52 वां गुजरात गौरव दिवस
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का गुजरात की जनता के नाम संदेश
गुजरात को विकास की ऐसी ऊंचाईयों पर पंहुचाया है,जहां प्रत्येक गुजराती
यह मेरा गुजरात का गौरव ले सकता है
महागुजरात आन्दोलन के सभी शहीदों को शत-शत नमन
इन शहीदों के रक्त को व्यर्थ नहीं जाने दिया
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात की स्थापना के 52 वें गौरव दिवस पर राज्य के सभी नागरिकों को शुभकामनाएं देते हुए संकल्प जताया है कि गुजरात को विकास की ऐसी ऊंचाईयों पर पहुंचाया है,जहां प्रत्येक गुजराती को गुजराती होने का गौरव हो कि यह मेरा गुजरात है।जनता के नाम सन्देश में मुख्यमंत्री ने महागुजरात आन्दोलन के इन्दुचाचा सहित सभी साथियों को याद करते हुए शहीदों को शत-शत वन्दन किया और कहा कि इन शहीदों के रक्त को व्यर्थ नहीं जाने दिया है। विकास के लिए हर गुजराती गर्व कर सकता है।
मुख्यमंत्री का गुजरात गौरव दिवस क सन्देश अक्षरस: इस प्रकार है-
गुजरात के सभी प्रिय नागरिक भाई- बहनों। 1 मई 1960 गुजरात का स्थापना दिवस है। 51 वर्ष बीत गए। आज 52 वें वर्ष में अपना मंगल प्रवेश है और इस मंगल प्रवेश के अवसर पर महागुजरात आन्दोलन के सभी शहीदों को हम नमन करें। इन्दु चाचा सहित महागुजरात आन्दोलन चलाने वाले समग्र गुजरातवासियों को याद करने का यह मौका है।
उस वक्त के विद्यार्थी समुदाय ने गुजरात के गौरव के लिए गोलियां खाना पसंद किया था। गुजरात यह कभी नहीं भूलेगा। भद्र के कांग्रेस भवन में से गुजरात के विद्यार्थियों पर गोलीबारी हुई थी। अनेक युवाओं ने अपना लहु बहाया था। लेकिन गुजरात ने इन वीरों क्र लहु को व्यर्थ नहीं जाने दिया है। 52 वर्ष में अनेक सरकारें आई, अनेक आन्दोलन हुए, अनेक घटनाएं घटी। अच्छे-बुरे वाकये हुए मगर गुजरात इन सब के बीच सदैव आगे बढ़ता रहा।
इन 51 वर्ष पर नजर डालें तो साफ नजर आता है कि 21 वीं सदी का यह पहला दशक विकास की छलांग लगाने वाला दशक बन गया। 2001 में गुजरात ने अनेक आपदाएं देखी। 21 वीं सदी का प्रारम्भ ही हमारे लिए भयंकर रहा। भयानक भूकम्प को हम आज भी भुला नहीं सकते। सहकारी बैंकों में उथल-पुथल की छाया, अकाल, कई मुसीबतों में से 2001 के बाद, हमने गुजरात को मजबूती के साथ आगे बढ़ाया। आफतें अनेक थीं, अवरोध अपरम्पार थे, गुजरात विरोधी मैदान में थे। सभी को यह लगता था कि गुजरात कभी खड़ा नहीं होगा। गुजरात कभी उठेगा नहीं। इन सभी अवरोधों को पार कर लिया। संकटों का सामना किया। आपदाओं को अवसर में बदलने की पूरी कोशिश की। इसका परिणाम यह आया कि आज समग्र विश्व की नजर में जब विकास की बात आती है तो गुजरात की चर्चा ना हो, एसा हो ही नहीं सकता। चारों ओर गुजरात के विकास की बात होती है इसकी वजह क्या है? मैंने जब सद्भावना मिशन में गुजरात के कौने-कौने में जाकर उपवास का आन्दोलन चलाया था।
