना है तो मेहनत तो करनी पड़ती है, कर रहे हैं..! देखिए ना हाथ कैसे हो गए हैं हमारे..! एक और को पूछा, क्या कर रहे हो, भाई..? उसने कहा, मैं भव्य मंदिर का निर्माण कर रहा हूँ..! पत्थर तो वो भी तराश रहा था, हाथ में खून तो उसका भी बह रहा था, लेकिन उसको पता था कि मैं कितने बड़े लार्जर कैनवास पर अपनी भूमिका को निभा रहा हूँ..! और उसको गर्व हो रहा था कि मैं जो ये पत्थर को तराशने का काम कर रहा हूँ, इससे मैं भव्य मंदिर का निर्माण कर रहा हूँ और मैं उस भव्य मंदिर के निर्माण का एक कर्ता हूँ..! बाकि दस बैठे थे उनको लगता था कि मैं तो मजदूरी कर रहा हूँ, मैं तो बच्चों के लालन-पालन के लिए कर रहा हूँ..!

मित्रों, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की भूमिका ये होनी चाहिए कि मैं सिर्फ एक से दस अंक के टोटल और प्लस-माइनस करने के पीछे नहीं लगा हूँ, मैं इस राष्ट्र की अर्थशक्ति का निर्माण करने की एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हूँ..! तब जा कर के लगेगा कि मेरे जीवन के सामने लक्ष्य क्या है, मैं किन चीजों की ओर अपने जीवन को जोड़ता हूँ..! मित्रों, ये आंकड़ों का खेल नहीं है, ये जिंदगी का अवसर है, ये अगर मान लें तो इसे भी जीने का आंनद आता है..! मित्रों, यहाँ बहुत लोग ऐसे बैठे होंगे, जब वो छोटे होंगे और घर में मेहमान आए होंगे तो माँ ने परिचय करवाया होगा कि ये जो बड़ा है ना उसे डॉक्टर बनाना है, छोटा है उसे इंजीनियर बनाना है..! आपने भी बहुत सालों तक सुना होगा, डॉक्टर बनूंगा या इंजीनियर बनूंगा..! कभी बोला होगा, पायलट बनूंगा या क्रिकेटर बनूंगा..! थोड़ा सेलेब्रिटी का शौक होगा तो... अब वो तो बन नहीं पाए, यहाँ आ गए..! और दिन-रात, क्या करें..? लॉ और सी.ए. में पढ़ने वाले नौजवानों के लिए हमेशा मेरे मन में कुछ ना कुछ सोच रहती है। मैं पूछता हूँ आप लॉ क्यों कर रहे हो..? बोले नहीं, और कोई काम नहीं था..! मैं आपके लिए तो ऐसा बोल नहीं सकता हूँ क्योंकि मुझे फिर ऑडिट करवाना है..! लेकिन मैं कुछ ऐसे परिवार को जानता था, जो बेटे को कहते थे तुम सी.ए. में एडमीशन तो ले लो..! क्योंकि शादी तय नहीं हुई थी, बेरोजगार कहने में संकट था..! तो रिश्तेदारों को कहते थे, नहीं-नहीं, वो सी.ए. कर रहा है..! तो तब तक मेल बैठ जाता था। फिर सी.ए. हो या ना हो, कहीं तो मेल बैठ जाएगा..! मित्रों, हालात कोई भी रहे हो, हम कैसे भी कहाँ पहुंचे हो, लेकिन ये बात सही है

