भारत के लोग सकारात्मक बदलाव चाह रहे हैं और उन सभी अवसरों पर कार्य करने के लिए पहले से कहीं अधिक इच्छुक हैं जो उन्हें सक्षम और सशक्त बनाते हैं। जनता की आकांक्षा के अनुरूप नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने जनहित में अपने नागरिकों के बेहतर भविष्य के लिए दृढ़ता के साथ अटूट प्रतिबद्धता दिखायी है। अच्छा स्वास्थ्य भविष्य के केंद्र में है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री 'सभी के लिए स्वास्थ्य' के आदर्श के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और हमारी प्रतिबद्धता हमारे कार्यकाल के हर निर्णय में व्याप्त है। मैं आज स्वास्थ्य क्षेत्र की ऐसी पहल पर ध्यान केन्द्रित करना चाहता हूं जो बड़े पैमाने पर टीकाकरण को प्रभावी तरीके से लागू करने में सफल साबित हुआ है।
भारत का यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा है, जो करोड़ों बच्चों की जान बचाने के लिए दुनिया भर से सबसे अच्छी स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं ला रहा है। हालांकि 2010 में पेंटावलेंट वैक्सीन की शुरुआत से पहले के दो दशकों में, UIP में राष्ट्रीय स्तर पर कोई नया टीका शुरू नहीं हुआ था। इसका मतलब यह हुआ कि नये टीकों की शुरुआत में देरी से संभवत: बड़े पैमाने पर, खासकर शिशुओं और बच्चों की, जानें जा रही थीं। पिछले दो वर्षों में मोदी सरकार ने इस स्थिति में बड़ा बदलाव ला दिया है। यह बदलाव पोलियो वैक्सीन (IPV) रोटावायरस टीका (RVV) और मिजेल्स-रूबेला (MR) वैक्सीन और जापानी एंसेफेलाइटिस (JE) वैक्सीन के जरिए हुआ है।
उदाहरण के तौर पर न्यूमोनिया (pneumonia) और दस्त (diarrhea) दुनिया भर में बच्चों की मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में भी हर दो मिनट में एक बच्चे की मौत होती है और इसके साथ ही इससे पीड़ित बहुत सारे लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। न्यूमोनिया की चुनौती का सामना वर्तमान में Haemophilus influenza type b (Hib) vaccine कर रहा है जो Pentavalent vaccine का हिस्सा है। शीघ्र ही, Pneumococcal Conjugate Vaccine (PCV) हर साल Pneumococcal pneumonia और meningitis के 10 लाख मामलों को रोकने के लक्ष्य को अपनी योजना में शामिल करेगा। इसी तरह रोटावायरस से बचाने वाली RVV वैक्सीन हमारी सफलता की कहानी है- क्योंकि इसमें Rotavirus diarrhea से करीब 80,000 बच्चों को बचाने की क्षमता है। ये हमारे मेक इन इंडिया अभियान का भी बेहतरीन उदाहरण है। रोटावायरस वैक्सीन को भारत में विकसित किया गया है जो देश के समृद्ध अनुसंधान और विकास का लाभ उठा रहा है।
नये वैक्सीन्स को प्रस्तुत करते हुए हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि हर बच्चे और सभी गर्भवती महिलाओं तक टीके की पहुंच हो। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए उन सभी बच्चों तक पहुंचने के उद्देश्य से 2014 में मिशन इंद्रधनुष (MI) की कल्पना की गई थी, जो अ-प्रतिरक्षित या आंशिक रूप से प्रतिरक्षित हैं। 2014 में शुरू किए गए मिशन इंद्रधनुष में 11 रोगों के लिए टीके शामिल हैं और 2020 तक देश में बच्चों के बीच 90% से अधिक पूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज तक पहुंचने का लक्ष्य है। तीन चरणों के बाद अब तक 2.1 करोड़ बच्चों और 55.9 लाख गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया जा चुका है। दूरदराज के कुछ इलाकों में कुछ मामलों में हेल्थ वर्करों ने उन समुदायों तक पहुंच बनाई, जिन्हें पहली बार सभी तरह की स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर सुविधाएं प्रदान की गईं। सरकार के टीकाकरण कार्यक्रम का 93% घरेलू स्तर पर वित्त पोषित होता है जो हमारी प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
