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हमारी सरकार का एक ही लक्ष्य है - सबका साथ सबका विकास। हमें जनादेश भी इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए मिला है। लोकसेवा में लीन रहने वाले हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का सपना है अंत्योदय, जो गरीब, दरकिनार और मुश्किल जिन्दगी जी रहे समाज के सबसे वंचित तबके के लिए भी अवसर पैदा कर उनके जीवन को मुख्य धारा से जोड़ता है।

सेहतमंद रहना मानव जीवन की बुनियादी जरूरत है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। स्वस्थ लोग अपने-अपने क्षेत्र में ज़्यादा अंशदान कर पाते हैं। अच्छी सेहत लोगों को ज़्यादा कमाने, ज़्यादा बचत करने और देश की तरक्की में ज़्यादा भागीदारी निभाने का मौका देती है। इसलिए देश को ज़्यादा उद्यमशील बनाने के लिए उसके नागरिकों, खासकर उन लोगों के स्वास्थ्य की देख-रेख हमारी सरकार की प्राथमिकता हैं जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा जरूरत है। हमारी सरकार के अंत्योदय के मकसद को इससे भी समझा जा सकता है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। देश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।

स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने की बात हो या फिर इसकी पहुंच का मामला हो, पारम्परिक तौर पर हमारे देश में स्वास्थ्य जगत का बुनियादी ढांचा बिखरे स्वरूप में नज़र आता रहा है। सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता के लिए सक्षम कर्मचारी और बेहतरीन बुनियादी ढांचे की दरकार है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के माध्यम से हमारी सरकार इस क्षेत्र में छाये संतुलन को दूर करने में जोर-शोर से जुटी है। इस योजना में देश के कमज़ोर इलाकों में मेडिकल शिक्षा, रिसर्च और क्लीनिकल केयर में सुधार लाने के साथ-साथ हमें हेल्थकेयर की क्षमता बढ़ानी है। 11 नए एम्स की स्थापना की प्रक्रिया हम पहले ही शुरू कर चुके हैं। 6 एम्स की स्थापना हमारे पिछले राजकाज में की जा चुकी है। 70 मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक भी बनाये जा रहे हैं। इनके अलावा दो नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट, 20 स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट और विशेष इलाज और सुविधाओं से लैस 50 कैंसर केयर सेंटर भी बनाये जा रहे हैं। 58 नए मेडिकल कॉलेजों को मौजूदा ज़िला और रेफरल अस्पतालों से भी जोड़ा जाना है। आपको पता हो कि हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसले के साथ ऐकडेमिक सत्र 2017-18 से अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में 4000 से ज़्यादा पीजी मेडिकल सीटों को मंज़ूरी मिल चुकी है। इस बढ़ोतरी के साथ ही अब कुल 35,117 पीजी सीट उपलब्ध हैं जो अब तक का रिकॉर्ड है। डॉक्टरों की कमी को दूर करने की इतनी बड़ी पहल देश में पहले कभी नहीं हुई थी।

सरकार इलाज और स्वास्थ्य सुविधाओं को कुछ इस तरह से ढालने की कोशिश कर रही है कि ये पॉकेट पर भारी ना पड़े। अध्ययन से ये ज़ाहिर हुआ है कि महंगी स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते कोई परिवार आर्थिक रूप से तंगहाली में पहुंच गया। परिवार में किसी के अचानक बीमार पड़ने के चलते भी कई लोग गरीबी रेखा के नीचे बसर करने को मजबूर हैं। ऐसे ही लोगों के लिए अफोर्डेबल मेडिसिन्स एंड रिलाएबल इम्प्लांट्स ऑफ़ ट्रीटमेंट यानी अमृत आउटलेट शुरू किया गया है। इसके ज़रिए कैंसर और हृदय रोग संबंधी दवाएं और इम्प्लांट्स उचित कीमत पर मुहैया कराये जा रहे हैं। अमृत फार्मेसी से इलाज की कीमतों में 90 फ़ीसदी तक की कमी आई है जो दवाओं की कीमतों को काबू में करने की सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करती है। हमने 10.14 लाख मरीजों को 101.83 करोड़ रु की दवाएं 40.48 करोड़ में मुहैया कराईं यानी कुल 61.34 करोड़ रु की बचत। कहने की ज़रूरत नहीं कि इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में दवाओं की कीमतों में 50-60% तक की कमी आ गई है। हार्ट स्टेंट के लिए कीमतों की सीमा भी तय कर दी गई है। बेयर मेटल स्टेंट 7,260 रु तक जबकि मैटेलिक और बायोडिग्रेडेबल स्टेंट समेत ड्रग एल्युटिंग स्टेंट यानी डीईएस 29,600 रु तक की कीमतों में मिलेंगी। इस तरह से स्टेंट की कीमतों में 85% तक की कमी आ गई है।

