मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्ठ नेतागण और जुस्से से भरे हुए कार्यकर्ता भाइयों और बहनों..! ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे उस एतिहासिक भवन में आकर के आपके बीच बातचीत करने का अवसर मिला है, जिस भवन की स्मृतियाँ गुरूदेव के साथ, सुभाष बाबू के साथ जुड़ी हुई हैं और उसके कारण एक अलग प्रकार के वाइब्रेशन की अनुभूति होती है, जब इन महापुरूषों का स्मरण करते हैं। ऐसे अनेक महापुरूष जिन्होंने देश के लिए जीवन खपा दिया और बंगाल ने त्याग और तपस्या के क्षेत्र में एक बहुत ऊंची मिसाल कायम की है। रामकृष्ण परमहंस की धरती, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की धरती, स्वामी विवेकानंद जी की धरती, अनेक तपस्वी, तेजस्वी महापुरूषों की धरती... इस धरती को मैं नमन करता हूँ..! 15 अप्रैल को आप नववर्ष मनाने जा रहे हैं। आपके नववर्ष के लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं..! और इस नववर्ष से आने वाले नववर्ष तक आपको इतनी ताकत मिले, आपको इतना जन समर्थन मिले, आपके शब्दों का इतना सामर्थ्य बढ़े, आपके परिश्रम की इतनी पराकाष्ठा हो कि शासक कोई भी क्यों ना हो, आपकी बात सुनने के लिए मजबूर हो। ये सामर्थ्य आपको प्राप्त हो, ऐसी मैं आप सबको शुभकामना देता हूँ..!

भाइयों-बहनों, आप जानते हैं कि मैं वर्षों तक संगठन के कार्य से जुड़ा था। संगठन के कार्य हेतु अनेक बार पश्चिम बंगाल का भी प्रवास किया था। कार्यकर्ताओं के साथ घंटों तक बातें करने का मुझे अवसर मिलता था। देश भर में संगठन के कार्य के लिए भ्रमण करने का सौभाग्य मिला था। अब दायित्व बदल गया और उसके कारण मैं गुजरात में अपनी शक्ति और समय लगा रहा हूँ। लेकिन जब भी मैं गुजरात के कार्यकर्ताओं से बात करता हूँ, तो मैं हमेशा उन प्रदेशों के कार्यकर्ताओं का जिक्र करता हूँ जिन प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को इतने कष्ट झेलने पड़ते हैं। राजनैतिक प्रतिस्पर्धी दुश्मन की तरह उनके साथ व्यवहार करते हैं। लोकतंत्र के नियमों का कोई पालन ना करते हुए, विपक्ष को खत्म कैसे करना है उसी का षडयंत्र करते रहते हैं। और उसके बावजूद भी सीने पर अनेक वार झेलते हुए, भारत माता का जयकार करते हुए, सालों से कार्यकर्ताओं ने अपने जीवन खपा दिए। उनके अपने परिवारों को खपा दिया है। और उन कार्यकर्ताओं की श्रेणी में चाहे केरल हो, चाहे नार्थ ईस्ट के प्रदेश हों, चाहे कश्मीर की धरती हो, या फिर चाहे वो मेरा बंगाल हो... ये सब कार्यकर्ता देशभर के कार्यकर्ताओं की प्रेरणा होते हैं..! आपको लगता होगा कि गुजरात में तीन बार विजयी हो गए तो नरेन्द्र मोदी कुछ बन गए। मित्रों, हम गुजरात के कार्यकर्ता आज भी आपके तप और तपस्या का स्मरण करके दौड़ने की ताकत पाते हैं। आपसे हमें प्रेरणा मिलती है क्योंकि आपके सामने कई वर्षों तक दूर-दूर तक सत्ता नजर नहीं आई है। जमानत बच जाए तो भी बहुत है, ये पता होने के बाद भी एक विचार के लिए, एक आदर्श के लिए, माँ भारती के कल्याण के इस यज्ञ में कुछ आहूति देने के लिए दो-दो चार-चार पीढ़ी खप गई..! आपका ये त्याग और तपश्चर्या, मेरे बंगाल के कार्यकर्ताओं का ये पसीना कभी ना कभी तो रंग लाएगा..! मुझे विश्वास है मित्रों, एक ऐसा समय आएगा, जब चारों तरफ से निराश हुआ बंगाल का नागरिक आपको सीने से लगाएगा, आपको सिर-आंखों पर बैठाएगा। ये बंगाल की भूमि है, जो बराबर तराशती है और एक बार तराशने का मार्ग स्वीकार किया तो लंबे अर्से तक आपको अवसर भी देती है। इस भूमि की ये विशेषता है।

भाइयों-बहनों, राजनीति का रूप बदल चुका है। आज से दस साल पहले राजनीति जिस ढंग से चल रही थी, अब उस ढंग से राजनीति करना किसी के बस का रोग नहीं है। आज हिन्दुस्तान में कोई भी नेता हो, कोई भी दल हो, कोई भी विचार हो, किसी भी प्रकार के आचार हो लेकिन सबको, चाहते हुए या ना चाहते हुए, विकास की बात करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जनता जर्नादन के सामने जा कर के विकास के मुद्दों पर विश्वास पैदा करने की कोशिश करनी पड़ती है। और भाइयों-बहनों, मैं आज भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में एक बड़े संतोष के साथ अपने साथियों के सामने सिर झुकाकर कहना चाहता हूँ कि हिन्दूस्तान की राजनीति में ये मूलभूत परिवर्तन लाने का यश अगर किसी को जाता है, तो वो गुजरात की धरती को जाता है। विकास के मुद्दे पर राजनीति हो सकती है। सामान्य मानवी शासन क्यों बनाता है, सरकार किसके लिए होती है..? कोई अमीर बीमार हो जाए तो उसको सरकारी अस्पताल की जरूरत होती है क्या? उसके घर तो दुनिया भर के डॉक्टर आकर के कतार में खड़े हो जाते हैं। अस्पताल की जरूरत होती है गरीब आदमी को। किसी अमीर के बेटे को पढ़ना है तो सैकड़ों शिक्षक आकर के घर के दरवाजे पर खड़े हो जाएंगे। सरकार का काम होता है गरीब बच्चों को शिक्षा देना। जो रूपयों से खेलते हैं उनको कठिनाइयों का पता नहीं होता है, लेकिन जो नौजवान अपनी विधवा माँ के सपनों को पूरा करने के लिए रात-रात भर फुटपाथ की लाइट के नीचे बैठ कर के पढ़ाई करता है, उस बच्चे को अपनी माँ के सपनों को पूरा करने के लिए रोजगार चाहिए, और ये रोजगार की चिंता करना सरकार का काम है। इन मूलभूत विषयों पर देश के शासकों को आने के लिए हमने मजबूर किया है और इसके कारण भारत सरकार को हर पल अपने किये हुए कामों का हिसाब देना पड़ता है। मित्रों, क्या कारण है कि इतने कम समय में दिल्ली में बैठी हुई सरकार के प्रति इतनी नफरत पैदा हो गई..! मीडिया के मित्रों ने दिल्ली की सरकार को कोई कम मदद नहीं की है। जितना बचा सकते हैं बचाया, जितनी मदद कर सकते हैं कर रहे हैं..! इस देश के अंदर हमेशा शासन के साथ जुड़ जाने वाला एक वेस्टेड इन्ट्रेस्ट ग्रुप है। उन्होंने क्या कुछ नहीं किया इस सरकार की इज्जत बचाने के लिए। ढेर सारी कोशिशें की, लेकिन उसके बावजूद भी हिन्दुस्तान के चप्पे-चप्पे में, हिन्दुस्तान के जन-जन के मन में ये दिल्ली में बैठी हुई सरकार के प्रति नफरत क्यों हैं, इतना आक्रोश क्यों है..? मित्रों, मैं राजनीति में तो बड़ी देर से आया, लेकिन सालों तक जिंदगी सांस्कृतिक और सामाजिक कामों में लगाई थी। राजनीति में नहीं था, लेकिन अभ्यास करने का स्वभाव था, देखता था। मित्रों, मैं अनुभव के आधार पर कहता हूँ और एक राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी के रूप में कहता हूँ कि इस दिल्ली के तख्त पर आजादी के बाद शायद ये पहली सरकार ऐसी है जिसके प्रति इतनी भयंकर घृणा और नफरत का माहौल है। मित्रों, कभी शासन के प्रति राजी-नाराजी होना एक बात है। कभी किसी एक छोटी सी घटना पर गुस्सा होना स्वाभाविक है। लेकिन नफरत, घृणा, अविश्वास की स्थिति इस देश में पहले कभी नहीं आई थी, जो आज आई है। और इसके लिए संपूर्ण रूप से कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार है। कांग्रेस पार्टी इस हद तक अपने स्वार्थ को लेकर के आगे बढ़ रही है कि कुछ भी बुरा हो जाए, और मान लीजिए वो बुरा नॉन यू.पी.ए. स्टेट में होता है तो उछल-उछल कर के उस राज्य को बदनाम करने में पूरी शक्ति लगा देते हैं और अगर यू.पी.ए. स्टेट में कहीं होता है या सेंट्रल गवर्नमेंट में होता है तो बेशर्मी के साथ सारे पाप अपने साथी पक्षों के सिर पर डाल देते हैं। बड़ी चतुराई है उनकी, जैसे उनका तो कोई गुनाह ही नहीं है, उनकी तो कोई जिम्मेवारी ही नहीं है, उनका तो कोई दायित्व ही नहीं है..! भाइयों-बहनों, क्या हम लोगों के रहते हुए ऐसी कांग्रेस पार्टी इस देश में रहनी चाहिए..? सत्ता के गलियारों में उसको प्रवेश मिलना चाहिए..? देश का शासन करने का अवसर मिलना चाहिए..? क्या उसको धरती पर से उखाड़ फैंकना हमारा कर्तव्य नहीं है..? भाइयों-बहनों, पूरे देश के अंदर कौन सत्ता में आए कौन ना आए इसके लिए नहीं, लेकिन देश को बर्बादी से बचाने के लिए कांग्रेस मुक्त हिन्दुस्तान बनाने का हमारा सपना होना चाहिए..!

