अगर 19वीं सदी को औद्योगिकीकरण के उदय और 20वीं सदी को बाजार आधारित अर्थव्यवस्था के विस्तार एवं ग्लोबलाइजेशन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, तो 21वीं सदी को परिभाषित करने वाली विशेषता क्या हो सकती है?  यह विशेषता है- प्रभावकारी और व्यापक बदलाव के साथ unipolarity से multipolarity की ओर शिफ्ट होना। 

टेक्नोलॉजी में तरह-तरह के बदलाव के चलते चौथी औद्योगिक क्रांति की शुरुआत में अर्थव्यवस्था की प्रकृति और संरचना में बुनियादी परिवर्तन देखने को मिले हैं। उत्पादन के स्तर, स्थान और संरचना का एक ऐसा रिडिस्ट्रिब्यूशन हो रहा है, जिससे हमारे संगठन पहले से कहीं अधिक वैश्विक हुए हैं और आपस में जुड़े हैं। मौजूदा राजनीतिक ढांचों और संस्थानों में भरोसा कमजोर पड़ने से मानव समाज पहले से अधिक विरोधाभासी और अलग-थलग हुआ है। पर्यावरण संबंधी चुनौतियां और जलवायु संकट को लेकर पहले कभी इतनी चर्चा नहीं हुई थी। संक्षेप में कहें, तो इस नाजुक विश्व- व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव को आगे बढ़ाने के लिए एक सुसंगत नेतृत्व व्यवस्था की आवश्यकता महसूस की जा रही है। 

एक ऐसे समय में जब गंभीर geopolitical और ecological चुनौतियां सामने हैं, व्यापार संबंधी तनाव बढ़ने के साथ नीतिगत अनिश्चितता ने investments और business confidence में मंदी लाने का काम किया है। 2019 में global GDP growth के डाउनग्रेड होकर 3.2% के स्तर पर रहने, अगले कुछ वर्षों तक उसमें मामूली सुधार के अनुमान और मौजूदा multilateral rules-based trade system की विश्वसनीयता घटने से स्थिति चिंताजनक नजर आ रही है। दरअसल, यह लगभग तय माना जा रहा है कि ग्लोबल ग्रोथ, अनुमान से कम से कम एक प्रतिशत नीचे रह जाएगा। ऐसे में गिरावट के इस आंकड़े की तुलना सन् 2000 की शुरुआत वाली वैश्विक मंदी से की जा सकती है।

एक निर्णायक नेतृत्व और प्रभावी ग्लोबल प्रोफाइल के साथ भारत अवसर को अपने हाथों में लेने की ओर बढ़ रहा है। 

इसके विपरीत, दक्षिण एशिया के लिए इकोनॉमिक आउटलुक मजबूत बना हुआ है। पिछली आधी सदी में, उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाएं ग्लोबल आउटपुट में अपने योगदान को पहले के करीब 15% के स्तर से बढ़ाकर 50% से भी आगे ले गई हैं। मजबूत घरेलू मांग, निजी खपत और निवेश के सहारे दक्षिण एशिया की विकास दर 7% रहने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था की उसकी यह ताकत न सिर्फ वैश्विक मंदी के प्रभाव को कम कर सकती है, बल्कि वैश्विक विकास को आगे ले जाने के लिए भी गति प्रदान कर सकती है। 

यहां इस क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, भारत के इकोनॉमिक आउटलुक का विशेष उल्लेख जरूरी है। अगले कुछ वर्षों में एक बार फिर 7.5% जीडीपी ग्रोथ के अनुमान के साथ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। भारत की वृद्धि प्रभावशाली रही है, जो विश्व के लिए ध्यान देने वाली बात है। अगले आधे दशक में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और अगले डेढ़ दशकों में 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने विजन को साकार करने के लिए भारत के पास मंच तैयार है। इस तरह से वह वैश्विक अर्थव्यवस्था के संकट को दूर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 

