मित्रों मैं दुख की घड़ी में सिंगापुर में हूं।
महामहिम श्री ली कुआन यू के निधन के साथ एक युग का अंत हो गया।
वह हमारे दौर के महानतम नेताओं में से एक थे।
एक पीढ़ी में सिंगापुर का कायाकल्प उनके नेतृत्व को समर्पित है।
सिंगापुर की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ के वर्ष में, मुझे यकीन है कि सिंगापुर की उपलब्धियों के संतोष उसके भविष्य के बारे में विश्वास के साथ गए।
उन्होंने न सिर्फ दक्षिणपूर्व एशिया बल्कि पूरे एशिया को अपने खुद के भाग्य पर विश्वास करने के लिए प्रेरित किया।
वे महान चिंतक थे, जिन्होंने दूसरों से आगे की चीजों को देखा। वह आर्थिक प्रगति के हिमायती थे लेकिन हमारे क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए अथक प्रयास किए।
भारत में, हम उनकी दोस्ती और भारत की आर्थिक प्रगति के लिए उनके समर्थन तथा वैश्विक भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं।
वह हम सबसे अधिक भारत की क्षमता में विश्वास करते थे।
भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है।
सिंगापुर के साथ भारत के संबंध दुनिया में हमारे सबसे मजबूत संबंधों में से एक हैं।
दक्षिणपूर्व एशिया के साथ और उससे भी परे, भारत का जुड़ाव बढ़ता जा रहा है। सिंगापुर भारत की एक्ट इस्ट नीति का प्रमुख स्तंभ है।
इसलिए, उनका विजन सत्य हो रहा है। जो बीज उन्होंने बोए आज उन पर फल लग रहे हैं।
व्यक्तिगत रूप से, वह मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत थे। उनकी उपलब्धियां और विचार भारत के अपने कायाकल्प की संभावना में मेरा विश्वास बढ़ाते हैं।
भारत की जनता इस राष्ट्र के संस्थापक पिता और नेता के निधन पर दुख की इस घड़ी में सिंगापुर के साथ है।
दिवंगत नेता के सम्मान और सिंगापुर के साथ हमारी दोस्ती के अटूट बंधन के सम्मान में आज भारत में सार्वजनिक शौक है।
मैं आज यहां भारत की जनता की संवेदना और प्रार्थना के साथ आया हूं।