हम, भारत और रूस के नेता, हमारे देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्‍थापना की 70वीं वर्षगांठ पर यह मानते हैं कि भारत-रूस विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्‍त सामरिक भागीदारी दो महान शक्तियों के बीच आपसी विश्‍वास का एक अनूठा संबंध है। हमारे संबंधों के दायरे में राजनैतिक संबंध से लेकर सुरक्षा, व्‍यापार एवं अर्थव्‍यवस्‍था, सैन्‍य एवं तकनीकी क्षेत्र, ऊर्जा, वैज्ञानिक, सांस्‍कृतिक एवं मानवतावादी आदान-प्रदान और विदेशी नीति तक सहयोग के सभी क्षेत्र शामिल हैं। यह दोनों देशों के राष्‍ट्रीय हितों को बढ़ावा देने में मदद करता है और कहीं अधिक शांतिपूर्ण एवं न्‍यायसंगत विश्‍व व्‍यवस्‍था की स्‍थापना में योगदान करता है।

हमारे द्विपक्षीय संबंध गहरी पारस्‍परिक समझ एवं सम्‍मान, आर्थिक एवं सामा‍जिक विकास के साथ-साथ विदेश नीति में भी समान प्राथमिकताओं पर आधारित हैं। हम शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने और विश्व व्‍यवस्‍था को आकार देने के लिए समान दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं जो सांस्‍कृतिक एवं सभ्‍यतागत विविधता को दर्शाता है और साथ ही मानव जाति की एकता को मजबूत करता है। भारत-रूस संबंध समय की कसौटी पर खरा है और बाहरी प्रभावों से प्रतिरक्षित है।

रूस ने भारत को आजादी के लिए उसके संघर्ष में अविश्‍वसनीय रूप से समर्थन किया और उसे आत्‍मनिर्भरता प्राप्‍त करने में मदद की। अगस्‍त 1971 में हमारे देशों ने शांति, मैत्री एवं सहयोग के लिए एक संधि पर हस्‍ताक्षर किए जो एक-दूसरे की संप्रभुता एवं हितों का सम्‍मान, अच्‍छे पड़ोसी धर्म और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्‍व जैसे पारस्‍परिक संबंधों के मूल सिद्धांतों की रूपरेखा तैयार करती है। दो दशक बाद जनवरी 1993 में भारत और रूस ने मैत्री एवं सहयोग की एक नई संधि के तहत उन प्रावधानों की अनिवार्यता की पुष्टि की।

भारत गणराज्‍य और रशियन फेडरेशन के बीच 3 अक्‍टूबर 2000 को सामरिक साझेदारी पर की गई घोषणा ने अंतरराष्‍ट्रीय शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने, प्रमुख वैश्विक एवं क्षेत्रीय समस्‍याओं को निपटाने के साथ-साथ आर्थिक, सांस्‍कृतिक, शैक्षणिक एवं अन्‍य क्षेत्रों में करीबी सहयोग सुनिश्चित करने की दिशा में समन्वित दृष्टिकोण के साथ द्विपक्षीय संबंधों को एक नई ऊंचाई दी है। इस साझेदारी को 21 दिसंबर 2010 को विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्‍त सामरिक भागीदारी के स्‍तर तक बढ़ाया गया था।

भारत-रूस संबंधों के व्‍यापक विकास को बेहतर करना दोनों देशों की विदेश नीति की पहली प्राथमिकता है। हम विभिन्‍न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पहल शुरू करते हुए हमारे सहयोग की संभावनाओं को विस्‍तृत करना और हमारे द्विपक्षीय एजेंडे को आगे बढ़ाना एवं समृद्ध करना जारी रखेंगे ताकि इसे कहीं अधिक परिणाम-उन्‍मुख बनाया जा सके।

 

