Mukul Asher Professorial Fellow, National University of Singapore

01 जुलाई, 2017 से भारत के ऐतिहासिक GST (वस्तु एवं सेवा कर) को लागू हुए तीन हफ्ते से ज्यादा का वक्त हो चुका है। समग्र अर्थव्यवस्था, व्यवसाय, परिवारों और सरकारी संगठनों पर इसके बहुआयामी प्रभाव अपेक्षित हैं। बदलते दौर में विभिन्न सेक्टरों द्वारा इसके प्रभाव को एक गतिशील और डिजिटल स्वरूप के रूप में महसूस किया जाएगा।

यह कॉलम उन पहलुओं पर केंद्रित है जिनका मूल्यांकन जीवन यापन के खर्च पर GST के प्रभाव को देखने के लिए किया जाना है।

जीवन यापन के खर्च पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन परिवारों द्वारा GST लागू होने के पहले और उसके बाद वस्तुओं एवं सेवाओं के एक निश्चित बंडल पर किए जाने वाले खर्च से किया जाएगा।

चूंकि अलग-अलग परिवारों के लिए वस्तुएं और सेवाएं उनकी आय के स्तर, प्राथमिकताएं, आयु वर्ग एवं अन्य कारकों के साथ भिन्न होते हैं इसलिए GST का प्रभाव अलग-अलग परिवारों पर भिन्न-भिन्न हो सकता है।  ऐसे में परिवारों पर इसके प्रभाव को लेकर एक निश्चित जवाब तो नहीं हो सकता लेकिन इसे किसी तरीके से आंके जाने को लेकर दबाव कम नहीं।

परिवारों के घरेलू खर्च से संबंधित विस्तृत आंकड़ों के अभाव में इस मुद्दे को GST के कार्यान्वयन के कारण घरेलू खर्च को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों के गुणात्मक विश्लेषण के द्वारा समझना अधिक उपयुक्त होगा।

एक ओर जीवन यापन का खर्च और दूसरी तरफ मुद्रास्फीति, इन दोनों के बीच में अंतर करना महत्त्वपूर्ण है। मुद्रास्फीति कीमत के स्तर में लगातार वृद्धि को दर्शाती है (ग्राहक मूल्य सूचकांक द्वारा जाहिर होने वाली)। वहीं जीवन यापन का खर्च परिवारों के द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं के एक निश्चित बंडल पर किये जाने वाले अल्पावधिक (छह से आठ महीने तक का) खर्च को इंगित करता है।

वस्तुओं और सेवाओं के लिए किए जाने वाले घरेलू खर्च पर GST के प्रभाव को अलग करने के लिए किसी वस्तु अथवा सेवा पर पूर्व से प्रभावी कर दर एवं GST के उपरांत लागू हुई दर के बीच में अंतर का अनुमान करना आवश्यक है।

इस प्रभावी दर का अनुमान लगाने की आवश्यकता है, न कि कल्पना करने की। इस कार्य के लिए ये समझना आवश्यक है कि विभिन्न व्यवसाय और उपभोक्ता, वस्तुओं एवं सेवाओं पर लागू घरेलू कर के लिए किस हद तक सहजता से समायोजन कर पाते हैं। इस तरह से यह संबंधित वस्तुओं और सेवाओं के लिए मांग एवं पूर्ति के मूल्य लोच (price elasticity) पर निर्भर करता है। भारतीय परिवारों के लिए इस तरह के लोच का सांख्यिकीय अनुमान लगाना बहुत कठिन है। सामान्यतया,  मांग की मूल्य लोच जितनी अधिक होती है,  विक्रेता की मूल्य निर्धारित करने की शक्ति उतनी कम होती है।

पूर्ण कर के बजाय विभेदक (differential) कर मायने रखता है। फिर विभेदक कर को अनुमानित करने की आवश्यकता है जो कि एक आसान कार्य नहीं है।

इसलिए, GST के तहत आने वाले विभिन्न करों  ( जैसे- केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर और प्रवेश कर) की मामूली दरों को जोड़ कर निर्धारित GST  दर के साथ तुलना करना जीवन यापन के खर्च पर GST के प्रभाव को देखने का उचित तरीका नहीं है।

जीवन यापन से संबंधित प्रासंगिक पहलुओं के प्रभाव के मूल्यांकन को निम्नलिखित तरीके से संक्षेपित किया जा सकता है:

सबसे पहले, GST के साथ, सामान्य रूप से, पूर्व की तुलना में वस्तुओं पर कर की दर कम होने की संभावना है, और सेवाओं पर बढ़ने की संभावना है। हालांकि, वस्तुओं और सेवा श्रेणी के अंतर्गत यह सामान्यीकरण प्रत्येक श्रेणी में विशिष्ट वस्तुओं के लिए लागू नहीं हो सकता है।

जैसे-जैसे परिवारों की प्रगति उच्च आय वर्ग की तरफ होती जाती है सेवाओं पर घरेलू बजट का हिस्सा बढ़ता जाता है और वस्तुओं पर घटता जाता है।