सद्भावना मिशन के अंतर्गत उपवास कर रहा था तब मैंने डंके की चोट पर कहा था कि गुजरात के विकास के पीछे 6 करोड़ गुजरातियों की यह एकता, भाईचारा, शांति की साधना है।
इसके कारण ही आज गुजरात इन सभी ऊंचाईयों को लांघ सका है। अनेक योजनाएं इसमें पूरक बनी हैं। प्रकृति ने भी महर की है। अकाल का नामोनिशान नहीं रहा है और जनपुरुषार्थ उत्तरोत्तर एक शक्ति बनकर उभरा रहा है। मगर इतने में संतोष मान लेना हमारा स्वभाव नहीं है। हमको और भी ऊंचाईयां हासिल करनी हैं। अभी और आगे बढ़ना है। गुजरात को ऐसी ऊंचाईयों पर ले जाना है कि गुजरात देश की सर्वोत्तम सेवा कर सके। गुजरात के विकास के भीतर नजर डालें तो एक बात की ओर सभी का ध्यान जाता है। एक जमाने में अकालग्रस्त गुजरात रेगिस्तान, धूल की आंधियों वाला,गड्ढे खोदता गुजरात था। राहत कार्यों के सिवाय कुछ चलता नहीं था। आज गुजरात पूरे देश में कृषिक्रांति के लिये जाना जाता है। पूरे दशक में कृषि विकास की दर 11 प्रतिशत रहे, यह बात दुनिया के कृषि विशेषज्ञों के लिए आश्चर्यजनक है। इसका अभ्यास किया जाता है कि इतना बढ़ा आश्चर्यजनक काम हुआ कैसे ? गुजरात के किसान ने कर दिखाया है। जल संचय के कारण, जल बचाने के कारण कृषि में क्रांति हुई है। लेकिन दुर्भाग्य से कुछ नीतियां ऐसी रही हैं जिसके कारण किसान को परेशान होना पड़ता है। मैं आज इस विवाद में पड़ना नहीं चाहता। मगर आज के पवित्र दिन पर भी गुजरात का किसान दुखी हो तो मुझे दुख होना स्वाभाविक है।
हमने कृषि में विकास किया, दूध में भी विकास किया। इस दस वर्ष में दूध उत्पादन में 66 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। जो लोग गुजरात को बदनाम करने के लिए गायों के नाम पर राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए निकलते हैं उनको यह पता ही नहीं है कि कभी भी गुजरात के दूध की विकास दर 66 प्रतिशत नहीं रही है। पशुपालकों के लिए गुजरात सरकार की प्रतिबद्धता का यह नतीजा है। सरकार ने गौवंश-गाय की चिंता की है जिसकी वजह से यह सम्भव हुआ है।
कच्छ और काठियावाड़ में डेरियां नहीं खोलने के आदेश पिछली सरकार ने जारी किए थे। किसान दूध कहां बेचते? उनका शोषण होता था। इस सरकार ने कच्छ और काठियावाड़ में जगह-जगह पर डेरियां खोलने का काम शुरू किया। जिससे छोटे-छोटे पशुपालकों को दूध की पर्याप्त आय हो, उनका गुजारा हो। उससे पूरक आमदनी हो। आज कच्छ – काठियावाड़ ने दूध के मामले में काफी बड़ी प्रगति की है। गुजरात ने कृषि क्षेत्र में काम किया है, दूध उत्पादन में काम किया है और औद्योगिक क्षेत्र में तो छलांग लगाई है।
