मित्रों, 

अहमदाबाद से आरंभ सद्भावना मिशन का 36वें उपवास के साथ अम्बाजी शक्तिपीठ में समापन हुआ।

निजी तौर पर मेरे लिए राज्य के सभी जिलों में एक-एक दिन का उपवास करने का अनुभव अद्भुत रहा।

Sadbhavana Mission : A touching People’s Movement

चुनाव के वक्त मतपेटी द्वारा जनसमर्थन का हिसाब-किताब किया जाता है। लेकिन जनभावना की इस तीव्रता का कयास लगाने के लिए यह पर्याप्त नहीं है, ऐसा लगता है। सद्भावना मिशन में मेरे उपवास के दौरान जनभावना के सैलाब और सकारात्मक भाव की अभिव्यक्ति के दर्शन हुए। धमाकेदार चुनावी जीत के उत्कृष्ट पल में भी कभी भावनाओं का ऐसा सैलाब उमड़ता  नहीं देखा जैसा मैनें सद्भावना मिशन में उपवास के दौरान महसूस किया।

जनता-जनार्दन ईश्वर का रूप है, ऐसा हम सुनते हैं और बोलते भी हैं। लेकिन समाजशक्ति के रूप में इसके दर्शन करने का सौभाग्य मुझे सद्भावना मिशन के माध्यम से मिला।

किसी भी अपेक्षा के बगैर, बूढ़े-बच्चे, गरीब-अमीर, शिक्षित-अशिक्षित... सभी लोग मानो उफनते सागर की तरह शक्ति और भावना का सैलाब बनकर दैवीय शक्ति का अनुभव करवा रहे थे।

मेरे सद्भावना मिशन के 36 दिनों के उपवास के बाद देश और दुनिया को इस बात की ओर ध्यान देना ही पड़ेगा कि गुजरात के तेज गति से हो रहे विकास के पीछे गुजरातियों की एकता, शांति और भाईचारे का वातावरण कितना महत्वपूर्ण है।

एक ओर जातिवाद और सांप्रदायिकता के जहर और वोट बैंक की राजनीति से देशवासी निराश हो गए हैं। फूट डालो और राज करो के खेल ने देश का कल्पनातीत नुकसान कर दिया है।

ऐसे में दूसरी ओर गुजरात ने शांति, एकता और भाईचारे द्वारा सद्भावना का मार्ग अपनाया है। वोट बैंक की राजनीति को तिलांजलि देकर विकास की राजनीति अपनायी है। फूट डालो राज करो के बजाय “सबका साथ-सबका विकास” मंत्र चरितार्थ किया है।

गुजरात का वर्तमान दशक सद्भावना और विकास की सफल प्रयोगशाला बना है। निराशा के गर्त में डूबे देशवासियों के लिए गुजरात के सफल प्रयोग ने एक नई आशा को जन्म दिया है।

सार्वजनिक जीवन में, खास तौर पर उत्तम में उत्तम अवसरों को भी राजनैतिक चश्मे से देखने के कारण उसमें व्याप्त शक्ति को समझना आम आदमी के लिए कठिन हो जाता है।

सद्भावना मिशन में अनगिनत घटनाओं की भरमार मेरे ह्रदय को स्पर्श कर गई है।

जनता के प्रेम को व्यक्त करने के लिए मेरे शब्द कम पड़ रहे हैं। लेकिन सद्भावना मिशन के दायरे और उसकी गहनता को समझने के लिए कुछ बातें आपको जरूर पसंद आएंगी।

17 से 19 सितंबर, 2011 के दौरान अहमदाबाद में सद्भावना मिशन उपवास में भारत के सभी राज्यों की उपस्थिति और अनेक राजनैतिक दलों की शुभकामनाएं एक राज्य के लिए कोई मामूली बात नहीं थी ।

