11 दिसंबर, 2023, भारत के इतिहास में एक अहम दिन है। इस दिन 32 साल पहले, श्री मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व और युवा नरेन्द्र मोदी के कुशल प्रबंधन में कन्याकुमारी से श्रीनगर तक की एकता यात्रा शुरू की गई थी। यह कोई आम यात्रा नहीं थी बल्कि; कश्मीर में आतंकवाद के उस दौर में यह यात्रा, एकता और अवज्ञा का एक शक्तिशाली प्रतीक थी।

जैसा कि गुजरात के भाजपा नेता, जगदीश द्विवेदी याद करते हैं, "यह वह समय था जब कश्मीर में आतंकवाद अपने चरम पर था, और वह मोदी जी ही थे जिन्होंने तब इस यात्रा का विचार किया और इसे साकार किया।" यात्रा के एक और साथी दीपक शाह, यात्रा के दौरान लोगों के सामने आए गंभीर सुरक्षा खतरे को याद करते हैं। उन्होंने कहा, “एक ओर, कश्मीर में आतंकवादी यात्रा पर हमला कर रहे थे और इसे आगे न बढ़ने की धमकी दे रहे थे। दूसरी ओर, पंजाब में भी आतंकवादियों ने यात्रा को विफल करने के लिए उस पर हमला किया। फिर भी, नरेन्द्र मोदी ने आगे बढ़कर नेतृत्व किया और सुनिश्चित किया कि यात्रा के 'रथ' कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने के लिए पहुंचें।”

इस एकता यात्रा ने देश और दुनिया को एक स्पष्ट संदेश दिया कि भारत; विभाजन और आतंक की ताकतों के विरुद्ध मजबूती से खड़ा होगा और एकजुट रहेगा। 14 राज्यों से होकर गुजरी और भारत के लोगों के बीच गहराई तक पैठ बनाने वाली यह यात्रा 26 जनवरी, 1992 को श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने के साथ संपन्न हुई। इसने देश के साझा इतिहास और मूल्यों तथा राष्ट्रीय एकता के प्रति इसकी अटूट प्रतिबद्धता की पताका फहराई।

हसमुख परमार याद करते हैं कि कैसे मोदी जी ने यात्रा की हर छोटी-छोटी बात का ध्यान रखा और यह सुनिश्चित किया कि यात्रा देश के हर हिस्से को कवर करे। श्री मोदी ने परमार को यात्रा को सफल बनाने के लिए ड्राइवरों, कंडक्टरों और मैकेनिकों की जरूरी टीमों के साथ 'रथ' बनाने का निर्देश दिया था। वर्षों बाद, एकता यात्रा के प्रमुख योजनाकार, पीएम मोदी ने उस यात्रा के वादे को पूरा करने की दिशा में एक निर्णायक कदम उठाया। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर, राज्य को शेष भारत के साथ अधिक निकटता से जोड़ने और इसका पूर्ण एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए यह एक अभूतपूर्व और ऐतिहासिक कदम था।

जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के संसद के निर्णय को सही ठहराया है, एकता यात्रा की भावना एक बार फिर महत्वपूर्ण रूप से प्रासंगिक हो उठी है। यह क्षण भारत के लोगों की एकता और अखंडता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की याद दिलाता है। एकता यात्रा भले ही 32 साल पहले शुरू हुई हो, लेकिन इसका एकता का संदेश आज भी देश का मार्गदर्शन करता है। यह एक ऐसा संदेश है जो न केवल सत्ता के गलियारे में बल्कि प्रत्येक भारतीय नागरिक के दिल और दिमाग में भी गूंजता है।

राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी बताते हैं कि यात्रा अक्सर देर रात समाप्त होती थी और सुबह जल्दी शुरू होती थी। श्री मोदी ने इस दौरान यह सुनिश्चित किया कि यह बड़ा और महत्वपूर्ण अभियान दिन-प्रतिदिन सुचारू रूप से चले। श्री मोदी रात में यात्रियों के लिए अगले दिन की स्नान और आवास की व्यवस्था से लेकर, उन्हें नाश्ते के पैकेट की उपलब्धता, प्रत्येक वाहन में डीजल तथा प्रत्येक चालक की ड्यूटी पर उपस्थिति जैसे हर काम की निगरानी और प्रबंधन में शामिल रहते थे।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अपने ट्वीट में, प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लोगों को आश्वासन देते हुए इस प्रतिबद्धता को दोहराया कि उनके सपने, उनकी सरकार के एजेंडे में सबसे आगे रहेंगे। उन्होंने सबसे अधिक हाशिए पर रहने वाले समुदायों तक भी समान विकास और प्रगति सुनिश्चित करने के लिए सरकार के संकल्प पर जोर दिया।

इस ऐतिहासिक दिन पर, आइए हम एकता यात्रा और उसमें निहित मूल्यों को याद करें। आइए हम एक मजबूत, अधिक एकजुट भारत बनाने के अपने संकल्प को भी दोहराएं, जहां सभी नागरिक शांति और सद्भाव में साथ रह सकें।

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प्रधानमंत्री मोदी का मार्मिक पत्र
December 03, 2024

दिव्यांग आर्टिस्ट दीया गोसाई के लिए रचनात्मकता का एक पल, जीवन बदलने वाले अनुभव में बदल गया। 29 अक्टूबर को पीएम मोदी के वडोदरा रोड शो के दौरान, उन्होंने पीएम मोदी और स्पेन सरकार के राष्ट्रपति महामहिम श्री पेड्रो सांचेज़ के अपने स्केच भेंट किए। दोनों नेताओं ने व्यक्तिगत रूप से उनके भावनात्मक उपहार को स्वीकार किया, जिससे वह बहुत खुश हुईं।

कुछ सप्ताह बाद, 6 नवंबर को, दीया को प्रधानमंत्री से एक पत्र मिला जिसमें उनकी कलाकृति की प्रशंसा की गई थी और बताया गया था कि कैसे महामहिम श्री सांचेज़ ने भी इसकी प्रशंसा की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें समर्पण के साथ ललित कलाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया, और "विकसित भारत" के निर्माण में युवाओं की भूमिका पर विश्वास व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने उनके परिवार को दीपावली और नववर्ष की शुभकामनाएं भी दीं, जो उनके व्यक्तिगत जुड़ाव को दर्शाता है।

खुशी से अभिभूत दीया ने अपने माता-पिता को वह पत्र पढ़कर सुनाया, जो इस बात से बहुत खुश थे कि उसने परिवार को इतना बड़ा सम्मान दिलाया। दीया ने कहा, "मुझे अपने देश का एक छोटा सा हिस्सा होने पर गर्व है। मोदी जी, मुझे अपना स्नेह और आशीर्वाद देने के लिए धन्यवाद।" उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री के पत्र से उन्हें जीवन में साहसिक कदम उठाने और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करने की गहरी प्रेरणा मिली।

पीएम मोदी का यह कदम, दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने और उनके योगदान को सम्मान देने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सुगम्य भारत अभियान जैसी अनेक पहलों से लेकर दीया जैसे व्यक्तिगत जुड़ाव तक, वह लगातार प्रेरणा देते हैं और उत्थान करते हैं, यह साबित करते हुए कि उज्जवल भविष्य बनाने में हर प्रयास महत्वपूर्ण है।