आप सब को नमस्कार..! थैंक्यू..! आप सब को शिवरात्री की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं..! भारत में आज शिवरात्री के पर्व का शुभ दिवस है और महाकुंभ का आज समापन दिवस भी है। कभी-कभी लगता है कि भारत में जिस प्रकार से इस महाकुंभ का आयोजन होता है, वह महाकुंभ अगर विश्व के किसी और देश में हुआ होता, तो ना जाने कितने विद्-विद पहलुओं पर, इसकी श्रद्धा के संबंध में, इसकी योजना के संबंध में, इतनी बड़ी भारी तादाद में मिलीयन्स ऑफ मिलीयन लोगों का इक्कठा होना... यानि प्रति दिवस ऐसा लगता था कि यूरोप का कोई छोटा देश गंगा के किनारे पर रोज इक्कठा होता है। ये सामान्य घटना नहीं है, सामान्य रूप से उसको देखा नहीं जा सकता। लेकिन पश्चिम के देशों को जिस प्रकार से चीजों को ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने का कौशल है। ये इवेंट इतना सामर्थ्यवान होने के बाद भी हम दुनिया के सामने हमारे देश के लोगों की इस शक्ति का परिचय नहीं करवा सकते हैं। आज शिवरात्री है, भगवान शिवजी को पूरा हिन्दुस्तान याद करता है।
हमारे देश में अनेक देवी-देवताओं की कल्पना है और उन सभी देवी-देवताओं की कल्पना के माध्यम से हम जीवन से कुछ सीखने की कोशिश करते हैं। आज सारा विश्व ग्लोबल वार्मिंग के कारण परेशान है। हर कोई चिंतित है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण आने वाले दिनों में हालत क्या होगी..! हर एक के मन में एक चिंता का विषय है। लेकिन कभी-कभी हमारे पूर्वजों ने भगवान की जो कल्पना की है, ईश्वर के रूप के प्रति उनके मन का जो भाव जगा है, उसमें एक बात विशेष रूप से ध्यान में आती है। हिन्दुस्तान के जितने भी भगवानों की कल्पनाएं हैं उन सबको प्रकृति के साथ जोड़ा गया है। हमारे कोई ईश्वर की कल्पना ऐसी नहीं है जिनके साथ कोई वृक्ष ना जुड़ा हुआ हो, किसी ना किसी पेड़ को हर ना हर ईश्वर के साथ जोड़ा गया है। इतना ही नहीं, हर एक ईश्वर को, परमात्मा के हर एक रूप को, किसी ना किसी पशु के साथ या पंखी के साथ जोड़ा गया है। और इन चीजों से एक मैसेज देने का प्रयास हुआ है कि परमात्मा के जिस रूप की आप पूजा करते हो, वे परामात्मा प्रकृति को कितना प्रेम करते हैं, वे प्रकृति के साथ कितने जुड़े हुए रहते थे..! अगर आप को भी प्रकृति को छोड़ कर के सिर्फ परमात्मा की पूजा करनी है, तो वो पूर्ण नहीं है। ये टोटल पैकेज डील होता है। अगर शिव जी की पूजा करें, तो बिल्व के वृक्ष की भी, बिल्वा पत्र की भी पूजा होती है। और आप देखिए, शिवजी के परिवार का कमाल..! शिव जी के परिवार की एक विशेषता देखिए..! गणेशजी, कार्तिकेय, शिवजी, पार्वती जी... हमारे यहाँ मान्यता है कि सांप चूहे को खा जाता है। सांप का आहार चूहा होता है। लेकिन शिवजी के परिवार में सांप और चूहा साथ-साथ रहते हैं। गणेश जी का वाहन चूहा है, तो शिव जी के गले में सांप रहता है..! आप कल्पना कर सकते हैं कि को-एग्ज़िस्टेंस के लिए इससे बड़ा मैसेज क्या हो सकता है..! प्रकृति के प्रति प्रेम, प्रकृति का महात्म्य..! और जो वहाँ बैठे हुए लोगों में पुरानी पीढी के लोग होंगे, जो आयुर्वेद को जानते होंगे, उन्हें मालूम होगा कि बिल्वी का एक फल होता है। बिल्वी पत्र से हम शिवजी की पूजा करते हैं। लेकिन आज भी कहते हैं कि शिवजी ने जहर पीया था और जहर पीने के बाद एक बहुत बड़ी संकट की घड़ी से गुजरते हुए वो बाहर निकले थे। लेकिन आज हमारा आयुर्वेद कहता है कि बिल्वी पत्र के साथ एक बिल्वी का फल भी होता है, और उस फल का ज्यूस पेट की हर बीमारी के उत्तम उपचार के रूप में आज भी काम आता है। यानि सहज रूप से ईश्वर के रूप की साधना और आराधना करते-करते किस प्रकार से हमारे यहाँ लोक शिक्षा का काम होता है, पीढ़ियों तक लोगों प्रशिक्षित करने की कैसी परंपरा रही है..! और हिन्दुस्तान के हर कोने में, दुनिया के हर कोने में जहाँ-जहाँ भारतीय बंधु हैं, आज शिवजी की आराधना करते हैं। मैं इस शिवरात्री के शुभ पर्व पर आपको भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ..!
