अमेरिका और भारत साझा राष्ट्रीय तथा आर्थिक सुरक्षा के मुद्दों पर परस्पर सहयोग को मजबूत करने के लिए स्थायी तौर पर प्रतिबद्ध हैं। हमारे आर्थिक विकास एजेंडे के एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में, हम स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लाभों को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें हमारी आबादी के लिए उच्च गुणवत्ता वाले रोजगार के अवसरों का सृजन, वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा की सुविधा में तेजी और जलवायु संबंधी वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति शामिल है।

इन उद्देश्यों के समर्थन में, अमेरिका और भारत स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और घटकों के लिए अमेरिकी और भारतीय विनिर्माण क्षमता का विस्तार करने तथा अफ्रीका में साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करने के साथ अन्य देशों में सहयोग बढ़ाने को लेकर आधार तैयार करने के लिए द्विपक्षीय तकनीकी, वित्तीय और नीतिगत समर्थन को बढ़ाने और विस्तारित करने का इरादा रखते हैं। यह प्रयास संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में मौजूदा सहयोग पर आधारित होगा, जिसमें 2023 में प्रधानमंत्री श्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान शुरू की गई स्वच्छ ऊर्जा पहल, अमेरिकी ऊर्जा विभाग और भारत सरकार के मंत्रालयों के नेतृत्व में रणनीतिक तौर पर स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भागीदारी, अमेरिकी प्रयोगशालाओं द्वारा प्रदान की गई तकनीकी सहायता और भारत में तेजी से इलेक्ट्रिक बसों को अधिक संख्या में चलाए जाने हेतु समर्थन करने के लिए स्थापित भुगतान सुरक्षा तंत्र जैसे नए वित्तीय प्लेटफॉर्म शामिल हैं। अभिनव स्वच्छ ऊर्जा विनिर्माण तकनीकों पर केंद्रित एक साझा, सशक्त और अत्याधुनिक तकनीकी-औद्योगिक आधार स्थापित करने के लिए एक अमेरिकी और भारतीय साझेदारी कायम होने से दुनिया के लिए एक मजबूत उदाहरण स्थापित होता है। ऐसा होने पर हमारे देशों को 21वीं सदी में स्वच्छ आर्थिक विकास का नेतृत्व करने की क्षमता भी प्राप्त होती है।

इस साझेदारी को शुरू करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत इंटरनल रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट बैंक (आईबीआरडी) के माध्यम से उन परियोजनाओं के लिए 1 बिलियन अमरीकी डॉलर के नए बहुपक्षीय वित्त को अनलॉक करने के लिए काम कर रहे हैं। इनमें भारत की घरेलू स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण को उत्प्रेरित करना शामिल है। यह वित्तपोषण सौर, पवन, बैटरी, ऊर्जा ग्रिड प्रणालियों और उच्च दक्षता वाले एयर कंडीशनर एवं सीलिंग फैन आपूर्ति श्रृंखलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रौद्योगिकी के प्रमुख क्षेत्रों के लिए आपूर्ति के संदर्भ में विनिर्माण क्षमता के विस्तार का समर्थन कर सकता है। समय के साथ, हम प्राथमिकता वाले स्वच्छ ऊर्जा विनिर्माण क्षेत्रों में अतिरिक्त वित्तपोषण जुटाना चाहते हैं, जो जलवायु को लेकर सशक्त वित्त समाधानों की तीव्र मांग को पूरा करने के लिए सार्वजनिक और निजी वित्तीय साधनों एवं अग्रणी अभिनव वित्तीय साधनों का उपयोग करते हैं।

अमेरिका और भारत संबंधित सरकारी एजेंसियों, नागरिक समाज, अमेरिकी और भारतीय निजी क्षेत्रों, परोपकारी संस्थाओं एवं बहुपक्षीय विकास बैंकों के साथ मिलकर स्वच्छ ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में पायलट परियोजनाओं के एक पैकेज की पहचान करने के प्रति इच्छुक हैं, जो हमारी पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं और पहचाने गए क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखला विस्तार और विविधीकरण में सार्थक योगदान देते हैं। अमेरिकी और भारतीय सरकारें इस नई साझेदारी को शुरू करने के साथ-साथ इसे बढ़ाने के लिए उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ मिलकर काम करने का संकल्प लेती हैं:

विशिष्ट स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला के लिए विनिर्माण क्षमता का विस्तार करने के उद्देश्य से निकट अवधि के निवेश अवसरों की पहचान करना, जिसमें निम्नलिखित स्वच्छ ऊर्जा घटकों पर प्रारंभिक तौर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:

सौर वेफर और वेफर विनिर्माण उपकरण और अगली पीढ़ी के सौर सेल

पवन टरबाइन नैसेल घटक

कंडक्टर, केबलिंग, ट्रांसफार्मर और अगली पीढ़ी की तकनीकों सहित पावर ट्रांसमिशन लाइन घटक

बैटरी सहित ऊर्जा भंडारण घटक

दोपहिया और तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) तथा शून्य-उत्सर्जन वाली ई-बस और ट्रक घटकों के लिए बैटरी पैक

