दावोस में हुई World Economic Forum Annual Meeting 2018 के उद्घाटन सत्र के अपने संबोधनमेंप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टेक्नोलॉजी के परिवर्तनकारी प्रभावों पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि यह न सिर्फ व्यक्ति के निजी जीवन, उनके कामकाज और व्यवहार को प्रभावित करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति और विश्व अर्थव्यवस्था के बदलावों में भी इसकी अहम भूमिका है।बीते 4 साल में प्रधानमंत्री ने वित्तीय सेवाओं तक जन सामान्य की पहुंच,व्यापार-व्यवसाय शुरू करने संबंधी दिक्कतों और ऊर्जा जरूरतों से जुड़ी समस्याओं को हल करने समेत कई दूरदर्शी योजनाओं की विधिवत शुरुआत कर उन्हें लागू किया है।FourthIndustrialRevolutionने भारत को विकास के पारंपरिक तौरतरीकों से आगे ले जाते हुए टेक्नोलॉजी के माध्यम से इन्फ्रास्ट्रक्चर समेत कई क्षेत्रों से जुड़ी बाधाओं पर काबू पाकर अपने नागरिकों के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार लाने का एक शानदार अवसर दिया है।

यह संदेश विश्व के कई नेताओं की सोच के अनुरूप है। इन अवसरों और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, फोरम decision-makers के साथ कदम से कदम मिलाकर काम करता रहा है ताकि समाज के लाभ के लिए FourthIndustrialRevolutionकीपरिवर्तनकारी क्षमताओं का समुचित उपयोग किया जा सके। इसी क्रम में,फोरम ने 2017 में Centre for the Fourth Industrial Revolution Network की स्थापना की जिससे रचनात्मक समाधानों को co-design कर emerging technologiesसे जुड़ी चुनौतियों को दूर किया जाएगा।नेटवर्क का मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को में है, जिसके इर्द-गिर्द दुनिया की अग्रणी प्रौद्योगिकी कंपनियों, स्टार्ट-अप, निवेशकों, वेंचर कैपिटल फर्म और अकादमिक संस्थानों की भरमार है। इसका मुख्यउद्देश्य वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक हित में नई और उभरती टेक्नोलॉजी के विकास और एप्लिकेशन को आकार देने में मदद करने के साथ-साथ उनके जोखिम कोभी कम करना है।

भारत उन चंद देशों में शुमार है, जो भविष्य को ध्यान में रखते हुए प्रौद्योगिकी नीतियों को बनाने में सबसे आगे हैं। भारत आज व्यक्तिगत स्तर से लेकर मानव समाज के लिए टेक्नोलॉजी की शक्ति का समुचित लाभ लेने के लिए इनोवेटिव तरीकों को अपना रहा है।

भारत उन चंद देशों में शुमार है, जो भविष्य को ध्यान में रखते हुए प्रौद्योगिकी नीतियों को बनाने में सबसे आगे हैं। भारत आज व्यक्तिगत स्तर से लेकर मानव समाज के लिए टेक्नोलॉजी की शक्ति का समुचित लाभ लेने के लिए इनोवेटिव तरीकों को अपना रहा है। देश की इस क्षमता को और आगे ले जाने के लिएभारत सरकार की साझेदारी में Centre for the Fourth Industrial Revolution Indiaका गठन किया गया है। इसके तहत FourthIndustrialRevolution से जुड़ी विभिन्न टेक्नोलॉजी को नियंत्रित करने के लिए नीतिगत ढांचे समेत उद्योग मानकों, मानदंडों और दिशानिर्देशों को co-design,टेस्ट और स्केल-अप करने का कार्य किया जाएगा।यह केंद्र इन कार्यों में शामिल सरकार, अग्रणी कंपनियों, शिक्षा जगत, सिविल सोसाइटी और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए एक विश्वसनीय मंचकी भूमिका निभाएगा। यदि 1985, जब फोरम ने प्रथम IndiaEconomicSummit की मेजबानी की थी, हम भारतीयों के लिए एक अहम पड़ाव था, तो आज केंद्र का शुभारंभ होना एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम है।

कई क्षेत्र जिनमें टेक्नोलॉजी का व्यापक प्रभाव पड़ सकता है, उनमें से एक कृषि है। चूंकि भारत की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ी हुई है, इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था काफी हद तक कृषि अर्थव्यवस्था पर निर्भर है। कृषि क्षेत्र न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में, बल्कि भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसमें गरीबी से लड़ने और किसानों की आय बढ़ाने का उद्देश्य समाहित है।

आधुनिक कृषि के stakeholdersको पर्याप्त मात्रा में उच्च गुणवत्ता वाले, अस्थायी रूप से प्रासंगिक डाटा की आवश्यकता होती है। Stakeholders के लिए लागत कम करने के साथ-साथ स्थितिके अनुरूप अपने कार्यों को दिशा देने में डाटा का बहुत महत्व है, जिससे पूरी agricultural value chainकी क्षमता में सुधार होता है। Machinelearning algorithms के तेजी से उभरने सेकुछ सबसे मुश्किल चुनौतियों के समाधान, इंटरनेट संबंधी विभिन्न डाटा का उचित संग्रहण और उसकाउपयोगकाफी आसान हुआ है। लेकिन डाटा मालिकों के लिए सही रिवॉर्ड स्ट्रक्चर की व्यवस्था और इस तरह के algorithms का नैतिक उपयोग हो, इसे सुनिश्चित करना आवश्यक है। Blockchain में डाटा सुरक्षा के ढेर सारे प्रावधान जैसे safeanddistributedarchitecture,smart contracts और tokens होने की वजह से इन solutions को मानव केंद्रित तरीके से विकसित करने का पर्याप्त अवसर मिलता है। इस वजह से FourthIndustrialRevolutionका लाभ सिर्फ कुछ लोगों को न मिलकर सबको मिलना सुनिश्चित हो जाता है।