भाईयो-बहनों, ये 21 वीं सदी है, ज्ञान और विज्ञान की सदी है और आपको लगता होगा कि एक राजनेता, एक राज्य का मुख्यमंत्री, ये सुबह-सुबह शिवजी की कथा सुनाने लग गया..! आपके मन में सवाल उठना बहुत स्वाभाविक है। लेकिन भाइयों और बहनों, सार्वजनिक जीवन में शिवजी से एक प्रेरणा तो जरूर मिलती है, और वो प्रेरणा है जहर पीने की और जहर पचाने की..! ईश्वर हमें शक्ति दे कि हम भी हर प्रकार की कटुता, बुराइयाँ, विकृतियाँ के रूप में जो जहर है, उस जहर को पचा कर के हमारे भीतर से अमृत की वर्षा की संभावना पैदा हो, हमारा मन-मस्तिष्क, हमारा मन-मंदिर अमृत से भरा हुआ हो, ताकि हमारा हर शब्द, हमारी वाणी, हमारा व्यवहार, हमारा आचरण पूरी सृष्टि को अमृत मय अनुभूति करवा सके। और हम हिन्दुस्तानी जिन परंपराओं से जुड़े हुए हैं, हम अगर चाहें, अगर सोचें, अगर तय करें तो आज भी हम लोगों में वो सामर्थ्य है कि हम वो कर सकते हैं। हमारे पूर्वजों का तो वो मंत्र रहा था ‘वयम् अमृतस्य पुत्रा:’..! हम अमृत के रूप हैं, अमृतम् - ये सोच के हम लोग हैं और इसलिए भाइयों-बहनों, जिनके पास ये सामर्थ्य होता है वे बहुत कुछ कर सकते हैं।
भाइयों-बहनों, आज फिर एक बार मुझे शिवरात्री के पावन पर्व पर आपको मिलने का सौभाग्य मिला है। अनेक बार आप लोगों के बीच आने का अवसर मिला है। भारतीय समाज के, गुजराती समाज के अनेकविध कार्यक्रमों में आना हुआ है। इस बार ‘अम्ब्रेला ऑर्गनाइज़ेशन’ के रूप में ‘ओवरसीज फ़्रैंड्स ऑफ बीजेपी’ के मित्रों ने इनिश्यिेटिव लिया। मैं यहाँ सब के नाम तो नहीं गिना रहा हूँ क्योंकि किसी का नाम छूट जाता है तो बुरा लगता है। लेकिन सबने मिल कर के लगातार भारत से जुड़े रहने का प्रयास किया है, लगातार भारत की गतिविधियों के साथ अपने आप को जोड़ने का निरंतर प्रयास किया है ये अपने आप में एक शुभ निशानी है। मित्रों, हम किसी भी देश में रहते हों, कोई भी काम करते हों, लेकिन हमारी धरती के साथ हमारा नाता रहे, हमारी संस्कृति के साथ हमारा नाता रहे, हमारी परंपराओं के साथ हमारा नाता रहे, हमारी भाषा के साथ हमारा नाता रहे, इसका अपना एक माहात्म्य होता है। आज भी आप मॉरिश्यिस चले जाएं, वेस्ट इंडिज चले जाएं, सवा-सौ डेढ-सौ साल पहले मजदूर के रूप में जो लोग गए थे, एक रामायण की चौपाई ने उनको आज भी हिन्दुस्तान के साथ जोड़ कर रखा है। मुझे विश्वास है कि विश्व में फैले हुए मेरे भाई-बहन जिनका भारत के प्रति अपार प्रेम है, अगर उनके पास भारत से कोई भी बुरी खबर आए तो रात भर विदेश में रहने वाले भाई-बहन बैचेन हो जाते हैं, उन्हें पीड़ा होती है, ये आपका जो भारत प्रेम है, आपकी जो भारत भक्ति है, ये निरंतर बनी रहे, निरंतर बढ़ती रहे और ये आपका जो भाव विश्व है वो जब भी मौका मिले, भारत के विकास के लिए काम आए, भारत की उन्नति के लिए काम आए, भारत के गरीब से गरीब लोगों की भलाई के लिए काम आए..!
मित्रों, मैं इन दिनों देख रहा हूँ कि मुझे साल में 12-15 डेलिगेशन ऐसे मिलते हैं जो विदेश से आते हैं और कोई ना कोई प्रकल्प लेकर के आते हैं। वो वैकेशन में कहीं टहलने के लिए जाने के बजाए हिन्दुस्तान में आकर के कहीं हैल्थ का कैंप, कहीं डायग्नोसिस का कैंप, कहीं शिक्षा की प्रवृति करते हैं। ये अपने आप में एक अच्छा प्रारंभ हुआ है। इतना ही नहीं, मैं इन दिनों देख रहा हूँ कि जो अमेरिका में पैदा हुए हमारे भारतीय मूल के बच्चे हैं, जिनका उनका जन्म विदेश में कहीं हुआ और जिन्होंने हिन्दुस्तान को देखा भी नहीं था, वे 18-20 साल की उम्र होते होते, आज भारत आते हैं और भारत के गांव-गरीब की सेवा में अपना समय लगाते हैं, हर एक नौजवान एक-एक साल रहते हैं..! ये जो ललक है हमारे देश के लिए कुछ करने की, मैं उसका सम्मान करता हूँ। ऐसे जितने भी नौजवान हिन्दुस्तान के किसी भी कौने में कुछ करने के लिए आते हैं, देश के लिए कुछ ना कुछ करने का प्रयास करते हैं, मानवता के लिए कुछ ना कुछ करने का प्रयास करते हैं, उन सब का भी बहुत मन से अभिनंदन करता हूँ।