किसान के कल्याण और खेती की उत्पादकता के साथ राष्ट्र की तरक्की जुड़ी हुई है। जो भी सरकार हमारे देश को बुलंदियों पर ले जाना चाहती है, किसानों का सशक्तिकरण उसकी प्राथमिकता होती है।
मौजूदा सरकार का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में है, जिन्होंने अपनी दूरदर्शिता से किसानों को सशक्त बनाने की महत्वाकांक्षा के साथ कृषि क्षेत्र में बदलाव को बढ़ावा देने वाले महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
किसानों की आय दोगूनी करना, उन्हें और उनके प्रयासों को सुरक्षित करना, तकनीक के प्रति लगाव पैदा करना, कृषि अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा देना और कृषि संबंधी बुनियादी ढांचे के निर्माण जैसे कुछ लक्ष्य तय किए गए हैं। ये सारे काम कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों के कल्याण के लिए किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के सपनों के ‘न्यू इंडिया’ का मुख्य उद्देश्य ‘सबका साथ, सबका विकास’ है और किसानों की भलाई उसका एक अभिन्न हिस्सा है।
किसी भी बदलाव की शुरुआत जागरुकता से होती है। इसके लिए सरकार ‘लैब-टू-लैंड’, ‘हर खेत को पानी’ और ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ जैसे संदेशों से उनका उत्साह बढ़ा रही है। इससे खेती के तरीकों में बदलाव वाले सिस्टम की आवश्यकता के प्रति जागरुकता बढ़ी है और खेती से जुड़े काम अब उत्पादकता और समृद्धि के केंद्र के रूप में परिवर्तित हो रहे हैं।
सरकार ने कृषि मंत्रालय के लिए इस वित्त वर्ष में (2017-18) बजट आवंटन 7.81 प्रतिशत बढ़ाकर 48,840.50 (संशोधित अनुमान) से 52,655 करोड़ रुपये कर दिए हैं। कृषि और संबंधित क्षेत्रों के लिए अगले वित्त वर्ष के लिए कुल आवंटन 57,502 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 62,376 करोड़ कर दिया गया है।
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय सरकारी योजनाओं को बारीकी से लागू कर किसानों को सशक्त बनाने का प्रयास कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली सरकार में यह काम काफी तेजी से हो रहा है। क्योंकि हमारे देश का आधा श्रमबल खेती में जुटा है और कृषि क्षेत्र में मजबूती लाए बिना विकास संभव नहीं है।
टेक्नॉलोजी से लेकर फसल बीमा तक और सिंचाई के आधुनिक तरीकों के लिए आसान कर्ज उपलब्ध कराने तक, हम पूरे कृषि चक्र में किसानों को सशक्त करने के लिए एक व्यापक कार्य योजना लागू कर रहे हैं – बीज से बाजार तक (BSBT) की एक सुविधाजनक व्यवस्था।
बीज:
फसलों की गुणवत्ता सीधे बीज से जुड़ी है। किसानों को पर्याप्त मात्रा में गुणवत्ता वाले बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करना कृषि चक्र की सेहत के लिए बहुत जरूरी है। विशेष रूप से बुवाई वाले मौसम में।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान(IARI) के कृषि डाक से सरकार किसानों के दरवाजे तक अच्छी गुणवत्ता वाले बीज पहुंचाती है। 20 जिलों में सफलता के बाद कृषि विज्ञान केंद्रों के सहयोग से शुरू की गई इस योजना का विस्तार 4 राज्यों के 100 जिलों तक किया जा चुका है।
सॉयल हेल्थ और उर्वरक:
कृषि उत्पादकता के लिए तंदुरुस्त मिट्टी बहुत महत्वपूर्ण है। उर्वरकों के गलत उपयोग ने मिट्टी की सेहत खराब की है। इसीलिए हमारी सरकार ने मिट्टी की सेहत की अहमियत के बारे में किसानों को जानकारी देने का फैसला किया है। उर्वरकों का सही लाभ उठाने के इरादे से मिट्टी के सैंपल्स के तुरंत विश्लेषण के लिए सॉयल टेस्टिंग किट विकसित की गई। ये 650 कृषि विज्ञान केंद्रों को उपलब्ध कराए गए। 6 करोड़ से अधिक सॉयल हेल्थ कार्ड्स छापकर किसानों के बीच बांटे गए हैं।