एक निर्णायक नेतृत्व और प्रभावी ग्लोबल प्रोफाइल के साथ भारत इस अवसर को अपने हाथों में लेने की ओर बढ़ रहा है। स्वैच्छिक और महत्वाकांक्षी रिन्यूएबल पावर कैपेसिटी टारगेट्स के साथ रिन्यूएबल एनर्जी के लिए भारत की प्रतिबद्धता, पेरिस जलवायु समझौते की चर्चा में उसकी नेतृत्वकारी भूमिका और इंटरनेशनल सोलर एलायंस, यह सब बताता है कि भारत पर्यावरण सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नेतृत्व देने में सक्षम है।

भारत के पास एक यूनिक एडवांटेज यह भी है कि उसकी आधी आबादी वर्किंग एज ग्रुप की है। इस वर्ष के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 52वें स्थान पर पहुंचकर भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिसने लगातार नौ वर्षों तक अपनी रैंक में सुधार किया है।

भारत ने हाल के अपने चंद्र अभियान और मिसाइल से लो-ऑर्बिट सैटेलाइट को मार गिराने में दुनिया का चौथा देश बनने जैसी सफलताएं अर्जित कर space exploration के मामले में अपने वैश्विक कद का भी विस्तार किया है। आज वैश्विक मानवीय प्रयासों और विकास की पहल में भारत पहले से कहीं अधिक सक्रिय है। इनमें अफगानिस्तान में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, अश्गाबात एग्रीमेंट, चाबहार पोर्ट और भारत-म्यांमार-थाइलैंड हाइवे जैसे प्रोजेक्ट गिनाए जा सकते हैं। भारतीय प्रधानमंत्री ने भारत-अफ्रीका सहकारी हित के लिए अपना मजबूत विजन पेश किया है। इसके साथ ही शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन, एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक, इंडिया-ब्राजील-साउथ अफ्रीका डायलॉग फोरम और ब्रिक्स ग्रुप जैसे अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों में भारत की विस्तृत भागीदारी उसके बढ़ते वैश्विक प्रभाव को जाहिर करता है। यह अलग-अलग वैश्विक पहल और मंचों पर सक्रिय रहने की भारत की इच्छा को भी दर्शाता है। 

भारत के पास एक यूनिक एडवांटेज यह भी है कि उसकी आधी आबादी वर्किंग एज ग्रुप की है। इस वर्ष के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 52वें स्थान पर पहुंचकर भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिसने लगातार नौ वर्षों तक अपनी रैंक में सुधार किया है। इसके विशिष्ट जनसांख्यिकीय लाभ, तकनीकी कौशल और इनोवेशन की ललक, ये सब Fourth Industrial Revolution technologies के बड़े अवसरों के साथ मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था, राजनीति और रणनीतिक मामलों में भारत की ताकत को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। 

इस बात को जानते हुए कि Great Power बनने की शुरुआत घर से होती है, भारत ने अपनी विकास की महत्वाकांक्षाओं और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए, आधारभूत संरचना में अभूतपूर्व सुधार किए हैं। Business Regulations  को आसान करने का असर भारत में साफ तौर पर दिख रहा है। वर्ल्ड बैंक की Ease of Doing Business की रैंकिंग में भारत की 65 स्थानों की छलांग एक बेहतर कारोबारी माहौल और निवेशकों के विश्वास को प्रदर्शित करती है।

भारत में पिछले एक दशक के दौरान स्टार्ट-अप्स कंपनियों का काफी विस्तार हुआ है, जो डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन रिटेल, एजुकेशन और सॉफ्टवेयर जैसे क्षेत्रों में Innovation कर रही हैं। भारत में Unicorns यानि एक बिलियन डॉलर मार्केट वैल्यू वाली कंपनियों की संख्या भी हर साल बढ़ी है। इसके अलावा, पिछले एक दशक में Single-Brand Retail क्षेत्र में सबसे बड़े उदारीकरण को देखते हुए, सरकार ने हाल ही में बगैर बिजनेस सेंटर खोले, कंपनियों को भारत में ऑनलाइन सामान बेचने की अनुमति दी है। यह इस क्षेत्र की वैश्विक कंपनियों के लिए घरेलू बाजार में कारोबार के लिए बड़ा मौका लेकर आया है।  इसके अलावा, GST द्वारा कर बाधाओं को समाप्त कर विभिन्न केंद्रीय और राज्य टैक्स कानूनों को एकीकृत किया गया है, जो एक Single Common Market का निर्माण करता है।