उच्च दक्षता वाले एयर कंडीशनर और सीलिंग फैन घटक

उपर्युक्त आपूर्ति श्रृंखला में समुचित अवसरों की तलाश करने और पायलट परियोजनाओं के प्रारंभिक पैकेज का समर्थन करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग करना, जिसमें आदर्श रूप से अफ्रीका में स्वच्छ ऊर्जा की सुविधा बढ़ाने पर केंद्रित एक परियोजना शामिल है। समय के साथ अतिरिक्त निवेश योजनाएं और वित्तपोषण के स्रोत विकसित किए जा सकते हैं। यह प्रयास सौर, पवन, बैटरी और महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्रों में यू.एस. डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएफसी) द्वारा निजी क्षेत्र की सुगम भागीदारी पर आधारित होगा, ताकि स्वच्छ ऊर्जा घटकों के निर्माण को वित्तपोषित करने के अवसरों का पता लगाया जा सके। इस तरह के निवेश भारत के ग्रीन ट्रांजिशन फंड के दायरे में आ सकते हैं - जो भारत में अक्षय ऊर्जा, भंडारण और ई-मोबिलिटी के क्षेत्र में निवेश का समर्थन करेगा और स्थानीय विनिर्माण की मांग को मजबूत करेगा। साथ ही, भारतीय निजी इक्विटी फंड मैनेजर एवरसोर्स कैपिटल के नए डीएफसी-समर्थित 900 मिलियन अमेरिकी डॉलर के फंड के लिए भी, जो अक्षय ऊर्जा, कारगर कूलिंग और इलेक्ट्रिक परिवहन जैसी स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में निवेश करेगा।

अफ्रीकी भागीदारों के साथ त्रिपक्षीय संबंध बनाना, जिन्होंने स्वच्छ ऊर्जा परिनियोजन के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता व्यक्त की है, सौर और बैटरी भंडारण अवसरों पर ध्यान केंद्रित करना। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका उच्च-संभावित सौर और ईवी को विस्तारित तौर पर क्रियान्वित करने के अवसरों का पता लगाने, परियोजना की सफलता के लिए आवश्यक शर्तों को समझने, परियोजना की सफलता के लिए साझेदारी और वित्तीय मॉडल का विवरण देने और परियोजना को लागू करने के लिए अफ्रीकी भागीदारों के साथ बहुपक्षीय रूप से काम कर सकते हैं। अमेरिका निवेश के अवसरों का पता लगाने और स्थानीय अफ्रीकी निर्माताओं के साथ साझेदारी का विस्तार करने के लिए सार्वजनिक-निजी मेल-मिलाप की सुविधा के लिए भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग करने के प्रति इच्छुक है। डीएफसी और यू.एस. एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट भारत स्थित इंटरनेशनल सोलर अलायंस के साथ मिलकर स्वास्थ्य सुविधाओं के पास सौर और ईवी चार्जिंग नेटवर्क स्थापित करने के लिए इस प्रयास को आगे बढ़ा रहे हैं।

उन नीतियों पर परामर्श करने के लिए एक-दूसरे के बीच और उद्योग जगत के साथ सहयोग स्थापित करना, जो स्थानीय रूप से निर्मित स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के लिए मांग की निश्चितता पर जोर दे। अमेरिकी बायपार्टीशन इंफ्रास्ट्रक्चर कानून और मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम ऐतिहासिक कानून थे, जिन्हें स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की बड़े पैमाने पर स्थापित करने में निवेश करने के लिए डिजाइन किया गया था। इतना ही नहीं, अमेरिका की विनिर्माण क्षमता को समुचित रूप से स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं में फिर से सक्रिय किया गया था। इसी तरह, भारत की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं ने नवजात स्वच्छ ऊर्जा विनिर्माण को उत्प्रेरित करने के लिए 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है। हालांकि, वैश्विक बाजार की गतिशीलता और लाभ के कम मार्जिन के सामने इन निवेशों का विस्तार और सुरक्षा करने के लिए अतिरिक्त नीतियां महत्वपूर्ण हैं। दोनों देश मांग की अनिश्चितताओं को कम करने और पर्याप्त इनपुट सामग्री, तकनीकी विशेषज्ञता, वित्त और अन्य विनिर्माण सक्षमकर्ता की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत संरचना को डिजाइन करने के तरीके पर अंतर्दृष्टि साझा करने के महत्व को स्वीकार करते हैं।

इस रोडमैप का उद्देश्य परियोजनाओं पर प्रारंभिक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक अल्पकालिक तंत्र के रूप में काम करना है, ताकि इस साझेदारी में बैठकों के साथ-साथ महत्वपूर्ण उपलब्धियों का एक सिलसिला कायम करने के लिए एक साथ काम करने सहित दीर्घकालिक रोडमैप को सूचित करने में मदद मिल सके। इस रोडमैप का उद्देश्य घरेलू या अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अधिकारों या दायित्वों को जन्म देना नहीं है।

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.