मित्रों, आप अपनी योजना से आए हो, अपने इरादे से आए हो या संजोग ने आपको यहाँ भेजा हो, लेकिन जहाँ हो वहाँ जी जान से जीने की कोशिश करो, दोस्तों..! और एक बार आप उसमें जुड़ जाओगे, जुट जाओगे, तो आप देखिए जिस क्षेत्र में गए हो वहाँ भी एक नई जिंदगी का निर्माण कर सकते हो और एक नए युग की शुरूआत कर सकते हो..! मित्रों, मैं मूलत: राजनीति का व्यक्ति नहीं था। मैंने घर छोड़ा था सामाजिक काम के लिए, लेकिन हालात ने मुझे यहाँ पहुंचा दिया और जब पहुंच ही गया तो मैंने तय किया कि अब पीछे मुड़ कर नहीं देखेंगे, जिंदगी खपा देंगे, मित्रों..! समय की प्रत्येक क्षण, शरीर का प्रत्येक कण इस दायित्व को निभाने के लिए कोई कोताही नहीं बरतेंगे और मैं आज उसका परिणाम देख रहा हूँ..! मेरा गुजरात प्रगति की नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है..! मित्रों, युवा मन के सामने एक मिशन होना चाहिए और अगर मिशन है, जिंदगी में कुछ करने की इच्छा है तो रास्ते अपने आप मिल जाते हैं..! कुछ वर्षों पूर्व की मेरे जीवन की एक सच्ची घटना है, वो मेरे जीवन में बहुत दिशा दर्शक रही है। मैं एक बार सुबह अर्ली इन द मॉर्निंग स्कूटर पर जा रहा था। हाँ, मुझे आता है चलाना..! तो मैं पालडी के पास से जा रहा था तो एक ट्राइबल था उसने मुझे रोक दिया। उसने कहा साब, साबरमती इस तरफ जाते हैं क्या..? मैंने कहा भई, तुम पैदल जाओगे क्या..? नहीं-नहीं, बोला साब, इस तरफ है ना साबरमती..? मैंने कहा भई, कब पहुँचोगे तुम, तब तक तो धूप निकल आएगी, तुम परेशान हो जाओगे..! बोले साब, कितनी दूरी पर है इसकी चिंता छोड़ो, दिशा तो सही है ना..! उसने मुझे तीन बार पूछा, साब सही रास्ते पर हूँ ना, मुझे इतना बताइए, दूरी कितनी है मैं पूछ नहीं रहा हूँ आपको..! मित्रों, एक आदिवासी उस दिन सुबह-सुबह मुझे मिल गया, मैं कभी भी उस बात को भूल नहीं सकता हूँ..! आप भी मित्रों, मंजिल कितनी भी दूर हो, रास्ता सही होना चाहिए। और अगर सही रास्ते पर हो, तो ये तय मान कर चलिए मित्रों, आप मंजिल की ओर नहीं जा रहे हो, मंजिल आपकी ओर आ रही है..!

मित्रों, बहुत लोग इसलिए दु:खी होते हैं क्योंकि उनके दिमाग में भरा रहता है कि कुछ बनना है..! और ये जो बनने वाले लोग होते हैं ना उनको नींद नहीं आती है..! यानि जागते रहो ये एक अलग अर्थ है..! नींद नहीं आती उनको, दिन-रात उसको लगता है कि कुछ बनना है और जब बन नहीं पाता है तो जिंदगी उसको बोझ लगने लगती है। सी.ए. बनना था, बन नहीं पाया, तीन साल लगाए, निकल नहीं पाया, कोई सही दिशा नहीं मिली, अटक गया... फिर जो मिला उससे गुजारा करना पड़ता तो बैचेन रहता है कि अब किसी सी.ए. के यहाँ नौकरी करनी पड़ेगी, अकाउंटेंट बनके गुजारा करना पड़ेगा..! मित्रों, जिंदगी बोझ बनने लग जाती है..! मैं सभी नौजवान मित्रों को एक सलाह देना चाहता हूँ, दूँ..? इस कोने में से आवाज आई..! दोस्तों, कभी कुछ बनने के सपने मत देखो। आज तक आपको सबने कहा होगा। मैं आज आपको उल्टी बात बताने आया हूँ। मित्रों, कभी कुछ बनने के सपने मत देखो, अगर सपने देखने हैं तो कुछ करने के सपने देखो..! मित्रों, जब बनने के सपने देखते हैं और मंजिल से थोड़ी दूर रह जाते हैं, तो निराश हो जाते हैं। कुछ करने के सपने देखते हैं और करते-करते सेटिस्फैक्शन लेवल इतना बढ़ जाता है कि आप करते भी चले जाते हो, बनते भी चले जाते हो और संतोष भी मिलता चला जाता है..! मित्रों, आप अर्थ जगत से जुड़े हुए हैं। गुजरात के विकास की चारों तरफ चर्चाएं चल रही हैं..! क्या सुनना है, भाई..? मित्रों, गुजरात एक राज्य ऐसा है... और दिल्ली की सरकार का बराबर हिसाब देखिए। आज जो देश की हालत बनी है..! मित्रों, आपको जान कर हैरानी होगी, आप अकाउंट की दुनिया के हो इसलिए मैं उसी भाषा में बताना चाहता हूँ।