Stakeholders के लिए लागत कम करने के साथ-साथ स्थितिके अनुरूप अपने कार्यों को दिशा देने में डाटा का बहुत महत्व है, जिससे पूरी agricultural value chain की क्षमता में सुधार होता है।

केंद्र, महाराष्ट्र सरकार और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर, ड्रोन का उपयोग करके पूरे जिले में सभी कृषि भूमि कामुआयना करेगा। इनके जरिए फसल की सेहत के आकलन समेत स्थान विशेष आधारित उर्वरक उपयोग संबंधी सिफारिश,सिंचाई और अन्य बुनियादी ढांचों का निरीक्षण,मिट्टी विश्लेषण और फसल की मात्रा का मूल्यांकन करने के साथ उनका अनुमान लगाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, इस परियोजना के तहत समय-समय पर विभिन्न स्रोतों से क्षेत्रवार फसल डाटा एकत्रित करने और इसे एक साझा मंच पर एकीकृत करने का प्रस्ताव है। ऐसे डाटा को मानक interfaces/APIsके माध्यम से प्रासंगिक हितधारकों के लिएपब्लिश किया जाएगा।

यह परियोजनाभारत के इतिहास में ड्रोन मैपिंग का सबसे बड़ा प्रयास है। इस अभिनव प्रयास के जरिये डाटा के नए रूपों को इस प्रकार से कैप्चर और साझा किया जाएगा कि समाज के सभी वर्गों को इसका लाभ होने के साथ-साथ डाटा की सुरक्षा और गोपनीयता भी बनी रहे। यह परियोजना भारत की नई ड्रोन नीति के साथ मेल खाती है और इससे पता चलता है कि समाज में व्याप्त कुछ कठिन चुनौतियों से निपटने में ड्रोन कैसे मदद कर सकते हैं। यह एक नया मॉडल है जिसे समस्त भारत में लागू करने के अलावा वैश्विक स्तर पर बढ़ाया जा सकता है।टेक्नोलॉजी के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने सेहमारी कृषि उत्पादक क्षमता बढ़ेगी। साथ ही,इससे यह सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी कि यह कृषि विकास खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं और ग्रामीण गरीबी को कम करने में भी कारगर हो।

यदि 20 वीं सदी को राजनीतिक महाशक्तियों द्वारा आकार दिया गया, तो 21 वीं सदी का मुख्य नेतृत्व टेक्नोलॉजी सुपरपॉवर्स के हाथों में रहेगा।

यदि 20 वीं सदी को राजनीतिक महाशक्तियों द्वारा आकार दिया गया, तो 21 वीं सदी का मुख्य नेतृत्व टेक्नोलॉजी सुपरपॉवर्स के हाथों में रहेगा जो व्यापार, समाज और संभवतः लोगों के भविष्य को भी गढ़ने में अहम भूमिका निभाएंगे। बहुत लंबे समय तक, टेक्नोलॉजी का उपयोग समाज के समृद्ध सदस्यों तक सीमित था। FourthIndustrialRevolution ने दुनिया के देशों को एक अधिक समावेशी और टिकाऊ समाज बनाने के लिए टेक्नोलॉजीका उपयोग करने का सुअवसर प्रदान कियाहै। भारत जैसे देश के लिए भी, एक जिम्मेदार, स्केलेबल और समावेशी तरीके से वैश्विक स्तर पर चौथे औद्योगिक क्रांति एजेंडा को आकार देने में यह एक निर्णायक भूमिका निभाएगा। अपने बड़े पैमाने और विविधता के आधार पर किसी भी प्रामाणिक सफल मॉडल को अन्य अर्थव्यवस्थाओं में भी दोहराया जा सकता है जिससे अरबों लोग प्रभावित होते हैं।

विश्व आर्थिक मंच और भारत के बीच स्थापित बेहद मजबूत संबंध का यह 35वां वर्ष है। बीच के दशकों में, भारत ने अपना बाजार खोला है, परमाणु शक्ति बना है, विकास के उच्च स्तर तक पहुंचा है, और लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।

हमारी सामूहिक नियति एक तरह से भारत की नियति पर निर्भर है, और भारत का कुछ हिस्सा हमारे भविष्य की सारी चीजों में निहित है।

भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यह तेजी से बढ़ते मध्यम वर्ग और अभूतपूर्व जनसांख्यिकीय लाभ के साथ विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमें इस बात का गर्व है कि फोरम इस यात्रा का हिस्सा रहा है और भारत के globalization processमें मदद की है। हमें यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि हमारी सामूहिक नियति एक तरह से भारत की नियति पर निर्भर है, और भारत का कुछ हिस्सा हमारे भविष्य की सारी चीजों में निहित है।

(बोर्गे ब्रेंड विश्व आर्थिक मंच के अध्यक्ष और मैनेजिंग बोर्ड के सदस्य हैं।)

(Murat Sönmez, Managing Director, Head of Centre for the 4th Industrial Revolution & Global Network, World Economic Forum LLC)

ऊपर व्यक्त की गई राय लेखक की अपनी राय है। यह आवश्यक नहीं है कि नरेन्द्र मोदी वेबसाइट एवं नरेंद्र मोदी ऐप इससे सहमत हो।