मुख्यमंत्री का जनता के नाम संदेश
“एक भारत श्रेष्ठ भारत” के स्वप्न को साकार करने के लिए आइए, गुजरात को उत्तम बनाएं
सबका साथ-सबका विकास मंत्र को गुजरात ने चरितार्थ कर बताया
महागुजरात आंदोलन के क्रांतिकारियों का पुण्य स्मरण
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ५३वें गुजरात स्थापना दिवस के गौरवशाली अवसर पर राज्य के सभी नागरिकों को अंतःकरण से शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि सबका साथ – सबका विकास के मंत्र को गुजरात ने चरितार्थ कर बताया है। गुजरात ने आज विकास के नये शिखर को छुआ है। यदि सभी का साथ ना होता तो गुजरात का यह विकास आज भी नहीं होता। यह विकास इसलिए मुमकिन हुआ है क्योंकि छह करोड़ गुजरातियों ने कंधे से कंधा और कदम से कदम मिलाकर साथ दिया है।गुजरात की जनता के नाम अपने संदेश में श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि “एक भारत श्रेष्ठ भारत” हम सभी का स्वप्न है और हम संकल्प करें कि उत्तम गुजरात बनाकर हम इसमें अपना योगदान देंगे। महागुजरात आंदोलन को गुजरात की संघर्ष यात्रा में सर्वाधिक महत्वपूर्ण करार देते हुए मुख्यमंत्री ने इंदुचाचा के नेतृत्व में गुजरात के स्वाभिमान और अस्मिता की लड़ाई में समर्पित होने वाले वीर शहीदों को वंदन किया और महागुजरात के निर्माताओं का पुण्य स्मरण किया।
मुख्यमंत्री का संदेश अक्षरसः इस प्रकार हैः-
विश्व भर में फैले मेरे प्यारे गुजरात के सभी प्यारे भाइयों और बहनों,
आज १ मई है। अपने गुजरात का स्थापना दिवस। महागुजरात आंदोलन गुजरात की संघर्ष यात्रा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पड़ाव है। जिस गुजरात ने आजादी की लड़ाई में अनेक बलिदान दिये, मौत को हथेली पर लेकर अंग्रेजों से लोहा लिया, उस गुजरात के जज्बे और गुजरात के जमीर को हम आज भी इतिहास के मोड़ पर चिर-प्रकाशित देख सकते हैं। महागुजरात के आंदोलन में भी युवाओं ने मौत को गले लगाते हुए गुजरात के स्वाभिमान और गुजरात की अस्मिता की लड़ाई लड़ी थी।
इंदुलाल याज्ञिक-इंदुचाचा के नेतृत्व में गुजरात के विद्यार्थी जगत ने यह उपलब्धि हासिल की थी और महागुजरात का यह समूचा आंदोलन भारत की शक्ति में बढ़ोतरी का एक प्रयास था। उस दिन जब गुजरात अलग हुआ था, तब अनेक लोगों का कहना था कि, यह गुजरात क्या करेगा? न तो उसके पास पानी है न ही खान-खनिज और न ही उद्योग-कारखानें हैं। कुछ है तो विशाल रण है और है समुद्री तट। आखिर गुजरात वाले करेंगे क्या? लगभग सभी को यह समझाया जाता था कि गुजरात कुछ नहीं कर पाएगा। और उन लोगों की चिंता शायद सही भी हो, लेकिन गुजरात ने अपने मिजाज का दर्शन कराया है। मैं हमेशा से कहता आया हूं कि आज गुजरात जो कुछ है वह कोई अल्पकालिक दौर की देन नहीं है, उसके साथ सदियों पुरानी परंपराएं जुड़ी हुईं हैं।