भाइयों-बहनों, क्या कारण है कि जब भी विकास की चर्चा होती है, तो गुजरात का जिक्र होता है..! क्या कारण है? जो लोग गुजरात को प्रेम करते हैं, जिनके दिल में गुजरात के प्रति नाराजगी नहीं है, वे क्या कहते हैं? देखो, गुजरात में ऐसा हुआ..! देखो, गुजरात ने क्या किया..! और जिनको गुजरात पंसद नहीं है, वे क्या कहते हैं..? वे कहतें हैं कि देखिए, इसमें हम गुजरात से भी आगे हैं..! यानि पंसद हो तो भी और पसंद ना हो तो भी, पैरामीटर गुजरात है। अच्छा किया तो कहना पड़ता है गुजरात से अच्छा किया, बुरा किया तो हिसाब लगता है कि भाई, गुजरात तक हम क्यों पहुंच नहीं पाए हैं..! ये स्थिति क्यों पैदा हुई..? मैं देश के पॉलिटिकल पंडितों को निमंत्रण देता हूँ। बंगाल की धरती तो विद्घान लोगों की धरती है, सच्चाई और ईमानदारी के साथ रहने का साहस रखने वाले लोग आज भी बंगाल की धरती पर हैं। क्या समय की मांग नहीं है, स्थितियों का तकाजा नहीं है कि हम इस देश की राजनैतिक गतिविधियों के मॉडल का अध्ययन करें? अब कोई चीज छिपी हुई नहीं है। इस देश ने करीब-करीब 50 साल तक कांग्रेस पार्टी का शासन देख लिया है। इस देश ने केरल, बंगाल और त्रिपुरा में कम्युनिस्टों का शासन देख लिया है। इस देश ने परिवारवाद वाली पार्टीओं का शासन देख लिया है। इस देश ने प्रादेशिक पक्षों के द्वारा चल रही सरकारें देख लीं है। इस देश ने भारतीय जनता पार्टी की सरकारें भी देख लीं है। एक प्रकार से पिछले साठ वर्षों में पाँच अलग-अलग प्रकार की सरकारों के मॉडल इस देश में कार्यरत रहे हैं। उन सभी सरकारों का उत्तम से उत्तम समय उठा लिया जाए, पचास-सौ पैरामीटर तय किये जाएं और किस सरकार ने अपने पाँच साल के कार्यकाल में क्या काम किया, जनता की भलाई के लिए क्या काम किया, विकास के लिए क्या काम किया, शुचिता की दृष्टि से क्या काम किया, समाज का विश्वास पाने की दिशा में क्या काम किया..! अलग-अलग मापदंड लेकर के इसको तय किया जाए और फिर लेखा-जोखा लिया जाए, तो सच्चे अर्थ में देश की भलाई के लिए काम करने वाली कौन सी सरकारें हैं, सामान्य मानवी की भलाई के लिए काम करने वाली कौन सी सरकारें हैं इसका लेखा-जोखा हो जाएगा..! और मित्रों, मैं बिल्कुल विश्वास से कहता हूँ कि जिस दिन इन पाँच प्रकार की सरकारों के मॉडल का इवेल्यूशन होगा, भारतीय जनता पार्टी उत्तम से उत्तम पर्फॉर्मर के रूप में देश के सामने आएगी..!

आप मुझे बताईए मित्रों, इतने सालों तक कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में राज किया। पंचायत से पार्लियामेंट तक एक ही दल का शासन था। विरोध पक्ष तो था ही नहीं। पाँच-पन्द्रह लोग आपस में मिलकर मुश्किल से जीतकर आते थे। वो दिन थे जब मीडिया इतना वाइब्रेंट नहीं था, वो दिन थे जब ज्यूडिशियल एक्टिविज्म नहीं था, वो दिन थे जब एन.जी.ओ. की भरमार नहीं थी, वो दिन थे जब कोर्ट में पी.आई.एल. करके तुफान खड़ा करने की परंपरा नहीं थी। तीन दशक पूरी तरह ऐसे गए हैं कि जिसमें कांग्रेस को कोई पूछने वाला नहीं था। वो जो करें वो आखिरी, ऐसा माहौल था। इतना अच्छा अवसर मिलने के बाद भी, इतनी सुविधा रहने के बाद भी, रूकावटों का नामोंनिशान ना होने के बादजूद भी, क्या कारण था कि कांग्रेस पार्टी इस देश को कुछ नहीं दे पाई..! आज हम लोग अगर सत्ता में हैं तो कभी सी.बी.आई. आकर के धमकती है, कोई हफ्ता ऐसा नहीं गया कि कोई पी.आई.एल. सुप्रीम कोर्ट में ना की गई हो, मीडिया के मित्रों के माध्यम से कोई हमला ना हुआ हो, एन.जी.ओं. ने कोई तूफान ना खड़ा किया हो, विपक्ष काम को रोकने के लिए पूरी ताकत से लगा हुआ हो... इतने विरोध-अवरोध के बीच चाहे डॉ. रमन सिंह जी की छत्तीसगढ़ की सरकार हो, चाहे शिवराज सिंह जी की मध्य प्रदेश की सरकार हो, चाहे हिमाचल में प्रेम कुमार धूमल जी की सरकार हो, चाहे राजस्थान में वसुंधरा राजे जी की सरकार हो, चाहे कर्नाटक में शेट्टर की सरकार हो, चाहे गोवा में मनोहर पारिकर जी की सरकार हो... जहाँ-जहाँ भारतीय जनता पार्टी को सरकारें चलाने का अवसर मिला है, एक भी सरकार पर भ्रष्टाचार के कोई गंभीर आरोप नहीं लगे हैं। उन सरकारों के कार्यकाल को देखा जाए। जनता की भलाई के उत्तम से उत्तम निर्णय किये हैं और उत्तम से उत्तम प्रकार से उन्होंने डिलीवरी देकर के दिखाया है।

