तेलंगाना का गठन, संघर्ष और रास्ते आगे भी हैं

 

आंध्रप्रदेश के विभिन्न क्षेत्र के निवासी मेरे भाइयों और बहनों,

नमस्कारम्।

११ अगस्त को हैदराबाद में आयोजित होने वाली नवभारत युवा भेरी पब्लिक रैली में आपके साथ वार्तालाप करने को मैं आतुर हूं।

हैदराबाद की इस जनसभा के दौरान मैं मेरे तेलंगाना विभाजन के मुद्दे के साथ-साथ आंध्रप्रदेश के तमाम क्षेत्रों को दर्शाने वाले नक्शे के प्रति आपके लगाव के बारे में मेरे विचार प्रस्तुत करना चाहता था।

अलबत्ता, घटनाओं की इस श्रंखलाओं के बीच कांग्रेस पार्टी जो काम पिछले नौ वर्षों से करने से कतरा रही थी, उसने ओवरटाइम करके रातों-रात तेलंगाना संबंधी यह फैसला ले लिया। यह निर्विवाद सत्य है कि कांग्रेस पार्टी अलग तेलंगाना राज्य के गठन के बारे में उसके आचरण पर पारदर्शक और स्पष्ट नहीं है। इसलिए एक पार्टी और एक सरकार जिसने तेलंगाना के मुद्दे पर विश्वासघात किया था और इस मुद्दे पर उस पर शायद ही विश्वास किया जा सकता है।

You can read the Telugu translation of Shri Modi's letter to the people of Andhra Pradesh

इसके अनुरूप यह सत्य है कि तेलंगाना नामक राज्य निर्माण के समर्थन में भाजपा प्रतिसाद देने के मामले में पारदर्शी रही है।

छोटे-छोटे राज्यों के संबंध में जिसका इतिहास प्रभावशाली रहा हो, ऐसी एकमात्र पार्टी भाजपा है। यह आपको स्मरण ही होगा कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने उसके शासनकाल के दौरान वर्ष २००० में तीन नये राज्यों छत्तीसगढ़, उत्तराखंड (जो उस समय उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था) और झारखंड का गठन किया था। और इस क्षेत्र के लोगों में आशा की नई किरण जगाई थी।

मित्रों, इसी कांग्रेस पार्टी ने वर्ष २००४ में तेलंगाना के मुद्दे पर वादा करके विजय हासिल की थी। उसने पिछले ९-९ वर्षों से लोगों की भावनाओं का भद्दा उपहास किया है। अब जब इस देश के लोगों को फिर से मतदान करने में कुछ ही महीने बाकी हैं, तब कांग्रेस पार्टी तेलंगाना की घोषणा करने आ गई। यह कांग्रेस पार्टी की गंभीरता और मंसूबों के बारे में उसकी सांठगांठ को दर्शाता है।

वर्ष २००४ और २००९ में डॉ. वायएस राजशेखर रेड्डी के नेतृत्व में आंध्रप्रदेश में भारी विजय प्राप्त करने के बाद कांग्रेस ने इस राज्य में उसके भूतपूर्व मुख्यमंत्री के निधन के बाद पीठ फेर ली थी। इसके बाद दिसंबर, २००९ में श्री चिंदबरम ने अलग तेलंगाना राज्य बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत को अवैचारिक पद्धति से वापिस खिंच लिया था। इसके बाद, कांग्रेस पार्टी ने समयानुसार तेलंगाना मुद्दे पर अन्य एक समिति के गठन का शोर मचाया परन्तु प्रशासन, हिंसा और तेलंगाना के युवाओं की आत्महत्या की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई और खराब ढंग से इसका काम रुक गया। इस दौरान आंध्रप्रदेश की शासन व्यवस्था मंद पड़ी।

वर्तमान समय में कांग्रेस और यूपीए सरकार के इरादे कितने वास्तविक हैं, इस बारे में जब हम तेलंगाना के मुद्दे पर किसी आंदोलन का स्वागत करेंगे तब फिर से कहेंगे।

मैं कांग्रेस पार्टी और यूपीए सरकार के नेताओं से यह सवाल पूछना चाहता हूं।

सवाल १- तेलंगाना मुद्दे पर जब अलग-अलग दिशाओं में से दिये जा रहे बयानों के बीच आपकी खुद की पार्टी, आपकी सरकार और गठबंधन की तमाम पार्टियों में सर्वसम्मति के मामले में आपका होमवर्क कहां है?