आज दिल्ली सरकार का 65% से 70% परसेंट नॉन-डेवलपमेंट एक्स्पेन्डीचर है, सिर्फ 30% अमाउंट डेवलपमेंट एक्स्पेन्डीचर में है..! आप मुझे बताइए, अगर विकास के लिए धन कम खर्च होता है और बेफिजुल खर्च ज्यादा होता है तो फिर आपकी थाली में रोटी कहाँ से आएगी, नौजवान को रोजी कहाँ से मिलेगी, देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर कहाँ से बनेगा, विकास कहाँ से नजर आएगा..? मित्रों, गुजरात में जब मैं 2001-02 में आया था, तो यहाँ क्या स्थिति थी..? यहाँ पर विकास के लिए खर्च 40% होता था और फिजूल खर्च 60% होता था..! आप अखबारों में पढ़ते होंगे कि मोदी उत्सव करते हैं, मोदी रूपये खर्च करते हैं, मोदी ये करते है, मोदी वो करते हैं..! हर एक की रोजी-रोटी का सवाल है और मुझे इस बात की खुशी है कि मैं इतने लोगों की रोजी-रोटी के लिए काम आता हूँ..! मित्रों, मौन भी बिक सकता है ये मैंने कभी सोचा नहीं था, ये मैंने पहली बार अनुभव किया कि इस देश में मौन भी बिक सकता है..! जब क्रिकेट की आई.पी.एल. का मैच फिक्सिंग वाला विवाद चल रहा था, सात दिन तक चल रहा था, मोदी मौन क्यों हैं..? मौन बिक रहा था..! मित्रों, किसीको ये सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ होगा जो मुझे मिला है..! आज स्थिति क्या है? भारत सरकार की स्थिति ये है कि 65% से 70% आय फिजूल खर्च में जाती है। मित्रों, गुजरात में हमने सारी चीजों को रिवर्स कर दिया। आज गुजरात में 65% से 70% पैसा विकास के लिए खर्च होता है, मुश्किल से 30-35% पैसा तन्ख्वाह वगैरा में जाता है, बाकी सारा पैसा विकास में जाता है..! और आप अकाउंट की दुनिया के लोग हैं, आप जानते होंगे कि निवेश कहाँ करना चाहिए, आप जानते हो..!

