ब्रह्म श्री प्रकाशानंदा स्वामीगल, श्रीमद ऋतंभरा नंदा स्वामीगल, श्री नारायण धर्मा संगम सन्यासिन्स, श्री मुरलीधरन, सहोदरी, सहोदर नवारे, नमस्काम्..! श्रीमान मुरलीधरन की मदद से मैं अपने दिल की बात आप सब तक पहुंचा पाऊंगा। मैं देख रहा हूँ कि यहाँ जो व्यवस्था बनी है वो व्यवस्था कम पड़ गई है और बहुत बड़ी मात्रा में लोग दूर-दूर बाहर खड़े हैं..! भाइयो-बहनों, इस शामियाने में जगह शायद कम होगी, लेकिन आप भरोसा रखिए कि मेरे दिल में आप लोगों के लिए बहुत जगह है..!

मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य रहा कि बचपन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधि से जुड़ा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधि में एक महत्वपूर्ण संस्कार कार्यक्रम होता है, प्रात:स्मरण काल। और जब हमें प्रात: स्मरण सिखाया गया था उसी समय से प्रतिदिन सुबह परम पूज्य ब्रह्मलीन नारायण गुरू स्वामी का स्मरण करने का सौभाग्य मिलता था। आज देश कि जिन समस्याओं की ओर हम देख रहे हैं, उन समस्याओं की ओर नजर करें और श्री नारायण गुरू स्वामी कि शिक्षा पर नजर करें, तो हमें ध्यान में आता है कि अगर ये देश श्री नारायण गुरू स्वामी की शिक्षा-दीक्षा पर चला होता तो आज हमारे देश का ये हाल ना हुआ होता..! श्री नारायण गुरू स्वामी ने समाजिक जीवन की शक्ति बढ़ाने के मूलभूत तत्वों पर सबसे अधिक बल दिया था। आज समाज में किसी ना किसी स्वरूप में अस्पृश्यता आज भी नजर आती है। हमारे संतों के प्रयत्नों के द्वारा समाज जीवन की छूआछूत कम होती गई, लेकिन राजनीतिक जीवन में छूआछूत और भी बढ़ती चली जा रही है..! यह देश स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती मना रहा है और हम जब स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती मना रहे हैं तब, इस बात का भी संयोग है कि श्री नारायण गुरू स्वामी के जीवन में भी इस कार्य को आगे बढ़ाने में स्वामी विवेकानंद जी का सीधा-सीधा संबंध आया था। हम पूरे आजादी के आंदोलन की ओर नजर करें तो हमारे ध्यान में आएगा कि अठारहवीं शताब्दी का उत्तरार्ध, उन्नीसवीं शताब्दी और बीसवीं शताब्दी में भारत की आजादी के आंदोलन की पिठीका तैयार करने में सबसे बड़ा योगदान किसी ने दिया है तो हमारे संतों ने दिया है, महापुरूषों ने दिया है, सन्यासियों ने दिया है, जिनके पुरुषार्थ के कारण एक समाज जागरण का काम, सामाजिक चेतना का काम, सामाजिक एकता का काम निरंन्तर चलता रहा और उसी का परिणाम हुआ कि देश की आजादी के आंदोलन के लिए एक मजबूत पीठिका का निर्माण हुआ। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज ये मान कर चलते थे कि अब हिन्दुस्तान को हजारों सालों तक गुलाम बनाए रखा जा सकता है, अब हिन्दुस्तान खड़ा नहीं हो सकता है। लेकिन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद पूरी तीन शताब्दी की ओर देखा जाए तो इस देश में इन महापुरूषों की एक श्रुंखला रही है और उस श्रुंखला के कारण निरंतर हिन्दुस्तान का कोई एक राज्य ऐसा नहीं होगा, हिन्दुस्तान का कोई समाज ऐसा नहीं होगा, हिन्दुस्तान का कोई क्षेत्र ऐसा नही होगा कि जहाँ पर पिछली तीन शताब्दी के अंदर कोई ना कोई ऐसे महापुरूष का जन्म ना हुआ हो जिस महापुरूष ने समाजिक संस्कारों के लिए, समाज सुधार के लिए सोशल रिफार्मर के नाते काम ना किया हो और समाज को जोड़ने का काम ना किया हो, ऐसा पिछली तीन शताब्दी में किसी भूभाग में नहीं मिलेगा..! चाहे स्वामी राम दास हो, चाहे स्वामी विवेकानंद हो, चाहे स्वामी दयानंद से लेकर के स्वामी श्रद्घानंद तक की परंपरा हो, चाहे बस्वेश्वर हो, चाहे चेतन्य महाप्रभु हो, चाहे गुजरात के नरसिंह मेहता हो, इस देश के अंदर ऐसी एक परंपरा रही और केरल में भी पूज्य नारायण स्वामी जी का हो या अयंकाली जी का हो, इन सबकी परंपरा के कारण हिन्दुस्तान के अंदर इस चेतना को जागृत रखने में सफलता मिली थी। इन महापुरुषों ने त्याग और तपश्चर्या के द्वारा देश में जागरण का काम किया, देशभक्ति जगाने का काम किया, हमारी संस्कृति, हमारे धर्म और हमारी परंपरा को जगाने का काम किया और उसके कारण भारत के आजादी के आंदोलन के लिए एक बहुत बड़ी पीठीका तैयार हुई..!

