भारत माता की जय..!

आवाज दिल्ली तक सुनाई दे ऐसा करो...

भारत माता की जय..!

मंच पर बिराजमान भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता गण और इस चुनाव में मंडी के उम्मीदवार श्रीमान डी. डी. ठाकुरजी, बल्ह के उम्मीदवार श्रीमान इन्द्र सिंहजी गांधी, नाचन के उम्मीदवार भाई श्री बिनोद कुमार, सुन्दर नगर के उम्मीदवार भाई श्री राकेश जाम्वालजी, मंचस्थ सभी महानुभाव और इतनी विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाईयों और बहनों..!

मैं जब हिमाचल आता हूँ, तो मुझे लगता है कि गुजरात के बाहर यह मेरा दूसरा घर है। मैंने बहुत वर्ष आप लोगों के बीच रह करके काम किया है, यहाँ के चप्पे-चप्पे से परिचित हूँ और मंडी आते ही मैंने पूछा कि भाई आज भी सेपु वड़ी खाई जाती है कि नहीं खाई जाती है..? मेरा यहाँ बड़ा गहरा लगाव रहा है। अगर मेरे यहाँ गुजरात में चुनाव ना होता, तो मैं कई दिनों तक आप के बीच में रहता और उन पुरानी यादों को ताज़ा करता, लेकिन जैसे आप कांग्रेस को उखाड़ फैंकने में लगे हो, गुजरात की जनता भी कांग्रेस को हमेशा-हमेशा के लिए विदाई देने में लगी हुई है।

भाइयों-बहनों, आज पूरे विश्व में गुजरात के विकास की चर्चा हो रही है। कहीं पर भी जाइए, लोग कहते हैं कि भाई, गुजरात ने कमाल कर दिया..! ये कमाल हु आ इसका राज क्या है? अगर मेरे हिमाचल के भाई-बहन उस राज़ को जान लेंगे, तो मैं आपको दावे से कहता हूँ कि आज जिस प्रकार से दुनिया में गुजरात चमक रहा है, मेरा हिमाचल भी दुनिया में चमकने लग जाएगा, यह मैं आपको वादा करता हूँ। भाईयों-बहनों, गुजरात की जनता ने एक बहुत बड़ा काम किया है और आम तौर पर हिन्दुस्तान में इस प्रकार का काम बहुत कम राज्यों में होता है और मेरे गुजरात के छह करोड़ गुजरातियों ने किया है। और वह काम किया है उन्होंने, पॉलिटिकल स्टेबिलिटी, राजनैतिक स्थिरता। लगातार वहाँ बीजेपी की सरकार बनती जा रही है, लगातार..! और पॉलिटिकल स्थिरता के कारण, राजनैतिक स्थिरता के कारण एक पॉलिटिकल पार्टी की जवाबदेही भी बन जाती है। जब पाँच साल में सरकारें आती-जाती रहती हैं, तो कोई जवाबदेही बनती ही नहीं है। आज मेरे गुजरात ने तीन-तीन बार मुझे चुन कर बैठाया है, तो लोग मुझे पूछ सकते हैं कि मोदीजी बताओ इसका क्या हुआ, उसका क्या हुआ..? लेकिन अगर पाँच साल में आए गए, तो फिर पूछने के लिए जगह ही नहीं रहती है और इसलिए भाइयों-बहनों, अगर गुजरात से मैं आपके लिए कोई संदेश लेकर आया हूँ तो वो मेरा संदेश मेरे हिमाचल के भाई-बहनों के लिए है कि आप हिमाचल में बार-बार सरकारें बदलने का प्रयोग बहुत कर चुके और उसके कारण हिमाचल में ना नीतियों की सुदृढ़ता रहती है, ना व्यवस्थाएं ठीक रहती है और बदलाव के बाद दो-दो साल तो नए बदलावों में स्थिर होने में चले जाते हैं और राज्य वहीं ढेर का ढेर रह जाता है। भाइयों-बहनों, मैं हिमाचल से प्रार्थना करने आया हूँ, इस देवभूमि से मैं प्रार्थना करने आया हूँ, इस पवित्र धरती के पवित्र नागरिकों से प्रार्थना करने आया हूँ कि आप भी गुजरात के नागरिकों की तरह राजनैतिक स्थिरता पर ध्यान केन्द्रित करें। भाजपा की सरकार को दुबारा चुनिए, धूमलजी को दुबारा चुनिए, और मैं आपको वादा करता हूँ, पाँच साल के बाद मेरे से हिसाब मांगना, जो तरक्की गुजरात ने की है, वैसी ही तरक्की हिमाचल करके दिखाएगा..!

भी कल, हिमाचल के दौरे पर ‘मौन मोहन’ सिंहजी आए थे और आज की सबसे बड़ी खबर यही है अखबारों में कि ‘मौन मोहन’ सिंहजी ने हिमाचल में जा कर के मौन तोड़ा, यह भी एक बड़ी खबर है..! पता ही नहीं चल रहा है कि देश की हालत के संबंध में प्रधानमंत्रीजी क्या सोच रहे हैं। भाइयों-बहनों, मैं हैरान हूँ, कुछ दिन पहले यहीं पर मंडी में मैडम सोनियाजी आई थी, प्रधानमंत्रीजी आए, और भी लोग बारी-बारी से आएंगे, लेकिन भाइयों-बहनों, मुझे खुशी होती, कम से कम मेरे दिल को एक संतोष मिलता कि मेरे देश के प्रधानमंत्री को, कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा मैडम सोनिया गांधी को इस देश के गरीबों की चिंता होती, कम से कम एक बार वह महंगाई पर कुछ बोलते, दर्द जताते, गरीबों के प्रति संवेदना जताते और देश की जनता को कहते, हिमाचल की जनता को कहते कि महंगाई को रोकने में हम विफल हुए हैं, लेकिन आप विश्वास किजीए, हम कभी ना कभी महंगाई कम करने का प्रयास करेंगे..! भाइयों-बहनों, मैं आपको एक सवाल पूछ सकता हूँ? आप लोगों को एक सवाल पूछूँ? सब लोग हाँ बोलो तो मैं पूछूँ..! क्या इन दोनों लोगों ने महंगाई के लिए एक शब्द बोला है..? महंगाई बढ़ रही है इसके लिए जवाब दिया है..? महंगाई बढ़ रही है इसके लिए कोई दर्द व्यक्त किया है..? भाइयों-बहनों, इस देश की गंभीर समस्या है महंगाई, और इसके बावजूद भी उनके सीने में दर्द तक नहीं है..! क्या देश के प्रधानमंत्री का कर्तव्य नहीं है कि वह जा कर के कहें कि भाई, जब हम चुनाव लड़ रहे थे तब हमने वादा किया था कि सौ दिन में हम महंगाई कम करेंगे, लेकिन दो-दो हजार दिन हो गए उसके बावजूद भी हम महंगाई कम नहीं कर पाए, ये एक हमारी गलती है, जनता हमें माफ करें..! इतना तो कहना चाहिए था कि नहीं..? लेकिन कांग्रेस पार्टी को इतना अहंकार है, कांग्रेस पार्टी को जन भावनाओं की परवाह नहीं है, देश के प्रवाहों की परवाह नहीं है, वह अपनी ही चाल चलते जाते हैं और इतना अहंकार है कि वो मानते हैं कि दुनिया तो उनके झोले में है, वह दुनिया को जैसे चाहें मरोड़ सकते हैं।

