भारत को अवसरों का देश कहा जाता है, लेकिन वर्षों तक यहां मौजूद अवसरों का पूरा लाभ नहीं उठाया गया क्योंकि देश में एक सक्षम नेतृत्व का अभाव था। सक्षम नेतृत्व के अभाव में वर्षों तक यहां की प्रतिभाओं और क्षमताओं का समुचित उपयोग नहीं हो सका जो देश को वैश्विक स्तर पर आगे ले जाने के लिए जरूरी होता है।
लालफीताशाही, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और zero governance के एक दशक बाद 26 मई, 2014 को देश ने अंधकार से प्रकाश में तब कदम रखा जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील और दूरदर्शी नेतृत्व में केंद्र में एनडीए की सरकार बनी। मोदी सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र के साथ अथक प्रयास शुरू कर दिए। उन प्रयासों के जरिए भारत की अर्थव्यवस्था में नया दौर आने के साथ ही समाज के विभिन्न वर्गों के सशक्तीकरण के रास्ते खुले। विशेष रूप से समाज के कमजोर और पिछड़े वर्गों के लोगों में नई उम्मीदें जगीं जिन्हें पूर्ववर्ती सरकार ने अपनी तुष्टिकरण की नीतियों को लागू करने के लिए सिर्फ एक वोट बैंक के रूप में देखा।
केंद्र सरकार ने न सिर्फ समाज के वंचितों और शोषितों के विकास और सशक्तीकरण पर बल दिया है, बल्कि लघु उद्योगों और उद्यमियों के लिए ”Ease of Doing Business” का एक माहौल भी बनाया है। इसके सकारात्मक नतीजे देखने को मिले हैं। जनवरी, 2018 में औद्योगिक विकास दर बढ़कर 7.5% हो गई। इसके साथ ही जनवरी 2018 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) बढ़कर 132.3 अंक हो गया, जो जनवरी 2017 की तुलना में 7.5% अधिक है। जब अन्य क्षेत्रों पर नजर डालते हैं, तो उनमें भी प्रदर्शन ना सिर्फ जबरदस्त रहे हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों के मामले में देश के मजबूत विकास को भी दर्शाते हैं।
भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर का विश्व में चौथा स्थान!
वस्तु एवं सेवा कर (GST) को सुव्यवस्थित स्वरूप देकर और purchasing power parity के जरिए नए युग के उद्यमियों को लगातार प्रोत्साहन और समर्थन दिया जा रहा है। यही वो वजह है जिससे युवाओं और मध्यम वर्ग में वाहनों की मांग बढ़ी है।
Automobile manufacturing में काफी बढ़ोतरी हुई है, जिससे भारत ने जर्मनी को पीछे छोड़ दिया है। भारत की automobile industry ने विश्व में चौथा स्थान हासिल किया है।
वर्ष 2017 में commercial और यात्री वाहनों की बिक्री की वृद्धि दर 9.5% थी और इस वर्ष 40 लाख वाहन बेचे गए।
मेक इन इंडिया की बड़ी सफलता: भारत बना दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता
केंद्र की ‘मेक इन इंडिया’ की पहल को बढ़ावा देने का उद्देश्य ‘Ease of Doing Business’ के मंत्र के साथ रंग लाने लगा है। प्रधानमंत्री मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ का आइडिया निवेश, इनोवेशन, कौशल विकास और संसाधनों के अधिक से अधिक उपयोग के लिए एक अनुकूल ecosystem बनाने में सक्षम साबित हुआ है।
भारत स्टेनलेस स्टील के निर्माण के मामले में जापान से आगे निकल चुका है और विश्व में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। अब भारत तेजी से चीन को भी पीछे करने की कोशिश में लगा है।
देश में मोबाइल फोन का सालाना प्रोडक्शन 2014 में 30 लाख यूनिट था, जो वर्तमान में बढ़कर 1.1 करोड़ यूनिट हो गया है। मोबाइल फोन निर्माण की दुनिया में आई यह तेजी भारत के डिजिटल स्पेस के नए युग और उसके विकास कहानी को खुद बयां कर जाती है। हम वियतनाम को पीछे छोड़कर विश्व के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन निर्माता बन गए हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के Fast Track Task Force (FTTF) के मुताबिक, 2019 तक मोबाइल फोन का उत्पादन 50 करोड़ यूनिट प्रति वर्ष हो जाएगा।
