Published By : Admin |
September 22, 2024 | 11:44 IST
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अमेरिका और भारत साझा राष्ट्रीय तथा आर्थिक सुरक्षा के मुद्दों पर परस्पर सहयोग को मजबूत करने के लिए स्थायी तौर पर प्रतिबद्ध हैं। हमारे आर्थिक विकास एजेंडे के एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में, हम स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लाभों को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें हमारी आबादी के लिए उच्च गुणवत्ता वाले रोजगार के अवसरों का सृजन, वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा की सुविधा में तेजी और जलवायु संबंधी वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति शामिल है।
इन उद्देश्यों के समर्थन में, अमेरिका और भारत स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और घटकों के लिए अमेरिकी और भारतीय विनिर्माण क्षमता का विस्तार करने तथा अफ्रीका में साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करने के साथ अन्य देशों में सहयोग बढ़ाने को लेकर आधार तैयार करने के लिए द्विपक्षीय तकनीकी, वित्तीय और नीतिगत समर्थन को बढ़ाने और विस्तारित करने का इरादा रखते हैं। यह प्रयास संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में मौजूदा सहयोग पर आधारित होगा, जिसमें 2023 में प्रधानमंत्री श्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान शुरू की गई स्वच्छ ऊर्जा पहल, अमेरिकी ऊर्जा विभाग और भारत सरकार के मंत्रालयों के नेतृत्व में रणनीतिक तौर पर स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भागीदारी, अमेरिकी प्रयोगशालाओं द्वारा प्रदान की गई तकनीकी सहायता और भारत में तेजी से इलेक्ट्रिक बसों को अधिक संख्या में चलाए जाने हेतु समर्थन करने के लिए स्थापित भुगतान सुरक्षा तंत्र जैसे नए वित्तीय प्लेटफॉर्म शामिल हैं। अभिनव स्वच्छ ऊर्जा विनिर्माण तकनीकों पर केंद्रित एक साझा, सशक्त और अत्याधुनिक तकनीकी-औद्योगिक आधार स्थापित करने के लिए एक अमेरिकी और भारतीय साझेदारी कायम होने से दुनिया के लिए एक मजबूत उदाहरण स्थापित होता है। ऐसा होने पर हमारे देशों को 21वीं सदी में स्वच्छ आर्थिक विकास का नेतृत्व करने की क्षमता भी प्राप्त होती है।
इस साझेदारी को शुरू करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत इंटरनल रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट बैंक (आईबीआरडी) के माध्यम से उन परियोजनाओं के लिए 1 बिलियन अमरीकी डॉलर के नए बहुपक्षीय वित्त को अनलॉक करने के लिए काम कर रहे हैं। इनमें भारत की घरेलू स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण को उत्प्रेरित करना शामिल है। यह वित्तपोषण सौर, पवन, बैटरी, ऊर्जा ग्रिड प्रणालियों और उच्च दक्षता वाले एयर कंडीशनर एवं सीलिंग फैन आपूर्ति श्रृंखलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रौद्योगिकी के प्रमुख क्षेत्रों के लिए आपूर्ति के संदर्भ में विनिर्माण क्षमता के विस्तार का समर्थन कर सकता है। समय के साथ, हम प्राथमिकता वाले स्वच्छ ऊर्जा विनिर्माण क्षेत्रों में अतिरिक्त वित्तपोषण जुटाना चाहते हैं, जो जलवायु को लेकर सशक्त वित्त समाधानों की तीव्र मांग को पूरा करने के लिए सार्वजनिक और निजी वित्तीय साधनों एवं अग्रणी अभिनव वित्तीय साधनों का उपयोग करते हैं।
अमेरिका और भारत संबंधित सरकारी एजेंसियों, नागरिक समाज, अमेरिकी और भारतीय निजी क्षेत्रों, परोपकारी संस्थाओं एवं बहुपक्षीय विकास बैंकों के साथ मिलकर स्वच्छ ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में पायलट परियोजनाओं के एक पैकेज की पहचान करने के प्रति इच्छुक हैं, जो हमारी पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं और पहचाने गए क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखला विस्तार और विविधीकरण में सार्थक योगदान देते हैं। अमेरिकी और भारतीय सरकारें इस नई साझेदारी को शुरू करने के साथ-साथ इसे बढ़ाने के लिए उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ मिलकर काम करने का संकल्प लेती हैं:
विशिष्ट स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला के लिए विनिर्माण क्षमता का विस्तार करने के उद्देश्य से निकट अवधि के निवेश अवसरों की पहचान करना, जिसमें निम्नलिखित स्वच्छ ऊर्जा घटकों पर प्रारंभिक तौर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:
सौर वेफर और वेफर विनिर्माण उपकरण और अगली पीढ़ी के सौर सेल
पवन टरबाइन नैसेल घटक
कंडक्टर, केबलिंग, ट्रांसफार्मर और अगली पीढ़ी की तकनीकों सहित पावर ट्रांसमिशन लाइन घटक
बैटरी सहित ऊर्जा भंडारण घटक
दोपहिया और तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) तथा शून्य-उत्सर्जन वाली ई-बस और ट्रक घटकों के लिए बैटरी पैक
उच्च दक्षता वाले एयर कंडीशनर और सीलिंग फैन घटक
उपर्युक्त आपूर्ति श्रृंखला में समुचित अवसरों की तलाश करने और पायलट परियोजनाओं के प्रारंभिक पैकेज का समर्थन करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग करना, जिसमें आदर्श रूप से अफ्रीका में स्वच्छ ऊर्जा की सुविधा बढ़ाने पर केंद्रित एक परियोजना शामिल है। समय के साथ अतिरिक्त निवेश योजनाएं और वित्तपोषण के स्रोत विकसित किए जा सकते हैं। यह प्रयास सौर, पवन, बैटरी और महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्रों में यू.एस. डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएफसी) द्वारा निजी क्षेत्र की सुगम भागीदारी पर आधारित होगा, ताकि स्वच्छ ऊर्जा घटकों के निर्माण को वित्तपोषित करने के अवसरों का पता लगाया जा सके। इस तरह के निवेश भारत के ग्रीन ट्रांजिशन फंड के दायरे में आ सकते हैं - जो भारत में अक्षय ऊर्जा, भंडारण और ई-मोबिलिटी के क्षेत्र में निवेश का समर्थन करेगा और स्थानीय विनिर्माण की मांग को मजबूत करेगा। साथ ही, भारतीय निजी इक्विटी फंड मैनेजर एवरसोर्स कैपिटल के नए डीएफसी-समर्थित 900 मिलियन अमेरिकी डॉलर के फंड के लिए भी, जो अक्षय ऊर्जा, कारगर कूलिंग और इलेक्ट्रिक परिवहन जैसी स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में निवेश करेगा।