लोगों को लगता है कि दुनिया की अनेक परंपराएं, अनेक संस्कृतियां, समाज जीवन की अनेक परंपराएं धवस्त हो गई, इतिहास के किनारे जा कर के उन्होंने अपनी जगह ले ली और आज उनका कहीं नामोनिशान नहीं रहा..! लोग पूछते हैं कि क्या कारण रहा कि हजारों साल के बाद भी ये समाज, ये संस्कृति, इस देश की परंपरा मिटती नहीं है, पूरे विश्व के अंदर ये सवाल उठाया जाता है..! समाज जीवन में अगर हम बारीकी से देंखें कि हजारों साल हुए, हमारी हस्ती मिटती क्यों नहीं है..? क्या हजारों साल में हमारे अंदर बुराइयाँ नहीं आई हैं? आई हैं..! हमारे में विकृतियाँ नहीं आई हैं? आई हैं..! हमारे समाज में बिखराव नहीं आया है? आया है..! अनेक बुराइयाँ आने के बावजूद भी इस समाज की ताकत ये रही है कि हिन्दु समाज ने हमेशा अपने ही भीतर संतो को जन्म दिया, समाज सुधारकों को जन्म दिया, एक नई चेतना, नया स्वस्थ जगत बनाने के लिए जो-जो लोगों ने जन्म लिया उन महापुरूषों के पीछे चलने का साहस दिखाया और अपनी ही बुराइयों पर वार करने की ताकत हमारे ही समाज में से पैदा होती थी, ऐसे महापुरूष हमारे समाज में से ही पैदा होते थे और उन महारुषों की पैकी एक बहुत बड़ा नाम केरल की धरती पर जन्मे हुए परमपूज्य श्री नारायण स्वामी का है..! श्री नारायण गुरू जी ने उस कालखंड में शिक्षा को सर्वाधिक महत्व दिया और आज अगर केरल गर्व से खड़ा है और शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश में केरल ने जो अपना एक रूतबा जमाया है, अगर उसके मूल में हम देखें तो सौ-सवा सौ साल पहले ऐसे महापुरूषों ने शिक्षा के लिए अपना जीवन खपा दिया था और उसके कारण शिक्षा का ये मजबूत फाउंडेशन आज केरल की धरती पर नजर आता है..!

विश्व के कई समाज ऐसे हैं कि जो 20 वीं शताब्दी तक नारी को बराबर का दर्जा देने के लिए तैयार नहीं थे। विश्व के प्रगतिशील माने जाने वाले देश भी, लोकतंत्र में विश्वास रखने के बावजूद भी महिला को मताधिकार देने के लिए सदियों तक तैयार नहीं थे। उस युग में भी हिन्दुस्तान में ऐसे संत महात्माओं की परंपरा पैदा हुई जिन्होंने नारी कल्याण के लिए, नारी उत्थान के लिए, नारी शिक्षा के लिए, नारी समानता के लिए अपने आप को खपा दिया था और समाज के अंदर परिवर्तन लाने का प्रयास किया था। समाज के दलित, पीडित, शोषित, उपेक्षित, वंचित ऐसे समाज की भलाई के लिए अनेक प्रकार के समाज सुधार के काम सदियों से चलते आए हैं, लेकिन जिन समाज सुधार के कामों में राजनीति जुड़ती है वहाँ पर हैट्रेड का माहौल भी जन्म लेता है। एकता सुधार करने के लिए, एक को अधिकार देने के लिए दूसरे को नीचे दिखाना, दूसरे को हेट करना, दूसरे को दूर करना, दूसरे के खिलाफ बगावत का माहौल बनाना ये परंपरा रहती है। लेकिन जब समाज सुधार के अंदर आध्यात्म जुड़ता है तब समाज सुधार भी हो, लेकिन समाज टूटे भी नहीं, नफरत की आग पैदा ना हो, जिनके कारण समाज में बुराई आई हैं उनके प्रति रोष का भाव पैदा ना हो, उनको भी जोड़ना, इनको भी जोड़ना, सबको जोड़कर के चलने का काम होता है। जब समाज सुधार के साथ आध्यात्मिक चेतना का मिलन होता है तब इस प्रकार का परिवर्तन आता है। श्री नारायण गुरू के माध्यम से समाज सुधार और आध्यात्म का ऐसा अद्भुत मिलन था कि समाज में कहीं पर भी उन्होंने नफरत को जन्म देने का अधिकार किसी को भी नहीं दिया..!

हमारे देश में उस काल खंड की ओर अगर हम नजर करें..! समाज के अंदर बुराइयों ने जब पूरी तरह समाज पर कब्जा जमाया हो, स्थापित हितों का जमावड़ा इसको बरकरार रखने के लिए भरपूर कोशिश करता हो, ऐसे समय में ऐसे संत खड़े हुए जिनके पास कुछ नहीं था, लेकिन बुराइयों के खिलाफ लड़ने का संकल्प था और वो बुराइयों के खिलाफ खड़े हुए, समाज स्वीकार करे या ना करे, वे बुराइयों के खिलाफ लड़ने से पीछे नहीं हटे और पूरी जिन्दगी समाज सुधार के लिए घिस दी। जिस समाज के अंदर ईश्वर भक्ति सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हो, परमात्मा सबकुछ है ऐसा माना जाता हो, उस कालखंड में भी इस देश में ऐसे सन्यासी हुए जो कहते थे कि ईश्वर भक्ति बाद में करो, पहले दरिद्र नारायण की सेवा करो, दरिद्र नारायण ही भगवान का रूप होता है और उन गरीबों की भलाई करोगे तो ईश्वर प्राप्त हो जाएगा, ये संदेश देने की ताकत इस भूमि में थी..! समाज सुधारको ने अपने जीवन को बलि चढ़ा करके भी समाज की बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और उसको प्राप्त किया। श्री नारायण गुरू की तरफ हम नजर करें तो ध्यान में आता है कि उस समय जब अंग्रेजों का राज चलता था और गुलामी की जो मानसिकता थी, उस मानसिकता को बढ़ावा देने के लिए वो अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ाना चाहते थे और अंग्रेजी के माध्यम से इस देश को दबाने के लिए रास्ता खोजते थे, ऐसे समय में नारायण गुरू की दृष्टि देखिए... उन्होंने समाज को कहा कि अंग्रेजी सीख कर के उनको उन्हीं की भाषा में जवाब देने की ताकत पैदा करनी चाहिए, अंग्रेजों से लड़ना होगा तो अंग्रेजों को अंग्रेजी की भाषा में समझाना पड़ेगा, ये हिम्मत देने का काम नारायण गुरू ने उस समय किया था..!