इसलिए उपरोक्त समग्र प्रवृत्ति निम्न और निम्न मध्य आय वाले परिवारों के लिए कम बोझ एवं इसके विपरीत उच्च मध्य आय एवं उच्च आय वाले परिवारों के लिए अधिक बोझ की संभावना को दर्शाती है। यह निचले तबके की आबादी पर GST के नकारात्मक प्रभाव को बहुत हद तक कम करता है।

GST काउंसिल ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि किसी भी दी गई वस्तु अथवा सेवा पर GST दरों एवं पूर्व की मामूली कर दर के बीच में कम से कम अंतर हो, ताकि परिवारों और व्यवसायों पर कम से कम अवरोध हो।

दूसरा, वस्तुओं और सेवाओं पर विभेदक दर GST के द्वारा प्रभावित है, जो परिवारों को खरीदे गए सुविधाओं या वस्तुओं के पुनर्समायोजन का अवसर प्रदान करता है, जिससे कि जीवन यापन के खर्च पर GST का प्रभाव कम से कम हो।

परिवारों को महत्वपूर्ण वस्तुओं के मूल्यों से संबंधित जानकारी व्यवस्थित और क्रमिक आधार पर समय पर सुलभ कराने का प्रावधान इस तरह के पुनर्समायोजन के लिए आवश्यक है।

केंद्र सरकार एवं कुछ राज्य सरकारों की टैक्स एजेंसियां पूरे देश में GST कार्यान्वयन के लिए सुविधा प्रदान करने एवं निगरानी करने के लिए बहुत ही प्रशंसनीय प्रयास कर रही हैं। ऐसे प्रयास जीवन यापन के खर्च पर GST के प्रभाव को कम करने में भी मददगार हैं। हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, विशेष रूप से क्षेत्रीय भाषा के प्रिंट मीडिया एवं सोशल मीडिया, ओपिनियन मेकर्स और विषय विशेषज्ञों की एक रचनात्मक भूमिका परिवारों को जीवन यापन के खर्च पर GST के प्रभाव को कम करने के लिए अग्रसर करने और उन्हें सक्षम बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

तीसरा, कमजोर आर्थिक विकास का वैश्विक वातावरण,  वस्तुओं की कम कीमतें, जैसे कि ऊर्जा के लिए, और सामान्य रूप से व्यवसायों की सीमित मूल्य निर्धारण क्षमता भी परिवारों के जीवन यापन के खर्च पर GST के नगण्य प्रभाव का शुभ संकेत देती है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा अनुमानित खरीफ और रबी फसलों के लिए अनुकूल मानसून का पूर्वानुमान भी परिवारों को जीवन यापन के व्यय पर प्रभाव के प्रबंधन में मदद करेगा।

उपरोक्त अनुकूल वातावरण को देखते हुए यह दृढ़ता से आग्रह किया जाता है कि सरकार GST के मुनाफाखोरी विरोधी प्रावधानों पर कम जोर दे एवं जब इसका उपयोग करे तो नरमी (soft touch) के साथ करे।

उपरोक्त विश्लेषण एक बार फिर घरेलू आय एवं व्यय से संबंधित आंकड़ों के संकलन एवं विश्लेषण करने की प्रणाली एवं ऐसे आंकड़ों को वृहद रूप से सुलभ बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल देता है। अर्थमितीय (econometric) अध्ययन सहित ठोस डेटा बेस एवं विश्लेषणात्मक क्षमताओं का अभाव परिवारों के जीवन यापन के खर्च पर GST के प्रभाव का अनुभवजन्य-साक्ष्य आधारित मूल्यांकन करने में बाधा पहुंचाता है। इस अंतर को पाटने की आवश्यकता है।

कुल मिलाकर , जीवन यापन  के खर्च पर GST के प्रभाव को कम करने के लिए वैश्विक एवं घरेलू दोनों परिप्रेक्ष्य में समय अभी अत्यंत ही अनुकूल है। GST की रूपरेखा  एवं सरकारी प्रयास भी काफी महत्वपूर्ण रहे हैं। मीडिया एवं अन्य हितधारक एवं परिवार को खुद भी GST के साथ समायोजन करने में रचनात्मक भूमिका निभाने की आवश्यकता है। एक अधिक सेवा केंद्रित संस्कृति जो GST टैक्स प्राधिकारियों के पेशेवर व्यवहार एवं तकनीक से युक्त हो, वो जीवन यापन पर GST के प्रत्यक्ष रूप से कम रहे प्रारंभिक प्रभाव को लंबे  समय तक बनाए रखने में मददगार साबित होगी।

भारतीय नागरिक मुकुल जी. अशेर नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के प्रोफेसर हैं। 

ऊपर व्यक्त की गई राय लेखक की अपनी राय है। यह आवश्यक नहीं है कि नरेंद्र मोदी वेबसाइट एवं नरेंद्र मोदी ऐप इससे सहमत हो।