कम्युनिस्टों ने बंगाल में सरकार चलाई, बताने की जरूरत नहीं है, क्या हालत कर दी है..? तबाह कर दिया इस प्रदेश को, बर्बाद कर दिया..! केरल को क्या दिया उन्होंने..? चुनाव जीतने के नए-नए तौर तरीके खोजने में ही वो पाँच साल लगे रहते हैं। पूरी शक्ति, सरकारी अधिकारियों की अपॉइंटमेंट तक, चुनाव जीतने के लिए काम कौन आएगा, उसी को लेकर के चलते रहे हैं। अपने विरोधियों को प्रताड़ित करना, उनको परेशान करना, उनको जिंदगी से हाथ धोने पड़े, सार्वजनिक जीवन छोड़ना पड़े... यहाँ तक उन पर जुल्म करना, यही काम इन लोगों ने किए हैं..! और उसके बावजूद भी जनता की आशा-आकांक्षा को पूर्ण करने वाले कोई परिणाम नजर नहीं आते हैं। मित्रों, मजदूरों की भलाई का नाम लेकर सरकार चलाने वाले ये लोग हैं, मैं उनको पूछना चाहता हूँ। अभी-अभी भारत सरकार का एक रिपोर्ट आया है। वो रिपोर्ट ये कह रहा है कि पूरे हिन्दुस्तान में कम से कम नौजवान बेरोजगार कहीं हैं, तो वो राज्य का नाम गुजरात है। और जहाँ ये यू.पी.ए. वाली सरकारें हैं, जहाँ ये कम्यूनिस्टों की सरकारें हैं वहाँ सबसे अधिक नौजवान बेरोजगार हैं। क्या दिया आपने..? और इसलिए भाइयो-बहनों, अध्ययन करके, बारिकियों की जानकारियों के साथ, देश की युवा पीढ़ी को, देश के नागरिकों को प्रशिक्षित करना हमारा दायित्व है कि भले ही हम छोटे होंगे, भले आज कगार में हमारी उपस्थिति कम होगी, लेकिन हमने जो रास्ता चुना है उस रास्ते ने कई राज्यों का भला किया है और बंगाल का भी भला हम कर सकते हैं, जनता में इस बात का विश्वास हम पैदा कर सकते हैं।

मित्रों, कांग्रेस पार्टी में एक विवाद चल रहा है कि एक ‘पावर सेंटर’ हो कि दो ‘पावर सेंटर’ हो..! मुझे समझ नहीं आता है कि इस विवाद से हम क्या समझें..! आप मुझे बताइए मित्रों, कि ये पावर सेंटर बाद की बात है, कहीं पावर नजर आ रहा है..? पावर हो तो फिर कितने पावर सेंटर हो ये बाद में चर्चा करें, अभी तो पावर ही नजर नहीं आ रहा है..! और सिर्फ बैटरी बदलने से गाड़ी चलने वाली नहीं है। मित्रों, आप यहीं बंगाल में कांग्रेस के सौ कार्यकर्ताओं को मिलिए। मैं ये पत्रकार मित्रों से एक छोटी सी प्रार्थना करके जाना चाहता हूँ। और मुझे विश्वास है कि बंगाल के पत्रकार मेरे प्रति बहुत ही प्रेम रखते हैं, वो जरूर ये मेरा काम करेंगे..! आप कांग्रेस के सौ कार्यकर्ताओं का सहज रूप में एक इंटरव्यू लीजिए। छोटा-मोटा कोई भी हो, एक सवाल पूछिए। उसको पूछिए, देश का नेता कौन है..? मैं कांग्रेस के लोगों का इन्टरव्यू करने के लिए कह रहा हूँ। मित्रों, आप देखना सौ में से एक भी व्यक्ति डॉ. मनमोहन सिंह जी का नाम नहीं बोलेगा..! जो पार्टी अपने प्रधानमंत्री को नेता मानने को तैयार ना हो, जो पार्टी अपने प्रधानमंत्री को देश का नेता मानने को तैयार ना हो, पार्टी का नेता मानने को तैयार ना हो, वो प्रधानमंत्री देश का नेतृत्व कैसे कर सकते हैं..? उनकी अपनी पार्टी उनको स्वीकार नहीं कर रही है..! आप पूछ लीजिए, मुझे बंगाल के पत्रकारों की ईमानदारी पर विश्वास है कि वो जरूर जाएंगे, पूछ कर के आएंगे और कल अखबार में छापेंगे भी..! क्या हालत करके रखी है, दोस्तों..! कोई भी ऐसा क्षेत्र है, जहाँ पर कांग्रेस के मित्र विश्वास से कह सके कि हमने ये काम किया..? एक नेता तो जहाँ भी जाते हैं तो ये कहते हैं कि हमने मोबाइल दिया..! आपमें से सबके पास मोबाइल है ना... आपको किसी ने गिफ्ट में दिया है..? सीधा बैंक में ट्रान्सफर हो करके आया था..? अपनी जेब के पैसों से लाए हो ना..? फिर भी बताइए, ये कितना बड़ा झूठ बोलते हैं कि मोबाइल फोन हमने दिया..! आप इनकी हिम्मत देखिए और ये देश देखिए कि उनको सवाल नहीं पूछ रहा है कि भाई, तुम ये कैसे कह रहे हो कि ये मोबाइल फोन हमने दिया है..? एक बार मेरे यहाँ चुनाव में उनके एक नेता आए थे और उन्होंने एक भाषण दिया कि देखिए, आपकी जेब में जो मोबाइल फोन है वो हमने दिया है..! तो उसके बाद मेरा भी एक जगह पर भाषण था। मैंने कहा, मोबाइल दिया या ना दिया ये तो भगवान जाने, लेकिन चार्जर का क्या? बिजली तो है नहीं, वो चार्ज कहाँ करवाएगा? पहले बिजली तो दो..!

मित्रों, ये कैसे देश चला रहे हैं..? उनको लगता है कि तिजोरी लुटा देने का मतलब है आर्थिक प्रगति की ओर जाना..! यहाँ बैठा हुआ कोई भी व्यक्ति, आपके पास अगर पाँच हजार रूपया है तो पाँच हजार रूपये में तीन दिन में बढ़िया -बढ़िया मिष्टी दही ले आए, रसगुल्ले ले आए, संदेश ले आए, और पाँच हजार रूपया उड़ा दिया..! आप मुझे बताइए कि आपके पाँच हजार रूपये का ये सही मैनेजमेंट है क्या..? पेट भरा, मीठा लगा, अच्छा भी लगा लेकिन ये सही मैनेजमेंट है क्या? लेकिन कोई और व्यक्ति अगर पाँच हजार में से सात हजार कैसे हो, दस हजार कैसे हो, फिर दस हजार में से दो हजार किसी अच्छे काम में खर्च करें, फिर पाँच हजार के आठ हजार हो, फिर उसमें से तीन हजार खर्च करें... इसको आयोजन कहते हैं की नहीं कहते? मित्रों, दिल्ली की सरकार उड़ाने में लगी हुई है और रूपये आपके जा रहे हैं..! ये लोग जनता जर्नादन के पैसे को उड़ा रहे हैं और जनता कब तक चुप रहेगी..? अपने राजनैतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए हिन्दुस्तान की जनता ने दिन-रात मेहनत करके जो टैक्स चुकाए हैं, उन टैक्स के पैसों को राष्ट्र के विकास में उपयोग करने के बजाए अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए खर्च किया जा रहा है, और ये देश के साथ सबसे बड़ा धोखा है। कभी-कभी क्या कहते हैं कि हमने आर.टी.आई. का कानून दिया। अभी चार दिन पहले मैंने पढ़ा कि भारत के प्रधानमंत्री के कार्यालय में किसी नागरिक ने चिट्ठी लिख कर कुछ जानकारी माँगी और देश के प्रधानमंत्री के कार्यालय से उस जानकारी देने से मना कर दिया गया..! अगर आप मना करते हो तो आर.टी.आई. के नाम पर गीत गाने का अधिकार आपको किसने दिया..? आप जानकारी तो देते नहीं हैं और अगर आप जानकारी देते नहीं हो तो जानकारी देने के कानून के नाम पर आप रोजी-रोटी कमाने निकले हो..? भाइयों-बहनों, आज देश की हालत ऐसी है, मैं कल दिल्ली में एक सेमिनार में था, ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’। तो मैंने काफी देर तक अपना भाषण सुनाया और बोलते-बोलते मुझे विचार आया कि दिल्ली में ये सब बोलने से क्या मतलब है..? मैंने कहा भाई, विषय तो है ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’, लेकिन आज तो देश में ‘नो गवर्नमेंट, नो गवर्नेंस’, तो उसका क्या करें..? सरकार की अनुभूति ही नहीं हो रही है, मित्रों। ना कोई अच्छी खबर आती है, ना कोई सुनवाई की व्यवस्था है। मैं कभी-कभी कांग्रेस के मित्रों को पूछता हूँ कि हटाओ यार, बाकी सब छोड़ो, पिछले एक साल में देश के लिए दस अच्छे काम किये हों तो जरा बता दो मुझे..! अच्छे से कांग्रेसी मित्र बता नहीं पाते हैं..! ज्यादा से ज्यादा तिजोरी हमने कैसे लुटाई इसकी गिनती करते हैं..! भाइयों-बहनों, अगर ये ही स्थिति रही तो क्या होगा..!

