आज दुनिया एक नई और व्यापक क्रांति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। हमें टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में लगातार innovative trends देखने को मिल रहे हैं। इनमें artificial intelligence, the internet of things, robotics, 3D printing, nanotechnology और दूसरे ऐसे कई trends शामिल हैं जिनके applications अलग-अलग टेक्नोलॉजी की तरह ही अलग-अलग होते हैं। इनके माध्यम से हासिल होने वाली उपलब्धियों का combination ही चौथी औद्योगिक क्रांति है। प्रत्येक क्रांति व्यवस्था पर अपना प्रभाव डालती है और यह क्रांति भी उससे अलग नहीं है। इसमें अगर कुछ अलग है तो वह ये कि इसका दायरा काफी व्यापक है। हमारे मौजूदा संवाद, वितरण, उत्पादन और इस्तेमाल से जुड़ी व्यवस्थाओं और यहां तक कि हमारी पहचान पर भी इसका काफी गहरा प्रभाव है।
लेकिन अर्थव्यवस्था और समाज पर technological revolution का प्रभाव पूर्वनियोजित नहीं है। इसका निर्धारण स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर की नीतियों के द्वारा हो सकता है। हमारी सामूहिक प्रगति और समृद्धि के लिए चौथी औद्योगिक क्रांति का बेहतर लाभ उठाया जा सकता है। इसके लिए हमें इस प्रकार के governance frameworks, protocols और policy systems की आवश्यकता है ताकि इसका समावेशी और उचित लाभ सुनिश्चित किया जा सके। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें इस सच्चाई को स्वीकार करना पड़ेगा कि तकनीकी विकास का संबंध सामाजिक संदर्भ से भी है, न कि केवल व्यावसायिक मामलों से है। इसका उचित लाभ हासिल करने के लिए हमें इससे संबंधित नियम तैयार करने होंगे ताकि इसे मानव द्वारा संचालित और मानव केंद्रित बनाया जा सके।
भारत की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी 27 साल से कम आयु की है। ऐसे में विश्व की चौथी औद्योगिक क्रांति के एजेंडे को लागू करने में भारत की भूमिका जिम्मेदारियों से भरी और काफी अहम होने जा रही है।
सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए विज्ञान और अध्यात्म को साथ-साथ लेकर चलने का भारतीय दर्शन मानवीय प्रतिभा और परिवर्तन के अनुरूप खुद को ढालने की उसकी क्षमता पर विश्वास की पुष्टि करता है। चौथी औद्योगिक क्रांति के आगमन से भारत विकास के पारंपरिक चरणों से छलांग लगाते हुए विकसित देशों की श्रेणी की ओर तेजी से बढ़ सकता है। नई टेक्नोलॉजी को बेहतर ढंग से और रणनीति के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो संसाधनों और बुनियादी ढांचे में सुधार किया जा सकता है, जो बेहतर गुणवत्ता और अधिक टिकाऊ विकास को संभव बना सकता है। भारत की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी 27 साल से कम आयु की है। ऐसे में विश्व की चौथी औद्योगिक क्रांति के एजेंडे को लागू करने में भारत की भूमिका जिम्मेदारियों से भरी और काफी अहम होने जा रही है।
चौथी औद्योगिक क्रांति भारत के लिए ढेर सारी संभावनाएं लेकर आई है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को गरीबी कम करने, किसानों के जीवन में सुधार लाने और दिव्यांगों के जीवन को आसान बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सभी क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग किया जा सकता है, जिसमें medicine से लेकर criminal justice, manufacturing और finance सेक्टर तक शामिल हैं। इसी तरह blockchain technology का इस्तेमाल cross-border data flows से लेकर आने वाले समय में सरकारी सेवाओं और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में किया जा सकता है। यह भारत में संपत्ति और अन्य विवादों को कम करने, पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार से लड़ने में भी मदद कर सकता है। इनके अलावा unmanned aircraft systems हैं जिन्हें आम तौर पर ड्रोन के नाम से जाता है। यह सिस्टम फसल की पैदावार बढ़ाने, खतरनाक नौकरियों को सुरक्षित बनाने और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाली आबादी के लिए एक लाइफलाइन के रूप में कार्य कर सकता है। ड्रोन 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने के प्रधानमंत्री मोदी के लक्ष्य को पूरा करने में मदद कर सकता है।.
प्रधानमंत्री मोदी का ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा और बड़े पैमाने पर विकास के लिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का विचार अब साकार रूप ले रहा है। यह समावेशी विकास और प्रगति को बढ़ावा दे सकता है।
चौथी औद्योगिक क्रांति व्यापक और गतिशील होने के साथ-साथ परिवर्तनशील भी है, जो बदलाव का सामना करने और उसे प्रभाव के अनुकूल बनाने के लिए लचीला और गतिशील मॉडल बनाने की आवश्यकता पर जोर देती है। चौथी औद्योगिक क्रांति को नेतृत्व देने की भारत की क्षमता को विश्व आर्थिक मंच ने भी महसूस किया है। यही वजह है जो उसने मुंबई में इससे संबंधित सेंटर बनाने के लिए भारत सरकार के साथ साझेदारी की है। यह सेंटर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रहे विकास को गति देने में सरकार की मदद करेगा ताकि समाज और जनता को अच्छी से अच्छी सेवाएं दी जा सके। चौथी औद्योगिक क्रांति से जुड़ा यह सेंटर केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, निजी क्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय संगठन और सिविल सोसायटी के साथ मिलकर ऐसे व्यावहारिक उपकरण बनाने पर काम करेगा जो सरकार के तकनीक आधारित कामकाज में तेजी भरेगा।
भारत सरकार ने पहले ही इस दिशा में सकारात्मक शुरूआत कर दी थी। उसने स्टार्टअप इंडिया और अटल इनोवेशन मिशन जैसे प्रयासों के माध्यम से आवश्यक संरचनात्मक सुधार लाने और एक उद्यमी माहौल बनाने पर जोर दे रखा है। प्रधानमंत्री मोदी का ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा और बड़े पैमाने पर विकास के लिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का विचार अब साकार रूप ले रहा है। यह समावेशी विकास और प्रगति को बढ़ावा दे सकता है। भारत में दुनिया की सबसे नौजवान श्रम शक्ति है, यहां तकनीकी योग्यता रखने वालों की एक बड़ी फौज है, मोबाइल इंटरनेट इस्तेमाल करने के मामले में देश का विश्व में दूसरा स्थान है और सबसे अधिक अंग्रेजी बोलने वालों की आबादी के मामले में भी यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। इन सबके जरिए भारत चौथी औद्योगिक क्रांति के युग में अपने वैश्विक नेतृत्व की भूमिका को बेहतर ढंग से निभाने के लिए तैयार है। उपयुक्त नियामक ढांचे, शैक्षिक माहौल और सरकारी प्रोत्साहन के माध्यम से भारत चौथी औद्योगिक क्रांति की अगुवाई कर सकता है, साथ ही साथ अपने विकास में रफ्तार भी भर सकता है।
(बोर्गे ब्रेंड विश्व आर्थिक मंच के अध्यक्ष हैं। वह नॉर्वे के पूर्व विदेश मंत्री, पर्यावरण मंत्री और उद्योग एवं व्यापार मंत्री भी रह चुके हैं।)
ऊपर व्यक्त की गई राय लेखक की अपनी राय है। यह आवश्यक नहीं है कि नरेन्द्र मोदी वेबसाइट एवं नरेंद्र मोदी ऐप इससे सहमत हो।