इतना ही नहीं भाइयों-बहनो, महंगाई क्या कम थी, जो उन्होंने आपसे गैस का सिलेंडर भी छीन लिया..? मेरी माताएं-बहने इतनी यहाँ बैठी हैं, मैं समझता नहीं हूँ, घर के अंदर और जहाँ ठंडा प्रदेश है वहाँ दिन में कितनी बार चीजों को गरम करना पड़ता है, खाना थोड़ी देर में ठंडा हो जाता है, बार-बार उसको गर्म करना पड़ता है, खाते-खाते भी उसे गर्म करना पड़ता है, और वहाँ पर गैस के सिलेंडर ले लें, तो क्या वो अपने पतिदेव को कच्चा खिलाएं क्या..? एक परिवार को स्वाभाविक तौर पर 24 सिलेंडर लगते हैं, उन्होंने कह दिया छह सिलेंडर..! क्या 18 सिलेंडर यह गरीब काला बाजारी से खरीद पाएगा? क्या फिर से उसे चूल्हे की ओर जाना पड़ेगा? क्या फिर से उसको जंगल काटने पडेंगे? क्या फिर से उसे हमारी यह हरी-भरी हिमाचल की धरती को बर्बाद करने की नौबत आएगी? लकड़ी काटने के लिए मजबूर किया जाएगा मेरे हिमाचल को..? पूरा देश जिस हिमाचल के लिए गर्व करता है, उस हिमाचल के पेड़-पौधे काट-काट कर खाना पकाने की नौबत आएगी, तो इसके लिए अगर कोई गुनाहगार होगा तो यह दिल्ली की सल्तनत गुनहगार होगी भाइयों-बहनों, यह लोग जिम्मेदार होंगे। मैं प्रेम कुमार धूमलजी का अभिनंदन करना चाहता हूँ। दिल्ली से कोई मदद ना होने के बाद भी, दिल्ली सिलेंडर छीनती चली जा रही है उसके बावजूद भी, उन्होंनें हिमाचल की मेरी माताओं और बहनों की चिंता की, बच्चे को गर्म खाना मिले इसकी चिंता की और उन्होंने हर परिवार में मुफ्त में चूल्हा देने का वादा किया। यह मैं धूमलजी का बहुत बड़ा एक एहम कदम मानता हूँ। और आज आपको गैस के कारण जो खर्चा होता है... और मित्रों, कांग्रेस की तरह वादे नहीं, आपको लाकर के दिखा दिया कि यह होगा। झूठे नारे नहीं, झूठे वादे नहीं..! भाइयों-बहनों, मैं इस एक कारण के लिए भी वोट देना होता, अगर मैं हिमाचल का नागरिक होता तो धूमलजी की यह करूणा के कारण, गरीब परिवारों के प्रति प्रेम के कारण, मेरा वोट जरूर धूमलजी को देकर के जाता, इतना बढिय़ा काम किया है, कोई और नहीं कर सकता था और दिल्ली सरकार के मुंह पर तमाचा है ये..! यह सिर्फ चूल्हा नहीं है, यह चूल्हा सिर्फ रसोई पकाएगा ऐसा नहीं, यह धूमलजी का चूल्हा पूरी कांग्रेस को खाख करके रख देगा भाइयों, पूरी कांग्रेस को खाख करके रख देगा। इनके कारोबार ही ऐसे हैं..! भाइयों-बहनों, मैं गुजरात की एक घटना सुनाता हूँ। मेरे प्रदेश में मैंने एक काम किया है। हमने पाइप लाइन से लोगों के घर गैस पहुंचाने का काम आरंभ किया। 300 गाँवों में वो काम मैं कर पाया। सात लाख परिवारों को घर के अंदर जैसे नल से पानी आता है वैसे नल से गैस आता है। अब मेरा सपना था कि पिछले वर्ष इस बात को बीस लाख तक मैं पहुंचाऊं, लेकिन कांग्रेसवालों को पता चल गया कि मोदी अगर गैस घर-घर इस प्रकार से पहुंचा देगा और उनके इस दिल्ली के सिलेंडरवाले गैस से आधी कींमत में, और यदि यह महिलाएं सभी यह मोदी की तरफ चली गई तो तो कांग्रेस की मिट्टी पलीद हो जाएगी, कांग्रेस कभी जिंदा नहीं रहेगी..! तो उन्होंने क्या किया..? उन्होंने, भारत सरकार ने एक कानून निकाला कि गैस की पाइप लाइन डालने का अधिकार सिर्फ भारत सरकार को है, कोई राज्य सरकार गैस की पाइप लाइन नहीं डाल सकता है। अब मुझे बताइए भइया, इतना ज़हर क्या..? क्या गुजरात हिन्दुस्तान में नहीं है क्या..? यह कोई विदेश में है क्या..? जिसकी इस प्रकार से पाइप लाइन काट डालने का निर्णय करते हो आप..! शोभा देता है आपको..? वरना आज मेरे गुजरात में बीस लाख परिवारों में पाइपलाइन से गैस होता, तीन करोड़ गैस के सिलेन्डर बच जाते, तीन करोड़ सिलेन्डर भारत सरकार के बचते और तीन करोड़ गैस सिलेन्डर बचने के कारण सालाना भारत सरकार की पन्द्रह हजार करोड़ रुपये सब्सिडी बच जाती, उनके जेब में पैसे बच जाते..! लेकिन क्योंकि गुजरात में मोदी को क्रेडिट मिल रही है, मेरे काम को रोक दिया है। भाइयों-बहनों, मैं चुप रहने वाला इंसान नहीं हूँ। उनको पता नहीं यह मोदी है, वो ईंट का जवाब पत्थर से देना जानता है। अब मैंने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए हैं और मैं दिल्ली सरकार को झुका के रहूँगा दोस्तों, झुका के रहूँगा..!

