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"Shri Modi spoke of how Ayurveda had significant scope in the future as the concept of holistic healthcare was increasingly being adopted by the global audience"
"We need to present our technology to the world in the language in which they understand. Why cannot our herbal medicines take over the world market: Shri Narendra Modi"
"Every flower has the potential to rid illness...one such flower is the Lotus: Shri Modi"
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मुख्यमंत्री ने किया राष्ट्रीय आयुर्वेद परिषद का उद्घाटन

आयुर्वेद की विरल ज्ञानसंपदा का डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन करें- श्री मोदी

‘आयुर्वेद का वैश्विक प्रभाव स्थापित करने के लिए आयुर्वेदाचार्य प्रतिबद्धता के साथ इसका गौरव करें’

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को गांधीनगर में राष्ट्रीय आयुर्वेद परिषद का उद्घाटन करते हुए सदियों पुरानी आयुर्वेद की महान परंपराओं की विरल ज्ञानसंपदा का टोटल डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन करने का आह्वान किया। आयुर्वेद का वैश्विक प्रभाव प्रस्थापित करने की प्रतिबद्धता के लिए भी उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सकों एवं आचार्यों का प्रेरक आह्वान किया।

श्री मोदी ने कहा कि न सिर्फ भारत वरन समूचे विश्व के स्वस्थ समाज के लिए के लिए अपने आयुर्वेद का सामर्थ्य बताएं।

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गुजरात सरकार के स्वास्थ्य विभाग एवं गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय के उपक्रम से महात्मा मंदिर में आयोजित राष्ट्रीय आयुर्वेद परिषद में विशाल संख्या में आयुर्वेद चिकित्सा के गणमान्य आयुर्वेदाचार्यों एवं देश के आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने शिरकत की। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर भारत के विश्वविख्यात आयुर्वेदाचार्यों को सम्मानित किया।

आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरी का देहविलय गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के सोमनाथ के निकट धाणेज में समाधिस्थल पर होने तथा देवों के वैद्यराज अश्विनीकुमार का घाट तापी नदी पर होने का गौरवपूर्ण जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि अपनी इस शाश्वत विरासत की महिमा हम स्वयं नहीं करते। गुलामी कालखंड ने हमें अपनी ही महान परंपराओं के प्रति उदासीन बना दिया लिहाजा, आयुर्वेद विज्ञान की भारतीय विरासत का गौरव एवं सामर्थ्य हम दुनिया के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर सके।

आयुर्वेद का प्रभाव दो तथ्यों पर आधारित होने की भूमिका पेश करते हुए उन्होंने कहा कि पहला, आयुर्वेद चिकित्सकों का स्वयं का भरोसा आयुर्वेद पर होना ही चाहिए और दूसरा यह कि रोगी को भी आयुर्वेद पर संपूर्ण विश्वास एवं श्रद्धा होनी चाहिए।

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सिर्फ एक वस्त्र धारण कर के भी महात्मा गांधी जी द्वारा विश्व के शक्तिशाली लोगों के सामने पूरे आत्मविश्वास के साथ समर्थ व्यक्तित्व का प्रभाव स्थापित किए जाने की मिसाल पेश करते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारतीय आयुर्वेद परंपरा के लिए ऐसे दृढ़ आत्मविश्वास के साथ दुनिया के समक्ष सामर्थ्य दिखाना है।

गुजरात में गांधीनगर के कोलवड़ा के निकट १५० करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन मॉडल आयुर्वेद कॉलेज की भूमिका पेश करते हुए उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और आहार-विहार का शास्त्र तथा योग, इन सभी को जोड़कर हम हॉलिस्टिक हैल्थ केयर के दुनिया के अभिगम को अपने सामर्थ्य के जरिए प्रभावित कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में व्याप्त ‘हरी’, ‘वरी’ और ‘करी’ (जल्दबाजी, चिन्ता-तनाव और आहार-स्वाद) की जीवनशैली में जीवन को संतुलित एवं स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद एवं आहार-विहार को प्राथमिकता देनी होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चीन के हर्बल मेडिसीन के आक्रामक प्रभाव के मुकाबले दुनिया में छा जाने के लिए हमारे पास हिमालय के हर्बल वनस्पति जगत का प्राकृतिक संसाधन है। लेकिन अफसोस कि चीन की तरह इस दिशा में हम कुछ नहीं कर रहे। दुनिया के अनेक देशों में आयुर्वेद के शास्त्र का महत्व बढ़ रहा है लेकिन आयुर्वेद के वैश्विक प्रभाव के लिए हमने कभी सहभागिता का कोई प्रयास नहीं किया।

