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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अद्वितीय, गतिशील और दूरदर्शी नेतृत्व के तहत हमारी सरकार ’सबका साथ सबका विकास’ के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। ’सबका साथ’ में ’अंत्योदय’ की परिकल्पना की गई है, जहां अवसरों के सशक्तिकरण की किरण सबसे वंचित लोगों जैसे कि समाज के गरीब, अधिकारहीन और अन्य कमजोर वर्गों तक पहुंचे। यह प्रगतिशील नेतृत्व ही है जिसके तहत मैं गर्व से दावा कर सकता हूं कि हमारी सरकार के द्वारा देश में सत्ता ग्रहण करने और नेतृत्व की भूमिका में आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2014 से तीन वर्षों के दौरान कई उत्कृष्ट पुरस्कार प्राप्त किये हैं।

स्वास्थ्य और विकास एक दूसरे के पूरक हैं - स्वस्थ लोग आम तौर पर लंबी जिंदगी जीते हैं और अधिक सृजक होते हैं, जिससे वे ज्यादा अर्जन करते हैं और अधिक संचय करते हैं, इसलिए वे देश की समृद्धि में योगदान करते हैं। हमारी सरकार ने स्वस्थ नागरिकों के महत्व को समझा है और इसके लिए 2017 के केंद्रीय बजट में विशेष प्रावधान किया है। हमारे प्रयासों से मंत्रालय को प्राप्त होने वाले आवंटन लगभग रु. 10,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। हम ’अन्त्योदय’ के लिए सरकार की प्राथमिकता के साथ समन्वय बनाकर लोगों को बेहतर गुणवत्ता वाली देखरेख प्रदान करने के लिए हेल्थ केयर प्रणालियों और सेवाओं को बेहतर बनाने का अथक प्रयास कर रहे हैं। इसका उद्देश्य सबसे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचना है ताकि समग्र रूप से सृजक और विकसित राष्ट्र का निर्माण किया जा सके।

बच्चों को देश का भविष्य माना जाता है और हमारी सरकार द्वारा बजट में इस बारे मे विशेष ध्यान दिया गया था, जिसमें वित्त मंत्री ने शिशु मृत्यु दर को कम करने के बारे में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था। इसके अनुरूप, हमारी कई प्रमुख पहल माताओं और बच्चों की सुरक्षा पर केंद्रित हैं। जीवन-चक्र दृष्टिकोण को एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में अपनाया गया है और सभी कार्यक्रम इसी के अनुरूप तैयार किए गए हैं। हाल ही में शुरू की गई प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के द्वारा प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने का प्रयास किया गया है, जिसका लक्ष्य सुरक्षित गर्भावस्था और सुरक्षित प्रसव के माध्यम से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करना है। यह राष्ट्रीय कार्यक्रम हर महीने की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं को मुफ़्त, सुनिश्चित, व्यापक तथा गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल के माध्यम से उच्च जोखिम वाले गर्भधारण का पता लगाने और उसे रोकने के लिए पूरे देश की गर्भवती महिलाओं को विशेष प्रसवपूर्व देखभाल प्रदान करता है। अब तक, राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में इस कार्यक्रम के लिए 3,200 से अधिक निजी क्षेत्र के डॉक्टरों ने पंजीकरण कराया है। पूरे भारत में 11,000 से अधिक पीएमएसएमए सेवा की सुविधा प्रदान की गई है और 33 लाख से अधिक प्रसव पूर्व-प्रारंभिक जांच की गई हैं। जेएसवाई और जेएसएसके कार्यक्रमों के माध्यम से प्रसव और प्रसव उपरांत देखभाल को शामिल किया गया है और इसी क्रम में हमने स्तनपान को प्रोत्साहित करने और स्तनपान कराने के समर्थन में परामर्शी सेवाओं के प्रावधान के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के रूप में एमएए (माँ का पूर्ण स्नेह) को शामिल किया है।