भाइयों-बहनों, कांग्रेस का चरित्र देखिए। कांग्रेस ने लोक लाज भी छोड़ दी है, सार्वजनिक जीवन में अगर सबसे बड़ी कोई पूंजी हुआ करती थी, तो वह लोकलाज होती थी। और प्रभु राम के जमाने से लोकलाज का विषय चला आ रहा है और हमारे देश में लोकलाज का महत्व बहुत रहा है। लेकिन कांग्रेस ने लोकलाज छोड़ दी है। उनके एक ऊर्जा मंत्री थे। वे ऊर्जा मंत्री के जमाने में हिन्दुस्तान के 19 राज्यों में 48 घंटे के लिए अंधेरा हो गया, बिजली गुल हो गई। देश के 70 करोड़ नागरिकों को 48 घंटे तक अंधेरे में जिंदगी गुजारनी पड़ी। आपरेशन थियेटर में किसी का आधा आपरेशन हुआ है और बिजली चली गई, आपरेशन अटक गया। लोग ट्रेन में सफर कर रहे थे, बिजली चली गई, ट्रेन बीच रास्ते में अटक गई। सारे विश्व में 21वीं सदी हिन्दुस्तान की सदी की जहाँ चर्चा होती थी, पूरे विश्व के अखबारों ने लिखा कि यह कैसा देश है कि 21वीं सदी के पहले दशक के बाद भी लोगों को बिजली मुहैया नहीं करवा पा रहा है..! आधे-आधे पेज के लेख लिखे गए और आखिर में एक पैराग्राफ आता था और वह पैराग्राफ ये आता था कि एक तरफ पूरा हिन्दुस्तान अंधेरे में डूबा हुआ था, एक अकेला गुजरात ऐसा था जहाँ बिजली जगमगा रही थी..! लेकिन भाइयों-बहनों, मेरा विषय दूसरा है। जिस मंत्री के रहते हुए हिन्दुस्तान अंधेरे में डूब गया, जिस मंत्री के रहते हुए हिन्दुस्तान को दुनिया में नालेशी झेलनी पड़ी, उस मंत्री को उसी रात बिदाई कर देने की जरूरत थी। लेकिन यह दिल्ली की कांग्रेस का चरित्र देखिए, उनका कल्चर देखिए। लाज शर्म के बिना किस प्रकार से व्यवहार किया जाता है, लोकलाज की परवाह ना कर करना यह उनके जो तौर तरीके हैं वे देखिए, उन्होंने उसी मंत्री को एक ही हफ्ते में प्रमोशन दे दी, देश का गुह मंत्री बनाया..! अगर आप विफल हैं, गुनाह करते हो, गलत करते हो तो कांग्रेस में प्रमोशन मिलता है..! अभी उनके एक दूसरे मंत्री श्रीमान सलमान खुर्शीदजी, खुर्शीदजी हैं या कुर्सीजी हैं मालूम नहीं, उन पर बड़े गंभीर आरोप लगे, अपंग लोगों के पैसे ऐंठने के आरोप लगे। कोई इंक्वायरी नहीं हुई, कोई जानकारी नहीं आई, कुछ नहीं हुआ। उनका इस्तीफा लेना चाहिए था, देश के दिल में एक आग जल रही थी, लेकिन किया क्या..? कल उनका प्रमोशन कर दिया। आप गुनाह करो, प्रमोशन पाओ..! आप बेइमानी करो, प्रमोशन पाओ..! यही कांग्रेस के तौर तरीके हैं। कांग्रेस के एक मंत्री थे, पार्लियामेंट में पहले वो मिनीस्टर हुआ करते थे, उन पर आरोप लगे, पैसे की धांधली के, किक्रेट के, ढिकने, फलाने... उन्होंने संसद में खड़े होकर के कहा था कि जिस महिला के खाते में 50 करोड़ जमा हुए हैं, वो 50 करोड़ रुपये से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। ससंद में कहा था और महीने भर के अंदर-अंदर उनकी शादी की पत्रिकाएं सब जगह घूमने लगीं..! भाइयों-बहनों, बता दीजिए, इस देश में कभी किसी ने 50 करोड़ की गर्ल फ्रेन्ड देखी है..? 50 करोड़ की गर्ल फ्रेन्ड, इस गरीब देश में..! और उस समय माहौल इतना खराब हो गया कि उनसे इस्तीफा ले लिया गया, अभी भी वे मामले वैसे के वैसे लटके हुए हैं। कल उनको भी फिर से एक बार मंत्री बना कर के बाइज्जत बरी कर दिया गया, कांग्रेस का यह कल्चर देखिए..! भाइयों-बहनों, आपके हिमाचल के साथ क्या हुआ? केन्द्र में एक मंत्री, हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ आवाज उठाई और कांग्रेस को लगा कि अब जब न्यायालय ने आवाज़ उठाई है तो वीरभद्र सिंहजी का इस्तीफा ले लिया गया। इस्तीफा लेकर इनको कहते हैं कि ठीक है भाई, बस बहुत हो गया..! लेकिन क्या किया..? वहाँ से इस्तीफा लिया और यहाँ पूरा हिमाचल उनके हवाले कर दिया..! भाइयों-बहनों, यह उनके तौर तरीके हैं। मैं हैरान हूँ भाइयों, कांग्रेस किस कल्चर को देश में प्रवाहित करना चाहती है? और ऐसी कांग्रेस पार्टी को इस देश को क्यों झेलना चाहिए..? इतना ही नहीं भाइयों-बहनों, अभी एक स्टील कंपनी पर इनकम टैक्स की रेड हुई, तो उसमें नोट में पाया गया ‘वी.बी.एस.’, ‘वी.बी.एस.’ के नाम पर इतने रूपए..! इनकम टैक्स में खोज पड़ताल हुई। आप जानते हो यह ‘वी.बी.एस.’ कौन है..? भाइयों-बहनों, काग्रेंसवालों ने कह दिया कि यह वी.बी.एस. वीरभद्र सिंह नहीं है, यह तो वीरभ्रष्ट सिंह है। ये वीरभद्र सिंह नहीं है, ये तो वीरभ्रष्ट सिंह है, यह कोई और वी.बी.एस. होगा, हमारे वीरभद्र सिंह नहीं हो सकते। भाइयों-बहनों, कितने आरोप लग रहे हैं, लेकिन कांग्रेस को कोई परवाह नहीं है। भाइयों-बहनों, इक्का-दुक्का किसी ने भ्रष्टाचार किया हो तो यह देश उसको ठीक करने की ताकत रखता है, लेकिन सर्वोच्च स्थान पर जब भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन जाए, भ्रष्टाचार के प्रति लापरवाही बरती जाए, भ्रष्टाचार के प्रति अनदेखी करने का स्वभाव बन जाए तो वह देश बहुत गहरे संकट में जाकर के गिरता है भाइयों-बहनों, कांग्रेस से डरने की इसलिए जरूरत है..! यह कोई इक्के-दुक्के व्यक्ति के भ्रष्टाचार का मुद्दा नहीं है, यह मुद्दा है कांग्रेस के भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बनाने के चरित्र के सामने। और अगर भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बनाया गया, तो देश कितना बर्बाद हो जाएगा इसका आप अंदाज़ा लगा सकते हो।