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उन्होंने सवाल उठाया कि आयुर्वेद के विशेष संशोधनों के लिए आयुर्वेद चिकित्सा में श्रद्धा रखने वाले दुनिया के देशों का सामूहिक मंथन क्यों नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि ह्रदय रोग के लिए इलेक्ट्रो कार्डियो ग्राम (ईसीजी) है ठीक उसी तरह आयुर्वेद की त्रिदोष आधारित चिकित्सा के लिए इलेक्ट्रो त्रिदोष ग्राम (ईटीजी) की तकनीक भी विकसित हुई है।

श्री मोदी ने कहा कि मानव शरीर के आसपास आभा मंडल के अध्ययन के जरिए शरीर के रोगों का निदान हो सकता है और अब तो आभा मंडल को आधुनिक विज्ञान ने भी स्वीकृति दी है। ऐसे में आयुर्वेद, आभा मंडल या भारतीय चिकित्सा विज्ञान की परंपरा के विरल ज्ञान एवं संशोधनों का विपुल भंडार होने के बावजूद इसके डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन को लेकर उदासीनता व्याप्त है। उन्होंने कहा कि दुनिया में आयुर्वेद शास्त्र के संशोधन एवं परंपराओं के डिजिटाइजेशन एवं इंटलेक्चुअल प्रापर्टी राइट्स-पेटेन्ट के लिए हम क्यों नहीं सक्रिय बनते।

आयुर्वेद औषधि एवं चिकित्सा संशोधनों के लिए आयुर्वेद दवा उद्योग का आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने दुनिया को प्रभावित करने वाले पैकेजिंग एवं संशोधन के लिए भी औषधि उद्योग को आगे आने की नसीहत दी।

पतंजली योग विद्यापीठ के संस्थापक एवं योगगुरु बाबा रामदेव ने विश्वास जताया कि गुजरात में आयोजित यह समिट बदलते वैश्विक परिप्रेक्ष्य में स्वास्थ्य रक्षा के लिए परंपरागत प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा का गौरव प्रतिष्ठित करने का अनुष्ठान साबित होगी।

बाबा रामदेव ने अपनी विशिष्ट शैली में कहा कि भारत को अपने सामर्थ्य से दुनिया को यह समझाना होगा कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के महात्म्य के साथ-साथ प्राचीन योग विद्या एवं आयुर्वेद-युनानी-होमियोपैथी जैसी वैकल्पिक चिकित्सा व्यवस्थाएं भी स्वस्थ एवं तंदरुस्त जीवन के लिए उतनी ही आवश्यक एवं स्वातेय हैं।

स्वास्थ्य राज्य मंत्री परबतभाई पटेल ने गुजरात में आयुर्वेद को दिए जा रहे महत्व की रूपरेखा के साथ समिट के उद्देश्यों पर रोशनी डाली। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि देश के सर्वप्रथम आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना का गौरव गुजरात को मिलता है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री कन्या केळवणी (शिक्षा) निधि में १.११ लाख का चेक अर्पित कर आयुर्वेद चिकित्सकों ने समाज के प्रति अपने दायित्व का परिचय दिया।

प्रारंभ में स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश किशोर ने स्वागत भाषण दिया।

इस मौके पर मेघालय के स्वास्थ्य मंत्री हेग, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के अध्यक्ष देवेन्द्र त्रिगुणाजी सहित देश के विविध राज्यों के आयुर्वेद क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञ, वैद्यराज, आयुर्वेद औषधियों के उत्पादक एवं विद्यार्थियों समेत २४ राज्यों के आयुर्वेद चिकित्सक मौजूद थे।

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।