भारत और रूस की अर्थव्‍यवस्‍था ऊर्जा क्षेत्र में एक-दूसरे की पूरक हैं। हम अपने राज्‍यों के बीच एक 'एनर्जी ब्रिज' बनाने और परमाणु, हाइड्रोकार्बन, पनबिजली एवं अक्षय ऊर्जा सहित ऊर्जा के सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों के विस्‍तार का प्रयास करेंगे और ऊर्जा दक्षता में सुधार की कोशिश करेंगे।

भारत और रूस का मानना है कि प्राकृतिक गैस का व्‍यापक उपयोग, आर्थिक रूप से कुशल एवं पर्यावरण के अनुकूल ईंधन, जो वैश्विक ऊर्जा बाजार का एक अभिन्‍न हिस्‍सा बन चुका है, ग्रीनहाउस गैस का उत्‍सर्जन घटाने के लिए काफी महत्‍वपूर्ण है और उससे जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के प्रावधानों को पूरा करने एवं टिकाऊ आर्थिक विकास हासिल करने में मदद मिलेगी। परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी के एक प्रमुख पहचान के तौर पर उभरा है जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान करता है और व्‍यापक वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग को स्‍फूर्ति प्रदान करता है। दोनों पक्षों के सम्मिलित प्रसायों से हमारी असैन्‍य परमाणु साझेदारी में उल्‍लेखनीय उपलब्धियों की एक स्थिर एवं स्‍पष्‍ट श्रृंखला रही है जिसमें कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को आगे बढ़ाना और इसे भारत के सबसे बड़े ऊर्जा केंद्रों में तब्‍दील करना शामिल है। हम कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र की इकाई 5 और 6 के लिए जनरल फ्रेमवर्क एग्रीमेंट एंड क्रेडिट प्रोटोकॉल के समापन का स्‍वागत करते हैं। हम 11 दिसंबर, 2014 को दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग को मजबूती देने के लिए स्‍ट्रैटेजिक विजन के कार्यान्वयन की दिशा में काम करेंगे। भारत-रूस सहयोग का भविष्य परमाणु ऊर्जा, परमाणु ईंधन चक्र और परमाणु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के व्‍यापक दायरे में सहयोग के जबरदस्‍त वादे पर टिका है।

भारत और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ती साझेदारी ने भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत भारत में उन्‍नत परमाणु विनिर्माण क्षमताओं के विकास के अवसर खोले हैं। भारत और रूस ने 24 दिसंबर 2015 को हस्‍ताक्षरित 'प्रोग्राम ऑफ एक्‍शन फॉर लोकेलाइजेशन ऑफ इंडिया' को जल्‍द से जल्‍द लागू करने और अपने परमाणु उद्योगों को ठोस एवं करीबी साझेदारी के लिए प्रोत्‍साहित करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया है।

हम रशियन फेडरेशन के आर्कटिक शेल्‍फ में हाइड्रोकार्बन की खोज एवं उत्‍खनन के लिए संयुक्‍त परियोजनाएं शुरू करने में दिलचस्‍पी रखते हैं।

हम पारस्‍परिक रूप से लाभप्रद सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समुद्री अनुसंधान एवं प्रशिक्षण के क्षेत्र में अपनी ताकत के इस्‍तेमाल से गहरे समुद्र में हाइड्रोकार्बन संसाधनों, पॉलिमर नोड्यूल्‍स एवं अन्‍य समुद्री संसाधनों की खोज एवं विकास के क्षेत्र में पारस्‍परिक रूप से लाभप्रद सहयोग संभावनाओं के दोहन के लिए संयुक्‍त रणनीति तैयार करेंगे।

हम भारतीय क्षेत्र में मौजूदा बिजली संयंत्रों के आधुनिकीकरण एवं नए संयंत्रों की स्‍थापना के लिए दोनों राज्‍यों की ऊर्जा कंपनियों के बीच सहयोग का स्‍वागत करते हैं। हम प्रौद्योगिकी की साझेदारी, विभिन्‍न क्षेत्रों एवं जलवायु परिस्थितियों में काम करने के अनुभव और ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल के जरिये एक-दूसरे के देश में संयुक्‍त परियोजनाएं विकसित करने का प्रयास करेंगे ताकि स्‍वच्‍छ, पर्यावरण के अनुकूल एवं सस्‍ते ऊर्जा संसाधनों का विकास एवं विस्‍तार हो सके।