मित्रों, आप देखिए, कॉमनवैल्थ गेम्स का कौभांड हुआ। दुनिया की सबसे ताकतवर सरकार कोई थी तो दिल्ली में थी। सबसे बड़ी सरकार थी तो दिल्ली में थी। ऊपर-नीचे जितनी सरकारों के लेयर हैं, सारी की सारी उनकी सरकारें थी। सब कुछ उनका होने के बाद भी सारी दुनिया में हमारी नाक कट गई और कॉमनवेल्थ गेम्स के अंदर अरबों-खरबों रूपये का भ्रष्टाचार हो गया। और उसके बावजूद भी उनका तो कोई दायित्व ही नहीं..! जैसे रेनकोट पहन कर के बाथरूम में नहा रहे हो..! मैं हैरान हूँ, मित्रों..! और देश से पहली दफा मैं पूछ रहा हूँ कि इनको कैसे माफ किया जा सकता है..! कैसे इनके पापों को स्वीकार किया जा सकता है..!

मित्रों, इस देश के अंदर इन दिनों एक चर्चा चल रही है कि ग्रोथ रेट डाउन हो गया है, ग्रोथ रेट डाउन हो गया है..! क्यों हो गया, भाई..? आपको यदि विकास दर चाहिए तो आपको आर्थिक गतिविधि चाहिए। कृषि में काम होना चाहिएम, मैन्यूफैक्चरिंग में काम होना चाहिए, सर्विस सेक्टर में काम होना चाहिए..! लेकिन कारखाने कैसे चलेंगे यहाँ..? अगर बिजली नहीं है तो कारखाने कैसे चलेंगे? कारखाने नहीं चलेंगे तो नौजवानों को रोजगार कहाँ से मिलेगा..? कारखाने नहीं चलेंगे तो इकोनॉमी कैसे मोबालाइज होगी..? मोमेंटम कहाँ से आएगा..? और कारखाने चल क्यों नहीं रहे हैं, तो कहेंगे कि बिजली नहीं है। बिजली क्यों नहीं है..? क्या बिजली के कारखाने नहीं है..? बिजली के कारखाने हैं, अरबों-खरबों रूपए लग चुके हैं। कारखाने खड़े पड़े हैं, लेकिन बिजली पैदा नहीं करते। बिजली पैदा क्यों नहीं करते..? क्योंकि कोयल नहीं है..! कोयला क्यों नहीं है, क्योंकि कोयला खदान में है। कोयला खदान में क्यों है..? क्योंकि अभी हमने पॉलिसी तैयार नहीं की है..! कितने साल हो गए? तीन साल हो गए..! कब करोगे, 2014 तक तो रहने वाले नहीं हो..! आप मुझे ये बताईए मित्रों, ये सारी जिम्मेवारियाँ उनकी है कि नहीं..? आज देश में एक तरफ अंधेरा है, लोगों को बिजली नहीं मिल रही, बिजली नहीं मिलने के कारण कारखाने बंद हो रहे हैं और दूसरी तरफ 30,000 मेगावॉट बिजली पैदा करने की क्षमता वाले कारखाने फ्यूल के अभाव में बंद पड़े हुए हैं। कौन जिम्मेदार..? जितना पैसा लगना था लग गए, कारखाने खड़े हो गए... कोयला नहीं है। ये कोयला नहीं होने के कारण ये हालत हो गई है। और मित्रों, हिन्दुस्तान की सरकार की हालत देखिए..! हमारे अड़ौस-पड़ौस के छोटे-छोटे देश जहाँ पर कोयले की खदान है, जब हिन्दुस्तान में कोयला आना बंद हो गया और कोयले की कोई परमिशन नहीं मिल रही है, तो व्यापारियों ने तय किया कि भाई, चलो इंडोनेशिया से या ऑस्ट्रेलिया से, अलग छोटे-मोटे देशों से कोयला लाएंगे, अफ्रिकन कंट्री से कोयला लाएंगे..! भारत सरकार की इस पॉलिसी पैरालिसिस के कारण उन देशों को पता चल गया कि हिन्दुस्तान में बिजली के कारखाने बंद पड़े हैं, उन्हें कोयले की जरूरत है और हिन्दुस्तान की सरकार कोयला दे नहीं पाएगी, तो रातोंरात उन्होंने दाम बढ़ा दिए। और ये दिल्ली में बैठी हुई सरकार छोटे-छोटे देशों पर भी दबाव नहीं पैदा कर सकती कि आपने जो दाम पर सौदा किया था उस दाम से आपको कोयला देना पड़ेगा और हिन्दुस्तान को कोयला देने से आप मुकर नहीं सकते, इतना कहने की ताकत ये दिल्ली की सरकार में नहीं है। हर छोटा मोटा देश दबा देता है, मैं हैरान हूँ..! और ऐसा होता क्यों है..? क्या उनके जो साथी दल है उनके कारण हो रहा है..? कांग्रेस जिम्मेवारी लेने को तैयार नहीं है। ये इसलिए हो रहा है, दुनिया आपको इसलिए सुनती नहीं है क्योंकि खुद कांग्रेस का विदेश मंत्री यू.एन.ओ. के अंदर जब भाषण करने के लिए खड़ा होता है और किसी दूसरे देश का कागज पढ़ने लग जाता है, तो पूरे विश्व को लगता है कि यार, सच में ये तो गए बीते लोग हैं, ये सब गॉन केस है, फ़ाइल कर दो..! मित्रों, विश्व के नक्शे पर हिन्दुस्तान की ऐसी बेइज्जती कभी नहीं हुई, जितनी बेइज्जती इस सरकार के कारण हुई है..! सारी दुनिया में अपना नाम खराब होता चला जा रहा है। विश्व में कोई हम पर विश्वास नहीं करता। आपका अच्छा व्यापार हो, अच्छी प्रोडक्ट हो तो भी विदेशों के बायर आपके साथ व्यापार करने से डर रहे हैं। आप स्वतंत्र होने के बावजूद डर रहे हैं, क्यों..? क्योंकि उनको भरोसा नहीं है कि भारत सरकार की नीति कब बदल जाएगी और बायर ने जो सौदा किया है वो फुलफिल नहीं होगा, तो हमारे पैसे डूब जाएंगे..! भाइयो-बहनों, ये स्थिति है..!