21 वीं सदी हिन्दुस्तान की सदी है ऐसा कहते हैं, 21 वीं सदी ज्ञान की सदी है ऐसा भी कहते हैं और ये हमारा सौभाग्य है कि आज हिन्दुस्तान दुनिया का सबसे युवा देश है। इस देश की 65% जनसंख्या 35 साल से कम आयु की है और इसलिए ये युवा देश हमारा डेमोग्राफिक डिविडेंड है और ये अपने आप में एक बड़ी शक्ति है..! लेकिन जो लोग प्रगति करना चाहते हैं वो सारे देश इन दिनों एक विषय पर बड़े आग्रह से बात करते हैं। अभी-अभी अमेरिका में चुनाव समाप्त हुए, श्रीमान ओबामा ने दोबारा अपनी प्रेसिडेंटशिप को धारण किया, और दोबारा प्रेसिडेंट बनने के बाद उन्होंने जो पहला भाषण किया उस पहले भाषण में उन्होंने एक बात पर बल दिया और कहा कि लोगों को स्किल डेवलपमेंट, हुनर सिखाओ। जब तक हम व्यक्ति के हाथ में हुनर नहीं देते, जब तक उसको रोजगार की संभावनाएं नहीं देते, वो दुनिया में कुछ कर नहीं सकता..! अमेरिका जैसे समृद्घ देश की अर्थनीति के बीज में भी स्किल डेवलपमेंट की बात होती है। हिन्दुस्तान के अंदर डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस की सरकार भी स्किल डेवलपमेंट की बात करती है और मुझे गर्व से कहना है कि अभी 21 अप्रैल को भारत के प्रधानमंत्री ने स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ट कार्य करने के लिए गुजरात सरकार को विशेष रूप से सम्मानित किया। गुजरात देश में पहला राज्य है जिसने अलग स्किल यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय किया है और दुनिया का सबसे समृद्घ देश भी स्किल डेवलपमेंट की बात करता है, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश भी स्किल डेवलपमेंट की बात करता है। दुनिया भर में स्किल डेवलपमेंट की चर्चा हो रही है, लेकिन मजा देखिए, सौ साल पहले केरल की धरती पर एक नारायण गुरू का जन्म हुआ जिन्होंने सौ साल पहले स्किल डेवलपमेंट पर बल देने के लिए बातचीत नहीं, प्रयास किये थे..!

आज पूरा विश्व दो समस्याओं से झूझ रहा है..! एक, ग्लोबल वार्मिंग और दूसरा, टेररिज़म, आंतकवाद..! पूरा विश्व इन दोनों चीजों से परेशान है, लेकिन आज अगर हम हमारे पूर्वजों की बातों को ध्यान में लें, हमारे संतों की बातों को ध्यान में लें, हमारे शास्त्रों की बातों को ध्यान में लें और अगर उसके आधार पर जीवनचर्या को काम में लें तो मैं विश्वास से कहता हूँ कि ग्लोबल वार्मिंग से मानवजात को बचाई जा सकती है, टेररिज़म के रास्ते से लोगों को वापस ला कर के सदभावना और प्रेम के रास्ते पर लाया जा सकता है, ये संदेश पूज्य नारायण गुरू स्वामी ने उस जमाने में दिए थे, जब वो कहते थे एक जन, एक देश, एक देवता..! ये बात उस समय की है, और आज तो इतने बिखराव के माहौल कि चर्चा हो रही है। एक राज्य दूसरे राज्य को पानी देने को तैयार नहीं है, ऐसे माहौल में उस महापुरूष ने दूर का देखा था और कहा था कि यह देश एक, जन एक और परमात्मा एक... ये संदेश देने का काम श्री नारायण गुरू ने किया था। श्री नारायण गुरू स्वामी ने जैसे कहा था उस प्रकार से कश्मीर से कन्याकुमारी, अटक से कटक तक का पूरा हिन्दुस्तान करूणा और प्रेम से बंधा हुआ रहता, हमारे अंदर कोई बिखराव ना होता तो आज हमारे भीतर से कोई भी आंतकवाद को साथ देने का पाप ना करता, नारायण गुरू के रास्ते पर चलते तो यहाँ आंतकवाद को कभी जगह नहीं मिलती..!