हमारे प्रमुख आर्थिक उद्देश्‍यों में व्‍यापार एवं निवेश का विस्‍तार करना और वस्‍तुओं एवं सेवाओं के व्‍यापार में विविधीकरण खासकर द्विपक्षीय व्‍यापार में उच्‍च-प्रौद्योगिकी उत्‍पादों की हिस्‍सेदारी बढ़ाना, औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देना, उद्यमशीलता एवं निवेश के लिए माहौल में सुधार लाना और दोनों देशों के बीच बैंकिंग एवं वित्तीय मामलो में सहयोग बढ़ाना शामिल हैं। हमारी रणनीतिक साझेदारी के अगले चरण के तहत हम आपसी सहमति वाले क्षेत्रों में संयुक्त विकास परियोजनाओं के जरिये तीसरे देशों के लिए हमारे द्विपक्षीय तकनीकी, आर्थिक एवं वैज्ञानिक सहयोग का विस्तार करेंगे।

 

हम अन्‍य देशें की मुद्राओं पर अपने द्विपक्षीय व्‍यापार की निर्भरता घटाने के लिए अपने राष्‍ट्रीय मुद्राओं में भारत-रूस व्‍यापार को बढ़ावा देने के लिए किए जाने वाले प्रयासों में समन्‍वय स्‍थापित करेंगे। हम संयुक्‍त रूप से हमारे व्‍यापारिक समुदायों को मौजूदा व्‍यावहारिक योजनाओं एवं तंत्रों को निपटाने में भारतीय रिजर्व बैंक और बैंक ऑफ रशिया द्वारा अनुमोदित मुद्राओं का उपयोग करने के लिए प्रोत्‍साहित करेंगे।

हम एक ऐसे क्रेडिट रेटिंग उद्योग के विकास के लिए अपनी स्थितियों का समन्‍वय करेंगे जो बाजार प्रतिभागियों के लिए पारदर्शी और राजनीतिक परिस्थितियों से स्‍वतंत्र होगा। इस लिहाज से हम क्रेडिट रेटिंग के क्षेत्र में हमारे कानूनों को सुसंगत बनाने के उद्देश्‍य से किए जाने वाले कार्यों का समर्थन करेंगे और हमारी स्‍थानीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को मान्‍यता प्रदान करेंगे।

हम क्षेत्रीय स्‍तर पर आर्थिक सहयोग विकसित करने के महत्‍व को स्‍वीकार करते हैं। हम यूरेशियन इकनॉमिक यूनियन और भारत गणराज्‍य के बीच मुक्त व्‍यापार समझौते पर वार्ता जल्‍द शुरू करने के लिए सुविधा प्रदान करेंगे।

हम शांति, प्रगति एवं समृद्धि के लिए क्षेत्रीय संपर्क के दमदार तर्क की सराहना करते हैं। हमारा मानना है कि कनेक्टिविटी को निश्चित तौर पर मजबूत किया जाना चाहिए। यह सभी संबंधित पक्षों की संप्रभुता का सम्‍मान करते हुए उनसे बातचीत और सहमति पर आधारित होना चाहिए। पारदर्शिता, स्थिरता एवं दायित्‍व के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित रूसी एवं भारतीय पक्ष इंटरनैशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर और ग्रीन कॉरिडोर के कार्यान्‍वयन के लिए प्रभावी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।

