नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने पिछले तीन साल में कई क्षेत्रों में जो उपलब्धियां हासिल की हैं वो विश्वास के साथ विकास की दिशा में बढ़ चुके भारत के लिए मील का पत्थर हैं। ये एक ऐसा अवसर है जब पिछले पलों में जाकर हम उठाये गए कदमों और लिये गए फैसलों की समीक्षा करते हैं, ये मूल्यांकन करते हैं कि अब तक की यात्रा कैसी रही है? मौजूदा सरकार ने तीन साल की यात्रा में लीक से हटकर, बिल्कुल एक अलग मुकाम हासिल किया है जहां से नए विश्वास और फोकस के साथ आगे के रास्ते पर नजर है।

प्रधानमंत्री का न्यू इंडिया का विजन तभी साकार हो पाएगा जब हम अपनी आकांक्षाओं को दुनिया में टेक्नोलॉजी के सबसे बड़े उपभोक्ता बने रहने तक सीमित रखने के बजाए उसे नई उड़ान देंगे, टेक्नोलॉजी की दुनिया में लीडर बनने का लक्ष्य रखेंगे।   

तीन साल में सरकार के नाम बड़ी उपलब्धियां दर्ज होने में प्रधानमंत्री की न्यू इंडिया की सोच बहुत अहम रही है जिस पर वो हमेशा बल देते रहे हैं। सामाजिक सेक्टर से लेकर अर्थव्यवस्था तक के क्षेत्र में न्यू इंडिया की ये सोच क्या है, इस बारे में अब तक बहुत कुछ लिखा जा चुका है।  प्रधानमंत्री का डिजिटल को अपनाते हुए Less Cash सोसाइटी बनाने पर जोर रहा है। प्रधानमंत्री के इस कदम का लक्ष्य है technology savvy सोसाइटी का निर्माण जिसके लिए न्यू इंडिया को इच्छाशक्ति दिखाना है। अदालती मामलों के मैनेजमेंट के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म के विषय में सुप्रीम कोर्ट में हाल में दिये अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने इस बात को उभारा कि समाज में बदलाव के लिए कैसे Artificial Intelligence (AI)  यानी कंप्यूटरीकृत बौद्धिक प्रणाली कारगर है। इस अवसर पर उन्होंने इस बात को भी रखा कि टेक्नोलॉजी को अपनाने में मौजूदा पूर्वाग्रह (Current Mindset) सबसे बड़ी चुनौती है।   

जब प्रधानमंत्री इस Current Mindset की बात कर रहे हैं तो इसका मतलब सिर्फ समाज में टेक्नोलॉजी अपनाने से जुड़ी बाधाएं ही नहीं हैं बल्कि वो अड़चनें भी हैं जो भारत में प्रोद्योगिकी के विकास की राह में आती हैं।   

न्यू इंडिया में हमें टेक्नोलॉजी को लेकर एक कल्चर विकसित करना होगा जहां लोग नई-नई टेक्नोलॉजी के साथ प्रयोग करने को सहज इच्छुक हों, उन्हें बड़ी चुनौतियां कबूलने में कोई झिझक नहीं हो,साथ ही टेक्नोलॉजी के मामले में उनमें फॉलोअर नहीं अगवा बनने की चाहत हो।

प्रधानमंत्री का न्यू इंडिया का विजन तभी साकार हो पाएगा जब हम अपनी आकांक्षाओं को दुनिया में टेक्नोलॉजी के सबसे बड़े उपभोक्ता बने रहने तक सीमित रखने के बजाए उसे नई उड़ान देंगे, टेक्नोलॉजी की दुनिया में लीडर बनने का लक्ष्य रखेंगे।   

न्यू इंडिया में हमें टेक्नोलॉजी को लेकर एक कल्चर विकसित करना होगा जहां लोग नई-नई टेक्नोलॉजी के साथ प्रयोग करने को सहज इच्छुक हों, उन्हें बड़ी चुनौतियां कबूलने में कोई झिझक नहीं हो, साथ ही टेक्नोलॉजी के मामले में उनमें फॉलोअर नहीं अगवा बनने की चाहत हो।

इसे और अच्छी तरह से समझने के लिए हम उन दो क्षेत्रों को देखें जो बताते हैं कि कैसे न्यू इंडिया ग्लोबल टेक्नोलॉजी लीडर बन सकता है। पहला क्षेत्र है Artificial Intelligence का जिसका जिक्र प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में किया था। दूसरा क्षेत्र आने वाले समय में ब्रॉडकास्ट और ब्रॉडबैंड के टेक्नोलॉजी कन्वर्जेंस का है। 

