महान रॉबर्ट नॉयस ने कहा था, “नवीनता और कल्पना ही संभावनाओं का मूल मंत्र है।” जबसे मैं भारत लौटी हूं, मैं इस वक्तव्य से और भी अधिक आकर्षित हो गयी हूं। कितना सही तरीके से देश की परिस्थिति को इसने समेटा है।
सदियों से भारत वादों और संभावनाओं का देश रहा है। 120 करोड़ से ज्यादा लोगों और जनसंख्या के लाभांश के तौर पर बड़ी युवा आबादी में आश्चर्यजनक क्षमता है और यही नेतृत्वकर्त्ता के तौर पर वैश्विक खिलाड़ी बनने का भरोसा भी देती है। भारत से उम्मीदों पर खरा उतरने की उम्मीद दुनिया उत्सुकता से करती रही है, लेकिन ज्यादातर लोग सहमत होंगे कि अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। स्थिति हालांकि अब बदल रही है और तेजी से बदल रही है। अब हमारे पास मजबूत नेतृत्व है, जो बदलाव के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए कठिन फैसले लेने में भी उसे कोई डर नहीं है। डिजिटल इंडिया की सोच हमें एक ऐसे उद्देश्य की ओर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है जहां हर नागरिक के लिए शिक्षा, नौकरी, शासन, स्वास्थ्य और आवश्यक सेवाओं में तकनीक की पहुंच होगी और इस तरह वास्तव में समावेशी विकास का प्लेटफॉर्म तैयार होगा। 120 करोड़ लोगों की अर्थव्यवस्था में भागीदारी का विचार ही अपने आप में ऐसा है कि संभावनाओं के बारे में कोई कल्पना तक नहीं कर सकता।
और इसी संभावना के हृदय पर सही मायने में आविष्कार पनपता है। किसी भी मायने में डिजिटल इंडिया आसान लक्ष्य नहीं है। यह साहसिक कदम है और दुनिया में सबसे बड़ा आविष्कारक देश बनने के लिए भारत को इसकी जरूरत है।
भारत जिस तरह संभावनाओं की धरती है उसी तरह जटिल चुनौतियों की भी धरती है। देश में विविधताओं की जो भरमार है, ज्यादातर समस्याएं उन्हीं वजहों से है। सभी नागरिकों को तकनीक से जोड़ने के लिए हम देश की जटिल विविधताओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते, बल्कि हमें इसके लिए निर्माण करने होंगे। भारत, खासकर ग्रामीण भारत में तकनीक का दायरा विशाल बनाने की जरूरत है। अगर हम चाहते हैं कि लोग तकनीक से जुड़ें और इसका हमेशा इस्तेमाल करें, तो हमें यह बताने की जरूरत है कि इससे उनकी आजीविका में क्या सुधार हो सकता है और यही सबसे बड़ी चुनौती है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमें देश में तकनीक के विकास पर पुनर्विचार करना चाहिए, जो आजीविका को प्रभावित करे। ऐसा होने पर ही हर नागरिक तकनीक से जुड़ना चाहेगा।
डिजिटल इंडिया को मूर्त रूप देने के लिए जमीनी स्तर से ऐसा दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, जिससे तकनीक का विकास और आविष्कार हो सके। हमें भारत का विकास करना है और विविधताओं के कारण पैदा हो रही समस्याओं को दूर करना है। किसी भी तरीके से आसान चुनौती नहीं है। इसके लिए अविश्वसनीय रूप से ऐसा मजबूत वातावरण बनाने की जरूरत है जहां भारत के लिए आविष्कार हो और वास्तविक समस्याओं का समाधान विकसित किया जा सके। मेरा विश्वास है कि हम ऐसा वातावरण बनते देख रहे हैं। स्टार्ट अप को बढ़ावा देने वाली मजबूत सरकार का शुक्रिया। हालांकि अभी जरूरत है कि लगातार लक्ष्य को ध्यान में रखकर मदद और समर्थन दिया जाए ताकि इसका प्रभाव और व्यापक हो।
भारत में स्टार्ट अप के वातावरण को इस रूप में प्रेरित करने की जरूरत है कि देश के लिए निर्माण करना है। ऐसा करते हुए फिर इसका फायदा (पढ़ें विकास) देखें। यही वास्तविक समस्या है जिससे लोग जूझ रहे हैं और जब तक इसे दूर नहीं किया जाता, हम विकास और परिणाम के तौर पर इसका असर नहीं देखेंगे। Tech Startups के पास दो बड़ी चुनौतियां हैं एक TECHNOLOGY MENTORSHIP तक पहुंच का अभाव और दूसरा कि भारी संख्या में लोगों तक कैसे पहुंचा जाए।
एक और क्षेत्र है, जहां स्टार्टअप को मदद की जरूरत है। मैंने जिन स्टार्टअप शुरू करने वालों से बात की है, वो चिंतित हैं कि सिर्फ सॉल्यूशन निकालने से ही बात खत्म नहीं हो जाती। असल चिंता तो उसकी स्केल की है, खासतौर पर तब जब सामाजिक मुद्दों की बात होती है। यहां पर सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका हो जाती है। अमेरिका जैसे देशों ने नेशनल साइंस फाउंडेशन जैसे सरकारी संस्थानों के नेटवर्क के जरिए नई प्रौद्योगिकी के विकास में अहम भूमिका निभाई, लेकिन प्राइवेट सेक्टर अभी भी नई मार्केट बनाने में निवेश से संकोच कर रहे हैं लेकिन यह निवेश भारत के लिए बहुत जरूरी है। सरकार स्टार्टअप समुदाय की स्केल फॉर सॉल्यूशन समस्या में सहभागी बनकर मदद कर सकती है। इससे स्टार्टअप समुदाय को कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय समावेश जैसे प्रमुख क्षेत्रों काम करने में आसानी होगी।
सच्चे भारत की क्षमताएं तब तक उड़ान नहीं भर सकतीं, जब तक कि प्रत्येक वयस्क नागरिक अर्थव्यवस्था में योगदान न करे। शिक्षित और सक्षम बनाने की महत्वपूर्ण कुंजी है प्रौद्योगिकी और यह सभी भारतीय नागरिकों को जोड़ने का भरोसा दिलाती है। प्रौद्योगिकी को प्रासंगिक होने के साथ-साथ विशिष्ट जरूरतों और चुनौतियों के अनुरूप होना होगा।
भारत के लिए आविष्कार ‘करो या मरो’ की स्थिति है। यह कड़वा सच है। भारत की सफलता इसी पर निर्भर करती है।
(देबजानी घोष के पास इंटेल के साथ 21 साल का शानदार करियर रहा है और अब टेक-इनोवेशन और समान अवसरों को बढ़ावा देने पर काम कर रही हैं।)
जो विचार ऊपर व्यक्त किए गए हैं, वो लेखक के अपने विचार हैं और ये जरूरी नहीं कि नरेंद्र मोदी वेबसाइट एवं नरेंद्र मोदी एप इससे सहमत हो।