हम इस तथ्‍य को ध्‍यान में रखते हैं कि दोनों देश नवीनतम वैज्ञानिक प्रगति एवं नवाचार के आधार पर ज्ञान पर आधारित अर्थव्‍यवस्‍थाओं के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, विमानन, नए पदार्थ, कृषि, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, दवा, फार्मास्‍युटिकल्‍स, रोबोटिक्‍स, नैनोटेक्‍नोलॉजी, सुपरकम्‍प्‍यूटिंग तकनीकी, कृत्रिम बौद्धिकता एवं भौतिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों में वैज्ञानिक सहयोग को मजबूती देने और विदेशी बाजारों में उच्‍च प्रौद्योगिकी वाले उत्‍पादों को उतारने के लिए डिजाइन, विकास एवं विनिर्माण में सहयोग का दायरा बढ़ाएंगे। हम दोनों देशों के बीच उच्‍च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक उच्‍चस्‍तरीय समिति के गठन का स्‍वागत करते हैं।

हम बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के उद्देश्‍य से संयुक्‍त प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे, शहरीकरण की चुनौतियों से निपटने के लिए साथ मिलकर राह तलाशेंगे, खाद्य सुरक्षा, जल एवं वन संपदा के संरक्षण से संबंधित मुद्दों को निपटाएंगे और लघु एवं मझोले उद्यमों के विकास एवं कौशल विकास के लिए राष्‍ट्रीय कार्यक्रमों को लागू करने एवं आर्थिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए अपने अनुभवों को साझा करेंगे।

हम हीरा उद्योग में सहयोग की संभावनाएं विकसित करने के लिए इस उद्देश्‍य से साथ मिलकर काम करेंगे ताकि इस क्षेत्र में हमारे दोनों देशों के मौजूदा संसाधनों और ताकतों का पूरा फायदा उठाया जा सके। हम हीरा बाजार में अज्ञात कृत्रिम पत्‍थरों के प्रवेश को रोकने और हीरे के जेनेरिक विपणन कार्यक्रमों के विकास का समर्थन करने के लिए भी अपने संयुक्‍त प्रयासों में तेजी लाएंगे।

जहाज निर्माण, नदी नेविगेशन एवं विलवणीकरण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रूस की ताकत को स्‍वीकार करते हुए हम भारत में व्‍यापक नदी प्रणालियों के प्रभावी उपयोग के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों, नदी तटबंधों, बंदरगाहों एवं कार्गों कंटेनरों के विकास के लिए प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण एवं अनुभव साझेदारी के जरिये संयुक्‍त परियोजनाओं के विकास के लिए साथ मिलकर काम करेंगे।

हम हाईस्‍पीड रेलवे, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के विकास में साथ मिलकर काम करेंगे। साथ ही संयुक्‍त विकास, प्रौद्योगिकी साझेदारी एवं कर्मियों के प्रशिक्षण के जरिये नई प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल से कुशल रेल परिवहन सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे ताकि रेलरोड क्षेत्र में एक-दूसरे की क्षमता का लाभ उठाया जा सके।

हम एक-दूसरे के देश में कृषि एवं खाद्य वस्‍तुओं के लिए बाजार पहुंच बढ़ाने और कृषि एवं खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र में खेती से लेकर कटाई, उत्‍पादन, प्रसंस्‍करण एवं विपणन रणनीति तैयार करने तक तमाम गतिविधियों के व्‍यापक दायरे में मौजूद संभावनाओं के दोहन के लिए अनुसंधान एवं विकास के जरिये संयुक्‍त रणनीति तैयार करने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे। हम प्राकृतिक संसाधनों के किफायती एवं पर्यावरण के अनुकूल उपयोगिता सुनिश्चित करने के लिए खनन एवं धातु विज्ञान के क्षेत्र में खोज के लिए मौजूदा प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल, विकास एवं नई प्रौद्योगिकी की साझेदारी के जरिये एक-दूसरे के देश में प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए संयुक्‍त परियोजनाओं का पता लगाने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे।

हम मानते हैं कि भारत 2020 तक तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बन जाएगा और इस संबंध में हमारा मानना है कि भारत सरकार की रीजनल कनेक्टिविटी स्‍कीम संयुक्‍त उत्‍पादन में सहयोग को मजबूती देने और सृजित मांग को पूरा करने एवं तीसरे देशों को निर्यात के लिए विमानन विनिर्माण के क्षेत्र में संयुक्‍त उद्यम स्‍थापित करने के लिए एक अवसर प्रदान करती है।