एक समय था जब बड़े-बड़े भव्य मंदिरों से प्रभाव पैदा होता था, मंदिरों के निर्माण में भी एक स्पर्धा का माहौल चलता था, प्रकृति का जितना भी शोषण करके जो कुछ भी किया जा सकता था वो सब होता था। ऐेसे समय में आप दक्षिण के मंदिर देखिए, कितने विशाल मंदिर होते हैं..! ऐसे समय में नारायण गुरू ने समाज के उस प्रवास को काट कर के उल्टी दिशा में चल कर के दिखाया कि जरूरत नहीं है बड़े-बड़े विशाल मंदिरों की..! छोटे-छोटे मंदिरों की रचना करने की एक नई परंपरा शुरू की। सामान्य संसाधनों से बनने वाले मंदिरों की एक परंपरा शुरू की। ईश्वर कहीं पर भी विराजमान रहता है इस प्रकार से उन्होंने चिंता की और एक प्रकार से पर्यावरण की रक्षा के लिए, प्रकृति का कम से कम उपभोग करने का संदेश देने का काम श्री नारायण गुरू ने किया था, अगर उस परंपरा को हम जीवित रखते तो आज ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पैदा नहीं होती..!

दुनिया के कर्इ देश ऐसे हैं जो आज भी नारी के नेतृत्व को स्वीकार करने का समार्थ्य नहीं रखते हैं। पश्चिम के आधुनिक कहे जाने वाले राष्ट्र भी नारी शक्ति के सामर्थ्य को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। लेकिन यह देश ऐसा है कि सदियों पहले अगर हमारे देश में नारी के सम्मान को चोट पहुंचे ऐसी कोई भी चीज पनपती थी, तो हमारे संत बहुत जागरूक हो जाते थे और वूमन एम्पावरमेंट के लिए अपने युग में हमेशा वो प्रयास करते रहे हैं। समाज की बुराइयों से समाज को बाहर ला करके मातृ-शक्ति के सामर्थ्य की चिंता करने का काम हमारे देश में होता रहा है और श्री नारायण गुरू ने हमेशा वुमन एम्पावरमेंट को हमेशा बल दिया, उनको शिक्षित करने की बात पर बल दिया, उनको विकास प्रक्रिया में भागीदार बनाने के विचार को बल दिया, उन्होंने माताओं-बहनों को परिवार के अंदर कोई ना कोई रोजगार खड़ा करने की स्वतंत्रता पर बल दिया और समाज के विकास की यात्रा में नारी को भी भागीदार बनाने के लिए श्री नारायण गुरू ने प्रयास किए..! श्री नारायण गुरू ने प्रेम की, करूणा की, समाज की एकता की बातों के साथ-साथ सादगी का भी बहुत आग्रह रखा था, सिम्पलीसिटी का बहुत आग्रह रखा था..! मैं आज भी इस परंपरा से जुड़े हुए इन सभी महान संतों को प्रणाम करते हुए उनका अभिनंदन करना चाहता हूँ, क्योंकि नारायण गुरू ने जिस परंपरा में सादगी का आग्रह रखा था, आज भी उस सादगी को निभाने का प्रयास इस परंपरा को निभाने वाले सभी लोगों के द्वारा हो रहा है, ये अपने आप में बड़े गर्व की बात है..! ये मेरा सौभाग्य है कि इस महान परंपरा के साथ आज निकट से जुड़ने का मुझे सौभाग्य मिला है और इसलिए मैं इन सभी संतों का बहुत ही आभारी हूँ..!

यहाँ पर अभी पूज्य ऋतंभरानंद जी ने अपने भाषण में कुछ अपेक्षाएं व्यक्त की थी कि गुजरात की धरती पर भी ये संदेश कैसे पहुंचे..! ये मेरे लिए गर्व की बात होगी कि इतनी अच्छी बात, समाज के गरीब, दुखियारों की सेवा की बात मेरे गुजरात के अंदर अगर केरल की धरती से पहुंचती है तो मैं उसका स्वागत करता हूँ, सम्मान करता हूँ..! केरल का कोई जिला ऐसा नहीं होगा, कोई तालुका या ब्लॉक ऐसा नहीं होगा, जहाँ के लोग मेरे गुजरात में ना रहते हों..! आज गुजरात की प्रगति की जो चर्चा हो रही है, उस प्रगति में मेरे केरल के भाईयों के पसीने की भी महक है और इसलिए मैं आज केरल के मेरे सभी भाइयों-बहनों का आभार भी व्यक्त करना चाहूँगा, अभिनंदन भी करना चाहूँगा..! और मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में केरल के मेरे भाई जो गुजरात में रहते हैं, उनको जब पता चलेगा कि यहाँ नारायण गुरू की प्रेरणा से कुछ ना कुछ गतिविधि चल रही है, तो गुजरात में रहने वाले केरल के भाइयों के लिए भी एक अच्छा स्थान बन जाएगा। मैं नारायण गुरु की इस परंपरा को निभाने वाले, इस सदविचार को घर-घर गाँव-गाँव पहुंचाने वाले, समाज के पिछड़े, दलित, पीड़ित, शोषितों का भला करने के लिए जीवन आहूत करने वाले सभी महानुभावों से प्रार्थना करूँगा कि गुजरात आपका ही है, आप जब मर्जी पड़े आइए, गुजरात की भी सेवा कीजिए..!

इस पवित्र धरती पर आने का मुझे सौभाग्य मिला, मुझे निमंत्रण मिला, मैं इसके लिए फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ, सभी संतों को वंदन करता हूँ और पूज्य स्वामी नारायण गुरू के चरणों में प्रार्थना करके उनसे आशीर्वाद लेता हूँ कि ईश्वर ने मुझे जो काम दिया है, मैं गरीब, पीड़ित, शोषित, दलित, सबकी भलाई के लिए अपने जीवन में कुछ ना कुछ अच्छा करता रहूँ, ऐसे आशीर्वाद मुझे आज इस तपोभूमि से मिले..! मैं केरल के सभी भाइयों-बहनों का भी आभार व्यक्त करता हूँ कि आज मैं शाम को त्रिवेन्द्रम एयरपोर्ट पर उतरा और वहाँ से यहाँ तक आया, चारों ओर जिस प्रकार से आप लोगों ने मेरा स्वागत किया, सम्मान किया, मुझे प्रेम दिया, इसके लिए मैं केरल के सभी भाईयों-बहनों का भी बहुत हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ..! फिर एक बार सहोदरी-सहोदर हमारे, नमस्कारम्..!