भाइयों-बहनों, पूरे विश्व में गत दो-तीन दशक से एक चर्चा लगातार चल रही है। और चर्चा ये चली है कि 21 वीं सदी का नेतृत्व कौन करेगा..? भाइयों-बहनों, 19 वीं शताब्दी यूरोप की रही। जब विश्व में औद्योगिक क्रांति हुई, तब हम गुलाम थे। हमारे पास सारी क्षमताएं होने के बावजूद भी... हमारा ढाका का मलमल सारे विश्व में प्रसिद्ध था, हम औद्योगिक दुनिया में अपनी एक जगह बना चुके थे, लेकिन चूंकि हम एक गुलाम देश थे, अंग्रेज हम पर शासन करते थे, हमें उस औद्योगिक क्रांति का लाभ नहीं मिला। अगर हम उस समय स्वतंत्र होते तो मैं पूरी संभवना देखता हूँ कि उस औद्योगिक क्रांति में पूरे विश्व का नेतृत्व करने का सौभाग्य हमने पाया होता। आज इतिहास के झरोखे से जो भी चीजें प्राप्त होती हैं उससे साफ नजर आता है कि हमारे भीतर वो क्षमता थी, हमने वो उन चीजों को अचीव किया था, हम उसको कर सकते थे लेकिन देश गुलाम होने के कारण वो अवसर हमारे हाथ से निकल गया। भाइयो-बहनों, 20 वीं शताब्दी में अमेरिका ने भांति-भांति अपनी व्यवस्थाओं के द्वारा पूरे विश्व में अपना दबदबा बनाए रखा। चीन ने भी अपना सिर ऊंचा करने की कोशिश की। लेकिन 20 वीं शताब्दी में भी हम आजादी के आंदोलन की तीव्रता पर थे, महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश आजादी के आंदोलन में जुड़ा हुआ था, और उसके कारण 20 वीं सदी भी हमारे नसीब में नहीं आई। लेकिन 20 वीं शताब्दी के सेकन्ड हाफ में हम एक स्वतंत्र भारत के रूप में उभरे थे। सौ करोड का देश दुनिया का ध्यान आकर्षित करे वो होना स्वाभाविक था। विश्व हमारी ओर देख रहा था और 20 वीं शताब्दी का उतरार्ध आते आते पूरे विश्व के पंडितों ने मान लिया था कि 21 वीं सदी एशिया की सदी है। डिबेट ये होती थी कि चाइना लीड करेगा कि हिन्दुस्तान लीड करेगा..! भाइयों-बहनों, जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एन.डी.ए. की सरकार चल रही थी, 20 वीं शताब्दी के आखिरी दिन थे, एक बार देश में और पूरे विश्व में एक माहौल बन चुका था कि हाँ भाई, अब हिन्दुस्तान कुछ करेगा..! और विशेषकर के वाजपेयी जी ने सरकार बनाने के कुछ ही महीनों में जब न्यूक्लियर टैस्ट किया तो विश्व भर में भारत से प्रेम करने वाले लोगों में एक नया विश्वास पैदा हुआ था। उस एक घटना ने विश्व भर में फैले हुए हिन्दुस्तानी, जो बार-बार सिर नीचा करके जीने के लिए मजबूर होते थे, सीना तान कर के खड़े नहीं रह पाते थे, वाजपेयी जी के इस हिम्मत पूर्ण निर्णय के कारण पूरे विश्व में फैले हुए भारतीय समाज में एक नई चेतना का वातावरण बना था। और तब से लेकर के जो यात्रा का आरंभ हुआ था, ऐसा लग रहा था कि 21 वीं सदी का नेतृत्व भारत ही करेगा, हम काफी आगे निकल जाएंगे ये विश्वास पैदा हुआ था। लेकिन हमारा दुर्भाग्य रहा कि 21 वीं सदी के पहले दशक का पिछले छह-सात साल का समय उन घटनाओं की परंपराओं को सहता रहा है, जिसके कारण पूरे विश्व में हमें नीचा देखने की नौबत आई है। अभी एच. आर. शाह ट्रिपल-सी की बात कर रहे थे, वो मैं सुन रहा था।
भाइयों-बहनों, बहुत सी बातें हैं जिसके कारण एक चिंता का माहौल बना हुआ है। एक तरफ इस प्रकार की स्थिति और ऐसे माहौल में जब चारों तरफ अंधेरा हो, तो कहीं दूर-सुदूर भी एक दिया जलता है तो उस पर ध्यान जाना बड़ा स्वाभाविक है। ऐसे माहौल में गुजरात ने वो दिया जलाने का काम किया है। एक आशा का संचार पैदा करने का काम किया है। बहुत तेज गति से ऊपर उठा था हिन्दुस्तान, और 21 वीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में ही इस प्रकार से उसकी हालत हो जाए तो किसी को भी चिंता हो जाना स्वाभाविक है। ऐसे समय में गुजरात के विकास यात्रा के चर्चे देश और दुनिया में पहुंचने लगी। विश्व के लोग गुजरात की तरफ देखने लगे। 21 वीं सदी के पहल दशक में पूरी अर्थ व्यवस्था पर दो-दो बार रिसेशन का बहुत बड़ा खतरा पैदा हुआ। अमेरिका जैसे देश भी रिसेशन के कारण हिल गए थे। आर्थिक संकट पूरे विश्व को दबोच रहा था। उस निराशा के माहौल में भी गुजरात ने आर्थिक विकास की कोशिशों को जारी रखा। उस संकट के काल में भी हमने वो स्थितियां अपनाने की कोशिश की, जिससे हम रुके नहीं। मित्रों, जब दुनिया में रिसेशन आया तो हमारे मन में एक विचार आया कि भले ही मंदी का माहौल क्यों ना हो, लेकिन जो व्यापारी है, उद्योगकार है वो अपने कारखाने बंद करना नहीं चाहता। वो कम्पीटिटिव वर्ल्ड के अंदर अपने प्रोडक्ट को सस्ते में तैयार करके खड़ा रहना चाहता है। और इसलिए, अगर मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेस को एफिशियेंट करना, सस्ते में तैयार करने के लिए अगर हम प्लेटफार्म क्रियेट करते हैं, तो दुनिया में मंदी का दौर होने के बाद भी लोग हमारी तरफ आएंगे। हमने इस व्यूह को अपनाया और उस व्यूह का परिणाम ये हुआ कि गुड गवर्नेस के कारण, एफीशियेंसी के कारण, पीसफुल लेबर के कारण, चीप लेबर के कारण, मैन्यूफेक्चरिंग सैक्टर को लगा कि अगर दुनिया में टिकना है और सस्ते में अपना माल तैयार करना है तो हिन्दुस्तान में एक अवसर है और गुजरात निमंत्रण दे रहा है। और उसका हमें फायदा मिला।