जब हम वंचित वर्ग तक सुविधाएं पहुंचाने की बात करते हैं, तो ये जानना भी ज़रूरी है कि इसके लिए हर तरह के संसाधन के इस्तेमाल की दरकार होती है। प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व और उनके डिजिटल इंडिया अभियान के तहत हम हेल्थ के क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दे रहे हैं ताकि स्वास्थ्य सुविधाएं तेज़ गति से लोगों तक पहुंच सकें। आम नागरिकों तक एकमुश्त स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां भेजने के मकसद से ही नेशनल हेल्थ पोर्टल-एनएचपी को लॉन्च किया गया है। देश भर में मोबाइल फ़ोन की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर स्वस्थ भारत मोबाइल एप्लीकेशन को लॉन्च किया गया है। इससे लोग स्वस्थ जीवन शैली, बीमारी की स्थिति, लक्षण और इलाज के विकल्पों के बारे में जल्द जानकारियां हासिल कर पाएंगे।

बहुभाषी एप ‘मेरा अस्पताल’/‘माई हॉस्पिटल’ पर 75 सुविधाओं को लेकर मरीजों के फीडबैक आने शुरू हो गए हैं। इससे अस्पताल अपनी सेवाओं में सुधार ला सकते हैं। हमारी सरकार में एम-डाइबिटीज़ हो या डेंगू, इन बीमारियों से निपटने और इनकी रोकथाम से जुड़ी पहल भी सामने है। डेंगू पर एप के ज़रिये और एक ख़ास नंबर पर मिस्ड कॉल देने पर अहम जानकारियां देने का प्रावधान किया गया है। लोक स्वास्थ्य के क्षेत्र में किलकारी समेत कई एप और सेवाएं हैं जिनका बखूबी इस्तेमाल किया जा सकता है। 63 अस्पतालों में ओआरएस यानी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम शुरू किया गया है जिसके ज़रिये अब तक 6 लाख से ज़्यादा ई-हॉस्पिटल अपॉइंटमेंट्स और 49 लाख से ज़्यादा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन आधारित अपॉइंटमेंट्स दर्ज हो चुके हैं। इनके अलावा ई-सीजीएचएस कार्ड की सुविधाएं शुरू की जा चुकी हैं जिनसे ज़रूरत पड़ने पर किसी भी जगह से सीजीएचएस कार्ड का प्रिंट लिया जा सकता है। इसके साथ ही नेशनल मेडिकल कॉलेज नेटवर्क स्थापित करने पर भी काम चल रहा है। पहले फेज में 41 सरकारी मेडिकल कॉलेजों को इस नेटवर्क में लाया जा रहा है। हाई स्पीड बैंडविड्थ कनेक्टिविटी के साथ ये नेशनल नॉलेज नेटवर्क-एनकेएन के रूप में काम करेगा। ऐसी तमाम पहल का मकसद है लोगों को ई-एजुकेशन और ई-हेल्थकेयर मुहैया कराना।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी कोशिशों पर सरकार ने पूरा भरोसा जताया है और देश के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य मुहैया कराने के लिए हमें लगातार प्रेरित भी किया है। जन स्वास्थ्य को लेकर हमारी सरकार और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी की प्राथमिकता इससे भी पता चलती है कि इस साल के बजट में हमारे मंत्रालय को 27 फ़ीसदी ज़्यादा रकम आवंटित किया गया है। इससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार बेहतर करने के लिए हमारे अंदर भी उत्साह का संचार हुआ है और अब हम प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही दूसरी तमाम सेवाओं में नई जान भरने में जुट गए हैं। इनमें डायबिटीज, हाइपरटेंशन, और सामान्य कैंसर की सब सेंटर और प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर स्क्रीनिंग करने की सुविधाएं देना भी शामिल है।

हमारी पहल से देश की पूरी आबादी लाभान्वित होगी और अब हमारा फोकस Sick Care से हेल्थ केयर की ओर है। हमारी योजना स्वास्थ्य सेवाओं को इस सांचे में ढालने की है ताकि लोगों के लिए अस्पताल में भर्ती होने की नौबत कम से कम आ सके। हम 1.5 लाख हेल्थ सब सेंटर को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में तब्दील करना चाह रहे हैं।

प्रधानमंत्री खुद बिना थके देश के लोगों के कल्याण में लगे हैं। एनडीए सरकार के पिछले तीन साल के कामकाज ने ये ज़ाहिर किया है कि वह जनहित की योजनाओं को लेकर कितनी मुस्तैद है। स्वास्थ्य मंत्रालय अपनी बेहतरी के लिए संघर्ष कर रहे लोगों को गुणवत्ता भरी स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार के अंत्योदय के वादे को पूरा करने में स्वास्थ्य मंत्रालय भी जी-जान से जुटा है।

(जगत प्रकाश नड्डा भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह वर्तमान में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हैं, हिमाचल प्रदेश से राज्य सभा के सदस्य हैं और भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड के सचिव हैं। इससे पहले, वह हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं।)

जो विचार ऊपर व्यक्त किए गए हैं, वो लेखक के अपने विचार हैं और ये जरूरी नहीं कि नरेंद्र मोदी वेबसाइट एवं नरेंद्र मोदी एप इससे सहमत हो।