समावेशी विकास के साथ आर्थिक प्रगति भी हो, इसे सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता के साथ भारत ने सामाजिक क्षेत्र में भी बड़ी प्रगति की है। Unique Identification Authority के तहत बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली के विस्तार ने सरकारी सेवाओं की डिलीवरी को सुव्यवस्थित किया है। इसने कल्याणकारी कार्यक्रमों के माध्यम से संसाधनों के वितरण को स्ट्रीमलाइन किया है।  एक अरब से अधिक लोगों का डेटाबेस तैयार करना बहुत बड़ी बात है। 

इसके अलावा, Financial Inclusion Programme के तहत जन धन योजना के माध्यम से 300 मिलियन यानि 30 करोड़ लोगों को बैंक से जोड़ा गया है। इससे उन्हें औपचारिक बैकिंग व्यवस्था से जोड़कर उनके लिए ऋण के साथ सरकारी सब्सिडी सीधे खाते में देने की व्यवस्था की गई है। 

यहां यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के लिए आयुष्मान भारत योजना है, Energy Efficiency बढ़ाने के लिए LED प्रोग्राम है, ग्रामीण विद्युतीकरण की व्यापक मुहिम के साथ उज्ज्वला और सौभाग्य जैसी योजनाएं हैं। यह एक ऐसे रिफॉर्म एजेंडा को लागू करने की भारत की क्षमता को दर्शाता है, जो विकास के लिए देश की जरूरतों के साथ-साथ वैश्विक आकांक्षाओं से तालमेल बिठाने में सक्षम है।

भारत के पास वैश्विक एजेंडा को आकार देने का एक अनूठा अवसर है। इन अवसरों को भुनाकर भारत स्वयं को दुनिया के लिए एक रोल मॉडल और प्रेरणा के रूप में स्थापित कर सकता है।

भारत को Holistic Structural Reforms की ओर अपनी यात्रा जारी रखनी चाहिए, जो अर्थव्यवस्था की स्थिरता और उसके लचीलेपन के अनुकूल हो। यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, सामाजिक सेवाओं और विकसित अर्थव्यवस्था वाली कनेक्टिविटी से लैस हो। यह सब कुछ ऐसा हो, जो युवाओं की आकांक्षाओं पर खरा उतरने के साथ गरीबी उन्मूलन में भी सहायक हो। Regenerative, Inclusive और Sustainable अर्थव्यवस्था से प्रेरित Policy solutions यह सुनिश्चित करेंगे कि 10 ट्रिलियन डॉलर की लक्षित अर्थव्यवस्था, वैश्विक, राष्ट्रीय और जमीनी स्तर पर एक मजबूत भारत के साथ मेल खाता हो, जिसमें हर किसी के लिए अवसर हो। 

विभिन्न भाषाओं, बोलियों, रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक प्रथाओं वाले, 130 करोड़ से अधिक लोगों वाले देश में, उस व्यापक बदलाव के पैमाने को प्राप्त करना एक बड़ी बात होगी। लेकिन अपने वृहद् भौगोलिक और जनसांख्यिकीय स्वरूप के साथ व्यापक विविधता वाले भारत के पास वैश्विक एजेंडा को आकार देने का एक अनूठा अवसर है। इस अवसर को भुनाकर भारत स्वयं को दुनिया के लिए एक रोल मॉडल और प्रेरणा के रूप में स्थापित कर सकता है। यह हमारे सामूहिक भविष्य के हित में है। भारत अपनी प्रभावी क्षमताओं का इस्तेमाल कर दुनिया को एक ऐसा  मॉडल प्रदान कर सकता है, जिसमें वैश्विक चुनौतियों का समाधान हो। भारत इस दिशा में एक ग्लोबल लीडर के रूप में उभर सकता है।

(बोर्गे ब्रेंड विश्व आर्थिक मंच के अध्यक्ष और मैनेजिंग बोर्ड के सदस्य हैं।)

ऊपर व्यक्त की गई राय लेखक की अपनी राय है। यह आवश्यक नहीं है कि नरेन्द्र मोदी वेबसाइट एवं नरेन्द्र  मोदी ऐप इससे सहमत हो।