भाइयो-बहनों, आज पूरे विश्व को भी इस स्पर्धा से झूझना पड़ता है। भारत एक ऐसा देश है जिसके पास सर्वाधिक नौजवान हैं। अमेरिका में बैठे मेरे भाइयों-बहनों, आपको ये जान कर खुशी होगी और आनंद होगा कि आज हिन्दुस्तान दुनिया का सबसे नौजवान देश है। हमारी 65% जन संख्या 35 वर्ष से कम उम्र की है। आप कल्पना कर सकते हो कि इतना यौवन से भरा हुआ देश, जिसके नौजवानों के नौजवान सपने होते हैं, जिसमें साहस होता है, सामर्थ्य होता है..! यदि उस शक्ति पर हम कान्सन्ट्रेट करें तो हम कितनी स्थितियों को बदल सकते हैं। भाइयो-बहनों, गुजरात ने युवाओं पर बल देने की दिशा में प्रयास किया है। ये वर्ष स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंति मनाने का अवसर है। ये मेरा सौभाग्य रहा कि शिकागो में विश्व धर्म परिषद में स्वामी विवेकानंद जी के भाषण की जब शताब्दी मनाई जा रही थी, तब मैं अमेरिका में आपके बीच आ करके उस कार्यक्रम में मैं शरीक हुआ था। मेरा सौभाग्य रहा कि शिकागो के उस सभाखंड में जा कर के स्वामी जी को श्रद्धांजलि दे सका था। भाइयों-बहनो, 39 साल की छोटी आयु में स्वामी जी ने विदाई ले ली। लेकिन पूरे विश्व में जहाँ भी भारतीय समाज रहता है, आज भी युवा पीढ़ी स्वामी विवेकानंद जी से प्रेरणा लेती है। उन्होंने आध्यात्म को भारत भक्ति से जोड़ दिया था। उन्होंने भारत भक्ति को ही आध्यात्म की ऊचांई का रास्ता दिखा दिया था। और भाइयो-बहनों, एक गुजराती के नाते मुझे एक और भी गर्व होता है। शायद अमेरीका में रहने वाले बहुत से लोगों के लिए ये जानकारी शायद नई भी हो सकती है। स्वामी विवेकानंद जी जिस धर्म परिषद में आए थे, उस धर्म परिषद में हमारे गुजरात के भी एक नौजवान आए थे। वीरचंद गांधी, भावनगर जिले के रहने वाले थे। बड़े विद्वान थे। और जब वो अमेरिका आए थे तब विश्व धर्म परिषद में उनका भाषण हुआ था। 29 वर्ष की उनकी आयु थी। और अमेरिका में उन्होंने कई वर्षों तक रह कर अमेरिका के सभी बड़े शहरों में भारतीय संस्कृति की बात कही थी। वे विवेकानंद जी से बड़े निकट थे। उनकी पढाई गांधी जी के साथ हुई थी। और आज भी शिकागो में वीरचंद गांधी की प्रतिमा है, बहुत कम लोगों को मालूम होगा। और ये दुर्देव देखिए कि विवेकानंद 39 साल की आयु में हमें छोड़ कर चले गए और वीरचंद गांधी भी 37 साल की उम्र में हमें छोड़ कर चले गए। और हमारे गुजरात में तो एक किताब भी प्रसिद्घ हुई है, ‘गांधी बिफोर गांधी’। मोहनलाल करमचंद गांधी से पहले वीरचंद गांधी ने स्वामी विवेकानंद के साथ जा कर के अमेरिका में किस प्रकार से भारतीय संस्कृति का ध्वज लहराया था..! भाइयो-बहनों, ये इतिहास के पन्ने हैं जिसको पता नहीं क्यों अंधेरे में डाला हुआ है। इन सभी चीजों को उजागर करने से एक गौरव मिलता है, एक प्रेरणा मिलती है, एक आंनद मिलता है, एक नई ऊर्जा प्राप्त होती है।
भाइयो-बहनों, स्वामी विवेकानंद हमेशा कहते थे कि देश के नौजवान ही देश का भाग्य बदलेंगे। आज वक्त आया है। दुनिया का सबसे युवा देश यदि हिन्दुस्तान है तो युवा शक्ति के बल पर विश्व की भलाई के लिए अपनी शक्ति और सामर्थ्य को एक जुट कर के आगे बढ़ने की नौबत आई है। और मित्रों, भारत का आगे बढ़ना ये विश्व कल्याण का काम है। आज शिवरात्री है और शिव का दूसरा अर्थ भी कल्याण होता है। ‘तनमे मन: शिव संकल्पमस्तु’, ये हम कहते हैं। अच्छे संकल्पों का एक समय होता है। कल्याणकारी संकल्प का एक अर्थ होता है। मानव जात के कल्याण के लिए संकल्प बद्ध हमारे समाज और हमारी युवा पीढ़ी को लेकर के स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती मनाते हुए एक नई ऊर्जा के साथ देश को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं। हमने गुजरात में स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती को युवा वर्ष के रूप में मनाना तय किया है। और युवा वर्ष भी ‘इन जनरल’ टर्म नहीं। कहने को युवा, इस प्रकार से नहीं। हमने एक स्पेशल फोकस रखा है और हमारा स्पेशल फोकस है, स्किल डेवलपमेंट। लगातार गुजरात के अंदर हमने स्किल डेवलपमेंट पर बहुत बड़ा जोर दिया है। हमारे देश के नौजवान को ईश्वर ने जो भुजाएं दी है उन भुजाओं में अगर स्किल डेवलपमेंट के ज़रिए अगर हम हुनर भर देते हैं, कौशल्य देते हैं, कुछ करने के लिए वैल्यू एडिशन करते हैं तो हमारा नौजवान बहुत बड़ी शक्ति के रूप में उभर सकता है और हिन्दुस्तान की शक्ति की धरोहर बन सकता है।