गुजरात द्वारा अपनी भिन्न विकास यात्रा शुरू करने के बाद पिछले ५० वर्ष से ज्यादा के कालखंड के सभी नागरिकों का यह योगदान है। कम या ज्यादा मात्रा में प्रत्येक सरकार का योगदान है। आज जब हम गुजरात को और भी ज्यादा ऊंचाइयों पर ले जाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में जो कुछ भी उत्तम है उसका स्वीकार करें और ज्यादा उत्तम बनने की दिशा में हम प्रयास करें।
गुजरात ने अनेक क्षेत्रों में नई दिशा दिखलाई हैं।कल तक १६०० किमी के समुद्री किनारे को गुजरात के विकास में अवरोधक मानते हुए गुजरात के आगे बढ़ने को लेकर शंकाएं जतायी जाती थी। लेकिन आज गुजरात का १६०० किमी का समुद्री तट महज गुजरात के विकास का ही नहीं बल्कि देश की समृद्धि का प्रवेशद्वार बन गया है। कल तक लगता था कि यह रेगिस्तान, यह रण, यह कच्छ की खाड़ी और खारी जमीन का बोझ गुजरात किस तरह वहन कर सकेगा। आज गुजरात का यही रण हिन्दुस्तान का बंदनवार बनकर देश की शोभा में बढ़ोतरी कर रहा है और दुनिया भर के यात्रियों को आकर्षित कर रहा है। पूरी दुनिया में टुरिज्म क्षेत्र का तीन ट्रिलियन का बिजनेस इंतजार कर रहा है तो हमारा गुजरात कैसे अछूता रह जाए। यह सच है कि टुरिज्म के मामले में हमने काफी देर कर दी है। भूतकाल में हमने कभी इस ओर ध्यान केन्द्रीत नहीं किया है। आधे-अधूरे प्रयासों की वजह से नतीजे भी नहीं मिले। पिछले पांच-सात वर्षों की मेहतन अब रंग दिखा रही है। सभी एक-दूसरे को कहने लगे हैं, “कुछ दिन तो गुजारिये गुजरात में” मानों सहज निमंत्रण बन गया है। नतीजतन सेवा क्षेत्र में अब गुजरात के युवाओं का दबदबा स्थापित होने लगा है।
भारत के औसत पर्यटन विकास के मुकाबले गुजरात का पर्यटन विकास लगभग दोगुना हो गया है। टुरिज्म के जरिए गरीब से गरीब और दूरस्थ क्षेत्रों के नागरिकों को रोजी-रोटी देने का काम संभव बना है। हमें इसमें सफलता मिली है।
समग्र हिन्दुस्तान जब स्वामी विवेकानंद की १५०वीं जयंती मना रहा है, ऐसे में हमनें समूचा ध्यान युवाओं पर केन्द्रीत किया है। युवाओं में भी एक महत्वपूर्ण कार्य पर हमारा जोर रहा है। स्किल डेवलपमेंट, हर युवा-हाथ को हुनर। यदि हाथ में हुनर हो तो इनसान के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं रहता।
आज मुझे गर्व के साथ कहना है कि, राजनीति की चाल में रचे-पचे लोग गुजरात को बदनाम करने का एक भी मौका नहीं छोड़ते, ऐसे में दिल्ली में बैठी स्वयं भारत सरकार ने अभी १५ दिन पहले ही स्किल डेवलपमेंट और कौशल वर्द्धन केन्द्र के साथ ही हुनर विकास के मामले में गुजरात को समग्र देश में उत्तम कार्य करने का अवार्ड प्रदान किया है। आज आप विश्व की किसी भी सरकार के पास से कुछ सुनेंगे तो एक बात निश्चित रूप से चर्चा के केन्द्र में रहती है, वह है स्किल डेवलपमेंट।
गुजरात ने पूर्व आयोजन करते हुए और दूरंदेशी के साथ हिन्दुस्तान की युवाशक्ति किस तरह राष्ट्र निर्माण की धरोहर बनें, इसे ध्यान में रखते हुए स्किल डेवलपमेंट के अभियान को बल दिया है। कौशल वर्द्धन केन्द्रों के जरिए लाखों युवा प्रशिक्षित बनें हैं। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमनें गांव-गांव में कौशल वर्द्धन केन्द्र स्थापित करने का प्रयास शुरू किया है। ६० फीसदी से भी ज्यादा हमारी बहनें इसका लाभ उठा रही हैं। इसका मतलब यह हुआ कि गुजरात के युवक-युवतियों, दोनों ने कौशल के जरिए गुजरात की विकास यात्रा में नई जान डाल दी है।
