भारत के नागरिकों ने बड़ी उम्मीदों के साथ 2014 में भारत को बदलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बहुमत के साथ चुना था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए शासन के पिछले 10 वर्षों को अत्यधिक भ्रष्टाचार एवं घोटालों और उनके कुशासन तथा उदासीनता के प्रति बढ़ते जन आक्रोश के तौर पर चिन्हित किया गया था। ऐसी स्थिति के साथ वर्तमान सरकार की तुलना करें तो केंद्र के प्रत्येक कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। इसकी झलक जमीनी स्तर से लेकर (पंचायत) सर्वोच्च (संसद) स्तर तक देश भर में विभिन्न चुनावों में प्रधानमंत्री और भाजपा के लिए बड़े पैमाने पर किये गये जन विश्वास और समर्थन में देखने को मिलती है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बहुमत के साथ जीत और गोवा तथा मणिपुर में शानदार प्रदर्शन निश्चित रूप से प्रधानमंत्री के महान इरादों का समर्थन और भारत के लोगों के बीच विमुद्रीकरण के प्रति भारी समर्थन का प्रदर्शन करते हैं।

काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ उपायों की श्रृंखला को जारी रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवम्बर को हमारी व्यवस्था में गहराई तक जड़ जमा चुकी भ्रष्टाचार, काला धन और आतंकवाद रूपी कैंसर को खत्म करने की पहल करते हुए सबसे क्रांतिकारी कदम उठाया। देश की दीर्घकालिक कल्याण के लिए लोग अल्पकालिक असुविधा सहने के लिए तैयार थे। हमने जो देखा वह जनशक्ति-राष्ट्रीय हित में लोगों की भागीदारी का प्रतीक था। उन्होंने यह महसूस किया कि ‘‘कभी-कभी सबसे मुश्किल चीज और सही चीज एक समान होती हैं।’’

विमुद्रीकरण ने उन लोगों की कमर तोड़ दी, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा थे और उन्हें एक स्पष्ट संदेश दिया कि अब ‘‘पारंपरिक कार्यप्रणाली’’ नहीं चलेगी। अपनी प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए बड़ी जमा राशि की जांच की जा रही है। बड़े और शक्तिशाली भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने की पिछले शिकायतों का निवारण किया गया है। ईमानदार लोगों को शान्ति की अनुभूति हो रही है, जबकि बेईमानी का सफाया हो गया है। सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को मिला जो ईमानदारी के साथ अपनी जिंदगी जीना चाहते थे, लेकिन आभासी अर्थव्यवस्था में काम करने के लिए मजबूर थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें विभिन्न करों और श्रम कानूनों के तहत अतीत की अनुचित जांच के भय के बिना मुख्य धारा में शामिल होने के लिए सक्षम बनाया।

अनौपचारिक से औपचारिक अर्थव्यवस्था के इस परिवर्तन की वजह से अर्थव्यवस्था को बड़े फायदे हुए हैं। अतीत में जब भी काले धन में कोई लेनदेन किया जाता था, तो वह हमेशा जीडीपी का हिस्सा नहीं होता था। हालांकि, बैंकिंग और डिजिटल चैनलों के माध्यम से अधिक से अधिक लेनदेन किए जाने पर करों का भुगतान किया जाएगा और वास्तविक आय को ईमानदारी से घोषित किया जाएगा। इससे कुछ लोगों के सुझाव के विपरीत निश्चित रूप से जीडीपी के विकास में मदद मिलेगी। यहां तक कि व्यवसाय करने के पुराने तरीके में जीएसटी सफल नहीं हो सकता था, क्योंकि यहां पैसे का प्रत्यक्ष प्रवाह औपचारिक से अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में हो रहा था।

अंत्योदय में, पिरामिड के निचले हिस्से के अंतिम व्यक्ति की सेवा करना हमारे दर्शन के केंद्र में है, जो कि हमारे आदर्श, पंडित दीन दयाल उपाध्याय, जिनकी जन्म शताब्दी हम इस वर्ष मना रहे हैं, की विचारधारा से प्रेरित है। बढ़े हुए कर राजस्व से हमें उन गरीबों की सेवा करने में मदद मिलेगी, जिनका देश के संसाधनों पर पहला अधिकार है। इससे ईमानदार करदाताओं के ऊपर से करों के बोझ को कम करने में मदद मिलेगी, जो इस बजट में दिखाई पड़ती है, जिसमें कर की दरों को कम किया गया है।

गैर संगठित श्रमिक, जो हमारे कुल कर्मचारियों की संख्या का लगभग 92% है, को सबसे अधिक फायदा होगा। यह सर्वमान्य तथ्य है कि उनमें से ज्यादातर को न्यूनतम मजदूरी, ईएसआईसी के अंतर्गत स्वास्थ्य देखभाल या भविष्य निधि के तहत पेंशन नहीं मिलती है, क्योंकि उनकी मजदूरी का भुगतान नकद में किया जाता है और उनकी नौकरी का कोई रिकॉर्ड नहीं होता है। औपचारिकरण और भुगतान के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से श्रमिकों को गरिमा और सुरक्षा प्रदान करने में मदद मिलेगी और वे अपने लिए निर्धारित न्यूनतम वेतन प्राप्त कर सकेंगे, जिसमें हाल ही में 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने के साथ ही स्वास्थ्य देखभाल, सुरक्षा और वृद्धावस्था हितलाभ का प्रावधान किया गया है। यह ऐसा कुछ है जो पिछले 70 वर्षों में हासिल नहीं हुआ था। अंत में, यहां तक कि असम के चाय बागान मजदूर, गुजरात के दूध आपूर्तिकर्ताओं और तमिलनाडु के कपड़ा कामगारों को भी बैंक के माध्यम से भुगतान किया जा रहा है और इस तरह से कार्यप्रणाली से उनका जुड़ाव हो रहा है।