Artificial Intelligence

Artificial Intelligence आधारित टेक्नोलॉजी, सॉल्यूशन और सिस्टम को विकसित करने की रेस में भारत भले अमेरिका और चीन से पीछे है लेकिन देश के भीतर मौजूद चुनौतियां इसके लिए अनूठा अवसर बनाती हैं। India and the Artificial Intelligence revolution  से जुड़े एक शोधपत्र में ये विस्तार से बताया गया है कि  Artificial Intelligence के क्षेत्र में भारत कैसे आगे बढ़ सकता है। 

भारत के लिए ये समय की मांग है कि आंकड़ों के इन डाटासेट्स को वो देश-दुनिया के AI रिसर्चरों के लिए खोले ताकि नई टेक्नोलॉजी और सॉल्यूशन विकसित हो सके। इससे ये भी पता चलेगा कि दुनिया की आज की प्रासंगिकता के लिहाज से न्यू इंडिया के रास्ते की बड़ी चुनौतियों क्या हैं।

भारत में व्यापक भाषाई विविधता को डील करने के लिए नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी हो या राजकाज चलाने की ढेर सारी चुनौतिया (कर चोरी, सब्सिडी लीकेज, बिचौलियों का दखल), इन्हें देखते हुए देश में Artificial Intelligence के रिसर्च और विकास के लिए काफी सुनहरा अवसर है। एक अरब से ज्यादा जनसंख्या वाले इस लोकतंत्र में अच्छी तरह से रखे गए या बिखरे हुए ऐसे सार्वजनिक डाटा जो कागजों के गट्ठर के रूप में मौजूद हैं उन्हें टेक्नोलॉजी के जरिए संयोजित करने के लिए भी ये एक अवसर प्रदान कर रहा है।

भारत के लिए ये समय की मांग है कि आंकड़ों के इन डाटासेट्स को वो देश-दुनिया के AI रिसर्चरों के लिए खोले ताकि नई टेक्नोलॉजी और सॉल्यूशन विकसित हो सके। इससे ये भी पता चलेगा कि दुनिया की आज की प्रासंगिकता के लिहाज से न्यू इंडिया के रास्ते की बड़ी चुनौतियों क्या हैं। इससे भारत में भारत के लिए ना सिर्फ AI research and development के लिए सार्वजनिक फंडिंग को बढ़ावा मिलेगा बल्कि चीन से प्रतिस्पर्धा में भी तेजी आएगी। हो सकता है ग्लोबल मार्केट में मेड इन इंडिया AI based technology solutions चीन से भी आगे निकल जाए।

 

ब्रॉडकास्ट ब्रॉडबैंड कन्वर्जेंस

ओपन इंटरनेट और लोकतांत्रिक समाज के साथ भारत विश्व का सबसे बड़ा डिजिटल उपभोक्ता बाजार है। ओपन इंटरनेट और अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए हमारी प्रतिबदधता हमारे लिए एक अनोखे अवसर लेकर आई है। हम उस टेक्नोलॉजी को विकसित करने में विश्व में अग्रणी बन सकते हैं जो डिजिटल प्रसारण और मोबाइल फोन एवं हाई स्पीड मोबाइल नेटवर्क के जरिए इंटरनेट आधारित डिजिटल अर्थव्यवस्था के कन्वर्जेंस से जुड़ी है।

टेलीविजन और रेडियो को मिलाकर प्रसार भारती के रूप में हम दुनिया के सबसे बड़े ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क हैं...जनसंख्या के लिहाज से विश्व में इतनी पहुंच और किसी भी ब्रॉडकास्टर की नहीं। लेकिन जैसा कि प्रधानमंत्री इंगित कर चुके हैं कि हमारे साथ एक पूर्वाग्रह की समस्या (Mindset Problem) जुड़ी है। यही पूर्वाग्रह है जो हमारे एक अरब से ज्यादा मोबाइल उपभोक्ताओं को लक्षित कर डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग टेक्नोलॉजी की नई जेनरेशन विकसित करने में हमारी बाधा बनता है।    

ब्रॉडकास्टिंग और ब्रॉडबैंड के उभरते कन्वर्जेंस में ग्रामीण भारत के सुदूर इलाकों में भी टीवी व्हाइटस्पेस के क्रिएटिव इस्तेमाल के जरिए इंटरनेट कनेक्टिविटी देने की क्षमता है। ये कदम प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के सपने को वास्तविकता  में बदलने वाले साबित होंगे।     