  • इस 36 उपवास के दौरान राज्य के 70-75 प्रतिशत जितने परिवारों के प्रतिनिधि किसी न किसी रूप में सद्भावना मिशन में भागीदार बने।
  • 50 लाख से ज्यादा नागरिकों और 18 हजार जितने गांवों की मौजूदगी सद्भावना मिशन की विशालता और समाज स्वीकृति का प्रतिबिंब है।
  • 15 लाख से ज्यादा लोगों के साथ हाथ मिलाना और प्रत्यक्ष मुलाकात, शायद सार्वजनिक जीवन में रिकार्ड बनाने वाली विरल घटना तो है ही साथ ही व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए जीवन का विरल ह्रदयस्पर्शी सुखद अनुभव है।
  • उपवास की तपस्या का संकल्प मेरे अकेले का था। लेकिन जिले-जिलों में हजारों भाई-बहनों ने स्वेच्छा से उपवास का तप किया। डेढ़ लाख बहनों सहित साढ़े चार लाख नागरिकों ने सद्भावना के उपवास में शामिल होकर सद्भावना मिशन को नैतिक बल दिया।
  • धार्मिक देवस्थानों की पदयात्रा हमारे संस्कार हैं लेकिन यात्राधामों से सैकड़ों पदयात्री सद्भावना मिशन में पहुंचे... एक लाख से ज्यादा नागरिक भाई-बहन, खास तौर पर युवा, पदयात्रा कर इसमें भागीदार बने।
  • सुबह की गुलाबी ठंड में सद्भावना फेरी-प्रभात फेरी में हजारों गांव शामिल हुए। 16 लाख लोगों ने प्रभात फेरी में शामिल होकर सद्भावना की खुश्बू फैलाई।
  • कुपोषण के खिलाफ समाजशक्ति की संवेदना ऐसी उजागर हुई कि 40 हजार जितने तिथि भोजन स्वेच्छा से ग्रामीणों ने दिए-42 लाख जितने गरीब बालकों को पौष्टिक आहार का पोषण मिला।
  • दरिद्रनारायण की सेवा की भावना से उपवास के दौरान गांवों के लोगों ने छह लाख किलो जितना अनाज दान में दिया, जो गरीब परिवारों को वितरीत किया गया।
  • 4 करोड़ रुपये की भारी धनराशि का दान बतौर चेक कन्या शिक्षा अभियान के लिए मिला।
  • सैकड़ों नागरिकों ने समाज की भलाई के लिए अनेक नये संकल्प किए। युवक-युवतियों और नवदंपतियों ने दहेज नहीं लेने, भ्रूण हत्या नहीं करने और आंगनवाड़ी दत्तक लेने जैसे प्रेरक संकल्प किए।
  • सद्भावना विषयक चित्र प्रतियोगिता, वक्तृत्व प्रतियोगिता और निबंध प्रतियोगिताओं में हजारों की संख्याओं में लोग शामिल हुए। कुल मिलाकर, पौन दस लाख बालकों में सद्भावना विषयक विचारों की प्रेरणा जागी।

मित्रों,

सद्भावना मिशन को आंकड़ों की उपलब्धियों में आंकना मेरा मकसद नहीं है।

गांव-गांव में सद्भावना की खुश्बू और समाजशक्ति का साक्षात्कार हर किसी को छू गया है।

छह करोड़ गुजरातियों की भीतर की यह ऊर्जा ही सद्भावना की प्राण शक्ति है।

सद्भावना मिशन से देश और दुनिया को इसके दर्शन करवाने का मेरा प्रयास सफल हुआ, इसका मुझे संतोष है।

मेरे इस संकल्प में लाखों लोगों के आशीर्वाद, शुभकामनाएं मिलीं इससे मुझे जनता-जनार्दन की सेवा करने की नई शक्ति हासिल हुई है।

आपका

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रण उत्सव – प्रकृति, परंपरा और प्रचीनता का उत्सव
December 21, 2024

कच्छ का सफेद रण आपको आमंत्रित कर रहा है।

कच्छ के इस उत्सव पर्व से जुड़कर एक नए अनुभव के साक्षी बनिए।

और रण के इस उत्सव में प्रकृति, परंपरा और प्रचीनता के रंगों को जीवन का हिस्सा बनाइए।

भारत के सबसे पश्चिमी छोर पर स्थित कच्छ, विरासत और बहुसंस्कृति की भूमि है। कच्छ का सफेद रण और इसकी जीवंतता किसी का भी मन मोह लेती है। चांदनी रात में कच्छ के इस रण का अनुभव और अलौकिक हो जाता है, दिव्य हो जाता है। कच्छ की ये धरती जितनी सुंदर है, इसकी कला और शिल्प भी उतना ही विशेष है।