मित्रों, बिच में हमने देखा, गरीबों को अन्न नहीं मिल रहा है। राशन कार्ड है, गेहूँ नहीं मिल रहे हैं, चावल नहीं मिल रहे हैं, केरोसीन नहीं मिल रहा है और दूसरी तरफ अखबारों में और टी.वी. पर खबरें आ रही हैं कि बोरियाँ की बोरियाँ पानी में भीग रही हैं, सड़ रही हैं..! देश के किसान ने परिश्रम से पैदा किया हुआ अन्न सड़ रहा है। किसी ने पी.आई.एल. कर दी, तो सुप्रीम कोर्ट ने डंडा चलाया कि सारे अनाज के जो भंडार भरे पड़े हैं, अगर उसको संभाल नहीं सकते हो तो गरीबों को बाँट दो। ये दिल्ली की सरकार ने गरीबों को नहीं बाँटा। दिन-रात कहते हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट जो कहती है वो करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पचासों बार कहा लेकिन उन्होंने नहीं किया। और किया तो क्या किया..? भाइयों-बहनों, सुप्रीम कोर्ट संवेदना के साथ ये कहती है कि ये अन्न गरीबों को बाँटो, मगर दिल्ली में बैठी ये सरकार कहती है कि हम गरीबों में नहीं बाँटेंगे..! और किया तो क्या किया..? शराब बनाने वाले जो ठेकेदार थे, उन शराब के ठेकेदारों को 65 पैसे के दाम से ये अन्न दे दिया गया..! आप कहो, क्या इन पर भरोसा कर सकते हैं..? और इसलिए भाइयो-बहनों, समय का तकाजा है, समय की माँग है कि हम सभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता देश के सामान्य मानवी के आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए, आजादी के लिए शहीद होने वाले महापुरूषों ने जो सपने संजोए थे उन सपनों को पूरा करने के लिए, स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती जब देश मना रहा है तब विवेकानंद जी के उन सपनों को पूरा करने के लिए, भारतीय जनता पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता को इस देश में से कांग्रेस पार्टी का उखाड़ फैंकने का संकल्प करके आगे बढ़ना चाहिए..! इस देश को तोड़ने वाली, इस देश को कठिनाइयों में डालने वाली सारी शक्तियों को परास्त करने का संकल्प करना होगा। और मित्रों, मैं विश्वास से कहता हूँ, वक्त बहुत तेजी से बदल रहा है। कांग्रेस पार्टी के मित्रों को पता तक नहीं है, हमेशा कांग्रेस पार्टी का झंडा ले कर घूमने वालों को पता नहीं है, वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप को पता नहीं है कि कितनी तेजी से कांग्रेस पार्टी का डिटीरीओरेशन हो रहा है..! राजी-नाराजी के तराजू से हिन्दुस्तान की राजनीति का विश्लेषण करने का वक्त चला गया है। अब तक हिन्दुस्तान में जो पॉलिटिकल एनालिसिस हुए हैं वो सरकार या पक्ष या नेता के सामने राजी-नाराजी का माहौल कैसा है उसके आधार पर हुए हैं, पहली बार हिन्दुस्तान की राजनीति में नफरत और घृणा के मापदंड पर ये कांग्रेस पार्टी को तोला जाएगा..! ऐसी नफरत, ऐसी घृणा, ऐसा गुस्सा आज देश के कोने-कोने में है। कोई समस्या ऐसी नहीं है जिसको सुलझाने कि दिशा में उन्होंने कोई प्रमाणिक प्रयास किया हो, दो कदम भी चले हो..!

और इसलिए भाइयो-बहनों, माँ भारती की सेवा करने में लगे हुए भारतीय जनता पार्टी के लक्षावधी कार्यकर्ता अपने सामर्थ्य से, अपनी शक्ति से आने वाली हर चुनौती का सामना करते हुए, विजय का विश्वास लेकर के, गाँव-गाँव, गली-गली कमल खिलाने का सपना ले कर के, जिस धरती पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ, जिन्होंने सपने संजोए हैं ऐसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को पूरा करने के लिए आओ, हम अपनी पूरी ताकत से काम करें, हम कोई कमी ना रखें..! और जो लोग अपने आपको बड़े शहंशाह मानते हैं, उन सभी से मेरा आग्रह पूर्वक निवेदन है, ये मान कर चलिए कि ‘यावत चंद्र दिवाकरो’ आपका राज चलने वाला नहीं है..! जो बंगाल में मेरे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को परेशान कर रहे हैं उस सरकार के मुलाजिमों से भी मैं कहना चाहता हूँ कि लोकतंत्र में हर एक नागरिक का अधिकार होता है, उसको दबाने की कोशिश करने से कभी कोई सफलता किसीको दिला नहीं सकते..! भारतीय जनता पार्टी, बंगाल का कार्यकर्ता खूंखार से खूंखार ताकतों के खिलाफ लड़ कर के आज भी आगे बढ़ सकता है। रुकना, थकना, झुकना ये हमारा चरित्र नहीं है, ये हमारे संस्कार नहीं हैं। हम भाजपा के कार्यकर्ता मौत को मुट्ठी में लेकर निकले हुए लोग हैं। माँ भारती के कल्याण के लिए निकले हुए लोग हैं। हमें कोई चुनौती ना दें..! और अगर ये कोशिशें होती रहेंगी तो भारतीय जनता पार्टी और अधिक ताकत से आगे बढ़ेगी..!

आज कल मैं देख रहा हूँ कि मेरा कहीं पर भी कोई भाषण होता है, तो यहाँ मेरा भाषण पूरा हो जाए उससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय से ट्वीट करके उसके जवाब दिए जाते हैं..! ये प्रधानमंत्री कार्यालय से होता है और तुरंत, यानि अभी तो मेरा भाषण पूरा हुआ नहीं और मैं मंच से वहाँ बैठने जाऊँगा तब तक तो दो-तीन चीजें छोड़ देते हैं वहाँ..! और सरासर झूठ, सरासर झूठ... कौन पूछने वाला है? ये ही चल रहा है..! मेरे कांग्रेस के मित्रों, देश की जनता की समझदारी पर शक मत किया करो। ये देश की जनता को पूरी समझ है कि सच क्या है..? दूध का दूध और पानी का पानी कैसे होता है, ये देश की जनता भली-भांति जानती है। कांग्रेस की कोशिशों से कुछ निकलने वाला नहीं है और सत्य सीना तान कर के प्रकट हो कर के रहेगा इसी विश्वास के साथ हम आगे बढ़ें..! मित्रों, आपने मेरा सम्मान किया, प्यार दिया, इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ..!

धन्यवाद..!

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140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

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संविधान हमारा मार्गदर्शक है: पीएम मोदी
देश के नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से एक खास वेबसाइट बनाई गई है: पीएम
महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी
हमारे फिल्म और मनोरंजन उद्योग ने 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की भावना को मजबूत किया है: पीएम
राज कपूर जी ने फिल्मों के माध्यम से दुनिया को भारत की सॉफ्ट पावर से परिचित कराया: पीएम मोदी
रफी साहब की आवाज में वो जादू था जो हर दिल को छू लेता था: पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में महान गायक को याद किया
कैंसर से लड़ने का एक ही मंत्र है - जागरूकता, कार्रवाई और भरोसा: पीएम मोदी
आयुष्मान भारत योजना ने कैंसर के इलाज में होने वाली वित्तीय समस्याओं को काफी हद तक कम कर दिया है: पीएम मोदी