मैं यहाँ इस मंच का उपयोग किसी सरकार की आलोचना करने के लिए नहीं करना चाहता हूँ। लेकिन सत्य आप लोगों के सामने रखना जरूर चाहता हूँ। इन दिनों भारत सरकार का बजट आया और गुजरात सरकार का भी बजट आया। मैं समझता हूँ कि स्वस्थ मन से इसका तुलनात्मक अध्ययन हमें एक सही दिशा देगा। भाइयों-बहनों, आपको जानकर के हैरानी होगी कि इतना बड़ा हिन्दुस्तान, जिस हिन्दुस्तान के 65% नौजवान 35 साल से कम उम्र के हैं और पूरा विश्व इन दिनों जब स्किल डेवलपमेंट की बात कर रहा है। कुछ दिन पहले प्रेज़िडेंट ओबामा ने जब अपना नया कार्यकाल संभाला और उन्होंने अपने विज़न के रूप में जो अपना पहला भाषण दिया, उसके संबंध में मैंने इंटरनेट पर पढ़ा और देखा तो उसमें भी एक बात उन्होंने बड़े जोरों से कही थी। अमेरिका में स्किल डेवलपमेंट के माहात्म्य को उन्होंने बड़ी गंभीरता से पेश किया था। हम पिछले दो साल से लगातार स्किल डेवलपमेंट का अभियान चला रहे हैं। मैं कहना ये चाहता था कि भारत सरकार का बजट और गुजरात सरकार का बजट... मित्रों, जब कि 21 वीं सदी में सबसे नौजवान देश के रूप में स्किल डेवलपमेंट हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, इतने बड़े हिन्दुस्तान का नेतृत्व कर रही हमारी भारत सरकार का जो बजट है उसमें एक हजार करोड रुपया स्किल डेवलपमेंट के लिए अलॉट किया गया है। गुजरात एक छोटा सा राज्य है, हिन्दुस्तान की तुलना में हम सिर्फ पांच प्रतिशत हैं और एक कोने में हैं। लेकिन भाइयों-बहनों, हमारा कमिटमेंट देखिए..! दिल्ली की भारत सरकार का स्किल डेवलपमेंट बजट 1000 करोड है, गुजरात जैसे छोटे राज्य का स्किल डेवलपमेंट का बजट 800 करोड़ रुपया है। इससे आपको अंदाज आएगा कि हमारा कमिटमेंट क्या है, देश के नौजवानों को किस प्रकार से हम भारत के विकास की यात्रा के अंदर जोड़ना चाहते हैं और हमने उस पर बल दिया है।
भाइयों-बहनों, लोग सेक्यूलरिज्म की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। एक हिन्दुस्तानी होने के नाते सेक्यूलरिज्म की मेरी बहुत सिम्पल डेफिनिशन है| मैं मानता हूँ मित्रों, एक हिन्दुस्तानी के नाते, हिन्दुस्तान को प्रेम करने वाले एक नागरिक के नाते आप भी मेरी इस डेफिनिशन से सहमत होंगे। मेरी सेक्यूलरिज्म की डेफिनिशन बहुत सिम्पल हैं, इंडिया फर्स्ट..! हम कोई भी निर्णय करें, कोई भी काम करें, तो उसमें भारत सर्वोपरि होना चाहिए, भारत की भलाई से कम कुछ भी नहीं होना चाहिए, अगर ये रहा तो सारा सेक्यूलरिज्म अपने आप हमारी रगो में दौड़ने लग जाएगा। हम भारत का नुकसान कत्तई नहीं होने देंगे। ना भारत की इज्जत का, ना भारत की प्रतिष्ठा का, ना भारत के सपनों का, ना भारत के नौजवानों के भविष्य का..! इंडिया फर्स्ट, इस मिजाज के साथ हिन्दुस्तान के सवा सौ करोड़ नागरिक एक ही मंत्र को लेकर के चलें, तो देखते ही देखते दुनिया के अंदर हमारा डंका बजने लगेगा। और मैं ये बात इसलिए भी कहता हूँ कि मेरी स्वामी विवेकानंद जी के प्रति एक विशेष श्रद्धा रही है, बचपन से मेरे मन पर एक प्रभाव रहा है। और हमने देखा है कि विवेकानंद जी ने अपने काल खंड में जो-जो कहा था वो सही निकला था। जीवन के अंत काल में उन्होंने कहा था कि मैं देश वासियों को कहता हूँ कि अपने सभी देवी-देवताओं को भूल जाओ..! मित्रों, ये छोटी बात नहीं है। एक सन्यासी के मुंह से ये सुनना कि तुम अपने देवी-देवताओं को भूल जाओ..! और ये कहा था कि सारे देवी-देवताओं को भूल जाओ, एक मात्र भारत माता को अपनी देवी के रूप में प्रस्थापित करो और पचास साल तक सारे अपने संप्रदाय, अपने देवी-देवताओं को छोड़ कर के एक मात्र भारत माता की पूजा करो। और आप देखिए, विवेकानंद जी ने कहा था उसके ठीक पचास साल के बाद 1947 में भारत आजाद हुआ था, ठीक पचास साल के बाद..! इस महापुरुष में एक दृष्टि थी। उन्होंने और एक बात कही थी। स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका जाने के उस काल खंड में कहा था कि मैं अपनी आंखों के सामने देख रहा हूँ कि मेरी भारत माता जगदगुरू के स्थान पर विराजमान होगी, मेरी भारत माता दैदिप्यमान होगी और मेरा देश विश्वगुरु के रूप में काम करेगा..! भाइयों-बहनों, विवेकानंद जी के कहने के बाद सवा सौ साल बीत गए। आज जब हम उनकी 150 वीं जंयति मना रहे हैं तब क्या एक हिन्दुस्तानी के नाते हम संकल्प कर सकते हैं, मानव कल्याण के मंत्र को लेकर के चलने वाले हम सभी लोग संकल्प कर सकते हैं कि मानव कल्याण के लिए, विश्व कल्याण के लिए 125 साल पहले स्वामी विवेकानंद जी ने जो सपना देखा था कि मैं भारत माता को जगत गुरू के स्थान पर विराजमान देखना चाहता हूँ, क्या हम अब भी वो संकल्प कर सकते हैं कि हमारे से बनता हर प्रयास करेंगे और विवेकानंद जी के सपने को पूरा करने के लिए हम कुछ ना कुछ करेंगे..! 125 साल भले बीत गए, लेकिन क्या हम इस 150 वीं जयंति के निमित्त वो संकल्प करके आगे बढ़ सकते हैं..?