नीम कोटेड यूरिया का प्रावधान हमारे प्रयासों में एक और मील का पत्थर साबित हुआ है। सत्ता में आने के सिर्फ एक साल के अंदर हमारी सरकार ने 100 प्रतिशत नीम कोटेड यूरिया उपलब्ध करा दिया। इससे केमिकल कारखानों में यूरिया के गैरकानूनी इस्तेमाल पर रोक लग गई। सामान्य यूरिया की तुलना में नीम कोटेड यूरिया की 10-15 प्रतिशत ज्यादा कारगर है।
जल और सिंचाई:
जल एक अनमोल प्राकृतिक संसाधन है और इसकी कमी खेती को गैर-लाभकारी बना देती है। कृषि क्षेत्र को सुधारने के लिए इसकी उपलब्धता और सही उपयोग सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री मोदी ने सिंचाई संकट से निपटने के लिए “हर खेत को पानी” देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) का शुभारंभ किया। हमारे देश के सिंचाई संकट को इससे पूरा निदान मिल गया है। इस योजना में सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए दीर्धकालिक उपाय विकसित करने की दिशा में काम किया जा रहा है। इस परियोजना को जल संसाधन मंत्रालय, आरडी एंड जीआर (RD & GR) की अगुवाई में तीन मंत्रालय मिशन मोड में कार्यान्वित कर रहे हैं।
हाल के बजट में की गई घोषणा के अनुसार “Per Drop – More Crop” के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 5000 करोड़ रुपये का एक माइक्रो सिंचाई फंड बनाया जाएगा। माइक्रो-सिंचाई पानी का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करता है - कम पानी, अधिकतम उपज। पिछले दो सालों के अंदर हम 12.5 लाख हेक्टेयर भूमि को माइक्रो सिंचाई के तहत लाने में सफल हुए हैं।
हमारी उपलब्धियों में 99 सिंचाई की परियोजनाएं शामिल हैं, जिनपर पैनी निगरानी के चलते उन्हें दिसंबर 2019 तक पूरा कर लिए जाने की संभावना है। इनमें से 23 परियोजनाओं को 2016-17 के बीच ही पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
वित्त और सुरक्षा:
उचित मूल्य पर ऋण और पूंजी की उपलब्धता किसानों के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमारी सरकार हर स्तर पर वित्तीय समावेशन का प्रयास कर रही है। इसका अगला तार्किक कदम औपचारिक चैनलों के माध्यम से किसानों की पूंजी तक पहुंच बनाना है। सरकार ने अगले वित्त वर्ष में कृषि ऋण का लक्ष्य 11 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। इसके अलावा माइक्रो सिंचाई और डेयरी प्रोसेसिंग के लिए 5000 करोड़ रुपये के दो फंड इसके लिए समर्पित करने की भी घोषणा की गई है।
अप्रत्याशित मौसम का कहर किसानों के अंदर वित्तीय अस्थिरता का डर पैदा कर देता है। किसान सशक्तिकरण के प्रति वचनबद्धता का मतलब उन्हें इस अनिश्चितता के भंवर से बाहर निकालना और एक निश्चित आय दिलाना भी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फोकस व्यापक कवरेज के साथ सस्ती दर पर फसल बीमा उपलब्ध कराना है, ताकि जहां तक संभव हो खेती को जोखिम रहित बनाया जा सके। यह किसानों को फसल बर्बाद होने की सूरत में बिना किसी परेशानी के उनके दावे के मूल्यांकन के लिए टेक्नॉलोजी और प्रशासनिक गठजोड़ से एक अभिनव राह प्रदान करता है।
2017-18 के बजट ने कृषि क्षेत्र एवं किसानों को सुरक्षा कवच प्रदान किया है, जिससे देश के अन्नदाताओं के हाथों को मजबूती मिली है। यह पांच साल में किसानों की आय दोगुनी करने की हमारी सरकार की प्रतिबद्धता दिखाता है।
किसान और बाजार:
किसानों के विकास और समृद्धि में एक और अड़चन एक सुलभ और उचित सामान्य बाजार की कमी होना है। अक्सर, उत्पादक संघ खुद के फायदे के लिए कीमतें तय कर देते हैं और किसानों को उनके हक के मुनाफे से वंचित रहना पड़ता है।