भाइयों-बहनों, पिछले दस वर्षों के दौरान हम पर ईश्वर की कृपा रही, परमात्मा की मेहर रही। हमनें तूफान देखा, सुनामी देखी, भूकंप देखा, बैंकों का घपला देखा, अनेक आपत्तियों से हम गुजरे। लेकिन सौभाग्य से पिछले पूरे दशक ईश्वर की कृपा रही, बरसात पर्याप्त हुई, हमारे नदी, नाले, चेकडैम, तालाब और बांध परमात्मा की कृपा से लबालब रहे। परन्तु ईश्वर को शायद यह लगा कि हमारी यह आदत कहीं बिगड़ तो नहीं जाएगी? बिन पानी के जीने का आदी गुजरात एकदम इतना ज्यादा पानी उपभोग करने लगेगा तो क्या होगा? खैर, ईश्वर ने क्या सोचा होगा यह हमें तो पता नहीं, लेकिन इस वर्ष ईश्वर ने हमारा ईम्तहान लिया। बारिश कम हुई, हमारे जलाशय सूख गए, लेकिन आपत्तियों से घबरा जाएं, यह हमें मंजूर नहीं। आपत्तियों का सामना करना पड़ता है और उसे अवसर में तब्दील भी करना पड़ता है।
पिछले ५० वर्षों में कोई सरकार न सकी ऐसे बड़े पैमाने पर हमने पानी पहुंचाने का आयोजन किया है। मनुष्य के प्रयास ईश्वर के समकक्ष कभी नहीं हो सकते। ईश्वर जो दे सकता है वह मनुष्य कैसे दे सकता है? बावजूद इसके जरूरत के मुताबिक व्यवस्था तो खड़ी करें। मैं निरंतर प्रत्येक बुधवार को गुजरात की पानी की समस्या को लेकर उच्चस्तर पर बारीकी से उसका विश्लेषण करता हूं, परीक्षण भी करता हूं और लगातार इस ओर ध्यान केन्द्रीत करता हूं। एक ओर पानी की समस्या के समाधान के लिए काम करता हूं तो दूसरी ओर आपत्ति को अवसर में तब्दील भी करना है। हमारे जलाशय १० साल बाद बगैर पानी की स्थिति में हैं। हमनें तय किया कि उसमें से मिट्टी का मलबा निकालें। हमारे जलाशय, चेकडैम, तालाब आदि गहरे करें। हमनें एक बड़ा अभियान शुरू किया है। इनकी मिट्टी किसानों को मुफ्त में ले जाने की छूट दी है। जून महीने तक इतने बड़े पैमाने पर इन तालाबों, चेकडैमों और जलाशयों को गहरा करने का अभियान शुरू किया है कि बरसों बाद हमारी जल संग्रह क्षमता में इतना बड़ा इजाफा होने वाला है। मुझे विश्वास है कि एक बार जब मेघों की कृपा बरसेगी तो यह मेहनत अपना रंग दिखाएगी।
भाइयों-बहनों, राजनीति की रोटी सेकने के आदी लोग, पानी में भी राजनैतिक जहर घोलने की कोशिश में लगे हैं, ऐसे में ईश्वर ने कैसी कृपा बरसाई। जहां-जहां पानी की तकलीफ ज्यादा थी, वहां प्रकृति ने बीच में तीन-चार दिनों तक बारिश के जरिए हमें हिम्मत दिलाई। दुष्प्रचार के बीच भी झूठ पर पानी फेरने का काम स्वयं परमात्मा ने किया। इसीलिए कहता हूं कि ईश्वर हमेंशा हमारे साथ है। ईश्वर पर हमारा भरोसा है। पुरुषार्थ की पराकाष्ठा भी करनी है। आम नागरिक की आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति भी करनी है।