भाइयों-बहनों, हम दुनिया बदल सकते हैं। एक आत्म विश्वास चाहिए, और हम गुजराती तो इसी के भरोसे चलते हैं, वी कैन एंड वी विल। हम कर सकते हैं और हम करके रहेंगे, इस मंत्र को लेकर के चलना पड़ता है। क्या नहीं है हमारे देश के पास..? विश्व के पास जो कुछ भी है वो सब कुछ हमारे पास भी है। सही समय पर, सही जगह पर, सही दिशा में चीजों को सिर्फ दौड़ाना है और देखते ही देखते परिवर्तन आता है। भाइयों-बहनों, मेरे 12-13 साल के गुजरात एक्सपीरियंस से मैं कहता हूँ कि विकास का मंत्र हमारी सब समस्याओं का समाधान दे सकता है। पहले माना जाता था कि विकास को लेकर के चुनाव नही जीता जा सकता है। मित्रों, गुजरात की जनता ने इस दीर्घदृष्ट्रा का दर्शन करवाया है। समाज कैसा विजनरी होता है ये गुजरात के मतदाताओं ने दिखाया है। और गुजरात के मतदाताओं ने विकास को वोट देने का संकल्प प्रकट किया। मित्रों, आज गुजरात विक्टरी के लिए आपने मेरा अभिनदंन करने के लिए वीडियो कान्फ्रेंसिंग पर मुझे निमंत्रित किया है। भाइयों-बहनों, ये विक्टरी नरेन्द्र मोदी की नहीं है। ये चुनाव विजय, निरन्तर चुनाव विजय, लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनना, तीन बार हैट्रिक करना... ये अपने आप में कोई नरेन्द्र मोदी का करिश्मा नहीं है। भाइयो-बहनों, अगर ये विजय है तो ये मेरे गुजरात के नागरिकों का विजय है, गुजरात के मेरे मतदाताओं का विजय है। जिन्होंने विकास पर विश्वास किया, जिन्होने विकास के महात्म को समझा और जिन्होंने पिछले दस-बारह साल के अंदर अनुभव किया कि देर कहीं होती होगी, कुछ कमी रहती होगी, कुछ कठिनाइयाँ रहती होगी लेकिन उसके बावजूद भी विकास का ही रास्ता है जो आज नहीं तो कल हमारी समस्याओं का समाधान करेगा, हमें कठिनाइयों से मुक्त करेगा, हमारे सपनों को साकार करने के लिए यही एक रास्ता काम आएगा, ये गुजरात के मतदाताओं ने स्वीकार किया है। और गुजरात के मतदाताओं ने पूरे देश के अंदर एक विश्वास पैदा करने का एक मैसेज दिया है कि बाकी सब छोड़ कर के एक मंत्र को पकड़ लो, डेवलपमेंट..! गुजरात को विकास भी करना है, गुजरात को आधुनिक भी बनना है। गुजरात को संस्कार की भी चिंता करनी है, गुजरात को संस्कृति की भी चिंता करनी है। और इन सबकी चिंता करते हुए आगे बढ़ने वाले मॉडल को हम प्रस्थापित करना चाहते हैं।
भाइयों-बहनों, कभी गुजरात ने ऐसा नहीं कहा है कि हमारे यहाँ कोई मुसीबत ही नहीं है, हमारे यहाँ कोई कमियाँ नहीं है। लेकिन हमने ये विश्वास पैदा किया है कि हम कमियों को दूर करने के लिए पूरा प्रयास करेंगे। और भाइयों-बहनों, मुझे एक बात की खुशी है, इन दिनों गुजरात की चर्चा क्या होती है..? नरेन्द्र मोदी की चर्चा क्या होती है..? गुजरात सरकार की चर्चा क्या होती थी..? मित्रों, हिन्दुस्तान के अंदर किसी सरकार के करप्शन की चर्चा होती है, किसी सरकार के कोई ना कोई भले-बुरे आचरण की चर्चा होती है, लेकिन गुजरात की चर्चा होती है तो क्या होती है..? कि भाई, गुजरात के अंदर चौबीस घंटे बिजली है लेकिन थोड़ी मंहगी है, कोई कहता है सस्ती है, कोई कहता है अच्छी है..! पानी है तो कोई कहता है कि पहले तो पानी नहीं पहुंचता था लेकिन अभी तो पहुंच रहा है, अभी इतना बाकी है। कोई मालन्यूट्रीशन की चर्चा करता है..! कहने का तात्पर्य ये है कि जब भी गुजरात की चर्चा होती है तो विथ रेफरन्स टू डेवलपमेंट होती है और उसमें हमारी कमियाँ भी उजागर होती है और मैं इसका स्वागत करता हूँ। क्योंकि कोई ये तो दावा नहीं कर सकता कि इतने सालों की सब बुराइयों को कोई एक आदमी ने एक दशक में ही पूरा कर दिया होगा। लेकिन लोग इतना विश्वास करते हैं कि यही रास्ता है जिससे अंधेरा छटने वाला है। और मित्रों, मैं कहता हूँ, ‘ऐश: पंथा:’..! यही रास्ता है और वो रास्ता है, डेवलपमेंट..!