मित्रों, आप लोग जब कंपनियों का ऑडिट करते हो, जो आपको भविष्य में करना है। आज स्टॉक मार्केट में इंवेस्टमेंट करने वाले लोग किस पर भरोसा करते हैं..? गरीब इंसान अपने पैसे दांव पे लगा देता है, किसके ऊपर..? कभी सोचना दोस्तों, आप सिर्फ किसी को ऑडिट रिपोर्ट नहीं दे रहे हो, आप इन्वेस्टर की जिंदगी के साथ एक भरोसे का सौदा कर रहे हो..! अगर आप गलती करते हो और बैलेंस शीट दूसरी निकल गई, तो लोगों को लगेगा कि ये कंपनी ऊपर जा रही है और गरीब लोग इंवेस्टमेंट कर देंगे..! रियेलिटी में वो कंपनी डूब रही है। वो कंपनी नहीं डूबती मित्रों, आम आदमी डूब जाता है..! और तब मित्रों, कभी अपनी आत्मा को पूछना कि इतने लोगों के पैसे चले गए... गरीब आदमी, टीचर है, छोटा चपरासी है, वो बेचारा सोचता है कि चलो भाई, मार्केट ठीक है तो दो-पाँच शेयर ले लो..! ले लेता है, क्यों..? बाजार में उस कंपनी की अच्छी खबर आई है उसी के आधार पर। वो अच्छी खबर कहाँ से आई, भाई? आप ही के माध्यम से आती है। ऑडिटर तय करता है कि ठीक है या नहीं है। उसका जब तक सर्टिफिकेट नहीं मिलता है, तय नहीं होता है। और उसके भरोसे अगर लोग रूपये दाँव लगा दें... किसी गरीब ने अपनी बेटी जवान हो रही है और वो सोचे कि चलिए शेयर बाजार में दो हजार रूपये लगा देते हैं, ये कंपनी अच्छी जा रही है तो पाँच साल के अंदर इतना पैसा मिल जाएगा तब बेच देंगे, बेटी की शादी हो जाएगी, गरीब के घर का जिम्मा पूरा हो जाएगा..! लेकिन अगर आपने गलत ऑडिट कर दिया, गलत बैलेंस शीट निकल गई तो उस गरीब ने अपने जो दो हजार रूपये डाले हैं और जब बेटी की शादी की नौबत आई तब बाजार में पैसा नही मिला..! आप कल्पना कीजिए मित्रों, उसकी पीड़ा कितनी होगी, उसका दर्द कितना होगा..? और उस दर्द के लिए जिम्मेवार कौन होंगे..? मित्रों, वो कंपनी वाले बाद में होंगे, पहले हम लोग जिम्मेवार होंगे जिन्होंने इसे चलने दिया..! और इसलिए मित्रों, ये कोई सामान्य काम आपके पास नहीं है, आप इतने बड़े काम की ओर अपना कदम रखने वाले हैं कि जिसके कारण समाज के गरीब से गरीब आदमी के जीवन की सुरक्षा आपके एक सिग्नेचर में है, कोई छोटा काम आपके पास नहीं है..! और इसलिए अपने काम के माहात्म्य को समझना, अपने काम के बड़प्पन को समझना और उस बड़प्पन के आधार पर जिंदगी को गुजराना, रास्ते तय करना, फिर आप देखिए मित्रों, समाज आपको कितने गर्व के साथ देखने लगता है इसकी आपको अनुभूति होगी..!

