मुम्बई इंटरनेशनल एडवर्टाइजर्स एसोसिएशन का प्लेटिनम जुबली सेलिब्रेशन
श्री नरेन्द्र मोदी का ग्लोबल मार्केटिंग समिट में सम्बोधन
ब्रांड इंडिया की वैश्विक पहचान के लिए अपनी विशेषता का गौरव करें
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज देर शाम मुम्बई में आईएए, इंटरनेशनल एडवर्टाइजर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित ग्लोबल मार्केटिंग समिट को विशेष अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए कहा कि मानवीय मूल्यों और प्रकृति की जीवनशैली की भारतीय विरासत दुनिया के लिए ब्रांड इंडिया है मगर इसका वैश्विक प्रभाव स्थापित करने के लिए हमें अपनी विरासत का गौरव करना होगा।
आईएए का 56 देशों में चेप्टर है और यहां श्री मोदी ने ब्रांड इंडिया विजन विषयक प्रेरक चिंतन पेश किया। श्री मोदी ने कहा कि दुनिया के सामने ब्रांड इंडिया प्रस्तुत नहीं हो पाया इसकी जड़ में हमारा भरोसे का अभाव रहा है।
1200 वर्ष के गुलामीकाल का यह परिणाम है और आजादी के बाद 60 वर्ष तक हम अपने गौरव की महिमा नहीं कर पाए हैं। सफल ओरेटर कई मिल सकते हैं मगर श्रेष्ठ कम्युनिकेटर कुछ ही होते हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधीजी उत्तम कम्युनिकेटर थे। गांधी दि बेस्ट कम्युनिकेटर विश्व के लिए ब्रांडिंग इंडिया बनेगा।
इम्प्रेसिव मार्केटिंग और इंस्पाइरिंग मार्केटिंग में सातत्यपूर्ण इंस्पायरिंग ही शाश्वत बनता है। गांधीजी में क्या था ? उन्होंने कभी टोपी नहीं पहनी थी मगर गांधी टोपी प्रसिद्ध है। उस समय टीवी मीडिया था ही नहीं मगर गांधीजी का शब्द बिना किसी विकृति के स्वयंस्पष्ट लोगों तक पहुंच जाता था।
सरदार पटेल के बारे में दुनिया बिस्मार्क की पहचान देती है मगर सरदार पटेल थे बिस्मार्क यह क्यों नहीं हो सकता ? उन्होंने कहा कि पिछले 50 वर्ष में समग्र मानवजाति के समक्ष अकेले गांधी को उनके जीवनदर्शन के लिए पेश किया गया होता तो दुनिया गांधी विचार की अनुभूति के लिए भारत में आई होती।
ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिए भारतीय प्रकृतिप्रेम उत्तम उपाय है। गंगा नदी माता है यह भावना हमारे पूर्वजों ने स्थापित की है। वृक्ष में परमात्मा का स्वरूप स्थापित करने वालों की लोग हंसी उडाते हैं मगर आज दुनिया पर्यावरण सुरक्षा के लिए वृक्षों को वरदान मानती है। आवश्यकता की पूर्ति के लिए ही प्रकृति का दोहन किया जाना चाहिए, प्रकृति का शोषण ग्लोबल वार्मिंग लाता है। यह वैज्ञानिक विरासत ब्रांड इंडिया का गौरव कर सकती है।
दुनिया में हेरिटेज आर्किटेक्चर का आकर्षण प्रभाव है परंतु भारत का हेरिटेज वैभव इतना विशाल है कि लोथल जैसा पुरातन पोर्ट है, 5000 वर्ष पुरानी सुसंस्कृत नगर रचना की विरासत धोलावीरा है, यही हमारी ज्ञान और कौशल्य की विरासत है। इसका हमें गौरव है। इसे हम क्यों दुनिया को दिखाने में पीछे रहे हैं? हम अपनी नृत्य और संगीत विरासत को दुनिया के सामने क्यों नहीं ला पाए?
मिलिट्री पावर या इकॉनॉमिक पावर से दुनिया को जीता नहीं जा सकता बल्कि दुनिया के साथ नाता बांधने के लिए मानवीय सम्बन्ध जरूरी है। भारतीय विरासत में ही संगीत, पारिवारिक मूल्य और कौटुम्बिक खासियत है। पश्चिम की जीवनशैली संगीत तन को डोला सकती है मगर भारतीय संगीत मन को डोलाता है।
श्री मोदी ने कहा कि भारतीय योग की विरासत दुनिया की स्वास्थ्य शांति के लिए उत्तम है। जिनेटिक साइंस, सर्जरी, मेडिकल साइंस, होलिस्टिक, हैल्थ केयर सभी कुछ अपनी विरासत में विद्यमान है बस, जरूरत है कि हम इसका गौरव करें। आयुर्वेद हमारी बेस्ट चिकित्सा प्रणाली है मगर इस पर हमें भरोसा कितना है? योग और प्राणायाम में तनाव से मुक्ति की ताकत है जो आत्महत्या की समस्या से भी मुक्त कर सकती है। मगर हम इसका गौरवगान करने के बजाय ताजमहल से आगे ही नहीं बढ़ते। इस मानसिकता को बदलना होगा।
पूरी दुनिया में शाकाहारी अन्न भोजन का प्रभाव बढ़ रहा है तो फिर हम अपने इंडियन वेजिटेरियन फूड फेस्टिवल का ब्रांडिंग क्यों ना करें? हमें अपने दिलों में भारत भक्ति का भाव जगाना होगा। गांधीजी की खादी का ग्लोबल मार्केटिंग हो सकता है। खादी राजनेताओं तक सीमित नहीं है। होलिस्टिक लाइफ स्टाइल वस्त्र के रूप में इसे दुनिया अपना लेगी अगर इसका मार्केटिंग किया जाए। किसान की ताकत से ऑर्गेनिक फूड का भारत मार्केर्टिंग कर सकता है ऐसा इसका पारम्परिक सामर्थ्य है।