मित्रों, राजनेता कभी-कभी डरते हैं। हमारे देश में पॉपूलरली कहा जाता है कि ‘गुड इकॉनॉमिक्स इज अ बैड पॉलिटिक्स’, ये बातें मानी गई हैं। डेवलपमेंट से चुनाव नहीं जीते जाते, चुनाव तो जोड़-तोड़ से जीते जाते हैं..! भाइयों-बहनों, चुनाव जीतें या हारें, ये मकसद नहीं होना चाहिए। मकसद ये होना चाहिए कि अगर आपको पाँच साल के लिए जनता ने काम दिया है, तो उन पाँच साल में आप जनता के काम को प्राथमिकता दीजिए, पूरा कीजिए। चुनाव तो बाय प्रोडक्ट होता है। अगर आप अच्छा काम करोगे, निरंतर अच्छा करोगे, बिना स्वार्थ के करोगे तो लोग आपकी गलतियाँ भी माफ कर देते हैं। मतदाता ज्यादा उदार होता है। ऐसा नहीं है कि हमारी सरकार ने कोई गलतियाँ नहीं की होगी। ऐसा नहीं है कि कहीं किसी इलाके में हमारे लिए शिकायत नहीं होगी। लेकिन हमने एक विश्वास पैदा किया है कि गलतियाँ होते हुए भी, कमियाँ रहते हुए भी, अच्छा करने की हमारी निष्ठा पर किसी को शक नहीं हुआ है। अच्छा करने के हमारे प्रयासों में किसी ने कभी हमें कोताही बरतते देखा नहीं है। भाइयों-बहनों, मनुष्य का स्वभाव होता है, एक जगह पर दो-चार साल रहने के बाद उसे एक आदत हो जाती है, एक रुटीन लाइफ बन जाती है। मित्रों, मुझे बारह साल हो चुके हैं लेकिन मैं जिस ऊर्जा से, जिस भक्ति से, जिस तन्मयता से 2001 में इस काम को करता था, इतने सारे विजयों की परंपरा के बाद भी उसी लगन, निष्ठा और तपस्या के साथ आप सब की सेवा में लगा हूँ। भाइयों-बहनों, कोई चंद्रक पाने के लिए नहीं कर रहा हूँ, कोई मान-सम्मान पाने के लिए नहीं कर रहा हूँ। मैं इसलिए कर रहा हूँ कि मैं मेरे गुजरात के गरीबों की गरीबी देख नहीं पाता। अगर किसी गाँव में पानी नहीं पहुंचा है तो मैं बेचैन हो जाता हूँ। किसी बेटी शिक्षा के अभाव में झूझती हो तो मैं उसे झेल नहीं पाता। छह करोड़ गुजरातियों को मैंने अपना परिवार माना है। उनका सुख मेरा सुख है, उनका दु:ख मेरा दु:ख है। और ये जीवन उनके कल्याण के लिए काम आ जाए, उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए ये जो अवसर मिला है उसका उपयोग हो, इससे बड़ा जीवन का सपना क्या हो सकता है..! और अगर एक बार मेरे कार्यकाल में मैं कुछ अच्छा करूंगा, मेरे बाद किसी और का कार्यकाल होगा तो वो कुछ अच्छा करेगा, और अगर हमारी गति तेज होगी तो मित्रों, बहुत जल्द ही हम स्वामी विवेकानंद जी के सपनों को पूरा करने योग्य बन जायेंगे, और कम से कम मेरे गुजरात का हिस्सा तो मैं बना ही लूंगा..! मेरा गुजरात इस ताकत के साथ खड़ा होगा ये मेरा विश्वास है। भाइयों-बहनों, हमें एक नया संकल्प लेकर के आगे बढ़ना है, हमें एक नया विश्वास लेकर के आगे बढ़ना है।
विश्व भर में फैले मेरे भाइयो-बहनों, अब आपको भी गुजरात के प्रति आकर्षण होता होगा। वहाँ गुजरात के बाहर के भी बहुत लोग बैठे हैं। आपने देखा होगा कि गुजरात ने एक क्षेत्र में इन दिनों में अपनी जगह बनाई है। टूरिज्म के मैप पर गुजरात का कभी नामोनिशान नहीं था। द्वादश ज्योर्तिलिंग, दादा सोमनाथ हमारे यहाँ बैठे हुए हों। द्वारका, श्री कृष्ण की नगरी हमारे पास हो। महात्मा गांधी का पोरबंदर हमारे पास हो, साबरमती आश्रम हमारे पास हो। गिर के सिंह हो, कच्छ का सफेद रण हो, 1600 किलोमीटर लंबा समुद्री किनारा हो.. क्या नहीं है? सब कुछ है..! आज भी है और पहले भी था..! लेकिन भाइयो-बहनों, हमने उस तरफ ध्यान नहीं दिया था। गुजरातीज़ आर बेस्ट टूरिस्ट्स, बट गुजरात वाज नेवर अ टूरिस्ट डेस्टिनेशन..! और आप देखिए, दुनिया के किसी भी कोने में जाइए आप, आपको गुजराती लोग मिलेंगे, मिलेंगे और मिलेंगे..! किसी भी तीर्थ क्षेत्र में जाइए, कोई भी टूरिस्ट प्लेस पर जाइए, आपको गुजराती वहाँ मिलेगा ही मिलेगा..! और आप फाइव स्टार होटल में ठहरे होंगे तो आप देखना कि अपने डिब्बे में से थेपला निकाल कर के खाता हुआ गुजराती आपको फाइव स्टार होटल में दिखाई देगा..! वो अपने घर से सूखड़ी और थेपला लेकर आता है। भाइयों-बहनों, हम गुजराती बहुत अच्छे टूरिस्ट हैं, लेकिन गुजरात वाज नेवर अ टूरिस्ट डेस्टिनेशन। पिछले तीन-चार साल से हमने लगातार कोशिश की, और उसका नतीजा क्या है..? आज हर घर में एक बात होती है, ‘कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में..!’, ‘कच्छ नहीं देखा तो कुछ नही देखा..!’, हर कोई बोलने लगा है। मित्रों, टूरिज्म का जो बढ़ावा हुआ है उसके