भाइयों-बहनों, मैं कभी-कभी बहुत परेशान हो जाता हूँ। भारत एक संघीय ढ़ांचा है, राज्यों के समूह से बना हुआ देश है। यह संविधान निर्माताओं ने कहा हुआ है, लेकिन जहाँ-जहाँ भाजपा की सरकारें हैं, उन सरकारों को विफल करने के लिए षड़यंत्र करना, उनके विकास के अंदर रोड़े अटकाना, यह दिल्ली सरकार का स्वाभाव बन गया है। मेरे पत्रकार मित्रों से भी मैं कहूँगा कि समय की मांग है कि वर्तमान कांग्रेस के चरित्र का एनालिसिस करने की जरूरत है, एक नए दृष्टिकोण से इसका रिसर्च करने की जरूरत है। जिस जमाने में कांग्रेस का झंडा चारों ओर फहराता था, पंचायत से लेकर के पार्लियामेंट सब ओर शासन करती थी और कहीं कोई राज्य अगर उभर कर आता था और विरोधी दल की सरकार बनती थी तो इस देश में दो दशक ऐसे गए, यह बहुत गंभीर सवाल मैं उठा रहा हूँ आज इस मंडी की सभा में, दो दशक तक कांग्रेस ने क्या किया..? अगर विरोधी दल की कहीं पर भी कोई सरकार बनी हो, कितना ही बहुमत क्यों ना आया हो, साम-दाम-दंड-भेद जो भी शस्त्र काम आए उसका उपयोग करके उस सत्तारूढ़ पार्टी को डिवाइड करना, एम.एल.ए. को खरीद फरोख्त करना, लोभ-लालच देना और विरोधी दलों की सरकारों को गिराना... 20 साल तक कांग्रेस इस काम को करती रही। और अगर कांग्रेस विरोधी दल की सरकार और वो दल के अंदर के बहुमत को डिवाइड नहीं कर सकती थी, तो धारा 356 का दुरूपयोग करना, किसी ना किसी नाम से जोड़ कर के उन सरकारों को गिरा देना, लेकिन हिन्दुस्तान में ना विपक्ष को पनपने देना, ना किसी दल की सरकार को पनपने देना, बीस साल तक लगातार कांग्रेस ने संवैधानिक संस्थाओं का दुरूपयोग करते हुए हिन्दुस्तान के राजनैतिक दलों को कुचलने की लगातार कोशिश की थी। लेकिन अब कांग्रेस के बस का रोग नहीं रहा है, अब राज्यों को कुचल नहीं पाते हैं, किसी राज्य की सरकारों को तोड़ नहीं पाते हैं, धारा 356 का अनाप-शनाप दुरूपयोग नहीं कर पा रहे हैं और इसलिए पिछले दस साल से, मेरे पत्रकार मित्रों, अध्ययन करिए, देश के पॉलिटिकल पंडितों से मैं कहना चाहता हूँ कि अध्ययन कीजिए, कांग्रेस की रणनीति क्या है..? जो कांग्रेस 20 सालों तक सरकारों को तोडऩे के लिए संविधान का उपयोग करती थी, वह कांग्रेस आज अपने विरोधी दल के प्रमुख राजनेताओं के चरित्र पर कीचड़ उछालने के लिए षड़यंत्र करती है, संवैधानिक संस्थाओं का दुरूपयोग करती है, जितनी भी इन्वेस्टीगेशन की एजेंसीज उनके पास है, उसका दुरूपयोग करती है और कोई भी दल उभरने लगा हो तो उनके व्यक्तियों पर आरोप जड़ देना, झूठी बातें फैला देना, मीडिया के अंदर एक धारी कथाएं चालू करवा देना... एक नया षड़यंत्र चालू किया और हिन्दुस्तान में विरोधी दल का कोई नेता अछूता नहीं है जिस पर कांग्रेस ने इस प्रकार से पिछले दस साल में गंभीर आरोप ना लगाए हों। चरित्र हनन का रास्ता अपनाया है..! और बाद में क्या करते हैं..? सी.बी.आई. का राजनैतिक दुरूपयोग। जब पार्लियामेंट में वोट की जरूरत पड़े, तो सी.बी.आई. को मैदान में उतार दो। मेरे गुजरात में तो मित्रों, मैं दावे से कहता हूँ, मेरे गुजरात में कांग्रेस पार्टी चुनाव नहीं लड़ रही है। आपको जान कर के आश्चर्य होगा, मेरे गुजरात के अंदर चुनाव के मैदान में कांग्रेस है ही नहीं, उम्मीदवार कांग्रेस के हैं, लेकिन चुनाव सी.बी.आई. लड़ रही है मेरे राज में, सी.बी.आई. चुनाव लड़ रही है..! यह तौर तरीके अपनाए जाते हैं।

भाइयों-बहनों, जहाँ-जहाँ भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं उनके साथ अन्याय करना, विकास की राह में रोड़े अटकाना और ऐसा व्यवहार किया जाता है कि जैसा किसी दुश्मन देश के राज्य के साथ किया जाए, यह भाजपा के राज्यों के साथ यह दिल्ली की सरकार करती है, यह मैं सार्वजनिक रूप से मैं उन पर आरोप लगाता हूँ। भाइयों-बहनों, मैं हमेशा देखता हूँ कि किस प्रकार से उन्होंने भाजपा सरकारों को विफल करने का प्रयास किया है। आप हिमाचल में देखिए, यहाँ पर रास्तों का काम प्रमुख काम होता है क्योंकि कभी भी पहाड़ ढह जाता है, जमीन ढह जाती है, नुकसान होता रहता है। भारत सरकार बहुत बड़ी-बड़ी बातें करती है और मैडम सोनियाजी यहाँ आकर बोली कि 10,000 करोड़ दिया है, 10,000 करोड..! मैडम, मैं यह पूछना चाहता हूँ कि क्या यह 10,000 करोड़ देहज में आए हुए हैं क्या..? यह हिन्दुस्तान की सौ करोड़ जनता की मेहनत की कमाई के पैसे हैं, यह आपकी व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है। यह आपकी व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है, यह दिल्ली कान खोल कर सुन ले और आप हम लोगों को रूपयों के नाम पर दबा नहीं सकते हो। भारतीय जनता पार्टी जनता जर्नादन को समर्पित पार्टी है, हम जनता के विकास के लिए लगे हुए लोग हैं। भाइयों-बहनों, कभी कोई इस प्रकार का व्यवहार नहीं करता है। अरे, हमारे यहाँ अगर हम पड़ौस के घर से कभी एक प्याला भर अगर हम चीनी लाए हों, तो कभी वो कहता है कि अरे, उस दिन तुम्हारे यहाँ मेहमान आए थे तो मैंने चीनी दी थी, ऐसा कोई बोलता है क्या, कोई बोलता है..? कोई मैडम बोलती है, माताएं-बहनें बोलती है क्या..? अरे, वह रोज का व्यवहार होता है। यह आकर के बोलती है 10,00 करोड़ दिया..! अरे मैडम सोनियाजी, अगर आपको राज चलाना नहीं आता है तो दिल्ली का दौर छोड़ दीजिए, आपके पास हिसाब-किताब मांगने के लिए सारी संस्थाएं हैं और आज तक धूमलजी पर उंगली उठाने का साहस दिल्ली की आपकी एक भी संवैधानिक संस्था ने किया नहीं है..! अरे, उनको पूछ लीजिए, उनके पास हिसाब पड़ा है, प्लानिंग कमीशन के पास हिसाब पड़ा है, देश के हिसाब-किताब से चलता है। लेकिन लोगों को भ्रमित करने के लिए... और मैं तो हैरान हूँ, ‘मौन मोहन’ सिंहजी भी यही बोल कर गए..! यह अच्छा लगा मुझे कि ‘मौन मोहन’ सिंहजी ने एक आधा वाक्य ये कहा कि भाई, हिमाचल में विकास तो हुआ है। ये तो कहा, लेकिन बाद में कहा कि लेकिन पैसे दिल्ली के थे..! भाइयों-बहनों, दिल्ली हिन्दुस्तान की राजधानी है और हिमाचल हिन्दुस्तान का एक अंग है और हिमाचल को हिन्दुस्तान से अलग करके बोलने की भाषा हिन्दुस्तान के संविधान का अपमान है।