सवाल २- दो राज्यों की सीमाओं पर बंटे विशिष्ट राजधानी के तौर पर स्थित शहर हैदराबाद को तेलंगाना में उसका ज्यादा हिस्सा होने के बावजूद बंटी हुई राजधानी के तौर पर रखा गया। हालांकि अल्पसमय होने के कारण राजधानी के बंटवारे का यह तर्क उचित नहीं है, इससे व्यवस्थापन की परेशानी की संभावनाएं रहेंगी। इसलिए, एक राज्य के प्रति उसकी सीमा में न आता हो या उसके अधिकार में न आता हो, ऐसे शहर को राजधानी के रूप में निश्चित करना कितना व्यवहारिक है?

सवाल ३- तेलंगाना के इस निर्णय का स्वागत करने के लिए आंध्रप्रदेस और रायलसीमा के लोगों के मन में कैसे रचनात्मक मानदंडों को आपने अमल में लिया। आपने इसके मंडल के गठन और उनकी चिंताओं का निराकरण करने के लिए क्या भरोसा दिया था? लोगों में सर्वसम्मति का निर्माण करने के लिए हमारे पास एक तकनीकी प्रक्रिया होती है। इसके अनुसंधान में आपका पॉलिटिकल रोडमैप कहां है?

सवाल ४- तेलंगाना के लोग आपके अनेक विश्वासघातों के कारण गंभीर मानसिक यातनाएं भुगत रहे हैं, इसके लिए आपकी क्या प्रतिबद्धता और क्या तैयारी है?

सवाल ५- तेलंगाना के कई युवाओं ने आत्महत्या की है। हैदराबाद ने पूंजीनिवेश के स्थल के रूप में काफी त्याग किया है, इसके कारण आंध्रप्रदेश राज्य खराब स्थित में है। जो राज्य पहले भारत में चावल के घड़े के नाम से जाना जाता था, उसमें अब कृषि क्षेत्र का विनाश हुआ है, कई किसानों ने आत्महत्या की है।

हकीकत यह है कि कांग्रेस पार्टी ने आंध्रप्रदेश के लोगों से मिलने के बजाय उसकी कमेटी, उसकी रिपोर्ट और बेकार की चर्चाओं में समय गंवाया है। सच्चाई तो यह है कि आंध्रप्रदेश ने वर्ष २००४ और २००९ में सबसे ज्यादा कांग्रेस सांसद दिये, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस प्रेसीडेंट या वाइस प्रेसीडेंट ने किसी प्रकार के कदम नहीं उठाए। क्या कांग्रेस नेताओं को उनके राजनीतिक व्यवहार के अनुरूप हो, उस तरह आंध्रप्रदेश के लोगों के साथ खराब व्यवहार करने के लिए माफी नहीं मांगनी चाहिए?

आंध्रप्रदेश के प्रत्येक क्षेत्र के नक्शे के लिए भाजपा के सिद्धांत

हम तेलंगाना को एक राज्य के रूप में प्रस्थापित करने की हमारी प्रतिबद्धता को समर्थन देते हैं। हमारा मत है कि नक्शा ऐसा होना चाहिए कि क्षेत्र के सभी लोगों को सरलता से मार्ग मिले। किसी एक क्षेत्र में राज्य की स्थापना करने के लिए, दूसरे क्षेत्र को खर्च करना पड़े, ऐसा नहीं होना चाहिए।

हमारा यह मानना है कि हमें आंध्रप्रदेश क्षेत्र में विशाखापटनम, विजयवाड़ा, गुंटुर, वारंगल, करीमनगर, ओंगोल, अनंतपुर, कुर्नुल और कादपा जैसे बड़े शहरों को विकास करने का अवसर मिला है।

हम संविधान का आदर करते हैं, जिसने हर नागरिक को अधिकार दिये हैं। आंध्रप्रदेश में रहने वाले प्रत्येक लोगों, प्रत्येक परिवारों, व्यापारियों और संपत्तियों की रक्षा के लिए भाजपा तमाम आवश्यक कदम उठाएगी।

आंध्रप्रदेश की अर्थव्यवस्था को फिर से गतिशील करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। कानून और व्यवस्था, राजनैतिक स्थिरता और गतिशील कार्यपद्धति हमारी प्राथमिकता होगी। बीजेपी निश्चित रूप से नदी के पानी को हर क्षेत्र में पहुंचाएगी।

हम प्रत्येक क्षेत्र में विश्वास और हिम्मत को वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अब ज्यादा राजनैतिक खेल या दगाखोरी नजर नहीं आएगी।

यह शायद ऐसा प्रथम राज्य होगा, जो भाषायी स्तर पर विभाजित होगा, यह एक भावनात्मक पल है।