हमारा गुजरात पहले, गोल्डन कॉरिडोर अंकलेश्वर से वापी तक का पट्टा मतलब उद्योग। मुझे आश्चर्य होता है कि ऐसी उत्पादक जमीन जहां बारहों मास पानी था उस जमीन को उद्योगों में क्यों खपा दी ? उस वक्त हमारे बड़ों ने उद्योग दूसरी जगह लगाए होते, समुद्र किनारे लगाए होते, रेगिस्तानी तट पर लगाए होते तो यह हरीभरी धरती इतने उद्योगों में नहीं गई होती। उन्होंने तो जो गलतियां की वह की। हम उद्योगों को सूखे क्षेत्रों में ले गए। जहां पहले कुछ भी नहीं था। एक तिनका भी ना उगता हो ऐसी जगह पर उद्योग ले गए। गुजरात में भूतकाल में उद्योग कहां थे। जहां देखो वहां केमिकल और फार्मास्युटिकल। हमने धीरे-धीरे इसमें बदलाव किया। इंजिनियरिंग उद्योग पर बल दिया। ऑटो मोबाइल्स उद्योग पर बल दिया, बोम्बार्डियर जैसी मेट्रो ट्रेन बनाने वाली कम्पनियां लेकर आए। और इंजिनियरिंग उद्योग होने के कारण गुजरात के युवाओं को रोजगार भी ज्याद मिले इसके लिए हम प्रयास करते हैं। इस तरह उद्योगक्षेत्र का पूरा चरित्र बदल दिया है। वरना केमिकल उद्योगों की वजह से अनेक मुसीबतें आती थी। इसमें से धीरे-धीरे विकास का एक नया क्षेत्र खड़ा हुआ। हम जल,थल,वायु को लांघने लगे। गुजरात की एक ऐसी पहचान थी।
शिप ब्रेकिंग यार्ड के अलंग जाओ तो जहाज टूटते हों मगर जहाज बनाने का खयाल नहीं आता था। हम जहाज बनाने की दिशा में आगे बढ़े हैं। गुजरात के युवाओं को जहाज बनाने में खूब रोजगार मिले ऐसे अवसर पैदा करने की दिशा में आगे बढ़े हैं। पूरी दुनिया में समुद्री व्यापार बढ़ रहा है इसलिए ही बन्दरगाहों को विकसित किया है। इस ओर ध्यान दिया है। ढांचागत सुविधाओं पर ध्यान केन्द्रित किया है
किसी भी राज्य को प्रगति करनी हो तो ह्युमन रिसोर्स डेवलपमेंट- मानव संसाधन विकास पर ध्यान देना जरूरी होता है। आईटीआई बिल्कुल छोटी इकाई मानी जाती है। उस पर हमने ध्यान केन्द्रित किया है। आंगनवाड़ी एकदम छोटी इकाई मानी जाती है जिस पर ध्यान केन्द्रित किया है। आज गुजरात की आईटीआई की चर्चा समग्र देश में होती है। छोटे-छोटे कोर्सेस और आईटीआई में गरीब बालक पढ़ने आएं, 7 वीं में पढ़ाई छोड़ दी हो, दसवीं में पढ़ाई छोड़ दी हो, परिक्षा में एक-दो बार असफल हो गया हो, घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना हो, पढ़ ना पा रहे हों ऐसे बालकों का कैरियर बनाने और उनकी जिन्दगी बनाने के लिए काम किया है। पिछले महिने में ही ऐसे 65,000 युवाओं को सीधे रोजगार के नियुक्तिपत्र दिए गए। औद्योगिक विकास की वजह से रोजगार के काफी अवसर पैदा हुए है। हमने आईटीआई में पहली बार सुपर स्पेशियालिटी क़ोर्सेस शुरु किए हैं जिसकी वजह से कौशल्य बाजार में इसकी वैल्यु बढ़ गई है।
हाल ही में हमने गरीब कल्याण मेले आयोजित किए। मार्च माह में बजट पूरा हुआ और एक ही माह में समग्र राज्य में 250 से ज्यादा गरीब कल्याण मेले आयोजित कर 1600 करोड़ की रकम सीधे गरीबों के हाथों में दी गई। गरीबी के खिलाफ लड़ने की कोशिश शुरू की है। इसके अन्दर पूरक योजनाएं भी शामिल करने की कोशिश शुरू की है।