भाइयों-बहनों, आज स्थिति कुछ ऐसी बन गई है कि गुजरात के विकास की बात चलते ही हिन्दुस्तान के विकास प्रेमी सभी नागरिकों का चेहरा खिल उठता है, उसके होठों पर मुस्कराहट नजर आती है। यही विकास का शब्द, जब राजनीति के दावपेंच में डूबे लोगों के कानों से टकराता है तो उन्हें लगता है कि किसी ने बहुत बड़ी गाली दे दी है। उनके राजनैतिक गणित में विकास का कोई स्थान ही न था।
उनके राजनैतिक दांवपेंच की प्रवृत्ति ही यह थी कि, टुकड़ा फेंको-राज करो, समाज के टुकड़े करो-राज करो, राज मिले तो टुकड़ा-टुकड़ा लूट लो। इसलिए यह नई राजनीतिक संस्कृति, यह नई कार्य संस्कृति, यह नई समाज भक्ति और यह नई गुजरात भक्ति उन्हें नहीं पचती।
भाइयों-बहनों, मुझे बड़े दुःख के साथ कहना है कि, कुछ मुट्ठीभर लोगों ने अब भी गुजरात को बर्बाद करने का सौदा किया है। गुजरात को तबाह करने का कोई भी षड्यंत्र बंद नहीं कर रहे। लोकतांत्रिक मार्ग से कुछ न कर पाने वाले लोगों ने असंवैधानिक रास्ता अख्तियार किया है। मुझे ईश्वर के साथ जनता-जनार्दन पर भी श्रद्धा है। हमें विकास के मार्ग से डिगना नहीं है, विकास की यात्रा को अटकने नहीं देना है। गुजरात के प्रत्येक नागरिक को विकास की यात्रा में भागीदार बनाना है।
विकास के फल गांव तक पहुंचाने हैं। आने वाले दिनों में कृषि महोत्सव के जरिए कृषि के क्षेत्र में और भी शक्तिशाली बनकर हमें उभरना है। बूंद-बूंद पानी का उपयोग करते हुए, गरीब से गरीब व्यक्ति का पेट भी भरना है। एक-एक बूंद का प्रसाद की तरह उपयोग कर अपने गुजरात की कृषि क्रांति को आगे बढ़ाना है। मेरे प्यारे नागरिक भाइयों-बहनों, कृषि महोत्सव आने को है। इसमें एक महत्वपूर्ण कार्य है पशु स्वास्थ्य मेला। मुझे गुजरात के करोड़ों पशुओं की देखभाल और उनके स्वास्थ्य की चिंता करनी है। स्वयं चलकर गुजरात के पशुओं को जीवनदान देना है। एक तरह से यह एक बड़ा सेवा-यज्ञ है। यह एक बड़ा करुणा यज्ञ है। आपके घर पशु हो या न हो, लेकिन पशुओं के विकास के, पशुओं के स्वास्थ्य के इस प्रयास में करुणा की खातिर सेवा भावना से आप भी भागीदार बनें। पशु स्वास्थ्य की वजह से आज गुजरात ने दूध उत्पादन के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। इसके चलते अपर्याप्त बारिश के बावजूद भी गुजरात के किसान को आर्थिक तौर पर टिकाए रखने का कार्य किया है। गुजरात की इस विशेषता को हम और भी भव्य बनाएं।
भाइयों-बहनों, जमीन वही की वही है। परिवार का विस्तार होता जाता है, जमीन के टुकड़े होते जाते हैं, लड़कों के बीच बंटवारा करते-करते बेटे के बेटे के हिस्से में ले-देकर एकाध बीघा जमीन रह जाती है, ऐसे में खेती से कैसे गुजारा चले। और इसलिए ही खेती में तकनीक का इस्तेमाल हमारे लिए अनिवार्य बन गया है। कम जमीन में ज्यादा उत्पादन कैसे हासिल करें? जमीन चाहे कम क्यों न हो लेकिन किसान अधिक आय कैसे हासिल करे? इस पर हमें ध्यान केन्द्रीत करना है। इसीलिए, हिन्दुस्तान में पहली बार हम २०१४ में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का कृषि मेला आयोजित करने जा रहे हैं। आधुनिकतम विज्ञान, तकनीक और आधुनिक कृषि संबंधी परंपरा से मुझे गुजरात के गरीब से गरीब किसानों को परिचित कराना है। उसे शिक्षित करना है। यह जवाबदारी इस सरकार ने उठाई है। इस कृषि मेले में भी हमारा जोर इस बात पर होगा कि तकनीक को कितनी प्रधानता मिलती है और उसका महात्म्य किस तरह बढ़ता है।