वर्तमान में यह राज्य विभाजित हो रहा है इसके बावजूद जनभावनाओं को सम्मान देकर श्री पोट्टी श्री रामुलु जिन्होंने आंध्रप्रदेश के निर्माण के लिए उनका जीवन समर्पित कर दिया था। उनके सम्मान में आइए, हम सब सिर झुकाएं। उनकी याद से प्रेरणा लेकर इन तमाम क्षेत्रों के तेलगु लोगों की प्रगति के लिए हम सब अपने आपको कार्यरत करें।

आपका

 

 

नरेन्द्र मोदी

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डिजिटल इंडिया का एक दशक
July 01, 2025

दस साल पहले, हमने बहुत दृढ़ विश्वास के साथ अज्ञात क्षेत्र में एक साहसिक यात्रा शुरू की।

जबकि दशकों तक भारतीयों की; टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की क्षमता पर संदेह किया जाता रहा, हमने इस अप्रोच को बदल दिया और भारतीयों की, टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की क्षमता पर भरोसा किया।

जबकि दशकों तक यह सोचा जाता रहा कि टेक्नोलॉजी के उपयोग से संपन्न और वंचित के बीच की खाई और गहरी हो जाएगी, हमने इस मानसिकता को बदल दिया और संपन्न एवं वंचित के बीच की खाई को खत्म करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग किया।

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जब इरादा सही हो, तो इनोवेशन, कम सशक्त लोगों को सशक्त बनाता है। जब अप्रोच, समावेशी होता है, तो टेक्नोलॉजी; हाशिये पर रहने वालों के जीवन में बदलाव लाती है।

इस विश्वास ने डिजिटल इंडिया की नींव रखी: पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने, समावेशी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने और सभी के लिए अवसर प्रदान करने का मिशन।

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2014 में, इंटरनेट की पहुंच सीमित थी, डिजिटल साक्षरता कम थी और सरकारी सेवाओं तक ऑनलाइन पहुंच दुर्लभ थी। कई लोगों को संदेह था कि क्या भारत जैसा विशाल और विविधतापूर्ण देश वास्तव में डिजिटल हो सकता है।

आज, उस सवाल का जवाब न केवल डेटा और डैशबोर्ड में है, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के जीवन में भी है। हम कैसे गवर्न करते हैं, कैसे सीखते हैं, लेन-देन करते हैं और कैसे निर्माण करते हैं, डिजिटल इंडिया हर जगह है।

डिजिटल खाई को पाटना

2014 में भारत में करीब 25 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन थे। आज यह संख्या बढ़कर 97 करोड़ से ज़्यादा हो गई है। 42 लाख किलोमीटर से ज़्यादा ऑप्टिकल फाइबर केबल, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 11 गुना ज़्यादा है, अब सबसे दूरदराज के गांवों को भी जोड़ती है।

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भारत में 5G की शुरुआत दुनिया में सबसे तेज़ गति से हुई है, जहाँ सिर्फ़ दो साल में 4.81 लाख बेस स्टेशन स्थापित किए गए हैं। हाई-स्पीड इंटरनेट अब शहरी केंद्रों और गलवान, सियाचिन और लद्दाख सहित अग्रिम सैन्य चौकियों तक पहुँच गया है।

इंडिया स्टैक, जो हमारी डिजिटल रीढ़ है, ने UPI जैसे प्लेटफ़ॉर्म को सक्षम किया है, जो अब सालाना 100+ बिलियन लेनदेन को संभालता है। सभी वास्तविक समय के डिजिटल लेनदेन में से लगभग आधे भारत में होते हैं।

Direct Benefit Transfer (DBT) के माध्यम से, ₹44 लाख करोड़ से अधिक सीधे नागरिकों को ट्रांसफर किए गए हैं, जिससे बिचौलियों को हटाया गया है और ₹3.48 लाख करोड़ की लीकेज की बचत हुई है।

SVAMITVA जैसी योजनाओं ने 2.4 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड जारी किए हैं और 6.47 लाख गांवों की मैपिंग की है, जिससे भूमि से संबंधित अनिश्चितता के वर्षों का अंत हुआ है।

सभी के लिए अवसर का लोकतंत्रीकरण

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था MSMEs और छोटे उद्यमियों को पहले से कहीं ज़्यादा सशक्त बना रही है।

ONDC (डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क) एक क्रांतिकारी प्लेटफ़ॉर्म है जो खरीदारों और विक्रेताओं के विशाल बाज़ार के साथ सहज कनेक्शन प्रदान करके अवसरों की एक नई खिड़की खोलता है।

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GeM (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) आम आदमी को सरकार के सभी अंगों को सामान और सेवाएँ बेचने में सक्षम बनाता है। यह न केवल आम आदमी को एक विशाल बाज़ार के साथ सशक्त बनाता है बल्कि सरकार के लिए पैसे भी बचाता है।