इसके अतिरिक्त सम्पूर्ण टीकाकरण पर भी नये सिरे से तथा बेहतर तरीके से ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। पिछले कई दशकों से यही बात सामने आई है कि टीकाकरण सबसे अधिक लागत वाले प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों में से एक हैं। भारत में सभी बच्चों के टीकाकरण को सुनिश्चित करने के लिए, स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2014 में मिशन इंद्रधनुष (एमआई) का शुभारंभ किया था, ताकि यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम से छूट गये तथा दूर-दराज के बच्चों का भी टीकाकरण किया जा सके। अब तक 2.6 करोड़ से अधिक लाभार्थियों का टीकाकरण किया जा चुका है। संपूर्ण टीकाकरण में 1 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि की तुलना में ’मिशन इंद्रधनुष’ ने वार्षिक विस्तार में 5-7 प्रतिशत का योगदान दिया है। एमआई के साथ, सरकार ने यूआईपी में कई नए टीके शुरू किए हैं, जैसे कि निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (आईपीवी), वयस्क जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) वैक्सीन (चुनिंदा जिलों में वयस्कों को दी जाने वाली 3 से ज्यादा खुराक), रोटावायरस टीका, खसरा-रूबेला (41 करोड़ बच्चों तक पहुंचने के लिए फरवरी 2017 में शुरू की गई) तथा शीघ्र ही शुरू की जाने वाली न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (पीसीवी)। अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसे कि तीव्र डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा (आईडीसीएफ) और राष्ट्रीय डीवर्मिंग डे (एनडीडी) को व्यापक देखभाल प्रदान करने और बाल मृत्यु दर में योगदान देने वाले अन्य कारकों के अनुरूप डिजाइन किया गया है। हम 6.5 करोड़ बच्चों तक पहुंच स्थापित कर आईडीसीएफ के तहत डायरिया की रोकथाम और नियंत्रण के लिए परामर्श सहित ओआरएस पैकेट उपलब्ध करा चुके हैं। एनडीडी 29.8 करोड़ बच्चों को अल्बेन्डाजोल प्रदान कर चुकी है।

हमारे प्रधानमंत्री हमेशा से देश के संपूर्ण विकास में महिलाओं की अहम भूमिका पर ज़ोर देते रहे हैं कि कैसे एक महिला का स्वास्थ्य उसकी कुशलता और सृजनात्मकता के साथ-साथ उसके बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, हमने 7 सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों (उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और असम) में 145 उच्च प्रजनन जिलों में परिवार नियोजन सेवाओं और पहलों को तेज करने के लिए मिशन परिवार विकास शुरू किया है। एक नया समग्र परिवार नियोजन मीडिया अभियान शुरू करते हुए इनजेक्टेबल डीएमपीए, सेंच्रोमन और पीओपी (प्रोजेस्टेरोन गोलियां) और बेहतर गर्भनिरोधक पैकेजिंग को शामिल करते हुए गर्भनिरोधक उपायों के गुलदस्ते का विस्तार किया है। अब तक 10 लाख पोस्ट-पार्टम इन्ट्रा गर्भाशय डिवाइस (पीपीआईयूसीडी) डाले गये हैं।

प्रजनन स्वास्थ्य के अलावा, भारत संक्रामक और गैर-संक्रामक रोग (एनसीडी) दोनों के दोहन का भार उठाता है। एनसीडी को कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के माध्यम से प्रबंधित किया जा रहा है जिसमें 356 जिला एनसीडी क्लीनिक, 103 कार्डिक केयर यूनिट, 71 डे केयर सेंटर और 1871 सीएचसी-एनसीडी क्लीनिक सामान्य एनसीडी के प्रबंधन के लिए हैं। “चलो बनाएं स्वस्थ भारत“ शीर्षक से एक व्यापक जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।