भाइयों-बहनों, समुद्रतट पर बसने वाला मेरा सागरखेड़ु (मछुआरा) भाई हो, उमरगाम से अंबाजी तक मेरे गुजरात का गौरवगान करने वाला मेरा आदिवासी भाई हो, बढ़ रहे शहरों में रहने वाले मेरे गरीब भाई-बहन हों, मुझे उनके स्वास्थ्य की चिंता करनी है। घऱ में एकाध प्राणघातक बीमारी आए तो एक व्यक्ति नहीं बल्कि समूचा परिवार बीमार पड़ जाता है। इस तरह से पूरा समाज कमजोर हो जाता है। इसलिए ही मुख्यमंत्री अमृतम् योजना- मा योजना के जरिए गरीब से गरीब व्यक्ति के घर में ऐसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या आने पर आपके साथ खड़े रहने का आयोजन किया है।
दवा के अभाव में बीमार व्यक्ति मौत के घाट पर उतरे यह स्थिति कैसे चलाई जा सकती है? इसमें से हमें बाहर निकलना है।
नव मध्यम वर्ग के बहुत से सपने हैं। उसके पास हिम्मत है, उसे पुरुषार्थ करना है, लेकिन संयोग नहीं है। हमने एक कार्य योजना बनाई है। हम ऐसे संयोग खड़े कर रहे हैं कि इनके चलते हमारा नवोदित मध्यम वर्ग जो गुजरात के भीतर बड़े पैमाने पर उभरा है, वह मजबूती के साथ खड़ा हो। शिक्षा के मामले में उसे जैसे आगे बढ़ना है, उसके लिए उसे पूरा अवसर मिले, रोजी-रोटी कमाने के लिए जो सम्मान चाहिए वह भी उसे मिले।
भाइयों-बहनों, कुछ समय पहले की घटना बताता हूं। हिन्दुस्तान के किस कोने में यह घटना घटी है, मुझे उस विवाद में नहीं पड़ना। लेकिन यदि भारत की नारी असुरक्षा का अनुभव करे तो हमें स्वयं को पुरुष कहने का अधिकार नहीं है। इस समाज जीवन का ५० फीसदी पुरुष हैं। उन सभी को नारी गौरव का संकल्प करना होगा। जितना हमें अपनी माता का गौरव करने का मन होता है उतना ही मन हमें भारत माता की प्रत्येक बेटी का गौरव करने का होना चाहिए। एक पुरुष के तौर पर यह हमारी विशेष जवाबदारी है कि हम नारी का सम्मान और गौरव करें। किस सरकार ने क्या किया, किस सरकार ने क्या न किया, उस विवाद से मैं दूर रहा हूं, लेकिन नारी गौरव की चिंता, नारी को समान अधिकार, किसी भी जाति में जन्म हुआ हो, किसी भी परंपरा में लालन-पालन हुआ हो, किसी भी पूजा पद्धति में उसका विश्वास हो, लेकिन नारी अंततः नारी है। अबला नहीं वह सबला है। उसका गौरव, उसका सम्मान, बतौर समाज हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