इस बदलाव का रोजगार सृजन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। 2014 से मोबाइल फोन इंडस्ट्री में 4 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं, जिनमें से 2.4 लाख नौकरियों का सृजन अकेले 2017 में हुआ।
स्टेनलेस स्टील के निर्माण में विश्व में दूसरा स्थान
नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार का ध्यान मुख्य रूप से औद्योगिक विकास और production output में तेजी से बढ़ोतरी करने पर रहा है। नए उत्साह और नीति निर्धारण के साथ भारत वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख औद्योगिक ताकत के रूप में उभरा है। इससे इस्पात उद्योग को प्रमुख रूप से बढ़ावा मिला है।
International Stainless Steel Forum (ISSF) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2015 में स्टेनलेस स्टील का उत्पादन 30 लाख टन हुआ था। वर्ष 2016 में इसमें 9% की बढ़ोतरी हुई और उत्पादन 33.2 लाख टन तक पहुंच गया।
विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उत्पादक देश बना भारत
नरेन्द्र मोदी सरकार अप्रैल 2019 तक भारत के हर घर में 24 घंटे बिजली देने के लिए लगातार काम कर रही है। इन कोशिशों से बिजली की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, जिसका नतीजा है कि विश्व के सबसे बड़े बिजली उत्पादक देशों में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।
इस साल फरवरी में जारी की गई India Brand Equity Foundation (IBEF) की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 के दौरान बिजली का उत्पादन 1003.525 बिलियन यूनिट हुआ। बिजली उत्पादन के क्षेत्र में सात साल पहले के आंकड़ों से तुलना करें तो 2017 में इसमें 34% की भारी बढ़ोतरी हुई है।
भारत वर्ष 2022 तक 100 गीगावॉट बिजली उत्पादन के स्तर तक पहुंचने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र सरकार और संबंधित विभाग पनबिजली, गैस, सौर और नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य रूपों के इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। बात यहीं नहीं रुकती है, ‘electrifying a New India’ के आइडिया के साथ भारत ने 2022 तक सौर ऊर्जा से 100 गीगावॉट और पवन ऊर्जा से 60 गीगावॉट बिजली उत्पादन का लक्ष्य भी रखा है।
आज भारत में युवा शक्ति की ऊर्जा और विचारों की गूंज सुनाई दे रही है, जिसने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इनोवेशन और सभी क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि को संभव बनाया है। नई विश्व व्यवस्था में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने युवा शक्ति की उम्मीदों को आगे बढ़ाया है और मंच प्रदान किया है। हाल ही में जारी विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा सरकार द्वारा शुरू की गई साहसिक और निर्णायक रणनीतियों की वजह से भारत अपने यहां एक और ‘सिलिकॉन वैली’ बनाने के लिए तैयार है। अंत में, मैं कहूंगा कि अब वह समय गुजर चुका है, जब हम कहते थे कि भारत भविष्य की महाशक्ति बनेगा क्योंकि भारत पहले से ही एक वैश्विक शक्ति है जिसे दुनिया मानती है। निरंतर विकास की यह कहानी हमें न्यू इंडिया में ले जा रही है। एक ऐसा न्यू इंडिया जिसे समान अवसरों और देश की आंतरिक शक्ति को नए सिरे से ढालकर हासिल करने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है।
(विजय गोयल भारत के संसदीय मामलों के राज्यमंत्री के साथ ही सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्यमंत्री भी हैं।)
ऊपर व्यक्त की गई राय लेखक की अपनी राय है। यह आवश्यक नहीं है कि नरेन्द्र मोदी वेबसाइट एवं नरेन्द्र मोदी ऐप इससे सहमत हो।