कृषि उत्पादों के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार यानी अखिल भारतीय ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार(NAM) लॉन्च किया गया।
इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और किसानों को उनकी उपज की गुणवत्ता के हिसाब से बेहतर मूल्य मिलता है। यह भौगोलिक बाधाओं और खरीदार-विक्रेता की जानकारी से संबंधित असमानता को समाप्त करके, पूरे देश के संभावित खरीदारों और विक्रेताओं को एक ही मंच पर लाता है।
एकीकृत कृषि दृष्टिकोण:
खेती कोई ऐसी गतिविधि नहीं है जो अकेले में हो। इससे कई क्षेत्र जुड़े हैं जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कृषि से जुड़े सभी क्षेत्रों में तालमेल स्थापित करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण जरूरी है। छोटे किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए कृषि से बाकी संबंधित क्षेत्रों को भी एक ही दायरे में लाने की दिशा में काम चल रहा है।
किसानों को भी शिक्षित किया जा रहा है ताकि वो अपने प्रयासों में विविधता लाए और अपनी क्षमताओं का विस्तार करे। उदाहरण के लिए, बागवानी। यह किसानों को कई विकल्प प्रदान करता है जिसके अंदर आप फल, नट्स, कंद, मशरूम, फूल, मसाले, वृक्ष और औषधीय तथा सुगंधित पौधों समेत सजावटी पौधे भी उगा सकते हैं। इसमें कम जगह में अधिक फायदा कमाया जा सकता है। सरकार ने नीली क्रांति की भी शुरूआत की है जिसके तहत निवेश बढ़ाना, बेहतर ट्रेनिंग और बुनियादी ढांचे के विकास के साथ मछली पालन को भी बढ़ावा देना है।
तकनीक संचालित खेती:
हमारी सरकार किसानों की समस्याओं के तकनीकी हल खोजने की जरूरत को अच्छे से जानती है। पीएम मोदी ने अनुसंधानकर्ताओं से आग्रह किया है कि ‘एक इंच भूमि में फसल का एक गुच्छा’ उगे, ऐसा हल तुरंत ढूंढने की कोशिश करें।
कृषि जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तकनीकी रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए झारखंड के रांची में एक राष्ट्रीय जैव-प्रौद्योगिकी संस्थान का शिलान्यास किया गया है। हमने राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थानों के दो नए सेंटर बनाने के लिए प्रावधान किए हैं – इनमें से एक असम और दूसरा झारखंड में है।
इसके साथ ही ‘लैब से लैंड’ मिशन को पूरा करने के लिए राष्ट्रव्यापी कृषि विज्ञान केंद्र के नेटवर्क को और मजबूत करने के साथ उसका विस्तार किया जा रहा है। पिछले दो सालों में कृषि विकास केंद्र की संख्या 637 से बढ़कर 668 हो गई है।
हर स्तर पर कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने और किसानों की ज्यादा बेहतरी के लिए एक बहु-आयामी एकीकृत बीज से बाजार तक के दृष्टिकोण का उपयोग किया जा रहा है। हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में खेती जल्द ही एक आकर्षक व्यवसाय बन जाएगी। किसानों को महसूस हो रहा है कि वो सशक्त हो रहे हैं और वे कृषि क्षेत्र को उस ऊंचाईयों तक ले जाएंगे, जिसका जीडीपी में बड़ा योगदान होगा।
(राधा मोहन सिंह भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं। वर्तमान में वो लोकसभा (2014-19) के सदस्य हैं। वो अभी नरेंद्र मोदी की सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल हैं और वर्तमान में भारत के कृषि मंत्री है।)
जो विचार ऊपर व्यक्त किए गए हैं, वो लेखक के अपने विचार हैं और ये जरूरी नहीं कि नरेंद्र मोदी वेबसाइट एवं नरेंद्र मोदी एप इससे सहमत हो।