भाइयों-बहनों, धूमलजी मेरे बहुत अच्छे मित्र रहे हैं। जिस प्रकार से वे हिमाचल को नई ऊंचाइयों पर ले गए हैं, मैंने बहुत निकट से जाना है। और मैं हिमाचल की मिट्टी से बहुत घुला-मिला इंसान हूँ, मैं देख रहा हूँ प्रगति को। और आज मैं गुजरात की धरती से आपसे खास मांगने आया हूँ और मैं आपसे चाहता हूँ कि 4 तारीख को आप भारी मतदान करें और भारतीय जनता पार्टी के कमल के निशान पर बटन दबाएं और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज़ प्रकट करें, कमल के निशान पर बटन दबा कर के महंगाई के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त करें, कमल पर बटन दबा कर के दिल्ली की सल्तनत को उखाड़ फैंकने का संकल्प करें और भाइयों-बहनों, जो पाप दिल्ली में चल रहे हैं, उस पाप को इस देवभूमि में मत आने दीजिए मेरे भाइयों, उस पाप को इस देवभूमि में मत आने दीजिए..! यह हिन्दुस्तान की पवित्र जगह है, यह मेरा हिमाचल हिन्दुस्तान का पवित्र स्थान है, हिन्दुस्तान की देवभूमि है, कृपा करके इस देवभूमि में यह दिल्ली के पाप को प्रवेश मत करने दीजिए भाईयों, मत घुसने दीजिए, यह हिमाचल को सुरक्षित रखिए..! और धूमलजी इसको सुरक्षित रखेंगे यह मेरा पूरा विश्वास है। हिमाचल के भाइयों-बहनों ने मेरा स्वागत किया, सम्मान किया, मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूँ..! मेरे साथ बोलेंगे...

भारत माता की जय...!

दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की जय...!  भारत माता की जय...!  भारत माता की जय...!

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मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | 'मन की बात', यानि देश के सामूहिक प्रयासों की बात, देश की उपलब्धियों की बात, जन-जन के सामर्थ्य की बात, ‘मन की बात' यानि देश के युवा सपनों, देश के नागरिकों की आकांक्षाओं की बात | मैं पूरे महीने, 'मन की बात' का इंतजार करता रहता हूँ, ताकि, आपसे सीधा संवाद कर सकूँ । कितने ही सारे संदेश, कितने ही messages ! मेरा पूरा प्रयास रहता है कि ज्यादा- से-ज्यादा संदेश को पढूँ, आपके सुझावों पर मंथन करूँ ।

साथियो, आज बड़ा ही खास दिन है - आज NCC दिवस है | NCC का नाम सामने आते ही हमें स्कूल-कॉलेज के दिन याद आ जाते हैं | मैं स्वयं भी NCC Cadet रहा हूँ, इसलिए, पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि इससे मिला अनुभव मेरे लिए अनमोल है | 'NCC' युवाओं में अनुशासन, नेतृत्व और सेवा की भावना पैदा करती है । आपने अपने आस-पास देखा होगा, जब भी कहीं कोई आपदा होती है, चाहे बाढ़ की स्थिति हो, कहीं भूकंप आया हो, कोई हादसा हुआ हो, वहाँ, मदद करने के लिए NCC के cadets जरूर मौजूद हो जाते हैं । आज देश में NCC को मजबूत करने के लिए लगातार काम हो रहा है । 2014 में करीब 14 लाख युवा NCC से जुड़े थे | अब 2024 में, 20 लाख से ज्यादा युवा NCC से जुड़े हैं | पहले के मुकाबले पाँच हजार और नए स्कूल-कॉलेजों में अब NCC की सुविधा हो गई है, और सबसे बड़ी बात, पहले NCC में girls cadets की संख्या करीब 25% (percent) के आस-पास ही होती थी | अब NCC में girls cadets की संख्या करीब-करीब 40% (percent) हो गई है | बॉर्डर किनारे रहने वाले युवाओं को ज्यादा से ज्यादा NCC से जोड़ने का अभियान भी लगातार जारी है । मैं युवाओं से आग्रह करूंगा कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में NCC से जुड़ें | आप देखिएगा आप किसी भी career में जाएं, NCC से आपके व्यक्तित्व निर्माण में बड़ी मदद मिलेगी |

साथियो, विकसित भारत के निर्माण में युवाओं का रोल बहुत बड़ा है | युवा मन जब एकजुट होकर देश की आगे की यात्रा के लिए मंथन करते हैं, चिंतन करते हैं, तो निश्चित रूप से इसके ठोस रास्ते निकलते हैं । आप जानते हैं 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर देश 'युवा दिवस' मनाता है । अगले साल स्वामी विवेकानंद जी की 162वीं जयंती है | इस बार इसे बहुत खास तरीके से मनाया जाएगा | इस अवसर पर 11-12 जनवरी को दिल्ली के भारत मंडपम में युवा विचारों का महाकुंभ होने जा रहा है, और इस पहल का नाम है 'विकसित भारत Young Leaders Dialogue’ | भारत-भर से करोड़ों युवा इसमें भाग लेंगे | गाँव, block, जिले, राज्य और वहाँ से निकलकर चुने हुए ऐसे दो हजार युवा भारत मंडपम में 'विकसित भारत Young Leaders Dialogue' के लिए जुटेंगे | आपको याद होगा, मैंने लाल किले की प्राचीर से ऐसे युवाओं से राजनीति में आने का आहवान किया है, जिनके परिवार का कोई भी व्यक्ति और पूरे परिवार का political background नहीं है, ऐसे एक लाख युवाओं को, नए युवाओं को, राजनीति से जोड़ने के लिए देश में कई तरह के विशेष अभियान चलेंगे | ‘विकसित भारत Young Leaders Dialogue' भी ऐसा ही एक प्रयास है । इसमें देश और विदेश से experts आएंगे | अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हस्तियाँ भी रहेंगी | मैं भी इसमें ज्यादा-से-ज्यादा समय उपस्थित रहूँगा | युवाओं को सीधे हमारे सामने अपने ideas को रखने का अवसर मिलेगा | देश इन ideas को कैसे आगे लेकर जा सकता है? कैसे एक ठोस roadmap बन सकता है? इसका एक blueprint तैयार किया जाएगा, तो आप भी तैयार हो जाइए, जो भारत के भविष्य का निर्माण करने वाले हैं, जो देश की भावी पीढ़ी हैं, उनके लिए ये बहुत बड़ा मौका आ रहा है | आइए, मिलकर देश बनाएं, देश को विकसित बनाएं ।

