सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के करकमलों द्वारा
कानूनी विद्याशाखा के अवार्ड विनर सहित अन्य विद्यार्थियों को पदक, पुरस्कार और डिग्रियां प्रदान
राज्य के सीएम श्री मोदी रहे मुख्य अतिथि : सर्वोच्च न्यायालय और राज्यों के उच्च न्यायालयों के वरिष्ठ न्यायाधीश रहे मौजूद
भारत के महान सविंधान के सिद्धांतों को केन्द्र में रखकर न्याय और कानून की महिमा को आत्मसात करें: श्री अल्तमश कबीर
आम आदमी को न्याय की अनुभूति हो ऐसा कानून का ज्ञान कौशल्य अपनाने का मुख्यमंत्री श्री मोदी का आह्वान
भारत की सुप्रीमकोर्ट के मुख्यन्यायाधीश श्री अल्तमश कबीर ने आज गुजरात नेशनल लॉ युनिवर्सिटी के चौथे दीक्षांत समारोहमें भारत के महान सविंधान के आदर्शों और सिद्धांतों को केन्द्र स्थान में रखकर न्याय और कानून की महिमा आत्मसात करने का प्रेरक अनुरोध किया।गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि पदसे सम्बोधन करते हुए गरीब और आमआदमी को तेज,सरल और न्यायकी अनुभूति करवाने का कानून के ज्ञानकौशल्य की शिक्षा- दीक्षा प्राप्त युवाओं से आह्वान किया।
वर्ष 2003 में स्थापित गुजरात नेशनल लॉ युनिवर्सिटी(जीएनयुएल) के गांधीनगर केपास स्थित आधुनिक शैक्षणिक परिसर में यह दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया।सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री अल्तमश कबीर, मुख्यमंत्रीश्री नरेन्द्र मोदी, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री अनिल आर. दवे, मुम्बई उच्चन्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति श्री मोहित शाह, झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्रीप्रकाशतातिया,राज्यके कानून मंत्री श्री भूपेन्द्रसिंह चूड़ास्मा और राज्यमंत्री श्री प्रदीपसिंह जाड़ेजा सहित न्यायक्षेत्र के कई महानुभाव इस समारोह में मौजूदथे।
चौथे दीक्षांत समारोहमें 156 विद्यार्थियों को कानून की स्नातक और अनुस्नातक डिग्रियां, सात डिप्लोमा, तीन यशस्वी अनुस्नातक विद्यार्थियों और 17 कानून स्नातकों को गोल्ड और गोल्डन मेडल महानुभावों द्वारा प्रदान किए गए।कानून कीडिग्रीऔर मेडल हासिल करके जीवनमें पदार्पण करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए श्री अल्तमश कबीर ने कहा कि आधुनिकयुगमें कानून कीशिक्षामें भी गुणात्मक परिवर्तन आया है।विज्ञान और टेक्नोलॉजी की सुविधाने कानून की शिक्षा का विशाल दायरा खड़ा किया है। कानूनी शिक्षा हासिल कर कैरियर के अनेक क्षेत्र और अवसर खुल गए हैं।
उन्होंने कहा कि विश्वभर से प्राप्तहोने वाली जानकारियों के स्त्रोतों के अनेक माध्यम और निरंतरविकासकररहे मानवसमाजके लिए कानून केज्ञानकौशल्य वाले प्रोफेशनल्स, कानून विदों और कानूनसुधारमेंसंशोधनकरने वालों के लिएआकाश जैसे अवसरखुल गए हैं। कायदा-कानून किसी आम विषय का क्षेत्र नहीं है। मानवजाति के लिए इसका संवेदनाका सम्बन्धहै। कानून की शिक्षा हासिल करने में मानवीय मूल्यों के प्रतिप्रतिबद्धता और संवेदना होनी चाहिए।
कानून के क्षेत्रों में कैरियर बनाने वालों के लिएसमाजऔर व्यक्तियों को विश्वसनीयता की प्रतिती होनी चाहिए। इसका उल्लेख करते हुए श्री कबीर ने कहा कि भारत कासंविधान महान है और इसके आ मुख में मानव केअधिकार और दायित्व के बारे में सुरेख मार्गदर्शन है।कानून की शिक्षा हासिल करनेवालों को संविधान के इन महान सिद्धांतों का अनुसरण कर अपनी विश्वसनीयता कासंवर्धनकरवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्याय प्राप्त करने का सभी को समान अधिकार है और न्याय में विलम्ब ना हो यह हमारी प्रतिबद्धता होनी चाहिए।
कानून की शिक्षालेकर शिक्षा-दीक्षा प्राप्त करके कैरियर के नये पड़ाव पर पदार्पण करने वाले औरपदकप्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि एक ही दशकमें गुजरात की इस नेशनल लॉ युनिवर्सिटीने अपने सामर्थ्यसे कानून की शिक्षा में अनोखी प्रतिष्ठा हासिल की है और सर्वोच्च न्याय पालिका का उत्तम सहयोगभी प्राप्त हुआ है।
भारत की न्याय प्रणाली की गौरव परम्परा और गरिमा की शान के लिए कानूनविदों के योगदान की सराहना करते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह युनिवर्सिटी एक तरह से लघु भारत बन रही है और हिन्दुस्तान के अनेक राज्यों से कानून का अभ्यास करने के लिए आने वाले आप सभी विद्यार्थी सही मायनों में गुजरात के विकास की अनुभूति करके गुजरात की प्रगति के दूत बने हैं। उन्होंने आह्वान किया कि कानून की शिक्षा प्राप्त करने वाले सभी युवक-युवतियां जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की चुनौतियां पार करें।श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें आशा है किगरीबऔरआमआदमी कोन्यायमिले, जल्द न्याय मिले औरसरलतासे न्याय मिले इसके लिए कानूनी शिक्षा प्राप्त करने वाले अपना शिक्षा-दीक्षा का हुनर दिखलाएंगे और समाज तथा देश की सेवा करेंगे।जीवनमें सिर्फ पैसे कीकमाईनहीं, हर व्यक्ति का उनके व्यक्तित्व विकास में योगदान मिला है इस भावना से समाज की सेवा करेंगे।
उन्होंने कहा कि शिक्षा-दीक्षा की उज्जवल परम्परा भारतीय गुरुकुल की शिक्षा है और प्रथम दीक्षांत समारोह का निर्देश तैतरीय उपनिषद में देखने को मिलता है।
जीएनएलयु के डायरेक्टर बिमल पटेल ने स्वागत भाषण दिया।समारोह में डिग्री प्राप्तकरने वाले विद्यार्थियों के परिजन, कानूनविद, बार काउंसिल के सदस्य और वकील मौजूद थे।