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | 2025 बस अब तो आ ही गया है, दरवाजे पर दस्तक दे ही रहा है | 2025 में 26 जनवरी को हमारे संविधान को लागू हुए 75 वर्ष होने जा रहे हैं | हम सभी के लिए बहुत गौरव की बात है | हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें जो संविधान सौंपा है वो समय की हर कसौटी पर खरा उतरा है | संविधान हमारे लिए guiding light है, हमारा मार्गदर्शक है | ये भारत का संविधान ही है जिसकी वजह से मैं आज यहाँ हूँ, आपसे बात कर पा रहा हूँ | इस साल 26 नवंबर को संविधान दिवस से एक साल तक चलने वाली कई activities शुरू हुई हैं | देश के नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से एक खास website भी बनाई गई है | इसमें आप संविधान की प्रस्तावना पढ़कर अपना video upload कर सकते हैं | अलग-अलग भाषाओं में संविधान पढ़ सकते हैं, संविधान के बारे में प्रश्न भी पूछ सकते हैं | ‘मन की बात’ के श्रोताओं से, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से, कॉलेज में जाने वाले युवाओं से, मेरा आग्रह है, इस website पर जरूर जाकर देखें, इसका हिस्सा बनें |

साथियो,

अगले महीने 13 तारीख से प्रयागराज में महाकुंभ भी होने जा रहा है | इस समय वहां संगम तट पर जबरदस्त तैयारियाँ चल रही हैं | मुझे याद है, अभी कुछ दिन पहले जब मैं प्रयागराज गया था तो हेलिकॉप्टर से पूरा कुम्भ क्षेत्र देखकर दिल प्रसन्न हो गया था | इतना विशाल! इतना सुंदर! इतनी भव्यता!

साथियो,

महाकुंभ की विशेषता केवल इसकी विशालता में ही नहीं है | कुंभ की विशेषता इसकी विविधता में भी है | इस आयोजन में करोड़ों लोग एक साथ एकत्रित होते हैं | लाखों संत, हजारों परम्पराएँ, सैकड़ों संप्रदाय, अनेकों अखाड़े, हर कोई इस आयोजन का हिस्सा बनता है | कहीं कोई भेदभाव नहीं दिखता है, कोई बड़ा नहीं होता है, कोई छोटा नहीं होता है | अनेकता में एकता का ऐसा दृश्य विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा | इसलिए हमारा कुंभ एकता का महाकुंभ भी होता है | इस बार का महाकुंभ भी एकता के महाकुंभ के मंत्र को सशक्त करेगा | मैं आप सबसे कहूँगा, जब हम कुंभ में शामिल हों, तो एकता के इस संकल्प को अपने साथ लेकर वापस आयें | हम समाज में विभाजन और विद्वेष के भाव को नष्ट करने का संकल्प भी लें | अगर कम शब्दों में मुझे कहना है तो मैं कहूँगा...

महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश |

महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश |

और अगर दूसरे तरीके से कहना है तो मैं कहूँगा...

गंगा की अविरल धारा, न बँटे समाज हमारा ||

गंगा की अविरल धारा, न बँटे समाज हमारा ||

साथियो,

इस बार प्रयागराज में देश और दुनिया के श्रद्धालु digital महाकुंभ के भी साक्षी बनेंगे | Digital Navigation की मदद से आपको अलग-अलग घाट, मंदिर, साधुओं के अखाड़ों तक पहुँचने का रास्ता मिलेगा | यही navigation system आपको parking तक पहुँचने में भी मदद करेगा | पहली बार कुंभ आयोजन में AI chatbot का प्रयोग होगा | AI chatbot के माध्यम से 11 भारतीय भाषाओं में कुंभ से जुड़ी हर तरह की जानकारी हासिल की जा सकेगी | इस chatbot से कोई भी text type करके या बोलकर किसी भी तरह की मदद मांग सकता है | पूरा मेला क्षेत्र को AI-Powered cameras से cover किया जा रहा है | कुंभ में अगर कोई अपने परिचित से बिछड़ जाएगा तो इन कैमरों से उन्हें खोजने में भी मदद मिलेगी | श्रद्धालुओं को digital lost & found center की सुविधा भी मिलेगी | श्रद्धालुओं को मोबाईल पर government-approved tour packages, ठहरने की जगह और homestay के बारे में भी जानकारी दी जाएगी | आप भी महाकुंभ में जाएँ तो इन सुविधाओं का लाभ उठाएँ और हाँ #एकता का महाकुंभ के साथ अपनी selfie जरूर uplaod करिएगा |

साथियो,

‘मन की बात’ यानि MKB में अब बात KTB की, जो बड़े बुजुर्ग हैं, उनमें से, बहुत से लोगों को KTB के बारे में पता नहीं होगा | लेकिन जरा बच्चों से पूछिए KTB उनके बीच बहुत ही superhit है | KTB यानि कृष, तृष और बाल्टीबॉय | आपको शायद पता होगा बच्चों की पसंदीदा animation series और उसका नाम है KTB – भारत हैं हम और अब इसका दूसरा season भी आ गया है | ये तीन animation character हमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन नायक-नायिकाओं के बारे में बताते हैं जिनकी ज्यादा चर्चा नहीं होती | हाल ही में इसका season-2 बड़े ही खास अंदाज में International Film Festival of India, Goa में launch हुआ | सबसे शानदार बात ये है कि ये series न सिर्फ भारत की कई भाषाओं में बल्कि विदेशी भाषाओं में भी प्रसारित होती है | इसे दूरदर्शन के साथ-साथ अन्य OTT platform पर भी देखा जा सकता है |

साथियो,

हमारी animation फिल्मों की, regular फिल्मों की, टीवी serials की, popularity दिखाती है कि भारत की creative industry में कितनी क्षमता है | यह industry न सिर्फ देश की प्रगति में बड़ा योगदान दे रही है, बल्कि, हमारी economy को भी नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है | हमारी Film & Entertainment industry बहुत विशाल है | देश की कितनी ही भाषाओं में फिल्में बनती हैं, creative content बनता है | मैं अपनी film और entertainment industry को इसलिए भी बधाई देता हूँ, क्योंकि उसने ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ के भाव को सशक्त किया है |

साथियो,

वर्ष 2024 में हम फिल्म जगत की कई महान हस्तियों की 100वीं जयंती मना रहे हैं | इन विभूतियों ने भारतीय सिनेमा को विश्व-स्तर पर पहचान दिलाई | राज कपूर जी ने फिल्मों के माध्यम से दुनिया को भारत की soft power से परिचित कराया | रफ़ी साहब की आवाज में वो जादू था जो हर दिल को छू लेता था | उनकी आवाज अद्भुत थी | भक्ति गीत हों या romantic songs, दर्द भरे गाने हों, हर emotion को उन्होंने अपनी आवाज से जीवंत कर दिया | एक कलाकार के रूप में उनकी महानता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी युवा-पीढ़ी उनके गानों को उतनी ही शिद्दत से सुनती है - यही तो है timeless art की पहचान | अक्किनेनी नागेश्वर राव गारू ने तेलुगु सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है | उनकी फिल्मों ने भारतीय परंपराओं और मूल्यों को बखूबी प्रस्तुत किया | तपन सिन्हा जी की फिल्मों ने समाज को एक नई दृष्टि दी | उनकी फिल्मों में सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय एकता का संदेश रहता था | हमारी पूरी film industry के लिए इन हस्तियों का जीवन प्रेरणा जैसा है |

साथियो,

मैं आपको एक और खुशखबरी देना चाहता हूँ | भारत की creative talent को दुनिया के सामने रखने का एक बहुत बड़ा अवसर आ रहा है | अगले साल हमारे देश में पहली बार World Audio Visual Entertainment Summit यानि WAVES summit का आयोजन होने वाला है | आप सभी ने दावोस के बारे में सुन होगा जहां दुनिया के अर्थजगत के महारथी जुटते हैं | उसी तरह WAVES summit में दुनिया-भर के media और entertainment industry के दिग्गज, creative world के लोग भारत आएंगे | यह summit भारत को global content creation का hub बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है | मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि इस summit की तैयारी में हमारे देश के young creators भी पूरे जोश से जुड़ रहे हैं | जब हम 5 trillion dollar economy की ओर बढ़ रहे हैं, तब हमारी creator economy एक नई energy ला रही है | मैं भारत की पूरी entertainment और creative industry से आग्रह करूंगा – चाहे आप young creator हों या established artist, Bollywood से जुड़े हों, या regional cinema से, TV industry के professional हों, या animation के expert, gaming से जुड़े हों या entertainment technology के innovator, आप सभी WAVES summit का हिस्सा बनें |