मेरे प्यारे देशवासियों, ‘मन की बात’ में, हम अक्सर ऐसे युवाओं की चर्चा करते हैं | जो निस्वार्थ भाव से समाज के लिए काम कर रहे हैं ऐसे कितने ही युवा हैं जो लोगों की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान निकालने में जुटे हैं | हम अपने आस-पास देखें तो कितने ही लोग दिख जाते है, जिन्हें, किसी ना किसी तरह की मदद चाहिए,कोई जानकारी चाहिए I मुझे ये जानकर अच्छा लगा कुछ युवाओं ने समूह बनाकर इस तरह की बात को भी address किया है जैसे लखनऊ के रहने वाले वीरेंद्र हैं, वो बुजुर्गों को Digital life certificate के काम में मदद करते हैं I आप जानते हैं कि नियमों के मुताबिक सभी Pensioners को साल में एक बार Life Certificate जमा कराना होता है I 2014 तक इसकी प्रक्रिया यह थी इसे बैंकों में जाकर बुजुर्ग को खुद जमा करना पड़ता था आप कल्पना कर सकते हैं कि इससे हमारे बुजुर्गों को कितनी असुविधा होती थी I अब ये व्यवस्था बदल चुकी है I अब Digital Life Certificate देने से चीजें बहुत ही सरल हो गई हैं, बुजुर्गों को बैंक नहीं जाना पड़ता I बुजुर्गों को Technology की वजह से कोई दिक्कत ना आए, इसमें, वीरेंद्र जैसे युवाओं की बड़ी भूमिका है I वो, अपने क्षेत्र के बुजुर्गों को इसके बारे में जागरूक करते रहते हैं I इतना ही नहीं वो बुजुर्गों को tech savvy भी बना रहे हैं ऐसे ही प्रयासों से आज Digital Life certificate पाने वालों की संख्या 80 लाख के आँकड़े को पार कर गई है I इनमें से दो लाख से ज्यादा ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनकी आयु 80 के भी पार हो गई है I

साथियो, कई शहरों में ‘युवा’ बुजुर्गों को Digital क्रांति में भागीदार बनाने के लिए भी आगे आ रहे हैं I भोपाल के महेश ने अपने मोहल्ले के कई बुजुर्गों को Mobile के माध्यम से Payment करना सिखाया है I इन बुजुर्गों के पास smart phone तो था, लेकिन, उसका सही उपयोग बताने वाला कोई नहीं था I बुजुर्गों को Digital arrest के खतरे से बचाने के लिए भी युवा आगे आए हैं I अहमदाबाद के राजीव, लोगों को Digital Arrest के खतरे से आगाह करते हैं I मैंने ‘मन की बात’ के पिछले episode में Digital Arrest की चर्चा की थी I इस तरह के अपराध के सबसे ज्यादा शिकार बुजुर्ग ही बनते हैं I ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम उन्हें जागरूक बनाएं और cyber fraud से बचने में मदद करें I हमें बार-बार लोगों को समझाना होगा कि Digital Arrest नाम का सरकार में कोई भी प्रावधान नहीं है - ये सरासर झूठ, लोगों को फ़साने का एक षड्यन्त्र है मुझे खुशी है कि हमारे युवा साथी इस काम में पूरी संवेदनशीलता से हिस्सा ले रहे हैं और दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं I

मेरे प्यारे देशवासियो, आजकल बच्चों की पढ़ाई को लेकर कई तरह के प्रयोग हो रहे हैं | कोशिश यही है कि हमारे बच्चों में creativity और बढ़े, किताबों के लिए उनमें प्रेम और बढ़े - कहते भी हैं ‘किताबें’ इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं, और अब इस दोस्ती को मजबूत करने के लिए, Library से ज्यादा अच्छी जगह और क्या होगी | मैं चेन्नई का एक उदाहरण आपसे share करना चाहता हूं | यहां बच्चों के लिए एक ऐसी library तैयार की गई है, जो, creativity और learning का Hub बन चुकी है | इसे प्रकृत् अरिवगम् के नाम से जाना जाता है | इस library का idea, technology की दुनिया से जुड़े श्रीराम गोपालन जी की देन है | विदेश में अपने काम के दौरान वे latest technology की दुनिया से जुड़े रहे | लेकिन, वो, बच्चों में पढ़ने और सीखने की आदत विकसित करने के बारे में भी सोचते रहे | भारत लौटकर उन्होंने प्रकृत् अरिवगम् को तैयार किया | इसमें तीन हजार से अधिक किताबें हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए बच्चों में होड़ लगी रहती है | किताबों के अलावा इस library में होने वाली कई तरह की activities भी बच्चों को लुभाती हैं | Story Telling session हो, Art Workshops हो, Memory Training Classes, Robotics Lesson या फिर Public Speaking, यहां, हर किसी के लिए कुछ-न-कुछ जरूर है, जो उन्हें पसंद आता है |

साथियो, हैदराबाद में ‘Food for Thought’ Foundation ने भी कई शानदार libraries बनाई हैं | इनका भी प्रयास यही है कि बच्चों को ज्यादा-से-ज्यादा विषयों पर ठोस जानकारी के साथ पढ़ने के लिए किताबें मिलें | बिहार में गोपालगंज के ‘Prayog Library’ की चर्चा तो आसपास के कई शहरों में होने लगी है | इस library से करीब 12 गांवों के युवाओं को किताबें पढ़ने की सुविधा मिलने लगी है, साथ ही ये, library पढ़ाई में मदद करने वाली दूसरी जरूरी सुविधाएँ भी उपलब्ध करा रही है | कुछ libraries तो ऐसी हैं, जो, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में students के बहुत काम आ रही हैं | ये देखना वाकई बहुत सुखद है कि समाज को सशक्त बनाने में आज library का बेहतरीन उपयोग हो रहा है | आप भी किताबों से दोस्ती बढ़ाइए, और देखिए, कैसे आपके जीवन में बदलाव आता है |

मेरे प्यारे देशवासियो, परसों रात ही मैं दक्षिण अमेरिका के देश गयाना से लौटा हूं | भारत से हजारों किलोमीटर दूर, गयाना में भी, एक ‘Mini भारत’ बसता है | आज से लगभग 180 वर्ष पहले, गयाना में भारत के लोगों को, खेतों में मजदूरी के लिए, दूसरे कामों के लिए, ले जाया गया था | आज गयाना में भारतीय मूल के लोग राजनीति, व्यापार, शिक्षा और संस्कृति के हर क्षेत्र में गयाना का नेतृत्व कर रहे हैं | गयाना के राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं, जो, अपनी भारतीय विरासत पर गर्व करते हैं | जब मैं गयाना में था, तभी, मेरे मन में एक विचार आया था - जो मैं ‘मन की बात’ में आपसे share कर रहा हूं | गयाना की तरह ही दुनिया के दर्जनों देशों में लाखों की संख्या में भारतीय हैं | दशकों पहले की 200-300 साल पहले की उनके पूर्वजों की अपनी कहानियां हैं | क्या आप ऐसी कहानियों को खोज सकते हैं कि किस तरह भारतीय प्रवासियों ने अलग-अलग देशों में अपनी पहचान बनाई! कैसे उन्होंने वहाँ की आजादी की लड़ाई के अंदर हिस्सा लिया! कैसे उन्होंने अपनी भारतीय विरासत को जीवित रखा? मैं चाहता हूं कि आप ऐसी सच्ची कहानियों को खोजें, और मेरे साथ share करें | आप इन कहानियों को NaMo App पर या MyGov पर #IndianDiasporaStories के साथ भी share कर सकते हैं |

