वेदांत में जिसे परम सत्य कहा गया है और क्वांटम भौतिकी में जिसे सार्वत्रिक ऊर्जा क्षेत्र कहा गया - योग उसी तत्व को अनुभव करने का मार्ग है। वेदांत के अगम अगोचर सूक्ष्म सिद्धांत को योग के द्वारा स्थूल अनुभव में लाया जा सकता है। अपनी आंतरिक यात्रा को प्रारंभ करने के लिए योग पहला कदम है।
योग ही वह कुँजी है जिससे आनंद के अपार भंडार के द्वार खुल जाते हैं, व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर। इसमें अहंकारी और स्वार्थी प्रवृत्तियों का नाश व व्यक्तिगत और सामाजिक दुःख को समाप्त करने की शक्ति है।
योग से न केवल हमें ऊर्जा और स्वास्थ्य मिलता है बल्कि हमारी चेतना का स्तर ऊँचा हो जाता है। इससे हमारी प्रज्ञा और पूर्वानुमान करने की क्षमता भी बढ़ जाती है जो कि आज के राजकारण में अत्यंत आवश्यक है। योग से कर्म में कौशल वृद्धि और विषम परिस्थितियों को तनाव-रहित रहते हुए सामना करने का बल मिलता है।
हर बच्चा पैदायशी योगी है। दुनिया भर के शिशु तीन साल की उम्र तक कई सारे आसन और मुद्राएँ स्वाभाविक रूप से करते हैं। शिशुओं की श्वांसों की लय और उनकी मनःस्थिति एक योगी के जैसी ही होती है। योग से हमारे भीतर वह बालवत सुंदरता एवं भोलापन लौट आता है।
यह जानी मानी बात है कि योग से अनगिनत लोगों को शारीरिक व मानसिक पीड़ाओं से राहत पाने में मदद मिली है। योग तत्काल ही मानव व्यक्तित्व में पूर्ण संतुलन ला सकता है; योगिक प्रक्रियाएं चरम मनोग्रंथियों और प्रवृत्तियों में सुधार लाती है। वास्तव में, योग से ऐसे कई समाधान निकलने की आशा दिखती है जिसे आज के व्यावहारिक विज्ञान को तलाश है।
जब लोगों को गहन ध्यान का अनुभव होता है तो उनका जीवन स्वतः परिवर्तित होने लगता है। ऐसा जेलों में भी देखा गया है कि जब कैदी प्राणायाम प्रारंभ करते हैं तो वे आसानी से ध्यान में डूब जाते हैं और उनके चरित्र में यम और नियम (महर्षि पतंजलि द्वारा बताए गए सामाजिक एवं व्यक्तिगत आचार संहिता) प्रदर्शित होने लगते हैं। आतंकवादी व कैदी से लेकर संत और कवि, चाहे कोई भी हो, योग से जीवन में इस प्रकार के परिवर्तन आते हैं जिसकी अधिकाँश जन कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। योग से हदय शुद्ध और हल्का हो जाता है, बुद्धि भ्रम से रहित और तीक्ष्ण हो जाती है तथा मन के सारे द्वंद दूर हो जाते हैं।
21वीं सदी में जब अवसाद विश्व भर में एक बड़ी चुनौती बन गया है, योग ही वह सर्वोत्तम ऐप है जिसे सभी को अपने जीवन में डाउनलोड कर लेना चाहिए। विज्ञान, खेल और संस्कृति की तरह योग को भी पनपने के लिए राज्य के संरक्षण की आवश्यकता है।
पिछले कई सालों से सेक्यूलरिसम के नाम पर योग को यथोचित स्थान नहीं मिल पाया। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, जो स्वयं योग के प्रबल अभ्यासक हैं, के द्वारा योग को जो इतना बड़ा प्रोत्साहन मिला है, वह अत्यंत सराहनीय है। जब शीर्ष पदों पर बैठे नेता योगाभ्यास करते हैं तो इससे सद्भाव बढ़ता है और अपने को दूसरे से बड़ा सिद्ध करने की प्रवृत्ति घटती है। यदि सभी राष्ट्रों के प्रमुख योग के ज्ञान का पालन करना शुरू कर दें, तो वास्तविक विश्व शांति दूर नहीं।
( मानवीय व आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर शांति व मानव मूल्यों के दूत हैं। अपने जीवन और कार्यों के माध्यम से श्री श्री ने तनाव मुक्त एवं हिंसा मुक्त विश्व के विज़न के साथ दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया है। )
ऊपर व्यक्त की गई राय लेखक की अपनी राय है। यह आवश्यक नहीं है कि नरेंद्र मोदी वेबसाइट एवं नरेंद्र मोदी ऐप इससे सहमत हो।