हमारा द्विपक्षीय रक्षा सहयोग मजबूत आपसी विश्वास पर आधारित है। भारत को रूस अपनी आधुनिक सैन्‍य प्रौद्योगिकी का निर्यात करता है। हम सैन्‍य-तकनीकी सहयोग पर मौजूदा समझौतों के तहत अपने पक्ष के दायित्‍वों का अनुपालन करते हुए भविष्‍य की प्रौद्योगिकी की साझेदारी एवं उसे लागू करने में निर्भरता बढ़ाने के साथ ही संयुक्‍त उद्यम के जरिये सैन्‍य हार्डवेयर एवं कलपुर्जों के सह-विकास एवं सह-उत्‍पादन में सहयोग को बढ़ाएंगें और उसमें तेजी लाएंगे।

हम सैन्य-से-सैन्य सहयोग के एक गुणात्मक उच्च स्तर की ओर काम करेंगे। हम नियमित तौर पर संयुक्त स्‍थल एवं समुद्री सैन्य अभ्यास एवं एक-दूसरे के सैन्य संस्थानों में प्रशिक्षण को जारी रखेंगे। इस साल पहली बार हम तीनों सेनाओं के अभ्‍यास आईएनडीआरए-2017 को देखेंगे।

समाज की भलाई के लिए उपयुक्‍त प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल के मद्देनजर अंतरिक्ष अनुसंधान में द्विपक्षीय सहयोग के लिए हमें पर्याप्‍त अवसर दिख रहा है।

हम प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम एवं उनसे निपटने के लिए संयुक्‍त कार्य को जारी रखेंगे।

रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र पर विशेष जोर देते हुए हम अपने प्रांतों एवं राज्‍यों के बीच बेहतर सहयोग को सक्रियतापूर्वक बढ़ावा देना और उसे सुधारना चाहते हैं।

भारत और रूस 21वीं सदी में अंतरराज्‍यीय संबंधों के विकास की स्‍वाभाविक एवं अपरिहार्य प्रक्रिया के तहत अंतरराष्‍ट्रीय संबंधों में बहु-ध्रुवीय विश्‍व व्‍यवस्‍था की स्‍थापना का सम्‍मान करते हैं। इस संदर्भ में हम कानून के शासन के सिद्धांत के आधार पर अंतरराष्‍ट्रीय संबंधों की प्रणाली को जनतांत्रित बनाने और विश्‍व राजनीति के समन्‍वय में संयुक्‍त राष्‍ट्र की केंद्रीय भूमिका के लिए सहयोग बढ़ाएंगे। हमारा मानना है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधार की आवश्‍यकता है और खासकर संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद को समकालीन वास्‍तविकताओं का अधिक प्रतिनिधित्‍व देने और उभरती चुनौतियों एवं खतरों से कहीं अधिक प्रभावी तरीके से निपटने के लिए। रूस ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के तहत भारत की स्‍थायी सदस्‍यता की दावेदारी का पुरजोर समर्थन किया है। हम सकारात्‍मक रूप से एकजुट वैश्विक एजेंडे की प्रगति का समर्थन करेंगे, वैश्विक एवं क्षेत्रीय स्थिरता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने, चुनौतियों एवं खतरों से निपटने और संकट के समाधान के लिए न्‍यायसंगत एवं समन्वित दृष्टिकोण को सक्रियता से बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्‍ट्रीय प्रयासों के साथ सक्रियता से जुड़ेंगे।