मित्रों, क्या कारण है कि इतना बड़ा प्रोफेशन, इतना बड़ा इसका रुतबा होने के बाद भी सामान्य समाज में इसकी छाया नहीं है..! मैं चाहता हूँ कि इतने बड़े वरिष्ठ लोग हैं, वो इस पर चिंतन करें। अगर गाँव के अंदर उद्योगपति है तो उसकी समाज पर छाया है, डॉक्टर है तो समाज पर छाया है, लॉयर है तो समाज पर छाया है, लेकिन चार्टर्ड अकाउंटेंट की जिंदगी पाँच-पचास कंपनियों तक सीमित हो जाती है, समाज में उसका विस्तार नहीं होता है..! अगर हम लोग कोशिश करें कि हम चार्टर्ड अकाउन्टेंट समाज की इतनी-इतनी प्रकार की सेवा करते हैं, इसके कारण हम समाज के स्वास्थ्य की इस प्रकार की जिम्मेवारी निभाते हैं, ये सामान्य जन तक पहुंचाने की एक बहुत बड़ी आवश्यकता है, ऐसा मैं मानता हूँ। एक बहुत बड़ा दायित्व है। सामान्य मानवी को मालूम नहीं है कि सी.ए. क्या करता है। वो कॉर्पोरेट हाउस तक, कॉर्पोरेट वर्ल्ड तक सीमित रह जाता है। इतना बड़ा पावर..! आप देखिए, अहमदाबाद में सात हजार चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। मित्रों, सात सौ लॉयर खड़े हो जाए ना, तो सरकार इधर-उधर हो जाए, आप सात हजार हैं..! ये ताकत छोटी नहीं है, मित्रों..! समाज को अनुभूति होनी चाहिए कि इतने प्रोफेशनल्स, इतने पढ़े लिखे लोग समाज को कितना बड़ा योगदान कर रहे हैं..! ये जो डिस्कनेक्ट है, उस डिस्कनेक्ट को भरना की जरूरत है ऐसा मुझे लगता है। आपके पास सबकुछ है, आप अपने काम को कर भी रहे हैं, लेकिन सामान्य मानवी के लिए कर रहे हैं ये मैसेज नहीं जा रहा है। करते सब हैं, कोई ना कोई रास्ता खोजना चाहिए, सामान्य मानवी को लगना चाहिए कि इस इंस्टीट्यूशन का भी अपना महत्व है..! किसी जमाने में जो पैथोलॉजी लैबोरेट्री हुआ करती थी, तो सामान्य पेशेंट उसका महत्व ही नहीं समझता था, आज से तीस साल पहले। पैथोलॉजी डॉक्टर है, ठीक है, होगा..! यही सोच थी..! देखिए, आज देखते-देखते पैथेालॉजी डॉक्टर का महत्व कितना बढ़ गया है, पैथोलॉजी लैब का महत्व कितना बढ़ गया है..! और हर बीमार को इसका महत्म समझ में आता है, बाद में डॉक्टर का महत्व समझ में आता है। आप भी एक ऐसी जगह पर बैठे हैं और उसकी अनुभूति समाज को कैसे हो उस दिशा में काम करना चाहिए..!

मित्रों, मेरी आपसे एक और अपेक्षा है..! इन दिनों हमारा ऑडिट भी रोज होता रहता है। फुटपाथ पर खड़ा हुआ भी हमारा ऑडिट करता है, चौराहे पर खड़ा हुआ भी हमारा ऑडिट करता है, ट्रेन में भी, बस में भी... ये मोदी क्या कर रहा है, यार..? हर पल हमारा ऑडिट होता है और पाँच साल के बाद ऑफिशियल भी होता है। मित्रों, लेकिन ये जो एन.जी.ओ. नाम की जमात पैदा हुई है, जो फाइव स्टार एक्टीविस्टों की एक बड़ी फौज तैयार हो गई है, उन्हें कहाँ से पैसे आते हैं, उन पैसों का क्या होता है, क्या समाज से लिए हुए पैसों का सच्चे अर्थ में समाज के लिए उपयोग होता है क्या..? और उनको भी ऑडिट करवाना कम्पलसरी होता है। कम से कम इस प्रकार के चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन हैं... कुछ हैं ऐसे जहाँ कभी कुछ देखना नहीं पड़ता है। इतने अच्छे चेरिटेबल इंस्टीट्यूशन जमाने से चले आ रहे हैं जिसमें कभी भी, यानि लाख कोशिश करने के बाद भी एक रूपया कभी इधर से उधर ध्यान में नहीं आता है, होता ही नहीं है, मित्रों..! और बाकी जगह पर, डॉलर आए थे तो ऐसा कर दो, पाउंड आए थे तो ऐसे कर दो..! कार खरीदी थी तो देख लो यार, कहीं तो लिखना पड़ेगा, कम्प्यूटर लाए हैं तो कहीं तो लिखना पड़ेगा..! कुछ ना कुछ होता रहता है, मित्रों..! एक ऐसी व्यवस्था विकसित हो रही है और वो सामाज जीवन का एक हिस्सा है, उसको नकार नहीं सकते, लेकिन उसमें अकाउन्टीबिलिटी कैसे बढ़े, एक ऑडिटर के नाते इन चीजों को बारीकी से कैसे देखा जाए..! और इसलिए मैं कहता हूँ कि एक आम व्यापारी का उद्योग उखड़ गया, लोगों को नुकसान हुआ, तो ज्यादातर लोग मान लेंगे कि उसने बेइमानी की होगी तो चला गया, रूपये गए, नसीब में नहीं था तो आया नहीं, हमने गलत जगह पर इन्वेस्ट कर दिया था..! लेकिन जब एक सामाजिक संस्था में गिरावट आती है तो पूरी समाज व्यवस्था में गिरावट आती है, एक सामाजिक संगठन के अंदर कुछ बुराई आती है तो उस बुराई को समाज जीवन में इंजेक्ट होते देर नहीं लगती..! मित्रों, मैं समझता हूँ कि आप ऐसी जगह पर बैठे हैं कि सार्वजनिक जीवन की अनुसूचिता... अभी तो अच्छा है कि हमारी पॉलिटिकल पार्टियों के अकाउंट भी ऑडिट होते हैं, अच्छी बात है। और इन सब को कठोरता से करना चाहिए, क्योंकि हमें समाज की अर्थव्यवस्था को ठीक करना है और आप ही लोग हैं जो इसको कर सकते हैं..! मुझे सुबह आना था यहाँ और अभी आया हूँ..! नाराज तो नहीं हुए ना दोस्तों..? क्योंकि अचानक अब्दुल कलाम साहब का कार्यक्रम बन गया तो सुबह मुझे उनके साथ रहना बहुत जरूरी था। और उसके कारण मैंने सब मित्रों को रिक्वेस्ट की थी कि भाई, अगर आप इजाजत दें तो मैं शाम को अपना कर्ज चुका दूंगा..! उन्होंने इजाजत दी और मैं आपके बीच आ गया।