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'विकसित भारत' के संकल्प की पूर्ति में टेक्सटाइल सेक्टर का अहम योगदान: 'भारत टेक्स' में पीएम
February 16, 2025
Quoteभारत टेक्स दुनिया भर के नीति निर्माताओं, सीईओ और उद्योग जगत के नेताओं के लिए व्‍यवसाय, सहयोग और साझेदारी का एक मजबूत मंच बन रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteभारत टेक्स हमारे पारंपरिक परिधानों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करता है: प्रधानमंत्री
Quoteपिछले साल भारत ने कपड़ा और परिधान निर्यात में 7 प्रतिशत की वृद्धि देखी, और वर्तमान में यह दुनिया में कपड़ा और परिधानों का छठा सबसे बड़ा निर्यातक है: प्रधानमंत्री
Quoteकोई भी क्षेत्र उत्‍कृष्‍टता तभी हासिल करता है जब उसके पास कुशल कार्यबल हो और कपड़ा उद्योग में कौशल की महत्वपूर्ण भूमिका है: प्रधानमंत्री
Quoteप्रौद्योगिकी के युग में हथकरघा कारीगरों की प्रामाणिकता बनाए रखना महत्वपूर्ण है: प्रधानमंत्री
Quoteदुनिया पर्यावरण और सशक्तिकरण के लिए फैशन की दूरदर्शिता को अपना रही है, और भारत इस संबंध में अग्रणी भूमिका निभा सकता है: प्रधानमंत्री
Quoteभारत का कपड़ा उद्योग ‘फास्ट फैशन वेस्ट’ को अवसर में बदल सकता है, कपड़ा रीसाइक्लिंग और अप-साइक्लिंग में देश के विविध पारंपरिक कौशल का लाभ उठा सकता है: प्रधानमंत्री

कैबिनेट में मेरे सहयोगी श्रीमान गिरिराज सिंह जी, पबित्रा मार्गरिटा जी, विभिन्न देशों के राजदूत, वरिष्ठ राजनयिक, केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी, फैशन और टेक्सटाइल्स वर्ल्ड के सभी दिग्गज, entrepreneurs, छात्र-छात्राएं, मेरे बुनकर और कारीगर साथी, देवियों और सज्जनों।

आज भारत मंडपम्, Bharat Tex के दूसरे आयोजन का साक्षी बन रहा है। इसमें हमारी परम्पराओं के साथ ही विकसित भारत की संभावनाओं के दर्शन भी हो रहे हैं। ये देश के लिए संतोष की बात है कि हमने जो बीज रोपा है, आज वो वट वृक्ष बनने की राह पर तेज गति से बढ़ रहा है। Bharat Tex अब एक मेगा ग्लोबल टेक्सटाइल्स इवेंट बन रहा है। इस बार वैल्यू चेन का पूरा spectrum, इससे जुड़े 12 समूह एक साथ यहाँ हिस्सा ले रहे हैं। Accessories, garment, machinery, chemicals और dyes का भी प्रदर्शन किया गया है। Bharat Tex, दुनियाभर के पॉलिसी मेकर्स, सीईओ, और इंडस्ट्री लीडर्स के लिए engagement, collaboration और partnership का एक बहुत ही मजबूत मंच बन रहा है। इस आयोजन के लिए सभी stakeholders का प्रयास बहुत सराहनीय है, मैं इसके काम में जुटे हुए सब लोगों को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

आज Bharat Tex में 120 से ज्यादा देश हिस्सा ले रहे हैं, जैसा गिरिराज जी ने बताया 126 countries, यानि यहां आने वाले हर entrepreneurs को 120 देशों का exposure मिल रहा है। उन्हें अपने बिज़नेस को लोकल से ग्लोबल बनाने का अवसर मिल रहा है। जो entrepreneurs नए बाजारों की तलाश में हैं, उन्हें यहां विभिन्न देशों की cultural needs की जानकारी मिल रही है। थोड़ी देर पहले मैं प्रदर्शनी में लगे स्टॉल्स को देख रहा था, ज्यादा तो नहीं देख पाया, अगर पूरा देखता तो शायद मुझे दो दिन लगते और इतना समय तो आप मुझे परमिट भी नहीं करेंगे। लेकिन जितना समय में निकाल सका, इस दौरान मैंने इन स्टॉल्स के कई representatives से भी बहुत सारी बातें की, चीजों को समझने का मैंने प्रयास किया। कई साथी बता रहे थे कि पिछले साल Bharat Tex से जुड़ने के बाद उन्हें बड़े स्केल पर नए buyers मिले, उनके बिजनेस का विस्तार हुआ। और मैं तो देख रहा था एक बड़ी, यानी मधुर कंप्लेंट मेरे सामने आई, उन्होंने कहा कि साहब डिमांड इतनी है कि हम पहुंच नहीं पाते हैं। और कुछ साथियों ने मुझे कहा कि साहब एक फैक्ट्री लगानी है तो एवरेज हमें 70-75 करोड़ रुपया खर्च लगता है और 2000 लोगों को काम देते हैं। मैं बैंकिंग क्षेत्र के लोगों को सबसे पहले कहूंगा कि इन सबकी क्या मांग है, प्रायोरिटी समझो और दो।