मेरे प्यारे देशवासियो,

आप सभी जानते हैं कि भारतीय संस्कृति का प्रकाश आज कैसे दुनिया के कोने-कोने में फैल रहा है | आज मैं आपको तीन महाद्वीपों से ऐसे प्रयासों के बारे में बताऊंगा, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत के वैश्विक विस्तार की गवाह है | ये सभी एक दूसरे से मिलों दूर हैं | लेकिन भारत को जानने और हमारी संस्कृति से सीखने की उनकी ललक एक जैसी है |

साथियो,

Paintings का संसार जितना रंगों से भरा होता है, उतना ही खूबसूरत होता है | आप में से जो लोग टीवी के माध्यम से ‘मन की बात’ से जुड़े हैं, वे अभी कुछ paintings टीवी पर देख भी सकते हैं | इन Paintings में हमारे देवी-देवता, नृत्य की कलाएं और महान विभूतियों को देखकर आपको बहुत अच्छा लगेगा | इनमें आपको भारत में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं से लेकर और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा | इनमें ताजमहल की एक शानदार Painting भी शामिल है, जिसे 13 साल की एक बच्ची ने बनाया है | आपको ये जानकार हैरानी होगी इस दिव्यांग बच्ची ने अपने मुहँ से इस panting को तैयार किया है | सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन Painting को बनाने वाले भारत के नहीं, बल्कि Egypt के students हैं, वहाँ के विद्यार्थी हैं | कुछ ही हफ्ते पहले Egypt के करीब 23 हजार students ने एक painting प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था | वहाँ उन्हें भारत की संस्कृति और दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को बताने वाली paintings तैयार करनी थी | मैं इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले सभी युवाओं की सराहना करता हूँ | उनकी creativity की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है |

साथियो,

दक्षिण अमेरिका का एक देश है पराग्वे | वहाँ रहने वाले भारतीयों की संख्या एक हजार से ज्यादा नहीं होगी | पराग्वे में एक अद्भुत प्रयास हो रहा है | वहाँ भारतीय दूतावास में एरीका ह्युबर free आयुर्वेद consultation देती हैं | आयुर्वेद की सलाह लेने के लिए आज उनके पास स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं | एरीका ह्युबर ने भले ही engineering की पढ़ाई की हो, लेकिन उनका मन तो आयुर्वेद में ही बसता है | उन्होंने आयुर्वेद से जुड़े Courses किए थे और समय के साथ वे इसमें पारंगत होती चली गई |

साथियो,

ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है और हर हिन्दुस्तानी को इसका गर्व है | दुनियाभर के देशों में इसे सीखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है | पिछले महीने के आखिर में फ़िजी में भारत सरकार के सहयोग से Tamil Teaching Programme शुरू हुआ | बीते 80 वर्षों में यह पहला अवसर है, जब फ़िजी में तमिल के Trained Teachers इस भाषा को सिखा रहे हैं | मुझे ये जानकार अच्छा लगा कि आज फ़िजी के students तमिल भाषा और संस्कृति को सीखने में काफी दिलचस्पी ले रहे हैं |

साथियो,

ये बातें, ये घटनाएं, सिर्फ सफलता की कहानियाँ नहीं है | ये हमारी सांस्कृतिक विरासत की भी गाथाएं हैं | ये उदाहरण हमें गर्व से भर देते हैं | Art से आयुर्वेद तक और Language से लेकर Music तक, भारत में इतना कुछ है, जो दुनिया में छा रहा है |

साथियो,

सर्दी के इस मौसम में देश-भर से खेल और fitness को लेकर कई activities हो रही हैं | मुझे खुशी है कि लोग fitness को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना रहे हैं | कश्मीर में Skiing से लेकर गुजरात में पतंगबाजी तक, हर तरफ, खेल का उत्साह देखने को मिल रहा है | #SundayOnCycle और #CyclingTuesday जैसे अभियानों से Cycling को बढ़ावा मिल रहा है |

साथियो,

अब मैं आपको एक ऐसी अनोखी बात बताना चाहता हूँ जो हमारे देश में आ रहे बदलाव और युवा साथियों के जोश और जज्बे का प्रतीक है | क्या आप जानते हैं कि हमारे बस्तर में एक अनूठा Olympic शुरू हुआ है! जी हाँ, पहली बार हुए बस्तर Olympic से बस्तर में एक नई क्रांति जन्म ले रही है | मेरे लिए ये बहुत ही खुशी की बात है कि बस्तर Olympic का सपना साकार हुआ है | आपको भी ये जानकार अच्छा लगेगा कि यह उस क्षेत्र में हो रहा है, जो कभी माओवादी हिंसा का गवाह रहा है | बस्तर Olympic का शुभंकर है – ‘वन भैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’ | इसमें बस्तर की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखती है | इस बस्तर खेल महाकुंभ का मूल मंत्र है –

‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’

यानि ‘खेलेगा बस्तर – जीतेगा बस्तर’ |

पहली ही बार में बस्तर Olympic में 7 जिलों के एक लाख 65 हजार खिलाड़ियों ने भाग लिया है | यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है – यह हमारे युवाओं के संकल्प की गौरव-गाथा है | Athletics, तीरंदाजी, Badminton, Football, Hockey, Weightlifting, Karate, कबड्डी, खो-खो और Volleyball – हर खेल में हमारे युवाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है | कारी कश्यप जी की कहानी मुझे बहुत प्रेरित करती है | एक छोटे से गांव से आने वाली कारी जी ने तीरंदाजी में रजत पदक जीता है | वे कहती हैं – “बस्तर Olympic ने हमें सिर्फ खेल का मैदान ही नहीं, जीवन में आगे बढ़ने का अवसर दिया है” | सुकमा की पायल कवासी जी की बात भी कम प्रेरणादायक नहीं है | Javelin Throw में स्वर्ण पदक जीतने वाली पायल जी कहती हैं – “अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है” | सुकमा के दोरनापाल के पुनेम सन्ना जी की कहानी तो नए भारत की प्रेरक कथा है | एक समय नक्सली प्रभाव में आए पुनेम जी आज wheelchair पर दौड़कर मेडल जीत रहे हैं | उनका साहस और हौसला हर किसी के लिए प्रेरणा है | कोडागांव के तीरंदाज रंजू सोरी जी को ‘बस्तर youth icon’ चुना गया है | उनका मानना है – बस्तर Olympic दूरदराज के युवाओं को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का अवसर दे रहा है |

साथियो,

बस्तर Olympic केवल एक खेल आयोजन नहीं है I यह एक ऐसा मंच है जहां विकास और खेल का संगम हो रहा है I जहां हमारे युवा अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं और एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं I मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ :

अपने क्षेत्र में ऐसे खेल आयोजनों को प्रोत्साहित करें

#खेलेगा भारत – जीतेगा भारत के साथ अपने क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं की कहानियां साझा करें

स्थानीय खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर दें

याद रखिए, खेल से, न केवल शारीरिक विकास होता है, बल्कि ये Sportsman spirit से समाज को जोड़ने का भी एक सशक्त माध्यम है I तो खूब खेलिए-खूब खिलिए |

