आज भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले समस्त बड़े या प्रमुख राष्ट्रों में से एक है। विश्व बैंक ने ‘कारोबार करने में आसानी’ से जुड़े अध्ययन, 2016 में भारत की रैंकिंग में 12 पायदानों का इजाफा किया है। एफडीआई में 40 फीसदी की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अनेक वैश्विक संगठनों ने भारत को पूरी दुनिया में एफडीआई के लिहाज से सबसे आकर्षक स्थल बताया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत को ‘प्रमुख राष्ट्र’ बताया है। वहीं, विश्व बैंक ने भारत की आर्थिक विकास दर 7.5 फीसदी या उससे भी ज्यादा रहने का अनुमान व्यक्त किया है।
एनडीए सरकार के सत्ता में आने के साथ ही श्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबी उन्मूलन, समावेशी विकास (भारत को एक विकसित राष्ट्र में तब्दील करना) और भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की भी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। भारत के विकास की रफ्तार बढ़ाने में वित्तीय संसाधन सबंधी बाधाओं के मद्देनजर अनेक आर्थिक सुधारों के साथ-साथ देश में कारोबार करने को और ज्यादा आसान बनाने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। लंबे समय से अटकी पड़ी अनेक परियोजनाओं की राह की बाधाएं समाप्त करने के साथ-साथ उनके क्रियान्वयन में तेजी भी लाई गई है। इसके अच्छे नतीजे भी अब नजर आने लगे हैं।
हालांकि, देश के लाखों युवाओं को लाभकारी रोजगार या उद्यमशीलता के अवसर उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता अब तक पूरी नहीं हो पाई है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ जैसे अभियान शुरू किए हैं। इस कड़ी में ताजा पहल ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ है। निवेश के इस पूरे माहौल को और बेहतर बनाने एवं देश में विदेशी निवेश लाने के लिए सरकार ने अर्थव्यवस्था के 15 प्रमुख क्षेत्रों से जुड़े एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) सुधार लागू किए हैं।
इससे जुड़ी खास बातें निम्नलिखित हैं :
- सीमित देयता वाली साझेदारियां, डाउनस्ट्रीम संबंधी निवेश और अनुमोदन की स्थिति
- अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियों द्वारा निवेश
- भारतीय कंपनियों की स्थापना और उनके स्वामित्व एवं नियंत्रण का हस्तांतरण
- कृषि और पशुपालन
- वृक्षारोपण
- रक्षा
- प्रसारण क्षेत्र
- नागरिक उड्डयन
- क्षेत्र विशेष से जुड़ी सीमा को बढ़ाना
- भवन निर्माण विकास क्षेत्र
- विनिर्माण क्षेत्र
- बैंकिंग-निजी क्षेत्र
- टाइटेनियम मिश्रित खनिजों और अयस्कों का खनन एवं खनिज पृथक्करण, इसका मूल्यवर्द्धन और एकीकृत गतिविधियां
- कैश एंड कैरी होलसेल ट्रेडिंग (थोक व्यापार)/थोक व्यापार (एमएसई से सोर्सिंग सहित)
- एकल ब्रांड खुदरा व्यापार और ड्यूटी फ्री शॉप्स (शुल्क मुक्त दुकानें)
इन सुधारों का निचोड़ देश में विदेशी निवेश की प्रक्रिया को और आसान, युक्तिसंगत एवं सरल बनाना तथा ज्यादा-से-ज्यादा एफडीआई प्रस्तावों को सरकारी मंजूरी रूट के बजाय स्वत: (ऑटोमैटिक) मंजूरी रूट के अंतर्गत लाना है, ताकि सरकारी मंजूरी रूट के तहत निवेशकों के समय एवं ऊर्जा को जाया होने से बचाया जा सके। यह न्यूनतम सरकार एवं अधिकतम गवर्नेंस (शासन) का एक और सबूत है। प्रमुख क्षेत्रों जैसे कि भवन निर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश को और ज्यादा दुरुस्त किया गया है। भवन निर्माण क्षेत्र में गरीबों के लिए 50 मिलियन घरों का निर्माण किया जाना है। इसी तरह थोक, खुदरा और ई-कॉमर्स के लिए विनिर्माण क्षेत्र को खोला गया है, ताकि उद्योग अन्य देशों से आयात करने के बजाय भारत में ही बनाने और इनकी बिक्री यहां के ग्राहकों को ही करने के लिए प्रेरित हो सकें। प्रस्तावित सुधारों के तहत विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी सीमा को भी मौजूदा 3000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। संबंधित प्रस्ताव में कई अन्य लंबित सुधार भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए, सीमित देयता वाली साझेदारियों के तहत आवश्यक समझे जाने वाले सुधार भी इनमें शामिल हैं। इसी तरह एनआरआई के स्वामित्व वाली उन कंपनियों द्वारा आवश्यक समझे जाने वाले सुधार भी इनमें शामिल हैं, जो भारत में निवेश के लिए प्रेरित नजर आ रही हैं। कुछ अन्य प्रस्तावों में क्षेत्रवार सीमा बढ़ाने का भी उल्लेख किया गया है, ताकि विदेशी निवेशकों को टुकड़े-टुकड़े वाले अथवा विखंडित स्वामित्व जैसे मुद्दों का सामना नहीं करना पड़े और वे पूरे उत्साह के साथ अपनी प्रौद्योगिकी एवं संसाधनों को यहां लगाने के लिए प्रेरित हो सकें।
सुधारों के इस दौर के साथ भारत सरकार ने यह दर्शाने की कोशिश की है कि आर्थिक विकास के पथ पर भारत सदैव आगे बढ़ने को तत्पर है। प्रधानमंत्री ने यह बात दोहराई है कि भारत के लोगों की आर्थिक भलाई सुनिश्चित करना उनका मुख्य काम है। यही नहीं, भारत सरकार का यह स्पष्ट मानना है कि विकास के फल आम आदमी तक तभी पहुंच पाएंगे, जब वाकई विकास कार्य पूरे होंगे। सर्वोपरि बात यह है कि देश के हर नागरिक की इसमें हिस्सेदारी होनी चाहिए।
विभिन्न क्षेत्रों (सेक्टर) से जुड़े सुधारों के अलावा डीआईपीपी को विभिन्न अधिसूचनाओं एवं प्रेस नोट में निहित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) संबंधी समस्त निर्देशों को समेकित करने और एक पुस्तिका तैयार करने की सलाह दी गई है, ताकि निवेशकों को अलग-अलग समय सीमा वाले अनेक दस्तावेजों का उल्लेख करने की जरूरत न पड़े। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ताजा कवायद का उद्देश्य देश में और अधिक विदेशी निवेश लाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों को और ज्यादा खोलना तथा भारत में निवेश करने को आसान बनाना है। कुल मिलाकर, यह कवायद देश में निवेश एवं प्रौद्योगिकी आकर्षित करने और भारत के लोगों की आमदनी बढ़ाने हेतु रोजगार सृजित करने के लिए शेष दुनिया के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को एकीकृत करने की दिशा में एक अत्यंत गतिशील कदम है।