सखीमंडल बनाए ताकि हमारी माताएं-बहनें स्वाभिमान से जिएं। आर्थिक प्रवृत्तियों में भागीदार बनें। राज्य में 2,37,000 सखीमंडलों में 29 लाख से ज्यादा महिलाएं सदस्य बनी हैं। इन बहनों ने पाई-पाई करके 400 करोड़ रुपये की बचत की है। सरकार ने इसमें पूरक पैसे दिये, बैंकों से दिलवाए।
गुजरात के गांवों की गरीब बहनों के हाथों में 1600 करोड़ का कारोबार सौंपा है। वह आर्थिक प्रवृत्तियों में भागीदार बनी हैं। कहीं कोई अगरबत्ती बनाती है, मोमबत्ती बनाती है, मसाले बनाती है, कोई खाखरा-पापड़ बनाती है। कोई पशु लाती है, दूध उत्पादन करती है, कोई रसोई परोसने का काम करती है, कोई होम सर्विस टिफिन सेवा चलाती है। अनेक काम। सिलाई के वर्ग, कम्प्युटर के वर्ग चलाती है और सिर्फ सखीमंडलों की बहनें आज पार्किंग का काम भी करती हैं। बस स्टैण्ड में केंटीन चलाती है, सरकारी ऑफिसों में केंटीन चलाती है। गरीब बहनें आर्थिक विकास में भागीदार बन रही है। गरीब परिवारों को ब्याज के शिकंजे से बचाने का बड़ा काम मिशन मंगलम द्वारा चलाया जा रहा है। सखी मंडल कर रहे हैं। आज गरीब को लाचारी की जिन्दगी ना जीनी पड़े इसकी चिंता की गई है। शिक्षा की, स्वास्थ्य की चिंता की है। गुजरात के गरीब के इलाज का 30,000 तक का खर्च सरकार उठाए ऐसी बीमा योजना बनाई है। यह सब तो छोटी बीमारियों की बात है, मगर गरीब के घर में कैंसर हो, हार्टअटैक आए, गरीब की किडनी फैल हो तो क्या? लाखों का खर्च हो तो गरीब जाए कहां? इस राज्य सरकार ने बजट में खास 200 करोड़ की व्यवस्था कर के मुख्यमंत्री अमृतम योजना शुरू की है। कोई भी जानलेवा बीमारी गरीब के घर में आए तो इसका खर्च सरकार उठाएगी, इसके लिए यह योजना है। मैं गरीब परिवार को दुखी नहीं देख सकता। मेरे राज्य के गरीब परिवार के इलाज की चिंता में सरकार सक्रिय भागीदार बने इस दिशा में प्रयास किये गए हैं। गुजरात का युवा अनेक आशाओं उम्मीदों के साथ आगे बढ़ रहा है।
मेरा वनवासी, मेरा दलित, मेरा वंचित। इसे मुझे विकास की यात्रा में ऊपर लाना है। आदिवासी भाईयों के लिए 40,000 करोड़ का वनबन्धु पेकेज है, पूरे देश के आदिवासी क्षेत्र में कार्यरत लोग इसका अभ्यास कर रहे हैं कि गुजरात ने यह कमाल कैसे किया। शहरी गरीबों के लिए 22,000 करोड़ का पेकेज दिया गया है। उम्मीद नामक योजना दी है। उन्हें स्वरोजगार सिखाया गया है। हुनर सिखाया गया है। उनमें शक्ति का संचय हो जिससे यह युवा रोजगार हासिल कर अपने पैरों पर खड़े हो सकें।