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साथियों,

इस आयोजन से टेक्सटाइल सेक्टर में investments, exports और overall growth को जबरदस्त बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

भारत टेक्स के इस आयोजन में हमारे परिधानों के जरिए भारत की सांस्कृतिक विविधता के भी दर्शन होते हैं। पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण, हमारे यहाँ कितने तरह के पारंपरिक परिधान हैं, एक-एक परिधान के कितने-कितने प्रकार हैं। लखनवी चिकन, राजस्थान और गुजरात की बांधनी, गुजरात का पटोला और मेरी काशी का बनारसी सिल्क, दक्षिण में कांजीवरम सिल्क, जम्मू कश्मीर का पश्मीना, ये सही समय है, ऐसे आयोजनों के जरिए हमारी ये विविधता और विशेषता वस्त्र उद्योग के विस्तार का भी माध्यम बने।

साथियों,

पिछले साल मैंने टेक्सटाइल इंडस्ट्री में farm, fiber, fabric, fashion और foreign, इन five ‘F’ factors की बात की थी। Farm, Fiber, Fabric, Fashion और Foreign का ये विज़न अब भारत के लिए एक मिशन बनता जा रहा है। ये मिशन किसान, बुनकर, डिज़ाइनर और व्यापारी, हर किसी के लिए ग्रोथ के नए रास्ते खोल रहा है। पिछले वर्ष भारत के textile और apparel exports में 7 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। अब आप 7 परसेंट में ताली बजाओगे तो मेरा होगा क्या, अगली बार 17 परसेंट हो तो फिर ताली हो जाए। आज हम दुनिया के छठे सबसे बड़े textiles और apparels exporter हैं। हमारा टेक्सटाइल निर्यात 3 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच चुका है। अब हमारा लक्ष्य है- 2030 तक हम इसे 9 lakh crore रुपए तक लेकर जाएंगे। मैं भले बोलता यहां हूं ये 2030 की बात, लेकिन आज जो मैंने वहां जो मिजाज देखा है, तो मुझे लगता है कि शायद आप ये मेरा आंकड़ा गलत सिद्ध कर देंगे, और 2030 के पहले ही काम पूरा कर देंगे।

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साथियों,

इस सफलता के पीछे पूरे एक दशक की मेहनत है, एक दशक की consistent पॉलिसी हैं। इसीलिए, पिछले एक दशक में हमारे टेक्सटाइल सेक्टर में विदेशी निवेश दोगुना हुआ है। और आज मुझे कुछ साथी बता रहे थे कि साहब बहुत सारी विदेशी कंपनियां भारत में इन्वेस्टमेंट करने के लिए आना चाहती है, तो मैंने उनसे कहा कि देखिए आप हमारे सबसे बड़े एंबेसडर है, जब आप कहेंगे तो कोई भी बात मान लेगा, सरकार कहेगी तो जांच करने जाएगा, ये सही है, गलत है, ठीक है, नहीं है, लेकिन अगर उसी फील्ड का व्यापारी जब कहता है तो मान लेता है कि हां यार मौका है, चलो।

साथियों,

आप सब जानते हैं, टेक्सटाइल देश में सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर देने वाली इंडस्ट्रीज़ में से एक महत्वपूर्ण इंडस्ट्री है। भारत की मैन्युफैक्चरिंग में ये सेक्टर 11 परसेंट का योगदान दे रहा है। और इस बार आपने बजट में देखा होगा, हमने मिशन मैन्युफैक्चरिंग पर बल दिया है, उसमें आप सब भी आ जाते हैं। इसलिए, जब इस सेक्टर में निवेश आ रहा है, ग्रोथ हो रही है, तो उसका फायदा करोड़ों textile workers को मिल रहा है।

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साथियों,

भारत के टेक्सटाइल सेक्टर की समस्याओं का समाधान, और संभावनाओं का सृजन, ये हमारा संकल्प है। इसके लिए हम दूरदर्शी और long term ideas पर काम कर रहे हैं। हमारे इन प्रयासों की झलक इस बार के बजट में भी दिखती है। हमारे देश में कॉटन सप्लाइ reliable बने, भारतीय कॉटन globally competitive बने, इसके लिए हमारी वैल्यू चेन मजबूत हो, इंडस्ट्री की ऐसी सभी जरूरतों को ध्यान में रखते हुये हमने Mission for Cotton Productivity का एक ऐलान किया है। हमारा फोकस technical textile जैसे सन-राइज़ सेक्टर्स पर भी है। और मुझे याद है, मैं जब गुजरात में था, मुख्यमंत्री के नाते मुझे सेवा करने का अवसर मिला था, तो आपके टेक्सटाइल वालों से मेरा मिलना-जुलना होता था, और उस समय जब मैं उनको टेक्निकल टैक्सटाइल की बातें करता था, तो वो मुझे पूछते थे, आप क्या चाहते हैं, आज मुझे खुशी है कि भारत इसमें अपनी पहचान बना रहा है। हम स्वदेशी कार्बन फाइबर और उससे बने उत्पादों को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत high-grade carbon fibre बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। इन प्रयासों के साथ ही, टेक्सटाइल सेक्टर के लिए जो नीतिगत फैसले चाहिए, हम वो भी ले रहे हैं। जैसे कि, इस साल के बजट में MSMEs के classification criteria में बदलाव करके इसका विस्तार किया गया है। साथ ही credit availability बढ़ाई गई है। हमारा टेक्सटाइल सेक्टर, जिसमें 80 परसेंट योगदान हमारे MSMEs का ही है, उसको इसका बहुत बड़ा लाभ मिलने वाला है।