हमारी सरकार यह जानती है कि सबसे वंचित और सबसे ज्यादा ज़रूरतमंद व्यक्तियों को केवल क्लीनिक और कार्यक्रमों की ही आवश्यकता नहीं है बल्कि उन्हें महंगी उपचार सेवाओं से भी राहत चाहिए। प्रधानमंत्री डाइलेसिस कार्यक्रम के माध्यम से किडनी रोगों के लिए केंद्रीय बजट में विशेष प्रावधान किया गया है, जो पीपीपी मोड के माध्यम से जिला अस्पतालों में गरीब और वंचित वर्ग के लिए मुफ्त डायलिसिस सेवाएं प्रदान करता है। इसके तहत, प्रत्येक केंद्र में 6 डायलिसिस मशीन होंगे। अब तक 1,069 डायलिसिस इकाइयां, 2,319 डायलिसिस मशीनें संचालित की गई हैं और 1,00,000 से अधिक मरीजों ने 11 लाख से अधिक डायलिसिस सत्रों के साथ सेवाओं का लाभ उठाया है। राज्य स्तर पर दवाइयों पर उच्च आउट पॉकेट व्यय (ओओपीई) का प्रबंधन करने के लिए, फ्री ड्रग्स सेवा और फ्री डायग्नोस्टिक्स सेवा पहल और आवश्यक औषध सूची (ईडीएल) जैसी पहलों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत व्यापक रूप से शुरू किया गया है ताकि दवाइयों पर होने वाले व्यय को कम किया जा सके।

इन सभी पहल और कार्यक्रमों का शुभारम्भ करते हुए इसे व्यापक स्वास्थ्य कार्यक्रम ‘‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम)’’ के माध्यम से लागू किया गया है। स्थापना के बाद से, एनएचएम (15 फरवरी, 2017 तक) के तहत कुल मिलाकर 1,57,000 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। घोषित निधि और हमारे अथक प्रयासों के साथ देश ने कई लक्ष्यों और उद्देश्यों को हासिल किया है जैसे कि भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर (यू 5 एमआर) और मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में वैश्विक औसत से अधिक गति से गिरावट आई है। मिशन की अवधि के दौरान शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में गिरावट की प्रतिशत वार्षिक परिमाण दर भी 2.1 प्रतिशत से बढ़कर 4.5 प्रतिशत हो गई। कुल उर्वरता दर (टीएफआर) में महत्वपूर्ण गिरावट आई है - 1990 में 3.8 प्रतिशत से 2005 में 2.9 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2014 में 2.3 प्रतिशत थी। भारत को 2020 के वैश्विक लक्ष्य वर्ष से काफी पहले, अप्रैल 2016 में ही यॉज (YAWS) मुक्त घोषित कर दिया गया है। हमने दिसंबर वैश्विक लक्ष्य तिथि से बहुत पहले ही मई 2015 में मातृ एवं नवजात टेटनस एलिमिनेशन (एमएनटीई) के लिए मान्यता हासिल कर ली। यह पोलियो उन्मूलन के बाद एक यादगार उपलब्धि थी, जो मजबूत होती स्वास्थ्य व्यवस्था और समय पर काम को पूरा करने में संस्थागत सुधार की वजह से सम्भव हो सका है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी द्वारा निर्धारित लक्ष्यों और लोक-केंद्रित उद्देश्यों से निर्देशित सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय को लगातार अपना समर्थन और प्रोत्साहन दे रही है। हम अंत में एक विशेष के माध्यम से असमानताओं को खत्म करने के लिए नए सिरे और उत्साहजनक रूप से दुर्गम और मुश्किल क्षेत्रों और खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए एक स्वस्थ, अधिक समृद्ध भारत के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर किसी की सेवा करने की कोशिश कर रहे हैं।

(जगत प्रकाश नड्डा भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह वर्तमान में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हैं, हिमाचल प्रदेश से राज्य सभा के सदस्य हैं और भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड के सचिव हैं। इससे पहले, वह हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं।)

जो विचार ऊपर व्यक्त किए गए हैं, वो लेखक के अपने विचार हैं और ये जरूरी नहीं कि नरेंद्र मोदी वेबसाइट एवं नरेंद्र मोदी एप इससे सहमत हो।