गांधीनगर, गुरुवारः मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने निरन्तर नवें वर्ष में कन्या केळवणी और शाला प्रवेशोत्सव का नेतृत्व करते हुए गुजरात में बुनियादी प्राथमिक शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए समाज और सरकार के सामूहिक परिश्रम को ज्यादा गतिशील बनाने का संकल्प जताया है। गुजरात के प्रति दिल्ली की केन्द्र सरकार की द्वेष भरी नकारात्मक मानसिकता और पैंतरों की परवाह किए बिना गुजरात का आने वाला कल शिक्षित और स्वस्थ बनाने के लिए समाज शक्ति का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री आज प्रथम दिन भावनगर जिले की शिहोर तहसील के वरल, टाणां और जांबाड़ा गांव में जाकर प्राथमिक शाला और आंगनवाड़ी के बालकों का नामांकन करवाकर ग्रामीणों के अनोखे उत्साह और उमंग में सहभागी हुए। समग्र गुजरात के 18 हजार गांव की 32,772 प्राथमिक शालाओं में आज से मुख्यमंत्री के नेतृत्व में तीन दिवसीय कन्या केळवणी और शाला प्रवेशोत्सव जनअभियान की शुरूआत हुई। राज्य के समग्र मंत्रिमंडल, प्रशासनिक अधिकारियों, पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की टीम गुजरात के 22,110 महानुभाव ने गांव-गांव में शाला में जाकर बालकों और आंगनवाड़ी के बालकों को शालाओं में भर्ती करवाने का ज्ञानयज्ञ किया।
वरल गांव के ग्रामीणों ने श्री मोदी को पुस्तकों से तौला और मुख्यमंत्री के वजन के बराबर 51 हजार रुपये कीमत की 351 पुस्तकें शाला ग्रंथालय में भेंट की। ग्रामजनों के पुस्तक संस्कार प्रेम से भावविभोर हुए श्री मोदी ने कहा कि किसी व्यक्ति को रुपयों, सोने और चांदी से तौला जाता है, लेकिन हिन्दुस्तान में शायद यह पहला मौका होगा जब समाज की भागीदारी से पहली बार ग्रंथ तुला हुई है। यह बतलाता है कि समाज में वांचे गुजरात अभियान से पुस्तक प्रेम और सरस्वती ज्ञान साधना की जागृति आई है। विचार चिन्तन का यह बीजारोपण गुजरात के आने वाले कल की संस्कार यात्रा की राह बनेगा।
गुजरात के तमाम सरकारी प्राथमिक शालाओं में आधुनिक ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाने में राज्य सरकार ने खर्च करने में कोई कमी नहीं रखी है। इसकी भूमिका में श्री मोदी ने कहा कि शाला सरस्वती का मंदिर बने और ग्रामीण समाज की उदासीनता दूर हो, ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं। गुणोत्सव द्वारा पूरे देश में सभी प्राथमिक शालाओं के गुणात्मक सुधार के लिए ग्रेडेशन देने वाला गुजरात एकमात्र राज्य है।
श्री मोदी ने कहा कि इस सरकार को तो गुजरात का आने वाला कल निर्मित करने की चिन्ता है, और इसके लिए ही पूरी सरकार गांवों में घूम रही है। यह हमारी तपस्या है और यह पसीना गुजरात में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति में सुधार लाकर रहेगा। उन्होंने कहा कि गांधीनगर में बैठकर बयानबाजी करने से परिस्थिति बदल नहीं सकती, इसलिए इस सरकार ने कृषि महोत्सव, कन्या केळवणी यात्रा हो या फिर गरीब कल्याण मेले हों, गरीब के घर में से गरीबी, निरक्षरता और बीमारी दूर करने का संकल्प किया है।
