भारत में बाबासाहेब भीम राव अंबेडकर की 126वीं जयंती बड़े पैमाने पर मनाई जा रही है। सामाजिक अन्याय को खत्म करने के लिए आधुनिकीकरण पर जोर डॉक्टर अंबेडकर की दूरदर्शी सोच  का नतीजा था। समाज के लिए उनकी सोच ऐसी थी, जहां शहरीकरण एवं औद्योगिकीकरण न्यायसंगत रूप से साथ-साथ कदम बढ़ाते हुए चल सकें।  एक औद्योगिक सभ्यता स्वाभाविक रूप से दक्षता और समान अवसरों के आधार पर विकसित होती है। सरकारी क्षेत्रों में अवसरों की कमी देखकर दलितों ने व्यावसायिक क्षेत्रों में भी संभावनाओं की तलाश शुरू कर दी है, जिसमें नए से नए उद्यम भी शामिल हैं। राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में अपने योगदान के लिए डॉक्टर अंबेडकर की गणना सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में ही नहीं होती, बल्कि वो एक बुद्धिजीवी शिक्षाविद् के तौर पर भी जाने जाते हैं। बाबासाहेब बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मानवशास्त्र और राजनीति शास्त्र में उनकी गहरी पकड़ और विद्वत्ता उनको एक अद्वितीय व्यक्तित्व बना देती है।

 

MUDRA- वित्तीय समावेशन में बदलाव की मिसाल

MUDRA योजना से नैनो, सूक्ष्म और छोटे उद्यमियों को मदद मिली है। इससे उन्हें पैसे उधार लेने के कई विकल्प हासिल हुए हैं। वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2015-16 का बजट पेश करते हुए MUDRA योजना की घोषणा की थी। माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रीफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड (MUDRA) और प्रधानमंत्री MUDRA योजना (PMMY) की स्थापना last-mile वित्तीय संस्थानों के लिए रीफाइनेंसिंग एजेंसी के तौर पर की गई है जिससे निर्माण, व्यापार या सेवा क्षेत्र में लगे ऐसे लघु उद्यमों को ऋण मिल सके,  जिनकी क्रेडिट जरूरतें 10 लाख रुपये से अधिक नहीं हैं।

 

मुद्रा के माध्यम से SC/ST युवाओं को व्यापार शुरू करने के लिए एक मजबूत मंच उपलब्ध कराने की कल्पना संजोयी गई है। इसके चलते SC/ST समुदाय ने राष्ट्र की उन्नति और विकास का फल चखा है और उन्हें बहुत अधिक लाभ पहुंच रहा है। इस स्कीम के लागू होने से देशभर के परिवारों की जीवन शैली बेहतर हुई है, वो अपने बच्चों को गुणवत्ता वाली शिक्षा दे पा रहे हैं और दूसरों के लिए भी ढेर सारे रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। देश भर के SC/ST युवा अपना कारोबार शुरू करने में रुचि ले रहे हैं। वह उद्यमी बन रहे हैं, क्योंकि वो दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (DICCI) के इस दर्शन से बेहद प्रभावित हैं- रोजगार देने वाले बनो, रोजगार मांगने वाले नहीं” (Be Job givers, not Job seekers)

 

ST/SC युवाओं की अभिलाषा की पूर्ति

MUDRA की कल्पना और उसे संस्थागत रूप देने के पीछे खाई को पाटने और वित्त की तंगी झेलने वालों को फंडिंग (funding the unfunded) में सहयोग करना था। MUDRA योजना SC/ST के युवाओं की आकांक्षाओं को कुशलतापूर्वक पूरी कर रही है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) की गाइडलाइंस वित्तीय सेवा विभाग (DFS) ने जारी की है..जिसमें भारत सरकार ने सभी बैंकों, नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFC) और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (MFI) से लघु उद्योगों को 50 हजार से 10 लाख रुपये तक कर्ज देने को कहा है। ये उद्योग निर्माण, प्रसंस्करण, व्यापार और सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में शामिल हैं।

 

मुद्रा (MUDRA) ऋण: 2015-2016 (वित्तीय वर्ष)

माइक्रो यूनिट के लिए स्वीकृत मुद्रा ऋण की संख्या- 3,48,80,924

स्वीकृत राशि: 1,37,449.27 करोड़ रुपये

जारी राशि: 1,32,954.73 करोड़ रुपये

 

           सामाजिक श्रेणी मुद्रा ऋण लाभार्थी: तथ्य शीट 2

सामाजिक श्रेणी

ऋण की संख्या        (2015-16)

शिशु/कुमार/तरुण

कुल मुद्रा ऋण का % (3.48 करोड़)

जारी राशि (करोड़ रु.में)

SC

61,14,737

17.53 %

14,691.79

ST

16,78,346

4.81 %

4,742.03

OBC

1,06,08,416

30.41 %

29,762.51

                  स्रोत- mudra.org.in DICCI सचिवालय के अनुसार

 

MUDRA योजना सामाजिक तौर पर पिछड़े वर्ग के लिए अभी तक का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन है। अभी तक के आंकड़ों के अनुसार SC के लाभार्थी 61.14 लाख और ST के लाभार्थी 77.92 लाख हैं। SC/ST के लाभार्थियों की कुल संख्या 77.92 लाख है। ये कुल संख्या का 22.34 % है और प्रधानमंत्री मुद्रा (MUDRA) योजना के द्वारा कुल 19,433 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। इससे SC/ST/OBC और अल्पसंख्यकों की रोजी-रोटी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 

हम दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (DICCI) की ओर से योजना पर शीध्र कार्रवाई और उसके बेहतर कार्यान्वयन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, पीएमओ और सभी अधिकारियों के प्रति सतत आभारी हैं। 

(मिलिंद कांबले एक सफल उद्यमी हैं। वह दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (DICCI) के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। यह संगठन दलित समुदायों में उद्यमिता को प्रोत्साहित करता है और इसका लक्ष्य दलितों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए व्यापारिक नेतृत्व विकसित करना है।)

जो विचार ऊपर व्यक्त किए गए हैं, वो लेखक के अपने विचार हैं और ये जरूरी नहीं कि नरेंद्र मोदी वेबसाइट एवं नरेंद्र मोदी एप इससे सहमत हो।