भारत के पब्लिक ब्रॉडकास्टर के लिए यह पल व्यापक औद्योगिक इकोसिस्टम के सहयोग से शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर डाले रखने का रवैया त्यागने की मांग करता है। इंटरनेट आधारित डिजिटल इकोनोमी के आज के युग में भी भारत 1990 के दशक के डिजिटल टेरेस्ट्रियल ब्रॉडकास्टिंग टेक्नोलॉजी की विरासत का बंधक बना हुआ है, जिसे बदलना होगा। समय इन कठिन सवालों को भी पूछने का है कि 1990 के दशक के पुराने ब्रॉडकास्टिंग टेक्नोलॉजी से जुड़े फैसलों के आधार पर आज भी इस क्षेत्र में हो रहे सार्वजनिक निवेश का क्या औचित्य है?  आखिर स्मार्टफोन, यूटयूब पर इंटरनेट स्ट्रीमिंग, फेसबुक और व्हाट्सऐप पर वीडियो शेयरिंग के आगमन से पहले की इस टेक्नोलॉजी के साथ चलना आज कहीं से प्रासंगिक नहीं।

दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लोकतंत्र अमेरिका ओपन इंटरनेट की प्रतिबद्धता के साथ मोबाइल फोन में डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग चिप की अनिवार्यता पर विचार कर रहा है, ताकि किसी आपदा की स्थिति में इमरजेंसी अलर्ट भेजा जा सके। ऐसे समय में भारत के लिए जरूरी है कि वो देश में टेक्नोलॉजी स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के माध्यम से अपने मेड इन इंडिया ब्रॉडकास्टिंग इनोवेशन के भविष्य को सुनिश्चित करने के कदम उठाए। ब्रॉडकास्टिंग और ब्रॉडबैंड के उभरते कन्वर्जेंस में ग्रामीण भारत के सुदूर इलाकों में भी टीवी व्हाइटस्पेस के क्रिएटिव इस्तेमाल के जरिए इंटरनेट कनेक्टिविटी देने की क्षमता है। ये कदम प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के सपने को वास्तविकता  में बदलने वाले साबित होंगे।     

डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग और डिजिटल ब्रॉडबैंड के कन्वर्जेंस से प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया’,  ‘स्टार्ट-अप इंडिया और डिजिटल इंडिया के विजन को अचीव करने में मदद मिलेगी।

आज देश के पब्लिक ब्रॉडकास्टर की ओर से भारत में ब्रॉडकास्टिंग इनोवेशन के लिए एक खुला माहौल बनाने की जरूरत है। इससे भारत में स्टार्ट-अप इकोसिस्टम मजबूत होगा। ओपन इंटरनेट और स्मार्टफोन और कनेक्टेड उपकरणों के जरिए डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग के कन्वर्जेंस का विजन शेयर करने वाले दूसरे देशों के ब्रॉडकास्टर के सहयोग से ये मजबूती हासिल की जा सकती है। डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग और डिजिटल ब्रॉडबैंड के कन्वर्जेंस से प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया’,  ‘स्टार्ट-अप इंडिया और डिजिटल इंडिया के विजन को अचीव करने में मदद मिलेगी।

न्यू इंडिया और टेक्नोलॉजी में वैश्विक नेतृत्व

Artificial Intelligence और ब्रॉडकास्टिंग-ब्रॉडबैंड कन्वर्जेंस ये दो ऐसे उदाहरण हैं जो बताते हैं कि दुनिया में टेक्नोलॉजी की अगुआई करने के लिए न्यू इंडिया कैसे अपनी इच्छाशक्ति दिखा सकता है। इलेक्ट्रिक वाहनों से स्मार्ट सिटी, सौर ऊर्जा से एलईडी लाइट्स, यूनिवर्सल पहचान से डिजिटल कैशलेस लेनदेन, इनसे पता चलता है कि भारत के लिए टेक्नोलॉजी के क्षत्र में विश्व जगत का अगवा बनने की अपार संभावनाएं हैं। विश्व में आज इसकी व्यापक प्रासंगिकता है। हमें अपनी महत्वाकांक्षा को लेकर बोल्ड रहना होगा और न्यू इंडिया के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने जो बिगुल फूंका है उसे पाने के लिए ऊंचे मानक तय करने होंगे।   

(टेक्नोक्रैट , इनोवेटर और कमेंटेटर शशि शेखर भारत के पब्लिक ब्रॉडकास्टर-प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य हैं। उन्होंने हाल में  ‘’India and the Artificial Intelligence Revolution" पर एक पॉलिसी पेपर तैयार किया है।)

ऊपर जो राय व्यक्त की गई है वो लेखक(लेखकों) की अपनी राय है। यह आवश्यक नहीं है कि नरेंद्र मोदी वेबसाइट एवं नरेंद्र मोदी ऐप इससे सहमत हो।