अफ्रीकी भागीदारों के साथ त्रिपक्षीय संबंध बनाना, जिन्होंने स्वच्छ ऊर्जा परिनियोजन के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता व्यक्त की है, सौर और बैटरी भंडारण अवसरों पर ध्यान केंद्रित करना। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका उच्च-संभावित सौर और ईवी को विस्तारित तौर पर क्रियान्वित करने के अवसरों का पता लगाने, परियोजना की सफलता के लिए आवश्यक शर्तों को समझने, परियोजना की सफलता के लिए साझेदारी और वित्तीय मॉडल का विवरण देने और परियोजना को लागू करने के लिए अफ्रीकी भागीदारों के साथ बहुपक्षीय रूप से काम कर सकते हैं। अमेरिका निवेश के अवसरों का पता लगाने और स्थानीय अफ्रीकी निर्माताओं के साथ साझेदारी का विस्तार करने के लिए सार्वजनिक-निजी मेल-मिलाप की सुविधा के लिए भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग करने के प्रति इच्छुक है। डीएफसी और यू.एस. एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट भारत स्थित इंटरनेशनल सोलर अलायंस के साथ मिलकर स्वास्थ्य सुविधाओं के पास सौर और ईवी चार्जिंग नेटवर्क स्थापित करने के लिए इस प्रयास को आगे बढ़ा रहे हैं।
उन नीतियों पर परामर्श करने के लिए एक-दूसरे के बीच और उद्योग जगत के साथ सहयोग स्थापित करना, जो स्थानीय रूप से निर्मित स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के लिए मांग की निश्चितता पर जोर दे। अमेरिकी बायपार्टीशन इंफ्रास्ट्रक्चर कानून और मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम ऐतिहासिक कानून थे, जिन्हें स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की बड़े पैमाने पर स्थापित करने में निवेश करने के लिए डिजाइन किया गया था। इतना ही नहीं, अमेरिका की विनिर्माण क्षमता को समुचित रूप से स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं में फिर से सक्रिय किया गया था। इसी तरह, भारत की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं ने नवजात स्वच्छ ऊर्जा विनिर्माण को उत्प्रेरित करने के लिए 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है। हालांकि, वैश्विक बाजार की गतिशीलता और लाभ के कम मार्जिन के सामने इन निवेशों का विस्तार और सुरक्षा करने के लिए अतिरिक्त नीतियां महत्वपूर्ण हैं। दोनों देश मांग की अनिश्चितताओं को कम करने और पर्याप्त इनपुट सामग्री, तकनीकी विशेषज्ञता, वित्त और अन्य विनिर्माण सक्षमकर्ता की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत संरचना को डिजाइन करने के तरीके पर अंतर्दृष्टि साझा करने के महत्व को स्वीकार करते हैं।
इस रोडमैप का उद्देश्य परियोजनाओं पर प्रारंभिक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक अल्पकालिक तंत्र के रूप में काम करना है, ताकि इस साझेदारी में बैठकों के साथ-साथ महत्वपूर्ण उपलब्धियों का एक सिलसिला कायम करने के लिए एक साथ काम करने सहित दीर्घकालिक रोडमैप को सूचित करने में मदद मिल सके। इस रोडमैप का उद्देश्य घरेलू या अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अधिकारों या दायित्वों को जन्म देना नहीं है।
India is driving global growth today: PM Modi at Republic Plenary Summit
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Youth is the X-Factor of today's India, where X stands for Experimentation, Excellence, and Expansion: PM
In the past decade, we have transformed impact-less administration into impactful governance: PM
Earlier, construction of houses was government-driven, but we have transformed it into an owner-driven approach: PM
नमस्कार!
आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।
साथियों,
आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।
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साथियों,
मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।
साथियों,
10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।
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साथियों,
इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।
साथियों,
आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।
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साथियों,
आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।
साथियों,
किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।
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साथियों,
न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।
साथियों,
आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।
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साथियों,
भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।
साथियों,
ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।
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साथियों,
बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।
साथियों,
किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।
साथियों,
सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।
साथियों,
आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।