कच्छ के लोगों का आतिथ्य भाव तो सारी दुनिया जानती है। हर वर्ष लाखों पर्यटक इस धरती पर आते हैं और कच्छ के लोग उतने ही उत्साह से उनका स्वागत करते हैं। अतिथियों के सम्मान और उनके अनुभवों को संवारने के लिए कच्छ का हर परिवार पूरे आदर भाव से काम करता है। रण उत्सव, कच्छ की इसी आतिथ्य परंपरा और स्थानीय कला का उत्सव है। इस जीवंत उत्सव में, हमें इस क्षेत्र की अनोखी संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य, स्थानीय जनभावनाओं और कलाओं से जुड़ने का अवसर मिलता है।

इस पोस्ट के माध्यम से मैं विश्व भर के अतिथियों को रण उत्सव 2024-25 के लिए व्यक्तिगत आमंत्रण दे रहा हूं। आप सब अपने परिवार के साथ यहां आएं, यहां की संस्कृति और अनुभवों से जुड़ें, तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी। इस बार रण उत्सव 1 दिसंबर 2024 से लेकर 28 फरवरी 2025 तक आयोजित हो रहा है। इसके अलावा रण की टेंट सिटी मार्च 2025 तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी।

ये टेंट सिटी आपको कच्छ के अनुभवों से, यहां के विराट आतिथ्य से, भारत की संस्कृति से और प्रकृति के नए अनुभवों से जोड़ेगी। मैं पूरे विश्वास से कहता हूं, कच्छ के रण उत्सव का अनुभव आपके जीवन का सबसे अलौकिक और अविस्मरणीय अनुभव बनेगा।

कच्छ की इस टेंट सिटी में पर्यटकों के अनुरूप अनेक सुविधाओं को शामिल किया गया है। जो लोग रिलैक्स करने के लिए यहां आ रहे हैं, उन्हें यहां एक अलग अनुभव मिलेगा। संस्कृति और इतिहास के नए रंगों को खोज रहे लोगों के लिए, रण उत्सव एक इंद्रधनुष जैसा होगा।

देखिए, रण उत्सव की गतिविधियों का आनंद लेने के अलावा आप यहां और क्या-क्या कर सकते हैं:

सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा भारत का गौरव स्थल धोलावीरा यहीं पास में स्थित है। ये यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट है, जहां आपको भारत की प्राचीन सभ्यता से जुड़ने का अवसर मिलेगा।

जिन लोगों को प्रकृति और स्थापत्य कला से प्रेम हो, उनके लिए काला डूंगर का विजय विलास पैलेस एक अद्भुत अनुभव का स्थान होगा।

सफेद नमक के मैदानों से घिरी रोड टू हैवन, अपने मनोरम दृश्यों से हर पर्यटक का मन मोह लेती है। 30 किलोमीटर लंबी ये सड़क खावड़ा और धोलावीरा को आपस में जोड़ती है और इसपर यात्रा करना बहुत ही खास अनुभव होता है।

18वीं शताब्दी का लखपत फोर्ट हमें प्राचीन भारत के गौरव से जोड़ता है।

माता नो मढ़ आशापुरा मंदिर कच्छ की धरती पर हमारी आध्यात्मिक चेतना का शक्ति तीर्थ बन जाता है।

श्यामजी कृष्ण वर्मा स्मारक और क्रांति तीर्थ पर श्रद्धांजलि अर्पित करके अपने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ सकते हैं।

और इन सब के साथ, रण उत्सव कच्छ की इस यात्रा में आप हस्तशिल्प के एक अद्भुत संसार से जुड़ सकते हैं। इस हस्तशिल्प मेले में हर उत्पाद की एक अलग पहचान है। ये उत्पाद कच्छ के लोगों की कलाओं से पूरी दुनिया को जोड़ते हैं।

कुछ समय पहले ही मुझे स्मृति वन के लोकार्पण का उत्सव मिला था। जिन लोगों ने 26 जनवरी 2001 के विनाशकारी भूकंप में अपना जीवन बनाया, ये उनकी स्मृतियों का स्मारक है। यहां दुनिया का सबसे खूबसूरत संग्रहालय है, जिसे 2024 का UNESCO Prix Versailles Interiors World Title मिला है! यह भारत का एकमात्र ऐसा संग्रहालय है, जिसे यह विशेष उपलब्धि हासिल हुई है। यह स्मारक हमें हमेशा याद दिलाता है कि कैसे बहुत विपरीत और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी हमारा मन, हमारी भावनाएं हमें फिर से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