दिल्ली की केन्द्र सरकार गुजरात की विकास यात्रा को रोकने के लिए चाहे जितने फाटक बंद करे, अवरोधों-विरोधों के पैंतरें रचे, हमने तो समाज की समरसता जगाने का तप शुरू किया है। गुजरात के प्रत्येक परिवार का बालक निरक्षर न रहे, शाला का अभ्यास छोड़ न दे, ऐसा वातावरण तैयार करना है। इसके लिए समाज की उदासीनता दूर करनी है। आजादी के 60 वर्ष तक जिन्होंने प्राथमिक शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया इसलिए पूरा दशक हमने शिक्षा की दुर्दशा का निवारण करने के लिए पूरी ताकत से काम किया है। गुजरात में एक दशक में ही शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिणाम हासिल किए हैं।
दिल्ली की केन्द्र सरकार द्वारा गुजरात के प्रति राजनीतिक भेदभाव करने, परेशान करने की मानसिक नकारात्मकता का उदाहरण देते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत सरकार सर्वशिक्षा अभियान के तहत देश के अन्य राज्यों को प्राथमिक शिक्षा के वेतन और विद्यार्थी की पाठ्य पुस्तकों के लिए केन्द्रीय सहायता देती है, लेकिन गुजरात को फूटी कौड़ी भी देने को तैयार नहीं है। इसकी वजह से गुजरात सरकार को 18 हजार करोड़ रुपये का बोझ सहना पड़ता है। गुजरात में विकलांग शिक्षा के लिए पूरी योजना केन्द्र सरकार ने अचानक ही बंद कर दी और 1210 जितने शिक्षकों को पदमुक्त करने की नौबत आ गई। विकलांगों के शिक्षा के अरमान चूर-चूर हो गए। ऐसा निर्दयतापूर्ण कृत्य केन्द्र सरकार ने किया है।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा अहमदाबाद आकर गुजरात को शिक्षा के विकास के लिए 1860 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने की घोषणा को चुनौती देते हुए श्री मोदी ने कहा कि गुजरात सरकार को ऐसी कोई सहायता मिली नहीं, तो पैसे गए कहां? इस सन्दर्भ में वह (श्री मोदी) स्वयं प्रधानमंत्री श्री अन्ना हजारे को पत्र लिखकर इसकी जांच की मांग करने वाले हैं। इस गोरखधंधे में जो जिम्मेदार हों उसे सबक सीखाना चाहिए और गुजरात को बदनाम करने के पैंतरे बंद होने चाहिए।
श्री मोदी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने कपास के निर्यात पर पाबंदी मौसम में सबसे ऊंचे भाव होने के वक्त की थी और अब जब कपास के भाव नीचे चले गए हैं, तब निर्यात पर से पाबंदी हटाकर किसानों का नुकसान किया है। विश्व के बाजारों में कपास के ऊंचे भाव मिल रहे थे तब निर्यात शुरू करने की अनुमति नहीं देकर केन्द्र सरकार ने किसानों की दुर्दशा क्यों की? गुजरात विकास में पीछे रह जाए इसके लिए केन्द्र की कांग्रेस सरकार षड्यंत्र रच रही है। लेकिन गुजरात को इसकी परवाह नहीं है। समाज के सहयोग से गुजरात को समृद्घ और संस्कारी बनाया जाएगा।
शिक्षा की गुणवत्ता के लिए प्रथम शैक्षणिक सत्र में शाला प्रवेशोत्सव और दूसरे सत्र में गुणोत्सव अभियान चलाए गए हैं, इसके साथ ही कुपोषण के खिलाफ जंग का अभियान शुरू कर आने वाले कल की पीढ़ी, कन्या तथा सगर्भा माताओं को पोषक आहार मिले, बालकों के स्वस्थ्य शारीरिक विकास के लिए शाला स्वास्थ्य परीक्षण अभियान, बाल भोग तथा मध्याह्न भोजन योजना, तिथी भोजन और आंगनवाड़ी की नवीनतम पहल गुजरात ने की है।
मुख्यमंत्री ने आंगनवाड़ी और प्राथमिक शालाओं के बालकों, कन्याओं का नामांकन करवाकर खिलौनों, पुस्तकों तथा साधनों का वितरण किया और समाज की भागीदारी की सराहना की। उन्होंने विश्वास जताया कि समाज शक्ति के जबरदस्त प्रतिसाद से ही गुजरात को निरक्षरता के कलंक से मुक्त करवाया जा सकेगा और कुपोषण के खिलाफ जंग में जीत हासिल की जाएगी। विधायक केशुभाई नाकराणी, जिला-तहसील पदाधिकारी भी इस अभियान में शामिल हुए।