हम वैश्विक राजनीतिक, आर्थिक, वित्‍तीय एवं सामाजिक संस्‍थानों में सुधार और लोकतांत्रिक मूल्‍यों को बढ़ावा देने के लिए काम करेंगे ताकि वे अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय के सभी सदस्‍यों के हितों को बेहतर तरीके से समायोजित कर सकें। हम देशों के वैध हितों एवं प्रमुख चिंताओं को नजरअंदाज करते हुए एकतरफा अथवा संप्रभुता के सम्‍मान को ठेस पहुंचाने वाले किसी भी वर्ताव का विरोध करते हैं। विशेष रूप से हम दबाव बनाने के लिए राजनीतिक एवं आर्थिक प्रतिबंधों के एकतरफा इस्‍तेमाल को स्‍वीकार नहीं करते हैं।

हम ब्रिक्‍स के भीतर सौहार्दपूर्ण सहयोग को बढ़ावा देना चाहते हैं जो हमारे संयुक्‍त प्रयासों के परिणामस्‍वरूव वैश्विक मामलों में लगातार आधिकारिक एवं प्रभावशाली भूमिका बढ़ा रहा है।

हम डब्‍ल्‍यूटीओ, जी20 एवं संघाई सहयोग संगठन के साथ-साथ रूस-भारत-चीन सहयोग सहित अन्‍य बहुपक्षीय मंचों एवं संगठनों में सहयोग को बढ़ावा देना जारी रखेंगे।

शंघाई सहयोग संगठन में भारत की पूर्ण सदस्‍यता से यूरोशिया एवं एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने और आर्थिक विकास एवं समृद्धि हासिल करने के साथ-साथ अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर संगठन को बेहतर बनाने के लिए संगठन की क्षमता में उल्‍लेखनीय सुधार होगा।

हम साझा सिद्धांतों के आधार पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में खुली, संतुलित एवं समावेशी सुरक्षा व्‍यवस्‍था स्‍थापित करने के प्रयासों को जारी रखेंगे और पूर्वी एशिया शिखर सम्‍मेलन के दायरे में उचित बातचीत के जरिये इस क्षेत्र के सभी राज्‍यों के वैध हितों का ध्‍यान रखेंगे।

हम पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में शांति एवं स्थिरता बहाल करने, सीरिया संकट के समाधान, अफगानिस्‍तान में राष्‍ट्रीय संप्रभुता बहाल करने जो मॉस्‍को वार्ता के सहमत ढांचे के तहत आंतरिक मामलों में हस्‍तक्षेप न करने एवं राष्‍ट्रीय संप्रभुता के सिद्धांतों के इस्‍तेमाल जैसे ज्‍वलंत मुद्दों पर देशों को आंतरिक बदलाव के प्रोत्‍साहित करते समय अपने रुख में समन्‍वय जारी रखेंगे।

भारत और रूस सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए संयुक्‍त रूप से प्रतिबद्ध है। रूस को विश्‍वास है कि बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण प्रणाली में भारत की सहभागिता उनकी समृद्धि में योगदान करेगी। इस परिप्रेक्ष्‍य में रूस परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और वासीनार व्‍यवस्‍था में सदस्‍यता के लिए भारत के आवेदन का स्‍वागत करता है और इन निर्यात नियंत्रण प्रणालियों में भारत के जल्‍द से जल्‍द प्रवेश के लिए अपने पुरजोर समर्थन को दोहराता है।

हम आतंकवाद की उसके सभी रूप में कड़ी निंदा करते हैं और इस बात पर जोर देते हैं कि आतंकवाद के किसी भी कृत्‍य के लिए कोई औचित्‍य नहीं हो सकता चाहे वह विचारधारा पर आधारित हो अथवा धार्मिक, राजनीतिक, नस्‍लीय, जातीय या किसी अन्‍य कारण से। साथ ही, हम अंतरराष्‍ट्रीय आतंकवाद, जो शांति एवं सुरक्षा को बरकरार रखने के लिए बड़ा खतरा बन चुका है, से मुकाबला करने के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे। हमारा मानना है कि इस खतरे के अप्रत्‍याशित विस्‍तार के मद्देनजर पूरे विश्‍व समुदाय को यूएन चार्टर एवं अंतरराष्‍ट्रीय कानून के तहत बिना किसी चयन अथवा दोहरे मानदंड के एक निर्णायक सामूहिक प्रतिक्रिया देने की जरूरत है। हम सभी देशों और संस्‍थाओं से अनुरोध करते हैं कि वे आतंकवादी नेटवर्क एवं उनके वित्तपोषण को ध्‍वस्‍त करने और आतंकवादियों की सीमापार आवाजाही को रोकने के लिए ईमानदारी से काम करें। हम इस संकट से निपटने के लिए वैश्विक आतंकवाद विरोधी मान्‍यताओं एवं कानूनी ढांचे को मजबूती देने के लिए अंतरराष्‍ट्रीय आतंकवाद पर व्‍यापक सम्‍मेलन वार्ता के शीघ्र निष्‍कर्ष की मांग करते हैं। 