इन नए टीकों को पेश करने के निर्णय का आधार उनके अनुसंधान और साक्ष्य हैं। इंटिग्रेटेड डिजीज निगरानी कार्यक्रम (IDSP), सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस (CBHI) जैसे कई डेटा स्रोत, और इसी तरह के सर्वेक्षणों से हमें देश में बीमारियों के बारे में पता चलता है। राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) सभी साक्ष्य संयोजन के साथ डाटा की समीक्षा करता है और संभावित समाधान के विकल्पों के साथ एक टीका शुरू करने का निर्णय लेता है। NTAGI में राष्ट्रीय और राज्य स्वास्थ्य विभागों के सदस्य, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (ICMR) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर (NIHFW) इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स (IAP) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण जैसी सरकारी एजेंसियों के अन्य प्रतिनिधियों, जैव प्रौद्योगिकी विभाग और अन्य स्वतंत्र विशेषज्ञ शामिल हैं। विभिन्न वैज्ञानिक, बाल रोग विशेषज्ञ, महामारी विशेषज्ञ और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ एक साथ आते हैं और ठोस सबूत के आधार पर वैक्सीन लाने का निर्णय करते हैं। किसी भी स्वास्थ्य नीति में परिवर्तन किए जाने से पहले मिशन स्टीयरिंग ग्रुप (MSG) में NTAGI की अनुशंसाएं पारित की जाती हैं। सरकार वैक्सीन एजेंडा तब बनाती है जब स्वतंत्र विशेषज्ञों के माध्यम से यह सूचित किया जाता है कि यह किसी बाहरी प्रभाव से मुक्त है।
यूआईपी (UIP) का मूल उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा छूटना नहीं चाहिए। WHO, UNICEF, UNDP और GAVI जैसे भागीदारों के साथ साझेदारी का विकास कर हम हमारे लक्ष्यों को हासिल करना सुनिश्चित कर रहे हैं।
हमारे सहयोगी ज्ञान और विशेषज्ञता की एक विविध श्रेणी लाते हैं, हमारे स्वास्थ्य लक्ष्यों और परिणामों को मजबूत करने के लिए नवाचारों (innovations) के लिए जगह बनाते हैं। उदाहरण के लिए, कई टीकों को कम तापमान पर रखा जाना चाहिए, इसलिए हमें अपनी यात्रा के दौरान एक मजबूत शीत श्रृंखला प्रणाली (cold chain system) की आवश्यकता होती है। हमारे सहयोगियों ने वैसे सिस्टम और प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने में मदद की है जो दिल्ली में बैठे किसी व्यक्ति को भी दूरदराज स्थानों में कोल्ड चेन तापमान की निगरानी करने की सहूलियत देता है। सरकार के नेतृत्व में इन सभी संगठनों के सामूहिक प्रयासों की बदौलत दुनिया के श्रेष्ठ नवाचार बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में उपलब्ध हैं। हालांकि ऐसे लोग भी हैं जो इन प्रयासों पर संदेह करते हैं और सरकार के टीकाकरण कार्यक्रम पर आरोप लगाते हैं। वस्तुत: टीके तो जीवन बचाने के लिए हैं। हम हर बच्चे को एक स्वस्थ जीवन मिले, उसके लिए वे सक्षम हों, इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।
हो सकता है कि कुछ लोगों को इन प्रयासों में संदेह हो और सरकार के टीकाकरण कार्यक्रम में शिकायतें भी हों, पर सच्चाई ये है कि ये टीके जिन्दगियां बचा रही हैं। और, हम हर बच्चे को स्वस्थ जिन्दगी जीने के योग्य बनाने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। सबूतों और अंतर्दृष्टि (insights) के द्वारा समर्थित विज्ञान और नवाचार पर हमने ध्यान केंद्रित किया है। मुझे विश्वास है कि अच्छी सोच और सेवा भावना के साथ हम सभी भारतीयों को स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल प्रदान करने में सक्षम होंगे।
(जगत प्रसाद नड्डा भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे वर्तमान में केंद्र सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हैं। वे हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं और भारतीय जनता पार्टी में संसदीय बोर्ड सचिव हैं। इससे पहले वे हिमाचल प्रदेश में मंत्री थे। )
(ऊपर व्यक्त विचार लेखक (एस) के हैं, और नरेंद्र मोदी की वेबसाइट और नरेंद्र मोदी ऐप के हैं, जो व्यक्त विचारों को जरूरी नहीं देते और जरूरी नहीं है कि नरेंद्र मोदी की वेबसाइट और नरेन्द्र मोदी एप के भी यही विचार हों। )