मेरे प्यारे देशवासियो,

भारत की दो बड़ी उपलब्धियां आज विश्व का ध्यान आकर्षित कर रही हैं I इन्हें सुनकर आपको भी गर्व महसूस होगा I ये दोनों सफलताएं स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिली हैं I पहली उपलब्धि मिली है – मलेरिया से लड़ाई में | मलेरिया की बीमारी चार हजार वर्षों से मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती रही है I आजादी के समय भी यह हमारी सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक थी I एक महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों की जान लेने वाली सभी संक्रामक बीमारियों में मलेरिया का तीसरा स्थान है I आज, मैं संतोष से कह सकता हूँ कि देशवासियों ने मिलकर इस चुनौती का दृढ़ता से मुकाबला किया है I विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO की रिपोर्ट कहती है – “भारत में 2015 से 2023 के बीच मलेरिया के मामलों और इससे होने वाली मौतों में 80 प्रतिशत की कमी आई है” I यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है I सबसे सुखद बात यह है, यह सफलता जन-जन की भागीदारी से मिली है I भारत के कोने-कोने से, हर जिले से हर कोई इस अभियान का हिस्सा बना है I असम में जोरहाट के चाय बागानों में मलेरिया चार साल पहले तक लोगों की चिंता की एक बड़ी वजह बना हुआ था I लेकिन जब इसके उन्मूलन के लिए चाय बागान में रहने वाले एकजुट हुए, तो इसमें काफी हद तक सफलता मिलने लगी I अपने इस प्रयास में उन्होनें Technology के साथ-साथ Social media का भी भरपूर इस्तेमाल किया है I इसी तरह हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले ने मलेरिया पर नियंत्रण के लिए बड़ा अच्छा model पेश किया I यहां मलेरिया की monitoring के लिए जनभागीदारी काफी सफल रही है I नुक्कड़ नाटक और रेडियो के जरिए ऐसे संदेशों पर जोर दिया गया, जिससे मच्छरों की breeding कम करने में काफी मदद मिली है I देश-भर में ऐसे प्रयासों से ही हम मलेरिया के खिलाफ जंग को और तेजी से आगे बढ़ा पाए है I

साथियो,

अपनी जागरूकता और संकल्प शक्ति से हम क्या कुछ हासिल कर सकते हैं, इसका दूसरा उदाहरण है cancer से लड़ाई I दुनिया के मशहूर Medical Journal Lancet की study वाकई बहुत उम्मीद बढ़ाने वाली है I इस Journal के मुताबिक अब भारत में समय पर cancer का इलाज शुरू होने की संभावना काफी बढ़ गई है I समय पर इलाज का मतलब है – cancer मरीज का treatment 30 दिनों के भीतर ही शुरू हो जाना और इसमें बड़ी भूमिका निभाई है – ‘आयुष्मान भारत योजना’ ने | इस योजना की वजह से cancer के 90 प्रतिशत मरीज, समय पर अपना इलाज शुरू करा पाए हैं | ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पहले पैसे के अभाव में गरीब मरीज cancer की जांच में, उसके इलाज से कतराते थे I अब ‘आयुष्मान भारत योजना’ उनके लिए बड़ा संबल बनी है I अब वो आगे बढ़कर अपना इलाज कराने के लिए आ रहे हैं I ‘आयुष्मान भारत योजना’ ने cancer के इलाज में आने वाली पैसों की परेशानी को काफी हद तक कम किया है I अच्छा ये भी है, कि आज समय पर, cancer के इलाज को लेकर, लोग, पहले से कहीं अधिक जागरूक हुए हैं I यह उपलब्धि जितनी हमारे Healthcare system की है, डॉक्टरों, नर्सों और Technical staff की है, उतनी ही, आप, सभी मेरे नागरिक भाई-बहनों की भी है I सबके प्रयास से cancer को हारने का संकल्प और मजबूत हुआ है I इस सफलता का credit उन सभी को जाता है, जिन्होनें जागरूकता फैलाने में अपना अहम योगदान दिया है I

Cancer से मुकाबले के लिए एक ही मंत्र है - Awareness, Action और Assurance. Awareness यानि cancer और इसके लक्षणों के प्रति जागरूकता, Action यानि समय पर जांच और इलाज, Assurance यानि मरीजों के लिए हर मदद उपलब्ध होने का विश्वास I आईए, हम सब मिलकर cancer के खिलाफ इस लड़ाई को तेजी से आगे ले जाएं और ज्यादा-से-ज्यादा मरीजों की मदद करें I

मेरे प्यारे देशवासियो,

आज मैं आपको ओडिशा के कालाहांडी के एक ऐसे प्रयास की बात बताना चाहता हूँ, जो कम पानी और कम संसाधनों के बावजूद सफलता की नई गाथा लिख रहा है | ये है कालाहांडी की ‘सब्जी क्रांति’ | जहां, कभी किसान, पलायन करने को मजबूर थे, वहीं आज, कालाहांडी का गोलामुंडा ब्लॉक एक vegetable hub बन गया है | यह परिवर्तन कैसे आया? इसकी शुरुआत सिर्फ 10 किसानों के एक छोटे से समूह से हुई | इस समूह ने मिलकर एक FPO - ‘किसान उत्पाद संघ’ की स्थापना की, खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया, और आज उनका ये FPO करोड़ों का कारोबार कर रहा है | आज 200 से अधिक किसान इस FPO से जुड़े हैं, जिनमें 45 महिला किसान भी हैं | ये लोग मिलकर 200 एकड़ में टमाटर की खेती कर रहे हैं, 150 एकड़ में करेले का उत्पादन कर रहे हैं | अब इस FPO का सालाना turnover भी बढ़कर डेढ़ करोड़ से ज्यादा हो गया है | आज कालाहांडी की सब्जियां, न केवल ओडिशा के विभिन्न जिलों में, बल्कि, दूसरे राज्यों में भी पहुँच रही हैं, और वहाँ का किसान, अब, आलू और प्याज की खेती की नई तकनीकें सीख रहा है |

साथियो,

कालाहांडी की यह सफलता हमें सिखाती है कि संकल्प शक्ति और सामूहिक प्रयास से क्या नहीं किया जा सकता | मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ :-

अपने क्षेत्र में FPO को प्रोत्साहित करें

किसान उत्पादक संगठनों से जुड़ें और उन्हें मजबूत बनाएं |

याद रखिए – छोटी शुरुआत से भी बड़े परिवर्तन संभव हैं | हमें, बस, दृढ़ संकल्प और टीम भावना की जरूरत है |

साथियो,

आज की ‘मन की बात’ में हमने सुना, कि कैसे हमारा भारत, विविधता में एकता के साथ आगे बढ़ रहा है | चाहे वो खेल का मैदान हो या विज्ञान का क्षेत्र, स्वास्थ हो या शिक्षा – हर क्षेत्र में भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है | हमने एक परिवार की तरह मिलकर हर चुनौती का सामना किया और नई सफलताएं हासिल की | 2014 से शुरू हुए ‘मन की बात’ के 116 episodes में मैंने देखा है कि ‘मन की बात’ देश की सामूहिक शक्ति का एक जीवंत दस्तावेज़ बन गया है | आप सभी ने इस कार्यक्रम को अपनाया, अपना बनाया | हर महीने आपने अपने विचारों और प्रयासों को साझा किया | कभी किसी young innovator के idea ने प्रभावित किया, तो कभी किसी बेटी की achievement ने गौरवान्वित किया | ये आप सभी की भागीदारी है जो देश के कोने-कोने से positive energy को एक साथ लाती है | ‘मन की बात’ इसी positive energy के amplification का मंच बन गया है, और अब, 2025 दस्तक दे रहा है | आने वाले साल में ‘मन की बात’ के माध्यम से हम और भी inspiring प्रयासों को साझा करेगें | मुझे विश्वास है कि देशवासियों की positive सोच और innovation की भावना से भारत नई ऊंचाइयों को छूएगा | आप अपने आस-पास के unique प्रयासों को #Mannkibaat के साथ share करते रहिए | मैं जानता हूँ कि अगले साल की हर ‘मन की बात’ में हमारे पास एक दूसरे से साझा करने के लिए बहुत कुछ होगा | आप सभी को 2025 की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं | स्वस्थ रहें, खुश रहें, Fit India Movement में आप भी जुड़ जाइए, खुद को भी fit रखिए | जीवन में प्रगति करते रहें |

बहुत-बहुत धन्यवाद |