साथियो, आपको ओमान में चल रहा एक extraordinary project भी बहुत दिलचस्प लगेगा | अनेकों भारतीय परिवार कई शताब्दियों से ओमान में रह रहे हैं | इनमें से ज्यादातर गुजरात के कच्छ से जाकर बसे हैं | इन लोगों ने व्यापार के महत्वपूर्ण link तैयार किए थे | आज भी उनके पास ओमानी नागरिकता है, लेकिन भारतीयता उनकी रग-रग में बसी है | ओमान में भारतीय दूतावास और National Archives of India के सहयोग से एक team ने इन परिवारों की history को preserve करने का काम शुरू किया है | इस अभियान के तहत अब तक हजारों documents जुटाए जा चुके हैं | इनमें diary, account book, ledgers, letters और telegram शामिल हैं | इनमें से कुछ दस्तावेज तो सन् 1838 के भी हैं | ये दस्तावेज, भावनाओं से भरे हुए हैं | बरसों पहले जब वो ओमान पहुंचे, तो उन्होंने किस प्रकार का जीवन जिया, किस तरह के सुख-दुख का सामना किया, और, ओमान के लोगों के साथ उनके संबंध कैसे आगे बढ़े - ये सब कुछ इन दस्तावेजों का हिस्सा है | ‘Oral History Project’ ये भी इस mission का एक महत्वपूर्ण आधार है | इस mission में वहां के वरिष्ठ लोगों ने अपने अनुभव साझा किए हैं | लोगों ने वहाँ अपने रहन-सहन से जुड़ी बातों को विस्तार से बताया है |

साथियो ऐसा ही एक ‘Oral History Project’ भारत में भी हो रहा है | इस project के तहत इतिहास प्रेमी देश के विभाजन के कालखंड में पीड़ितों के अनुभवों का संग्रह कर रहें हैं | अब देश में ऐसे लोगों की संख्या कम ही बची है, जिन्होंने, विभाजन की विभीषिका को देखा है | ऐसे में यह प्रयास और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है |

साथियो, जो देश, जो स्थान, अपने इतिहास को संजोकर रखता है, उसका भविष्य भी सुरक्षित रहता है | इसी सोच के साथ एक प्रयास हुआ है जिसमें गांवों के इतिहास को संजोने वाली एक Directory बनाई है | समुद्री यात्रा के भारत के पुरातन सामर्थ्य से जुड़े साक्ष्यों को सहेजने का भी अभियान देश में चल रहा है | इसी कड़ी में, लोथल में, एक बहुत बड़ा Museum भी बनाया जा रहा है, इसके अलावा, आपके संज्ञान में कोई manuscript हो, कोई ऐतिहासिक दस्तावेज हो, कोई हस्तलिखित प्रति हो तो उसे भी आप, National Archives of India की मदद से सहेज सकते हैं |

साथियो, मुझे Slovakia में हो रहे ऐसे ही एक और प्रयास के बारे में पता चला है जो हमारी संस्कृति को संरक्षित करने और उसे आगे बढ़ाने से जुड़ा है | यहां पहली बार Slovak language में हमारे उपनिषदों का अनुवाद किया गया है | इन प्रयासों से भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव का भी पता चलता है | हम सभी के लिए ये गर्व की बात है कि दुनिया-भर में ऐसे करोड़ों लोग हैं, जिनके हृदय में, भारत बसता है |

मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं आपसे देश की एक ऐसी उपलब्धि साझा करना चाहता हूं जिसे सुनकर आपको खुशी भी होगी और गौरव भी होगा, और अगर आपने नहीं किया है, तो शायद पछतावा भी होगा | कुछ महीने पहले हमने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान शुरू किया था | इस अभियान में देश-भर के लोगों ने बहुत उत्साह से हिस्सा लिया | मुझे ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि इस अभियान ने सौ करोड़ पेड़ लगाने का अहम पड़ाव पार कर लिया है | सौ करोड़ पेड़, वो भी, सिर्फ पाँच महीनों में - ये हमारे देशवासियों के अथक प्रयासों से ही संभव हुआ है | इससे जुड़ी एक और बात जानकर आपको गर्व होगा | ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान अब दुनिया के दूसरे देशों में भी फैल रहा है | जब मैं गयाना में था, तो वहां भी, इस अभियान का साक्षी बना | वहां मेरे साथ गयाना के राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली, उनकी पत्नी की माता जी, और परिवार के बाकी सदस्य, ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में शामिल हुए |

साथियो, देश के अलग-अलग हिस्सों में ये अभियान लगातार चल रहा है | मध्य प्रदेश के इंदौर में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत, पेड़ लगाने का record बना है - यहां 24 घंटे में 12 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए | इस अभियान की वजह से इंदौर की Revati Hills के बंजर इलाके, अब, green zone में बदल जाएंगे | राजस्थान के जैसलमेर में इस अभियान के द्वारा एक अनोखा record बना - यहां महिलाओं की एक टीम ने एक घंटे में 25 हजार पेड़ लगाए | माताओं ने मां के नाम पेड़ लगाया और दूसरों को भी प्रेरित किया। यहां एक ही जगह पर पाँच हज़ार से ज़्यादा लोगों ने मिलकर पेड़ लगाए - ये भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है । ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत कई सामाजिक संस्थाएँ स्थानीय जरूरतों के हिसाब से पेड़ लगा रही हैं । उनका प्रयास है कि जहां पेड़ लगाए जाएँ वहाँ पर्यावरण के अनुकूल पूरा Eco System Develop हो । इसलिए ये संस्थाएँ कहीं औषधीय पौधे लगा रहीं हैं, तो कहीं, चिड़ियों का बसेरा बनाने के लिए पेड़ लगा रहीं हैं । बिहार में ‘JEEViKA Self Help Group’ की महिलाओं ने 75 लाख पेड़ लगाने का अभियान चला रहीं हैं । इन महिलाओं का focus फल वाले पेड़ों पर है, जिससे आने वाले समय में आय भी की जा सके ।

साथियो, इस अभियान से जुड़कर कोई भी व्यक्ति अपनी माँ के नाम पर पेड़ लगा सकता है । अगर माँ साथ है तो उन्हें साथ लेकर आप पेड़ लगा सकते हैं, नहीं तो उनकी तस्वीर साथ में लेकर आप इस अभियान का हिस्सा बन सकते हैं । पेड़ के साथ आप अपनी Selfie भी mygov.in पर पोस्ट कर सकते हैं । माँ, हम सबके लिए जो करती है हम उनका ऋण कभी नहीं चुका सकते, लेकिन, एक पेड़ माँ के नाम लगाकर हम उनकी उपस्थिति को हमेशा के लिए जीवंत बना सकते हैं ।