साथियों,

कोई भी सेक्टर एक्सेल तब करता है, जब उसके लिए skilled workforce उपलब्ध हो। वस्त्र उद्योग में तो सबसे बड़ा रोल ही स्किल यानी हुनर का होता है। इसीलिए, हम टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए skilled talent pool बनाने के लिए भी काम कर रहे हैं। हमारे National Centres of Excellence for Skilling इस दिशा में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। वैल्यू चेन के लिए जो स्किल्स चाहिए, उसमें हमें समर्थ योजना से मदद मिल रही है। और मैं आज समर्थ से trained हुई कई बहनों के साथ बात कर रहा था, और उन्होंने जो 5 साल, 7 साल, 10 साल में जो प्रगति की है, यानी गर्व से मन भर गया मेरा सुनकर के। हमारी ये भी कोशिश है कि टेक्नोलॉजी के इस दौर में hand-loom की authenticity को, हाथ के कौशल को भी उतना ही महत्व मिले। हथकरघा कारीगरों का हुनर दुनिया के बाज़ारों तक पहुंचे, उनकी क्षमता बढ़े, उन्हें नए अवसर मिलें। हम इस दिशा में भी काम कर रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में हैंडलूम्स को बढ़ावा देने के लिए 2400 से ज्यादा बड़े मार्केटिंग इवेंट्स का आयोजन किया गया, 2400 से ज्यादा। हैंडलूम प्रोडक्ट्स की ऑनलाइन मार्केटिंग को बढ़ावा देने के लिए India-hand-made नाम से ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी बनाया गया है। इस पर हजारों हैंडलूम ब्रांड रजिस्टर भी कर चुके हैं। हैंडलूम प्रोडक्ट्स की GI tagging इसका भी बहुत बड़ा लाभ इन ब्रांड्स को हो रहा है।

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साथियों,

पिछले वर्ष Bharat Tex के आयोजन के दौरान Textiles Startup Grand Challenge को लॉन्च किया गया था। उसमें युवाओं से टेक्सटाइल सेक्टर के लिए innovative sustainable solutions मांगे गए थे। इस चैलेंज में देशभर के युवाओं ने बढ़-चढ़कर के हिस्सा लिया। इस चैलेंज के विजेता युवाओं को यहाँ invite भी किया गया है। वो यहां हमारे बीच में बैठे भी हैं। आज यहां ऐसे स्टार्ट-अप्स को भी बुलाया गया है, जो इन युवाओं को आगे बढ़ाना चाहेंगे। ऐसे pitch fest को IIT Madras, अटल इनोवेशन मिशन और कई बड़े private textile organizations का सपोर्ट मिल रहा है। इससे देश में स्टार्ट-अप कल्चर को बढ़ावा मिलेगा।

मैं चाहूँगा, हमारे युवा नए techno-textile स्टार्ट-अप्स लेकर आयें, नए ideas पर काम करें। एक सुझाव हमारी इंडस्ट्री को भी है। हमारी टेक्सटाइल इंडस्ट्री भी IIT जैसे इंस्टीट्यूट्स के साथ नए टूल्स develop करने के लिए collaborate कर सकती है। आजकल हम सोशल मीडिया और ट्रेंड्स में देख रहे हैं, नई पीढ़ी अब आधुनिकता के साथ-साथ पारंपरिक परिधानों को भी पसंद कर रही है। इसलिए, आज tradition और innovation के fusion का महत्व भी काफी बढ़ गया है। हमें ऐसे पारंपरिक परिधानों से inspired ऐसे products लॉन्च करने चाहिए, जो न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में नई पीढ़ी को आकर्षित करें। एक और अहम विषय टेक्नोलॉजी की बढ़ती भूमिका का भी है। नए ट्रेंड्स discover करने में, नए styles create करने में अब AI जैसी technology की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। अभी जब मैं निफ्ट के स्टॉल पर गया तो वो मुझे बता रहे थे कि हम AI के माध्यम से 2026 का ट्रेंड क्या होगा, हम उसको अब प्रमोट कर रहे हैं। वरना पहले दुनिया के और देश ही हमें कहते थे काला पहनो, हम पहन लेते थे, अब हम दुनिया को कहेंगे, क्या पहनना है। इसीलिए, आज एक ओर पारंपरिक खादी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, साथ ही AI के जरिए फैशन के ट्रेंड्स को भी analyze किया जा रहा है।

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मुझे याद है, मैं जब नया-नया मुख्यमंत्री बना था, तो गांधी जयंती पर शायद 2003 होगा, मैंने पोरबंदर में, गांधी जी का जहां जन्म स्थान है, वहां फैशन शो ऑर्गेनाइज किया था और खादी का फैशन शो। और निफ्ट के स्टूडेंट्स और हमारे एनआईडी के स्टूडेंट्स मिलकर के उस काम को आगे बढ़ाया था। और वैष्णव भजन तो तेरे रे कहिए, वो बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ वो फैशन शो हुआ था। और उस समय विनोबा जी के कुछ अनन्य साथी जो थे, उनको मैंने इनवाइट किया था, तो वो मेरे साथ बैठे थे क्योंकि फैशन शो भरके शब्द ऐसे हैं कि पुरानी पीढ़ी के लोगों को जरा कान खड़े हो जाते हैं कि ये क्या सब तूफान चल रहा है। लेकिन मैंने उनसे बड़ा आग्रह किया, उनको मैंने बुलाया, वो आए और बाद में उन्होंने मुझे कहा कि खादी को अगर हमें पॉपुलर करना है, तो यही रास्ता है। और मैं बताता हूं आज खादी जिस प्रकार से प्रगति कर रही है और दुनिया के लोगों का आकर्षण का कारण बन रही है, हमने इसको और बढ़ावा देना चाहिए। और पहले जब आजादी का आंदोलन चला, तब खादी फोर नेशन था, अब खादी फोर फैशन होना चाहिए।