कारण गुजरात में हॉस्पिटालिटी इन्डस्ट्री का बढ़ावा हुआ है। बहुत तेजी से गुजरात का अपना एक आकर्षण बनता जा रहा है। मैं आपको निमंत्रण देता हूँ, आप भी गुजरात को देखने के लिए आइए। फील गुजरात, एंजोय गुजरात..! आपको मैं निमंत्रण देता हूँ। और मैं विश्व में फैले हुए मेरे भारतीय भाइयों को हमेशा विनंती करता हूँ कि हम लोग व्रत मनाएं कि साल में कम से कम दस-पद्रंह नॉन इंडियन फैमिलीज़ को हिन्दुस्तान देखने के लिए प्रेरित करें। उनको भारत देखने के लिए भेजें, समझाएं, आग्रह करें। ताजमहल देखना हो तो ताजमहल देखें, जहाँ जाना है जाए... लेकिन उनको भेजें। मित्रों, सिर्फ विश्व में फैले मेरे हिन्दुस्तान के मित्रों के माध्यम से अगर एक साल में हमारा एक परिवार दस परिवारों को यहाँ भेजता है तो आज हिन्दुस्तान जो टूरिज्म के क्षेत्र में है उससे सौ गुना आगे बढ़ सकता है। आप मुझे कहिए, देश की इतनी बड़ी सेवा होगी की नहीं होगी..? आप कोई डॉलर यहाँ लगाएं तभी देश की सेवा होती है ऐसा नहीं है। आप भारत के प्रति लोगों को आकर्षित करें, भारत देखने के लिए भेजें..! और मित्रों, एक बार टूरिस्ट आने लगेगा तो व्यवस्थाएं भी विकसित होने लगेगी। क्योंकि जो व्यापारी होता है वो ग्राहक की आवश्यकता को समझता है, वो धीरे-धीरे अपना कल्चर और व्यवस्थाओं को विकसित करता है। और देखते ही देखते पूरे विश्व के लिए एक सुप्रीम टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में हिन्दुस्तान उभर सकता है। गरीब से गरीब को रोज़ी-रोटी देने का सामर्थ्य उसमें है। मैं आपसे आग्रह करता हूँ, हमारे होटल-मोटल एसोसिएशन के लोग अगर चाहें तो उनके हर क्लाइंट को रोज-रोज अपने रूम के विडियो पर हिन्दुस्तान का नजारा दिखा सकते हैं..! लोग आएंगे, टूरिज्म बढ़ेगा और इन दिनों बढ़ रहा है। बहुत बड़ी मात्रा में विदेश से लोग टूरिस्ट के रूप में हिन्दुस्तान आ रहे है, गुजरात भी आ रहे हैं। मित्रों, गरीब से गरीब लोगों को रोजी-रोटी देने की ताकत इस क्षेत्र में है, इसको बढ़ावा देने का हमारा प्रयास है। भारत का एवरेज जो टूरिज्म ग्रोथ है, उससे गुजरात का टूरिज्म ग्रोथ अनेक गुना ज्यादा होने लगा है। लेकिन उसको हमें और आगे बढ़ाना है। मैं आपको निमत्रंण देता हूँ कि आप इसमें सहयोग दीजिए।
मैं फिर एक बार शिकागो में बैठे हुए मेरे भाइयो-बहनों, न्यू जर्सी में बैठे हुए मेरे भाइयों-बहनों, अमरिका के भिन्न-भिन्न भागों में टी.वी. के माध्यम से इस लाइव कार्यक्रम को देख रहे मेरे भाइयो-बहनों, कनाडा में भी अनेक हिस्सों में देख रहे हैं और भाइयो-बहनों, भारत में भी मैं अभी जब आपके सामने बोल रहा हूँ, हिन्दुस्तान की बीस लीडिंग टीवी चैनल्स आपके इस कार्यक्रम को लाइव टेलिकास्ट कर रही है। पूरा हिन्दुस्तान भी इस कार्यक्रम को देख रहा है और इस अर्थ में ‘ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी’ का ये प्रयास अभिनंदनीय है, सराहनीय है। सभी समाज के लोग जुड़ें, अपने दायरे से ऊपर उठ कर के सबको जोड़ें, अधिकतम, जितने भी समाज हमारे विश्व में फैले हुए हैं, सबको जोड़ें। ‘भारत एकता’ का एक माहौल हम बनाएं और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का सपना ले कर के हम कैसे आगे बढ़ें..! विश्व में फैले हुए हम सभी भारतीय ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’, इस मंत्र को लेकर के आगे बढ़ें और स्वामी विवेकानंद जी को सच्ची श्रद्धांजलि दें, इसी एक अपेक्षा के साथ, आप लोगों ने मेरा सम्मान किया, ये सम्मान गुजरात की जनता का है, ये विजय गुजरात की जनता का है, ये विजय विकास के प्रयासों का है, ये विजय विकास के मंत्र का है और आपके कारण इस काम को करने की और नई ताकत मिलेगी और नया हौसला बुलंद होगा। फिर एक बार मित्रों, मैं आप सबका बहुत-बहुत आभारी हूँ, ओवरसिज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी का, सभी आर्ग्रेनाइजर्स का, समाज के सभी लोगों का जो भी योगदान मिला है उन सबका मैं आभार व्यक्त करते हुए आपको निमंत्रण देता हूँ कि गुजरात आपका है, जब मन मर्जी पड़े आइए, अपना भाग्य अजमाइए, गुजरात का मजा लिजीए, गुजरात का टूरिज्म देखिए, हमारे शेर देखिए, दुनिया में जाकर के गुजरात के लायन का परिचय करवाइए, इसी अपेक्षा के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद..!
वंदे मातरम्..!
भारत माता की जय..!
जय हिन्द..!