यह वर्ष विवेकानन्द जयंती का वर्ष है। 150 वीं विवेकानन्द जयंती है। गुजरात इसे युवाशक्ति वर्ष के रूप में मना रहा है।लाखों युवाओं को रोजगार मिले, साथ ही कोई युवा ऐसा ना हो, युवती ऐसी ना हो जिसके पास कोई हुनर ना हो, कोई कौशल्य ना हो, कोई काबिलियत ना हो। हमने पूरे राज्य में कौशल्यवर्धन का अभियान चलाया है। अरबों रुपये खर्च कर गुजरात के युवाओं को आत्मशक्ति प्रदान की है। जिससे वे स्वावलम्बी बन सकें। कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जो विकास से वंचित हो, कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है जो विकास का लाभार्थी ना हुआ हो। 6 करोड़ गुजराती एक नयी आशा और उमंग के साथ आगे बढ़ें इस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं।
पिछले साल हमने गुजरात की स्वर्णिम जयंती मनाकर कई लक्ष्य हासिल किए थे। एक जमाना था। गुजरात में 4 गांव ही निर्मल गांव बना करते थे। स्वर्णिम जययंती पर अभियान चलाया गया और 4600 गांव निर्मल गांव बन गए। भारत सरकार से इनाम ले आए। डंके की चोट पर।
आईये, आज संकल्प करें कि विकास की बात को ज्यादा तेज बनाना है, ज्यादा व्यापक बनाना है। गरीब के झोंपड़े तक पहुंचना है। गांव तक पहुंचना है। किसान तक पहुंचना है।हर व्यक्ति को लाभ हो। हर किसी को लगे कि यह गुजरात मेरा है। हर किसी को लगे की मैं गुजराती हूं इस पर मुझे गर्व है। हिन्दुस्तान के किसी भी कौंने में जाए, दुनिया के किसी भी नागरिक से मिले, मैं गुजराती हूं एसा कह्ते ही सामनेवाले व्यक्ति के चेहरे पर रौनक आ जाए एसे गुजरात का निर्माण करने के लिए हमने प्रयास शुरु किए हैं। गुजरात के लिए कर रहे हैं। 6 करोड़ गुजरातियों के भविष्य के लिए मेहनत की है, अपनी अगली पीढ़ी के लिए की है।
सोलर एनर्जी पर कितना बढ़ा काम हुआ है ? पूरे देश में 120 मेगावाट सोलर पावर बिजली है। गुजरात ने 600 मेगावाट सोलर बिजली पैदा करके देश को समर्पित की। इतना ही नहीं, नर्मदा केनाल पर सोलर पैनल बनाकर इस गुजरात सरकार ने नर्मदा केनाल को ढंकने का काम किया। जिससे पानी का वाष्पीकरण ना हो। मेरे किसान का नुकसान ना हो। ढक्कन पर सोलर पैनल लगाए हैं जिससे बिजली पैदा होगी। एक पंथ अनेक काज। उत्तम काम हमने किया है। यह सब गुजरात की अगली पीढ़ी को काम आएगा। विकास के सिवा कोई मंत्र नहीं, विकास के सिवा कोई सपना नहीं, विकास के सिवा कोई काम नहीं। विकास के सिवा कोई बात नहीं। मात्र विकास। इसे लेकर आगे बढ़ना है। इसमें सभी गुजराती गर्व से आगे आएं।
समग्र विश्व में फैले गुजरातियों को भी आज के पर्व की शुभकामनाएं देता हुं। जहां हों वहां अपनी गुजराती भाषा का गौरव करें, गुजराती होने का गर्व करें।
दुनिया में गुजरातीपन की छवि बनाएं। समग्र विश्व को अपने भीतर समाहित करने का गुजरातियों का जो स्वभाव है, सभी को साथ लेने का जो स्वभाव है उसके दर्शन पूरी दुनिया को कराएं। ऐसी मेरी आप सभी को शुभकामनाएं हैं। आज 1 मई गुजरात की विकासयात्रा की, स्वतंत्र विकासयात्रा की 52 वीं मंजिल है। 51 वर्ष पूरे हुए हैं। आप सभी को अंत:करण से खूब खूब शुभकामनाएं..
जय जय गरवी गुजरात
भारत माता की जय