साथियों,

कुछ दिनों पहले, जैसे अभी एनाउंसर बता रहे थे, मैं विदेश दौरे पर से ही आया हूं, मैं पेरिस में था, और पेरिस को Fashion capital of world कहा जाता है। इस यात्रा के दौरान विभिन्न मुद्दों पर दोनों देशों के बीच अहम साझेदारी हुई। हमारी चर्चा के मुख्य बिंदुओं में environment और climate change का विषय भी शामिल रहा। आज पूरी दुनिया sustainable lifestyle के महत्व को समझ रही है। Fashion world भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं है। आज दुनिया Fashion for Environment और Fashion for Empowerment के लिए इस विजन को अपना रही है। इस संबंध में भारत दुनिया को रास्ता दिखा रहा है। Sustainability हमेशा से भारतीय टेक्सटाइल्स की परंपरा का अभिन्न हिस्सा रही है। हमारी खादी, tribal textiles, natural dyes का उपयोग, ये सभी सस्टेनेबल लाइफ स्टाइल के ही उदाहरण हैं। अब भारत की पारंपरिक sustainable techniques को cutting-edge technologies का साथ मिल रहा है। इससे इंडस्ट्री से जुड़े कारीगरों, बुनकरों और करोड़ों महिलाओं को सीधा-सीधा लाभ हो रहा है।

साथियों,

मैं समझता हूं, संसाधनों का पूरा उपयोग और कम से कम waste generation, टेक्सटाइल इंडस्ट्री की पहचान बननी चाहिए। आज दुनिया में करोड़ों कपड़े हर महीने इस्तेमाल से बाहर हो जाते हैं। इनमें बहुत बड़ा हिस्सा ‘फ़ास्ट फ़ैशन वेस्ट’ का होता है। यानी, वो कपड़े जिन्हें फ़ैशन या ट्रेंड चेंज होने के कारण लोग पहनना छोड़ देते हैं। इन कपड़ों को दुनिया के कई हिस्सों में डंप किया जाता है। इससे environment और ecology के लिए भी बड़ा खतरा पैदा हो रहा है।

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एक आंकलन के मुताबिक, 2030 तक फ़ैशन वेस्ट 148 मिलियन टन तक पहुँच जाएगा। आज टेक्सटाइल वेस्ट का एक चौथाई हिस्सा भी recycle नहीं हो रहा है। हमारी टेक्सटाइल इंडस्ट्री इस चिंता को अवसर में बदल सकती है। आपमें से अनेक साथी जानते हैं, हमारे भारत में textile recycling, और ख़ासकर, up-cycling का बहुत diverse traditional skill मौजूद है। जैसे कि, हमारे यहाँ पुराने या बचे हुये कपड़ों से दरियां बनाई जाती हैं। बुनकर लोग, और यहाँ तक कि घर की महिलाएं भी ऐसे कपड़ों से कितने तरह के mats, rugs और coverings बनाती हैं। महाराष्ट्र में पुराने, और यहाँ तक कि फटे कपड़ों तक से अच्छे-अच्छे गोधडी बनाए जाते हैं। हम इन पारंपरिक आर्ट्स में नए इनोवेशन करके इन्हें ग्लोबल मार्केट तक पहुंचा सकते हैं। टेक्सटाइल मिनिस्ट्री ने up-cycling को प्रमोट करने के लिए Standing Conference of Public Enterprises और e-Marketplace के साथ MoU भी साइन किया है। देश के कई up-cyclers ने इसमें रजिस्टर भी किया है। नवी मुंबई और बैंग्लोर जैसे शहरों में टेक्सटाइल वेस्ट के door to door कलेक्शन के लिए पायलट प्रोजेक्ट्स भी चलाये जा रहे हैं। मैं चाहूँगा, हमारे स्टार्ट-अप्स इन प्रयासों से जुड़ें, इन अवसरों को explore करें, और early steps लेकर इतने बड़े ग्लोबल मार्केट में lead लें। अगले कुछ वर्षों में भारत की textile recycling market 400 million डॉलर तक पहुँचने की संभावना है। जबकि, ग्लोबल recycled textile market करीब साढ़े 7 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। अगर हम सही दिशा में आगे बढ़ें, तो भारत इसमें और बड़ा शेयर हासिल कर सकता है।

साथियों,

सैकड़ों वर्ष पहले जब भारत समृद्धि के शिखर पर था, हमारी उस समृद्धि में टेक्सटाइल इंडस्ट्री की बहुत बड़ी भूमिका थी। आज जब हम विकसित भारत का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं, तो एक बार फिर टेक्सटाइल सेक्टर का इसमें बहुत बड़ा योगदान होने वाला है। Bharat Tex जैसे आयोजन इस सेक्टर में भारत की स्थिति को मजबूत बना रहे हैं। मुझे विश्वास है, ये आयोजन इसी तरह हर वर्ष सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ेगा, नई ऊंचाइयों को छुएगा। मैं एक बार फिर इस आयोजन के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्कार।