तब और अब को बताने वाली तस्वीर:

करीब दो दशक पहले स्थितियां ऐसी थीं कि अगर आपको कच्छ आने का निमंत्रण मिलता, तो आप सोचते कि कोई मजाक कर रहा है। कारण ये था कि तब तक भारत के सबसे बड़े जिलों में से एक होने के बावजूद भी, कच्छ बहुत बेहाल स्तिथि में था। ये स्थितियां तब थीं, जब कच्छ में एक तरफ रेगिस्तान था, दूसरी तरफ पाकिस्तान था। लेकिन सुरक्षा और पर्यटन दोनों ही क्षेत्र में ये स्थान पिछड़ा हुआ था।

कच्छ ने 1999 में चक्रवात और 2001 में भीषण भूकंप का सामना किया था। यहां सूखे की समस्या रहती थी। खेती के पर्याप्त साधन नहीं थे। यही कारण था कि अन्य लोग इसके अच्छे भविष्य की सोच तक नहीं पाते थे।। लेकिन वो नहीं जानते थे कि कच्छ के लोगों की ऊर्जा, उनकी इच्छा शक्ति क्या है। दो दशकों में अपनी मेहनत से, कच्छ के लोगों ने अपना भाग्य बदला। 21वीं शताब्दी के शुरुआत से कच्छ में एक परिवर्तन की भी शुरुआत हुई।

हम सबने मिलकर कच्छ के समावेशी विकास पर काम किया। हमने Disaster Resilient Infrastructure बनाने पर फोकस किया। इसके साथ ही यहां ऐसी आजीविका पर जोर दिया, जिससे यहां के युवाओं को काम की तलाश में अपना घर ना छोड़ना पड़े।

यही कारण है कि 21वीं सदी के पहले दशक के अंत तक जो धरती सूखे के लिए जानी जाती थी, वह आज कृषि के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियों के पड़ाव पर है। यहां के आम सहित कई फल विदेशी बाजार में एक्सपोर्ट हो रहे हैं। कच्छ के हमारे किसान भाई-बहनों ने ड्रिप सिंचाई और अन्य तकनीकों से खेती को बहुत समृद्ध किया है। इससे पानी की हर बूंद के संरक्षण के साथ अधिकतम उत्पादकता सुनिश्चित हुई है।

गुजरात सरकार के औद्योगिक विकास पर जोर देने से इस जिले में निवेश को भी काफी बढ़ावा मिला है। हमने कच्छ के तटीय क्षेत्र का उपयोग करके इसे एक महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार केंद्र के रूप में फिर से स्थापित करने का काम किया।

कच्छ में पर्यटन की संभावनाओं को और विस्तार देने के लिए 2005 में कच्छ रण उत्सव की शुरुआत की गई थी। आज यह स्थान एक Vibrant Tourism Centre बन चुका है। रण उत्सव को देश-विदेश के कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं।

हर साल धोरडो गांव में रण उत्सव का आयोजन होता है। ये प्रसन्नता और गर्व की बात है कि इस गांव को United Nations World Tourism Organization ने 2023 का बेस्ट टूरिज्म विलेज घोषित किया। इस गांव की संस्कृति, पर्यटन और यहां हुआ विकास हर देशवासी को गौरव से भर देता है।

मुझे विश्वास है कि आप सब भी, कच्छ की विरासत भूमि को देखने यहां आएंगे और अपनी इस यात्रा के अनुभवों से दूसरों को भी यहां आने की प्रेरणा देंगे। जब आप इन अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करेंगे, तो पूरा विश्व भी इनसे जुड़ेगा। इस संस्कृति और आतिथ्य के भाव को जी सकेगा।

इसी आमंत्रण के साथ, मैं आप सभी को नववर्ष 2025 के लिए भी शुभकामनाएं देता हूं। आने वाला साल आपके और आपके परिवार के लिए सफलता, समृद्धि और आरोग्यपूर्ण जीवन लेकर आए, यही प्रार्थना है।