भाइयों-बहनों, हमनें गुजरात को विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का प्रयास शुरू किया है। कुपोषण के खिलाफ जंग में गुजरात ने समग्र देश में विशेष सफलता हासिल की है। सीएजी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक ३३ फीसदी जितना सुधार यदि कहीं हुआ है तो अकेले गुजरात में हुआ है। अन्य स्थानों में कहीं १२ फीसदी, १९ फीसदी, तो कहीं १७ फीसदी जितना ही सुधार हुआ है। हमें तो और भी आगे बढ़ना है। भाइयों-बहनों यह गुजरात हम सभी का है। गुजरात की प्रत्येक चीज हम सब की है। यह तो सरकार की है, हमारी नहीं, यह भ्रम हमें मंजूर नहीं। जो है वह पूरा छह करोड़ गुजरातियों का है। उसकी पहरेदारी, उसका सम्मान, उसका विकास, उसका विस्तार यह सब छह करोड़ गुजरातियों की मालिकी का है।
आइये, हम सब साथ मिलकर, अपने गुजरात को आगे बढ़ाएं। महात्मा गांधी, सरदार पटेल, स्वामी दयानंद सरस्वती, उमाशंकर जोशी, वीर नर्मद, अगणित श्रेष्ठीजनों के नामों की परंपरा के साथ हम जुड़े हुए हैं। उनकी तपस्या की खुश्बू आज भी व्याप्त है। उनके पसीने की महक है। उनके त्याग-तपस्या, बलिदानों की गाथाएं हैं, उनसे हम प्रेरणा लें। पुरुषार्थ का संकल्प करें, संकल्प कर हम ज्यादा से ज्यादा तेज गति से आगे बढ़ें।
भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास का मंत्र लेकर हम पहले ही दिन से कार्य कर रहे हैं। बरसों से हम कह रहे हैं, सबका साथ-सबका विकास। अब सभी को समझ आ रहा है कि सबका साथ-सबका विकास के हमारे मंत्र का अर्थ क्या है। इस मंत्र में कितनी शक्ति है। गुजरात ने इस मंत्र को चरितार्थ कर बताया है। यदि सभी का साथ न होता तो आज गुजरात का यह विकास भी नहीं होता। यह विकास इसलिए ही संभव बना है कि छह करोड़ गुजरातियों ने कंधे से कंधा और कदम से कदम मिलाते हुए साथ दिया है। सहयोग दिया है। जवाबदारी उठाई है।
तकलीफों से दो-चार होकर भी अपना गुजरात आगे बढ़े, यह काम मेरे गुजराती प्यारे भाई-बहनों ने किया है। मेरे गुजरात में बसने वाले हिन्दुस्तान के किसी भी नागरिक ने गुजरात की भक्ति करने में कोई कमी बाकी नहीं रखी है।
भाषा चाहे जो हो, वेशभूषा जैसी हो, इस भूमि के लिए, इसके जन-जन के लिए, सभी ने सामूहिक प्रयास किया है। और इसलिए ही कहता हूं कि सबका साथ न होता तो विकास की यह बात कहां होती? आइये, भाइयों-बहनों, एक भारत-श्रेष्ठ भारत किसका सपना नहीं है? उत्तमोत्तम गुजरात किसका ख्वाब नहीं है? हर कोने में विकास का सपना नहीं है? एक-एक नौजवान को रोजगार, किसका सपना नहीं है?
इन सभी बातों को साथ लेकर आगे बढ़ना है। आपके आशीर्वाद, आपके इस प्रेम से, हमारी सरकार को, सरकार में बैठे मेरे सभी कर्मचारी भाई-बहनों को गुजरात के लिए कुछ न कुछ कर सकने की प्रेरणा मिली है। आपका यह प्रेम अहर्निश मिलता रहे, आपका आशीर्वाद सदा-सर्वदा प्राप्त होता रहे, हम सभी साथ मिलकर गुजरात को नई ऊंचाइयों पर ले चलें।
गुजरात के स्थापना दिवस पर अनेक-अनेक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।
वीर शहीदों को वन्दन करता हूं। गुजरात-महागुजरात आंदोलन के आंदोलनकारियों को याद करता हूं। पुण्य स्मरण करता हूं और आप सभी के सपनों के लिए, पुरुषार्थ का संकल्प करते हुए आप सभी को एक बार फिर शुभकामनाएं देता हूं।