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग में सुरक्षा प्रदान करने के लिए साझा दृष्टिकोण अपनाते हुए हम इस संदर्भ में राज्‍यों के जिम्‍मेदार व्‍यवहार के सिद्धांतों एवं मानकों और सार्वभौमिक नियमों को तय करने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। ये नियम वैश्चिक इंटरनेट प्रशासन में राज्‍य की प्रधानता के साथ विभिन्‍न हितधारकों के प्रतिनिधित्‍व वाले मॉडल के तहत लोकतांत्रिक आधार पर तय किए जाने चाहिए।

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग में सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग पर भारत-रूस अंतरसरकारी समझौते के आधार पर हम इस क्षेत्र में द्विपक्षीय बातचीत को आगे बढ़ाने की आवश्‍यकता को मानते हैं। भारत और रूस के लोगों के बीच सम्‍मान, सहानुभूति और अगाध पारस्‍परिक हितों को ध्‍यान में रखते हुए हम आदान-प्रदान एवं वार्षिक उत्‍सवों के आयोजन सहित संस्‍कृति एवं खेल के क्षेत्र में द्विपक्षीय संपर्क को और बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे। साल 2017-18 में भारत और रूस के बीच राजनयिक संबंधों की स्‍थापना की 70वीं वर्षगांठ को मनाने के लिए हम दोनों देशों के विभिन्‍न शहरों में कार्यक्रमों के आयोजन का स्‍वागत करते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग में अपार संभावनाएं मौजूद हैं। हम विश्‍वविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्‍थानों के बीच सीधा संपर्क को बढ़ावा देने और दोनों देशों के छात्रों को सहायता प्रदान करने के माध्‍यम से शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को मजबूती देने के लिए काम करेंगे।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारा द्विपक्षीय सहयोग जबरदस्‍त अवसर प्रदान करता है। हम जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण सुरक्षा, स्‍वच्‍छ ऊर्जा, साइबर सुरक्षा, किफायती स्‍वास्‍थ्‍य सेवा, समुद्री जीव विज्ञान आदि में वैज्ञानिक खोज के जरिये वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करने और साझा हितों वाले प्राथमिक क्षेत्रों को तलाशने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम सामाजिक विकास के लिए नवाचार को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकी के विकास के लिए ज्ञान केंद्रों का नेटवर्क तैयार करने, दिमागों की कनेक्टिविटी और वैज्ञानिक गलियारा स्‍थापित करने के लिए साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

हम वीजा व्‍यवस्‍था को आसान बनाने के साथ-साथ लोगों से लोगों के बीच संपर्क एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहते हैं।

हमें पूरा भरोसा है कि भारत और रूस दोनों देशों के बीच मजबूत मैत्री और पारस्‍परिक रूप से लाभकारी एवं सामंजस्‍यपूर्ण भागीदारी के लिए एक आदर्श मॉडल बने रहेंगे। द्विपक्षीय संबंधों के विकास के साझा दृष्टिकोण के निर्माण के साथ-साथ हम दोनों देशों और पूरे अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय के फायदे के लिए भारत-रूस विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्‍त सामरिक भागीदारी की व्‍यापक संभावनाओं को साकार करने में सफल होंगे।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।