मित्रों, आप इस क्षेत्र से हैं तो मैं एक जानकारी देना चाहता हूँ। गुजरात की प्रगति की गति कितनी तेज है, उसका व्याप कितना चौड़ा है और उसकी ताकत कितनी गहरी है..! देखिए, गुजरात का जन्म हुआ तबसे लेकर के मेरे आने तक नौ पंचवर्षीय येाजनाएं हुई। इन नौ पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत गुजरात में कुल खर्च हुआ 55,000 करोड़। दसवीं पंचवर्षीय योजना में मित्रों, 1,75,000 करोड़..! मेरे आने के बाद की बात कर रहा हूँ..! चालीस साल में फिफ्टी फाइव थाउज़न्ड करोड़, पाँच साल में वन लैख सेवन्टी फाइव थाउज़न्ड करोड..! और मित्रों, इन सबको मैं मिला दूँ, तो दस योजना का टोटल होता है 2,30,000 करोड़, जिसमें मेरे समय के भी पांच साल आ गए। मित्रों, 11 वीं पंचवर्षीय योजना में हमारी संख्या उससे भी आगे बढ़ गई, पचास साल के टोटल से भी हम आगे बढ़ गए। और बारहवीं पंचवर्षीय योजना में हम करीब-करीब 2,51,000 करोड़ रूपया लेकर आगे बढ़ रहे हैं। और मित्रों, कोई नए टैक्स नहीं डाले हैं, सिर्फ लीकेज बंद किया है। आप देखिए कितनी ताकत है..! न दिनों आपके प्रोफेशन में भी टैक्नोलॉजी का महत्व बहुत बढ़ रहा है। और जब आपकी टैक्नोलॉजी का महत्व बढ़ रहा है तब एक नया क्षेत्र जो स्वाभाविक रूप से आपसे जुड़ेगा वो मुझे लगता है कि फोरेन्सिक ऑडिटिंग..! कम्प्यूटर पर किसने गड़बड़ किया, कम्प्यूटर में किसने आंकड़े ऊपर-नीचे कर दिए..! पहले हाथ से करते थे तो पकड़े जाते थे, अब कप्यूटर से करना सरल है, लेकिन पकड़ा जाना भी सरल है..! और इसलिए एक नई विधा डेवलप हो रही है। गुजरात की जो फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी है। दुनिया में गुजरात पहला राज्य है जिसने फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाई है। और जब मैं ये कहता हूँ तो झूठ बोलने वालों की जमात ये कहती है कि मोदी झूठ बोलता है। फोरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट तो फलानी जगह पर है..! मैं फिर कहता हूँ भइया, मैं फोरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट नहीं कह रहा हूँ, मैं फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी कह रहा हूँ। उसका जवाब नहीं देते..! ये ऐसे ही हैं..! अब आप भी तो समझ गए होंगे ना कितना झूठ चलता है..! और मित्रों, चार्टर्ड अकाउन्टेंट के फील्ड में भी फोरेंसिक साइंस का कितना बड़ा रोल हो सकता है, उसको कैसे केयर किया जाए, उसको कैसे कैटर किया जाए, इन सारी बातों को हमारे प्रोफेशन में आगे लाने की आवश्यकता है..! मित्रों, मैं आज इतनी सारी संख्या में नौजवान लोगों के साथ आया हूँ, देश भर में शायद, रघु मुझे बता रहे थे, कि वन मीलियन मैम्बर्स हैं आपके।