मेरे प्यारे देशवासियो, आप सभी लोगों ने बचपन में गौरेया या Sparrow को अपने घर की छत पर, पेड़ों पर चहकते हुए ज़रूर देखा होगा । गौरेया को तमिल और मलयालम में कुरुवी, तेलुगु में पिच्चुका और कन्नड़ा में गुब्बी के नाम से जाना जाता है । हर भाषा, संस्कृति में, गौरेया को लेकर किस्से-कहानी सुनाए जाते हैं । हमारे आसपास Biodiversity को बनाए रखने में गौरेया का एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है, लेकिन, आज शहरों में बड़ी मुश्किल से गौरेया दिखती है । बढ़ते शहरीकरण की वजह से गौरेया हमसे दूर चली गई है । आज की पीढ़ी के ऐसे बहुत से बच्चे हैं, जिन्होंने गौरेया को सिर्फ तस्वीरों या वीडियो में देखा है । ऐसे बच्चों के जीवन में इस प्यारी पक्षी की वापसी के लिए कुछ अनोखे प्रयास हो रहे हैं । चेन्नई के कूडुगल ट्रस्ट ने गौरेया की आबादी बढ़ाने के लिए स्कूल के बच्चों को अपने अभियान में शामिल किया है । संस्थान के लोग स्कूलों में जाकर बच्चों को बताते हैं कि गौरेया रोज़मर्रा के जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है । ये संस्थान बच्चों को गौरेया का घोंसला बनाने की training देते है । इसके लिए संस्थान के लोगों ने बच्चों को लकड़ी का एक छोटा सा घर बनाना सिखाया । इसमें गौरेया के रहने, खाने का इंतजाम किया । ये ऐसे घर होते हैं जिन्हें किसी भी इमारत की बाहरी दीवार पर या पेड़ पर लगाया जा सकता है । बच्चों ने इस अभियान में उत्साह के साथ हिस्सा लिया और गौरेया के लिए बड़ी संख्या में घोंसला बनाना शुरू कर दिया । पिछले चार वर्षों में संस्था ने गौरेया के लिए ऐसे दस हज़ार घोंसले तैयार किए हैं । कूडुगल ट्रस्ट की इस पहल से आसपास के इलाकों में गौरेया की आबादी बढ़नी शुरू हो गई है। आप भी अपने आसपास ऐसे प्रयास करेंगे तो निश्चित तौर पर गौरेया फिर से हमारे जीवन का हिस्सा बन जाएगी ।

साथियो, कर्नाटका के मैसुरू की एक संस्था ने बच्चों के लिए ‘Early Bird’ नाम का अभियान शुरू किया है । ये संस्था बच्चों को पक्षियों के बारे में बताने के लिए खास तरह की library चलाती है । इतना ही नहीं, बच्चों में प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा करने के लिए ‘Nature Education Kit’ तैयार किया है। इस Kit में बच्चों के लिए Story Book, Games, Activity Sheets और jig-saw puzzles हैं । ये संस्था शहर के बच्चों को गांवों में लेकर जाती है और उन्हें पक्षियों के बारे में बताती है । इस संस्था के प्रयासों की वजह से बच्चे पक्षियों की अनेक प्रजातियों को पहचानने लगे हैं । ‘मन की बात’ के श्रोता भी इस तरह के प्रयास से बच्चों में अपने आसपास को देखने, समझने का अलग नज़रिया विकसित कर सकते हैं ।

मेरे प्यारे देशवासियो, आपने देखा होगा, जैसे ही कोई कहता है ‘सरकारी दफ्तर’ तो आपके मन में फाइलों के ढ़ेर की तस्वीर बन जाती है | आपने फिल्मों में भी ऐसा ही कुछ देखा होगा | सरकारी दफ्तरों में इन फाइलों के ढ़ेर पर कितने ही मजाक बनते रहते हैं, कितनी ही कहानियां लिखी जा चुकी हैं | बरसों-बरस तक ये फाइलें Office में पड़े-पड़े धूल से भर जाती थीं, वहां, गंदगी होने लगती थी - ऐसी दशकों पुरानी फाइलों और Scrap को हटाने के लिए एक विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया | आपको ये जानकर खुशी होगी कि सरकारी विभागों में इस अभियान के अद्भुत परिणाम सामने आए हैं | साफ-सफाई से दफ्तरों में काफी जगह खाली हो गई है | इससे दफ्तर में काम करने वालों में एक Ownership का भाव भी आया है | अपने काम करने की जगह को स्वच्छ रखने की गंभीरता भी उनमें आई है |

सथियो, आपने अक्सर बड़े-बुजुर्गों को ये कहते सुना होगा, कि जहां स्वच्छता होती है, वहां, लक्ष्मी जी का वास होता है | हमारे यहाँ ‘कचरे से कंचन’ का विचार बहुत पुराना है | देश के कई हिस्सों में ‘युवा’ बेकार समझी जाने वाली चीजों को लेकर, कचरे से कंचन बना रहे हैं | तरह-तरह के innovation कर रहे हैं | इससे वो पैसे कमा रहे हैं, रोजगार के साधन विकसित कर रहे हैं | ये युवा अपने प्रयासों से sustainable lifestyle को भी बढ़ावा दे रहे हैं | मुंबई की दो बेटियों का ये प्रयास, वाकई बहुत प्रेरक है | अक्षरा और प्रकृति नाम की ये दो बेटियाँ, कतरन से फैशन के सामान बना रही हैं | आप भी जानते हैं कपड़ों की कटाई-सिलाई के दौरान जो कतरन निकलती है, इसे बेकार समझकर फेंक दिया जाता है | अक्षरा और प्रकृति की Team उन्हीं कपड़ों के कचरे को Fashion Product में बदलती है | कतरन से बनी टोपियां, Bag हाथों-हाथ बिक भी रही है |

साथियो, साफ-सफाई को लेकर UP के कानपुर में भी अच्छी पहल हो रही है | यहाँ कुछ लोग रोज सुबह Morning Walk पर निकलते हैं और गंगा के घाटों पर फैले Plastic और अन्य कचरे को उठा लेते हैं | इस समूह को ‘Kanpur Ploggers Group’ नाम दिया गया है | इस मुहिम की शुरुआत कुछ दोस्तों ने मिलकर की थी | धीरे-धीरे ये जन भागीदारी का बड़ा अभियान बन गया | शहर के कई लोग इसके साथ जुड़ गए हैं | इसके सदस्य, अब, दुकानों और घरों से भी कचरा उठाने लगे हैं | इस कचरे से Recycle Plant में tree guard तैयार किए जाते हैं, यानि, इस Group के लोग कचरे से बने tree guard से पौधों की सुरक्षा भी करते हैं|

साथियो, छोटे-छोटे प्रयासों से कैसी बड़ी सफलता मिलती है, इसका एक उदाहरण असम की इतिशा भी है | इतिशा की पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और पुणे में हुई है | इतिशा corporate दुनिया की चमक-दमक छोड़कर अरुणाचल की सांगती घाटी को साफ बनाने में जुटी हैं | पर्यटकों की वजह से वहां काफी plastic waste जमा होने लगा था | वहां की नदी जो कभी साफ थी वो plastic waste की वजह से प्रदूषित हो गई थी | इसे साफ करने के लिए इतिशा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है | उनके group के लोग वहां आने वाले tourist को जागरूक करते हैं और plastic waste को collect करने के लिए पूरी घाटी में बांस से बने कूड़ेदान लगाते हैं |

साथियो, ऐसे प्रयासों से भारत के स्वच्छता अभियान को गति मिलती है | ये निरंतर चलते रहने वाला अभियान है | आपके आस-पास भी ऐसा जरूर होता ही होगा | आप मुझे ऐसे प्रयासों के बारे में जरूर लिखते रहिए |

साथियो, ‘मन की बात’ के इस episode में फिलहाल इतना ही | मुझे तो पूरे महीने, आपकी प्रतिक्रियाओं, पत्रों और सुझावों का खूब इंतजार रहता है | हर महीने आने वाले आपके संदेश मुझे और बेहतर करने की प्रेरणा देते हैं | अगले महीने हम फिर मिलेंगे, ‘मन की बात’ के एक और अंक में - देश और देशवासियों की नई उपलब्धियों के साथ, तब तक के लिए, आप सभी देशवासियों को, मेरी ढ़ेर सारी शुभकामनाएं |

बहुत-बहुत धन्यवाद |