उच्च ब्याज दरों ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों - ऐसा क्षेत्र जो हमारे समाज के बड़े वर्ग को आजीविका प्रदान करता है, के लिए क्रेडिट को अवहनीय बना दिया है। कम लागत वाले चालू खाता/बचत खाते (सीएएसए) जमाओं के प्रवाह की वजह से, फंड की औसत लागत में काफी कमी आई है, जिसने बैंकों को हाल ही में 1% तक ऋण दरों को कम करने में सक्षम बनाया है। इससे निवेश में तेजी आएगी और अर्थव्यवस्था में आय और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसके अतिरिक्त, विमुद्रीकरण के अंत में 31 दिसंबर, 2005 को प्रधानमंत्री द्वारा घोषित आवास ऋणों के ब्याज पर वित्तीय सहायता से घरों को और अधिक किफायती बनाकर, उन्हें आम आदमी की पहुंच में लाया जाएगा।

इन सब के बावजूद 7 प्रतिशत की मौजूदा जीडीपी विकास दर यह दर्शाता है कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन रही है। अधिकांश क्षेत्र शानदार विकास कर रहे हैं। किसान, जो हमारे देश की रीढ़ हैं, इस तरह के तीव्र विकास से बेहद लाभान्वित हो रहे हैं। इसने उन लोगों की आशंकाओं को खत्म कर दिया है, जिन्होंने दावा किया था कि विमुद्रीकरण की वजह से कृषि क्षेत्र अत्यधिक प्रभावित होगा। मुद्रास्फीति भी गिरकर 3.17 प्रतिशत हो गई है, जो कि कई सालों में सबसे कम है।

हालांकि, प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है, फिर भी कुछ ‘‘विशेषज्ञों’’ और अर्थशास्त्रियों ने हमारी सरकार पर काफी तीखा हमला किया था। उन्होंने कयामत की भविष्यवाणियां की थीं और जन सामान्य तथा निवेशकों के बीच आतंक और भ्रम को फैलाने का प्रयास किया था। दुर्भाग्य से, व्यक्तिगत विचार पूर्वाग्रहों से प्रेरित होता है, जो कि प्रो. अमर्त्य सेन द्वारा की गई अनुचित टिप्पणियों में देखा गया था। उदाहरण के तौर पर ‘‘निराशावादी निर्णय’’ का प्रचार किया गया और ‘‘प्रतिकूल परिणाम’’ की चेतावनी दी गई। यह दोनों टिप्पणियां, जिन्हें भारत के लोगों ने सरसरी तौर पर खारिज कर दिया है। इस बात की पुष्टि 8 नवम्बर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी की निरंतर चुनावी जीत से होती है जो समृद्ध महाराष्ट्र के मुम्बई, गुजरात, चंडीगढ़, फरीदाबाद या ओडिशा में देखने को मिली। हमारी सरकार के मार्गदर्शक सिद्धांत ‘‘सबका साथ सबका विकास’’ को देशभर में स्वीकार किया गया है। यह केवल यह दर्शाता दिखाता है कि कोई क्या कहता है और करता है, अगर वह सही है तो उसे नोबेल पुरस्कार की कोई आवश्यकता नहीं है।

आगे, इस विमुद्रीकरण से एक ज्यादा आधुनिक, डिजिटल और ईमानदार अर्थव्यवस्था का जन्म होगा होगा। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए गए बहुत सफल भीम भुगतान ऐप, जन धन - आधार - मोबाइल (जेएएम) के संगम के माध्यम से इस सरकार की डिजिटल प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करता है, जो दीर्घावधि में नकदी पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा।

जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को विमुद्रीकरण का प्रस्ताव दिया गया था, तो उन्होंने इस विचार को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि ‘‘क्या कांग्रेस पार्टी को अब कोई और चुनाव नहीं लड़ना है?’’। इसके विपरीत, हमारा सिद्धांत है ’’दल से बड़ा देश’’।

निष्कर्षतः विमुद्रीकरण से भारत की आर्थिक प्रगति होगी और उसके नागरिकों के जीवन में समृद्धि आएगी। इसके परिणामस्वरूप उच्चतम जीडीपी, पारदर्शिता और अखंडता मजबूत होगी, श्रमिकों को सुरक्षा मिलेगी, युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे, उद्यमशीलता एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सस्ते ऋण मिलेंगे, किसानों को उनकी आय को दोगुना करने में मदद मिलेगी, सभी लोगों को किफायती आवास मिल सकेगा और सरकार को अधिकतम राजस्व की प्राप्ति होगी, जिससे समाज के गरीब और वंचित वर्गों का कल्याण किया जा सकेगा। सबसे अहम बात यह है कि इसने हर ईमानदार भारतीय के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम किया है।

विमुद्रीकरण राष्ट्रीय हितों में सबसे ऊपर है।

(पीयूष गोयल भारत सरकार में ऊर्जा, कोयला, नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा और खनन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं। वर्तमान में वे संसद सदस्य (राज्य सभा) हैं और पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भी रह चुके हैं।)

जो विचार ऊपर व्यक्त किए गए हैं, वो लेखक के अपने विचार हैं और ये जरूरी नहीं कि नरेंद्र मोदी वेबसाइट एवं नरेंद्र मोदी एप इससे सहमत हो।