मित्रों, आपके मन में कोई विचार आता है, कोई सुझाव आता है तो आप डायरेक्ट मुझे कान्टेक्ट कर सकते हैं। मैं फेसबुक पर अवेलेबल हूँ, मैं ट्विटर पर अवेलेबल हूँ, यू-ट्यूब पर अवेलेबल हूँ, वॉट्सऐप पर भी मिलूँगा..! मित्रों, आपके मन में कोई भी नया विचार आता है, आप चाहते हैं कि हाँ, ये विचार सरकार को जानना-समझना चाहिए, तो आप मुझे जरूर भेजिए। इससे बड़ी पोस्ट ऑफिस नहीं मिलेगी आपको..! आप जरूर मेरे से संपर्क बनाइए और मैं चाहूँगा कि आपके दस लाख मैम्बर हैं, मैं जुड़ना चाहूँगा। क्योंकि मैं देखूं तो सही कि देश की युवा पीढ़ी के मन में क्या चल रहा है..! ये टैक्नोलॉजी का बहुत अच्छा उपयोग हो सकता है, जिससे दुनिया के बदलते हुए प्रवाहों को बड़ी सरलता से हम समझ पाते हैं। मैं आपको निमंत्रण देता हूँ, आप आइए, मेरे साथ जुड़िए, अपने मन की बात बताइए, अपने विचार बताइए। देश के लिए कुछ सुझाव हो, गुजरात के लिए कुछ सुझाव हो, सरकार की किसी नीतियों के लिए सुझाव है, बिना रोक-टोक बताइए..! आप लोग अगर मेरी वेबसाइट पर गए होंगे तो उसमें एक अच्छा कॉलम है, मित्रों। ये हिम्मत कोई और करेगा या नहीं करेगा ये मैं नहीं जातना हूँ। उसमें एक सिटीजन जर्नलिज़म जैसा एक कॉलम है। आपके मन में कोई आर्टिकल लिखने का मूड आया, तो आप उसमें लिख सकते हैं और आपका आर्टिकल दुनिया पढ़ेगी, आपके विचार मेरे खिलाफ होंगे तो भी पढ़ेगी..! वैसे भी बहुत लोग करते ही हैं, तो एक और सही..! तो मैं मित्रों, आपको निमंत्रण देता हूँ। इसके बाद शायद आपका मनोरंजन का कार्यक्रम है, तो एक प्रकार से छह बजे से ही मनोरंजन कार्यक्रम शुरू हो गया था..!

थैंक्यू दोस्तों,

विश यू ऑल द बैस्ट,

थैंक्स अ लॉट..!

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December 21, 2024
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भारत, एक विश्व मित्र के रूप में, विश्व की भलाई के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय,

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भारत माता की जय,

नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।