कल्पना कीजिए: आप मुद्रा लोन के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं। अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क के ज़रिए आपकी क्रेडिट योग्यता का मूल्यांकन किया जाता है। आपको अपना लोन मिल जाता है और आप अपना उद्यम शुरू कर देते हैं। आप GeM पर रजिस्टर होते हैं, स्कूलों और अस्पतालों को सप्लाई करते हैं और फिर ONDC के ज़रिए आगे बढ़ते हैं।

ONDC ने हाल ही में 200 मिलियन ट्रांज़ेक्शन को पार कर लिया है, जिसमें से आखिरी 100 मिलियन ट्रांज़ेक्शन सिर्फ़ छह महीनों में हुए हैं। बनारसी बुनकरों से लेकर नागालैंड के बांस कारीगरों तक, विक्रेता अब बिना किसी बिचौलिए या डिजिटल एकाधिकार के, पूरे देश में ग्राहकों तक पहुँच रहे हैं।

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GeM ने 50 दिनों में ₹1 लाख करोड़ GMV को भी पार कर लिया है, जिसमें 1.8 लाख से अधिक महिलाओं के नेतृत्व वाले MSME सहित 22 लाख विक्रेताओं ने ₹46,000 करोड़ के ऑर्डर पूरे किए हैं।

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत की ग्लोबल ऑफरिंग

आधार, कोविन, डिजीलॉकर और फास्टैग से लेकर पीएम-वाणी और वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन तक भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) का अब वैश्विक स्तर पर अध्ययन और अपनाया जा रहा है।

कोविन ने दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सक्षम बनाया, 220 करोड़ QR-verifiable प्रमाणपत्र जारी किए। 54 करोड़ यूजर्स के साथ डिजीलॉकर 775 करोड़ से अधिक दस्तावेजों को सुरक्षित और निर्बाध रूप से होस्ट करता है।

हमारे G20 प्रेसीडेंसी के माध्यम से, भारत ने ग्लोबल DPI रिपॉजिटरी और $25 मिलियन का सोशल इम्पैक्ट फंड लॉन्च किया, जिससे अफ्रीका और दक्षिण एशिया के देशों को समावेशी डिजिटल इकोसिस्टम अपनाने में मदद मिली।

स्टार्टअप पावर और आत्मनिर्भर भारत का संगम

भारत अब दुनिया के शीर्ष 3 स्टार्टअप इकोसिस्टम में शुमार है, जहाँ 1.8 लाख से ज़्यादा स्टार्टअप हैं। लेकिन यह सिर्फ़ स्टार्टअप मूवमेंट से कहीं ज़्यादा है, यह एक तकनीकी पुनर्जागरण है।

जब बात युवाओं में एआई स्किल पैठ और एआई talent concentration की आती है तो भारत बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।

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1.2 बिलियन डॉलर के India AI Mission के माध्यम से, भारत ने 34,000 जीपीयू तक वैश्विक स्तर पर बेजोड़ कीमतों पर 1 डॉलर/जीपीयू प्रति घंटे से भी कम कीमत पर पहुंच को सक्षम किया है, जिससे भारत न केवल सबसे किफायती इंटरनेट अर्थव्यवस्था बन गया है, बल्कि सबसे किफायती कंप्यूट डेस्टिनेशन भी बन गया है।

भारत ने humanity-first AI का समर्थन किया है। एआई पर New Delhi Declaration जिम्मेदारी के साथ इनोवेशन को बढ़ावा देती है। हम पूरे देश में AI Centres of Excellence स्थापित कर रहे हैं।

आगे की राह

अगला दशक और भी अधिक परिवर्तनकारी होगा। हम डिजिटल गवर्नेंस से ग्लोबल डिजिटल नेतृत्व की ओर, India-first से India-for-the-world की ओर बढ़ रहे हैं।

डिजिटल इंडिया, केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं रह गया है, यह लोगों का आंदोलन बन गया है। यह एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण और भारत को दुनिया के लिए एक विश्वसनीय इनोवेशन भागीदार बनाने के लिए अहम है।

सभी इनोवेटर्स, उद्यमियों और सपने देखने वालों के लिए: दुनिया, अगली डिजिटल सफलता के लिए भारत की ओर देख रही है।

आइए, हम वह बनाएं, जो सशक्त करे।

आइए, हम वह हल करें, जो वास्तव में मायने रखता है।

आइए, हम ऐसी तकनीक से नेतृत्व करें जो जोड़ती है, सबको साथ लाती है और सबका उत्थान करती है।