मुस्लिम समुदाय के देश भर से आए वरिष्ठ नेताओं ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराया। इनमें सैय्यद सुल्तान उल हसन, मिसबाही (सज़दा नशीं, अजमेर शरीफ), हज़रत गुलाम यासीन साहिब (शहर काज़ी, वाराणसी), शेख वसीम अशरफी (इमाम तन्ज़ीम, मुंबई), इंजी. मोहम्मद हामिद (राष्ट्रीय अध्यक्ष, इमाम तन्ज़ीम, नागपुर), अलामा तस्लीम राजा साहिब (दरगाह बरेलवी शरीफ, उत्तर प्रदेश), सैय्यद अब्दुल राशिद अली (सैय्यद शाहिद दरगाह, शहडौल, मध्यप्रदेश), मौलाना अबु बक्र बसानी (नागौरी शरीफ दरगाह, राजस्थान), सैय्यद अली अकबर (ताजपुरा शरीफ, चेन्नई), हाज़ी अब्दुल हफीज़ खान (इमाम, तन्ज़ीम बालाघाट, मध्य प्रदेश) शामिल थे।
कट्टरपंथ को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति और आतंकवाद के बढ़ते खतरे के बारे में आशंकाएं व्यक्त करते हुए इन नेताओं ने चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक एकजुटता दिखाने और सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। इन नेताओं ने मुस्लिम धर्म स्थलों, मस्जिदों और मदरसों की संपत्तियों से जुड़े मुद्दों की तरफ श्री नरेन्द्र मोदी ने ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने मुस्लिम युवाओँ को खासतौर से शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार से सहायता देने को कहा।
प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की बात को गौर से सुना और उन्हें मुस्लिम समाज के सभी वर्गों की शिकायतों को दूर करने में पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने मुस्लिम युवाओं को अधिकार सम्पन्न बनाने पर जोर दिया ताकि वे राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा सकें। उन्होंने उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार लाने और उनकी शिक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी सहायता देने का वादा किया।
मुस्लिम नेताओं ने तेज़ आर्थिक विकास, सांप्रदायिक सौहार्द और शांति को बढ़ावा देने तथा राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए समुदाय का पूरा समर्थन देने का प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया।